एक साल पहले बनी आम आदमी पार्टी ने राजनीति में उथल-पुथल कर दिल्ली में अपनी सरकार बना तो ली है, पर पहले ही दिन से उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अपने वादों को लेकर चुनाव में आप ने कांग्रेस जैसी बड़ी राजनीतिक पार्टी को मात दिया है। और उसी दिन से आप की अग्नि परीक्षा शुरु हुई। पहले सरकार बनाने के लिये वह गठबंधन किससे करे। इस बात पर उसे राजनीति का ताना झेलना पड़ा। जब कांग्रेस से गठबंधन कर सरकार बनाई, तो राजनीतिक दलों ने आप की खिल्ली उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक तरफ कांग्रेस को भ्रष्ट बताने वाली पार्टी ने उसी से समर्थन ले सरकार बनाई।
सरकार बनाने के बाद आप की असली परीक्षा शुरु हुई जिसमें जनता से किये हुये वादे जल्द से जल्द कैसे पूरे किये जायें। मंत्रिमंडल के गठन को लेकर पहला विवाद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में उठा। मंत्रिमंडल में शामिल न होने से विधायक विनोद कुमार विन्नी पार्टी से काफी ख़फ़ा नज़र आये। ख़ैर मामला थोड़ा ठंडा पड़ा। पर कुछ ही दिनों में कानून मंत्री बने सोमनाथ भारती पर कोर्ट द्वारा सबूतों से छेड़-छाड़ का आरोप लगा जिसे लेकर विपक्ष और समर्थन दे रही कांग्रेस ने उनके इस्तीफे की मांग की। कानून मंत्री के बचाव में खुद मुख्यमंत्री मैदान में उतरे। इस वाकिये को बीते अभी कुछ ही दिन गुजरे थे। दोबारा से कानून मंत्री आरोपों के घेरे में आ गिरे। इस बार का मामला विदेशी महिला से छेड़-छाड़ और पुलिसकर्मी से बदसुलूकी से बात करने का था। जिसे लेकर राजनीतिक दलों ने आप पर फिर से चढ़ाई कर दी। बात तो साफ थी कानून मंत्री के द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाना किसी भी तरह से शोभा नहीं देता। आप की सरकार लगभग एक महीने से ज्यादा की हो गई है पर ऐसा लगता है कि कई सालों से ये दिल्ली में अपनी सरकार चला रहे हैं। लगातार हर दिन इस पार्टी के मंत्री आरोपों के घेरे में आ जाते हैं।
लोगों की उम्मीद बंधी थी इस पार्टी से पर क्या हुआ, वादों के अनुसार घोषणा तो की पर नतीजा शून्य निकला। अब आप की सरकार दूसरे महीने में कदम रख रही है, तो पार्टी के अंदर बगावत शुरु हो गई है। पार्टी के विधायक भी आरोप लगाने लगे। केजरीवाल को झूठा और लोगों को धोखा देने की बात कही, तो कभी सरकार को नहीं चलाने की।
नई नवेली बनी हुई आप टूटती नज़र आ रही है। पार्टी की फाउंडर मेम्बर मधु भादुड़ी ने भी अपना नाता पार्टी से अलग कर लिया। दूसरी तरफ आनंद कुमार विन्नी ने आरोपों की झड़ी लगाई और समर्थन वापस लेने की धमकी भी दे दी। ये सब देख दिल्ली की जनता के मन में प्रश्न तो जरुर उठ रहे होगें कि कहीं उनका वोट बर्बाद गया है। अपने इस एक महीने के कार्यकाल में केजरीवाल और आप पार्टी की अग्नि परीक्षा लगातार चलती रही है।
हांलाकि केजरीवाल के वक्तव्यों से हैरानी भी होती है। जब ये कहते नज़र आते है कि कांग्रेस जब चाहे समर्थन वापस ले सकती है। सरकार गिरने का डर उन्हे नहीं है। अगर यही सब करना ही था, तो सरकार ही न बनाते दुबारा चुनाव होता। बहुमत मिलता तब सरकार बनाकर दिल्ली की ज़नता का भला करते। बात कुछ भी हो, पर ये तो साफ है कि आप और दिल्ली के लोग दोनों ही मुश्किलों से गुजर रहे हैं। दोनों की अग्नि परीक्षायें चल रही हैं।
(रवि श्रीवास्तव)