बिहार की नदियों के जलस्तर में भले ही उतार-चढ़ाव का दौर जारी है परंतु बिहार में बाढ़ का दायरा बढ़ता जा रहा है। बाढ़ के कहर से 1,200 से ज्यादा गांव तबाह हो चुके हैं तथा 17 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है। पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, बिहार की अधिकांश प्रमुख नदियों का जलस्तर स्थिर है, जबकि कोसी के जलस्तर में मामूली वृद्घि दर्ज की गई है। नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, कोसी नदी के वीरपुर बैराज में जलस्तर सुबह आठ बजे 1़ 35 लाख क्यूसेक था, जो 10 बजे बढ़कर 1़ 42 लाख क्यूसेक हो गया। इधर, गंडक के वाल्मीकीनगर बैराज में जलस्तर में गिरावट आई है। वाल्मीकीनगर में गंडक का जलस्तर आठ बजे सुबह 1़ 55 लाख क्यूसेक था, जबकि 10 बजे यह घटकर 1़ 50 लाख क्यूसेक हो गया।
इधर, बागमती नदी बेनीबाद और हायाघाट में, कमला बलान झंझारपुर, गंगा नदी कहलगांव में तथा बूढ़ी गंडक खगड़िया में खतरे के निशान से अब भी ऊपर बह रही है। आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक बिहार के सुपौल, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, पश्चिम चंपारण, मधुबनी, नालंदा और सीतामढ़ी समेत 14 जिलों के 77 प्रखंडों के 1,254 गांवों में बाढ़ का कहर जारी है, जिससे 17 लाख की आबादी प्रभावित हुई है। एक अधिकारी के मुताबिक, 38,426 लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं, जबकि बाढ़ से घिरे 1़ 17 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
इधर, सीतामढ़ी जिले में बागमती नदी का बायां तटबंध क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे दर्जनों गांवों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। संभावित खतरे को लेकर एनडीआरएफ की 15 सदस्यीय टीम बुलाई गई है। उत्तर बिहार के पश्चिम चंपारण, दरभंगा के घनश्यामपुर और गोपालगंज के डुमरिया में बाढ़ के पानी का दबाव बरकरार है। इस वर्ष बाढ़ का सबसे अधिक प्रभाव नालंदा जिले में देखने को मिला है। नालंदा के 15 प्रखंडों में बाढ़ का पानी तबाही मचा रहा है। समस्तीपुर जिले के तीन प्रखंडों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है। लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं।
इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को सहरसा, सुपौल, और मधेपुरा के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों को हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने बाढ़ से जनजीवन को ज्यादा खतरा नहीं है। कई जगहों पर बांध टूटने की आशंका थी, लेकिन लोग मुस्तैदी से लगे हुए हैं।