झूठा वायदा करने वाले नेताओ को जनता सिखायेगी ...........प्रसन्न चैरडिया
बालाघाट! समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव प्रसन्न चैरडिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि पूर्व में भाजपा के नगरपालिका अध्यक्ष रमेंश रंगलानी ने शहर की जनता को नगर को स्वच्छ बनाने,सुंदर बनाने,दो टाईम पीने का पानी शुद्ध देने एंव नई तकनिको से नालियो की गंदगी हटाने के लिए निर्माण करने की बाते बढ़चढ़ कर की गई थी। शहर की भोलीभाली आम जनता ने श्री रंगलानी की मीठी बातो पर आकर नगर पालिका अध्यक्ष का ताज पहना दिया था यंहा तक रंमेंश रगलानी ने कहा था कि मै अपना परिवार छोड कर 24घण्टे जनता की सेवा में लगा रहॅुगा। लेकिन वह उल्टा इनकी सत्ता होने से करोडो का फंड नगरपालिका के काम काज शहर विकास के लिए आया जिसे सी.एम.ओ के साथ मिलकर बंदरबाट कर लिया गया। इतना ही नही कंाग्रेस एंव भाजपा के पाषर्दो ने नाली निर्माण शहर के सड़क निर्माण का ठेका लेकर अपना पेट भरने की सोचे। जन प्रतिनिधी या जनता की संेवा करने वालो का पहला कार्य होता है जनता के दुखः दर्द दूर करना। इतना हीी नही रंगलानी ने पाकिस्तान से आये हुए सिंधीयो के दुकानो को पक्का निर्माण करवाकर पट्टा दे दिया तथा उनके लिए राशनकार्ड की भी व्यवस्था कर दी गई। प्रत्येक पाषर्द के यंहा दो दो कर्मचारी सेंवा में रखे गए थे। पुरे म.प्र. में बालाघाट ही एक एंेसी नगर पालिका है जंहा कदम कदम पर हर वार्डों में नालिया बदबू मार रही है। सुअर आंतक मचा रहे है। जिसका दुरगामी प्रभाव गरीब एंव मध्यम वर्गीय जनता के स्वास्थ पर होना है। ईमानदार छवी के रमेंश रंगलानी करोडो के धन को देखकर फिसल गए जिसका जीता-जागता प्रमाण उनके द्वारा करोडो की लागत से आलिशान बंगले का निर्माण किया जा रहा है। आने वाले चुनाव में इन्ही नेताओ द्वारा कंाग्रेस से साठगाठ करके चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार की जा रही है। लेकिन आम जनता बालाघाट के नेताओ को अच्छी तरह से समझ चुकी है औैर मुझे पूर्ण विश्वास है कि समाजवादी पार्टी की सरल कर्मठ,प्रत्याशी श्रीमति अनुभा मुंजारे के पक्ष में वोट डालकर नेताओ को सबक सिखाने का कार्य करेगी। जिससे नगर पालिका बालाघाट शहर को पुनः स्वच्छ,सुंदर,एंव शुद्ध पानी मिल सकेगा और बालाघाट नगर में भयमुक्त प्रशासन होगा।
मृत्यु का नाम सुनकर मानव घबराता हैैैै-जैन मुनि शीतल महाराज
बालाघाट! इतवारी गंज के नुतन स्थानक भवन में विराजित तपस्वी साधक जैन मुनि शीतल महाराज ने श्रद्धालुओ को कहा कि आज का मनुष्य नाश्वान पदार्थे के पीछे भाग दौड कर रहा है। धन संग्रह करने में होड़ लग गई है लेकिन अज्ञानता के कारण परिवार प्रतिष्ठा और पद में लिप्त होने के कारण उसे यह समझ नही आ रहा है कि वह जिस धन के लिए दौड लगा रहा है वह मिलेगा या नही! और मिल भी गया तो टिकने की गांरटी नही है। गुरूदेव ने कहा कि डाॅ़. मरीज को आपरेशन थियेटर में भिजवाता है और आपरेशन करने के लिए सामान न हो उसी प्रकार कोई चित्रकार दीवार पर संुदर चित्र बनाना चाहता हो और रंग ब्रश न हो तो कुछ भी नही हो सकता है। यही दशा अज्ञान की है संसार में जन्म मरण और बुढापा दुख का कारण है। सबसे ज्यादा मृत्यु का दुख इनसे बढकर है। मृत्यु का नाम सुनते ही मानव के रोम रोम खडंे हो जाते है। जीना हर कोई चाहता है मृत्यु किसी को प्रिय नही है। यदि आपका रोग असंहनीय हो गया है तो सेवा करने वाले,आपके परिवार वाले ही कुछ ही दिनो बाद कहंेगे कि प्रभु इन्हे अपने पास बुला लो। गुरूदेव ने कहा कि सामायिक स्वाध्याय ध्यान जप तप भक्ति करते हुए आपको चार माह से उपर हो गए है लेकिन कुछ आत्माए मोह माया धन परिवार के चक्कर में कुंभकरण के समान गहरी नींद सोये है। लेकिन याद रखो गुरू के वचनो का पालन करने वाला हलुकर्मी जीव कभी भी नरक गति में नही जाता है। उदाहरण देते हुए गुरूदेव ने कहा कि एक राज्य में नट और नटनी,राजा-रानी ,राजकुमार और राजकुमारी,तथा सभा में उपस्थित सभाजनो को नृत्य दिखाना शुरू किए। सभी नृत्य देखने में मशगुल थें। नुत्य को काफी देर हो गई थी। नृत्य ने सोचा कि अब राजा मुझे ईनाम देगा क्योकि राजा से ही ईनाम देने का नियम था। नृत्य को यह नही मालूम था कि राजा बहुत कंजूस है उसे थकान सी आने लगी तब अंत में नटनी के तरंफ देखते हुए नट कहता है ”बहुत गई थोडी रह गई” यह वाक्य सुनकर राजकुमार को आत्म ज्ञान होता है वह नट को सोने की अनुठी और छुरी देता है। राजकुमारी अपने गले का किमती नवलखा हार दे देती है। राजा को क्रोध आता है। तब राजकुमार कहता है कि मै आपको छुरी से मारने वाला था क्योकि 70 वर्ष के होने के बाद भी राज्य का मोह नही छुट रहा था। नट के बहुत गई थोडी रह गई की बात सुनकर मेंरी आत्मा जाग्रत हुई और आप मरने से बच गए। उसी प्रकार राजकुमारी कहती है कि मै आज रात को किसी अन्य पुरूष के साथ भागने वाली थी क्योकि मेरी उम्र 35 वर्ष होने के बाद भी आपका ध्यान राजपाट मंे लगा रहा। लेकिन नट मके वाक्य ने मेरी आत्मा को जगाया क्योकि मै चली जाती तो आपकी ईज्जत को कंलक लगता इसलिए उसे मैने नवलखा हार दे दिया। यह बात सुनकर राजा की भी आत्मा जाग्रत हो जाती है और राजा को अपनी गलती का अहसास हो जाता है। उक्त आशय की जानकारी जैन बंधु प्रसन्न चैरडिया ने दी।