नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने बुधवार को सफाई दी कि उन्होंने बिहार में खुलने जा रहे अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र पुनर्जीवित नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति से इस्तीफा नहीं दिया है। यहां एक कार्यक्रम से इतर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं इस्तीफा नहीं दे रहा..यह मुझसे कभी नहीं होगा..मैं क्यों इस्तीफा दूं? यह पूरी तरह से गढ़ा गया है..इसमें विदेश मंत्रालय के कुछ अधिकारियों का हाथ है..मैं नहीं जानता कौन हैं।"
इससे पहले मीडिया में खबरें आई कि अमर्त्य सेन ने वित्त मंत्रालय द्वारा वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए जाने के बाद इस्तीफा देने की धमकी दी है। विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने पर 2,727 करोड़ रुपये 12 वर्ष में खर्च किया जाना है।
यह विश्वविद्यालय भारत सरकार और 18 पूर्व एशिया शिखर (ईएएस) देशों का संयुक्त प्रयास है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों से 12 किलोमीटर दूर नया विश्वविद्यालय खोला जा रहा है। प्राचीन विश्वविद्यालय 12वीं सदी तक अस्तित्व में रहा।