राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को खाद्य महंगाई कम करने के लिए कृषि विपणन में सांस्थानिक बदलाव को जरूरी बताया ताकि थोक बिक्री और खुदरा बाजार के बीच की खाई पाटी जा सके। राष्ट्रपति ने कहा, "बढ़ते अनाज भंडार और महंगी कमोडिटी के बढ़ते उत्पादन के बावजूद खाद्य महंगाई लंबे समय से बनी हुई है। आपूर्ति श्रंखला को ठीक करने और थोकबिक्री तथा खुदरा बाजार की खाई को कम करने के लिए खामियों की पहचान करनी होगी।"
मुखर्जी यहां देश के अब तक का सबसे बड़े कृषि मेले, राष्ट्रीय कृषि एक्सपो 'कृषि वसंत'के उद्घाटन अवसर पर रविवार दोपहर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों की बर्बादी और महंगाई कम करने तथा आय बढ़ाने के लिए बाजार तक किसानों की पहुंच बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने खुशी जताई कि कृषि मंत्रालय ने 2014 को 'कृषि उत्पादक संगठन वर्ष'घोषित किया है।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि इस साल देश में रिकार्ड 26.32 करोड़ टन अनाज की पैदावार हो सकती है। यह दो साल पहले हुई रिकार्ड 25.9 करोड़ टन पैदावार से 40 लाख टन अधिक है। पवार ने कहा कि आज भारत चावल का सबसे बड़ा और गेहूं तथा कपास का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
पांच दिवसीय कृषि वसंत का आयोजन कृषि मंत्रालय, महाराष्ट्र सरकार और भारतीय उद्योग परिसंघ ने मिल कर किया है। मेले में देश भर से पांच लाख किसानों के आने और करीब पांच लाख किसानों द्वारा इसका लाइव वेबकास्ट देखे जाने की उम्मीद है।
मेले में कृषि में काम आने वाली मशीनों, नई फसलों, पशुओं की नई किस्मों और प्रजातियों, कृषि में हुए वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विकास, ऊर्वरकों और बीजों का प्रदर्शन किया जाएगा। मेले में 92 सफल किसानों के स्टॉल भी लगाए गए हैं। उद्घाटन समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन, राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, केंद्रीय उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल, राज्य के कृषि मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटील तथा अन्य राज्यों के कृषि मंत्रियों, किसानों, वैज्ञानिकों तथा कारोबारी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।