लगातार हो रहे बमबारी के बीच पाकिस्तान में छिड़ा अंदरुनी कलह को देखते हुए भारत को पल-पल सजग रहना होगा। क्योंकि पाकिस्तानी सेना आतंकवाद का खुलेआम एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करना चाहती है और नवाज शरीफ के बने रहते संभव नहीं। हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने जवान सहित तीन लोगों के मारे जाने के बाद दो टूक में कह दिया है कि सैनिकों मुंहतोड़ जवाब दो, किसी भी दशा में पीछे नहीं हटना है। मतलब साफ है, पाकिस्तान में विस्फोटक होती हालात को ध्यान में रखते हुए सीमा पर कड़ा पहरेदारी की सख्त जरुरत है। पाकिस्तान द्वारा लगातार संघविराम का उल्लंघन, उसके नापाक इरादों को साफ दर्शाता है। बार-बार इस तरह की हरकत गवाही दे रहा कि पाकिस्तान की सरकार का उसकी सेना व सरहद पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। भारत-पाक अगर कोई बड़ा समझौता करने की दिशा में बढ़ते है तो पाकिस्तानी सेना को अपनी साख की फिक्र होने लगती है। जब तक पाकिस्तानी सरकार वहां की सेना को काबू में नहीं कर पायेगी, तब तक रिश्ते सामान्य होने से रहा।
सीमा पर ताबड़तो़ड़ फायरिंग, गोलाबारी व धमाकों के बीच काल-कलवित होती जिंदगीयां। माहभर में एक-दो नहीं, कई जाने जा चुकी है। बेकसूर जानवरों पर मौत का आफत लगातार मंडरा रहा है। सीमा क्षेत्र के आसपास के लोग दहशत में है। लोग घर-बार छोड़कर पलायन को विवश है। चेतावनी के बाद भी पाकिस्तानी फौजी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। पाकिस्तान हर मोर्चे पर भारत सेे दो-दो हाथ करने के तैयार है। बावजूद इसके आक्रामक रुख अख्तियार करने के सीमा पर तैनात फौजी गोलीबारी में चोटहिल होने के बाद भी सिर्फ बचाव की मुद्रा में है। इन हालातों में आखिर कब तक सोता रहेगा भारत। क्या सरकार सिर्फ बैठक रद्द करने में ही अपने कर्तव्य पूरा कर समझ रही है। जो हो गया, वह वापस नहीं लौटेगा, लेकिन अब हम किसी को शहीद नहीं देंगे, जैसे नारे चुनाव के दौरान देने वाले नरेन्द्र मोदी आखिर किस घड़ी के इंतजार में है, या फिर जज्बाती बातों की दुहाई देकर कुर्सी हथियाना ही था मुख्य मकसद। क्यों नहीं मुंहतोड़ जवाब दे रहा भारत। यह जगजाहिर है भारत-पाक अगर कोई बड़ा समझौता करने की दिशा में बढ़ते है तो पाकिस्तानी सेना को अपनी साख की फिक्र होने लगती है। जब तक पाकिस्तानी सरकार वहां की सेना को काबू में नहीं कर पायेगी, तब तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।
जहां तक पाकिस्तानी फौज का मामला है, तो उसका रुख हमेशा से भारत विरोधी रहा है। पाकिस्तान में सेना ने बरसों से अपना एक रुतबा बना लिया है, जो वहां एक बड़े पावर सेंटर के रुप में काम करती है। पाकिस्तानी सेना अपने रुतबे में कभी कमी नहीं आने देना चाहती। और वह मौजूदा स्थिति बरकरार रखना चाहती है। इस रुतबें में उसके संस्थागत फायदें जुड़े हुए है। यही वजह है कि पाकिस्तानी सेना का भारत विरोधी राग जारी रहता है। वहां आईएसआई का एक धड़ा भी भारत के खिलाफ है, जो यहां विध्वंसक कार्रवाइयों को बढ़ावा देता रहता है। सीमा पार से हर रोज गोलाबारी के पीछे दरअसल आतंकवादियों को भारत की सीमा में घुस आने की कोशिश होती है। पाकिस्तान पूरी ताकत से यह प्रयास करता रहता है कि कश्मीर का मुद्दा सुलगता रहे और इसके लिए वह धन, हथियार वगैरह अलगाववादियों को मुहैया कराता रहता है। यह बिल्कुल खुला रहस्य है कि पाकिस्तान न केवल कश्मीरी अलगाववादियों को उकसाता है बल्कि वहां आतंकवाद को भी बढ़ावा देता है। पाकिस्तानी सेना ने वहां के नागरिकों में डर बैठा दी है। कश्मीर पर वह अपना एकाधिकार समझती है और कश्मीर पर कोई समझौता न करने की बात पाकिस्तानी फौज हमेशा कहती है। लश्करें तैयबा जैसा आतंकी संगठन का भारत के खिलाफ छद्त युद्ध के लिए इस्तेमाल करती रहती है। भारत को कमतर आंकना, खुद को एक परमाणु ताकत के रुप में पेश करने जैसी बातें पाकिस्तानी आर्मी प्रचारित करती रहती है। मोदी व सरीफ का मिलन भी वहां की फौज को रास नहीं आ रहा। 25 अगस्त को होने वाली बैठक हो भी जाती तो पाकिस्तानी सेना को मंजूर नहीं होता। परवेज मुसर्रफ के वक्त वहां सेना बैकफूट पर चली गयी थी। वहां की जनता में सेना के खिलाफ आक्रोश था। इसलिए वहां की सेना नहीं चाहती िकवह भविष्य में तख्तापलट करें, लेकिन वह भारत के साथ कश्मीर द्विपक्षीय वार्ता पर नियत्रंण रखना चाहती है ताकी जनता की निगाह में ताकतवर बनी रहे। वह सरकार को डिक्टेट करने की स्थिति में रहती है। इसलिए इन परिस्थितियों में पाकिस्तान के संबंध भारत से अच्छे कभी हो नहीं सकते। कि अगर भारत पाकिस्तान ने एक बार फिर अपना दोहरा चेहरा दिखाया है। जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात और सीमा पर लगातार फायरिंग की घटनाओं के बीच पड़ोसी मुल्क ने उल्टे भारत पर ही सीजफायर उल्लंघन का आरोप लगाया है। पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर उल्लंतघन का ताजा मामला चाहे वह जम्मू-कश्मीेर के मेंढर का हो या हमीरपुर स्थित भारतीय चैकियों पर गोलीबारी की या शनिवार को सुबह आर.एस. पुरा सेक्टर और अर्निया सब-सेक्टर में अंधाधुंध फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गयी। दर्जनों घायल हो गए। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के अखनूर सेक्टर में सुरक्षाबलों ने भारत-पाक सीमा पर सुरंग मिलने का खुलासा किया है। सीमा पर घुसपैठ की तमाम साजिशें नाकाम होने के बाद पाकिस्तान सुरंग के जरिए घुसैपठ की कोशिश कर रहा है। 50 मीटर लंबे इस सुरंग की ऊंचाई करीब 8 से 10 फीट है और चैड़ाई 2 से 2.5 फीट है। जिसमें एक आदमी आराम से आर-पार जा सकता है। इस सुरंग का क्या मकसद है, कहीं फिर से कारगिल की तैयारी तो नहीं है। पाकिस्तान सैनिक हरहाल में जवानों पर कहर ढहाने के लिए तैयार है, लेकिन हमारी सेना अभी शीर्ष आदेश के इंतजार में ही वक्त जाया कर रही है।
भारत पाकिस्तान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाए रखा, तो इसके पीछे मकसद एक ही था कि आप अपने पड़ोसी देश के साथ लंबे अरसे तक शत्रुतापूर्ण व्यवहार नहीं रख सकते हैं। चाहे वह मुंबई हमलों का मामला हो या कश्मीर में घुसपैठ का. भारत ने हमेशा पाकिस्तान को माफ किया है और उससे दोस्ती बनाए रखने की कोशिश की है। लेकिन दुख है कि एक तरफ तो पाकिस्तान भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है, दूसरी ओर कश्मीरी अलगाववादियों की पीठ थपथपा रहा है। सीमा पर ताबड़तोड़ गोले दागे जा रहे है। बीएसफ जवानों सहित आम आदमी इसके शिकार हो रहे है। पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता तसनीम असलम ने कहा, पाकिस्तान भारत का गुलाम नहीं है जो उसे खुश करने के लिए हर कदम उठाए। पाकिस्तान एक आजाद देश है। कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है। कश्मीर एक विवादास्पद जगह है और उस विवाद में पाकिस्तान की भी वाजिब हिस्सेदारी है। पाकिस्तान के अब तक की सफलता का राज भी यहीं है कि चाहे वह बाजपेयी रहे हो या यूपीए सभी ने दो टूक जवाब देने के बजाएं घिघियाते ही नजर आ रहे थे, लेकिन मोदी ने साहसी कदम उठाकर जो जवाब दिया है उससे पाकिस्तान की चूलें तो हिल गई है। भारत ने पाकिस्तान को बता दिया है कि दोस्ती और दुश्मनी साथ-साथ नहीं चल सकते। लेकिन सीमा के पाकिस्तानी फौजियों पर इसका कोई फर्क नहीं है और सीजफायर का उल्लंघन कर लगातार गोलीबारी कर रहे है। लगातार हो रहे बमबारी के बीच पाकिस्तान में छिड़ा अंदरुनी कलह को देखते हुए भारत को पल-पल सजग रहना होगा। क्योंकि पाकिस्तानी सेना आतंकवाद का खुलेआम एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करना चाहती है और नवाज शरीफ के बने रहते संभव नहीं। ऐसे में भारत को दोमुंहे पाकिस्तान से सामना होगा। मतलब पाकिस्तान में विस्फोटक होती हालात को ध्यान में रखते हुए सीमा पर कड़ा पहरेदारी की सख्त जरुरत है।
पाकिस्तान द्वारा लगातार संघविराम का उल्लंघन, उसके नापाक इरादों को साफ दर्शाता है। बार-बार इस तरह की हरकत से बिल्कुल साफ है कि पाकिस्तान की सरकार का उसकी सेना व सरहद पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। पाकिस्तानी सरकार व उसकी सेना के आपसी तालमेल के बिना सरहद पर घुसपैठ की हरकत हो ही नहीं सकती। सरहद पर गोलीबारी में हमारे बीर सैनिक शहीद हो रहे है। पाकिस्तान की छिपकर हमले करने की अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा। धोखे से हमारे सैनिकों को मारना, उनका सिर काट ले जाना आदि कब तक सहता रहेगा भारत। आखिर कब तक हमारे बीर सैनिक शहीद होते रहेंगे। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी गतिविधियों और छद्म युद्ध से भारत में शांति भंग करने की कोशिश में लगा रहता है। उसका मकसद सिर्फ यहां के अमन-चैन में खलल व विकास में बाधा पहुंचाना होता है। उसकी गतिविधियों के मद्देनजर अब भारत को अपना रुख कड़ा करते हुए जवाबी हमले को हर वक्त तैयार रहना होगा। चुनावी दौर में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा देने व सैनिकों पर हमले बर्दाश्त नहीं आदि दावों की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सत्ता पाने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को शपथग्रहण में बुलाने और दोस्ती का हाथ बढ़ाने का मामला तो ठीक था, शांति बहाली की हरसंभव कोशिश करना लाजिमी भी था, लेकिन अब जब वह दोस्ती की आड़ में गुर्रा रहा है तो हमें फूंक-फूंक कर कदम रखनी होगी। मोदी के प्रधानमंत्री बनने सेे अबतक पाकिस्तानी सेनाओं ने कुल 19 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है। यह जगजाहिर है कि बिना उसकावे के किए गए इस तरह के हमले मुख्यतः घाटी में अतिवादियों व आतंकवादियों की घुसपैठ से ध्यान हटाने के लिए किए जाते है। सरकार को हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तान के हाईकमीशन के साथ बातचीत से रोकना चाहिए था। ये कोई नेता नहीं है, कश्मीरियों का ये प्रतिनिधित्व नहीं करते, बल्कि ये आतंकीयों की शह पर चल रहे है। नवाज सरीफ ने अपनी आफत को टालने के लिए दोमुंहा दांव खेला जो उनके लिए अब घातक साबित हो रहा। यदि पाकिस्तान हुर्रियत नेताओं से बातचीत न करता तो रिश्ते बनना तय थे, लकिन पाकिस्तान ऐसा नहीं किया। पाकिस्तान हमेशा झूठ बोलता आ रहा है। कह रहा कि भारत घुसपैठ व सीजफायर का उल्लंघन कर रहा, जबकि सच्चाई यह है कि भारत न घुसपैठ व सीजफायर का उल्लंघन करता है और न इसकी जरुरत है। भारत हमेशा संबंधों की ही दुहाई दी है। ओवरआल पाकिस्तान ने अपना नेशनल एजेंडा हिंसा, आतंकवाद और हमला हथियार बना लिया है। इन परिस्थितियों में उससे कौन बात करेगा। संबंध तभी बेहतर बन पायेंगे जब दोनों देश कोर मुद्दो के बजाएं छोटे-छोटे अन्य मुद्दों पर आगे बढ़कर बात करें।
कब-कब हुए तनाव व वार्ता
अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान की ओर से जनजातीय समूहों का सशस्त्र हमला और युद्ध। यूएन के प्रयासों से शांति स्थापित हुई और 18 जुलाई 1949 में दोनों देशों में कराची समझौता हुआ। वर्ष 1954 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने भारत विलय पर मुहर लगा दी। कच्छ के रण से आरंभ हुई मुठभेड़ अगस्त तक पूर्ण युद्ध में बदल गई। यूएन के प्रयासों युद्ध विराम लागू। जनवरी 1966 में ताषकंद में समझौता। बांग्लादेश आजादी के संघर्ष के दौरान करोड़ो शरणार्थियों के मद्देनजर भारत भी युद्ध में कूदा। शांति प्रयासों केे तहत शिमला समझौता। दोनों देशों ने आपसी विवाद द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम के माध्यम से सुलझाने में सहमति जताई। सीजफायर लाइन बनी लाइन आफ कंटोल। दोनों देशों ने एक-दुसरे की नाभकीय सुविधाओं पर आक्रमण न नहीं करने ओर नाभकीय उपकरणों की मौजूदगी की साझा करने का समझौता किया। दोनों देश प्रत्येक 1 जनवरी को यह जानकारी बांटते है। 1992 में रासायनिक हथियारों का प्रयोग न करने का भी समझौता किया। फरवरी 1999 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने लाहौर में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज सरीफ के साथ लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। दोनों ने शिमला समझौते पर किए गए संकल्पों को दोहराया। दोनों देशों के बीच टेन व बस चलाने पर सहमति जताई गयी। नियंत्रण रेखा के अंदर कारगिल की पहाडि़यों पर पाकिस्तानी सैनिकों कई रणनीतिक चोटियों पर कब्जा। इन्हें हटाने के लिए भारत द्वारा थल और हवाई मार्ग से कार्रवाई। अक्टूबर 1999 में नवाज सरीफ का तख्तापलट कर परवेज मुर्सरफ खुद बने राष्टाध्यक्ष।
कब-कब हुआ सीजफायर आदि का उल्लंघन
वर्ष 2010 में युद्धविराम उल्लंघन की 44, 2011 में 51, 2012 में 93 और 2013 में 195 घटनाएं हुई। मतलब हर साल सीजफायर उल्लंघन बढ़ रहा है। इतना ही नहीं पाकिस्तानी फौज अपनी सीमा में आतंकवादियों की टेनिंग देता है। ओसामा बिन लादेन फौज झावनी में ही डेरा जमाएं रहा। वर्ष 2011 से अब तक अकेले जम्मू कश्मीर से लगी नियंत्रण रेखा पर ही 800 से अधिक बार घुसपैठ के प्रयास हो चुके है। वर्ष 2011 में 247, वर्ष 2012 में 264, वर्ष 2013 में 277 और इस वर्ष अब तक 45 प्रयास हो चुके है। इसके अतिरिक्त पंजाब और राजस्थान से लगी सीमा पर भी घुसपैठ के 236 प्रयास हुए। इस अवधि में घुसपैठ करते 144 लोग मारे गए और 400 लोग पकड़े गए। कुछ आतंकी सीमा पार भी कर गए। इतना ही नहीं आईएसआई लंबे समय से भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की नीयत से जाली नोट भेजने का षडयंत्र करती रहती है। पाकिस्तान में बैठे आतंकी दुबई, नेपाल व बंग्लादेश से जाली नोट भेजते है। वर्ष 2011 में 27 करोड़, 2012 में 46 करोड़, 2013 में 40 करोड़ और इस वर्ष अब तक 12 करोड़ जाली नोट पकड़े जा चुके है। भारत के हजारों लोग पाकिस्तान में कैद है, लेकिन वह इनकार करता रहा है। वहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं की प्रताड़ना भी आम बात है, जिसके कारण हर साल प्र्यटक बीजा बनाकर भारत आने वाले दर्जनों हिन्दू वापस जाने को तैयार नहीं होते। ऐसे सैकड़ों लोगों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है तो सैकड़ों कतार में है। पाकिस्तानी प्रशासन मंदिरों में होने वाले तोड़फोड को भी नहीं रोकता। पाकिस्तान में दर्जनों मंदिरें तोड़ा जा चुकी है।
(सुरेश गांधी)