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गांधी आज भी जिंदा है और गोडसे भी मरा नहीं - सलीम

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mahatma gandhi
समाजवादी पार्टी के सांसद चैधरी मुनव्वर सलीम ने बापू के शहीद दिवस पर श्रद्धांजली देते हुए कहा कि अहिंसात्मक सोच ,सर्वधर्म संभाव , समाज के अंतिम व्यक्ति का दर्द , अंग्रेजी भाषा तथा भूषा से घ्रणा और सत्य पर आधरित राजनीति के माध्यम से राष्ट्रपिता मोहन दास करम चंद गांधी ने भारत माँ को आजाद कराया ! वोह अंग्रेज शासक जिसके राज्य का सूरज अस्त नहीं होता था एक बूढ़े  और कमजोर इंसान के इस एलान से प्रभावित हो गया और मुल्क छोड़ कर भाग गया यानि जब गांधी जी ने कहा अंग्रेजों भारत छोडो और इस आंदोलन को भारत छोड़ो आंदोलन का नाम दिया गया तब हिन्दुस्तानी सरहदों को अपने पंजे में दबाये हुए जिस अंग्रेज को एक सदी बीत चुकी थी उसके हौसले पस्त हो गए और 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया , हिंदुस्तान के बाशिन्दों ने जब आजाद फजाओं में मादर-ए-वतन की महकती हुई मिटटी  में सांस लेना शुरू की तब मुल्क के सामने हजारों बुनियादी समस्याएं भी अपना मुँह खोले खड़ी थी ! लेकिन हिंदुस्तान के राजनैतिक सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को एक पिता की तरह अपनी साँसों में शामिल रखने वाले बापू ने सिर्फ हिन्दुस्तान की आजादी तक ही अपनी सोच को सीमित नहीं रखा था बल्कि आजदी के बाद स्वदेशी रास्ते से देश के अंतिम व्यक्ति के आंसू पोंछ कर चेहरे पर मुस्कान लाने का मजबूत विचार भी बापूं के पास था !लेकिन वोह बापू जिनकी नैतिकता , त्याग,तपस्या बलिदान और राष्ट्रवादी सोच के सामने फिरंगी तानाशाहों की आँखे झुक जाया करती थी उन्ही बापू के सीने को आजाद हिंदुस्तान के सिर्फ तीन वर्ष बाद ही एक साम्प्रदायिक सोच ने मंदिर की सीडियों पर छलनी कर दिया !

मोहनदास करमचंद गांधी ने एक राजनैतिक संत के रूप में अपनी जिन्दगी की आखरी सांस ष् हे राम ष् कहते हुए ली इस बदकिस्मत झण को इतीहास की मुझ जैसा आदमी एक ऐसी दुर्घटना मानता है जिसके लिए यह कहा जा सकता है कि जब तक दुनिया कायम रहेगी हिंदुस्तान में गांधी जी की स्वभाविक मानवतावादी अहिंसक विचारधारा जीवित रहेगी और किसी न किसी रूप में साड़ी दुनिया गांधी जी के उस  रास्ते पर चलती रहेगी जो उन्होंने इन पंक्तियों में ब्यान किया है ( ईश्वर अल्लाह एक ही नाम , सबको सन्मति दे भगवान ) लेकिन मैं यह भी मजबूती से मानता हूँ कि हिंसा घ्रणा साम्प्रदायिकता और मानवीय संवेदनाओं को रौंदने की मंशा लेकर एक विचारधारा के रूप में नाथू राम गोडसे भी हमेशा जिंदा रहेगा !

इस मौके पर जब महात्मा गांधी जी के शहादत दिवस पर मैं श्रद्धांजलि के लिए कुछ लिख रहा हूँ तब देशवासियों से यही अनुरोध करता हूँ कि वोह बापू के ख्वाबों के भारत , प्रेम सद्भावना और सामग्र विकास , दरिद्र की सेवा का लक्ष्य सामने रखकर गांधी जी के सिद्धांतों पर चलकर गांधी जी को जीवित रखते हुए भारत को एकबार फिर सोने की चिडि़या बनाये !  गांधी आज भी जिंदा है और गोडसे भी मरा नहीं - सलीम समाजवादी पार्टी के सांसद चैधरी मुनव्वर सलीम ने बापू के शहीद दिवस पर श्रद्धांजली देते हुए कहा कि अहिंसात्मक सोच ,सर्वधर्म संभाव , समाज के अंतिम व्यक्ति का दर्द , अंग्रेजी भाषा तथा भूषा से घ्रणा और सत्य पर आधरित राजनीति के माध्यम से राष्ट्रपिता मोहन दास करम चंद गांधी ने भारत माँ को आजाद कराया ! वोह अंग्रेज शासक जिसके राज्य का सूरज अस्त नहीं होता था एक बूढ़े  और कमजोर इंसान के इस एलान से प्रभावित हो गया और मुल्क छोड़ कर भाग गया यानि जब गांधी जी ने कहा अंग्रेजों भारत छोडो और इस आंदोलन को भारत छोड़ो आंदोलन का नाम दिया गया तब हिन्दुस्तानी सरहदों को अपने पंजे में दबाये हुए जिस अंग्रेज को एक सदी बीत चुकी थी उसके हौसले पस्त हो गए और 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया , हिंदुस्तान के बाशिन्दों ने जब आजाद फजाओं में मादर-ए-वतन की महकती हुई मिटटी  में सांस लेना शुरू की तब मुल्क के सामने हजारों बुनियादी समस्याएं भी अपना मुँह खोले खड़ी थी ! लेकिन हिंदुस्तान के राजनैतिक सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को एक पिता की तरह अपनी साँसों में शामिल रखने वाले बापू ने सिर्फ हिन्दुस्तान की आजादी तक ही अपनी सोच को सीमित नहीं रखा था बल्कि आजदी के बाद स्वदेशी रास्ते से देश के अंतिम व्यक्ति के आंसू पोंछ कर चेहरे पर मुस्कान लाने का मजबूत विचार भी बापूं के पास था !लेकिन वोह बापू जिनकी नैतिकता , त्याग,तपस्या बलिदान और राष्ट्रवादी सोच के सामने फिरंगी तानाशाहों की आँखे झुक जाया करती थी उन्ही बापू के सीने को आजाद हिंदुस्तान के सिर्फ तीन वर्ष बाद ही एक साम्प्रदायिक सोच ने मंदिर की सीडियों पर छलनी कर दिया !

मोहनदास करमचंद गांधी ने एक राजनैतिक संत के रूप में अपनी जिन्दगी की आखरी सांस ष् हे राम ष् कहते हुए ली इस बदकिस्मत झण को इतीहास की मुझ जैसा आदमी एक ऐसी दुर्घटना मानता है जिसके लिए यह कहा जा सकता है कि जब तक दुनिया कायम रहेगी हिंदुस्तान में गांधी जी की स्वभाविक मानवतावादी अहिंसक विचारधारा जीवित रहेगी और किसी न किसी रूप में साड़ी दुनिया गांधी जी के उस  रास्ते पर चलती रहेगी जो उन्होंने इन पंक्तियों में ब्यान किया है ( ईश्वर अल्लाह एक ही नाम , सबको सन्मति दे भगवान ) लेकिन मैं यह भी मजबूती से मानता हूँ कि हिंसा घ्रणा साम्प्रदायिकता और मानवीय संवेदनाओं को रौंदने की मंशा लेकर एक विचारधारा के रूप में नाथू राम गोडसे भी हमेशा जिंदा रहेगा ! इस मौके पर जब महात्मा गांधी जी के शहादत दिवस पर मैं श्रद्धांजलि के लिए कुछ लिख रहा हूँ तब देशवासियों से यही अनुरोध करता हूँ कि वोह बापू के ख्वाबों के भारत , प्रेम सद्भावना और सामग्र विकास , दरिद्र की सेवा का लक्ष्य सामने रखकर गांधी जी के सिद्धांतों पर चलकर गांधी जी को जीवित रखते हुए भारत को एकबार फिर सोने की चिडि़या बनाये !     

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