दिल्ली उच्च न्यायालय ने छांवला कॉलोनी सामूहिक दुष्कर्म मामले में तीन दोषियों को निचली अदालत से मिली मौत की सजा की मंगलवार को पुष्टि कर दी। उन्होंने दोषी ठहराए गए तीनों युवकों को 'शिकारी'करार दिया और कहा कि वे सड़कों पर 'शिकार की तलाश'में निकले थे। न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा फरवरी में तीनों को 19 साल की युवती के अपहरण, उसके साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने और उन्हें मृत्युदंड देने के फैसले को बरकरार रखा। लड़की का शव क्षत-विक्षत अवस्था में वर्ष 2012 में हरियाणा में पाया गया था।
खंडपीठ ने अपने 97 पृष्ठों के निर्णय में कहा, "यह मामला ऐसा नहीं है कि तीनों ने सड़क पर एक अकेली महिला को देखा और उनके अंदर की बुराई अच्छाई से जीत गई। यह ऐसा भी नहीं है कि उन्होंने अचानक यह कृत्य किया। वे सड़कों पर घूम रहे शिकारी थे और शिकार ढूंढ़ रहे थे। उन्होंने अनामिका (परिवर्तित नाम) को समाज से छीन लिया।"
फैसले में कहा गया है, "उनका शिकारी दिमाग बेहद नृशंस व जिद्दी था। उनके मस्तिष्क की पहले से यही सोच कि किसी के साथ दुष्कर्म करना है और फिर उसकी हत्या कर देनी है, जाहिर करता है कि भावना की कोई गुंजाइश नहीं थी। अपनी वासना की तुष्टि और असहाय अनामिका की सोची-समझी हत्या के बाद उन्होंने उसके शरीर पर जो निशान छोड़े, उससे स्पष्ट है कि यह दुष्कर्म की अन्य घटनाओं की तरह नहीं है, जिसकी परिणति हत्या के रूप में सामने आती है।"
राहुल (27), रवि (23) और विनोद (23) ने दिल्ली के कुतुब विहार में लड़की को उसके घर के पास छांवला कॉलोनी से नौ फरवरी, 2012 को कार में अगवा कर लिया था, जब वह गुड़गांव के अपने दफ्तर से तीन सहकर्मियों के साथ लौट रही थी।
लड़की का क्षत-विक्षत शव रेवाड़ी में एक खेत से तीन दिन बाद बरामद किया गया था। लड़की के शव पर चोट के कई निशान थे। उसे कार के उपकरणों तथा मिट्टी के बर्तन से मारा गया था। पुलिस का कहना है कि इस अपराध को रवि की अगुवाई में अंजाम दिया गया, क्योंकि लड़की ने रवि के प्रेम संबंध बनाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।