भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में छोटे राज्यों की कल्पना साकार इसलिए हो पाई थी की इससे लोगो का जीवनस्तर में सुधार होगा.विकास के पथ पर हर नागरिक अपना योगदान देते हुए भय, भूख, भ्रष्टाचार, वेरोजगारी, आर्थिक असमानता, विषमता से मुक्त हो समाज के हर वर्ग की बराबर भागीदारी से सामान अवसर सदियों की विषमता को पाटने में सहायक होगा. किन्तु झारखंड बिहार से अलग होने के बाद भी आज उसी मुकाम पर जहां वर्ष २००० से पूर्व था .अपने १४ साल के अल्पायु में यह राज्य जिस कुपोषण से जूझ रहा है उससे निजात पाने का एक मौका फिर मिला.
इन १४ साल में यह छोटे से राज्य एक तरफ नक्सल उग्रवाद से त्रस्त है तो दुसरे तरफ नेता नौकरशाह की मिलीभगत राज्य के खजाने लुटने में मस्त रहा है तभी तो सारे प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद यह राज्य आज ३४८६८ करोड़ रूपये के क़र्ज़ में डूबा है, यहाँ भ्रष्टाचार का आलम यह है की अल्प समय में ही इस सुवे के २८ नेताओं के घर छापे पड़े १० नेता और ३३२ सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार में जेल की शोभा बढ़ा रहा है. अपराध को देखा जाय तो इन १४ सालों में राज्य १८७५२ हत्या, ८१४९ लूटकांड ५०५४ डकैती और नक्सली हमले में १५०० लोग मारे गए,महिला अपराधो में भी यह राज्य अब्बल रहा तभी तो इन कालखंडो में ९५८८ बलात्कार के मामले दर्ज किये गये.उपरोक्त आंकड़ो पर ध्यान दे तो स्पष्ट होता है की यह छोटे से राज्य ने अपराध, लुट, भ्रष्टाचार,हत्या आदि असामाजिक गतिविधिओ में काफी प्रगति की है.
व्यवश्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को झारखंड के सामाजिक विकास की जिम्मेदारी दी गयी उसने इस राज्य के आम नागरिको के साथ धोका कर यहाँ असमाजिक तत्वों का विकास किया है.प्रजातंत्र ने एकबार फिर इस राज्य के लोगों को मौका दिया है हमें विकास का रास्ता चुनना है विनाश का, राज्य में अबतक जिस प्रकार की खंडित जनादेश रहा उसका भरपूर फायदा यहाँ के असामाजिक तत्वों ने उठाया, ये असामाजिक तत्व इसबार फिर इस फिराक में रहेंगे की किसी प्रकार इस बार भी खंडित जनादेश मिले ताकि यह राज्य उनके लिए स्वर्ग बना रहे .
झारखंड के गावों में रोजगार के तमाम साधन उपलब्ध हो सकते है यदि उनके बेहतर प्रबंधन के इमानदार प्रयास होते तो पलायन को रोका जा सकता था.किन्तु दलालों के आगे नतमस्तक यहाँ की सत्ता कभी यहाँ के भोले भाले नागरिकों की सुध लेने का प्रयास नही किया है.फलत: यहाँ के लगभग २.२१ करोड़ लोग स्वच्छ पानी के लिए तरसते है.यहाँ की ७५ फीसदी खेत सिचाई सुविधा से महरूम है जिसके कारण यहाँ के निवासी पलायन को और मेट्रो सिटी में बिकने को मजबूर है . बुनियादी सुबिधायों के अभाव में यहाँ यहाँ की महिलाए मानव तस्करों के चंगुल में आसानी से फसकर अपना जीवन नरक बना रही है, इस राज्य के ८१ विधान सभा में २४ विधान सभा क्षेत्र पर नक्सली और उग्रवादिओं का वर्चस्व है जो यहाँ के नेताओं की मिलीभगत और नौकरशाहों के वरदहस्त से नक्सल और उग्रवादी गुट इन गावों में विकास की बुनियादी चीजे तैयार नहीं होने देता है राज्य का खंडित जनादेश इन राज्यद्रोहियो के लिए बरदान होता है ऐसे में इसबार भी इन अपराधी प्रवृतियो का अथक प्रयास होगा की राज्य में खंडित जनादेश ही हो.
यह बिडम्बना ही है की खनिजो का खज़ाना रखने बाला यह राज्य अपने नागरिको को आज भी भूख से मरते देख रहा है साल २००१ से अबतल लगभग ४६००० बच्चे कुपोषण के कारण यहाँ मौत के मुंह में समा गये.जिस तरह की राजनीति इस छोटे से राज्य में चली वह इस राज्य के लिए बदनुमा दाग है हर राजनितिक दल जिसे भी सत्ता का स्वाद मिला उसने सिर्फ अपनी कुर्सी के लिए काम किया . कोयला तस्करी से गौ तस्करी में डुबा झारखंड आज जिस मुकाम पर है उसके लिए हम नागरिक भी जिम्मेवार हैं किन्तु जोड़तोड़ की राजनीति में यहाँ के मतदाता छले जाते है. अबतक छला जा रहा यह राज्य इसबार पांच चरणों में होने बाले चुनाव में यहाँ के मतदाता झारखंड की दशा बदलने के लिए घर से बाहर निकालेंगे और इसबार पूर्ण जनादेश देगे ताकि झारखंड के दिन बहुरेंगे.
संजय कुमार आजाद
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