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आर्यन पावर और जे.पी. पावर परियोजना के प्रभावितों ने की मालिकाना हक की घोषणा।

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  • भू-अर्जन के नए कानून (2013) के तहत निरस्त हो गई है वर्षो पहले की भू-अधिग्रहण प्रक्रिया।

dharna धरना
टोंकों-रोकों-ठोकों क्रांतिकारी मोर्चा, समाजवादी विचारधारा, साम्यवादी विचारधार तथा जन आंदोलनों के साथियों द्वारा सीधी कलेक्टट में आर्यन पावर परियोजना तथा जे.पी. पावर परियोजना के प्रभावित सैकडों किसानों के साथ 1 जनवरी 2014 से लागू भू-अर्जन पुनर्वास और पुर्नस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 24 (2) के तहत वर्षो पहले भू-अधिग्रहित की गई उनकी संपत्ति पर फिर से मालिकाना हक प्रप्त हो जाने की तथा भू-अर्जन प्रक्रिया निरस्त हो जाने की घोषण की। 

टोंकों-रोकों-ठोकों क्रांतिकारी मोर्चा के श्री उमेश तिवारी, समाजवादी जनपरिषद के श्री अजय खरे रीवा तथा किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री संतोष अग्रवाल सहडोल की उपस्थिति में आर्यन पावर परियोजना के प्रभावित भुमका एवं मूसामूडी गांव के जिन आदिवासी और अन्य किसानों की बहुफसलीय जमीन वर्ष 2009 में बहुत कम मूआवजा बना कर जबरन भू- अधिग्रहित की गई थी, उन्होंने अपने व्यक्तिगत आवेदन पत्र बडी तादात में एकत्रित हो कर धरना स्थल पर आये कलेक्टर के प्रतिनिधि डिप्टी कलेक्टर को सुपुर्द कर पावती प्राप्त की। 

में0 आर्यन पावर परियोजना के प्रभावितों ने अपने व्यक्तिगत आवेदनों के द्वारा यह मांग की गई है कि नये कानून के प्रभावसील होने से 01.01.2014 से उनका मालिकाना हक प्राप्त हो गया है अतः म.प्र. सरकार एवं जिला प्रशासन का यह कर्तव्य बनता है  कि वह किसानों का नाम खसरें में अंकित कर इनके नाम से ऋणपुस्तिका जारी करें। किसानों ने ग्राम सभा के फर्जीवाड़े के दोसियांेें के विरूद्व आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की। जे.पी. पावर परियोजना निगरी द्वारा गोपद नदी मे बांध बनाने से टिकरी, निधपुरी, महखोर, भुमका के किसानों की भूमि डूब में आ गई है। जिस कारण बांध को ध्वस्त किया जाए।

चेतावानी धरने को संवोधित करते हुए टोंकों-रोकों-ठोकों क्रांतिकारी मोर्चा  के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा की आज इस बात का ऐलान किया जाता है कि देश भर में किये गये जन संघर्षो के चलते मजबूर होकर देश की संसद ने अग्रेजों के समय के भू-अर्जन कानून को रद्द कर नया भू-अर्जन कानून 2013 मंजूर किया है उसे उपयोग में लाकर सभी विस्थापित/प्रभावित अपना अधिकार ले लें। मोदी सरकार को यह चेतावनी है कि किसानों के पक्ष में लाए गए इस कानून में किसी प्रकार का संसोधन करने की कोसिस न करे। श्री तिवारी ने कहा कि किसान विरोधी ताकतो द्वारा आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया जा रहा जिसमें सीधी जिले का प्रशासन भी सहभागी, है तभी तो कलेक्टट परिषर में किसानों के प्रवेश  पर प्रतिवंध लगाता है। फिर भी किसानों का संघर्ष सतत जारी था, है और रहेगा, जमीन, हडपने वाली ताकतों को मुहतोड जबाब देने के लिए  किसानों ने कमर कस ली है। समाजवादी जन परिषद के नेता श्री अजय खरे ने कहा कि विस्थापन मौत जैसे होता है इस लिए मौत का मुआवजा कैसे लिया जा सकता है। जमीन अधिग्रहण से उस गांव के मानव पीढी की मौत तो होती ही है पीढियों से चली आ रही मानव संस्कृति की भी मौत होती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का मुख्य मंत्री छलिया, कपटी, लबरा है। सभा को संबोधित करते हुए किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री संतोष अग्रवाल सहडोल ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट को रोकने में शासन, प्रशासन, पुलिस का दमन सहना पडता है। जेल जाना पडता है। इतने प्रतिकूल स्थिति में लडाई हम तभी जीत सकते है जब हम विके न, डरे न  एकजुट होकर हम लडेंगे तो अवश्य जीतेगें। आज का यह चेतावनी धरना 25 तारीख से भुमका से 40 कि. मी. की पैदल यात्रा करके दिया जा रहा है। चेतावानी धरना में किसानों के समर्थन में अपने विचार राखने वाली यह भी थे- श्री रवी शेषर सिंगरौली, श्री निवास साकेत जिलाध्यक्ष बि.एस. पी. सीधी, पंकज सिंह आम आदमी  पार्टी, का. रामलल्लू गुप्ता सिंगरौली, का. लालमणि त्रिपाठी भा.क.पा. रीवा, रामेश्वर गुप्ता मनगवाॅ, आर.एम.पी. मिश्रा सिंगरौली, का. बद्री मिश्रा भा.क.पा. माले , का. सुन्दर सिंह मा.क.पा. सीधी प्रभात वर्मा सुखई प्रसाद अटल, लोकनाथ सोनी, शिवकुमार सिंह, पंकज द्विवेदी, सालिक द्विवेदी आदि । 

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