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आपरेशन ब्लू स्टार की सच्चाई सामने आना चाहिए

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पंजाब के अमृतसर स्थित सिखों के पवित्रतम धर्मस्थल स्वर्ण मंदिर या दरबार साहब में डेरा जमाए आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए 1984 में हुई सैन्य कार्रवाई आपरेशन ब्लू स्टार में विभिन्न सरकारों और वरिष्ठ नेताओं की भूमिका को लेकर विवाद उत्पन्न होने के बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कहा कि उस समय के सभी संबंधित दस्तावेजों को अवर्गीकृत किया जाना चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

आईएएनएस के साथ यहां एक विशेष बातचीत में अमरिंदर सिंह ने कहा, ''मैं समझता हूं कि उस समय के सभी संबंधित दस्तावेज को अवर्गीकृत करने का यह उपयुक्त समय है और हर चीज के बारे में सच्चाई सामने आनी चाहिए।''अमरिंदर ने कहा, ''केंद्र सरकार के दस्तावेज और पंजाब सरकार के दस्तावेज अब अवर्गीकृत होने चाहिए। यह सच सामने आना चाहिए कि उस समय किसने क्या किया था।''

हरमंदर साहिब के नाम से मशहूर स्वर्ण मंदिर परिसर से आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए जून 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैनिक कार्रवाई का आदेश दिया था। इस बात से नाराज अमरिंदर ने संसद और कांग्रेस दोनों से इस्तीफा दे दिया था। उस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की निभाई गई भूमिका पर अमरिंदर सवाल उठाते रहे हैं।

अमरिंदर ने कहा, ''उस समय बादल दिल्ली में केंद्रीय नेताओं के साथ मेलजोल बढ़ाए हुए थे। आपरेशन ब्लूस्टार से ऐन पहले वे छुप गए। वे झूठ बोलते हैं कि जब सेना का अभियान चल रहा था तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।''उन्होंने कहा, ''उन्हें घटना के कुछ दिनों बाद गिरफ्तार किया गया था। वे आपरेशन ब्लूस्टार के लिए बराबर के जिम्मेदार हैं। वे कायर हैं।''

बादल पर स्थितियों का राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगाते हुए अमरिंदर ने आतंकवाद के दौरान (1981 से 1992) पूरे पंजाब में करीब 35,000 लोगों के मारे के बारे में चुप्पी साधने पर सवाल उठाया। 31 अक्टूबर 1984 को दो सिख अंगरक्षों द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को मार डाले जाने की प्रतिक्रिया स्वरूप हुए सिख विरोधी दंगों पर अमरिंदर कहा कि उन्होंने दंगों के आरोपी कांग्रेस के पांच नेताओं के बारे में सुना है। उन्होंने कहा जिन कांग्रेसी नेताओं के नाम सामने आए हैं उनमें सज्जन कुमार, एच. के. एल. भगत, धरम दास शास्त्री, ललित माकन और अर्जुन दास शामिल हैं। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि यह कहना गलत है कि दंगों के आरोपी किसी को भी सजा नहीं मिली।

उन्होंने कहा, ''442 लोगों को दंगों के लिए दोषी ठहराया गया जिनमें से 49 को उम्रकैद और तीन को 10 या इससे ज्यादा वर्षो की कैद की सजा मिली। इसके अलावा कर्तव्य में कोताही बरतने के आरोपी छह पुलिसकर्मियों को भी दंडित किया गया।''

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