सर्वोच्च न्यायालय ने निठारी कांड के लिए दोषी ठहराए गए सुरेंद्र कोली की फांसी पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तु ने रविवार देर रात कोली की याचिका पर यह आदेश दिया। कोली की ओर से वकील इंदिरा जयसिंह ने अदालत में याचिका दी। कोली को सोमवार को ही मेरठ की जेल में फांसी दी जानी थी।
कोली की दया याचिका राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने चार सितंबर को उसकी मौत का वारंट जारी किया था। अदालत से वारंट जारी होने के बाद उसे गाजियाबाद जिले की डासना जेल से मेरठ ले जाया गया, क्योंकि डासना जेल में फांसी की सजा देने के लिए आवश्यक चीजें नहीं हैं। इससे पहले अधिकारियों ने कहा था कि उसे सात सितंबर से 12 सितंबर के बीच फांसी दी जा सकती है।
कोली को रिम्पा हल्दर नाम की लड़की की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया है, जो नोएडा में दिसंबर 2006 में गायब हो गई थी। जांच में पाया गया कि कोली ने उसकी हत्या कर दी थी। जांच के दौरान कई अन्य बच्चों के कंकाल के अवशेष भी निठारी में एक घर के बगल से गुजरने वाली नाली में मिले। यह वही इलाका था, जहां कोली व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घरेलू सहायक के रूप में काम कर रहा था।
निचली अदालत ने कोली और पंढ़ेर, दोनों को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पंढ़ेर को इस मामले में बरी कर दिया, जबकि कोली के मृत्युदंड को बरकरार रखा। बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने भी कोली की मौत की सजा को बरकरार रखा। उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।