बाढ़ प्रभावित जम्मू एवं कश्मीर में 50,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया, वहीं अब भी सैकड़ों लोग अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं। हालांकि, बुधवार को नदियों का जलस्तर कम हुआ है। अधिकारियों के अनुसार, बाढ़ में अब तक 215 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, "बाढ़ के पानी के पूरे तरह उतर जाने और जलमग्न इलाके में हमारे पहुंचने तक हम बाढ़ से हुई मौतों की वास्तविक संख्या नहीं बता सकते।"कई लोग श्रीनगर शहर में फंसे हुए हैं, जहां शनिवार देर रात पानी भर गया।
अधिकारियों ने बताया कि 50,000 फंसे हुए लोगों को अब तक सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, लेकिन उन्होंने बुधवार को यह भी कहा कि कई लोग अब भी जलमग्न इलाकों में फंसे हो सकते हैं। झेलम नदी का जलस्तर श्रीनगर और घाटी में हर जगह नीचे हो रहा है। श्रीनगर शहर के दो दर्जन रिहायशी इलाकों में रविवार दोपहर से शुरू हुआ बचाव कार्य जारी है। बाढ़ में बचाए गए हर व्यक्ति के पास अपनी-अपनी व्यथा है। उन्होंने बताया कि उनके इलाकों में मदद की गुहार लगाने वाले लोगों की चीख-पुकार शांत हो गई थी, जिसका मतलब यह है कि या तो उनकी मौत हो गई है या फिर उन्होंने खुद को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया।
श्रीनगर का राजबाग, जवाहर नगर, गोगीबाग, बेमिना, मेहजोर नगर, करन नगर और कमरवाड़ी इलाका अभी भी जलमग्न है। पुलिस उप महानिरीक्षक गरीब दास ने बुधवार को आईएएनएस को बताया, "उधमपुर जिले के पंचौरी इलाके में मंगलवार को हुए भूस्खलन के बाद 31 लोग लापता हैं, इस हादसे में 40 लोगों की जान चली गई थी।"श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग लगातार सातवें दिन बुधवार को भी बंद है, लेकिन मंगलवार को 440 किलोमीटर लंबे श्रीनगर लेह राजमार्ग पर यातायात बहाल हो गया।
बाढ़ की वजह से कश्मीर घाटी में पेट्रोल और किरासन तेल का संकट गहरा गया है, सभी पेट्रोल पंपों में इसकी कमी बताई जा रही है। इस आपदा में संचार व्यवस्था भी प्रभावित हुई है। रेडियो स्टेशन और दूरदर्शन चार दिनों से बंद है। एयरसेल को छोड़ कर सभी दूरसंचार कंपनी की सेवाएं बाधित हैं। कई कश्मीरियों का मानना है कि राज्य सरकार आम लोगों तक पहुंचने में नाकाम रही है।