राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निवेश में वृद्धि किए जाने का आह्वान किया और कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में देश को दुनिया में फिर से अग्रणी करना होगा, जैसा कि हजारों वर्ष पहले था। शिक्षा में किए गए निवेश से होने वाली सर्वाधिक आय की तरफ इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने शिक्षा को किफायती एवं सहज बनाए जाने पर जोर दिया।
मुखर्जी ने यहां प्रतिष्ठित के. सी. महाविद्यालय के हीरक जयंती समारोह पर कहा, "महज 700 वर्ष पहले भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में एक-दो दशक तक नहीं बल्कि तीसरी सदी पूर्व के तक्षशिला से लेकर 12वीं शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय के खत्म होने तक पूरे 1,500 वर्ष तक सिरमौर रहा।"
मुखर्जी ने आगे कहा, "इस दौरान ग्रीस, चीन, पर्शिया और अन्य दूर दराज के देशों के विद्वान भारत की ओर खिंचे चले आए।"राष्ट्रपति ने हालांकि मौजूदा दौर में देश की उच्च शिक्षण संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी गिनती में न रहने पर रोष व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने जब विश्व के 200 सर्वश्रेष्ठ उच्च शिक्षण संस्थानों की वरीयता सूची जारी की तो मुझे उसमें एक भी भारतीय संस्थान नजर नहीं आया। इससे मुझे बहुत दुख हुआ।"इस अवसर पर हिंदी फिल्म जगत के महानायक अमिताभ बच्चन ने कहा कि बेहतर शिक्षा का अवसर सिर्फ कुछ लोगों की बजाय देश के सभी नागरिकों को सहज उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। अभिताभ ने कहा, "लोकतंत्र को सिर्फ समानता लाने वाला ही नहीं, बल्कि वंचितों को ऊपर उठाने वाला भी होना चाहिए।"