पहली बार रेल मंत्री बने मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में अपने ही मंत्रियों के जबर्दस्त हंगामे के बीच यूपीए-2 का आखिरी रेल बजट पेश किया। यह अंतरिम रेल बजट सिर्फ चार महीनों के लिए होगा। हालांकि, यह अंतरिम रेल बजट था इसलिए ज्यादा घोषणाएं नहीं हुईं। रेल यात्री किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। रेल मंत्री ने 10 नई पैसेंजर ट्रेनें, 38 एक्सप्रेस ट्रेनें, 17 रूटों पर नई एसी प्रीमियम ट्रेनें और चार मेमू के साथ 3 नई डेमू ट्रेनें चलाने की घोषणा की है। खड़गे ने कुल 72 नई ट्रेनें चलाने की घोषणा की। प्रीमियम ट्रेनों का कॉन्सेप्ट प्लेन की तर्ज पर है। इसमें किराए बदलते रहते हैं। दिल्ली और मुंबई के लिए प्रीमियम ट्रेनों की शुरुआत की गई थी। लोगों से इसका जबर्दस्त रिस्पॉन्स मिला। इसी को देखते हुए 17 नए रूटों पर प्रीमियम ट्रेनें चलाने का फैसला लिया गया।
रेल मंत्री ने अंतरिम बजट में पूर्वोत्तर पर खास ध्यान दिया है। इसमें अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर को रेलवे नेटवर्ट से जोड़ने की योजना है। 2702 किलोमीटर नई रेलवे लाइन बिछाने की भी घोषणा की गई। रेल मंत्री ने वैष्णव देवी को रेल सेवा से जोड़ने की बात कही। खड़गे ने रेलवे सर्विस को सुधारने के लिए रोडमैप बनाने पर जोर दिया। खड़गे ने कहा कि रेलवे नेटवर्क के विस्तार में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की गईं हैं। रायबरेली और छपरा रेलवे फैक्ट्रियों में उत्पादन का काम भी शुरू हो गया है।
मल्लिकार्जुन ने पहली बार रेल बजट पेश करते हुए कहा कि यह मौका प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की वजह से मिला। उन्होंने कहा कि रेलवे पूरे देश को जोड़ता है। खड़गे ने कहा, 'अब वक्त आ गया है कि रेलवे में निवेश की जरूरतों पर ध्यान दिया जाए। रेलवे लाइन में इजाफा भी बेहद अहम है। देश की योजना प्रणाली में रेलवे की बड़ी भूमिका है। 14 लाख रेलवे कर्मचारी देश के लोगों को जोड़ने में निरंतर लगे हुए हैं। रेलवे ने कश्मीर में अहम काम कर देश को जोड़ा है। उद्धमपुर कटरा खंड पर भी युद्धस्तर पर काम चल रहा है।'
उन्होंने कहा कि नई रेलवे लाइनों का टारगेट भी तेजी से हासिल किया गया। 11वीं योजना में हमने जितने टारगेट रखे थे उससे ज्यादा हासिल किए गए हैं। 12वीं योजना के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा जोर रहा। रेल मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में रेलवे सुरंग का एक बड़ा काम हुआ है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से आए एक लाख करोड़ के वित्तीय बोझ को रेलवे ने अपनी कमाई से वहन किया। संसाधनों की कमी के बावजूद रेलवे पब्लिक को हर संभव सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
रेल बजट के दौरान लोकसभा में चार मंत्रियों का हंगामा जारी रहा। डी. पुरंदेश्वरी और चिरंजीवी वेल में कूद गए। इस वजह से रेल मंत्री पूरा बजट भाषण भी नहीं पढ़ पाए। रेल मंत्री को बजट भाषण अधूरा ही छोड़ना पड़ा। सूर्यप्रकाश रेड्डी ने भी लोकसभा में जमकर हंगामा किया। केएस राव भी वेल में कूद गए। ये सभी मंत्री सीमांध्र इलाके से सांसद हैं। कांग्रेस के ये मंत्री तेलंगाना बनाने का विरोध कर रहे थे। इनके हंगामे से सरकार भी सकते में है।