दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के सबसे बड़े वायदे पर ग्रहण लगता दिख रहा है। दिल्ली कैबिनेट ने जिस जनलोकपाल बिल को हरी झंडी दी थी, उस पर सॉलिसिटर जनरल की राय से अड़ंगा लग गया है। सॉलिसिटर जनरल ने इसे असंवैधानिक बताया है। इस मसले पर आज शाम 4 बजे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उप-राज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात करेंगे।
दिल्ली सरकार के जनलोकपाल बिल पर उपराज्यपाल नजीब जंग ने सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरण से राय मांगी थी। सॉलिसिटर जनरल ने एलजी को राय दे दी है। इसके मुताबिक जनलोकपाल बिल के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की राय जरूरी है। उसके बगैर जनलोकपाल बिल असंवैधानिक है। यानी, केंद्र की मंजूरी के बिना पास बिल गैरकानूनी होगा। सरकार के सबसे बड़े वादे में रुकावट से बीजेपी गदगद है, तो दिल्ली सरकार के जनलोकपाल बिल का पहले से ही विरोध कर रही कांग्रेस की इससे बांछें खिल गई हैं।
बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार, दिल्ली की जनता को जल्द से जल्द लोकपाल दें। एक से ज्यादा बार ये संविधान का उल्लंघन कर चुके हैं। इनकी भाषा हमेशा से ऐसी ही रही है। माना जा रहा है कि पारासरण ने उपराज्यपाल को बताया कि संसद से पास लोकपाल और लोकायुक्त बिल प्रभाव में है। ऐसे में दिल्ली में एक लोकपाल बिल केंद्रीय कानून के असंगत होगा। इस पर राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होगी।
कहीं सरकार इस मुद्दे को भी जनता के बीच भुनाने में कामयाब न हो जाए, इसलिए कांग्रेस पेश किए जाने के स्तर पर ही इस बिल का विरोध करेगी। कांग्रेस के नेता इस संबंध में उपराज्यपाल से मिलेंगे और सरकार पर बिल को लेकर दबाव बनाने का आग्रह करेंगे। उपराज्यपाल की बदली भावभंगिमा में आम आदमी पार्टी को राजनीति नजर आ रही है।
दिल्ली सरकार हर हाल में 13 फरवरी को इस बिल को विधानसभा में पेश कर चर्चा कराना चाहती है, ताकि 16 फरवरी को स्टेडियम में जनता की मौजूदगी में इसे पास कराया जा सके। दिल्ली सरकार कहना है कि जस्टिस मुकुल मुदगल समेत कई कानूनी जानकारों से उन्होंने राय ली है। उन्हें बताया गया है कि लालकृष्ण आडवाणी का 2002 का आदेश गैरसंवैधानिक है। इसमें किसी भी बिल को केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजना जरूरी बताया गया है।