- संताल परगना प्रमण्डल के तमाम छः जिलों के 18 विधानसभा सीटों पर पूर्ण बहुमत का सेहरा किसके सर बंधेगा ?
- किस राजनीतिक पार्टी को प्राप्त होगी अधिक से अधिक सीटें ?
- नतीजा समय के गर्भ में।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता रहा है संताल परगना। इसी संताल परगना की भूमि से झामुमों सुप्रिमों शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। 70 के दशक में अविभाजित बिहार के पठारी (दक्षिणी बिहार) हिस्से में अवस्थित जंगल-पहाड़ से महाजनों व शोषक वर्गोे के खिलाफ आग उगलने वाले आदिवासी नेता शिबू सोरेन ने जिस जल, जंगल, जमीन का मुद्दा छेड़ कर संतालों के बीच अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति इस क्षेत्र में दर्शायी और 80 के दशक से लोक सभा में प्रतिनिधित्व का अवसर प्राप्त किया, उसी शिबू सोरेन के क्षेत्र में भाजपा के रणबाँकुरों ने आसन्न विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर सेंधमारी का प्रयास तेज कर दिया है। ंसताल परगना ़क्षेत्र से जिन्हें कोई खास वास्ता नहीं रहा वैसे नेताओं को भी इस क्षेत्र में पूरी जीवटता के साथ भ्रमण व जनसंपर्क में पिछले दिनों व्यस्त देखा गया। जहाँ एक ओर आम आदमी को यह सुखद प्रतीत हो रहा, वहीं यह बिडंबना भी व्यक्त की जा रही कि सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखकर ही ऐसा क्यों किया जा रहा ? इस क्षेत्र के भविष्य पर नेताओं की कृपा दृष्टि अब तक क्यों नहीं बनी ? खैर ’’देर आया, दुरुस्त आया’’, के सिद्धान्तों पर ही सही, नेताओं का जमावड़ा तो इस क्षेत्र में प्रारंभ हो ही गया है। झामुमों के गढ़ से जहाँ एक ओर इन्कलाब का झंडा बुलंद करती धीरे-धीरे भाजपा अपना पैर पसारती जा रही, वहीं झाविमों सुप्रिमों बाबूलाल मराण्डी व उनके समर्थकों द्वारा झामुमों व भाजपा को पटकनी देने की रणनीति पर विशेष गोपनीयता बरती जा रही। संताल परगना प्रमण्डल का मुख्यालय दुमका से चुनावी युद्ध का शंखनाद यूँ तो 01 सितम्बर से ही प्रारंभ हो गया जब प्रमण्डलीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भाजपा के विरुद्ध सीधी लड़ाई के लिये अपने समर्थकों को तैयार रहने को कहा।
लोक सभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत से विजयश्री हासिल करने वाली भाजपा विधान सभा चुनाव में भी अपनी स्थिति उसी मुकाम पर केन्द्रीत करेगी यह तो उसके बड़े लिडरान पर निर्भर है किन्तु, झामुमों का यह प्रयास रहेगा कि बड़ी तैयारी के साथ उसके इरादों पर पानी फेरा जाय। झामुमों कदापि नहीं चाहेगी कि संताल परगना प्रमण्डल में विधायकों की जो संख्या वर्ष 2009 के विस चुनाव में बनी उस पर कोई आँच आए। सूबे के सबसे पिछड़ा इलाका संताल परगना प्रमण्डल में विधानसभा की कुल 18 सीटंे हैं। जिलास्तरीय आँकड़ों पर गौर फरमाया जाय तो प्रतीत होता है कि उप राजधानी का दर्जा प्राप्त दुमका जिलान्तर्गत विधान सभा की कुल चार सीटें हैं। दुमका, जामा, शिकारीपाड़ा व जरमुण्डी। इस जिले में जरमुण्डी ही एकमात्र अनारक्षित सीट है, शेष तीनों सीटें आरक्षित कोटा में है। दुमका से हेमन्त सोरेन, शिकारीपाड़ा से नलिन सोरेन व जामा से सीता सोरेन (सभी झामुमो सें) विधायक हैं, जबकि जरमुण्डी से हरिनारायण राय (निर्दलिय) विधायक इस विधान सभा क्षेत्र की शोभा बढ़ा रहे।े देवघर जिला में विधानसभा की तीन सीटें हैं-देवधर, मधुपुर व सारठ। देवधर से सुरेश पासवान (राजद) व मधुपुर तथा सारठ से क्रमशः हाजी हुसैन अंसारी व शशांक शेखर भोक्ता (दोनों झामुमों) विधायक हैं। जामताड़ा में दो विधानसभा क्षेत्र है-जामताड़ा व नाला। जामताड़ा विस से विष्णु प्र0 भैया (झामुमों) व नाला विस क्षेत्र से सत्यानन्द झा’’बाटुल’’(भाजपा) विधायक हैं। गोड्डा जिला में विधानसभा की कुल तीन सीटें हैं-गोड्डा, महगामा व पोड़ेयाहाट। गोड्डा से संजय प्र0 यादव (राजद) महगामा से राजेश रंजन (आइएनसी) व पोड़ेयाहाट से प्रदीप यादव (झाविमों) वर्तमान सत्र के विधायक हैं। इसी तरह पाकुड़ जिला में पाकुड़, लिट्टीपाड़ा व महेशपुर विधानसभा क्षेत्र आता है।
पाकुड़ विस क्षेत्र से अकिल अख्तर (झामुमों) महेशपुर विस क्षेत्र से मिस्त्री सोरेन (झाविमों) व लिट्टीपाड़ा विस क्षेत्र से साईमन मराण्डी (झामुमों) विधायक रहे हैं। साहेबगंज की जहाँ तक बात है तो इस जिला में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं-राजमहल, बोरियो व बरहेट। राजमहल विधानसभा क्षेत्र से अरुण मंडल (भाजपा) बोरियो विधानसभा क्षेत्र से लोबिन हेम्ब्रम व बरहेट विधानसभा क्षेत्र से हेमलाल मुर्मू (दोनों झामुमों) विधायक हैं। लम्बे अर्से से परिवारवाद की राजनीति में विश्वास करने वाली पार्टी झामुमों के युवराज हेमन्त सोरेन की नीतियों से खफा पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा विस क्षेत्र विधायक साईमन मराण्डी व साहेबगंज के बरहेट विस क्षेत्र विधायक हेमलाल मुर्मू के भाजपा में शामिल होने से झामुमों की राजनीति में जहाँ एक ओर स्थिरता आ चुकी है, वहीं पार्टी से विद्रोह कर दूसरे दल में शामिल इन नेताओं के खिलाफ झामुमों के तेवर काफी तल्ख भी दिख रहे। आसन्न विधानसभा चुनाव में झामुमों हरसंभव अपनी पुरानी स्थिति को बहाल रखने का प्रयास करेगी।े पुत्रमोह में पार्टी से अलग हुए साईमन मराण्डी के लिये लिट्टीपाड़ा विस क्षेत्र काफी अहम होगा। अपनी पुरानी साख बरकरार रखने के लिये श्री मराण्डी को काफी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। श्रीमराण्डी की पत्नी सुशिला हाँसदा का हश्र क्या होगा श्री मराण्डी से बेहतर कोई नहीं जान सकता।
प्राप्त आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 के विस चुनाव में झामुमों संताल परगना की सबसे बड़ी पार्टी रही है। जहाँ तक वर्ष 2005 के विस चुनाव की बात है, आईएनसी के थाॅमस हाँसदा ने राजमहल विस क्षेत्र से अरुण मंडल (स्वतंत्र) को 11 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से हराया था। स्व0 हाँसदा को 36472 मत प्राप्त हुए थे जबकि अरुण मंडल को 25296 मत ही प्राप्त हुए थे। बोरियो विस क्षेत्र में भाजपा के ताला मराण्डी ने झामुमों के लोबिन हेम्ब्रम को लगभग 6 हजार मतों के अंतर से हरा दिया था। ताला मराण्डी को 44546 व लोबिन हेम्ब्रम को 38227 मत प्राप्त हुए थे। वर्ष 2009 के विस चुनाव में स्थिति बिल्कुल उलट गई थी। इस वर्ष के चुनाव में लोबिन हेम्ब्रम ने ताला मराण्डी को एक बड़े अंतर से पछाड़ दिया था। झामुमों के लोबिन हेम्ब्रम को 37856 मत प्राप्त हुए थे जबकि भाजपा के ताला मराण्डी को मात्र 28546 मतों से ही संतोष करना पड़ा था। बरहेट से साईमन माल्टो को वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट प्राप्त होता है कि नहीं सबकी निगाहें इस ओर ही रहेगीं। वर्ष 2009 के चुनाव में हेमलाल मुर्मू ने स्वतंत्र प्रत्याशी विजय हाँसदा (वर्तमान में राजमहल लोस क्षेत्र के सांसद) को बरहेट विस क्षेत्र में काफी बड़े अंतर से हराया था। 2009 के बरहेट विस चुनाव में हेमलाल ने 40621 मत प्राप्त किये थे जबकि विजय हाँसदा को 20303 मतों से ही संतोष करना पड़ा था। इस विस चुनाव में अहम बात यह थी कि एक राजनीति का माहिर खिलाड़ी था तो दूसरा बिल्कुल नवसिखुआ। इसी विस क्षेत्र के वर्ष 2005 के आँकड़ों पर गौर फरमाए तो यह प्रतीत होता है झामुमों के थाॅमस सोरेन को 42332 व साईमन माल्टो को 28593 मत प्राप्त हुए थे। लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र वर्ष 2005 से अबतक झामुमों के साइमन मराण्डी के हाथ रहा है। वर्ष 2005 में साईमन मराण्डी की पत्नी सुशिला हाँसदा ने बीजेपी के सोम मराण्डी को लगभग साढ़े सात हजार मतों के अन्तर से शिकस्त दी थी जबकि वर्ष 2009 के विस चुनाव में साईमन मराण्डी ने काॅग्रेस प्रत्याशी अनिल मुर्मू को मात्र साढ़े पाँव हजार के अन्तर से ही हराया था।
इस विस चुनाव में साईमन मराण्डी को 29875 व अनिल मुर्मू को 24478 मत प्राप्त हुए थे। डाँ0 अनिल मुर्मू इन दिनों झामुमों के कुनबे में एक पदधारक की भूमिका अदा कर रहे हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में झाविमों लिट्टीपाड़ा से डाँ0 अनिल मुर्मू को अपना प्रत्याशी बना सकती है जिसकी चहुँओर चर्चा है। पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में बर्चस्व मुसलमानों की रही है। वर्ष 2009 के विस चुनाव में झामुमों नेता अकिल अख्तर ने काॅग्रेसी प्रत्याशी आलमगिर आलम को लगभग 6 हजार मतों के अंतर से हराया था। अकिल अख्तर को 62246 तथा आलमगिर आलम को 56570 मत प्राप्त हुए थे। आलमगिर आलम ने वर्ष 2005 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बेनी प्र0 गुप्ता को 24 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से हराया था। इस विधानसभा चुनाव में श्रीआलम को 71336 मत तथा बेनी प्र0 गुप्ता को 46000 मत प्राप्त हुए थे। मिस्त्री सोरेन महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से झाविमों के वर्तमान विधायक हैं। भाजपा के देवीधन बेसरा को 22 हजार मतों से भी अधिक के विशाल अंतर को इन्होनें हराया है। मिस्त्री सोरेन को वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में 50746 मत प्राप्त हुए थे जबकि देवीधन बेसरा को मात्र 28772 मत ही प्राप्त हो सका था। वर्ष 2005 के विस चुनाव में भी भाजपा को महेशपुर से शिकस्त मिली थी। झामुमों के सुफल मराण्डी ने 13 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से देवीधन बेसरा को हराया था। इस चुनाव में विजयी प्रत्याशी सुफल मराण्डी को 45520 मत प्राप्त हुए थे जबकि श्री बेसरा को मात्र 32704 मत ही प्राप्त हो सका। (क्रमशः)
अमरेन्द्र सुमन
दुमका