सीएम ने किया गोविंद वल्लभ पंत का स्मरण
देहरादून, 9 सितम्बर (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भारत रत्न पं0 गोविन्द बल्लभ पंत का उनकी 127वीं जयन्ती पर भावपूर्ण स्मरण किया है। पं. गोविन्द बल्लभ पंत जयंती की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमें पण्डित पंत जी द्वारा देश सेवा के लिए किये गये संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा है कि पं. गोविन्द बल्लभ पन्त जैसे स्वाधीनता संग्राम के मुखर योद्धा, प्रभावशाली वक्ता, कुशल संसद्विद एवं समर्पित देशसेवी गिने-चुने ही हुये हैं, जिन पर हमें गर्व है। उन्होंने कहा कि पन्त जी ने देश को जो नई दिशा एवं सोच दी है हमे उनका अनुसरण करते हुए आगे बढ़ना होगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा है कि स्वाधीनता संग्राम के दौरान पन्त जी का योगदान इतिहास की धरोहर है और साइमन कमीशन के विरोध में उनके द्वारा किया गया प्रदर्शन एक ऐतिहासिक घटना है। उन्होने कुली बेगार तथा जमींदारी उन्मूलन के लिए भी निर्णायक लड़ाई लड़ी और समाज से इन बुराईयों को मिटाने में अहम भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंण्डित गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा केन्द्रीय गृह मंत्री के रूप में की गई देश सेवा सराहनीय है पन्त जी ने सदैव इस पर्वतीय क्षेत्र के विकास के लिए भी समर्पित रूप से कार्य किया।
केन्द्रीय मंत्री उमा से मिले मुख्यमंत्री रावत
देहरादून, 9 सितम्बर (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा पुनरूद्धार मंत्री उमा भारती से भेंट कर बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के पुनर्निर्माण, बाढ़ प्रबंधन व सिंचाई नहरों के निर्माण से संबंधित प्रस्तावों की स्वीकृति व विभिन्न योजनाओं में केंद्रांश की धनराशि को शीघ्र अवमुक्त किए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि केन्द्र पोषित बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के अन्तर्गत विगत वर्षों में राज्य द्वारा गठित योजनाओं को गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग, पटना, भारत सरकार को प्रेषित किया गया था, जिनमें से 17 योजनाएं, लागत रू0 498.16 करोड, अभी भी टीएसी हेतु लंबित हैं, जिनपर जीएफसीसी/सीडब्ल्यूसी से यथाशीघ्र अनुमोदन दिया जाए। 08 बाढ़ सुरक्षा योजनाएं, जिनकी अनुमानित लागत रू0 296.36 करोड़ है तथा जो जीएफसीसी/सीडब्ल्यूसी की टीएसी से अनुमोदित है। इन योजनाओं पर योजना आयोग, भारत सरकार से इन्वेस्टमेंट क्लीयरेन्स अपेक्षित है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से अपने स्तर से शीघ्र क्रियान्वयन कराए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र पोषित बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के अन्तर्गत 08 योजनाएं, लागत रू0 82.38 करोड़ की निर्माणाधीन है जिनपर अवषेश केन्द्रांश के रूप में रू0 29.46 करोड़ की धनराषि अवमुक्त की जानी है। केन्द्र पोषित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों की पुनर्निर्माण योजना सीएसएस (आर) के अन्तर्गत कुल 54योजनाओं हेतु अनुमानित लागत रू0 657.79 करोड़ के प्र्रस्ताव भी गठित कर भारत सरकार को प्रेषित किये गये हैं, जिनपर भी भारत सरकार की स्वीकृति व केन्द्रांश के रूप में धनराशि अवमुक्त की जानी है। उन्होंने कहा कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के अंतर्गत 26 योजनाएं, जिनकी अनुमानित लागत रू0 62.24 करोड़ है, वित्तपोषण हेतु भारत सरकार को प्रेषित की गई है। भारत सरकार द्वारा एआईबीपी के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2013-14 में 33 योजनाएं, लागत रू0 111.88 करोड़ स्वीकृत की गई हैं। इनके केन्द्रांश की धनराशि जल्द अवमुक्त की जाए। मुख्यमंत्री ने इसके अतिरिक्त जल-संसाधन मंत्रालय में उत्तराखण्ड राज्य से संबंधित लम्बित प्रकरणों पर भी त्वरित कार्रवाई किए जाने की का अनुरोध किया।
राज्य में सड़कों विशेष रूप से राजमार्गों के संबंध में विस्तार से चर्चा
देहरादून, 9 सितम्बर (निस)। केदारनाथ आपदा के बाद तात्कालिक आवश्यकताओं को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से चारधाम मार्गों के किए गए पुनर्निर्माण पर हुए व्यय की प्रतिपूर्ति केंद्र सरकार उŸाराखण्ड को करे। मारचूला-भिकियासैण-चैखुटिया-खिराखनसर,-बाचूबंद-महालचैड़ व हरिद्वार- रोशनाबाद -बांदरजूर- बग्गावाला - बिहारीगढ़ को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जाए। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्रीय भूतल परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी से भेंट कर राज्य में सड़कों विशेष रूप से राजमार्गों के संबंध में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गत वर्ष आपदा के बाद बीआरओ व भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण चारधाम से जुड़ी महत्वपूर्ण सड़कों की मरम्मत व पुनर्निर्माण का काम अपेक्षित रूप से नहीं कर पा रहे थे। इसलिय राज्य सरकार ने उŸाराखण्ड की आर्थिकी के लिए इन मार्गों को पुनः प्रारम्भ करने की तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए अपने संसाधनों से इन सड़कों की मरम्मत का काम किया था। बीआरओ के तहत लगभग 37 करोड़ 18 लाख रूपए व एनएचआईए के तहत मंगलौर से नेपाली फार्म एनएच-58 मार्ग पर 13 करोड़ 77 लाख रूपए की धनराशि राज्य द्वारा स्वयं वहन की गई थी। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री इस धनराशि की प्रतिपूर्ति करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को भेजे गए 25 करोड़ 47 लाख रूपए के सीआरएफ प्रस्तावों की स्वीकृति जल्द देने का भी अनुरोध किया। एनएच 125 टनकपुर से पिथौरागढ़ की जल्द मरम्मत की जरूरत की ओर भी केंद्रीय मंत्री का ध्यान आकर्षित किया। वर्ष 2016 मे हरिद्वार में आयोजित होने वाले अर्धकुम्भ का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि एनएच 58 गाजियाबाद से हरिद्वार पर सुधार कार्य को सितम्बर 2015 तक अवश्य पूरा कर लिया जाए। हरिद्वार-रोशनाबाद-बांदरजूर-बग्गावाला-बिहारीगढ़ जिसकी लम्बाई लगभग 30 किमी है, को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिया जाए ताकि अर्धकुम्भ के अनुरूप इसे तैयार किया जा सके। मुख्यमंत्री श्री रावत ने पर्वतीय राज्य उŸाराखण्ड की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए एफडीआर व ओआर के तहत आवंटन को बढ़ाए जाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में एफडीआर के तहत 33 करोड़ रूपए व ओआर के तहत 25 करोड़ रूपए की धनराशि आवंटित किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को बताया कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के तौर पर विकसित किया जाना है। इसके लिए रोड़-कनेक्टीविटी को सुधारने के लिए मारचूला-भिकियासैण-चैखुटिया-खिराखनसर,-बाचूबंद-महालचैड़ को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जाना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय सीमावर्ती क्षेत्रों में नए राष्ट्रीय राजमार्ग के संबंध में राज्य सरकारों से प्रस्ताव मंगवा रही है। उŸाराखण्ड सरकार ने अपने प्रस्ताव व संस्तुतियां केंद्र को प्रेषित कर दी हैं। उन्होंने उŸाराखंड के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के भुगतान व लेखा कार्यालय को नई दिल्ली से देहरादून स्थानांतरित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राज्य की दैवीय आपदा के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्रीय मंत्री राज्य सरकार के अनुरोध पर सकारात्मक कार्यवाही करेंगे व उŸाराखंड को प्राथमिकता दी जाएगी।