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विशेष : कांग्रेसी कोख की उपज तेजपाली साक्षात्कार

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“यह कोंग्रेस और उस संगठन के बीच महाभारत का युद्ध होगा जो खुद को अराजनीतिक होने का दावा करता रहा है लेकिन जिसने अपने राजनितिक चेहरे पर परोक्ष नियंत्रण करना चुना है.”यह बाक्यांश है इस देश को अधोगति तक पहुचाने वाले वर्मान यू पी ए सरकार के बजीर-ए-खज़ाना श्री पी चिदम्वरम का जिन्होंने २६ अक्तूबर २०१३ को तमिलनाडु के तिरिचिरापल्ली में कहा था .वहाँ उन्होंने कहा -२०१४ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री चुनने वाले संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच महाभारत का युद्ध होगा.”वजीर-ए-खजाना का यह सोच नादिरी प्रवृति तैमूरी प्राकृति और बाबरी संस्कृति का परिचायक है. 

सच पूछा जाए तो कांग्रेस की तुलना महाभारत के कौरवो से भी नहीं किया जा सकता है.भारत के भूमि पर पर आजतक जितने भी निकृष्ट शाशक हुए उसमे जयचंद को भी ये कांग्रेसी मात दिया है .विदेशी व्यक्तिओ के द्वारा गठित विदेशी शक्तिओ के द्वारा पोषित यह दल देश को जिस अधोगति तक पहुचाया वह ना इस्लामी आतताई और ना ही अंग्रेज कर पाया था. कांग्रेस जिस परिवेश में जन्म लिया वहां हिन्दू संस्कृति,सभ्यता और श्रधा यानी ३ एस  के बदले ३ डी यानी डांस,ड्रग और डिवोर्स की प्रधानता थी. अ स्टडी ऑफ़ नेहरु में रफीक ज़कारिया ने लिखा है –“........मोतीलाल बढ़िया खाने तथा बढ़िया शराब के इतने शौकीन थे की जब वे असहयोग आन्दोलन में पहली बार जेल गए तब भी उनके लिए उत्तर प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर द्वारा नित्य जेल में एक अंगरक्षक के द्वारा शराब भेजी जाती थी (पेज-१७३)” अब आप खुद अंदाजा लगा सकते है की आज देश की यह दुर्गति क्यों है.एक कहावत है-बोए पेड़ बबुल तो आम कहाँ ते होए और उसी मोतीलाल की संस्कृति रूपी पालकी को चिदम्वरम ,शिंदे दिग्विजय और अन्य कांग्रेसी ढ़ोकर अपने को निहाल मानते आ रहें हैं.

१९४७ में सत्ता के लिए जिसने देश को टुकड़े करने में परहेज नहीं किया हो सत्ता पर बने रहने के लिए धर्म के नाम पर,जाति के नाम पर,भाषा के नाम पर क्षेत्र के नाम पर दलित के नाम पर अल्पसंख्यक के नाम पर और तो और अब महिला और पुरुष के नाम पर समाज को बांटने का दुष्कृत्य किया हो वैसे गिरोहों के लिए तो देशभक्ति अफीम के सामान है .हर देशभक्त इसके लिए खतरे की घंटी होता है. १९४७ में नेहरु से लेकर २०१४ में मनमोहन तक का काग्रेसी इतिहास देश की भूगोल सहित इतिहास बदलने का अक्षम्य अपराधी है.

२०१४ के चुनाव में जनता जरुर फैसला देगी .आरएसएस से लेकर बाबा रामदेव तक को बदनाम करने की जो कांग्रेसी फितरत चल रही है उसी का बानगी फिर दिख रहा है .इस वार मोहरा बना है नव कुमार सरकार उर्फ़ असीमानंद नामक सख्स. इस तेजपाली प्रवृति को आगे लाया है अंग्रेजी की कोई “कारवाँ “नामक पत्रिका के कलमघिस्सू “लीना गीता रघुनाथ” ने .बड़ा दिलचस्प तैयारी इन गिरोहों ने आरएसएस को बदनाम करने के लिए किया.अपने ९ घंटा २६ मिनट के असीमानंद के साक्षात्कार की प्रिंट और आडियो वह पत्रिका ने जारी किया है. इसके विरुद्ध असीमानंद के वकील ने उस पत्रिका और उसके कलमघिस्सू को कानूनी नोटिस भेजा है क्योंकि असीमानंद इस प्रकार के किसी भी साक्षात्कार किसी को दिया ही नही है . इस फर्जी साक्षस्त्कार पर संघ प्रमुख की गिरफ्तारी तक की मांग की जाने लगी है ? 

इस देश को अतिवादी इस्लामी तवलीगो की ज़मात सदा निशाना बनाता रहा है इसी क्रम में अनेक बम ब्लास्ट सहित देश में दंगे होते रहते है .सितम्बर २००६ के मालेगांव ब्लास्ट फ़रवरी २००७ में समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मई २००७ में मक्का मस्जिद ब्लाष्ट अक्तूबर २००७ में अजमेर दरगाह ब्लास्ट फिर सितम्बर २००८ में मालेगांव ब्लास्ट से देश दहल उठा.इस्लामी देशों से मिलने बाली फंड से  प्रायोजित इस्लामी आतंक को रोकने के बजाय वेकसुर हिन्दुओ और हिन्दू संगठनो को फ़साने का काम ये सरकार ने की है.

वर्ष २००६ में  मालेगांव ब्लास्ट हुआ एटीएस ने १३ मुस्लिमो को इस विस्फोट के आरोप में गिरफ्तार कर रिपोर्ट दिया की इनका उदेश्य था देश के बिभिन्न भागो में दंगा करवाना . इस रिपोर्ट के बाद देश के मुस्लिम सांसदों और उल्माओ ने सरकार पर दवाव बनया और पकडे  गए मुस्लिम अपराधियो को बेकसूर कहा .फलस्वरूप आनन् फानन में कांग्रस ने नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी का गठन किया और सारे आरोपों को हिन्दू संगठनो पर लगाकर कुछ कार्यकर्ता को इसी मामले में गिरफ्तार किया.देश के मिडिया और और मुस्लिम मानवाधिकारवादिओ ने ऐसा माहौल बनाया की भारत में मुसलमानों को फसाया जाता है .नफरत की इस आंधी ने देश की एकता को तवाह किया . नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ने इसी मामले में नव कुमार सर्कार उर्फ़ असीमानंद को गिरफ्तार किया लेकिन २०१० से २०१४ तक की लंवी अवधि के बाद भी आज तक असीमानंद के विरुद्ध चार्जशीट तक दाखिल नहीं हुई किन्तु उसे हरियाना के अम्बाला जेल में कैद रखा गया है .
असीमानंद की गिरफ्तारी के बाद देश की सेकुलर मिडिया में एक खबर बड़े जोरशोर से उछाले गये की जेल में असीमानंद ने मुस्लिम कैदियो के वर्ताव से भावुक होकर अपना ह्रदय परिवर्तन कर सारे आरोप को स्वीकार कर लिया है और इसके लिए अपने जीवन में भटकाव और बम ब्लास्ट के लिये संघ को दोषी कहा है किन्तु ए सारे के सारे प्रोपगंडा केद्र की सोनिया निर्देशित सरकार की शह पर सेकुलर गिरोहों ने किया और आज तक किसी कोर्ट ने इसे प्रमाणित नहीं किया .

इतना ही नहीं २००७ के अजमेर दरगाह ब्लास्ट के आरोप में भावेश पटेल नामक बेगुनाह हिन्दू को पकड़ा गया और उस पर यह दवाव डाला गया की आर एस एस के कार्कार्ताओ को इसमें संलिप्तता के बारे में कोर्ट में कहे . इस सन्दर्भ में भावेश पटेल ने अपने बकील के माध्यम से सीबीआई कोर्ट में आवेदन दिया की – गृह मंत्री सुशिल कुमार शिंदे, कोयला मंत्री प्रकाश जैसवाल गृह राज्य मंत्री आर पी एन सिंह और दिग्विजय सिंह ने उसपर राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत और एक अन्य कार्यकर्ता श्री इन्द्रेश कुमार को अजमेर ब्लास्ट में फ़साने के लिए दबाव डाला था .जब सत्ता इस तरह से अपराध को बढ़ावा दे तो किस लोकतंत्र की कल्पना हम करें ?राजतंत्र की मानसिकता में जीने बाले लोग सत्ता को कैसे दुरूपयोग कर देशभक्तों का चरित्र हनन करने का घृणित प्रयास करते है यह तो सिर्फ बानगी मात्र है .

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कांग्रेस को फूटी आँख नही सुहाती है क्योंकि संघ की आत्मा भारत में बस्ती है कांग्रेस की आत्मा सत्ता सुख में , संघ के लिए देश प्रथम कांग्रेस के लिए सत्ता प्रथम और सत्ता के लिए कांग्रेस दुर्योधन से भी दो कदम आगे है.कांग्रेस किस तरह से संघ जैसे देशभक्त संगठन के पीछे पड़ा है उसका उदाहरण है .वर्ष १९४८ में बापू के हत्या का आरोप किन्तु न्यायालय से बेदाग़ ,फिर कांग्रेस द्वारा देश को इमरजेंसी में झोकने का विरोध फिर संघ पर प्रतिवंध १९९२ में देश के आम लोगो ने रामजनम भूमि पर बना इस्लामी ढांचा को तोडा दोष संघ पर किन्तु फिर न्याय के मंदिर से निर्दोष .बार बार कोर्ट का तमाचा खाने के बाद भी इस बेशर्म कांग्रेसी गिरोह का स्वाभिमान नही जगता.

 इसबार फिर इन्ही गिरोहों के शह पर अंग्रेजी की कोई “कारवाँ “नामक पत्रिका के कलमघिस्सू “लीना गीता रघुनाथ” ने असीमानंद का साक्षात्कार लेने का दावा किया है और उस साक्षात्कार के अनुसार मालेगांव ब्लास्ट के लिए संघ प्रमुख और इन्द्रेश कुमार का आशीर्वाद प्राप्त था .हद हो गयी इस तेजपाली पत्रकारिता की . असीमानंद जेल में है जेल प्रशाशन कहती है इस तरह के साक्षात्कार की अनुमति जेल ना तो दी है ना असीमानंद से कोई मिला फिर ये ऑडियो और प्रिंट दोनों की दावा करने वाले तेज्पाली पत्रकार लीना गीता रघुनाथ ने साक्षात्कार लिया कैसे .हाल ही में एक खबर पढ़ा था – नन को पता नहीं था की वो प्रेग्नेंट है और पेट में दर्द उठा अस्पताल आई और वच्चा हो पैदा हो गया .”उसी तरह लीना का ए साक्षात्कार भी है ?

जैसे जैसे लोकसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है कांग्रस कुनबा हर वो हथकंडा अपना रही है ताकि देशभक्त संगठनों को मानसिक रूप से बिचलित कर अपना उल्लू सीधा कर सके ऐसे घटिया वेबुनियाद मनगढ़ंत और फर्जी विडिओ औडियो और साक्षत्कार लाये जायेंगे ,आज संघ कल बाबा रामदेव तो परसों जगद्गुरु शंकराचार्य सहित हिंदूवादी साधू संयासियो के ऊपर लांछनो का दोर चलेगा इसमें रंचमात्र संशय नहीं इन देश भक्तो के उप्पर अनेक प्रकार के लांछन लगेंगे जिसकी पृष्ठभूमि ए साक्षात्कार है , 

२०१४ के निर्णायक महाभारत में कांग्रेस मार्क्स-मुल्ला-मैकाले और मायनों के मानसपुत्रो के साथ मिलकर जिस मायावी तिलिस्म के जाल में इस देश की जनता को फ़साना चाहता है उसका पटकथा तैयार है और उसकी वानगी इस घटिया मनगढ़ंत साक्षात्कार से शुरू हो गयी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ १९२५ से लेकर आजतक समाज में जिस विश्वास को कायम किया है वह उसकी पूंजी है ,संघ के स्वयंसेवक अपने मातृभूमि,पित्रभूमि और कर्मभूमि को त्रिदेव की तरह मानते हैं क्योंकि संघ की शाखाओं पर उन्हें ऐसे चरित्र का निर्माण किया गया है अपने चरित्रवल से ही आज लाख अप्प्रचारों के बाद भी संघ समाज के वीच सोने की तरह चमक रहा है .

 जिन्हें संघ समझनी है उन्हें संघ की शाखाओं में भाग लेकर अपना विचार बनानी चाहिए ना की सुनी सुनाई बातों या अप-प्रचारों से .जिस प्रकार के अप-प्रचार हो रहे है वह लोकतंत्र के लिए घातक है,इस प्रकार के अनर्गल बेवुनियाद और मनगढंत आरोपों के सहारे अपनी आत्मा और चरित्र बेच चुके कलम घिस्सुओ को इश्वर सद्बुधी दें की अपने देश के उत्तरोतर विकाश में अपना बुध्ही लगाकर यसस्वी भारत बनाएं .साम्प्रदायिकता हटधर्मिता और उनकी बीभत्स वंशधर मतान्धता इस भारत पर बहुत समय तक राज्य कर चुकी है वे इस पवित्र भूमि को हिंसा से भरती रही है,बारम्बार हिंदुत्व को रक्त से नहलाती रही है सभ्यता और संस्कृति को विध्वंस करती और सम्पूर्ण देश को दुखो के गर्त में डालती रही है .पर अब उनका समय आ गया है और जनमानस उत्कटता से २०१४ के महाभारत का इंतज़ार कर कांग्रेसी कोख से निकली ऐसी घृणित सोच के तेज्पाली साक्षात्कार के परिणाम देने के लिए खुद तैयार है . 




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 ---संजय कुमार आजाद---
फोन- ०९४३११६२५८९
रांची –८३४००२ 
Email- azad4sk@gmail.com


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