दिल्ली में विद्युत वितरण से जुड़ीं रिलायंस के नियंत्रण वाली दो कंपनियों -बीएसईएस राजधानी पॉवर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड- को राहत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) को निर्देश दिया कि दोनों कंपनियों को 26 मार्च तक विद्युत आपूर्ति जारी रखी जाए। न्यायमूर्ति सुरिंदर सिंह निज्जर और न्यायमूर्ति ए.के. सिकरी की पीठ ने दोनों कंपनियों को निर्देश दिया कि दो सप्ताह के भीतर बकाए के हिस्से के रूप में वे एनटीपीसी को 50 करोड़ रुपये का भुगतान करें।
रिलायंस समूह की दोनों कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार, दिल्ली बिजली नियामक आयोग और एनटीपीसी को नोटिस भेजकर डिस्कॉम की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर अपने मंतव्य दाखिल करने का निर्देश दिया और दोनों डिस्कॉक को भी प्रत्युत्तर देने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया।
डिस्कॉम के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि दोनों कंपनियों को 15 हजार करोड़ रुपये के बकाए का अब तक भुगतान नहीं किया गया है, जैसा कि डीईआरसी ने निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि एक ओर डिस्कॉम को अपने बकाए का भुगतान नहीं मिल रहा है और दूसरी ओर एनटीपीसी अपने बकाए का भुगतान करने के लिए कह रही है। दोनों कंपनियां दिल्ली के करीब 70 फीसदी हिस्से में बिजली आपूर्ति करती हैं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने नियामक को सुझाव दिया है कि यदि दोनों कंपनियां एनटीपीसी को भुगतान नहीं करती हैं या बिजली की कटौती करती हैं, तो उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएं। कंपनियों ने कहा है कि लाइसेंस रद्द करने का कदम अवैधानिक और मनमाना होगा और नियामक को इस मामले पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना चाहिए।