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पाकिस्तान : राजनीतिक दलों को सर्वोच्च न्यायालय का नोटिस

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The Pakistan Supreme Court
पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राजनीति दलों को न्यायालय में पेश होने के लिए मंगलवार को नोटिस जारी किया। यह नोटिस पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और पाकिस्तान अवामी तहरीक (पीएटी) के धरने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जारी किया गया। डॉन ऑनलाइन की रपट के मुताबिक, याचिकाकर्ता जुल्फिकार नकवी ने न्यायालय से अनुरोध किया कि सभी संसदीय दलों तलब किया जाए ताकि मौजूदा राजनीतिक गतिरोध का समाधान किया जा सके। 

न्यायालय ने जिन राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किए हैं, उनमें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम), अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी), पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू), पाकिस्तान मुस्लिम लीग-जिया (पीएमएल-जेड), ब्लूचिस्तान नेशनल पार्टी (बीएनपी), अवामी मुस्लिम लीग (एएमएल), ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल), कौमी वतन पार्टी (क्यूडब्ल्यूपी), पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी), नेशनल पार्टी (एनपी) और पाकिस्तान अवामी तहरीक (पीएटी) शामिल हैं। 

मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश नसीरूल मुल्क ने कहा कि हालांकि पक्षपात के आरोपों पर स्पष्टीकरण जारी करने का उनके लिए औचित्य नहीं है, लेकिन वह इमरान खान से सिर्फ एक बार मिले थे और वह भी उनके वकील हामिद खान के साथ। और वह भी उस समय जब वह कार्यवाहक मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे। न्यायमूर्ति मुल्क ने कहा कि इमरान खान और हामिद खैबर पख्तूनख्वा में मतदान की बायोमेट्रिक प्रणाली के इस्तेमाल पर चर्चा करने के लिए उनके कार्यालय आए थे। 

उल्लेखनीय है कि पीटीआई अध्यक्ष जावेद हाशमी ने दावा किया है कि इमरान खान ने कहा था कि वर्तमान प्रधान न्यायाधीश पीटीआई के पक्षधर हैं और यह सुनिश्चित कराने को लेकर सहमत हैं कि नवाज शरीफ से सत्ता वापस ले ली जानी चाहिए।  सुनवाई के दौरान पीटीए के वकील अली जफर ने ऐसा कोई प्रस्ताव सौंपने से इंकार कर दिया कि मौजूदा राजनीतिक गतिरोध दूर करने में न्यायालय को क्या भूमिका निभानी चाहिए।

जफर ने कहा कि उनके मुवक्किल की मांग राजनीतिक प्रकृति की है और राजनीतिक मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है। पीटीआई का जवाब ऐसे समय में आया है, जब न्यायालय ने एक दिन पहले प्रदर्शनकारी दोनों दलों से पूछा था कि मौजूदा राजनीतिक गतिरोध समाप्त करने में न्यायालय की भूमिका को लेकर उनके दिमाग में क्या प्रस्ताव हैं। बहरहाल, इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।

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