मुद्रा छापने के लिए कागज और स्याही उत्पादन करने में भारत की अक्षमता पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि सामग्री का आयात ही जाली भारतीय मुद्रा छापने के तरीके को बढ़ावा देता है।
पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के शिबपुर में स्थित इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईईएसटी) में एक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने हैरानी जताई कि आखिर दूसरे देशों का उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने वाला भारत क्यों मुद्रा के मुद्रण में पीछे है।
उन्होंने कहा, "मुझे हैरत है कि कैसे एक देश जो तकनीकी रूप से इतना उन्नत है कि उसकी उपग्रह प्रणाली दूसरे देशों के उपग्रह का प्रक्षेपण कर सकती है वह जाली मुद्रा छापकर अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले शरारती तत्वों के लिए चारागाह बना हुआ है।"