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निठारी कांड : कोली को फांसी 12 सितंबर को

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श्रंखलाबद्ध हत्याएं करने वाले सुरेंदर कोली को मेरठ जेल में 12 सितंबर को फंदे पर लटकाया जाएगा। उसे फांसी देने का जिम्मा जल्लाद पवन सिंह को दिया गया है। यह जानकारी जेल अधीक्षक एस.एम. रिजवी ने दी। कोली को रिम्पा हल्दार नाम की एक लड़की की हत्या का दोषी ठहराया गया है। रिम्पा दिसंबर 2006 में लापता पाई गई थी। जांच के बाद पुलिस ने पाया कि कोली ने उसकी हत्या कर दी थी। जांच में पुलिस को एक मकान डी-5 के पास नाले से कई बच्चों के कंकाल मिले थे। यह मकान कारोबारी मोनिंदर सिंह पंधेर का था और कोली उसका घरेलू नौकर था। इस मामले में कोली और पंधेर दोनों को निचली अदालत ने मृत्युदंड सुनाया लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पंधेर को बरी कर दिया और कोली की सजा बहाल रखी।

जल्लाद पवन सिंह ने बताया कि उसने जेल के फांसी घर का निरीक्षण कर लिया है और जेल अधीक्षक को कुछ सुझाव भी दिए हैं। सिंह ने कहा, "कोली को फांसी देकर मुझे खुशी होगी। यह किसी को भी फंदे पर लटकाने का मेरा पहला अनुभव होगा। इससे पहले मैं अपने पिता और दादा के साथ ऐसे मौकों पर जाया करता था।"

उनके पिता मामू सिंह ने पटियाला, जयपुर, मेरठ और इलाहाबाद की जेलों में 14 अपराधियों को फंदे पर लटकाया। उनके दादा कालू सिंह ने बिल्ला और रंगा को फांसी दी थी। बिल्ला और रंगा 1981 के चर्चित गीता और संजय चोपड़ा हत्या मामले के दोषी थे। कालू सिंह ने ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों को भी फांसी दी थी।

कोली डासना जेल में कैद है लेकिन वहां फांसी देने की सुविधा नहीं है। उसे फंदे पर लटकाने के लिए मेरठ जेल लाया गया है। जेल अधीक्षक एस.एम. रिजवी ने कहा, "उसे अलग सेल में रखा गया है। उसे सामान्य खाना दिया जा रहा है। उसका व्यवहार सामान्य है। वह खाना नियमित रूप से खा रहा है और अपने साथ लाई धार्मिक किताब पढ़ता रहता है। उसे पढ़ने के लिए एक अखबार भी दिया जाता है।" 

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