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उपराज्यपाल कांग्रेस के एजेंट : आम आदमी पार्टी

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जन लोकपाल बिल को केंद्र की मंजूरी के बिना सीधे विधानसभा में पेश करने को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार अड़ गई है।   पार्टी ने आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल कांग्रेस के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता आशुतोष ने कहा कि लोकपाल बिल को लेकर उपराज्यपाल और सॉलिसिटर जनरल के बातचीत लीक कैसे हुई। 

दरअसल, सरकार जनलोकपाल बिल को सीधे विधानसभा से पास कर लागू करना चाहती है, लेकिन देश के सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन ने स्पष्ट कर दिया है कि बिल को विधानसभा में पेश करने से पहले उपराज्यपाल और केंद्र से मंजूरी जरूरी है। सरकार का तर्क है कि यह बिल फाइनैंस से जुड़ा नहीं है, इसलिए इस प्रकार की मंजूरी जरूरी नहीं है। इसके अलावा बिल लागू करने को लेकर वह संविधान विशेषज्ञों से भी राय ले चुकी है। फिलहाल बिल पर 'संघर्ष'बढ़ता ही जा रहा है। इस मसले पर आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल से मिल रहे हैं तो कांग्रेस नेता भी इसी मसले पर सरकार की जिद को लेकर उपराज्यपाल से मिलेंगे।

दूसरी ओर दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष मनिंदर सिंह धीर का भी कहना है कि बिल को लागू करने के लिए उसे उपराज्यपाल आदि से मंजूरी की जरूरत नहीं है। उनका तर्क है कि यह बिल फाइनैंस से जुड़ा नहीं है, लिहाजा दिल्ली सरकार इसे सीधे विधानसभा में लाकर पारित करवा सकती है।

वैसे दिल्ली सरकार के प्रवक्ता के अनुसार अभी राजनिवास से सरकार के पास इस तरह की कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है कि इस बिल पर सॉलिसिटर जनरल ने क्या राय दी है। प्रवक्ता के अनुसार, जब यह राय सरकार तक पहुंचेगी, उसके बाद ही सरकार आगे विचार करेगी। बताते हैं कि मामले को सुलझाने के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज शाम उपराज्यपाल से मिलने जा रहे हैं, तो दूसरी ओर सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस के नेता भी बिल को लेकर सरकार रुख पर विरोध जताने के लिए दोपहर को मिलेंगे।

भ्रष्टाचार के खिलाफ इस बिल को पास करवाने के लिए दिल्ली सरकार 13 से 16 फरवरी तक विधानसभा का स्पेशल सेशन बुला रही है। सरकार ने अंतिम दिन इस बिल को विधानसभा के बाहर आम लोगों की उपस्थिति में किसी स्टेडियम में पास कराने की योजना बनाई है। इस बिल पर सबसे बड़ी आपत्ति उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस को ही है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि इस बिल को लागू करने के लिए सरकार संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि 'आप'सरकार वह बिल पास कराने के बजाय सिर्फ राजनैतिक लाभ के लिए इस बिल को लाना चाहती है। फिलहाल सरकार ने इस बिल को हर हाल में पास कराने की घोषणा कर दिल्ली में राजनैतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।

इस बिल को लेकर उपराज्यपाल ने सॉलिसिटर जनरल से राय मांगी थी। उनका कहना है कि संसद से पिछले साल पास हो चुका लोकपाल और लोकायुक्त कानून लागू हो चुका है। ऐसे में दिल्ली में लोकपाल बिल लाना केंद्र के कानून के खिलाफ होगा। इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेने की जरूरत होगी। इसका अर्थ यही निकलता है कि यह बिल उपराज्यपाल के पारित करवाकर ही उसे राष्ट्रपति के पास भेजना होगा। इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुबह कहा कि उन्होंने संविधान विशेषज्ञों से इस बिल पर राय ले ली है और वह इस राय को उपराज्यपाल तक पहुंचाएंगे।

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