राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय
- उपखनिजों की दरें बढ़ने से अपना आशियाना बनाने वालों के सपने हुए चकनाचूर
देहरादून, 11 अक्टूबर। उत्तराखंड राज्य मंत्रिमंडल ने प्रदेश में एक अदद आशियाना बनाने वालों के सपनों को चकनाचूर कर दिया है। अपार खनिज सम्पदा वाले इस राज्य में राज्य सरकार ने उपखनिजों की वैट दरों में सीधे आठ प्रतिशत की बढोतरी कर उत्तराखंड सरकार ने राजस्व में भारी बढ़ोतरी की है। पिछली जनवरी 2013 में ही उपखनिजों की रायल्टी दरों को संशोधित कर करीब-करीब दोगुना किया गया था। अब वैट 13.5 प्रतिशत हो जाने पर बिल्डिंग मैटीरियल का महंगा हो जाना भी तय है। सरकार के इस फैसले से प्राइवेट बिल्डरों सहित घर की चाहत रखने वालों को झटका दिया है। लेकिन सरकार के एक निर्णय की राज्यवासियों ने सराहना की है इसके तहत राज्य में हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने वालों को अपनी योजनाओं में अब 15 फीसदी घर गरीब तबके के लोगों के लिए आरक्षित रखने होने अन्यथा उन्हें योजना के कुल कोष का 15 फीसदी ही सरकार को देना होगा। राज्य विधानसभा आहूत होने के चलते मंत्रिमंडल के फैसलों को सार्वजनिक तो नहीं किया लेकिन फैसलों की जानकारी सूत्रों ने लीक जरूर कर दी। सैकड़ों खनिज पट्टे आवंटित करने के बाद भी सरकार की यह बात किसी के समझ में नहीं आ रही है कि उपखनिज से सरकार को खास आय नहीं हो रही है। जबकि राज्य सरकार को इस सेक्टर से करीब आठ सौ करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय का अनुमान है। प्रदेश में इस समय करीब 22 स्टोन क्रेशर और 150 खनन से अधिक पट्टे हैं। एक जानकारी के अनुसार इसके बावजूद भी सरकार को कुल 150 करोड़ रुपए की आय हो पाई यह अपने आप में चैकाने वाला अंकगणित है. दूसरी ओर उपखनिज (बालू, बजरी, रेता, पत्थर) की दरों अब वैट अधिनियम की किसी सूची में शामिल नहीं है। वेट में साफ तौर पर यह व्यवस्था है कि जिसके लिए कोई दर निर्धारित नहीं है वह वस्तु 13.5 प्रतिशत की दर में शामिल होगी। ऐसे में उपखनिज पर अब 13.5 प्रतिशत का वैट है और यह सीधा आठ प्रतिशत का इजाफा है। राजधानी में कार्य कर रहे बिल्डरों के अनुसार वैट की दर में इजाफा होने से एक गाड़ी बजरी पर करीब चार हजार रुपये का इजाफा हो जाएगा। इसका असर सीधे अपने घर की चाहत रखने वाले उपभोक्ता पर ही पड़ेगा। सरकार के इस निर्णय से प्राइवेट बिल्डर को इसमें नुकसान उठाना पड़ सकता है तो वहीँ दूसरी ओर खुद अपना घर बनाने वालों को भी अब बालू, बजरी, रेत, पत्थर आदि की अधिक कीमत देनी होगी। राज्य मंत्रिमंडल के एक अन्य फैसले में सरकार ने कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में कैंसर की जांच व उपचार के लिए एक-एक केंद्र स्थापित करने पर अपनी मुहर लगायी है।वहीँ आबकारी, तम्बाकू व खनन उत्पादों (राज्य से बाहर जाने वाले) पर 1 से 2 प्रतिशत सेस लगाने का निर्णय किया है। राज्य सरकार इस राशि को व्याधि निधि में जमा करेगी ताकि गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों को सहायता दी जा सके। वहीँ सरोगेसी के माध्यम से मां बनने वाली महिलाओं को भी मातृत्व अवकाश मिलेगा। एक अन्य फैसले के तहत राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य आंदोलनकारियों की कुछ मांगें भी पूरी की हैं इसके तहत 60 वर्ष से अधिक आयु के राज्य आंदोलनकारियों को पेंशन देने का फैसला लिया है। जबकि राज्य आन्दोलन में शहीद राज्य आंदोलनकारियों के फोटो विधानसभा में इसी सत्र में लगाए जाने का निर्णय लिया है और शहीद राज्य आंदोलनकारियों के गांवों को ग्राम्य विकास विभाग को नोडल एजेंसी बनाते हुए आदर्श गांव बनाया जायेगा। इतना ही नही अब राज्य के शिक्षण संस्थाओं के नाम शहीदों के नाम पर रखे जाने के निर्णय के साथ ही राज्य आंदोलनकारी कल्याण कोष के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है। मंत्रिमंडल ने कई विसंगतियों के चलते राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में बनी समितियों को भंग करने के साथ ही नई समिति बनाये जाने का भी निर्णय लिया है जिसको छूट गए आंदोलकारियों व अन्य मामलों की जांच का अधिकार होगा। वहीँ मंत्रिमंडल ने कामचोर सचिवालय कर्मियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बायोमैट्रिक सिस्टम से उनकी हाजिरी लगाने का फैसला किया है वहीँ सचिवालय में पांच दिन कार्यदिवस की जगह सप्ताह में 6 दिन कामकाज करने का फैसला लिया है जबकि दूसरे शनिवार को अवकाश रखा गया है। इतना ही नही राज्य में काम की रफ्तार बढ़ाने के लिए मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि अब शनिवार को सचिवालय में कोई बैठक नहीं होगी और न ही इस दिन आम जन को सचिवालय में प्रवेश की अनुमति ही होगी. इस दिन केवल फाइलों से संबधी कार्य ही किया जायेगा। वहीँ अन्य फैसलों में बिजली की लाइन शिफ्टिंग के लिए खर्च का 40 प्रतिशत पावर कॉरपोरेशन, 30 प्रतिशत राज्य सरकार व 30 प्रतिशत विधायक निधि से वहन किया जा सकेगा, राजस्व व वन विभाग की ओर से लगने वाले जुर्मानों में एकरूपता जाये जाने, सचिवालय में नए अनुभाग सृजित करने का मामला सचिव समिति को सौंप दिया गया है। विधाई एवं संसदीय कार्य विभाग में 8 पदों की संस्तुति, खाद्य विभाग में राज्य कर्मचारी कल्याण निगम की स्थापना को मंजूरी, गंधर्व जाति के कौशल संवर्धन विकास के लिए संस्तुति की गई।