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वाराणसी : संकट मोचन संगीत समारोह में सजी सुरों की महफिल

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  • हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी व विश्वंभर के पखावज पर हर किसी ने सराहा

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में संगीत के महाकुंभ का आगाज हो गया है. संकट मोचन संगीत समारोह में कलाकारों ने अपने गीतों के जरिए संकट मोचन बीर बजरंगबली को अपनी स्वरांजलि अर्पित की. पद्मविभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के बांसुरी से निकले धुन से इस समारोह की शुरुआत हुई, तो फिर एक के बाद एक मनमोहक प्रस्तुतियों से देर रात कब बीत गया पता ही नहीं चला। पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के बांसुरी वादन के बाद बेंगलुरु की जननी मुरली ने अपने भरतनाट्यम के जरिए लोगों का मन मोह लिया. एक के एक बाद एक दिग्गज कलाकारों ने पूरी रात हनुमत दरबार में अपने कला के जरिए लोगों को झुमाया. अंतिम प्रस्तुति दिल्ली के रोहित पवार ने प्रस्तुत की. जी हां, संकट मोचन का आंगन तब मधुबन बन गया, जब हरि की बांसुरी कान्हा बनकर विश्वंभर की पखावज रूपी राधा को रिझाने लगी। श्रोता-श्रद्धालु ग्वाल बाल जैसे इस पल के आनंद में डूब गए। महावीर के दरबार में सबसे पहले बांसुरी पर राग विहाग गूंजा तो परिसर भर में फैले भक्तों का जमघट आंगन में लग गया। पखावज की डिमडिमाहट और बांसुरी की धुन में एक खास संवाद चल रहा था, जिसे सुधि श्रोताओं ने बड़े चाव से महसूस किया। पूरे मंदिर परिसर में गूंज रही पं. हरिप्रसाद चौरसिया के बांसुरी की धुन और आलाप लोगों को मंदिर की ओर तेजी से खींच लाई। प्रस्तुति के दौरान पं. हरि प्रसाद ने तीन बार बांसुरी भी बदली। उनके होठों के कंपन भी सुर बन जा रहे थे।


अंत में ओम जय जगदीश हरे... की धुन बजाई तो विदेशी श्रोता भी ताली बजाकर झूमने लगे। समापन के बाद श्रोताओं ने ऊंचे स्वर में हर-हर महादेव का जयघोष कर आभार जताया। दोनों वादकों के साथ बांसुरी पर विवेक सोनार और वैष्णवी जोशी ने मनोहारी संगत की। आधी रात में जब श्रोताओं की नींद से आंख भारी होने लगी तो छह कलाकारों के साथ चौथी प्रस्तुति लेकर पहुंचे पं. अजय पोहनकर की अलाप और धारा प्रवाह सरगम सुन श्रोता जाग उठे। अजय पोहनकर ने ख्याली आलाप के बाद ध्रुपद अंग में प्रभावी आलाप पर सुर लगाया। राग आभोगी में ख्याल गायन किया तो दर्शकों की तालियां रुकने का नाम नहीं ले रही थीं। तभी उन्होंने शकील बंदायूनी की लिखी गजल ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया... और पंकज उधास की गजल कैसे बीते दिन-रात प्रभु जी... की प्रस्तुति देकर लोगों को अपना मुरीद कर लिया। तबले पर हारमोनियम पर दिल्ली की पारोमिता मुखर्जी, सारंगी पर गौरी बनर्जी और कोलकाता के समर साहा ने बेजोड़ संगत की। संगीत समारोह की दूसरी प्रस्तुति भरतनाट्यम भी भगवान बाल-गोपाल को ही समर्पित रही। बंगलूरू की नृत्यांगना जननी मुरली ने भरतनाट्यम से गंगा स्तुति की। हरि तुम हरो जन की पीर... गीत पर भरतनाट्यम पर जननी कभी यशोदा तो कभी मीरा नजर आईं। कन्हैया के नटखटपन पर कभी गुस्सा तो कभी वात्सल्य की झलक दिखलाई। संत पुरंदरदास की एक रचना पर नृत्य करने के बाद महाकाल को समर्पित बंदिश से शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति को खत्म किया। तीसरी प्रस्तुति बनारस घराने के तबला और डोगरा परिवार के संतूर की जुगलबंदी के नाम रही। अमिताभ बच्चन और जाकिर हुसैन के साथ जय हनुमान जैसे लोकप्रिय भजन में संतूर की आवाज से लोहा मनवा चुके पं. राहुल शर्मा ने संतूर पर राग झिंझोटी की धुन पेश की। लगातार 300 सेकेंड तक न तो तबले से हाथ हटे और न ही संतूर से। उनके साथ तबले पर संगत कर रहे बनारस घराने के पं. रामकुमार मिश्र ने बखूबी साथ दिया। विख्यात संतूर वादक पं. शिव कुमार शर्मा के बेटे पं. राहुल शर्मा ने राग झिंझोटी में आलाप, जोड़ और झाला का वादन कर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। आरोह-अवरोह के बीच ऐसा लगा कि हाथ से तार छूट जाने के बावजूद भी संतूर की मधुर ध्वनि आ रही हो। रूपक ताल में एक और तीन ताल की दो रचनाओं को बजाया। अंत में पहाड़ी धुन के साथ अपनी प्रस्तुति को पूरा किया।


कला दीर्घा में सबसे महंगी सवा तीन और ढाई लाख की पेंटिंग

संगीत समारोह का खास आकर्षण बगीचे की कला दीर्घा रही। यहां पर 400 से ज्यादा अद्भुत तस्वीरें देखने को मिलीं। सबसे महंगी पेंटिंग सवा तीन लाख रुपये की है। इसे स्तुति सिंह ने उकेरा है।  दूसरी सबसे महंगी पेंटिंग 2.50 लाख रुपये की है। इस पेंटिंग में अलग-अलग रंगों से हनुमान जी के कॉस्मिक पॉवर यानी ब्रह्मांडीय शक्ति उकेरी गई थी। आर्टिस्ट अजय उपासनी ने हनुमान जी की ऊर्जा को रंगों में उकेरा था। तीसरी सबसे महंगी पेंटिंग 85 हजार की है। इसमें बजरंग बली ने अपना सीना चीरकर सियाराम को दिखाया। विजय मूर्तिकार ने दो सेंटीमीटर की सबसे छोटी मूर्ति लगाई। उद्घाटन महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा, पं. राजेश्वर आचार्य, पं. संजू सहाय और प्रो.  श्रीप्रकाश शुक्ला ने किया। कला दीर्घा में कई मुस्लिम कलाकारों ने भी हिंदू देवी-देवताओं को उकेरा। 11 साल की नन्हीं कलाकार जीवा ने रामजी का नाम लिखकर हनुमान जी का चित्र बनाया है। जीवा बताती हैं कि दीदी स्नेहा को देखकर मैं आकर्षित हुईं। उधर, बीएचयू के दृश्य कला संकाय की छात्रा खुशी यादव ने चॉक पर सुई से नक्काशी कर हनुमान चालीसा लिखकर इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया। महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा ने प्रमाणपत्र और मेडल देकर सम्मानित किया।


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