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नेपाल में प्रधानमंत्री पद के लिए सुशील कोईराला ने नामांकन भरा

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  • नेपाली कांग्रेस की सरकार में शामिल होगी सीपीएन-यूएमएल
sushil koirala
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील कोईराला ने रविवार को प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकन पत्र भर दिया। संविधानसभा में दूसरे नंबर की बड़ी पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने नेपाली कांग्रेस की सरकार को समर्थन देने का फैसला लिया जिसके बाद कोईराला ने नामांकन भरा।  प्रधानमंत्री पद के लिए मतदान सोमवार को कराए जाएंगे। कोईराला (74) नेपाली कांग्रेस संसदीय दल के नेता भी हैं। नामांकन के समय उनके साथ पार्टी के उपाध्यक्ष रामचंद्र पौडेल और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्‍सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) संसदीय दल के नेता के. पी. ओली भी मौजूद थे।

नेपाली राजनीति में 'मि. क्लीन'माने जाने वाले कोइराला अभी तक किसी पद पर नहीं रहे हैं। अविवाहित कोईराला नेपाल में लोकतंत्र की लड़ाई में अग्रणी राजनीतिक रूप से समृद्ध कोईराला परिवार से आते हैं। यदि सुशील कोईराला देश के प्रधानमंत्री बनते हैं तो वे इस परिवार से इस पद पर आसीन होने वाले चौथे व्यक्ति होंगे। उनसे पहले इसी परिवार से मातृका प्रसाद कोईराला (1951-52 और 1953-55), बिशेश्वर प्रसाद कोईराला (1959-60) और गिरिजा प्रसाद कोईराला (1991-94, 1998-99, 2000-01 और 2007-08) प्रधानमंत्री पद पर रहे।

नामांकन भरने के बाद कोईराला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एक वर्ष के भीतर नया संविधान सामने आ जाएगा। उन्होंने कहा, "एक लोकतांत्रिक संविधान की जिम्मेदारी नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल पर आ गई है। हमें उम्मीद है कि हम एक वर्ष के भीतर नया संविधान तैयार कर लेंगे। इस ऐतिहासिक जवाबदेही को पूरा करने के लिए मैं निश्चित रूप से अन्य दलों के साथ काम करूंगा।"नेपाल में प्रधानमंत्री के चुनाव से एक दिन पहले संविधान सभा में दूसरे नंबर की बड़ी पार्टी नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्‍सवादी-लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) ने रविवार को नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने का फैसला लिया।  दोनों पार्टियों के बीच रविवार दोपहर छह सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए।

सूत्रों के मुताबिक, दोनों पक्ष वर्ष 2005 से हुई उपलब्धियों को संस्थागत बनाने पर सहमति जताई। वर्ष 2005 में नेपाल की राजनीतिक पार्टियों और माओवादियों ने नेपाल में शताब्दी पुराने राजतंत्र को खत्म करने के लिए 12 सूत्री समझौते पर नई दिल्ली में समझौता किया था। भारत ने 12 सूत्री समझौते की सुविधा मुहैया कराई थी जिससे माओवादी राजनीति की मुख्यधारा में शामिल हुए।

दोनों पार्टियों ने 2008 के संविधान सभा में जो समझौते और सहमतियां बनी उसकी जवाबदेही लेने का फैसला किया है। पहली संविधान सभा हालांकि नया संविधान तैयार करने में विफल रही और उसे 2012 में भंग कर दिया गया। पिछले वर्ष हुए चुनाव में नई संविधान सभा का गठन हुआ है और पार्टियों के बीच राष्ट्रपति राम बरन यादव और उपराष्ट्रपति परमानंद झा को एक वर्ष का और कार्यकाल बढ़ाने पर सहमति बनी है।


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