प्रख्यात कन्नड़ लेखक यू.आर. अनंतमूर्ति को शनिवार को हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी। बेंगलुरू विश्वविद्यालय परिसर के जन भारती में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता अनंतमूर्ति (82) का शुक्रवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया था। सूर्यनारायण शास्त्री के नेतृत्व में 15 पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उनका अंतिम संस्कार किया। अनंतमूर्ति के इकलौते पुत्र शरत ने, पुलिस द्वारा दी गई 21 बंदूकों की सलामी और राज्य गान व राष्ट्र गान के बाद चिता को मुखाग्नि दी।
अनंतमूर्ति की विधवा एस्थर के अलावा इस मौके पर उनकी पुत्री अनुराधा और दामाद विवेक शानबाग रिश्तेदारों व घनिष्ठ मित्रों के साथ उपस्थित थे। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी उमाश्री, अम्बरीश और यू.टी. खादर, पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा और कई लेखक, कवि, विद्वान और शिक्षक अंतिम संस्कार में शामिल हुए। इसके पहले अनंतमूर्ति का शव रवींद्र कलाक्षेत्र के समसा बायलू रंगमंदिर में रखा गया, जहां सैकड़ों की संख्या में लागों ने उनके दर्शन किए और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
अनंतमूर्ति का शव ताबूत में रखा हुआ था, जो राष्ट्रध्वज से लिपटा हुआ था और फूलों से लदा हुआ था। सैकड़ों की संख्या में लोग उनकी शवयात्रा में शामिल हुए जो विश्वविद्यालय परिसर पहुंच कर समाप्त हुई। राज्य सरकार की ओर शुक्रवार को ही तीन दिन के राजकीय शोक और शनिवार को सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा कर दी गई थी। लिहाजा सभी सरकारी कामकाज और कार्यक्रम रद्द कर दिए गए और सभी सरकारी इमारतों व कार्यालयों पर राष्ट्रध्वज आधा झुका दिया गया।