ब्रिटेन ने भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का समर्थन तो किया है लेकिन कहा है कि उसे वीटो पावर नहीं मिलनी चाहिए। उसने इस मुद्दे पर व्यापक बहस की भी मांग की है। फिलहाल सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं और सभी को वीटो पावर मिली हुई है। इनमें ब्रिटेन भी एक है।
"उचित प्रतिनिधित्व और सुरक्षा परिषद की सदस्यता का विस्तार"विषय पर चर्चा शुरू करते हुए महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा ने कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार उनकी प्राथमिकता में है। भारत ने सुरक्षा परिषद के मौजूदा स्वरूप को "गंभीर रूप से अक्षम अंग"बताते हुए अगले साल तक सुधार की जरूरत पर बल दिया है।
भारत ने कहा कि इसके सुधार और विस्तार के बारे में "वास्तविक वार्ता"शुरू करने के लिए एक मसौदा पेश किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी ने सुरक्षा परिषद के मौजूदा स्वरूप की खामियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अपनी गैरप्रतिनिधित्व प्रकृति के कारण अपने सामर्थ्य के क्षेत्रों में भी यह शक्तिशाली ईकाई विश्वसनीयता हासिल नहीं कर सकी है।
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के राजदूत मार्क लायल ग्रांट ने कहा कि उनकी सरकार जर्मनी, ब्राजील, भारत और जापान की स्थायी सदस्यता और स्थायी अफ्रीकी प्रतिनिधित्व का समर्थन करती है। साथ ही हम परिषद के अस्थायी सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वीटो अधिकार को बढ़ाने या न बढ़ाने पर विवाद के कारण सुधार प्रक्रिया बाधित हुई है। फ्रांस और नेपाल के प्रतिनिधियों ने भी ब्रिटेन के रुख से समर्थन जताया।