आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक दिनेश मोहनिया को खरीदने की कोशिश करने के आरोप का सामना रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के उपाध्यक्ष शेर सिंह डागर ने सोमवार को कहा कि आप नेता ने खुद उनसे मुलाकात की थी और भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई थी। दूसरी तरफ बचाव की मुद्रा में आई भाजपा ने डागर से दूरी बना ली है। डागर ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, "आप विधायक 45 दिन पहले मुझसे मिलने आए थे और कल (रविवार) भी उन्होंने मुलाकात की थी। जब से भाजपा ने केंद्र में सरकार बनाई है, वह हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते थे।"
उन्होंने कहा, "वह (मोहनिया) मुझसे मिलने आए थे और मैं कभी उनसे (मोहनिया से) मिलने नहीं गया। पैसे की कोई बात नहीं हुई थी और न ही मैंने उनके सामने कोई पेशकश की थी।"डागर ने कहा कि आप द्वारा जारी किया गया वीडियो असली नहीं है, और अगर उन पर लगे आरोप साबित हो जाते हैं, तो वह राजनीति से सन्यास ले लेंगे। भाजपा नेता ने कहा, "आप मेरा 44 साल का रिकार्ड देख सकते हैं। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। अगर पार्टी मुझे निष्कासित करना चाहती है, तो वह कर सकती है। मैं आप के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करूंगा।"
आप की ओर से सोमवार को जारी हुए वीडियो में डागर कथित रूप से मोहनिया को दिल्ली में भाजपा की सरकार बनाने में मदद के लिए पैसे व महत्वपूर्ण पद की पेशकश कर रहे हैं। इस वीडियो के साथ ही भाजपा बैकफुट पर आ गई है, जिस वजह से इसने डागर से दूरी बना ली है और कहा कि वह मोहनिया से व्यक्तिगत तौर पर मिले होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सांबित पात्रा डागर के संवाददाता सम्मेलन में शामिल होने वाले थे, लेकिन वह इसमें नजर नहीं आए।
भाजपा के एक अन्य नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा, "आप लंबे समय से यह कर रही है। इससे पहले उसने भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी के खिलाफ आरोप लगाए थे और फिर बाद में माफी मांगी थी। वे फिर हम पर हमले कर रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव आर.पी.सिंह ने वीडियो टेप के फोरेंसिक लैब में जांच कराए जाने की मांग करते हुए निर्दोष साबित होने तक डागर को इस्तीफा देने की सलाह दी है।
सिंह ने आईएएनएस से कहा, "आप ने पूरा वीडियो नहीं दिखाया है और संपादित हिस्सा दिखाया है। हम वीडयो के फोरेंसिक लैब में जांच किए जाने की मांग करते हैं।"उन्होंने कहा, "मामले की जांच तक डागर को इस्तीफा दे देना चाहिए।"आप संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा 14 फरवरी को इस्तीफा दिए जाने के बाद से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू है।