केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने मंगलवार को झारखंड के रामगढ़ जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र की आधारशिला रखते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर कृषि के संबंध में उचित जानकारी उपलब्ध कराना और विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से उन्नत कृषि के बारे में किसानों को अवगत कराने में महत्वपूर्ण योगदान देना है। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य में यह केन्द्र खुलने से राज्य के सभी 24 जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र हो जाएंगे। 16 केन्द्र बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची, 3 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के अधीन और पांच केन्द्र गैर-सरकारी संगठनों के अधीन कार्य कर रहे हैं।
कृषि मंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि रामगढ़ जिला मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। इस कृषि विज्ञान केन्द्र से इसके सभी 351 राजस्व गांवों को महत्वपूर्ण कृषि जानकारी उपलब्ध होगी। उन्होंने केवीके से आग्रह किया कि उसे कोयले की खानों के कारण भू-क्षरण का सामना कर रहे क्षेत्रों में पुनर्वास के लिए कार्य करने के अलावा स्थानीय जनता की जीविका के संसाधनों में सुधार लाने में मदद करने वाले मॉडल भी विकसित करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूरे पूर्वी क्षेत्र, विशेष रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिसा और असम में केवल चावल का उत्पादन किया जाता है और थोड़े से क्षेत्र में रबी फसलों की बुआई की जाती है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि केन्द्र फल, सब्जियों और मशरूम जैसी फसलों के उत्पादन पर भी कार्य करेगा ताकि रामगढ़ जिला भी उच्च क्वालिटी की सब्जियों के बीजों की उपलब्धता का लाभ उठा सके। इस अवसर पर आईसीएआर महानिदेशक डॉ. एस. अयप्पनन और आईसीएआर तथा झारखंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।