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पत्रकार उत्पीड़न : वीडियों में देखिए भदोही पुलिस की गुंडई

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  • जिलाधिकरी अमृत त्रिपाठी व पुलिस अधीक्षक अशोक शुक्ला के निर्देश पर निहत्था व निर्दोष युवक पर किस तरह बरसती रही पुलिस की लाठी 
  • सिर्फ अपनी नाकामी छिपाने व दहशत फैलाने के लिए बरसाई गयी लाठियां 
  • कलम बंद रहे इसलिए पत्रकारों को भी चिंहित करने की डीएम ने दी थी धमकी 
  • जब प्रशासनिक लापरवाही की छपी खबर तो किरकिरी से बचने के लिए सुरेश गांधी पर की गयी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई 
  • हाईकोर्ट के स्थगन आदेश पर भी पुलिस ने माफियाओं से लूटवा दिया लाखों की गृहस्थी, सरेराह पकड कर मारा गया पत्रकार को 


journalist tourtered
मामला संत रविदास नगर भदोही का है। गत् 25 नवम्बर 2012 को यौम-ए-आशुरा के दिन दरोपुर मुहल्ले में ताजिया रास्ता विवाद को लेकर दो वर्गो में जमकर ईट-पत्थर व तलवारबाजी के बीच फायरिंग हुई। उस वक्त अपनी लापरवाही व चूक से खिसियाए जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी व पुलिस अधीक्षक अशोक शुक्ला के निर्देश पर पुलिस ने एक निहत्थे व निर्दोष युवक पर जमकर लाठिया बरसाई। वह कराहता रहा लेकिन उसकी चीख पर माफियाओं व गुंडो के आगे घुटने टेक चुकी बेरहम पुलिस का दिल नहीं पसीजा। वह जब बेहोश हो जाता तो उठाकर पीटते रहे। दर्जनों लाठिया टूट चुकी थी, संयोग ही था कि उपद्रवियों ने टेन पर पथराव कर दी और पुलिस को अधमरे युवक को छोडकर जाना पडा। जहां तक लापरवाही का मामला है तो पत्रकार सुरेश गांधी ने सप्ताहभर पहले ही समाचार पत्र जनसंदेश टाइम्स में प्रकाशित कर प्रशासन को आगाह किया था कि दरोपुर में ताजिया रास्ते के लेकर तनाव है। इस खबर के छपने के पर डीएम अमृत त्रिपाठी सजग होने के बजाए पत्रकार को धमकी दी कि न्यूज गलत है। एसपी अशोक शुक्ला ने पत्रकार सुरेश गांधी के मोबाइल पर 22 नवम्बर को शाम 5 बजे कहा कि पहले से चीढे डीएम आप से नाराज है, आप खुद बात कर लीजिए। पत्रकार ने कहा जो कहना हो एसपी महोदय आप ही बता दीजिए। एसपी ने बयान में कहा दरोपुर में दोनो वर्गो को कोतवाली में बुलाकर लिखित ले लिया गया है, अब वहां तनाव की कोई बात नहीं है। पत्रकार ने एसपी के बयान को भी प्रकाशित करवा दिया कि दरोपुर में तनाव खत्म। 25 नवम्बर को 11 बजे दोनो वर्गो में उस वक्त तोडफोड फायरिंग की घटना शुरु हो गयी जब डीएम ने यह कह दिया कि सड़क तुम्हारे बाप की है, मै जिधर से चाहूंगा ताजिया उसी रास्ते जायेगा। हजारों की जमा भीड के बीच डीएम के इतना कहने मात्र से उपद्रव भड़क गया। यही लापरवाही दुसरे दिन अखबार की सुर्खिया बन गयी कि सुलझा था तो उलझा कैसे, चेतावनी के बाद भी सजग नहीं रहा प्रशासन, दो सपाईयों के बीच जंग का परिणाम तो नहीं आदि खबरे छपी। उस वक्त अपनी किरकिरी छिपाने के लिए कुछ कलम के दलालों को मैनेज व बाहुबलि विधायक के ईशारे पर शासन सहित चचा, बाप व भतीज को तो मैनेज कर लिया गया लेकिन पहले से ही खार खाए जिलाधिकारी श्री त्रिपाठी ने 3 माह बाद साजिश के तहत गुंडा एक्ट, जिलाबदर कर 16 साल से तिनका-तिनका जुटाई गयी गृहस्थी लूटवा ली। हालांकि डीएम पत्रकार श्री गांधी से 27 जून 2011 को नगर निकाय मतदान के दिन से चिढ़ता रहा सिर्फ इसलिए कि उन्होंने कतार में खडे युवक को थप्पड़ मारते वक्त डीएम की फोटो खींच ली थी। अपनी धौंस के बल पर उस दिन काफी तकझक के बाद डीएम ने उस फोटो को तो डिलीट कर दी, लेकिन खबर पत्रकार गांधी ने छापा कि लोकतंत्र के पर्व पर दिनभर हांफता रहा तंत्र, एमए समद बूथ पर अपनी नाकामियों पर खुद बौखलाएं डीएम अमृत त्रिपाठी, दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर रहा तनाव-पुलिस ने कई जगह फटकारी लाठियां आदि। मुहर्रम के दिन भडकी हिंसा में अपनी नाकामी से खिसियाएं डीएम व एसपी की मौजूदगी में निर्दोष युवक पर लाठी बरसाने वाली फुटेज में चिन्हित है। इतना ही नहीं डीएम के कारगुजारियों व बात-बात में अपने ही मातहतों को मां-बहन की गाली देने से नाराज 38 विभागीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर डीएम अमृत त्रिपाठी के रहते काम न करने की तैयारी कर ली थी लेकिन बात लीक होने व उनके द्वारा सीडीओं की मौजूदगी में माफी मांग लेने पर उस वक्त मामला सलट गया। डीएम के आतंक से कई विभागीय अधिाकारियों ने अपना टांसफर करवा लिया था। आरोप है कि श्री त्रिपाठी के कार्यकाल में माफियाओं ने बीएसए अधिकारी को रंगदारी न देने पर कार्यालय में घुसकर मरणासन्न कर दिया। इस मामले में नामजद एफआईआर हुई लेकिन कुछ नही हुआ। नायब तहसीलदार को मनबढ कोतवाल संजयनाथ तिवारी ने कार्यालय में घूसकर बेइज्जत किया लेकिन डीएम ने नायब तहसीलदार से ही माफी मंगवाई। बताते है कि वह सुबह से अंगूरी जश्न में डूब जाते थे और मूड बनने पर कहते थे मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड सकता क्योंकि मुख्यमंत्री अखिलेश की पत्नी मेरी पत्नी की सहेली है आदि। फिरहाल पीडि़त पत्रकार श्री गांधी व उनकी पत्नी रश्मि गांधी की याचिका पर जिला न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 156 3 के तहत मुकदमा दर्ज तो कर लिया है, लेकिन घटना में कोतवाल के आरोपित होने से विवेचना में लीपापोती की जा रही। पुलिस अपनी बचाव में लूटेरे माफियाओं की मदद कर रही है।

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