Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74342 articles
Browse latest View live

विशेष आलेख : खुशियों का पैमाना बनती जा रही शराब

$
0
0
alcohol-and-happiness
वैसे तो हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं जैसे गरीबी बेरोजगारी भ्रष्टाचार आदि लेकिन एक समस्या जो हमारे समाज को दीमक की तरह खाए जा रही है,वो है शराब। दरअसल आज इसने हमारे समाज में जाति, उम्र, लिंग, स्टेटस, अमीर, गरीब,हर प्रकार के बन्धनों को तोड़ कर अपना एक ख़ास मुकाम बना लिया है। समाज का हर वर्ग आज इसकी आगोश में है। अब यह केवल गम भुलाने का जरिया नहीं है,बल्कि खुशियों को जाहिर करने का पैमाना भी बन गया है। आनंद के क्षण, दोस्तों का साथ, किसी भी प्रकार का सेलिब्रोशन,कोई भी पार्टी, जन्मदिन हो या त्यौहार ये सब पहले बड़ों के आशीष और ईश्वर को धन्यवाद देकर मनाए जाते थे लेकिन आज शराब के बिना सब अधूरे हैं। हमारे समाज की बदलती मानसिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शराब ही इस पृथ्वी की एकमात्र चीज़ है जिसके लिए इसे न पीने वाले से दुनिया भर के सवाल पूछे जाते हैं और उस बेचारे को इसे न पीने के अनेकों तर्क देने पड़ते हैं। कारण ,विज्ञापनों के मायाजाल और उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारे जीवन की परिभाषाएँ ही बदल दी हैं। कुछ मीठा हो जाए, ठंडा मतलब कोका कोला, खूब जमेगा रंग जब मिलेंगे तीन यार,जैसी बातें जब वो लोग कहते हैं जिन्हें आज का युवा अपना आइकान मानता हैं तो उसका असर हमारे बच्चों पर कितना गहरा पड़ता है यह इन उत्पादों की वार्षिक सेल रिपोर्ट बता देती है।

और इस सबका हमारी संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ रहा है वो आज के भौतिवादी युग में जीवन जीने के इस आधुनिक मंत्र से लगाया जा सकता है कि, "जिंदगी न मिलेगी दोबारा"इसलिए  "जी भर के जी ले मेरे यारा"। क्या हम लोग समझ पा रहे हैं कि इस नए मंत्र से इन कम्पनियों का बढ़ता मुनाफ़ा हमारे समाज के घटते स्वास्थ्य और चरित्र के गिरते स्तर का द्योतक बनता जा रहा है? विभिन्न अध्ययनों से यह बात साबित हो चुकी है कि  हमारे आस पास बढ़ते बलात्कार और अपराध का एक महत्वपूर्ण कारण शराब है। कितनी ही महिलाओं और बच्चों को शराब का नशा वो जख्म दे गया जिनके निशान उनके शरीर पर से समय ने भले ही मिटा दिए हों लेकिन रूह तो आज भी घायल है। (यह सिद्ध हो चुका है कि घरेलू हिंसा में शराब एक अहम कारण है)। कितने बच्चे ऐसे हैं जिनका पिता के साथ प्यार दुलार का उनका हक शराब ने ऐसा छीना कि वे अपने बचपन की यादों को भुला देना चाहते हैं। तो फिर इतना सब होते हुए भी ऐसा क्यों है कि हम इससे मुक्त होने के बजाय इसमें डूबते ही जा रहे हैं? ऐसा नहीं है कि सरकारें इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाती परेशानी यह है कि अपेक्षित नतीजे नहीं निकलते।

alcohol-and-happiness
विश्व की अगर बात की जाए तो सबसे पहले संयुक्त   राज्य अमेरिका ने 1920 में अपने संविधान में 18 वाँ संशोधन करके मद्य पेय के निर्माण एवं बिक्री पर राष्ट्रीय प्रतिबंध लगा कर इसके सेवन पर रोक लगाने के प्रयास किए थे जिसके परिणामस्वरूप लोग अवैध स्रोतों से शराब खरीदने लगे और वहाँ पर शराब के अवैध निर्माताओं एवं विक्रेताओं की समस्या उत्पन्न हो गई। अन्ततः 1933 में संविधान संशोधन को ही निरस्त कर दिया गया। यूरोप के अन्य देशों में भी 20 वीं सदी के मध्य शराब निषेध का दौर आया था जिसे लोकप्रिय समर्थन नहीं मिलने की स्थिति में रद्द करना पड़ा। कुछ मुस्लिम देश जैसे साउदी अरब और पाकिस्तान में आज भी इसे बनाने या बेचने पर प्रतिबंध है क्योंकि इस्लाम में इसकी मनाही है। भारत की अगर बात करें तो भले ही गुजरात और बिहार में शराबबंदी लागू हो ( यह व्यवहारिक रूप से कितनी सफल है इसकी चर्चा बाद में) लेकिन आन्ध्रप्रदेश,तमिलनाडु, मिज़ोरम और हरियाणा में यह नाकाम हो चुकी है। केरल सरकार ने भी 2014 में राज्य में शराब पर प्रतिबंध की घोषणा की थी जिसके खिलाफ  बार एवं होटल मालिक सुप्रीम कोर्ट गए  लेकिन कोर्ट ने सरकार के फैसले को बहाल रखकर इस प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त राज्य में पर्यटन को देखते हुए केवल पाँच सितारा होटलों में इसकी अनुमति प्रदान की। तो सरकार भले ही शराब बिक्री से मिलने वाले बड़े राजस्व का लालच छोड़ कर इस पर प्रतिबंध लगा दे लेकिन उसे इस मुद्दे पर जनसमर्थन नहीं मिल पाता। बल्कि हरियाणा जैसे राज्य में जहाँ महिलाओं के दबाव में सरकार इस प्रकार का कदम उठाती है, उस राज्य के मुख्यमंत्री को मात्र दो साल में अपने निर्णय को वापस लेना पड़ता है। कारण कि जो महिलाएं पहले इस बात से परेशान थीं कि शराब उनका घर बरबाद कर रही है अब इस मुश्किल में थीं कि घर के पुरुष अब शराब की तलाश में सीमा पार जाने लगे थे। जो पहले रोज कम से कम रात में घर तो आते थे अब दो तीन दिन तक गायब रहने लगे थे। इसके अलावा दूसरे राज्य से चोरी छिपे शराब लाकर तस्करी के आरोप में पुलिस के हत्थे चढ़ जाते थे तो इन्हें छुड़ाने के लिए औरतों को थाने के चक्कर काटने पड़ते थे सो अलग।

जिन राज्यों में शराबबंदी लागू है वहाँ की व्यहवहारिक सच्चाई सभी जानते हैं। इन राज्यों में शराब से मिलने वाला राजस्व सरकारी खजाने में न जाकर प्रइवेट तिजोरियों में जाने लगा है और जहरीली शराब से होने वाली मौतों की समस्या अलग से उत्पन्न हो जाती है। इसलिए मुद्दे की बात तो यह है कि इतिहास गवाह है, कोई भी देश कानून के द्वारा इस समस्या से नहीं लड़ सकता। चूंकि यह नैतिकता से जुड़ी सामाजिक समस्या है तो इसका हल समाज की नैतिक जागरूकता से ही निकलेगा। और समाज में नैतिकता का उदय एकाएक संभव नहीं है, किन्तु इसका विकास अवश्य किया जा सकता है। नैतिकता से परिपूर्ण समाज ही इसका स्थायी समाधान है कानूनी बाध्यता नहीं।



liveaaryaavart dot com

--डाँ नीलम महेंद्र--

गुजरात : टूटता खुमार ?

$
0
0
gujrat-election-and-modi
2014 में नरेंद्र मोदी की आसमानी जीत ने सभी को अचंभित कर दिया था. यह कोई मामूली जीत नहीं थी. ऐसी मिसालें भारतीय राजनीति के इतिहास में बहुत कम मिलती हैं. इसके बाद पिछले तीन सालों में भाजपा ने अपना अभूतपूर्व विस्तार किया है. कई राज्यों में उनकी सरकारें बनी हैं. ज्यादा दिन नहीं हुये जब उतरप्रदेश की प्रचंड जीत ने एक बार फिर पूरे विपक्ष को स्तब्ध कर दिया था और फिर 2019 में विपक्ष की तरफ से सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले नीतीश कुमार की एनडीए वापसी ने विरोधियों की रही सही उम्मीदों पर पानी फेर दिया था. लेकिन जीवन की तरह अनिश्चिताओं से भरे राजनीति के इस खेल में हालत अचानक बदले हुए नजर आ रहे हैं. पहली बार अमित शाह और मोदी का अश्वमेघ रथ अपने ही गढ़ में ठिठका हुआ नजर आ रहा है. गुजरात में चुनावी बिगुल बज चूका है लेकिन यहाँ की हवा बदली हुई नजर आ रही है. दरअसल गुजरात बीजेपी की शीर्ष जोड़ी का गढ़ हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यही के अपने “विकास मॉडल” को पेश करके दिल्ली की सत्ता तक पहुंचे थे. लेकिन अब विकास के इस “मॉडल” की हवा इस कदर उतरी हुयी नजर आ रही है कि यहाँ लोग “विकास पागल हो गया है” के नारे लगा रहे हैं. इन सबसे भगवा खेमे की बैचैनी साफ़ महसूस की जा सकती है. जनता अधीर होती है और सोशल मीडिया के इस दौर ने इस अधीरता को और बढ़ाया है.लोगों को मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन तमाम दावों और प्रचार प्रसार के बावजूद जमीन पर हालत बदतर ही हुये हैं. मोदी सरकार पूरे समय अभियान मोड में ही रही और उनका पूरा ध्यान चुनावी और हिन्दुतत्व विचारधारा के विस्तार पर ही रहा, इस दौरान 2014 में किये गये वायदों  पर शायद ही ध्यान दिया गया हो. नतीजे के तौर पर आज तीन साल बीत जाने के बाद मोदी सरकार के पास दिखाने के लिए कुछ खास नहीं है और अब निराशा के बादल उमड़ने लगे हैं. इधर नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों ने निराशाओं को और बढ़ाने का काम किया है. पहली बार विपक्ष मोदी सरकार को रोजगार, मंदी और जीएसटी की विफलता जैसे वास्तविक मुद्दों पर घेरने की कोशिश करते हुए कामयाब नजर आ रहा है. राहुल गाँधी संकेत देने लगे हैं कि उनका सीखने का लम्बा दौर अब समाप्ति की ओर हैं. अमित शाह के बेटे पर लगे आरोप से पार्टी और सरकार दोनों को बैकफूट पर आना पड़ा है. सोशल मीडिया पर खेल एकतरफ नहीं बचा है. कोरी लफ्फाजी, जुमलेबाजी बढ़-चढ़ कर बोलने और हवाई सपने दिखाने की तरकीबें अब खुद पर ही भारी पड़ने लगी हैं.  

क्या गुरदासपुर उपचुनाव में मिली करारी मात और इससे पहले इलाहाबाद,हैदराबाद, दिल्ली और जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों में एबीवीपी की विफलताओं के सन्देश इस तरफ इशारा नहीं हैं कि भारत की राजनीतिक में हवा एक बार फिर बदल रही है? इस साल के बाकी बचे महीनों में दो राज्यों में चुनाव होने हैं और उसके बाद 2018 में चार राज्यों में चुनाव होंगें, ऐसे में अगर अपनी फितरत के हिसाब से मोदी सरकार का बाकी समय भी चुनाव लड़ने में ही बीत गया तो फिर 2014 और उसके बाद लगातार किये गये आसमानी वायदों का क्या होगा ? 

दावं पर गुजरात 
gujrat-election-and-modi
गुजरात को लेकर भाजपाई खेमे में बेचैनी साफ़ महसूस की जा सकती है, पिछले कुछ महीनों से नरेंद्र मोदी लगातार गुजरात के दौरे कर रहे हैं, घोषणायें की जा रही हैं, यहाँ तक कि गुजरात में चुनाव तारीखों की घोषणा को इसलिये स्थगित करना पड़ा ताकि प्रधानमंत्री वहां जाकर “मैं ही विकास हूँ” का एलान कर सकें. दरअसल नरेंद्र मोदी के दिल्ली जाने के बाद से गुजरात भाजपा में एक ऐसी रिक्तता आई है जिसे कभी भरा नहीं जा सका. इस दौरान सूबे में दो बार मुख्यमंत्री बदलना पड़ा है. पाटीदार और दलितों के आंदोलोनों ने भी जमीन पर उनकी पकड़ ढ़ीली की है. नोटबंदी, जीएसटी जैसे क़दमों ने कारोबार प्रेमी राज्य गुजरात में गुस्से को बढ़ाया है. इस दौरान हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर जैसे विद्रोही उभरे हैं जो भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं. ये तीनों किसी भी कीमत पर भाजपा के राजनैतिक समीकरणों को बिगाड़ना चाहते हैं. भाजपा द्वारा इन लोगों को पार्टी में शामिल करने के लिए करोड़ों रूपये खर्च करने के आरोप भी लग रहे हैं. उधर पिछले दो दशकों के दौरान कांग्रेस पार्टी कभी भी इतनी उत्साहित नजर नहीं आयी है, इस बार कांग्रेस सच में चुनाव लड़ती हुयी नजर आ रही है. राज्यसभा में अहमद पटेल की जीत ने भी कांग्रेसियों का उत्साह बढाने का काम किया है. भाजपा की समस्या यह है कि गुजरात की जनता विकास के तथाकथित मॉडल से ऊब चुकी है और अब इसे और स्वीकार करने को तैयार नहीं है, इसके प्रतिरोध में 'विकास पगला गया है'जैसे आवाजें सुनाई पड़ रही हैं. ऐसे में भाजपा फिर से अपने हिंदुत्व के मूल मुद्दे पर वापस आकर चुनाव लड़ना चाहती है. इसके लिये वहां योगी आदित्यनाथ को लाया गया लेकिन इसका भी खास असर देखने को नहीं मिला. इधर कांग्रेस साफ्ट हिन्दुतत्व को अपनाते हुए आर्थिक मुद्दों पर फोकस कर रही है जिसका असर भी होता दिखाई पड़ रहा है. गुजरात चुनाव बीजेपी के लिये अपना गढ़ बचाने की चुनौती साबित होने वाला है जबकि पूरे देश में लगातार अपनी जमीन खोती जा रही कांग्रेस के लिये यह अपने आप को दोबारा खोज लेने का एक मौका साबित हो सकता है. जो भी हो दबाव में भाजपा ही नजर आ रही हैं और उसका नर्वसनेस कांग्रेस को उर्जा देने का काम कर रहा है. गुजरात में भाजपा वही गलतियां दोहराती हुई नजर आ रही है जो उसने दिल्ली और बिहार विधानसभा के चुनाओं में किया था. 

टूटता तिलिस्म ?
पिछले तीन सालों में पहली बार मोदी सरकार घिरती हुई नजर आ रही है. अच्छे दिनों के सपने अब जमीनी सच्चाईयों का मुकाबला नहीं कर पा रहे है. नरेंद्र मोदी का जादू अभी भी काफी हद तक बरकरार है लेकिन हवा नार्मल हो चुकी है. पहली बार प्रधानमंत्री बैकफुट पर और उनके सिपहसालार घिरे हुए नजर आ रहे हैं. पहले मोदी की आंधी के सामने विपक्ष टिक नहीं पा रहा था लेकिन अब हालत नाटकीय रूप से बदले हुए नजर आ रहे हैं. सत्ता गंवाने के बाद पहली बार कांग्रेस खुद को एक मजबूत विपक्ष के रूप में पेश करने की कोशिश करती हुई नजर आ रही है. परिस्थितियां भी कुछ ऐसी बनी हैं जिसने मोदी सरकार बैकफुट पर आने को मजबूर किया है. कुछ महीनों पहले तक हताश नजर आ रही कांग्रेस अब धीरे-धीरे एजेंडा सेट करने की स्थिति में आने लगी है.  दरअसल अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार की विफलता और उस पर रोमांचकारी प्रयोगों ने विपक्ष को संभालने का मौका दे दिया है. भारत की चमकदार इकॉनामी आज पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई दिखाई दे रही है. बेहद खराब तरीके से लागू किए गए नोटबंदी और जीएसटी ने इसकी कमर तोड़ दी है, इस दौरान विकास दर लगातार नीचे गया है, बेरोजगारी बढ़ रही है, बाजार सूने पड़े है और कारोबारी तबका हतप्रभ है, ऐसा महसूस होता है कि यह सरकार आर्थिक मोर्च पर स्थितियों को नियंत्रित करने में सक्षम ही नहीं है. दूसरी तरफ अमित शाह के बेटे जय शाह के अचानक विवादों में आ जाने के कारण मोदी सरकार के भ्रष्टाचार से लड़ने के दावों पर गंभीर सवाल खड़ा हुआ है. इधर गुजरात में खरीद फरोख्त के आरोपों ने भी इन दावों का हवा निकालने का काम किया है.

अपने ही लोग आलोचना करने में सबसे आगे हैं, भाजपा वरिष्ठ नेता और अटल कैबिनेट में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा जैसे लोग अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत तीखे तरीके से अपनी चिंतायें जता रहे हैं. पिछले दिनों इंडिया एक्सप्रेस में उन्होंने लिखा था ‘देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से गिर रही है,इंस्पेक्टर राज, नोटबंदी तथा जीएसटी की वजह से करोड़ों नौकरियां गईं तथा देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी, निजी निवेश पिछले दो दशकों में सबसे निचले स्तर पर है, औद्योगिक उत्पादन ढह गया है, कृषि का क्षेत्र दबाव में है. निर्माण उद्योग जो सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला क्षेत्र है, वह मंदी में है और निर्यात सूख गया है’.उन्होंने आरोप लगाया है कि ‘चूंकि जीडीपी को तय करने के पुराने तरीके को भी मोदी सरकार ने बदल दिया, इसकी वजह से विकास दर 5.7 दिख रहा है, वरना देश का असली विकास दर केवल 3.7 और उससे कम है’. उन्होंने आशंका जताई है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक देश की आर्थिक हालत के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है. इसी तरह से अरुण शौरी भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को दिशाहीन बता चुके हैं. नोटबंदी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा है कि ‘नोटबंदी काले धन को सफेद करने की सरकार की बड़ी स्कीम थी, जिसके पास भी काला धन था उसने नोटबंदी में उसे सफेद कर लिया’. उन्होंने तो यहां तक आरोप लगाया है कि केंद्र में ढाई लोगों की सरकार है और यह सरकार विशेषज्ञों की बात नहीं सुनती है. 

उलटे पड़ते दावं 
पूरे भारत को एक बाजार बना देने का दावा करने वाली सरकार के राज्य में बाजार ही वीरान है. यह पिछले दस सालों की सबसे सुस्त दीपावली थी. खुदरा कारोबारियों के संगठन “कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स” के अनुसार इस साल दीपावली की बिक्री में पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है. मोदी सरकार का नोटबंदी व जीएसटी का दावं उल्टा पड़ गया है जिसकी वजह से मुल्क में आर्थिक स्थिति पर बेचैनी बढ़ती जा रही है. इन दो फैसलों ने कारोबार की कमर तोड़ दी है,भारत का आर्थिक विकास तीन सालों में अपने सबसे निचले स्तर पर है, जानकार चेतावनी दे रहे हैं कि देश मंदी की ओर जा साकता है. नोटबंदी के वाकई महीनों बाद जब आरबीआई  ने बताया कि 99 फीसदी पुरानी नकदी फिर बैंकों में जमा हो गई है तो फिर इसको लेकर डींगें मार रही सरकार को अपने तेवर ढीले करने पड़े. इसके बाद जीएसटी को इतने जटिल तरीके से लागू किया गया कि इस को लेकर मजाक गढ़ा जाने लगा और अब हर समझ ना आने वाली बात की तुलना जीएसटी से की जा रही है, यह  कारोबारियों और ग्राहक दोनों पर बोझ साबित हो रहा है. इससे कई व्यवसाय मुश्किल में आ गए हैं और क्षेत्रों में ग्राहकों को अधिक भुगतान करना पड़ रहा है. जाहिर है कि आज भारत की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है. भारत की पहली मुक्कमल दक्षिणपंथी सरकार अपने आर्थिक कुप्रबंधन के लिए कुख्यात होती जा रही है, उसकी  प्रतिभा भारत पर अपने धुर दक्षिणपंथी विचारधारा को लागू करने में ही सामने आयी है.

2014 की फांस 
2014 में नरेंद्र मोदी ‘अच्छे दिन” की लहर पर सवार होकर सत्ता में आये थे. इस दौरान लम्बे –चौड़े वायदे किए गये थे,आसमानी सपने दिखाए गये थे, 60 सालों की बर्बादी के एवज में महज  60 महीने मांगे गये थे जिसमें सब कुछ ठीक किया जाना था. जनता को मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें थीं. नरेंद्र मोदी को वोट देने वाले लोगों में एक बड़ा समूह युवाओं का था जिन्होंने उनके अच्छे दिनों के वायदे पर यकीन किया था. देश अभी भी “अच्छे दिन” का इंतजार ही कर रहा है, उम्मीदें साथ छोड़ रही हैं अगर अच्छे दिनों की जगह मंदी ने अपना पैर पसार लिया तो फिर सब्र का बाँध टूट सकता है.

कांग्रेस को मिला मौका 
मज़बूत और एकजुट विपक्ष की गैरहाजिरी मोदी सरकार के लिये वरदान साबित हुई है. पिछले तीन सालों में सरकार को घेरने का काम सिविल सोसाइटी और खुद भगवा खेमे के लोगों ने किया हैं. इस दौरान विपक्ष प्रभावहीन नजर आया, प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस एक के बाद एक झटके के सदमे और सुस्ती से बाहर ही नहीं निकल सकी. नीतीश कुमार के महागठबंधन का साथ छोड़ कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के फैसले ने रही सही उम्मीदों पर पानी फेर दिया था. लेकिन इधर परिस्थितयों ने ही विपक्ष विशेषकर कांग्रेस को सर उठाने का मौका दे दिया है, कांग्रेस और उसके उपाध्यक्ष एक बार फिर से अपनी विश्वसनीयता हासिल करने के लिये जोड़- तोड़ कर रहे हैं. कुछ महीने पहले तक कांग्रेस भाजपा द्वारा उठाये गए विवादित मुद्दों के जाल में फंस कर रिस्पोंस करती हुयी ही नजर आ रही थी लेकिन अब वो एजेंडा तय करते हुए मोदी सरकार की विफलताओं को सामने लाने की कोशिश कर रही है, कांग्रेस ने अपने संवाद और सोशल मीडिया के मोर्चे पर भी काम किया है जिसका असर देखा जा सकता है.  इस दौरान दो घटनायें कांग्रेस के लिये टर्निंग पॉइन्ट साबित हुई हैं, पहला पंजाब विधानसभा चुनाव में “आप” के गुब्बारे का फूटना और दूसरा नीतीश कुमार का भगवा खेमे में चले जाना. पंजाब में आप की विफलता से राष्ट्रीय स्तर पर उसके कांग्रेस के विकल्प के रूप में उभरने की सम्भावना क्षीण हुयी है, जबकि नीतीश कुमार को 2019 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा माना जा रहा था लेकिन उनके पाला बदल लेने से अब 2019 में चाहे अनचाहे राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी और विपक्ष को नरेंद्र मोदी का सामना करना है.  इधर पहले गुजरात के राज्यसभा में अहमद पटेल और फिर गुरदासपुर में सुनील जाखड़ की बम्पर जीत ने कांग्रेस के लिये टानिक का काम किया है. अमेरिका दौरे और उसके बाद राहुल गांधी कुछ अलग ही तेवर में नजर आ रहे हैं. राहुल गांधी में दिख रहे यह बदलाव अब स्थायी नजर आने लगे हैं, इन दिनों वे मोदी के गढ़ गुजरात की जमीन पर उतरकर जिस तरह से सुर्खियाँ बटोर रहे हैं उससे भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है. सोशल मीडिया पर भी वे आजकल खूब सक्रिय हैं. कांग्रेस के लिये सबसे अच्छी खबर यह है कि राहुल गाँधी अपने काम को मजे के साथ करना सीख चुके हैं.  फिलहाल कांग्रेस और राहुल गाँधी के पास गंवाने के लिए कुछ खास नहीं बचा है आगे उन्हें अपने खोये को  दोबारा हासिल करना है .

पेशगोई मुश्किल 
ज्यादा दिन नहीं बीते जब अमित शाह अगले आम चुनाव में लोकसभा की 350 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय करते हुए नजर आ रहे थे. दरअसल 2014 और उसके बाद राज्यों में मिली चुनावी जीत,विपक्ष की खस्ता हालत, नरेंद्र मोदी के मुकाबले किसी चमत्कारी,मजबूत और फोकस रखने वाले नेता का अभाव ने भाजपा को अपने दूसरे कार्यकाल का यकीन दिला दिया था. इसलिये वर्तमान कार्यकाल में पूरा फोकस राज्यों में चुनाव जीतने या किसी भी तरह से सरकार बनाने पर रहा है. अब यह रणनीति एक चूक साबित हुई है.राजनीति एक लगातार बदलते रहने वाला खेल है जहाँ मौके आते-जाते रहे हैं. कोई भी ढिलाई बाजी पलट सकता है. यह कहना तो बहुत जल्दबाजी होगा कि बाजी पलट चुकी है, लेकिन सतह पर बेचैनी जरूर हैं, हवा का रुख कुछ बदला सा लग रहा है. सत्ता के शीर्ष पर बैठी तिकड़ी के चेहरे पर हताशा की बूंदें दिखाई पड़ने लगी हैं. मोदी तिलस्म की चमक फीकी पड़ी है, लहर थम चुकी है. अगर टूटती उम्मीदों,चिंताओं और निराशाओं को सही तरीके से दूर नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसका राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.  आज की तारीख में कोई सियासी नजूमी भी यह पेशगोई करने का खतरा मोल नहीं ले सकता कि 2019 में ऊंट किस करवट बैठेगा. जिंदगी की तरह सियासत में भी हालत बदलते देर नहीं लगती. 2013 से पहले कोई नहीं कह सकता था कि नरेंद्र मोदी भाजपा के केंद्र में आ जायेंगें.  राहुल गाँधी के बारे में भी यह जरूरी नहीं की वे हर बार असफल ही हों और कभी –कभी दूसरी की नाकामियां भी तो आपको कामयाब बना सकती हैं. 





liveaaryaavart dot com

जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

विशेष : महिलाओं की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य की बदहाली क्यों?

$
0
0
women-empowerment-and-women-helth
देश में अस्तित्व एवं अस्मिता की दृष्टि से ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से महिलाओं के हालात बदतर एवं चिन्तनीय है। देखा जा रहा है कि किसी भी क्षेत्र में तमाम महिला जागृति के कार्यक्रमों एवं सरकार की योजनाओं के बावजूद महिलाओं का शोषण होता है, उनके अधिकारों का हनन होता है, इज्जज लूटी जाती है और हत्या कर देना- मानो आम बात हो गयी है। यह हालात सुदूर अनपढ़ एवं अविकसित क्षेत्रों के नहीं बल्कि राजधानी दिल्ली के है और इस बात को पुष्ट करती है हाल में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने प्लान इंडिया की ओर से तैयार की गयी रिपोर्ट। यह रिपोर्ट चैंकाने वाली है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित राज्य गोवा है, जबकि देश की राजधानी को महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से खराब राज्यों में से एक है। बात सुरक्षा की ही नहीं है बल्कि स्वास्थ्य की भी है। आवश्यकता है साफ-सुथरी सोच की, साफ-सुथरे- कारगर निर्णय की एवं साफ-सुथरे न्याय की। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नया भारत निर्मित कर रहे हैं। लेकिन भारत अपने हाथों से महिलाओं की भाग्यलिपि में कौन-सा रंग भर रहा है, यह हमें आज पढ़ना है। भारत का सपना है आजाद देश में आजाद नारी। नारी का स्वतंत्र अस्तित्व एवं सार्वभौम अभ्युदय। भारतीय महिलाएं जिंदगी के सभी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। चाहे वह राजनीति का क्षेत्र हो या फिर शिक्षा, कला-संस्कृति अथवा आइटी या फिर मीडिया का क्षेत्र, सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने सफलता के झंडे गाड़े हैं। लेकिन सफलता के बीच बीतते कालखण्ड की कुछ घटनाओं ने उनके विनाश के चित्र भी उकेरे हंै, जो ज्यादा भयावह एवं चिन्ता का कारण है। तमाम सरकारी तथ्यों की सच्चाई को उजागर करती एक और रिपोर्ट महिलाओं की स्वास्थ्य की दिनोंदिन बिगड़ती दशा और दिशा को प्रस्तुत करती है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि एक तरफ आधे से ज्यादा महिलाएं अनेमिया यानी खून की कमी से पीड़ित हैं, दूसरी तरफ 22 फीसदी महिलाएं बीमारी की हद तक मोटापे का शिकार हैं। साल 2017 की ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट ने इन तथ्यों को उजागर करते हुए बताया है कि दुनिया में 15 से 49 साल की उम्र सीमा में सबसे ज्यादा अनीमिक महिलाएं भारत में ही हैं। इस रिपोर्ट की खासियत यह है कि यह पिछले साल मई महीने में जिनीवा में हुई वल्र्ड हेल्थ असेंबली में तय किए गए लक्ष्यों के बाद आई है और उनकी रोशनी में 140 देशों के हालात का जायजा लेती है। भारत की स्थिति ज्यादा चिंताजनक इसलिए मानी जा रही है क्योंकि लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के बजाय यहां पीछे की तरफ गति देखी जा रही है। पिछले साल की रिपोर्ट में यहां अनीमिक महिलाओं का प्रतिशत 48 था जो इस बार 51 हो गया है। इस मामले में सरकारी प्रयासों पर बारीकी से नजर रखनेवालों ने ठीक ही गौर किया है कि सरकार महिलाओं में कुपोषण की समस्या को पहचानने तो लगी है, लेकिन इसे नियंत्रित नहीं कर पा रही है, उसकी योजनाएं या तो कोरी कागजी है या फिर असरकारक नहीं है। अगर सरकार कुछ कारगर प्रयास कर पाती तो हालात पहले के मुकाबले और बदतर तो न होते। आखिर ये बुनियादी सवाल क्यों नहीं सरकार की नींद को उडा रहे हैं? क्यों नहीं सरकार की इन नाकामयाबियों की चर्चा प्रमुखता से की जाती? कब तक महिलाएं इस तरह कभी अस्मत को तो कभी स्वास्थ्य को चैपट होते हुए देखती रहेगी? 
women-empowerment-and-women-helth
भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 का लोकसभा चुनाव जिन मुद्दों पर लड़ा, उनमें महिला-सुरक्षा एवं स्वास्थ्य एक अहम मुद्दा था। भाजपा ने अपने मैनिफेस्टो में और प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में कई महिलाओं के खिलाफ हिंसा से जुड़े सभी कानूनों को सख्ती से लागू करने का संकल्प व्यक्त किया था। लेकिन लगता है जिस तत्परता से महिला-सुरक्षा एवं स्वास्थ्य-रक्षा को बल मिलना चाहिए, नहीं मिल रहा है। आए दिन होने वाले महिला अत्याचार, आक्रमण, नारी शोषण एवं अन्याय की संगीन बातें आंखे पढ़ती और देखती है, कान सुनते हैं, मन सोचता है नारी कब तक लीलती रहेगी, कब तक दोयम दर्जंे पर रहेगी और कब तक राजनीति का नारा बनती रहेगी? नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक बलात्कार के ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इससे ये समझा जा सकता है कि कड़े कानून ने महिलाओं को सामने आने और पुलिस में शिकायत करने का बल दिया है, यह बदलाव तो सुखद कहा जा सकता है। साथ ही कानून का दायरा बढ़ा है और पुलिस के लिए बलात्कार की हर शिकायत में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य हो गया है। लेकिन इसके साथ यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर भी बढ़ रही है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। एक दशक पहले हुए सर्वेक्षण में शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी 55.1 प्रतिशत थी जो अब बढ़ कर 68.4 तक पहुंच गयी है यानी शिक्षा के क्षेत्र में 13 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गयी है। बाल विवाह की दर में गिरावट को भी महिला स्वास्थ्य और शिक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कानूनन अपराध घोषित किये जाने और सरकारों के लगातार जागरूकता अभियानों के कारण इसमें कमी तो आयी है, लेकिन बाल विवाह का चलन खासकर गांवों में अब भी बरकरार है। सर्वेक्षण के अनुसार, सन् 2005-06 में 18 वर्ष से कम उम्र में शादी 47.4 प्रतिशत से घट कर 2015-16 में 28.8 रह गयी है। इसका सीधा लाभ महिला स्वास्थ्य पर भी पड़ा है। मोदी सरकार के मुहिम के कारण बैंकिंग व्यवस्था में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। शिक्षा और जागरूकता का सीधा संबंध घरेलू हिंसा से है। अब इन मामलों में भी कमी आयी है। रिपोर्ट के अनुसार वैवाहिक जीवन में हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 37.2 से घटकर 28.8 प्रतिशत रह गया है। यह सही है कि महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में प्रगति हुई है लेकिन अब भी यह नाकाफी है और इस क्षेत्र में व्यापक कार्य किया जाना बाकी है। भारत का संविधान भी सभी महिलाओं को बिना किसी भेदभाव के सामान अधिकार की गारंटी देता है। संविधान में राज्यों को महिलाओं और बच्चों के हित में विशेष प्रावधान बनाये जाने का अधिकार भी दिया है ताकि महिलाओं की गरिमा बरकरार रहे। लेकिन इन सबके बावजूद देश में महिलाओं की स्थिति अब भी मजबूत नहीं है। उनकी सुरक्षा को लेकर अक्सर चिंता जाहिर की जाती है. उन्हें निशाना बनाया जाता है, कानून के बावजूद कार्यस्थलों पर उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
महिलाओं से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है उनके काम का उचित मूल्यांकन न होना भी है। उनके लिये असमान वेतन है। इन्हें अपने काम के अनुरूप वेतन नहीं मिलता है। इनका न्यूनतम वेतन, काम के घंटे, छुट्टियां, कुछ भी निर्धारित नहीं है। दूसरी गंभीर समस्या अमानवीय व्यवहार है। कानूनन 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से घरेलू कामकाज नहीं कराया जा सकता है, लेकिन देश में ऐसे कानूनों की कोई परवाह नहीं करता। यह केवल किसी एक प्रान्त की बच्चियों की समस्या नहीं, पूरे देश की बेटियों और महिलाओं का यह दर्द है। लेकिन परिदृश्य ऐसा भी नहीं है जिसमें उम्मीद की कोई किरण नजर न आती हो. पिछले कुछ वर्षों में सरकारी कोशिशों और सामाजिक जागरूकता अभियानों के कारण महिलाओं की स्थिति में धीरे धीरे ही सही, मगर सुधार आया है। यह बदलाव शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक के आंकड़ों में दिखाई देता है। ‘हिम्मत’ नाम का ऐप शुरू किया जाना हो या निर्भया फण्ड का बनना - अच्छी बात है लेकिन इनके इस्तेमाल की योजना बनना और उसका क्रियान्वयन होना ज्यादा जरूरी है। कोरा फण्ड बनाने से क्या फायदा? देश में महिलाओं को लेकर असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। मान्य सिद्धान्त है कि आदर्श ऊपर से आते हैं, क्रांति नीचे से होती है। पर अब दोनों के अभाव में तीसरा विकल्प ‘औरत’ को ही ‘औरत’ के लिये जागना होगा।                                           


liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

MSU का आन्दोलन रंग लाया, छात्र संघ चुनाव पर विवि हुआ गंभीर

$
0
0
msu madhubani
मधुबनी , 15 नवंबर को मिथिला स्टूडेंट यूनियन के द्वारा 11 सूत्रीय माँग को लेकर विश्वविद्यालय में धरना व आंदोलन किया गया था जिसमे MSU की विभिन्न मांगे थी जिसमे एक माँग छात्र संघ के चुनाव को लेकर था जिसको विश्वविद्यालय प्रशासन ने बड़ी गंभीरता से लिया और सभी मांगो को अपने स्तर से पूर्ण करने के बाद  विश्वविद्यालय ने मांगो को राज्यपाल के समक्ष भेजा जिसपर राज्यपाल ने निर्देश पारित किया कि छात्र संघ का चुनाव 15 जनवरी से पहले किसी भी हाल में किया जाना चाहिए जिसको देखते संगठन के कार्यकर्ताओं में काफी खुशी की लहर है और इसकी तैयारी जोरशोर पर शुरू कर दिया गया है मिथिला स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ताओं द्वारा उक्त बात मिथिला स्टूडेंट यूनियन के जिला प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी शशि अजय झा ने अपने बयान में कहा है कि छात्र संघ के चुनाव को लेकर मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सेनानी में काफी खुशी की लहर है और छात्र संघ के चुनाव को लेकर हम जल्द नई रणनीति बनाएंगे। बैठक में जिला अध्य्क्ष राघवेंद्र रमण, जिला उपाद्यक्ष प्रवेश झा,जिला कॉलेज प्रभारी मनोहर झा,जिला प्रधान सचिव,सुजीत यादव,जिला कोषाध्यक्ष विकाश, जिला सोशल मीडिया प्रभारी,विजय घनश्याम,और सक्रिय कार्यकर्ता प्रियरंजन संग बहुत से सेनानी उपस्थित थे।।

धारा की दिशा बदलने का भगीरथ प्रयास : अनुज अग्रवाल

$
0
0
maulik-bharat
मौलिक भारत के ट्रस्टी और भारत सरकार के पूर्व सचिव डॉ कमल टावरी एक अद्भुत व्यक्तित्व हैं। बड़े जीवट के व्यक्ति डॉ टावरी अपनी प्रशासनिक सेवा के लंबे दौर में ग्रामीण विकास, कृषि, कुटीर उद्योगों , किसान, मजदूर और कामगारों से अधिक जुड़े रहे जो सिविल सेवा में एक अपवाद जैसा है। देश की दो तिहाई ग्रामीण आबादी को देश की मुख्यधारा में लाने के लिए अपने सेवानिवृत्त जीवन के पिछले एक दशक में उनकी कोशिशें और प्रयास भी उसी गति से जारी रहे किंतु कभी उनकी दिशा भटकी तो कभी सरकार का सहयोग नहीं मिला। लेकिन वो पूरे देश मे ऐसे लोगों का समूह बनाते रहे जो भारत की मिट्टी, संस्कृति और मौलिक जीवन धारा से जुड़े थे। मौलिक सोच और जमीनी काम वाले हजारों जुझारू लोगो का नेटवर्क अब उनके साथ है। हमारे काम और चिंतन से खासे प्रभावित तो वे बर्षों से थे पर पिछले दो बर्षो में वे डायलॉग इंडिया और मौलिक भारत से औपचारिक रूप से जुड़ गए। डायलॉग इंडिया की उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए की जाने वाली रैंकिंग से जब वे नजदीक से जुड़े तो उनको उच्च शिक्षा संस्थानों और ग्रामीण भारत के पुनरुत्थान के बीच एक कड़ी दिखी जिसकी उन्होंने कई बार मुझसे विस्तार से चर्चा की। उनकी दृष्टि और कार्ययोजना ने मुझे प्रभावित किया। पिछले एक बर्ष में उन्होंने अपने पूरे नेटवर्क को मथा और सभी से विस्तृत चर्चा कर ग्रामीण भारत के सम्पूर्ण काया पलट की कार्ययोजना बनायी। उन्होंने देश की पंचायतों, किसान नेताओं,लघु व मध्यम उद्योगों, बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जोड़कर मानव संसाधन मंत्रालय को अपनी कार्ययोजना समझायी। इसके बाद मंत्रालय की सहमति से हमने अपने साथ जुड़े संगठन इंडो यूरोपियन कंफेडरेशन ऑफ स्माल एन्ड मीडियम इंडस्ट्री का आल इंडिया कॉउन्सिल ऑफ टेक्निकल एडुकेशन के साथ एक समझौते को अंजाम दिया गया। मौलिक भारत, डायलॉग इंडिया और राष्ट्रीय पंचायत परिषद इसमें सहभागी बन गए और आगाज हुआ एक क्रांतिकारी पहल का।

जी हाँ, देश भर में एआईसीटीई से जुड़े दस हज़ार से भी अधिक तकनीकी संस्थान हैं जिनमें 80 लाख विद्यार्थी तकनीकी शिक्षा ले रहे हैं। इसके अलावा 3 करोड़ से अधिक एल्युमनी भी हैं। इनमें आधों को भी कारपोरेट और सरकारी क्षेत्र नोकरी नहीं दे पाते और देश मे शिक्षित बेरोजगारों की बाढ़ आई हुई है। एक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दशा बिगड़ी हुई है और दूसरी ओर शहर अत्यधिक जन दबाब में बिखर गए हैं। यह देश के लिए अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। देश की वर्तमान सरकार इस स्थिति को बदलना चाहती है। सरकार के समर्थन से देश के 6.5 लाख ग्रामो को तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं की फौज से जोड़ने के लिए एक संकल्प हम सबने मिलकर लिया। इसी संकल्प के तहत "विकसित गांव विकसित राष्ट्र"बिषय पर एआईसीटीई मुख्यालय में दो दिन की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमे हमने पिछले दो बर्षो के अपने अथक परिश्रम, देश भर के सेकड़ो दौरों, बैठकों से एकसूत्र में पिरोए गए पूरे देश से जमीनी काम करने वाले लोगों को दिल्ली में बुलाया ताकि वे एआईसीटीई के प्रबंधकों और विशेषज्ञों के सामने कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाबो के लिए किए गए सफल प्रयोगों का प्रस्तुतिकरण किया गया। सभी संबंधित केन्द्र सरकार के मंत्रालयों को भी बुलाया गया और सांसद आदर्श ग्राम योजना को आधार बनाकर आगे की कार्ययोजना बनाई गई।

इस आयोजन की निम्न उपलब्धि रहीं -
1) पूरे देश से लगभग 600 लोग इस आयोजन में अपने खर्चे पर आए। इनको आने जाने, रहने खाने का कोई खर्च नहीं दिया गया। यानि जमीनी काम करने और उसे आगे बढ़ाने वाले संस्थान, संस्था और लोगों को ही आमंत्रित किया गया।
2) लगभग 150 से अधिक सफल प्रयोगों को इस कांफ्रेंस में प्रदर्शित किया गया। अब इनको एक पोर्टल पर एक साथ उपलब्ध कराया जाएगा।
3) कांफ्रेंस की सफलता से प्रभावित होकर एआईसीटीई ने औपचारिक रूप से घोषणा कर दी कि शुरुआत में एक हज़ार और अगले दो से तीन बर्षो में पचास हज़ार तक गाँव अपने से संबद्ध संस्थानों को गोद मे लेने की कार्ययोजना बनाई है।
4) अब तकनीकी संस्थानों के लिए एक अवसर है जो गोद लिए गावों का सर्वे और मैपिंग कर कृषि, कुटीर उधोगों और व्यापार के नए अवसरों को तलाशे और गाँव के लोगो से अपने विद्यार्थियों को जोड़े। यह विन विन सिचुएशन जैसा होगा यानि शुभ लाभ जिसमें ग्रामीणों को भी अपनी कमाई बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की मदद मिलेगी और विशेषज्ञों को भी संबंधित क्षेत्र में नोकरी या अपना काम शुरू करने के अवसर। साथ ही सभी प्रकार की सरकारी एजेंसियों को ईस कार्य मे सहभागी बनने का स्पष्ट रोडमैप।
5) तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के माध्यम से रोजगार के नए अवसर सामने आ गए हैं, जिनसे उनके अनिश्चितता भरे भबिष्य के लिए नए अवसर खुल गए हैं। रोजगार न दे पाने के कारण बंद होते उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए यह पहल एक संजीवनी जैसी है। इसी कारण सरकार सभी स्तरों पर इस पहल को आगे बढ़ाने की इच्छुक है।
6) हम सभी समाजसेवियों के लिए यह अवसर है कि देश मे फैल हुए 40 हज़ार से भी अधिक उच्च शिक्षा संस्थानों को देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जोड़ने, संस्था के संचालकों और विद्यार्थियों को इस दिशा में प्रेरित और प्रशिक्षित करने के लिए ताकि अगले कुछ बर्षो में ग्रामीण भारत की आमदनी दोगुनी या अधिक हो सके और उसका ढांचागत विकास व्यवस्थित तरीके से हो सके।
मित्रों, ऐसे में जबकि सरकार की नीतियों में व्यवहार में कारपोरेट क्षेत्र को ही कृषि क्षेत्र की कीमत पर आगे बढ़ाने का खेल चलता रहा है, पहली बार हम सबके प्रयासों से औपचारिक और व्यवहारिक रूप से सरकार की नीतियों में 360 डिग्री का परिवर्तन आया है। अब हम सबकी कोशिश यही होनी चाहिए कि इसकी दिशा न बदले और गति तीव्र होती जाए। इस पहल का व्यापक बनाने के लिए 20 समाजसेवी लोगों ने अवैतनिक पूर्णकालिक रूप से समय देने का निर्णय लिया है। हम अगले तीन महीने पूरे देश को पुनः मथने जा रहे हैं और उसके बाद पुनः एक बार दिल्ली में एकत्र होंगे अपनी उपलब्धियों और कमियों की समीक्षा के लिए।

आलेख : “चीनी व्यापार के बदले स्वदेशी विकास”

$
0
0
भारत और चीन के बीच व्यापार संबंध मुख्य रिश्ते का आधार है. दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं दुनिया की बड़ी अर्थव्यस्थाओं में गिनी जाती हैं.दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते की शुरुआत साल 1978 में हुई,लेकिन साल 2000 में आपसी व्यापार केवल तीन अरब डॉलर का था, किन्तु अब यदि आंकड़ों पर नज़र डालें तो भारत और चीन के बीच कुल व्यापार वर्ष 2012-13 में चीन ने 35,791,414.74 लाख रूपये का और भारत ने 430,348,024.65 लाख रूपये का किया था. वही वर्ष 2013-14में चीन ने 39,979,604.66 लाख रूपये का तो भारत ने 462,044,499.60 लाख रूपये का, वर्ष 2014-15 में चीन ने 44,259,579.31 लाख रूपये का और भारत ने 463,343,499.59 लाख रूपये का, वर्ष 2015-16 में चीन ने 46,297,612.08 लाख रूपये का और भारत ने 420,667,612.70 लाख रपये का, वर्ष 2016-17 में चीन ने 47,933,964.06 लाख रूपये का और भारत ने 442,709,434.77 लाख रूपये का व्यापार किया था. चीन के साथ व्यापार भारत के हक़ में नहीं है.'बैलेंस ऑफ ट्रेड'भारत के पक्ष में नहीं है.क्योंकि भारत का व्यापार घाटा वर्ष 2012-13 में 103,484,366.72. लाख रूपये का, वर्ष 2013-14 में 81,042,281.88, लाख रूपये का,वर्ष  2014-15 में 84073,816.08 लाख रूपये लाख का, वर्ष 2015-16 में 77,392,003.54 लाख रूपये का, वही वर्ष 2016-17  में यह आंकड़ा 72,823,683.67 रूपये का व्यापार घाटा रहा, भारत के कुल व्यापारिक घाटे में से 44 प्रतिशत की घाटा अकेले चीन से हो रहा है.

इस समय हमारा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर चीन बना हुआ है.भारतीय बाज़ार चीन पर बहुत अधिक निर्भर है, साधारण भाषा में यदि भारत और चीन के व्यापार को देखे तो भारत प्रतिवर्ष लगभग 3556 अरब रूपये चीन को भेंट में देता है.यदि चीन के साथ अपना दोस्ताना सम्वन्ध होता तब भी इस तरह का व्यापार चिंतनीय और निंदनीय था, और चीन तो सदा भारत को दबोचने को कृतसंकल्पित है ऐसे में जहाँ सरकार स्वदेशी छोटे और मंझोले उद्योग के विकास के लिए त्वरित कदम उठाये वहीं भारतीय समाज और भारत के उद्योगपतिओं को भी इस दिशा में सोचना ही होंगा. चीन के बाद भारत का सबसे बड़ा आयात अमेरिका, सऊदी अरब और अमीरात से होता है. लेकिन चीन से होने वाला आयात इन तीनों देशों से होने वाले आयात से अधिक है. 

भारत चीन से जो चीजें आयात करता है उनमें मोबाइल, टीवी, चार्जर, मेमोरी कार्ड और म्‍यूजिक उपकरण सबसे अहम हैं. इसके अलावा बर्तन, ऑटो एसेसरीज, बिल्‍डिंग मैटीरियल, सेनेटरी आइटम, किचन आइटम, टाइल्‍स, मशीनें, इंजन, पंप, केमिकल, फर्टिलाइजर, आयरन एवं स्‍टील, प्‍लास्‍टिक, बोट और मेडिकल एक्‍यूपमेंट शामिल हैं. भारत में चीनी टेलिकॉम कंपनी 1999 से ही हैं और वे काफ़ी पैसा कमा रही हैं. भारतीय सोलर मार्केट चीनी उत्पाद पर निर्भर है. इसका दो बिलियन डॉलर का व्यापार है. भारत का थर्मल पावर भी चीनियों पर ही निर्भर हैं. पावर सेक्टर के 70 से 80 फीसदी उत्पाद चीन से आते हैं. मेडिसिन के रॉ मटीरियल का आयात भी भारत चीन से ही करता है. इस मामले में भी भारत पूरी तरह से चीन पर निर्भर है. पिछले चार दशक में पश्चिमी तकनीक को चीन ने कॉपी किया और सस्ते में सामान बना बेचता है. 

गुजरात सरकार ने 2010 में नर्मदा नदी के किनारे सरदार बल्लभ भाई पटेल जी की 182 मीटर ऊंची मूर्ति लगाने के मंजूरी दी थी. इस प्रोजेक्ट को वर्तमान सरकार बनने के बाद वर्ष 2014 मे चीन के सुपुर्द कर दिया गया. गौरतलब है कि चीन की जियांगजी टॉन्गकिंग कंपनी अब 2,898 करोड़ रुपये की लागत से इस मूर्ति का निर्माण किया और इस मूर्ति पर भी मेड इन चाइना की मुहर लगी है . भारत-चीन व्यापार के आंकड़ों को देखें तो साफ है कि चीन की भारत में पैठ पटाखों से कहीं ज्यादा गहरी है. चीन से पटाखों का आयात 10 लाख डॉलर का भी नहीं होगा. विदेश व्यापार के आंकड़ों के मुताबिक, चीन से भारत का सबसे बड़ा आयात इलेक्ट्रॉनिक्स (20 अरब डॉलर), न्यूक्लियर रिएक्टर और मशीनरी (10.5 अरब डॉलर), केमिकल्स (6 अरब डॉलर), फर्टिलाइजर्स (3.2 अरब डॉलर), स्टील (2.3 अरब डॉलर) का है. चीन 21वीं सदी की महाशक्ति में रूप में उभर रहा है साथ ही वह खुद को जिम्मेदार अर्थव्यवस्था दिखाने की कोशिश करता है.चीन में कुशल श्रमिकों को नौकरियां ट्रेनिंग के बाद मिलती है. इस कारण उनका सामान हम से बेहतर होता है. भारत में कोई भी बढ़ई बन सकता है कोई भी सुनार बन सकता है. वर्तमान सरकार की स्किल डेवलपमेंट कार्यकर्म इस दिशा में साकारात्मक रोल अदा कर सकती बशर्ते उसे इमानदारी से जमीनी स्तर पर उतारा जाय. केंद्र सरकार का “मेक इन इंडिया” अभियान चीन के मुकाबले बढ़ रही उत्पादन की इसी खाई को पाटने के उद्देश्य से लाया गया है ताकि भारत को उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के मामले में शीर्ष स्थल के रूप में गढ़ा जा सके और भारतीय में स्वदेशी भाव का जागरण और विकास हो सके.

आज भारत चीन के लिए उभरता हुआ बाज़ार है. इस बाज़ार की चीन उपेक्षा नहीं कर सकता है. चीन के महाशक्ति बनने के सपने को 'वन बेल्ट वन रोड'के जरिए समझा जा सकता है. इसके जरिए चीन आर्थिक तरीके से दुनिया पर राज करने का प्लान बना रहा है .चीन ने अपने यहाँ शोध और हिन्दी पढ़ने पर ज़ोर दिया है और हिन्दी के ज़रिए वह भारत और भारतीय समाज को भी समझ रहा है. चीन की 15 यूनिवर्सिटी में हिन्दी पढ़ाई जा रही है जबकि भारत की इक्के-दुक्के यूनिवर्सिटी में ही चीनी भाषा पढ़ाई जाती है और हमारे कितने यूनिवर्सिटी शोध के प्रति जागरूक है यह सर्वविदित है .भारत का मुंबई के पास जो नवशेरा पोर्ट है उसकी क्षमता महज़ तीन मिलियन टन की है. वहीं शंघाई पोर्ट की 33 मिलयन टन कंटेनर की क्षमता है. दोनों की क्षमता में भारी फ़र्क है और इसी से पता चलता है कि हम चीन के सामने कहां हैं.

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चीनी वस्तुओ का बहिष्कार और स्वदेशी कंपनियों का सत्कार है ताकि मेक इन इंडिया को सफल बनाया जा सके. आधुनिकतम तकनीक और शोध को अपनाकर भारत भी मैन्युफैक्चरिंग हब बन सके और विदेश से निर्यात में कमी लाकर आयात में इजाफा किया जा सके. भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान देकर ही व्यापार घाटे को पाट सकेगा और सही मायने में अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन आएंगे. चुनौती यह है कि पिछले दस से पंद्रह वर्षों के बीच बाकी देशों ने प्रतिस्पर्धा में खुद को इस हद तक सुधारा है कि भारतीय कंपनियां न तो मूल्य में और न ही गुणवत्ता में उनका मुकाबला कर सकती हैं.भारतीय उत्पादन क्षेत्र की समस्या बहुत गहरी है और इसे तुरंत में दुरुस्त नहीं किया जा सकता. वे कहते हैं,इसके अलावा एक नेहरूवियन विरासत भी है जो भारतीय उधोग को पर्तिस्पर्धा के बजाय सरकारी संरक्षण की खैरात पर जीने को सिखा रखा है इससे निजात पाना कठिन है.भारत केबल उपभोक्ता और खरीददार बना रहे यह नेहरूवियन सोच की पराकष्ठ थी.हमे चीनी वस्तुओ के प्रति अपनी सोच को देश हित के लिए कठोरता से बदलना ही होगा क्योंकि यदि समय रहते हम नही इस ड्रैगन के चाल को समझे तो भारत एकबार फिर विदेशी शक्तिओं के आर्थिक अधीनता के कैद में होगी.
            

liveaaryaavart dot com

--संजय कु. आज़ाद---
 निवारनपुर,रांची-834002 
फोन-09431162589 
इमेल- azad4sk@gmail.com 

बिहार : जीवा के कार्यकर्ताओं द्वारा स्वच्छता अभियान जारी

$
0
0
swachhata-abhiyan-mokama
मोकामा(पटना). आदर्श मध्य विघालय है मरांची दक्षिणी  ग्राम पंचायत में. हजारों की संख्या में बच्चे-बच्चियां पढ़ते हैं.19 गुरूजी हैं,  इनमें से 4 गुरूजी बीएलओ हैं. ये चारों गुरूजी फील्ड में ही रहते हैं. यहां गुरूजी के अनुसार पाठ्य पुस्तक का वितरण नहीं किया गया है.जो ओल्डस बुक थी कुछ विघार्थियों के बीच वितरित है, अन्य इंतजार कर रहे हैं. कायदे से अप्रैल में ही पाठ्य पुस्तक वितरित हो जानी थी.8 माह के बाद भी वितरित नहीं हुई. इस अभाव वाले स्कूल में ग्लोबल इंटरफेथ वॉश अलायंस जीवा के कार्यकर्ता सुबोध कुमार साव ने  स्वच्छता अभियान के बारे में विशेष जानकारी दी.विभिन्न कक्षाओं की 100 से अधिक लड़कियां उपस्थित थीं। जीवा के कार्यकर्ता ने जानना चाहा कि कितने लोग हैं जो शौचक्रिया के पूर्व ही हाथ धोते हैं? इस सवाल के उलझन में 25 प्रतिशत उलझ गये. यह बताया गया कि अव्वल सवाल को सुनो,समझो तब जाकर बोलो.ऐसा करने से सवालों के उलझन से बचा जा सकता है.तब सही और सटीक जवाब दे पायेंगे.हाथ साबुन,सर्फ या राख से साफ करेंगे.मिट्टी से हाथ करने पर जीवाणु को साथ ही रखते है.खुले में शौच नहीं करें. ऐसा करने से मक्खियों का राज आता है.पैखाना के साथ मक्खियां साथ में अंडे,बैक्ट्रियां और वायरस लाकर खाना पर बैठकर भोजन दुर्षित कर देता है.उसे खाकर बीमार पड़ते हैं और कृमि को पेट में जमा कर लेते हैं. अधिक कृमि होने पर मुख,मलद्वार और नाक के द्वारा बाहर निकलता है. मुख,मलद्वार और नाक से नहीं निकलने पर कृमि खतरनाक बनकर नस के द्वारा सिर पर चढ़ जाता है.इसके बाद मौत की संभावना बढ़ जाती है. बता दें कि उतराखंड में स्थित ऋषिकेश से स्वच्छता क्रांति रथ से स्वच्छ भारत मिशन व लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान को बेहतर ढंग से क्रियान्वित हो और लोगों का व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए वॉश ऑन  व्हील अभियान संचालित है. इस तरह के अभियान को हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई सहित अन्य धर्मों के धर्मगुरूओं का आर्शीवाद प्राप्त है. स्वामी चिदानंद सरस्वती का मार्गदर्शन मिल रहा है.  

द अफ्रीका की डेमी-लाई नेल पीटर्स बनी मिस यूनिवर्स

$
0
0
s-africa-demi-lie-nell-peters-miss-universe
लास वेगस, 27 नवंबर, महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने वाली दक्षिण अफ्रीका की डेमी-लाई नेल पीटर्स वर्ष 2017 की मिस यूनिवर्स (ब्रह्मांड सुंदरी) बनी हैं। भारत की तरफ से चेन्नई की श्रद्धा शशिधर खिताब की दौड़ में थीं, लेक‍िन वह टॉप 10 में भी जगह नहीं बना सकीं। इस प्रतियोगिता में 92 देशों की सुंदरियों ने हिस्सा ल‍िया था। भारत की सुंदरियां अब तक केवल दो बार ही यह खिताब हासिल कर सकी हैं । सुष्मिता सेन वर्ष 1994 और लारा दत्ता वर्ष 2000 में मिस यूनिवर्स बनी थीं। म‍िस यूनिवर्स 2017 के फाइनल राउंड में दक्षिण अफ्रीका, जमैका और कोलंबिया की प्रतिभागी पहुंची। टॉप 10 फाइनलिस्ट में अमेरिका, वेनेजुएला, फिलीपींस, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, ब्राजील, थाइलैंड, जमैका और कोलंबिया की प्रतियोंगियों को जगह मिली। अमेरिका आठ, वेनेजुएला सात और प्यूर्टो रिको छह बार यह खिताब जीत चुका है। मिस वर्ल्ड, मिस इंटरनेशनल और मिस अर्थ समेत यह दुनिया की चार बड़ी सौंदर्य प्रतियोगिताओं में से एक है। इस प्रतियोगिता की शुरुआत 1952 में हुई थी और तब फिनलैंड की आर्मी कुसेला विजेता बनी थीं।

भारत ने श्रीलंका को पारी और 239 रन से रौंदा

$
0
0
india-sri-lanka-won-innings-by-239-runs
नागपुर, 27 नवंबर, स्पिनरों और तेज़ गेंदबाज़ों के दमदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने श्रीलंकाई क्रिकेट टीम को दूसरे क्रिकेट टेस्ट के चौथे ही दिन सोमवार को लंच के कुछ देर बाद 166 रन के मामूली स्कोर पर समेटते हुये मैच में पारी और 239 रन से धमाकेदार जीत अपने नाम कर ली। इसी के साथ मेजबान टीम ने तीन मैचों की सीरीज़ में 1-0 की महत्वपूर्ण बढ़त भी हासिल कर ली है। भारत ने इस तरह अपने टेस्ट इतिहास की सबसे बड़ी जीत की बराबरी भी कर ली है। भारत ने इससे पहले मई 2007 में बंगलादेश को ढाका में पारी और 239 रन से हराया था और अब उसने श्रीलंका को भी पारी और 239 रन से हराकर अपने ही रिकार्ड की बराबरी कर ली है। कोलकाता में ड्रा हुये पहले ईडन टेस्ट की गलतियों से सबक लेते हुये दुनिया की नंबर एक टीम भारत ने इस मैच में शुरूआत से ही अपना नियंत्रण बनाये रखा। ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने लाहिरू गमागे(शून्य) का आखिरी विकेट लेकर न सिर्फ श्रीलंकाई पारी काे समेटा बल्कि इसी के साथ टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज़ 300 विकेट की उपलब्धि भी अपने नाम कर ली। अश्विन ने मैच में कुल आठ विकेट लिये। श्रीलंका के खिलाफ कप्तान विराट कोहली के दोहरे शतक सहित चार शतकों से सजी अपनी पहली पारी में छह विकेट पर 610 रन बना पारी घोषित करने वाली टीम इंडिया ने श्रीलंका की दूसरी पारी चौथे ही दिन लंच के कुछ देर बाद 49.3 अोवर में 166 रन पर समेटते हुये पारी और 239 रन से जीत अपने नाम की।

कश्मीर में कर्फ्यू जैसी पाबंदियां

$
0
0
curfew-like-restrictions-in-downtown-sek-in-srinagar
श्रीनगर, 27 नवंबर, जम्मू-कश्मीर में बंदियों के साथ दुर्व्यवहार किये जाने के आरोपों को लेकर अलगाववादियों की हड़ताल के आह्वान के बाद श्रीनगर के पुराने इलाके, शहर-ए-खास और सिविल लाइन्स में आज सुबह से ही कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लागू की गयीं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट ने शनिवार को श्रीनगर के शहर-ए-खास और पुराने इलाके में खानयार, नौहट्टा, सफाकदल, एमआर गंज और रैनावाड़ी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाकों में धारा 144 के अंतर्गत पाबंदियां लगायी थी। उन्होंने कहा,“ पुराने शहर के करालखुद और सिविल लाइन्स के मैसुमा में आंशिक पाबंदियां लगायी गयी हैं।”सुरक्षा कारणों से शहर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को फिर बंद कर दिया गया है। यहां पर किसी भी तरह के प्रदर्शन को रोकने के लिए राज्य पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया गया है। राज्य के अंदर और बाहर जेलों में बंद कश्मीरियों के साथ कथित दुर्व्यवहार के खिलाफ अलगाववादियों की हड़ताल के आह्वान के बाद घाटी में एहतियातन सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहे और रेल सेवा बाधित रहीं।

लालू-मांझी की सुरक्षा में कटौती पर बिहार में राजनीति शुरू

$
0
0
reduction-of-lalu-manjhi-s-security-aggrevates-politics-in-bihar
पटना, 27 नवम्बर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की सुरक्षा में कटौती करने के केन्द्र सरकार के फैसले से बिहार में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव ने आज यहां विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि उनके पिता की हत्या की साजिश हो रही है और इसी के कारण उनकी सुरक्षा में कटौती की गयी है। साजिश करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा। पूर्व मंत्री तेजप्रताप इतने पर ही नहीं रूके और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी भी कर दी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा में कटौती के बाद कुछ अनहोनी हुई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वह खाल उधेड़वा लेंगे। जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने तेजप्रताप यादव के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के बारे में इस तरह की टिप्पणी करना काफी गलत है। दरअसल सत्ता से बाहर होने के बाद से लालू परिवार हताश है और इसी के कारण उस परिवार के सदस्य आये दिन अनर्गल बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले तेज प्रताप यादव ने उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को घर में घुसकर मारने की धमकी दी थी।

उत्पीड़न के खिलाफ कानून संबंधी याचिका की सुनवाई से इन्कार

$
0
0
sc-rejects-plea-seeking-law-against-harassment-in-custody
नयी दिल्ली, 27 नवम्बर, उच्चतम न्यायालय ने पुलिस हिरासत में आरोपियों के उत्पीड़न के खिलाफ सख्त नियम बनाने संबंधी याचिका की सुनवाई से आज इन्कार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि कानून बनाना उसका काम नहीं है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि कानून बनाना संसद का काम है और वह इसके लिए संसद को आदेश नहीं दे सकते। केंद्र सरकार ने, हालांकि दलील दी कि हिरासत में उत्पीड़न पर रोक के संबंध में विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसपर विचार हो रहा है। श्री कुमार ने याचिका दायर करके हिरासत में उत्पीड़न के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत कानून का केंद्र सरकार को निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया था।  गौरतलब है कि विधि आयोग ने हिरासत में उत्पीड़न के खिलाफ विधेयक बनाने को लेकर अपनी सिफारिशें कानून मंत्रालय को सौंप दी है।

समझ नहीं आता कांग्रेस हाफिज सईद के छूटने पर क्यों ताली बजा रही है : मोदी

$
0
0
do-not-understand-why-congress-is-clapping-on-the-release-of-hafiz-saeed-modi
भुज, 27 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस और इसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर चौतरफा हमला बोलते हुए आज कहा कि उन्हें यह समझ में नहीं आता कि पाकिस्तानी जेल से आतंकवादी हाफिज सईद के छूटने पर वे किस लिए ताली बजा रहे हैं। उन्होंने डोकलाम मुद्दे और सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भी सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस पर प्रहार किया। श्री मोदी ने अपने गृहराज्य गुजरात में चुनाव अभियान की विधिवत शुरूआत करते हुए कच्छ के जिला मुख्यायल भुज के लालन मैदान में पहली चुनावी सभा में नोटबंदी,जीएसटी, गुजरात के प्रति कांग्रेस के कथित भेदभावपूर्ण रवैये जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर भी विपक्षी दल पर हमला बोला। श्री गांधी की सईद की रिहाई पर हाल में प्रधानमंत्री को लक्षित कर की गयी ट्विट तथा डोकलाम मुद्दों के समय उनकी (श्री गांधी की) चीनी राजदूत से मुलाकात और सर्जिकल स्ट्राइक के समय सबूत मांगने की ओर इशारा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अभी पाकिस्तान में वहां की अदालत के अादेश पर आतंकवादी हाफिज सईद छूट गया। उन्हें यह समझ में नहीं आता कि कांग्रेस किसलिए ताली बजा रही है। पर अब समझ में आता है कि जब सेना के जवान देश की आन-बान-शान के लिए डोकलाम मेें शून्य से नीचे के तापमान पर लगातार 70 दिन तक चीनी सेना से आंख में आंख मिला कर डटे थे तो आप चीनी राजदूत को गले क्यों लगा रहे थे। यह किसके लाभ के लिए था। मै सवाल पूछता हूं।

श्री मोदी ने कहा कि मुंबई में 26/11 में आतंकी हमला हुआ था और बाद में उरी में भी ऐसा हमला हुआ था। सरकार-सरकार और नेता-नेता में फर्क क्या होता है, यह इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि उरी के हमले के बाद हमारे जवानों ने आतंकियों को उनके घर में घुस कर मारा। एक प्रमुख अखबार ने इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद ट्रकों में भर कर शव ले जाने की बात छापी थी पर गरीबों के घर में भोजन का नाटक कर फोटो छपवाने वाले लोग इसका वीडियो या फोटो मांग रहे थे। क्या सेना वहां फिल्म बनाने गयी थी। हाफिज सईद के छूटने तथा चीनी राजदूत से मिलने में मजा लेने वाले इन लोगों को कम से कम शहीद जवानों को ख्याल रखते हुए चुप रहना चाहिए था। सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले फिल्म बनाने नहीं गये थे। गुजरात चुनाव में कांग्रेस की ओर से जोर शोर से उठाये जा रहे नोटबंदी के मुद्दे पर भी उन्होंने कांग्रेस पर हमला किया और कहा कि जिसने देश तबाह किया, लूट ही जिनका इतिहास है, उनकी तकलीफ नोटबंदी के एक साल बाद भी इस तरह बनी हुई है जैसे किसी परिवार का इकलौता कमाऊ बेटा गुजर गया हो। वे ऐसे रो रहे हैं जैसे उनका सबकुछ चला गया हो, मोदी ने सब कुछ गिरा दिया हो। जीएसटी को लेकर कांग्रेस शासित देशों के वित्त मंत्री इसकी काउंसिल की बैठक में भीतर तो हर मुद्दे पर सहमत होते हैं पर बाहर आकर विरोध जताते हैं। सरकार इस व्यवस्था में बिना किसी अहंकार के व्यापारियों की जरूरत और सुविधा के हिसाब से बदलाव जारी रखेगी। दिल्ली की सरकार कुर्सी के लिए नहीं है।

श्री मोदी ने कहा कि वह गुजरात चुनाव के दौरान कीचड़ उछालने वालों के आभारी हैं क्योंकि इससे कमल खिलना आसान हो गया है। गुजरात का चुनाव विकास के विश्वास और वंशवाद के बीच है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को गुजरात ने कभी स्वीकार नहीं किया क्योंकि इसने सरदार पटेल के जमाने से ही राज्य से वैर भाव रख इसे पीछे धकेलने का प्रयास किया था। प्रदेश इसे कभी माफ नहीं करेगा। कांग्रेस के कार्यालय से महागुजरात आंदोलन के समय गुजरात की मांग करने वालों पर गोलियों की बौछार की गयी थी। उन्होंने भावुक अपील करते हुए कहा कि गुजरात उनकी मां हैं तथा यह सार्वनजिक जीवन में बिना किसी दाग वाले अपने इस बेटे के प्रति इसकी धरती से अनाप शनाप झूठा आरोप लगाने का हिम्मत करने वालों को माफ नहीं करेगी। अब वक्त बदल गया है और पहले सरदार पटेल के साथ हुए अन्याय को उदारता पूर्वक सह जाने वाला गुजरात अब अपने किसी बेटे का ऐसा अपमान सहन नहीं करेगा।

‘अस्वस्थ मानसिकता’ के शिकार हैं मोदी: कांग्रेस

$
0
0
modi-a-victim-of-sick-mentality-congress
नयी दिल्ली, 27 नवंबर, कांग्रेस ने पार्टी में वंशवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आज कहा कि प्रधानमंत्री ‘अस्वस्थ मानसिकता’ के कारण गलत बयानी कर रहे हैं और उनकी यह स्थिति राष्ट्रीय चिंता का विषय है।  कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यहां संवाददाताओं से आरोप लगाया कि श्री मोदी गुजरात में जो कुछ बोल रहे हैं वह तथ्यों पर आधारित नहीं है और बौखलाहट तथा घबराहट में गलत बयानी कर मतदाताओं काे गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। श्री मोदी प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों की उपलब्धियों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि देश में जो कुछ हो रहा है सिर्फ उनके सत्ता में आने के बाद हुआ है। श्री शर्मा ने कहा कि यदि श्री मोदी को लगता है कि देश ने उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद ही सबकुछ हुआ है पहले की कोई उपलब्धि उन्हें नजर नहीं आती है तो यह श्री मोदी के ‘अस्वस्थ मानसिकता’ का शिकार होने का लक्षण हैं और उनका इस मानसिकता में पहुंचाना राष्ट्रीय चिंता का विषय है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस का कर्तव्य है कि वह उन्हें बताए कि श्री मोदी का ऐसा सोचना गलत है। प्रवक्ता ने कहा कि श्री मोदी कहते हैं कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने महा गुजरात आंदोलन के बाद भाषायी आधार पर राज्यों के गठन को मंजूरी दी थी और उसके बाद ही एक मई 1960 को गुजरात राज्य का गठन हुआ था। पंडित नेहरू तथा कांग्रेस के कारण ही गांधीनगर की स्थापना हुई और कांग्रेस ने ही थी। पंडित नेहरू के कारण ही अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान(आईआईएम), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी) और राज्य में राष्ट्रीय फिल्म संस्थान तथा केंद्रीय विश्व विद्यालयों की स्थापना हुई है।

मधुबनी : राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक का आयोजन

$
0
0
madhubani-dm-took-meeting
मधुबनी, 27 नवंबर, जिला पदाधिकारी, मधुबनी की अध्यक्षता में सोमवार को समाहरणालय सभाकक्ष मे राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक मे जिला पदाधिकारी द्वारा भूमि सुधार उप समाहर्ता ,सदर, मधुबनी को रहिका और पंडौल प्रखंड के जमाबंदी कम्प्यूटराईजेशन एवं सत्यापन की निगरानी करने का निर्देश दिया। तथा सभी अंचल अधिकारी को प्रत्येक पंचायत में कैंप लगाकर कम्प्यूटराईजेशन कार्य का सत्यापन करने का निदेष दिया। उन्होने सभी भूमि सुधार उपसमाहर्ता को कैंप में बराबर जाकर सत्यापन कार्य की निगरानी करने का निदेष दिया। जिला पदाधिकारी द्वारा सभी अंचल अधिकारी के अनुरोध पर लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान से अलग रखने का निदेष दिया गया। तथा राजस्व कर्मचारी और अंचल निरीक्षक को भी इस ंअभियान से अलग रखने का निदेष दिया। उन्होने कहा कि अंचल अधिकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी के साथ समन्वय स्थापित कर जमाबंदी सत्यापन का कैंप लगने वाले पंचायत मे ही स्वच्छता से संबंधित प्रचार-प्रसार भी करें। जिला पदाधिकारी द्वारा अंचल अधिकारी से पर्चा बांटने, सरकारी योजनाओं से संबंधित भवन निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराये जाने आदि कार्यों की भी समीक्षा की गयी। उन्होनें झंझारपुर अंचल अधिकारी को सरकारी जमीन को चिन्हित करने एवं उसकी बिस्तृत जानकारी  देने का निदेष दिया। अंचल अधिकारी,पंडौल को एन0एच0 से सटे लगभग 2 एकड़ के प्लांट सरकारी/लीज पर शीघ्र उपलब्ध कराने का निदेष दिया। जिला पदाधिकारी द्वारा सभी अंचल अधिकारी को प्रत्येक माह में कम-से-कम एक या दो अतिक्रमण के मामले में निष्चित रूप से कार्रवाई करने का निदेष दिया। इसके लिए प्रत्येक सप्ताह के शनिवार को थाना दिवस मनाने एवं एवं बड़े अतिक्रमण के मामले में थानाध्यक्ष से समन्वय बनाकर कार्रवाई करने का निदेष दिया गया।

जिला पदाधिकारी द्वारा सभी अंचल अधिकारी को अपने-अपने अंचल क्षेत्र के सरकारी जमीन का विस्तृत ब्योरा मौजाबार भूमि सुधार उप समाहत्र्ता के माध्यम से देने का निदेष दिया। जिला पदाधिकारी द्वारा लोक सेवाओं के अधिकार के तहत आर0टी0पी0एस0 काउंटर से मिलने वाले सेवाओं दाखिल-खारिज, एल0पी0सी, जाति,आय, आवासीय, ओ0बी0सी0 आदि कार्याे के प्रगति की समीक्षा की गयी। जिसमें मधेपुर में दाखिल-खारिज के 125 एवं रहिका के 105 लंबित मामले को देख कर नाराजगी व्यक्त किये। जिला पदाधिकारी द्वारा सभी अंचल अधिकारी को कार्यालय में पदस्थापित और रिक्त कर्मियों का प्रतिवेदन देने का निदेष दिया। बैठक में श्री दुर्गानदं झा, अपर समाहत्र्ता, मधुबनी, श्री सत्यप्रकाष, वरीय उपसमाहत्र्ता, मधुबनी एवं सभी भूमि सुधार उपसमाहत्र्ता और अंचल अधिकारी उपस्थित थे।

भावी प्रौद्योगिकी विकास के लिए अनुसंधान

$
0
0
industrial-development-experiment
कोलकाता, 27 नवम्बर, आईआईटी खड़गपुर संकाय ने रोचेस्टर विश्वविद्यालय और आईसीटीएस, बेंगलुरू के सहयोग से किये एक शोध में भावी प्रौद्योगिकी विकास के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। आईआईटी खड़गपुर ने इसे एक महत्वपूर्ण अनुसंधान बताते हुए आज एक बयान में कहा कि इसने बड़ी मात्रा में उपकरणों के विकास के लिए संभावनाओं को खोल दिया है। वर्ष 2016 में आईआईटी केजीपी में भौतिकी विभाग में शामिल हुई प्रोफेसर सजल धारा ने अपने सहयोगियों के साथ पोलारिटोन्स के कई नकारात्मक कणों की खोज की जो आधे प्रकाश और आधे पदार्थ से बने हैं। बयान के अनुसार रोचेस्टर विश्वविद्यालय में अपने सहयोगियों के साथ प्रो.धारा ने और आईसीटीएस (इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरिटकल साइंस) ने इस तरह के कणों में ऐसी नई खोज की जिससे भावी प्रौद्योगिकी विकास की ओर आगे बढ़ने में काफी मदद मिलेगी। यह अनुसंधान ‘नेचर फिजिक्स’ के अक्तूबर 2017 के अंक में छपा है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 27 नवम्बर

$
0
0
मुख्यमंत्री स्वरोजगार एवं कौशल सम्मेलन में लाभांवित हुए हितग्राही 
  • स्वरूचि अनुरूप व्यवसाय का चयन करें-राज्यमंत्री श्री मीणा

vidisha news
मुख्यमंत्री स्वरोजगार एवं कौशल का आज जिला स्तरीय सम्मेलन एसएटीआई के प्रागंण में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम स्थल पर विकास कार्यो का लोकार्पण एवं भूमिपूजन तथा स्वरोजगारमूलक योजना से लाभांवित हितग्राहियों को मौके पर राशियों के चेक एवं सामग्री का वितरण अतिथियों द्वारा किया गया।राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा ने अपने उद्बोधन में युवाओं से कहा कि वे स्वरूचि अनुरूप व्यवसाय का संचालन करें। शासन की योजनाओं के तहत निःशुल्क प्रशिक्षण मुहैया कराया जा रहा है वही हितग्राहियोें को अनुदान पर व्यवसाय संचालन हेतु बैंकोे के माध्यम से लोन उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्यमंत्री श्री मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने प्रदेश में युवाओं के लिए पढ़ाई की व्यवस्था की। प्रदेश में युवाजन बेरोजगार ना रहें इसके लिए शासकीय विभागोेें में नौकरियों के साथ-साथ स्वरोजगारमूलक योजनाओं का क्रियान्वयन कराया जा रहा है ताकि युवाजन स्वंय सक्षम होकर अन्य को रोजगार देने में अपना योगदान देें सकें। जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी ने प्रदेश में क्रियान्वित स्वरोजगारमूलक योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि युवाओं की दशा और दिशा बदलने में योजनाओं का अतुलनीय योगदान है। विधायक श्री कल्याण सिंह ठाकुर ने युवाओं से आग्रह किया कि वे योजनाओं का लाभ लेने के लिए आगे आएं। बैंको के माध्यम से मिलने वाले लोन की किश्तो को समय पर जमा कर बैंक के विश्वास पर खरे उतरे। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों की मांगो के अनुरूप स्वरोजगार का संचालन युवाजन करें का आग्रह किया। नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टण्डन ने कहा कि परिवार आर्थिक रूप से सबल हो सकें। घर के युवाजन बेरोजगारी के दाग को ना ढोंये। इसमें स्वरोजगारमूलक योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि देश के अनेक उद्योगपति व्यवसायी पहले मजदूरी कर अपना व्यवसाय का संचालन करना शुरू किया। बैंको के माध्यम से लोन प्राप्त कर व्यवसाय का बढाते गए और आज की तिथि में देश ही नही वरन विश्व के उद्योगपतियों में उनकी गणना हो रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने प्रदेश के युवाजनों को स्वंय का व्यवसाय संचालन कर रोजगारमुखी होने के लिए अनेक योजनाओं का सूत्रपात किया है। बैंको कके माध्यम से सुगमता से स्वरोजगार संचालन हेतु ऋण मिल सकें के भी प्रबंध सुनिश्चित किए है। काॅ-आपरेटिव बैंक के अध्यक्ष श्री श्यामसुन्दर शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चैहान ने युवाओं के विकास का जो संकल्प लिया है उसमें युवाओं की भी महती भूमिका है। शासन की स्वरोजगारमूलक योजनाओं की पहले जानकारी प्राप्त करें इसके पश्चात कौन सा व्यवसाय उनकी रूचि अनुसार है उसका प्रकरण योजना के अंतर्गत तैयार कराएं ताकि बैंको के माध्यम से सुगमतापूर्वक लोन स्वीकृत हो सकें। उन्होंने बैंकी की किश्त जमा करने पर भी बल दिया। जिला स्तरीय दीनदयाल अन्त्योदय समिति के उपाध्यक्ष श्री मनोज कटारे ने कहा कि शासकीय विभागोें में नौकरियां सीमित है किन्तु स्वरोजगार के क्षेत्र मेें अपार संभावना है। शासन जहां योजनाओं के तहत पहले प्रशिक्षण मुहैया कराता है फिर व्यवसाय के अनुरूप प्रकरण तैयार कर बैंको के माध्यम से लोन दिलाने का कार्य करता है जिसमें अनुदान भी शामिल है। इसके पश्चात युवाओं की महत्वपूर्ण जबावदारी है कि वे स्वरोजगार के क्षेत्र में स्वंय स्थापित हो और अन्य को रोजगार मिल सकंें ऐसा प्रयास करें। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने कहा कि जिले के विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में इस वर्ष अब तक 11 हजार युवाओं का पंजीयन कर उन्हें प्रशिक्षण मुहैया कराया गया है। विभिन्न योजनाओें के तहत उन्हें स्वरोजगारों से जोड़ा जा रहा है। आज के जिला स्तरीय उक्त सम्मेलन में 11 निजी कंपनियों के स्टाॅल भी कंपनियों के विभिन्न पदो की पूति हेतु लगाए गए है जिन पर 508 युवाओं के द्वारा पंजीयन कराया गया है कंपनियों के द्वारा 238 युवाओं का चयन किया गया है। सम्मेलन के दौरान युवाओं को काउंसलिंग टीम के द्वारा कैरियर मार्गदर्शन मुहैया कराया गया है वही विभिन्न विभागों के द्वारा योजनाओं पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गई है। कलेक्टर श्री सुचारी ने युवाओं से कहा कि वे किसी भी प्रकार से अपने आप को कमजोर ना समझे। शासन उनकी हर संभव मदद के लिए तैयार है बशर्त पूर्ण ईमानदारी से अपना स्वरोजगार का क्रियान्वयन कर समाज के लिए प्रेरणा देने का काम करें। कार्यक्रम स्थल पर श्री शिवराज सिंह यादव, श्री लालाराम अहिरवार, श्री सोनकर के अलावा अन्य जनप्रतिनिधि तथा जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य, अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा, एसएटीआई के डायरेक्टर श्री जेएस चैहान, एसडीएम श्री रविशंकर राय के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, हितग्राही एवं कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे। 

लोकार्पण, शिलान्यास
कार्यक्रम स्थल पर अतिथियों द्वारा जिन निर्माण कार्यो का लोकार्पण, शिलान्यास किया गया है। 999.66 लाख की लागत से पूर्ण कराए गए चार भवनों का लोकार्पण किया गया है उनमें जिला वाणिज्यिकर कार्यालय भवन, जिला परिवहन कार्यालय भवन, अनुसूचित जाति कन्या प्री-मैट्रिक छात्रावास भवन, आईटीआई भवन शामिल है। इसी प्रकार के 440.70 लाख की लागत से कराए जाने वाले तीन निर्माण कार्यो का शिलान्यास भी इस दौरान किया गया है उनमें सीडब्ल्यूएसएन छात्रावास पचास सीटर, शासकीय कन्या महाविद्यालय में अतिरिक्त कक्ष एवं उन्नयन कार्य तथा जिला जेल की बाहरी बाउण्ड्रीवाल का निर्माण कार्य शामिल है।

हितग्राहियों पर एफआईआर दर्ज कराई गई

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री दीपक आर्य के द्वारा योजनाओं के तहत हितग्राहियों को जारी राशि का दुरूपयोग करने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश जनपदों के सीईओ को दिए गए है। विदिशा जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती वंदना शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आठ हितग्राहियों के द्वारा जारी राशि का दुरूपयोग करने पर उन सबके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की कार्यवाही की गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के जिन आठ हितग्राहियों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है उनमें ग्राम पंचायत गढला के रज्जूलाल, ओमप्रकाश, रमेश रावत ओर मोती सिंह शामिल है। ग्राम पंचायत मूढराचक्क के भंवर सिंह, ग्राम पंचायत कनारी के रमेश सिंह, ग्राम पंचायत अमऊखेडी के संतोष तथा ग्राम पंचायत कोलिंजा के हल्लू शामिल है।

कांग्रेस की मांग पर प्रषासन ने लिया किसान हित में निर्णय 

विदिषाः वरिष्ठ कांग्रेस नेता शषांक भार्गव के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने आज जिला कलेक्टर महोदय से मुलाकात कर किसानों की पीडा व्यवहारिक परेषारिनयों को लेकर चर्चा की। श्री भार्गव ने बताया कि मध्यप्रदेष सरकार की आॅनलाईन योजना के तहत् विदिषा जिले के लगभग 2700 किसानों ने निजी ट्रांसफार्मर के लिए रजिस्ट्रेषन करवाकर बांछित राषि विद्युत विभाग के पास जमा कर चुके है। लेकिन अभी भी कई किसानों को ट्रांसफार्मर नहीं मिल पाए है। जिससे वे अपने खेतों में सिंचाई से वंचित है। आज प्रतिनिधि मंडल ने जिला कलेक्टर महोदय से मांग की जिन किसानों ने ट्रांसफार्मर के लिए राषि विद्युत विभाग के पास जमा कर दी है उन किसानों को अस्थायी कनेक्षन की राषि जमा करवाये बिना ही उनके खेत के आसपास के ट्रांसफार्मर से विद्युत मोटर पम्प चलाने की सुविधा मिलना चाहिए। प्रतिनिधि मंडल की मांग को सुनते हुए जिला कलेक्टर ने विद्युत मंडल के एस.ई. से चर्चा का आष्वासन दिया कि नए ट्रांसफार्मर के लिए राषि जमा कर चुके किसानों को अन्य किसी ट्रांसफार्मर से विद्युत कनेक्षन लेने पर अस्थाई कनेक्षन की राषि जमा नहीं करना होगी। शीघ्र ही इस संबंध में विभागीय आदेष भी जारी किया जायेगा। इस अवसर पर कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल के किसान नेता मोहरसिंह रघुवंषी, ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष दीवान किरार, अनुज लोधी उपस्थित थे। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 27 नवम्बर

$
0
0
भारतीय जनता पार्टी जिला चिकित्सा प्रकोेष्ठ के सह संयोजक एवं कार्यकारिणी की घोषणा भाजपा जिलाध्यक्ष द्वारा की गई

झाबुआ । भारतीय जनता पार्टी जिला चिकित्सा प्रकोश्ठ के प्रदेष संयोजक डाॅ0 लक्ष्य भारद्वाज के निर्देष पर भाजपा जिला अध्यक्ष दौलत भावसार द्वारा भाजपा चिकित्सा प्रकोश्ठ के जिला संयोजक डाॅ0 संतोश नायक से विचार विमर्ष करने के पष्चात भाजपा जिलाध्यक्ष ने चिकित्सा प्रकोश्ठ के छह जिला संह संयोजक एवं कार्यालय मंत्री मिडिया प्रभारी तथा कार्यकारिणी सदस्यो की आज विधिवत घोशणा कर दी है जो इस प्रकार है-
जिला सह संयोजक डाॅ0 विजय मेरावत झाबुआ, डाॅ0 राकेष धोती पेटलावद, डाॅ0 विषाल पडवाल रानापुर, डाॅ0 हंसराज बडदवाल पिटोल, डाॅ0 संतोश बघेल थांदला, डाॅ0 सुन्दर हाडा कल्याणपुरा चिकित्सा प्रकोश्ठ के मिडिया प्रभारी डाॅ0 नितिन सोनी रहेगे एवं सह मिडिया प्रभारी डाॅ0 मनोज गौर थांदला रहेगे कार्यालय मंत्री डाॅ0 महेन्द्र खतेडिया कल्याणपुरा रहेगे  सह कार्यालय मंत्री डाॅ0 आषुतोश नायक थांदला रहेगे। इसी प्रकार प्रकोश्ठ में 12 डाॅक्टर कार्यकारिणी मे रहेगे। उक्त जानकारी भाजपा मिडिया प्रभारी अंबरीश भावसार ने दी।

शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय पर तीन दिवसीय षिविर आज से आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाया जाएगा

झाबुआ। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी स्थानीय आॅफिसर्स काॅलोनी मंे रातीतलाई स्कूल के समीप स्थित शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में तीन दिवसीय आयुर्वेदिक षिविर का आयोजन किया जाएगा। जिसमें आने वाले षिविरार्थियों को मौसमी बिमारियों ंसे निजात के लिए चिकित्सालय स्टाॅफ द्वारा आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाया जाएगा। यह जानकारी देते हुए आसरा पारमार्थिक ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेष नागर ने बताया कि ट्रस्ट के सहयोग से आयुर्वेदिक चिकित्सालय प्रबंधन द्वारा उक्त षिविर 28, 29 एवं 30 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। जिसका समय सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक रहेगा। षिविर के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. डीएस को आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा अन्य अतिथियों मंे जिला आयुष अधिकारी डाॅ. रमेष भायल, आयुर्वेदिक चिकित्सालय प्रभारी डाॅ. मीना भायल एवं ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे।

सफल बनाने की अपील
तीन दिवसीय आयुर्वेदिक षिविर को सफल बनाने की अपील आसरा पारमार्थिक ट्रस्ट के मेनेजिंग ट्रस्टी यषवंत भंडारी, संस्थापक सचिव नीरजसिंह राठौर, सेवा प्रकल्प के अजय रामावत, सुधीर कुषवाह, रविराजसिंह राठौर, राजेन्द्र सोनी, वरिष्ठ सदस्य जेएल केलवा, जयंतीलाल राठौर, पं. द्विजेन्द्र व्यास, मीडिया प्रभारी दौलत गोलानी, आजीवन अध्यक्ष श्रीमती वंदना व्यास, श्रीमती कुंता सोनी, चंचला सोनी, हसुमति परिहार आदि द्वारा समस्त शहरवासी एवं आसपास अंचलों के ग्रामीण रहवासियों से की गई है।

पहली बार हुई मिंडल मे श्रावक श्राविकाओ ंकी बैठक
  • साध्वी श्रीजी आदि ठाणा ने चातुर्मास के बाद किया विहार
  • श्रावक-श्राविकाओं ने दी आत्मीय बिदाई

jhabua news
झाबुआ। धर्म और तपस्या के चार माह तक स्थानीय श्री़ ऋ़षभदेवन बावन जिनालय में पूज्य आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरिजी मसा के सानिध्य में चातुर्मास सम्पन्न होने के बाद रविवार शाम को शहर मे चातुर्मास के दौरान विराजित पूज्य साध्वी श्री रत्नरेखाश्रीजी, श्री अनुभवद दृष्टा श्रीजी, कल्प दर्षिता श्रीजी आदि ठाणा-3 का बेंड-बाजों के साथ मेघनगर की ओर विहार हुआ। श्री संघ के बडी संख्या में श्रावक श्राविकाओं द्वारा पूज्य साध्वीश्री रत्नरेखाश्रीजी आदि ठाणा को  बिदाई दी गई। निकटवर्ती गा्रम मिंडल में श्री प्रजापिता ब्रहा्राकुमारिज ईष्वरीय विष्वविद्यालय के समीप माध्यमिक स्कूल में पूज्य साध्वी श्रीजी द्वारा पुरातन तीर्थ स्थान रंगपुरा में श्री केषरियानाथजी भगवान एवं अन्य प्रतिमाओं को पुनः मंदिर में स्थापित करने की बात कहीं। जिस पर समस्त श्रावक-श्राविकाओं ने सर्वानुमति से रंगपुरा में भगवान श्री केषरियानाथजी के मंदिर, जिसका जिर्णोद्धार होकर पूरी तरह तैयार हो चुका है, पर विधि विधान से झाबुआ बावन जिनालय में लाई गई। भगवान श्री केषरियानाथजी की प्रतिमा को ले जाकर पुनस्र्थापित करने की सर्वानुमति से अनुमोदना की। आयोजित बैठक का संचालन मनोज मेहता ने किया।

महावीर स्वामीजी के बताए मार्गों पर चले
साध्वी श्री रत्नरेखाश्रजी ने अपने संदेष में कहा कि झाबुआ नगर की धर्मधरा पर सेवा, तपस्या एवं धर्म का जो वातावरण निर्मित हुआ है, वह निष्चित ही अन्यों के लिए अनुकरणीय है।ं उन्होने सभी श्रावक श्राविकाओं को भगवान महावीर स्वामीजी के बताएं मार्गो पर चलने तथा उनके संदेषों को आत्मसात करने का आव्हान करते हुए कहा कि सत्य, धर्म, शांति प्रेम, अहिसा, अचैर्य, अपरिग्रह के सिद्धांत को हम आत्मसात करने का संकल्प लेकर धर्म घ्वजा को फहराने में अपनी भूमिका का निर्वाह करना होगा।

ये थे उपस्थित
इस अवसर पर अशोक राठौर, निर्मल मेहता, डाॅ. प्रदीप संघवी, सुभाष कोठारी, पार्षद नरेन्द्र संघवी, तेज प्रकाष कोठारी, मनोहर मोदी, सुरेन्द्र कांठी, सुनिल राठौर, प्रतीक मेहता, हस्तीमल संघवी, सुरेन्द्र सकलेचा, हितेष कांठी, निलेष लोढा, बाबुलाल कोठारी, अषोक जैन, शषांांक संघवी, कुलदीप राठौर, यतिन्द्र राठौर, निखिल सेठिया सहित सैकड़ो की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थी। अंत मंे भोजन की व्यवस्था अषोक राठौर परिवार द्वारा की गई।

शासकीय कार्यालयो एवं शैक्षणिक संस्थाओं में आज संविधान दिवस मनाया गया
  • संविधान की उद्देशिका पढी गई, विभिन्न प्रतियोगिताओं का हुआ आयोजन

jhabua news
झाबुआ । डाॅ.अम्बेडकर द्वारा प्रस्तुत संविधान 26 नवम्बर 1949 को अपनाया गया। अतः शासन के निर्देशानुसार आज 27 नवम्बर 2017 को शासकीय कार्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं में संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर शासकीय कार्यालय/शिक्षण संस्थाओं में भारत के संविधान की उद्देशिका पढी गई। शिक्षण संस्थाओं में संविधान की जागरूकता हेतु निबन्ध/वाद-विवाद प्रतियोगिता एवं भाषण प्रतियोगिता इत्यादि का आयोजन किया गया। संविधान दिवस के इस अवसर पर कलेक्टर कार्यालय में एडीएम श्री एसपीएस चैहान, एसी ट्रायबल श्री गणेश भाभर, एसडीएम श्री के.सी. परते, सहित कलेक्टर कार्यालय परिसर के शासकीय कार्यालयों के शासकीय सेवकों ने एकत्रित होकर संविधान की उद्देशिका को पढ़ा।

भारत का संविधान उद्देशिका
हम भारत के लोग, भारत को एक {संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य} बनाने के लिएतथा उसके समस्त नागरिको कोः सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार,अभिव्यक्ति, विश्वास,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समताप्राप्त कराने के लिए,तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और {राष्ट्र की एकता और अखंडता} सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढाने के लिए दृढसंकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख26 नवम्बर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत,अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।

यूडाईस साफ्टवेयर में डाटा इन्ट्री के संबंध में कार्यशाला 28 नवम्बर को

झाबुआ । जिला शिक्षा अधिकारी श्री सोलंकी ने बताया कि राज्य माध्यमिक शिक्षा मण्डल के तहत कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यालयों की जानकारी भारत शासन द्वारा निर्धारित यूडाईस डी.सी.एफ. के माध्यम से एकत्रित कर जिला स्तर पर साॅफ्टवेयर में प्रविष्टि की जाती है। इस यूडाईस डाटा के माध्यम से जिले के हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में नामांकन, शिक्षक, अधोसंरचना तथा परीक्षा फल इत्यादि से संबंधित जानकारीयाॅ प्राप्त की जाती है। यूडाईस डाटा के माध्यम से ही मुख्य सूचकांक यथा सकल नामांकन अनुपात ;ळम्त्द्धए विद्यार्थी अध्यापन कक्ष अनुपात ;ैब्त्द्धए विद्यार्थी शिक्षक अनुपात ;च्ज्त्द्ध इत्यादि की गणना की जाती है। जिले के लिए हाई स्कूल एवं हायरसेेकेण्डरी स्कूलों के भवन निर्माण, बाउंड्रीवाल इत्यादि के लिए भी स्वीकृति हेतु यह जानकारी उपयोग की जाती है। शिक्षा संबंधी विशेष सूचकांकों को दृष्टिगत रखकर जिला एवं राज्य स्तर की वार्षिक कार्ययोजना के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं तथा राज्य सरकार एवं भारत सरकार को प्रस्तुत कर अनुमोदन प्राप्त किया जाता है। इसी के आधार पर बजट प्राप्त किया जाता है इस हेतु प्राचार्यो की कार्यशाला 28 नवंबर को शासकीय हाईस्कूल बुनियादी शाला झाबुआ में रखी गई है। प्राचार्यो से संशोधित डी.सी.एफ की एंट्री प्रोफेशनल फीस पर आॅपरेटर की सेवाऐं प्राप्त कर उनके द्वारा एन्ट्री कराई जाएगी। इस हेतु 02 दिसंबर तक संबंधित फर्मों के माध्यम से आपरेटर के आवेदन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आमंत्रित किए गए है।

प्रधानमंत्री आवास एवं शौचालय जियोटेग करे
  • पेटलावद में बैठक में सीईओ जिला पंचायत ने दिये निर्देश

jhabua news
झाबुआ । जनपद पंचायत पेटलावद की ग्राम पंचायतो के सचिव एवं रोजगार सहायक की बैठक का आयोजन आज पेटलावद में किया गया। बैठक की अध्यक्षता सीईओ जिला पंचायत श्रीमती जमुना भिडे ने की। बैठक में एसडीएम पेटलावद श्री हर्ष पंचोली, सीईओ जनपद श्री घनघोरिया सहित प्रशासनिक अधिकारी, सचिव एवं रोजगार सहायक उपस्थित थे। बैठक में सीईओ जिला पंचायत ने सचिव एवं रोजगार सहायक को निर्देशित किया कि मनरेगा योजना अंतर्गत जाॅबकार्ड धारी परिवार के संयुक्त बैंक खाते के साथ ही एकल खाते बैंक में खुलवाये एवं बैंक खातों से आधार लिंक का कार्य त्वरित गति से करे, जियो मनरेगा अंतर्गत निर्माण कार्यो एवं भवनों के फोटो एप पर दर्ज करे, मजदूरी भुगतान लंबित ना रहे यह सुनिश्चित करे। प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माणाधीन आवासो एवं स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत शौचालय निर्माण कार्य को जियो टेग करे, ताकि हितग्राहियों को आवास की किश्त एवं शौचालय की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जा सके। मनरेगा अंतर्गत शासन के निर्देशानुसार रजिस्टर संधारित किये जाये। अपने क्षेत्रान्तर्गत सामाजिक सुरक्षा योजनाओ के तहत पेंशन प्रकरण स्वीकृत करे, मुख्यमंत्री कन्यादान योजनाअन्तर्गत पात्र परिवारो की कन्याओ का विवाह करवाने हेतु प्रस्ताव तैयार करे, मुख्यमंत्री भवन सह अन्य निर्माण कर्मकार मण्डल योजना में पात्र मजदूरो का आॅनलाईन पंजीयन कर उन्हें विभिन्न उपयोजनाओ जैसे विवाह सहायता, प्रसूति सहायता योजना, अन्त्येष्टि योजना, छात्रवृति योजना, मैघावी छात्रवृति योजना, इत्यादि में पात्रतानुसार मजदूरो को लाभान्वित करवाना सुनिश्चित करे। ग्रामीणजनो को शौचालय निर्माण हेतु प्रोत्साहित करे एवं जिन लोगो ने शौचालय निर्माण कर लिया है उन्हे शौचालय का उपयोग करने के लिए समझाईश दे। पूरे पेटलावद ब्लाक को दिसम्बर माह में ओडीएफ खुले में शौच से मुक्त करवाने के लिये जनसहभागिता के साथ कार्य करे।

पटना काॅलेज में ए॰आई॰एस॰एफ॰ 30 नवंबर को लगाएगा छात्र असेम्बली

$
0
0
  • छात्र असेम्बली में छात्रों के सवालों पर संघर्ष का ऐलान।

student-assembly-at-patna-college
पटना। पटना विश्वविद्यालय प्रशासन को आज आॅल इण्डिया स्टूडेण्ट्स फेडरेशन ;ए॰आई॰एस॰एफ॰द्ध ने 30 नवम्बर तक चुनाव की तिथि का ऐलान करने का अल्टीमेटम दिया है। 30 नवंबर को पटना काॅलेज परिसर में ए॰आई॰एस॰एफ॰ की छात्र असेम्बली लगेगी। छात्र असेम्बली में हर काॅलेज व विभाग के कम से कम एक और अधिक से अधिक तीन प्रतिनिधियों को बोलने का मौका दिया जाएगा। मुख्य तौर पर छात्रावासो का यथाशीघ्र आवंटन, सेन्ट्रल लाइब्रेरी को 24 घंटे खोलने, छात्रों पर दर्ज मुकदमें की वापसी, छात्र-छात्राओं की सुरक्षा, जेण्डर सेल सशक्त बनाने, शिक्षक-कर्मियों की रिक्त पदों पर बहाली, सभी काॅलेजों मंे मूलभूत सुविधाओं की बाहली कर आंदोलन की रूपरेखा घोषित की जाएगी। 30 नवंबर के असेम्बली के बाद ए॰आई॰एस॰एफ॰ अपना घोषणा पत्र भी जारी करेगा। ए॰आई॰एस॰एफ॰ ने पटना वि॰वि॰ कुलपति पर छात्रसंघ चुनाव के नाम पर छात्रों से वादाखिलाफी करने की बात कही।

पटना : अक्टूबर क्रांति का संदेश और आज का भारत पर सेमिनार।

$
0
0
  • पितृसत्ता और पूंजीवाद की एकता फासीवाद को जिन्दा रखने में सहायक : प्रो॰ ठाकुर
  • संविधान की प्रस्तावना पर हो रहे हमले, छात्रों की भूमिका निर्णायक : प्रो॰ चौधरी  

aisf-made-seminar
पटना:- आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन  ने आज आयोजित और  बी॰एम॰ दास रोड स्थित मैत्री-शांति भवन में सेमिनार आयोजित किया। ”अक्टूबर क्रांति का संदेश और आज का भारत“ विषयक आयोजित सेमिनार में मगध महिला काॅलेज की प्राचार्या प्रो॰ पद्मलता ठाकुर ने कहा कि पितृसत्ता एवं पूंजीवाद की एकता फासीवाद को जिन्दा रखने में सहायक है। पितृसत्ता और पूंजीवाद दोनों हाथ में हाथ मिलाकर फासीवाद के लिए खाद पानी मुहैया कराते हैं। मुसोलिनी महिला की तरह है। युद्ध साम्राज्यवादियों के लिए आवश्यक है लेकिन अक्टूबर क्रांति का संदेश इसके खिलाफ है। सेक्युलरिज्म को भारत की विशेषता बताया। पटना काॅलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो॰ नवल किशोर चैधरी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना मंे निहित समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतंत्र पर खतरे बढ़े हैं। फासीवादी शक्तियों को पराजित करने के लिए वाम जनवादी ताकतों की एकता आवश्यक है लेकिन इनके अंदर भी कितना लोकतांत्रिक माहौल कायम है। इस पर भी सवाल करना होगा। उन्होंने कहा कि सवाल कर उत्तर पूछना होगा और उत्तर में भी सवाल तलाशना होगा। इस्कफ के राज्य महासचिव रवीन्द्र नाम राय ने कहा कि रूसी क्रांति का संदेश पूरी दुनिया के अंदर मानवता के पक्ष में खड़ा रहने के लिए जाना जाता है। रूसी क्रांति के बाद रूस के अंदर स्थापित समाजवाद ने न केवल रूस बल्कि पूरी दुनिया के अन्दर रौशनी दी। विषय प्रवेश करते हुए इस्कफ के राज्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि अक्टूबर क्रांति के बाद बनी ऐसी सरकार ने भारत सहित दुनिया के अंदर आजादी के आंदोलन को ताकत दी। रूसी क्रांति का संदेश राष्ट्रीयकरण के पक्ष मंे था जबकि आज की भारतीय सरकार निजीकरण के पक्ष में खड़ी है।
अध्यक्षता ए॰आई॰एस॰एफ॰ के जिलाध्यक्ष राजीव किशोर ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन लाॅ काॅलेज अध्यक्ष मंगल राज ने किया। इस दौरान प्रो॰ हर्षवर्द्धन सिंह, ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य सचिव सुशील कुमार, राज्य सह सचिव रंजीत पंडित, जिला सचिव सुशील उमाराज, पीयू अध्यक्ष राकेश प्रसाद, पीयू सचिव मुकेश कुमार यादव, जिला उपाध्यक्ष जन्मेजय कुमार, जिलाध्यक्ष राजीव रंजन, सह सचिव विकास कुमार, बिरजुन कुमार भारती, अनुष्का कुमारी, सुभाष पासवान, समरीन, रवि, राजेश, आदर्श सहित दर्जनों छात्र-छात्राएँ मौजूद थे।
Viewing all 74342 articles
Browse latest View live




Latest Images