बैठक में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ मिथिला-मैथिली आंदोलनी और मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झा ने मिथिला क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के निदान को लेकर मिथिलावासियों की उदासीनता पर चिंता जताते हुए कहा कि आखिर हम कब तक अपने मूलभूत अधिकारों की प्राप्ति व इसके निदान हेतु आंदोलनरत होने के बजाय इस तरह की बैठकों का आयोजन करते रहेंगे। वर्तमान दौर में मिथिला क्षेत्र की उपेक्षा सर्वविदित है। क्षेत्र के सम्पूर्ण कल कारखानों में तालाबंदी है और रोजगार के अभाव में मिथिला क्षेत्र से पलायन का दौर बदस्तूर जारी है। उन्होंने कहा कि जगत जननी जानकी के जन्मस्थली का सौभाग्य एतिहासिक रुप से समेट कर रखने वाले इस क्षेत्र की ऐसी उपेक्षा वर्ल्ड गिनीज बुक में दर्ज की चाहिए, जिससे प्रांत की सरकारों को वैश्विक रुप से शर्मिन्दा होना पड़े। वहीं इस बैठक का संचालन करते हुए एलायंस के संयोजक हेमन्त झा ने कहा कि मिथिला क्षेत्र की भाषा, संस्कृति एवं सभ्यता विश्व विदित है। भारतीय गणराज्य में मिथिला को राज्य के रूप में मान्यता नहीं देने से आज यह सभ्यता पूर्णतया समाप्त होने की स्थिति में पहुंच गई है। इस क्षेत्र की आर्थिक पिछड़ापन के कारण लोकपलायन से यह दुरावस्था चरम पर है। प्रत्येक वर्ष बाढ़ और सुखाड़ की समस्या से जूझ रही मिथिला को संविधान में राज्य का दर्जा मिलने पर ही यहाँ पर समुचित विकास सम्भव हो सकता है। कार्यक्रम में आए लोगों को धन्यवाद प्रेषित करते हुए मैथिली अभियानी राजीव कुमार झा ने कहा कि पृथक मिथिला राज्य का निर्माण ही मिथिला क्षेत्र के समुचित विकास का एकमात्र विकल्प है और इस सच्चाई को मिथिलावासियों को तहे दिल से स्वीकार करना चाहिए। बैठक में मुख्य रूप से बुराड़ी के समाजसेवी विजय कुमार झा, नेपाल से आए अभियानी जीवानंद झा, स्टेट फेडरेशन के कमलेश झा, प्रभाकर मिश्र, संतोष साहू, समाजसेवी बलराम झा, सुभाष झा, शिव कुमार सिंह, ऋषभ झा, नीरज कुमार, दिनाकर पासवान, लड्डू झा समेत कई अन्य लोगों ने भाग लिया।
नई दिल्ली, मिथिला डेमोक्रेटिक एलायंस के बैनर तले मिथिला मैथिली व मिथिला राज्य आंदोलन को बल देने की दिशा में इससे संबंधित अभियानियों की आवश्यक बैठक रविवार को दिल्ली के बुराड़ी गांव में अखिलानंद 'रमण'की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें दिल्ली में प्रवास करने वाले मिथिला के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े सामाजिक लोग और मिथिला आंदोलन से संबंधित आंदोलनी लोगों के द्वारा मिथिला राज्य निर्माण, मैथिली भाषा व संस्कृति के विकास एवं अन्य मुद्दों को लेकर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी में मिथिला क्षेत्र एवं प्रवास में इससे जुड़े विभिन्न समस्याओं के निदान हेतु गहन मंथन किया गया।