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आलेख : आखिर क्यों सरकारें तम्बाकू महामारी पर अंकुश लगाने में हैं विफल?

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तम्बाकू के कारण 70 लाख से अधिक लोग हर साल मृत और अमरीकी डालर 1004 अरब का आर्थिक नुक्सान होने के बावजूद भी, सरकारें क्यों इस महामारी पर अंकुश नहीं लगा पा रही हैं? भारत सरकार समेत 193 सरकारों ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य पूरे करने का वादा तो किया है पर विशेषज्ञों के अनुसार, बिना तम्बाकू महामारी पर विराम लगाए सतत विकास मुमकिन नहीं है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को लागू करने में सबसे बड़ा रोड़ा है: जन स्वास्थ्य नीति में तम्बाकू उद्योग का हस्तक्षेप. ज़ाहिर है कि जब तक तम्बाकू उद्योग को लाखों-करोड़ों मृत्यु, जानलेवा बीमारियों, अरबों रूपये के आर्थिक नुक्सान, पर्यावरण को क्षति और सतत विकास को खंडित करने के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार न ठहराया जायेगा तब तक सफल तम्बाकू नियंत्रण और सतत विकास कैसे हो सकता है?

भारत समेत 181 देशों की सरकारों ने वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि बैठक में निर्णय लिया कि तम्बाकू उद्योग इन जन स्वास्थ्य बैठकों में किसी भी तरह से हस्तक्षेप न कर पाए. वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि के 8वें सत्र में, सरकारों ने मजबूत नीतियों को पारित किया जिससे कि तम्बाकू उद्योग जन-स्वास्थ्य नीतियों में हस्तक्षेप न कर सके.

स्वास्थ्य को वोट अभियान के निदेशक राहुल द्विवेदी ने बताया कि "इस वैश्विक बैठक में तम्बाकू उद्योग ने अनेक प्रकार से हस्तक्षेप करने की असफल कोशिश की: अन्य संगठनों की आड़ में भ्रमित करने का प्रयास किया, 'मीडिया'के रूप में अधिकृत प्रेस वार्ता में घुसने का प्रयास किया, आदि. तम्बाकू उद्योग के अनेक असफल प्रयास के बावजूद भी सरकारों ने इतने मज़बूत निर्णय लिए हैं जो सराहनीय हैं".

अनेक सालों से तम्बाकू उद्योग ने 'पारदर्शिता'की आड़ में तम्बाकू नियंत्रण को विफल करने का प्रयास किया है. इस बैठक में सरकारों ने हमेशा के लिए तम्बाकू उद्योग को जन स्वास्थ्य संधि से बाहर निकाला है.

कॉर्पोरेट एकाउंटेबिलिटी दल के अध्यक्ष मिचेल लीजेंद्रे ने बताया कि "तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन तम्बाकू उद्योग है. इस बैठक में भी यही हाल रहा. हम भारत सरकार और अन्य सरकारों के आभारी हैं जिन्होंने जन-स्वास्थ्य के पक्ष्य में निर्णय लिए जिसके कारणवश लाखों लोगों की जान बचेगी. वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि में उद्योग के घुसने का आखरी रास्ता था "पब्लिक"बैज की आड़ में हस्तक्षेप करना. इस जिनेवा बैठक में सरकारों ने उद्योग के हस्तक्षेप के आखरी रास्ते पर भी अंकुश लगा दिया, जिसके कारण तम्बाकू नियंत्रण अधिक प्रभावकारी बनेगा. सरकारों ने सख्त कदम उठाये जिससे कि तम्बाकू उद्योग के धूर्त प्रयासों को विफल किया जा सके जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी सिगरेट कंपनी फिलिप मोरिस की नयी फाउंडेशन शामिल है. सरकारों ने नीति पारित की जिससे कि कोई भी संस्था, तम्बाकू उद्योग के इन भ्रामक धूर्त जाल में न फंसे."

यूगांडा की वरिष्ठ विधि सलाहकार हेलेन नीमा ने कहा कि जीवन रक्षक जन स्वास्थ्य नीतियों को असफल करने के लिये तम्बाकू उद्योग भान्ति प्रकार के हथकण्डे अपना रहा है। आर्थिक और जन स्वास्थ्य को भीषण रूप से क्षतिग्रस्त करने के लिये तम्बाकू उद्योग को कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराने के लिये वैश्विक तम्बाकू नियन्त्रण संधि आर्टिकल 19 पर सरकारों को कार्य आगे बढ़ाना होगा।

तम्बाकू से हर साल 70 लाख मृत्यु होती हैं और ₹ 1004 अरब का आर्थिक नुक्सान होता है। वैश्विक तम्बाकू नियन्त्रण संधि के आर्टिकल 19 को लागू करके सरकारें हर्जाना उसूल सकती हैं और तम्बाकू महामारी पर अंकुश लगा सकती हैं। स्वास्थ्य को वोट अभियान के निदेशक राहुल द्विवेदी ने कहा कि बिना तम्बाकू महामारी अन्त किए सतत विकास लक्ष्य और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के लक्ष्य पूरे हो ही नहीं सकते।

ईरान सरकार के प्रतिनिधि बेह्ज़द वालीज़देह ने कहा कि 'नयी शुरुआत'के बहाने तम्बाकू उद्योग भ्रमित कर रहा है, और इस झूठ में हम नहीं फंसेगें। ईरान ने फिलिप मोरिस के नये तम्बाकू उत्पाद जैसे कि आईक़ुओएस को प्रतिबंधित कर दिया है जिससे कि तम्बाकू उद्योग के भ्रामक प्रचार में उनके लोग न पड़ें और तम्बाकू नियन्त्रण में जो प्रगति हुई है वह न पलट जाये।

मालदीव्स सरकार के प्रतिनिधि हसन मुहमद ने कहा कि हमने इस बैठक में इतिहास बना दिया है और जन स्वास्थ्य संधि के द्वार उद्योग के लिये बन्द कर दिये हैं।

बिना किसी ठोस वैज्ञानिक प्रमाण के ई-सिग्रेट आदि जैसे तम्बाकू उत्पाद बाज़ार में लाकर उद्योग ने जन स्वास्थ्य कानूनों को दरकिनार किया है और अपना मुनाफा बढ़ाया है। तम्बाकू नियन्त्रण कानून जैसे कि सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003 और वैश्विक तम्बाकू नियन्त्रण संधि जिसे भारत ने पारित किया है, सभी तम्बाकू उत्पाद पर सख्ती से लागू होता है।




बॉबी रमाकांत, सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत बॉबी रमाकांत सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) में नीति निदेशक हैं. 

विचार : अपने मौलिक नाम से जाने जाना गौरव का विषय है विवाद का नहीं

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बरसों पहले अंग्रेजी के मशहूर लेखक शेक्सपियर ने कहा था,  व्हाट इस इन द नेम? यानी नाम में क्या रखा है? अगर गुलाब का नाम गुलाब न होकर कुछ और होता,  तो क्या उसकी खूबसूरती और सुगंध कुछ और होती? आज एक बार फिर यह प्रश्न प्रासंगिक हो गया है कि क्या नाम महत्वपूर्ण होते हैं? लेकिन इस पूरे प्रकरण में खास बात यह है कि नाम बदलने पर विरोध के स्वर उस ओर से ही उठ रहे हैं जो भारतीय के बजाए विदेशी लेखकों,  उनके विचारों और उनकी संस्कृति से अधिक प्रभावित नजर आते हैं। खैर मुद्दा यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार के ताजा फैसले के अनुसार, इलाहबाद अब अपने पुराने नाम "प्रयागराज"से जाना जाएगा। योगी सरकार का यह कदम अप्रत्याशित नहीं है और ना ही यह देश के किसी शहर का पहला नाम परिवर्तन है। इससे पहले भी अनेकों शहरों के नाम बदले जा चुके हैं। अगर शुरुआत से शुरू करें तो आज़ादी के बाद सबसे पहले त्रावणकोर कोचीन को केरला (1956) नाम दिया गया,  मद्रास स्टेट को तमिलनाडु (1969),  मैसूर स्टेट को कर्नाटक (1973),  उत्तरांचल को उत्तराखंड (2007),  बॉम्बे को मुंबई(1995),  कलकत्ता को कोलकाता(2001), मद्रास को चेन्नई(1996),  फेहरिस्त काफी लम्बी है।  तो फिर इलाहाबाद के नाम परिवर्तन पर ऐतराज क्यों क्या इलाहाबाद नाम से विशेष लगाव?  या फिर प्रयागराज नाम से परेशानी?  या फिर कोरी राजनीति? 

वैसे भारत जैसे देश में जहाँ योग्यता के बजाए नाम के सहारे राजनैतिक परंपरा आगे बढ़ाई जाती हो, वहां नाम पर राजनीति होना शायद आश्चर्यजनक नहीं लगता। तो चलिये पहले हम राजनीति से परे इस पूरे विषय का विश्लेषण कर लेते हैं।सबसे पहली बात तो यह है कि शेक्सपियर जो भी कहें,  लेकिन भारतीय संस्कृति में नाम की बहुत महत्ता है। हमारे   मानना है कि व्यक्ति के नाम का असर उसके व्यक्तित्व पर पढ़ता है। शायद इसलिए हम लोग अपने बच्चों के नाम रावण या सूपर्णखा नहीं राम और सीता रखना पसंद करते हैं। हमारे यहाँ हर शब्द का अपना विशेष महत्व है। क्योंकि हर शब्द का उच्चारण एक ध्वनि को उत्पन्न करता है और हर ध्वनि एक शक्ति को। सकारात्मक शब्द से उत्पन्न ध्वनि अपने आस पास सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं जबकि नकारात्मक शब्द नकारात्मक ऊर्जा का। हमारे यहाँ शब्दों की एक विशेषता और होती है,  उनके पर्यायवाची। इसमें शब्दों का चयन बदला जा सकता है लेकिन इससे उसके भाव में कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसे हम शिव को शंकर,  शम्भू,  नीलकंठ,  उमापति,  किसी भी नाम से पुकारें भाव एक ही है,  शिव। शब्दों का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि ॐ से लेकर वैदिक मंत्रों के उच्चारण से होने वाले चमत्कारी प्रभावों के आगे आधुनिक विज्ञान भी आज नतमस्तक है।

यहाँ पर विषय है त्रिवेणी संगम की नगरी को उसका पुराना नाम दिया जाना। दरअसल"प्रयागराज",  तीन शब्दों से मिलकर बना यह शब्द हैं,  प्र,  याग और राज। प्र यानी पहला,  याग यानी यज्ञ,  और राज यानी राजा। भारतीय मान्यता के अनुसार यह वो स्थान है जहाँ ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के पश्चात पहला यज्ञ किया था। इसके अतिरिक्त यहीं पर गंगा यमुना सरस्वती का संगम होने के कारण इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। इन्हीं कारणों से इसे सभी तीर्थों का राजा कहा गया और इस प्रकार इस स्थान को अपना यह नाम प्रयागराज मिला।ऋग्वेद,  मत्स्यपुराण, रामायण, महाभारत जैसे अनेक भारतीय वांग्मय में प्रयागराज का वर्णन मिलता है। महाभारत में इस स्थान की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि, "सर्वतीर्थेभ्यः प्रभवत्यधिकं विभो। श्रवनात तस्य तीर्थस्य नामसंकीर्तनादपि मृत्तिकालम्भनाद्वापी नरः पापत प्रमुच्यते।।"अर्थात सभी तीर्थों में इसका प्रभाव सबसे अधिक है। इसका नाम सुनने अथवा बोलने से या फिर इसकी मिट्टी को अपने शरीर पर धारण करने मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। तो यह स्थान जो कि प्रयागराज के नाम से जाना जाता था,  इलाहाबाद कैसे बन गया? अकबरनामा,  आईने अकबरी और अन्य मुग़लकालीन ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि 1583 में मुग़ल सम्राट अकबर ने इसका नाम बदल कर इल्लाहबाद रखा था। "इल्लाह"अरबी शब्द है जिसका अर्थ है "अल्लाह"जबकि "आबाद"फारसी शब्द है जिसका अर्थ है "बसाया हुआ"। इस प्रकार इसका अर्थ हुआ ईश्वर द्वारा बसाया गया।

देखा जाय तो प्रयाग नाम में यहाँ प्रथम यज्ञ करके इसकी रचना का श्रेय ब्रह्मा को दिया गया है जबकि इलाहाबाद नाम से अल्लाह को इसकी रचना का श्रेय दिया गया है। और यह तो हर पंथ में कहा गया है कि ईश्वर एक ही है लेकिन उसके नाम अनेक हैं। इससे इतना तो स्पष्ट ही है कि दोनों ही नाम इस स्थान की दिव्यता को और इसकी रचना में उस परम शक्ति के योगदान को अपने अपने रूप में स्वीकार कर रहे हैं केवल शब्दों का फर्क है,  भाव एक ही है। अगर यह कहा जाय कि अकबर ने इस स्थान के नाम में उसके भाव को बरकरार रखते हुए केवल भाषा का परिवर्तन किया था, तो भी गलत नहीं होगा। इसलिये अगर आजाद भारत में यह पुण्य स्थान एक बार पुनः अपनी भाषा में अपने मौलिक नाम से जाना जाने लगे तो यह हर भारतीय के लिए एक गौरव का विषय होना चाहिए विवाद का नहीं।



डॉ नीलम महेंद्र

वाराणसी : ‘कारपेट फेयर’ में आकर्षण का केन्द्र होंगी ‘नाॅटेड कालीने’

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पं. दीनदयाल हस्तकला संकुल, बड़ालालपुर में 21 अक्टूबर से लगेगा चार दिवसीय कारपेट इक्स्पो
केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी करेंगी फेयर का उद्घाटन
प्रधानमंत्री करेंगे कालीन व्यापारियों से सीधा संवाद

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वाराणसी (सुरेश गांधी) । डालर नगरी भदोही के बुनकरों की हाड़तोड़ मेहनत व कारीगरी से निर्मित नाॅटेड कालीनें इस बार इंडिया कारपेट एक्स्पों-2018 की आकर्षण के केन्द्र बनेगी। इन कालीनों पर बेहतरीन नक्काशी की गयी है। जर्मनी और फ्रांस के विशेषज्ञ डिजाइनर व स्थानीय कारीगरों के संयुक्त उपक्रम से तैयार इन कालीनों में फ्लोर इसकी खुबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। साल 2014 में जर्मनी के हैनोवर में हुए अंतराष्ट्रीय कालीन मेला डोमोटेक्स में बेस्ट डिजाइनर के अवार्ड से सम्मानित ग्लोबल ओवरसीज के संजय गुप्ता का कहना है कि जर्मनी के जिस डिजाइनर के डिजाइन को डोमोटेक्स में अवार्ड मिला था इस बार भी उसी डिजाइनर के सलाह से भदोही के बुनकरों ने बेजोड़ कालीनें तैयार की है। उनका कहना है कि वे हमेशा मार्केट से अलग हटकर नयी नयी डिजाइनों वाली कालीनों का इजाद करते है। इस बार भी कुछ ऐसा ही किया है। 

बता दें, इंडिया कार्पेट एक्सपो का आयोजन वाराणसी में 21 से 24 अक्टूबर को प्रस्तावित है। इसमें जहां दुनिया भारतीय हस्तकला के बेजोड़ नमूने से रूबरू होगी, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कालीन व्यापारियों संग वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद भी करेंगे। एक्स्पों का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी करेंगी। सीइपीसी के प्रशासनिक सदस्य एवं ग्लोबल ओवरसीज के संजय गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय के अधीन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) 35 वर्षो से कार्पेट एक्सपो का आयोजन करता आ रहा है। इसी क्रम में इस वर्ष बड़ालालपुर स्थित पं. दीनदयाल हस्तकला संकुल में कार्पेट एक्सपो का आयोजन किया जाएगा। इसमें कालीन नगरी भदोही-मीरजापुर, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के कालीन निर्यातक 300 स्टॉलों पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे। एक्सपो में अमेरिका, यूरोप के बड़े कारोबारियों के अलावा जापान, फ्रांस, इटली, कनाडा, चीन, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, इजरायल, मॉरीशस, ताईवान, नेपाल, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, यूक्रेन सहित 58 देशों के खरीदारों ने आने की स्वीकृति दी है। शुभारंभ के दिन सायंकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कारोबारियों से बात कर उनकी समस्याओं को जानेंगे। पहले तीन दिन एक्सपो में सिर्फ विदेशों से आने वालों को ही शामिल होने की अनुमति मिलेगी, जबकि अंतिम दिन यह बाजार आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। 

सीईपीसी के चेयरमैन महावीर प्रताप उर्फ राजा शर्मा ने बताया कि मेले में तीन सौ आयातकों को आमंत्रित किया गया है। दो सौ ने स्वीकृति दे दी है। इस बार नए आयातक देशों के उद्यमियों को भी मेले में आमंत्रित किया गया है। घाना, उजबेकिस्तान, कनाडा, चिली, लेबनान, मैक्सिको, सिंगापुर के आयातकों की मेले में भागीदारी प्रभावकारी साबित हो सकती है। मेले में 270 स्टाल बनाए गए हैं, सभी बुक हो चुके हैं। उद्घाटन अवसर पर भारत सरकार वाणिज्य मंत्रलय के सचिव अनूप वधावन, विकास आयुक्त हस्तशिल्प शांतमनु, भारत सरकार की वस्त्र मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी मौजूद रहेंगी। सीईपीसी द्वारा आयोजित 36वां कालीन मेला व्यवसाय की दृष्टि से सफलतम मेलों में शुमार किया जाएगा इसकी पूरी संभावना है। कालीन मेले में विदेशी खरीदारों व उनके भारतीय प्रतिनिधियों तथा भारतीय कालीन निर्माता और निर्यातकों को दीर्घकालिक व्यापार संबंधों को पूरा करने के लिए मेले आदर्श मंच साबित होते हैं। कालीन खरीदारों के लिए एक छत के नीचे सर्वश्रेष्ठ हस्तनिर्मित कालीन व अन्य फ्लोर कवरिंग उपलब्ध कराने के लिए अद्वितीय मंच है। परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष सिद्धिनाथ सिंह ने कहा कि सीईपीसी निरंतर कालीन उद्योग के उत्थान को लेकर गंभीर है। मेले में भदोही- मीरजापुर सहित जयपुर, पानीपत, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, आगरा, कानपुर के निर्यातकों की भागीदारी हो रही है। वाराणसी का यह कालीन मेला कालीन उद्योग की दिशा व दशा तय करेगा। परिषद के वरिष्ठ प्रशासनिक उमेश गुप्ता मुन्ना, ओंकारनाथ मिश्र बच्चा, राजेन्द्र मिश्र ने बताया कि मेले में हस्तनिर्मित कालीनों के साथ-साथ हैंडलूम उत्पाद में सस्ती व फैंसी कालीन धूम मचा सकती है। इनमें ब्राडलूम नामक डिजाइन प्रमुख है। इसी तरह टफ्टेड में लुककट तथा आललूप भी पंसद की जा सकती है। इन दिनों कालीन में धागों का अधिक उपयोग हो रहा है। वूल कॉटन मिक्स धागों से तैयार अलग अलग वेराइटीज भी आयातकों को लुभा सकती है। 

राजनीति : मध्यप्रदेश में जातिगत राजनीति की दस्तक ?

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चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश के सियासी मिजाज में बदलाव देखने को मिल रहा है. यहां राजनीति में कभी भी उत्तरप्रदेश और बिहार की तरह जातिगत मुद्दे हावी नहीं रहे हैं लेकिन कुछ परिस्थितियों के चलते इस बार इसमें बदलाव देखने को मिल रहा है. दरअसल एससी-एसटी संशोधन विधेयक पारित होने का सबसे तीखा विरोध मध्यप्रेश में ही देखने को मिला है जिसके घेरे में कांग्रेस और भाजपा दोनों हैं. इस साल 20  मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एसटी अत्याचार निरोधक कानून को लेकर दिये गये अपने फैसले में को लेकर दलित संगठनों द्वारा तीखा विरोध किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को 'भारत बंद'किया था, इस दौरान सबसे ज्यादा हिंसा मध्य प्रदेश के ग्वालियर और चंबल संभाग में हुई थी जिसमें हिंसक झड़पों के दौरान करीब आधे दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी.

दलित संगठनों की प्रतिक्रिया और आगामी चुनावों को देखते हुये केंद्र सरकार द्वारा कानून को पूर्ववत रूप में लाने के लिए एससी-एसटी संशोधन बिल संसद में पेश किया था जिसे दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया गया. इसके बाद से लगातार स्वर्ण संगठनों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है. 6 सितम्बर को सवर्ण संगठनों द्वार सरकार के इस फैसले के खिलाफ भारत बंद का आयोजन किया गया जिसका मध्यप्रदेश में अच्छा-ख़ासा असर देखने को मिला.चुनाव के मुहाने पर खड़े मध्यप्रदेश में सवर्ण संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया से सियासी दल हैरान हैं. सवर्णों द्वारा भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं को जगह-जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा है.  चूंकि भाजपा को बुनियादी तौर पर सवर्णों की पार्टी मानी जाती रही हैं, यही उसका मूल वोटबैंक है लेकिन आज उसका मूल वोट ही खार खाये बैठा है. देश और प्रदेश में भाजपा ही सत्ता में है इसलिये एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून को लेकर सुप्रीमकोर्ट के फैसले को पलटने का सबसे ज्यादा विरोध भी भाजपा और उसके नेताओं का ही हो रहा है. जगह-जगह भाजपा नेताओं और मंत्रियों के बंगले का घेराव  किया गया था और काले झंडे दिखाए गये हैं.

लेकिन अकेले एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून ही नहीं है जो भाजपा के गले की हड्डी बन गया है मध्यप्रदेश में सवर्णों के इस गुस्से की एक पृष्ठभूमि है, दरअसल दिग्विजय सिंह की सरकार द्वारा 2002 में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने को लेकर कानून बनाया गया था, जिसे बाद में  शिवराज सरकार द्वारा भी लागू रखा था. बाद में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिस पर 30 अप्रैल 2016 को जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा मध्यप्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को निरस्त कर दिया था और साथ ही 2002 से 2016 तक सभी को रिवर्ट करने के आदेश दिए थे जिसके बाद इस नियम के तहत करीब 60 अजा-जजा के लोकसेवकों के पदोन्नति पर सवालिया निशान लग गया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अजा–जजा वर्ग के संगठन अजाक्स ने भोपाल में एक बड़ा सम्मेलन किया था जिसमें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान बिना बुलाए पहुँच गए थे जहां उन्होंने मंच से हुंकार भरा था कि “हमारे होते हुए कोई ‘माई का लाल’ आरक्षण समाप्त नहीं कर सकता.” इसके बाद मप्र सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पीटिशन लगा दिया था और साथ ही शिवराजसिंह ने ऐलान भी किया था कि सुप्रीम कोर्ट में केस नहीं जीत पाए तो भी प्रमोशन में आरक्षण जारी रखेंगे भले ही इसके लिये विधानसभा में नया कानून बनाना पड़े. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है.

शिवराज सरकार के इस रवैये से अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों में नाराजगी पहले से ही बनी हुयी थी. करीब दो साल पहले शिवराज द्वारा दिया गया “माई का लाल” बयान अब उनके ही गले की हड्डी बनता जा रहा है. 2016 में शिवराज सरकार के दलितों को पुरोहित बनाने के फैसले को लेकर भी विवाद की स्थिति बनी थी जिसमें अनुसूचित जाति, वित्त एवं विकास निगम द्वारा राज्य शासन को भेजे गये प्रस्ताव में कहा गया था कि ‘अनुसूचित जाति की आर्थिक व सामाजिक उन्नति और समरसता के लिए “युग पुरोहित प्रशिक्षण योजना” शुरू किया जाना प्रस्तावित है जिसमें दलित युवाओं को अनुष्ठान, कथा, पूजन और वैवाहिक संस्कार का प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसके बाद  ब्राह्मण समाज द्वारा इसका प्रदेश भर में तीखा विरोध किया गया जिसके बाद मध्यप्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा को बयान देना पड़ा था कि 'मप्र में दलितों को कर्मकांड सिखाने की कोई योजना प्रस्तावित नहीं है'

मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों का जाति के आधार पर विभाजन हो गया है जिसमें एक तरफ सपाक्स (सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था) के बैनर तले सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारी है तो दूसरी तरफ अजाक्स (अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ) के बैनर तले अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के कर्मचारी हैं. प्रदेश में करीब 7 लाख सरकारी कर्मचारी हैं जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के कर्मचारियों की संख्या करीब 35 फीसदी और सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों की संख्या 65 फीसदी बतायी जाती है. यानी सपाक्स से जुड़े कर्मचारियों की संख्या ज्यादा हैहालांकि पिछड़ा वर्ग के कर्मचारी किसके साथ हैं इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुयी है. सपाक्स और अजाक्स दोनों दावा कर रहे हैं कि पिछड़ा वर्ग उनके साथ है जबकि दूसरी तरफ पिछड़ा वर्ग के सामाजिक संगठनों में इसको लेकर एकराय देखने तो नहीं मिल रही है. पिछड़ा वर्ग के कुछ सपाक्स को समर्थन दे रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो अजाक्स के साथ होने की बात कह रहे हैं.  बहरहाल  सपाक्स की नाराजगी शिवराज और भाजपा पर भारी पड़ सकती है. सपाक्स चित्रकूट, मुंगावली और कोलारस विधानसभा के उपचुनाव में सरकार के खिलाफ अभियान चला चुका है. इन तीनों जगहों पर भाजपा की हार हुई थी जिसमें सपाक्स अपनी भूमिका होने का दावा कर रहा है. सपाक्स ने 2 अक्टूबर 2018, गांधी जयंती के मौके पर अपनी नयी पार्टी लॉन्च करते हुए सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. 

जानकार मानते हैं कि सर्वणों के गुस्से का सबसे नुकसान तो भाजपा का ही होना है. लेकिन कांग्रेस के लिये भी यह कोई राहत वाली स्थिति नहीं है, पिछले कुछ महीनों से वो जिन मुद्दों पर शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश कर रही थी वो पीछे छूटते हुये नजर आ रहे हैं, किसान, भ्रष्टाचार, नोटबंदी, जीएसटी और कुपोषण जैसे मुद्दे फिलहाल नेपथ्य में चले गये लगते हैं. ऐसे में कांग्रेस को नये सिरे से सियासी बिसात बिछाने की जरूरत महसूस हो रही है. शायद इसी वजह से कांग्रेस द्वारा बहुत सधे हुये तरीके से सवर्णों के साथ सहानुभूति का सन्देश दिया जा रहा है. बहरहाल स्वर्ण आन्दोलन की वजह से दोनों पार्टियों के चुनावी समीकरण बिगड़े हैं. 



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जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

सामयिकी : घूसखोरी में अव्वल होता भारत!

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देश एवं समाज में रिश्वत देने वालों व्यक्तियों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे व्यक्तियों की भी कमी हो रही है जो बेदाग चरित्र हों। विडम्बना तो यह है कि भ्रष्टाचार दूर होने के तमाम दावों के बीच भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है। भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन रहा है। ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल इंडिया द्वारा किए गए सर्वे ‘इंडिया करप्शन सर्वे 2018’ के मुताबिक देश में रिश्वत देकर काम कराने वालों की संख्या में 11 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। भ्रष्ट देशों की सूची में भी भारत अव्वल है। इन विडम्बनापूर्ण एवं त्रासद स्थितियों से कम मुक्ति मिलेगी, कब हम ईमानदार बनेंगे? रिश्वतखोरी एवं भ्रष्टाचार से ठीक उसी प्रकार लड़ना होगा जैसे एक नन्हा-सा दीपक गहन अंधेरे से लड़ता है। छोटी औकात, पर अंधेरे को पास नहीं आने देता। क्षण-क्षण अग्नि-परीक्षा देता है। भ्रष्टाचार ऐसे ही पनपता रहा तो सब कुछ काला पड़ जायेगा, प्रगतिशील कदम उठाने वालों ने और राष्ट्रनिर्माताओं ने अगर व्यवस्था सुधारने में मुक्त मन से ईमानदार एवं निस्वार्थ प्रयत्न नहीं किया तो कहीं हम अपने स्वार्थी उन्माद में कोई ऐसा धागा नहीं खींच बैठे, जिससे पूरा कपड़ा ही उधड़ जाए।

नरेन्द्र मोदी सरकार जिस भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर चुनाव जीती थी वही भ्रष्टाचार कम होने की बजाय देश में अपनी जड़ें फैलाता जा रहा है। सरकार द्वारा भ्रष्टाचार से लड़ने के तमाम दावे किये गये लेकिन इसमें कमी होने की बजाय लगाता वृद्धि देखने को मिल रही है। ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्कल्स द्वारा किये गए इस सर्वे के अनुसार बीते एक साल में 56 प्रतिशत लोगों ने घूस देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। इस सर्वे में देश के कुल 1,60,000 लोगों ने भाग लिया। सर्वे के मुताबिक पिछले साल 45 प्रतिशत लोगों द्वारा घूस देने का मामला सामने आया था। 

सर्वे में जमीन की रजिस्ट्री जैसे कामों के लिए सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत लोगों ने सरकारी कर्मचारियों को घूस देने की बात कही है। पुलिस महकमा रिश्वतखोरी के मामले में दूसरे नंबर पर है। सर्वे में शामिल 25 प्रतिशत लोगों ने बताया कि पुलिस से जुड़े कामकाज के लिए उनको घूस देनी पड़ी, जबकि 18 प्रतिशत लोगों ने नगर निकायों से जुड़े कार्यों में रिश्वत देने की बात कही। हमारे देश में करप्शन ही वह मुद्दा है, जिसको हर चुनाव में जरूर उठाया जाता है। शायद ही कोई पार्टी हो जो अपने घोषणापत्र में भ्रष्टाचार दूर करने का वादा न करती हो। फिर भी इस समस्या से निजात मिलना तो दूर, इसकी रफ्तार कम होने का भी कोई संकेत आज तक नहीं मिला।

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रिश्वतखोरी के मामले में भारत पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, जापान, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों से आगे है। भ्रष्टाचार के खिलाफ तमाम आंदोलनों और सरकार की सख्ती के बावजूद रिश्वत के मामलों में भारतीय अपने पड़ोसी देशों को मात दे रहे हैं। अब भी दो तिहाई लोगों को सरकारी सेवाओं के बदले घूस देनी पड़ती है। एक सर्वे में दावा किया गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में रिश्वत के मामले में भारत शीर्ष पर है जहां दो तिहाई भारतीयों को सार्वजनिक सेवाएं लेने के लिए किसी न किसी रूप में रिश्वत देनी पड़ती है। भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी से लड़ने के लिए जो नियम-कानून बनते हैं, उनका ढंग से पालन नहीं हो पाता। कारण यह कि पालन कराने की जवाबदेही उन्हीं की होती है, जिनके खिलाफ ये कानून बने होते हैं। भ्रष्टाचार उन्मूलन (संशोधन) विधेयक 2018 सरकार ने इसी साल पास कराया। इसके तहत किसी बड़ी कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस की ओर से सरकारी नीति को तोड़ने-मरोड़ने के लिए ऑफिसरों को रिश्वत दी गई तो न केवल वे अधिकारी नपेंगे, बल्कि घूस देने वाली कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस के जवाबदेह लोग भी अंदर जाएंगे। कानून तो अच्छा है, पर यह सार्थक तभी होगा जब इसके सख्ती ले लागू होने की मिसालें पेश की जाएं। 

विडम्बनापूर्ण है कि बड़े औद्योगिक घराने, कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस अपने काम करवाने, गैरकानूनी कामों को अंजाम देने एवं नीतियों में बदलाव के लिये मोटी रकम रिश्वत के तौर पर या राजनीतिक चंदे के रूप में देते हैं। इस बड़े लेबल से अधिक खतरनाक है छोटे लेबल पर चल रहा भ्रष्टाचार। क्योंकि इसका शिकार आम आदमी होता है। जिससे देश का गरीब से गरीब तबका भी जूझ रहा है। ऊपर से नीचे तक सार्वजनिक संसाधनों को गटकने वाला अधिकारी-कर्मचारी, नेता और दलालों का एक मजबूत गठजोड़ बन गया है, जिसे तोड़ने की शुरुआत तभी होगी, जब कोई सरकार अपने ही एक हिस्से को अलग-थलग करने की हिम्मत दिखाए। अन्ना आंदोलन ने लोकपाल के अलावा स्थानीय भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी गंभीरता से उठाया था। नरेन्द्र मोदी ने भी भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिये कठोर कदम उठाये, इन स्थितियों के दबाव में एक-दो राज्य सरकारों ने खुद पहलकदमी करके कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने के लिए कुछ नियम बनाए थे। लेकिन दबाव कम होते ही सब कुछ फिर पुराने ढर्रे पर चलने लगा। केंद्र सरकार वाकई भ्रष्टाचार दूर करना चाहती है तो उसे असाधारण इच्छाशक्ति दिखानी होगी। आज सभी क्षेत्रों में ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता है जो सत्य की रेखा से कभी दाएं या बाएं नहीं चले। जो अपने कार्य की पूर्णता के लिए छलकपट का सहारा न लें।

देशव्यापी सर्वे में जो नतीजे सामने आए हैं, वे न केवल चैंकाने वाले हैं बल्कि चिन्ताजनक भी है। सर्वे में शामिल लोगों ने विभिन्न सरकारों की ओर से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए किए जा रहे उपायों के प्रति भी निराशा जताई। 38 फीसदी लोगों ने कहा कि राज्य सरकारों व स्थानीय प्रशासन ने कुछ कदम तो उठाए हैं, लेकिन वे अब तक निष्प्रभावी ही साबित हुए हैं। वहीं 48 फीसदी लोगों का मानना है कि राज्य सरकारें इस मोर्चे पर बिलकुल उदासीन हैं और कोई कदम नहीं उठा रही हैं। दुनिया भर में ऐसे तमाम अध्ययन हैं, जो साबित करते हैं कि भ्रष्टाचार से विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है। निवेश बाधित होता है और व्यापार की संभावनाएं सीमित होती हैं। 

सर्वे में कहा गया है कि रिश्वत की मांग करने वाले लोकसेवकों में पुलिस का स्थान सबसे ऊपर रहा। सर्वेक्षण में 85 प्रतिशत ने कहा कि पुलिस में कुछ अथवा सभी भ्रष्ट हैं। धार्मिक नेताओं के मामले में यह प्रतिशत 71 रहा। सर्वेक्षण में केवल 14 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि कोई भी धार्मिक नेता भ्रष्ट नहीं है जबकि 15 प्रतिशत उनके भ्रष्ट तरीकों से वाकिफ नहीं थे। पुलिस के बाद पांच सर्वाधिक भ्रष्ट श्रेणी में सरकारी अधिकारी 84 प्रतिशत, कारोबारी अधिकारी 79 फीसदी, स्थानीय पार्षद 78 प्रतिशत और सांसद 76 फीसदी रहे जबकि कर अधिकारी छठवें स्थान 74 फीसदी पर हैं। ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल के अध्यक्ष जोस उगाज ने कहा, ‘सरकारों को अपनी भ्रष्टाचार निरोधक प्रतिबद्धताओं को हकीकत का रूप देने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए। यह समय कहने का नहीं बल्कि करने का है। लाखों की संख्या में लोग लोकसेवकों को रिश्वत देने के लिए बाध्य होते हैं और इस बुराई का सर्वाधिक असर गरीब लोगों पर पड़ता है। सरकारों को सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धताओं के साथ साथ भ्रष्टाचार से निपटने के वादे भी पूरे करने चाहिए।’  हमें ऐसा राष्ट्रीय चरित्र निर्मित करना होगा, जिसे कोई ”रिश्वत“ छू नहीं सके, जिसको कोई ”सिफारिश“ प्रभावित नहीं कर सके और जिसकी कोई कीमत नहीं लगा सके। ईमानदारी अभिनय करके नहीं बताई जा सकती, उसे जीना पड़ता है कथनी और करनी की समानता के स्तर तक।


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(ललित गर्ग)
बी-380, प्रथम तल, 
निर्माण विहार, दिल्ली-110092
संपर्क :  9811051133

बेगूसराय : मुम्बई से आये संगीतकार का गिफ्टाई सभागार में भव्य स्वागत।

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) आज विजया दसवीं के शुभ उपलक्ष पर मुम्बई से बेगूसराय आये संगीतकार गणेश एस पाठक और गायक सागर का भव्य स्वागत गिफ्टाई फ़िल्म के सभागार में किया गया।गणेश एस पाठक ने बताया कि बेगूसराय आकर मैं खुद में बहुत ही गौरवानवित महसूस कर रहा हूँ,यहां कला की पूजा होती है और ही भी क्यों नहीं यह धरती ही दिनकर की धरती है जिन्होंने दुनियाँ के पटल पर बेगूसराय,बिहार ही नहीं बल्कि भारत का नाम उजागर किया है।इन्होंने बताया कि सागर जी के आवाज में खनक है ये यूँ ही गाते रहे तो ये भी बेगूसराय के साथ साथ बिहार का भी नाम रौशन करेंगे।आयोजन में आए "छोटकी दुल्हिन"फ़िल्म के निर्माता अमित राज से नैय फ़िल्म बनाने पर चर्चा की गई टी इन्होंने बताया कि फ़िल्म तो बनानी है और बनायेंगे भी,इंतज़ार है तो बस सही समय का।बेगूसराय में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे फ़िल्म निर्माण का ज्ञान हो,फ़िल्म कैसे बनती है इसके लिये कोरश करना पड़ता है या जिस तरह से मैं अपना जेब खर्चा ढीला करके मुम्बई का खाक छानकर शिकहा हूँ इस तरह खाक छाननेवाला भी फ़िल्म निर्माण कार्य कर सकताआ है मगर ऐसा को है ही नहीं।रही मेरी बात तो मैं फ़िल्म के लिए सही समय के इंतजार में हूँ जैसे ही मौका मिलेगा निर्माण में लग जाऊँगा फिर कोई बात छुपी थोड़े ही रहती है।जदयू अध्यक्ष अपनी बात रखते हुए बताए कि आज तो जिसजे देखो वही फ़िल्म बनाने में लगा जाता है,मगर उस फिल्म से मिलता क्या है बाद में रोने के सिवा ये तो जो बना चुके हैं वे बेहतर समैझ रहे हैं।मौके पर महालंठ और बलमा रंग रसिया के नायक भी मौजूद थे उन्हींने बताया कि फ़िल्म आनन-फानन में इसको उसको लेकर कोई भी बना लेता है मगर अभिनय क्या होता है इसका तो ज्ञान होना चाहिए।अभिनय का कोर्स है पढ़ने के बाद ही कोई सफल अभिनेता बन सकताआ है।भोला बसंत द्वारा निर्देशित और गायक सागर द्वार गाये गीतों की आज शहर में धूम मची हुई है,गायक सागर के द्वारा गया देवी भजन "माता रानी तेरी महिमा अपार"  एवं "अम्बे माँ जगदम्बे माँ"भजन काफी सराही जा रही है।मौके पर जदयू जिला अध्यक्ष भूमिपाल राय,मारक्वटिंग डिवीजन के विक्रय पदाधिकारी राजेन्द्र दास,अभिनेता सुदिर कुमार,निर्माताआ अमित राज,भोला बसंत,देवानंद सिंह,रॉकी राजा सहित अन्य कलताकारों की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 21 अक्टूबर

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पीठासीन एवं मतदान अधिकारी प्रशिक्षित हुए
आयोग के दिशा निर्देशों से बखूबी अवगत हो-अपर कलेक्टर 
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विदिशा जिले की पांचो विधानसभाओं के लिए नियुक्त पीठासीन अधिकारियों और मतदान अधिकारी क्रमांक-एक के लिए स्थानीय स्थलों पर रविवार को प्रथम चरण का प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ।  अपर कलेक्टर एवं प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी श्री एचपी वर्मा ने विदिशा जिला मुुुुुख्यालय के एसएटीआई के कक्षो में आयोजित प्रशिक्षण में शामिल पूर्व उल्लेखितों को सम्बोधित करते हुए उन्होेंने कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा पीठासीन अधिकारियों और मतदान दल अधिकारी क्रमांक-एक के लिए जो दिशा निर्देश एवं दायित्व सौंपे गए है उनसे बखूबी अवगत होकर आयोग की मंशानुसार कार्यो का सम्पादन समय सीमा में करना सुनिश्चित करें।  अपर कलेक्टर श्री वर्मा ने बताया कि विदिशा एवं शमशाबाद विधानसभा के मतदान दलोें को निर्वाचन सामग्री विदिशा जिला मुख्यालय से प्रदाय की जाएगी। शेष अन्य सिरोंज, कुरवाई और बासौदा विधानसभा के लिए मतदान दलों को स्थानीय स्तर पर निर्वाचन सामग्री का वितरण किया जाएगा।  अपर कलेक्टर श्री वर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मतदान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित रूप से सम्पन्न कराने के लिए आवश्यक सामग्री से स्वंय भलीभांति अवगत हो और अपने दल के अन्य साथियों को अवगत कराएं। उन्होंने ईव्हीएम और व्हीव्हीपैट की कार्यप्रणाली, संचालन पूर्व कनेक्शन करने के तरीकों से स्वंय अवगत हो और अपने अन्य सार्थियों को अवगत कराएं।  अपर कलेक्टर श्री वर्मा ने मतदान सामग्री प्राप्ति के उपरांत मिलान कैसे करना है कि सहज, सरल जानकारी देते हुए कहा कि मतदान केन्द्रों की ओर रवाना होने से पहले जो-जो आवश्यक सामग्री है वह प्राप्त की जा चुकी है का मिलान चेक लिस्ट से अनिवार्यतः करें। निर्वाचन के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो का विशेष ध्यान रखते हुए सामग्री के संबंध में जहां कही भी किसी भी प्रकार की दिक्कत हो तो अविलम्ब उसका निराकरण कराएं।  अपर कलेक्टर श्री वर्मा ने बताया कि पहली बार पिंक बूथ आयोग की मंशानुसार जिले की विधानसभाओं में बनाए जाएंगे। इन सभी मतदान केन्द्रों पर शत प्रतिशत महिला मतदान अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने प्रशिक्षण में शामिल महिला प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि वे प्रशिक्षण समाप्ति के उपरांत स्वंय का किस मतदान केन्द्र में नाम है अर्थात वोट डालने जाना है कि जानकारीयुक्त प्रपत्र में अंकित अनिवार्यतः करें ताकि संबंधित मतदान केन्द्र को छोड़कर समीप के मतदान केन्द्र में महिलाओं की ड्यूटी निर्वाचन कार्यो के मददेनजर लगाई जा सकें।  अपर कलेक्टर श्री वर्मा ने मतदान केन्द्र पर सामग्री प्राप्ति के उपरांत मतदान केन्द्र पर पहुंचने पर मतदान केन्द्र को कोई भी मतदानकर्मी छोड़कर ना जाएं। खासकर सायंकाल भोजन करने इधर-उधर चले जाते है ऐसी पूर्व जानकारियां है किन्तु इस चुनाव में इस बात का विशेष ध्यान रखे कि मतदानकर्मी मतदान केन्द्र को कदापि छोड़कर ना जाएं। मतदानकर्मियों के लिए भोजन की व्यवस्था मतदान केन्द्र पर ही क्रियान्वित की जाएगी। अपर कलेक्टर श्री वर्मा ने मतदान केन्द्र पर मतदान दिवस के पूर्व की जाने वाली व्यवस्थाओं की बिन्दुवार जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि जिले के प्रत्येक मतदान केन्द्र पर 28 नवम्बर को मतदान होना है इसके लिए संबंधित मतदान केन्द्र पर तैनात किए जाने वाले मतदानकर्मी 28 नवम्बर की प्रातः मतदान समय के एक घंटा पूर्व माॅकपोल करने के उपरांत ही मतदान प्रक्रिया प्रारंभ कराएं। उन्होंने माॅकपोल के दौरान किन-किन को उपस्थित होना आवश्यक है से भी अवगत कराया। अपर कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि अभ्यर्थी और राजनैतिक दलों के पोलिंग ऐजेन्ट यदि माॅकपोल के दौरान उपस्थित नही रहते है तो भी माॅकपोल कर मतदान प्रक्रिया आयोग के द्वारा निर्धारित समय पर शुरू कराएं। उन्होंने माॅकपोल की जानकारी जिला निर्वाचन कार्यालय को निर्धारित प्रपत्रों में अवगत कराने की भी समझाईश दी।  अपर कलेक्टर श्री वर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मतदान केन्द्र पर पीठासीन अधिकारी, मतदान दल अधिकारी क्रमांक-एक, दो, तीन और चार के क्या-क्या दायित्व हो से आयोग द्वारा निर्धारण किया गया है। प्रथम चरण के प्रशिक्षण में शामिल पीठासीन अधिकारी और अन्य को उनके दायित्वों से अवगत कराया जा रहा है।  प्रशिक्षण में शामिल प्रशिक्षणार्थियो से श्री वर्मा ने संवाद स्थापित कर उनसे कहा कि वे अपने अंदर किसी भी प्रकार की शंका को लेकर ना जाएं। जो भी विचार, समस्या उनको नजर आ रही है अथवा भविष्य में होने की संभावना है तो उसका समाधान मास्टर टेªनर से प्राप्त कर ही प्रशिक्षण संस्थान को छोडे़। प्रशिक्षण में शामिल सभी प्रशिक्षणार्थियों से डाक मत पत्र देने हेतु निर्धारित प्रारूप-12 में रिटर्निंग आफीसर को प्रज्ञापना पत्र प्रदाय किया गया।  इस अवसर पर विदिशा एसडीएम श्री सीपी गोहल, तहसीलदार श्री आशुतोष शर्मा के अलावा मास्टर टेªनर्स और प्रशिक्षणार्थी मौजूद थे।

आयोग के दिशा निर्देशों से बखूबी अवगत हो-अपर कलेक्टर 

विधानसभा निर्वाचन 2018 के लिए कुल 1715 पीठासीन अधिकारियों और मतदान अधिकारी एक क्रमशः 1715-1715 को प्रशिक्षित किया जाएगा। विकासखण्डवार पूर्व नियत स्थलों पर निर्धारित दो पालियों में प्रशिक्षण आयोजित किया गया था जिसमें विदिशा में एसएटीआई के कक्षो में, बासौदा के प्रशिक्षणर्थियों हेतु एलबीएस काॅलेज बासौदा के पांच कक्षोे मेें तथा विकासखण्ड ग्यारसपुर, कुरवाई एवं नटेरन के स्थानीय उत्कृष्ट विद्यालयों में तथा सिरोंज एवं लटेरी विकासखण्ड की स्थानीय पाॅलिटेक्निक काॅलेज में प्रथम चरण का प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। 

फ्लैक्स से आगंतुक मतदान के प्रति जागरूकता की ओर

जनसम्पर्क आयुक्त द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में विदिशा जिला जनसम्पर्क कार्यालय में भी आगंतुको को मतदान के प्रति जागरूक किया जा रहा है यह संदेश फ्लैक्स के माध्यम से बखूबी निभाया जा रहा है।  जिला जनसम्पर्क कार्यालय में जारी निर्देशानुसार 20ग10 वर्ग फीट आकार में मुद्रित कर फ्लैक्स बैनर लगाया गया है जिसमें जनपर्व मतदान दिवस 28 नवम्बर को अपने मतदान केन्द्र पर पहुंचकर मतदाता अपना मत अनिवार्यतः दें कि अपील की गई है। इसी प्रकार दिव्यांग और 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले सुगम संसाधनों से भी अवगत कराया जा रहा है।  विधानसभा निर्वाचन 2018 में विदिशा जिले के सभी मतदाता अपने मतों का प्रयोग निर्भीक एवं स्वेच्छा से करें का संदेश देने के लिए कार्यालय में लगाया गया है। कार्यालय में आगंतुकों के द्वारा ततसंबंध में जानकारी प्राप्त की जा रही है उन्हें कार्यालय में गठित मतदाता जागरूकता प्रकोष्ठ के नोडल एवं सहायक नोडल अधिकारी के द्वारा विस्तारपूर्वक जानकारी दी जा रही है। कार्यालय में आगंतुकों को दी जाने वाली जानकारी के अपडेट रिकार्ड संधारण हेतु पंजी संधारित की जा रही है। सभी आगंतुकों को अवगत कराया जा रहा है कि सारे काम छोड़ दो, सबसे पहले वोट दो, वोट आपका मौलिक अधिकार है, बिना भय के अपने मत का प्रयोग निर्धारित मतदान केन्द्र पर पहुंचकर 28 नवम्बर को निर्धारित समयावधि में अवश्य करें।

एमसीएमसी के सदस्य प्रशिक्षित हुए

पैड न्यूज पर नजर रखने हेतु विदिशा जिले की सभी विधानसभाओं में एक-एक एमसीएमसी का गठन कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के द्वारा किया गया है। जिला मुख्यालय की विदिशा विधानसभा के साथ-साथ अन्य चार विधानसभाएं क्रमशः बासौदा, कुरवाई, सिरोंज एवं शमशाबाद में स्थानीय स्तर पर एमसीएमसी के माध्यम से लोकल केबल द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों पर नजर रखने हेतु विशेष प्रबंध सुनिश्चित किए गए है। जिला स्तरीय एमसीएमसी के सदस्य, सचिव एवं जनसम्पर्क अधिकारी ने शनिवार को बासौदा, कुरवाई एवं सिरोंज विधानसभा क्षेत्र की एमसीएमसी के सदस्यों को स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित किया है। विधानसभाओं की एमसीएमसी के सदस्यों को पैड न्यूज के संबंध में कैसे अवगत हो, राजनैतिक एवं अभ्यर्थियों के द्वारा  इलेक्ट्राॅनिक चैनलों के साथ स्थानीय केबल पर प्रसारण के पूर्व अनुुुमति प्राप्ति के लिए निर्धारित आवेदन पत्र, साक्ष्य के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गइ्र्र और आयोग द्वारा निर्धारित प्रपत्रों की प्रतियां उपलब्ध कराई गई है। तीनो विधानसभाओं के एमसीएमसी के कार्यो को क्रियान्वित करने वाले नोडल एवं सहायक अधिकारियों को अवगत कराया गया कि किसी भी प्रकार का राजनैतिक, अभ्यर्थी का विज्ञापन घोषणा अथवा नाम निर्देशन पत्र दाखिल होने की तिथि से प्रसारित होता है तो निर्धारित डीएपी रेट अनुसार व्यय खर्च जोडने हेतु व्यय प्रकोष्ठ समिति को प्रेषित किया जाएगा। मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को चैनलो पर विज्ञापन प्रसारण हेतु तीन दिवस पूर्व तथा गैर मान्यता प्राप्त दलों को सात दिवस पूर्व आवेदन प्रस्तुत करना होगा। आवेदन के साथ प्रसारण संबंधी जानकारी दो सीडी,  डीव्हीडी में अभ्यर्थी एवं उसके द्वारा नियुक्त एजेन्ट के हस्ताक्षरयुक्त एमसीएमसी के द्वारा प्राप्त की जाएगी। अवलोकन उपरांत आदर्श आचरण संहिता का पालन पाया जाने पर प्रसारण की अनुमति प्रदाय की जाएगी।  एमसीएमसी के सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया कि पैड न्यूज की पहचान कैसे करें, पैड न्यूज के दायरें में क्या-क्या शामिल है। अभ्यर्थी द्वारा नाम निर्देशन पत्र दाखिल करते समय निर्धारित प्रपत्र में अपने सोशल मीडिया एकाउंट की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा आपराधिक मामलों के संबंध में भी तीन सर्वाधिक प्रसारित अखबारों और चैनलो पर भी प्रसारित की जाएगी।  पैड न्यूज के मामलो में आयोग द्वारा निर्धारित प्रपत्रों में तय अवधि अनुसार जानकारियां अंकित कर जिला निर्वाचन कार्यालय को अवगत कराने की प्रयोगिक जानकारी दी गई। इस दौरान बासौदा में स्थानीय एसडीएम श्री प्रकाश नायक, कुरवाई के स्थानीय एसडीएम श्री अनिल कुमार जैन तथा सिरोंज के नायब तहसीलदार ने भी एमसीएमसी के सदस्यों को आहूत प्रशिक्षण में शामिल होकर पैड न्यूज संबंधी जानकारियां प्राप्त की है।

शासकीय सेवक बैलेट पेपर से कर सकेंगे मतदान 

विधानसभा निर्वाचन 2018 के कार्यो के सम्पादन हेतु खासकर मतदान प्रक्रिया को क्रियान्वित कराने वाले शासकीय सेवक बैलेट पेपर से मतदान कर सकेंगे की जानकारी आज प्रथम चरण के आयोजित प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को भलीभांति दी गई है। प्रशिक्षण में शामिल हुए संबंधितों से डाक बैलेट पेपर प्राप्ति हेतु निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करने हेतु अवगत कराते हुए प्रतियां प्रशिक्षार्थियों को उपलब्ध कराई गई है। निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशानुसार शासकीय सेवा में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों के लिए इलेक्ट्राॅनिक पोस्टल बैलेट पेपर तैयार किए गए है जिसमें मतदान करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। 

मतदाताओं को डराने, धमकाने पर होगी दण्डात्मक कार्यवाही-कलेक्टर श्री सिंह 

विधानसभा निर्वाचन के दौरान मतदाताओं को डराने, धमकाने वाले व्यक्तियों के विरूद्व कठोर दण्डात्मक कार्यवाही होगी के आदेश कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री केव्ही सिंह के द्वारा जारी किए जा चुके है। उन्होंने जारी आदेश का अक्षरशः पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश संबंधितों को दिए है।  कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री सिंह ने कहा है कि मतदाताओं को कोई भी डरा धमका नही सकता है। आवश्कता पडी तो मतदाता के घर से लेकर मतदान केन्द्र तक पुलिस तैनात की जाएगी और पुलिस के संरक्षण में मतदाता अपने मत का प्रयोग निर्भीक होकर कर सकेंगे। मतदाताओं को धमकी देने वाले के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी।  कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री सिंह ने सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे अपने मतों का प्रयोग निर्भीक होकर करें। यदि उन्हें कही भी किसी भी प्रकार की असुविधा हो रही है तो अविलम्ब, व्यक्तिगत अथवा गोपनीय सूत्रों से अवगत कराएं ताकि प्रभावित करने वाले के खिलाफ कठोर दण्डात्मक कार्यवाही शीघ्र की जा सकें।

मतदाता पर्चियों का अनाधिकृत वितरण और कब्जे में पाएं जाने पर होगी कार्यवाही

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मतदान के पांच दिन पूर्व मतदाता पर्ची का वितरण पूर्ण हो जाएगा। इस बार मतदाता पर्ची में मतदान केन्द्र तक पहुंचने का नक्शा भी उपलब्ध रहेगा। पर्ची वितरण के समय बीएलओ मतदाता पर्ची की मतदाताआंे से पावती प्राप्त करेगा। ऐसे मतदाता जिनको मतदाता पर्ची का वितरण नही हो पाएगा उनकी सूची पीठासीन अधिकारी अपने पास रखेगा। फोटो मतदाता पर्ची किसी अनाधिकृत व्यक्ति के पास पाए जाने या वितरण किए जाने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 तथा भारतीय दंड संहिता के अनुसार उल्लघंन माना जाएगा और ऐसे व्यक्ति के विरूद्व दण्डात्मक कार्यवाही होगी। 

सेक्टर आफीसर हर स्थिति पर रखे पैनी नजर-कलेक्टर

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने विदिशा जिले की पांचो विधानसभाओं में नियुक्त सेक्टर आफीसरोें को विशेष निर्देश दिए है कि अपने क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी रखें, साथ ही साथ मतदान दिवस के पूर्व समय-समय पर भ्रमण कर स्वंय अपडेट रहे और जिला निर्वाचन कार्यालय को अपडेट करें। कही भी किसी भी बात की अनदेखी ना करें। मतदान केन्द्र, मतदान दल, कानून व्यवस्था, सम्पत्ति विरूपण इत्यादि पर भी पैनी नजर रखेे। आयोग की मंशानुसार जिले में निष्पक्ष, पारदर्शी, सुगम मतदान सम्पन्न कराया जा सकें। इस कार्य में सेक्टर आफीसरों की महती भूमिका है।  कलेक्टर श्री सिंह ने विधानसभा क्षेत्रों मंे कुछ मतदान केन्द्रों की बेवकास्टिंग होगी  इसके लिए आयोग द्वारा निर्धारित मापदण्डों का पालन शत प्रतिशत किया जाएगा उन्होनंेे सेक्टर आफीसर अपने क्रिटिकल मतदान केन्द्रो की व्यवस्थाओं का बारीकी से अध्ययन करे क्रियान्वयन करें।  कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि सेक्टर आफीसर मतदान केन्द्रों की भौगोलिक स्थिति से बखूबी अवगत होकर कार्यो का क्रियान्वयन करें। आवश्यकतानुसार एफएसटी, एसएसटी तथा डायर 100 से समन्वय एवं सम्पर्क  बना रखें के प्रबंध सुनिश्चित किए जाए। ऐसे क्षेत्र जहां मोबाइल नेटवर्क काम नही करता है वहा की वैकल्पिक व्यवस्था क्या होगी का निर्धारण कर जिला कार्यालय को अवगत कराएं।

दिव्यांगों एवं अति वृद्वजनो को आयोग अनुसार सुविधा मुहैया होगी-कलेक्टर

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा निर्वाचन 2018 में दिव्यांग व्यक्तियों, अति वृद्वजन ( 80 वर्ष से अधिक आयु) को सुविधा प्रदान करने के संबंध में जारी दिशा निर्देशों का अक्षरशः क्रियान्वयन करने के निर्देश कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के द्वारा संबंधितों को जारी किए गए है। कलेक्टर श्री सिह के द्वारा जिला स्तरीय माॅनिरिंग प्रकोष्ठ का भी गठन किया गया है। उक्त प्रकोष्ठ का नोडल एवं समन्वय का दायित्व सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक डाॅ पीके मिश्रा को सौंपा गया है। सहयोगी अधिकारी के रूप में श्री भगवान सिंह राजपूत को तैनात किया गया है। प्रकोष्ठ के सुव्यवस्थित संचालन एवं क्रियान्वयन के लिए सामाजिक न्याय विभाग के अमले को भी दायित्व सौंपे गए है।

होर्डिग्स एवं फ्लैक्सों से जागरूक हो रहे है मतदाता

जिले के सभी मतदाताओं को जागरूक करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के द्वार दिए गए निर्देशो के अनुपालन में विदिशा जिले की पांचो विधानसभाओं में होर्डिग्स एवं फ्लेक्सोें से मतदाताओं को जागरूक किया जा रहा है उक्त कार्य सभी चैराहो, हाट बाजारों के साथ-साथ बस स्टेण्डों, रेल्वे स्टेशनांें के प्रागंणों मेें लगाकर किया जा रहा है। कलेक्टर श्री सिंह ने सभी अधिकारी, कर्मचारियों को निर्देश दिए है कि उनके सम्पर्क में आने वाले मतदाताओं को विधानसभा निर्वाचन की संक्षिप्त जानकारी खासकर निर्भीक होकर 28 नवम्बर को मतदान करने से अवगत कराया जाए। इसी प्रकार के फ्लैक्स विभिन्न कार्यालयों मे भी लगवाए गए है ताकि आगंतुक मतदाताओं को सुगमता से जानकारियां प्राप्त हो  सकें। स्वीप गतिविधियों के माध्यम से भी मतदाताओं को जागरूक करने के लिए जिले में नितनवाचार जारी है। है।

प्रकोष्ठों के कार्यो की समीक्षा मंगलवार को

विधानसभा निर्वाचन 2018 के कार्य त्वरित सम्पादित हो इसके लिए जिले में विभिन्न में प्रकोष्ठों का गठन कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के द्वारा किया गया है। उन्होंने प्रकोष्ठों का दायित्व नोडल अधिकारियों को सौंपा है।  कलेक्टर द्वारा 23 अक्टूबर को प्रकोष्ठो के नोडल अधिकारियों की संयुक्त बैठक प्रातः 11 बजे से कलेक्टेªट सभाकक्ष में आहूत की है। उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री संदीप अष्ठाना ने समस्त नोडल अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर उन्हें प्रकोष्ठ की संबंधित तमाम अद्यतन जानकारियो सहित बैठक में उपस्थित होने के निर्देश दिए है।

चुनाव प्रचार समाप्ति के बाद सभा, जुलूस, सार्वजनिक प्रचार-प्रसार करना दण्डनीय 

भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट आदेश जारी कर विधानसभा निर्वाचन 2018 के दरम्यिान चुनाव प्रचार समाप्ति के बाद सभा, जुलूस, सार्वनिक प्रचार-प्रसार करना दण्डनीय होगा। ततसंबंध में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी को आवश्यक कार्यवाही करने हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए है।  मतदान समाप्ति के निर्धारित समय से 48 घंटे पूर्व कोई भी प्रत्याशी निर्वाचन के संबंध में कोई भी सार्वजनिक सभा या जुलूस नही करेगा और ना ही उसमें सम्मिलित होगा। इसी प्रकार उसे सम्बोधित भी नही करेगा। कोई भी प्रत्याशी प्रचार समाप्ति के बाद किसी भी ऐसे सार्वजनिक आयोजन, धार्मिक, शादी-विवाह समारोह में सम्मिलित होकर चुनाव प्रचार संबंधी किसी भी प्रकार की कोई भी अपील नही करेगा। टीव्ही, चलचित्र, रेडियो एफएम चैनल, मोबाइल पर वीडियो संदेश, बाॅयस संदेश और ऐसे किसी भी साधन से चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद प्रचार संबंधी कोई अपील नही करेगा। कोई भी प्रत्याशी संगीत समारोह, नाट्य अभिनय और मनोरंजन के किसी भी ऐसे साधन का प्रयोग नहीं करेगा। जिससे चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित किया जा सकें। किसी भी प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन की व्यवस्था भी नहीं करेगा। जनता के समक्ष चुनाव संबंधी बात का प्रचार नहीं करेगा। उक्त बातों का उल्लघंन होने पर दो वर्ष का कारावास या जुुर्माना या फिर दोनो प्रकार के दण्ड का प्रावधान है। 

शिकायत प्रकोष्ठ 24 घंटे क्रियाशील

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने जिले के सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे 28 नवम्बर मतदान दिवस को अपने मताधिकार का प्रयोग निर्भीक होकर संबंधित मतदान केन्द्र में पहुंचकर करें। उन्होंने मतदाताओं से निवेदन किया है कि लोकतंत्र के महापर्व में विधानसभा के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए जाएं । बिना किसी भय, प्रलोभन के अपने मत का प्रयोग करें। यदि कोई भयभीत करता है तो अविलम्ब शिकायत प्रकोष्ठों के राज्य स्तरीय टोल फ्री नम्बर 1950 के अलावा विदिशा जिले में जिला स्तरीय शिकायत प्रकोष्ठ का दूरभाष क्रमंाक नम्बर 07592-233302 अथवा जिला मुख्यालय पर क्रियाशील टोल फ्री नम्बर 18002337017 है। उक्त तीनों टेलीफोन नम्बरों में से किसी एक पर चैबीस घंटे सातो दिनों में कभी भी दर्ज करा सकते है।

अवकाश पर तत्काल प्रभार से प्रतिबंध

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने निर्वाचन कार्य को दृष्टिगत रखते हुए शासकीय सेवकों के सभी प्रकार के अवकाशों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया गया है तथा मुख्यालय पर रहने के निर्देश दिए है। कलेक्टर ने अधिकारी, कर्मचारी को निर्देश दिए है कि किसी बीमारी एवं अतिआवश्यक कार्य होने की दशा में मुख्यालय से बाहर जाना है तो अवकाश स्वीकृत होेने पर तथा अनुमति मिलने पर ही मुख्यालय छोेडेगेे। बिना अनुमति के अवकाश एवं मुख्यालय छोडने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्व लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर ने आदेश का कडाई से पालन करने के निर्देश समस्त विभागों के जिलाधिकारियों के साथ-साथ अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को दिए है। 

सम्पत्ति विरूपण के तहत कार्यवाही जारी
अब तक शासकीय परिसम्पत्ति से 24721 एवं निजी सम्पत्ति से 19055 का विरूपण 
विधानसभा निर्वाचन कार्यक्रम जारी होते ही जिले में आदर्श आचार संहिता प्रभावशील हो जाने के फलस्वरूप मध्यप्रदेश सम्पत्ति विरूपण निवारण अधिनियम अंतर्गत लोक सम्पत्ति सुरक्षा दस्ता (दल) के सदस्यों द्वारा शासकीय एवं निजी परिसम्पत्ति की जांच पड़ताल कर सघन कार्यवाही जारी है। आज दिनांक 21 अक्टूबर तक शासकीय परिसम्पतियों एवं निजी परिसम्पतियों से की गई विरूपण की जानकारी संबंधित प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई तदानुसार जिसमें दीवार लेखन पर से 11263 लेखन को मिटाया गया है। वही 6764 पोस्टर एवं 2958 बैनरों को निकाला गया है और अन्य 3736 इस प्रकार कुल 24721 का विरूपण किया गया है। इसी प्रकार निजी स्वामित्वों सम्पत्ति पर भी बिना अनुमति के पाए जाने पर विरूपण की कार्यवाही की गई है जिसमें दीवार लेखन 9714, पोस्टर 3548, बैनर 469 तथा अन्य 5324 इस प्रकार कुल 19055 का विरूपण किया गया है।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 21 अक्टूबर

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सैकड़ों राष्ट्रीय बजरंग दल के कार्यकर्ता  जयघोष करते,अयोध्या के लिए हुए रवाना 

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सीहोर। जिले से राष्ट्रीय बजरंग दल के सैकड़ों कार्यकर्ता डॉ प्रवीण भाई तोगडिय़ा के नेतृत्व में अयोध्या पहुंचें। अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद राष्ट्रीय बजरंग दल ने अयोध्या में शीघ्र भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया। संगठन के नगर प्रभारी अनुराग राठौर ने बताया की अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद राष्ट्रीय बजरंग दल ने लखनऊ के अम्बेडकर पार्क से रविवार को पदयात्रा शुरू की। पदयात्रा में अतुल राठौर काका, पृथ्वी सिंह मेवाड़ा, घनश्याम सिंह ठाकुर, मनीष मेवाड़ा, प्रकाश परमार, अनौखी परमार, मनोज आर्य, नवीन राठौर, मुकेश राठौर, मदन मेवाड़ा, हरिओम वर्मा, शंकर ठाकुर, अर्जुन राठौर, नवीन आर्य, अमित राठौर, पप्ू गुरूदेव, शेलू राठौर, सतीष चौरसिया, सानू राठौर राजकुमार यादव, मुकेश परमार, बलराज सिंह, योगेश राठौर, राहुल राठौर, कमलेश यादव मंगलवार को अयोध्या पहुंचेंगे। पदयात्री रामलल्ला के दर्शन के बाद धर्म सभा में शामिल होंगे। 

विहिप मनाएगा बाल्मीकि जयंती एवं हुतात्मा,शौर्य दिवस
श्यामपुर में हुई जिला पदाधिकारियों की बैठक 
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सीहोर। विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल की जिला बैठक श्यामपुर प्रखंड के प्राचीन चोपड़ा वाले हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित की गई। अध्यक्षता  जिला अध्यक्ष सुनील शर्मा ने की। विहिप के आगामी कार्यक्रमों की योजना तैयार की गई । बाल्मीकि जयंती एवं हुतात्मा दिवस और छ: दिसंबर शौर्य दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।  शस्त्र पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। शस्त्र पूजन के बाद आगामी छ: दिसंबर को जिला मुख्यालय स्थित आवासीय खेल कूद मैदान से  भव्य वाहन रैली और कार्यकर्ता महासम्मेलन और आयोजन की तैयारियों सहित संगठन  विस्तार को लेकर चर्चा की गई। बैठक में प्रमुख रूप से  विश्व हिंदू परिषद जिला उपाध्यक्ष जगदीश कुशवाह जिला मंत्री राकेश विश्वकर्मा, जिला संयोजक विवेक राठौर, जिला जिला कोषाध्यक्ष पंडित मोहित राम पाठक, गोरक्षा प्रमुख जितेन्द्र नारोलिया, बजरंग दल जिला गोरक्षा प्रमुख राजू मीणा, जिला सह संयोजक ठाकुरजी, दुर्गा वाहिनी जिला संयोजक अलका कुशवाह एवं प्रखंड ग्रामीण प्रखंड अध्यक्ष महेश मेवाड़ा एवं नगर के आलेख, योगेश,  आशीष, मोहन, आशीष कुशवाह,  महेंद्र, एवं अन्य दायित्वान पदाधिकारी उपस्थित रहे। 

बिहार : ‘भाजपा हराओ देश बचाओ’ विराट रैली की तैयारियाँ जोरों पर

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पटना, 21 अक्टूबर।  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा 25 अक्टूबर को गाँधी मैदान, पटना में आयोजित होने वाली ‘भाजपा हराओ देष बचाओ’ विराट रैली की तैयारियाँ जोरों पर हैं। पार्टी के सैकड़ों कार्यकत्र्ता पटना शहर और रैली स्थल गाँधी मैदान को लाल झंडों और बैनरों से सजाने में दिन रात लगे हैं। पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह रविवार को राज्य सचिवमंडल सदस्यों के साथ गांधी मैदान का दौरा किया और तैयारी का जायजा लिया। उन्होंने तैयारी पर संतुष्टि जताते हुए कार्यकत्र्ताओं को पटना को लाल झंडों से सजाने का आह्वान किया।  रैली में दो लाख से अधिक लोग भाग लेंगे। पटना में उनके ठहरने, पेयजल, शौचालय, चिकित्सा आदि की व्यवस्था कर ली गई है।

आज यहां हुई पार्टी के राज्य सचिवमंडल की बैठक में रैली की तैयारियों की समीक्षा की गई। बैठक की अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने की। बैठक के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने कहा कि हर दृष्टि से 25 अक्टूबर की रैली ऐतिहासिक होगी। रैली को लेकर राज्य भर में पार्टी कार्यकत्र्ता में जोष-खरोष है। जिलों में रैली की तैयारी को लेकर जीप जत्था निकाला गया है। पार्टी के सभी कार्यकत्र्ता रैली की तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हुये है। जिलों से लोगों का जत्था 23 अक्टूबर से ही पटना पहुँचेने लगेगा। रैली केन्द्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों और सांप्रदायिकता के खिलाफ आयोजित है। पेट्रोल-डीजल, घरेलू किमतों में वेतहाषा बढ़ोतरी, दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं पर हो रहे जुल्म और राफेल खरीद में घोटाले के खिलाफ तथा सभी को रोजगार, षिक्षा, स्वस्थ्य की गारंटी की मांग को लेकर रैली आयोजित की गई है। रैली को भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रीय सचिव व सांसद डी. राजा, राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान, राष्ट्रीय सचिव रमेन्द्र कुमार, राष्ट्रीय सचिव के. नारायणा, नेषनल फेडरेषन आॅफ इण्डियन वोमेंन के महासचिव का॰ ऐनी राजा, जे.एन.यू. छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष डा॰ कन्हैया कुमार, माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य, समाजवादी नेता शरद यादव, बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, दलित युवा नेता व गुजरात के विधायक जिग्नेष मेवानी, काँग्रेस नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद अखिलेष प्रसाद सिंह एवं सांसद तारिक अनवर आदि नेता रैली को संबोधित करेंगे। 

बेगूसराय : राजनीति के नायक डॉ• भोला सिंह पंचतत्त्व में विलीन।

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) बिहार के राजनीति के महनायक जिसने पांच दसक तक राज्य के राजनीतिक आसमान पर कभी सूर्य की तरह,आलोचना रूपी ताप तो कभी पूर्णमासी के चंद्रमा की तरह  सेवा रूपी  शीतलता से ओतप्रोत रखा।जिस तरह गंगा की अविरल धारा सदैब अपनी भव्यता एवं पवित्रता अक्षुण रखती है चाहे उसकी धारा कहीं से गुजरे,चाहे कितने पापों का हनन करे ठीक उसी तरह चाहे जिस राजनीतिक दल में रहे कभी भी उन्होने मर्यादा एवं विचाधारा से समझौता नही किया।जिस की भी पार्टी में रहे अपनी गरिमा और मर्यादा को बनाये रख्खा सदा।इनकी राजनीति का उदय कॉम्युनिष्ट पार्टी से हुआ।उस वक्त कॉमरेड सूर्यनारायण सिंह (सूरज दा) और कॉमरेड चंद्रशेखर सिंह (चानो दा)जिनके याद में एन एच 31 पपरौर में अस्पताल चाँद सूरज आज भीसमाज को बेहतर सेवा देने के लिये कटिबद्ध है। कॉमरेड केदार राय,सीताराम महाराज,सियाराम यादव,कॉमरेड सुखदेव सिंह आदि इनके साथी कार्यकर्ता थे।इसके बाद इन्होंने कॉंग्रेसि पार्टी में काफी दिन अपना योगदान देते रहे।अंत मे इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लिये समर्पित हो गए और यहाँ आने के बाद इसी पार्रि ने इनको समझा और इनको बेगूसराय संसदीय क्षेत्र के सांसद के रूप में कार्य करते हुए आज बेगूसराय का नाम फ़लक पर पहुँचाया।बेगूसराय की जनता इन्हें इनके कृतियों के साथ सदा याद रखेगी।आज ये  महान विभूति खुद को प्रवाह कहनेवाले पंचतत्व में विलीन हो गंगा के अविरल धारा में सदा सदा के लिये प्रवाहित हो गए। ऐसे महान आत्मा को बेगूसराय की जनता कोटि कोटि नमन करती है। 

दिल्ली ओलम्पिक गेम -2018 की सफलता पर आभार समारोह आयोजित

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.नई दिल्ली।  दिल्ली ओलम्पिक एसोसिएशन द्वारा सभी मान्यता प्राप्त खेल संघों,एसोसिएशनो के पदाधिकारी और प्रशिक्षकों का दिल्ली ओलम्पिक गेम -2018 सफलता पूर्वक संम्पन्न कराने पर आभार ज्ञापन समारोह एवं सहभोज समारोह भारतीयम रिजॉर्ट जी टी करनाल रोड पर आयोजित किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि दिल्ली ओलम्पिक एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप वत्स,द्रोणाचार्य अवार्डी एवं नेशनल रेसलिंग कोच हनुमान अखाडा श्री महासिंह राव,अर्जुन अवार्डी और नेशनल कब्बडी टीम के कैप्टन दविंदर सिंह जी,आयोजन समिति के चेयरमैन प्रदीप वत्स समेत दिल्ली ओलम्पिक  कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य थे।  इस मौके पर  द्रोणाचार्य अवार्डी एवं नेशनल रेसलिंग कोच हनुमान अखाडा श्री महासिंह राव ने अपने विचार प्रकट करते हुए गुरु शिष्य परम्परा को बचाने और सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के साथ खिलाडियों  आगे बढ़ाने की बात पर बल दिया। उन्होंने खिलाडियों को नशे और डोपिंग से दूर रहने दूर रहकर अपने परिश्रम और योग्यता से आगे बढ़ने की अपील की।  इस मौके पर  ओलम्पिक एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप वत्स ने सभी अथितियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह इतना बड़ा आयोजन आप सभी फेडरेशनों और एसोसिएशनों के सहयोग के आयोजित करना संभव नहीं था आप सभी ने सहयोग दिया इसके लिए मैं आपका आभार प्रकट करता हूँ। उन्होंने कहा कि इस बार बिना किसी सरकारी सहायता के इतना बड़ा आयोजन करने में हम सफल रहे हैं। आगे भी हम इससे बड़ा और आयोजन करेंगे जिसकी योजना के लिए हम सभी को अभी से प्रयास करने होंगे। इस अवसर पर रोप स्किपिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव निर्देश शर्मा ने कहा कि यह आयोजन बहुत बड़ा था इसलिए समय कम मिला हमें ख़ुशी है कि  दिल्ली ओलम्पिक एसोसिएशन की टीम और हमने मिलकर अच्छा आयोजन किया है। इस मौके पर  दिल्ली ओलम्पिक जुडो खेल के आयोजन सचिव अजय वत्स ने कहा कि  हमें अगर दिल्ली सरकार मदद करती तो हम प्रतिभाओं को आगे लाने का और अधिक प्रयास करते हमने अपने स्वयं के खर्चे से आयोजन के हिस्सा लिया यह खिलाडियों और प्रशिक्षकों की खेल के प्रति समर्पित भावना को दर्शाता है। इस समारोह में जम्प रोप एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी अशोक कुमार निर्भय, हरीश सैनी,दीपक कुमार,रवि पासवान,अलका मिश्रा,राहुल शर्मा,दीपक समेत अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे। 

आगरा चर्च में नवा खानी त्योहार मनाया गया

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नोएडा। आगरा धर्मप्रांत में है संत मेरी चर्च। आज इस चर्च में नवा खानी त्योहार मनाया गया।यह मूलत: नयी फसल को काटने के बाद भगवान को अर्पित कर धन्यवाद देने का पर्व है। कहते हैं कि आपने साल भर खाने के लिए चावल दे दिया है। इसका इजहार नागपुरियां गान पर परंपरागत नृत्य   मांदर की थाप पर झूमते हैं। एसोसिएशन ऑफ दी वेलफेयर ऑफ छोटानागपुर ट्राइवल्स राउलकेला,उड़ीसा,झारखंड,केरल, छतीसगढ़ आदि जगहों से लोग आकर रहते हैं और आगरा धर्म  नामक संस्था द्वारा नवा खानी त्योहार मनाया गया।

क्या है  नवा खानी त्योहार 
 धान की नई फसल पकने पर ग्रामीण मनाते हैं जश्न नवा खानी। धान की नई फसल पकने पर ग्रामीण मनाते हैं जश्न । नई फसल पकने पर भारत में कई त्योहार मनाए जाते हैं। ऐसे ही एक पर्व छत्तीसगढ़ में नवा खानी होता है। झारखंड में इस दौरान कर्मा त्योहार मनाया जाता है।(छत्सीगढ़)। भारत त्योहारों का देश हैं। यहां हर मौसम और क्षेत्र का एक त्योहार है। छत्तीसगढ़ में नई फसल तैयार होने पर एक खास त्योहार मनाया जाता है, इसे 'नवा खानी'कहते हैं। यहां जनजाति बाहुल क्षेत्र है,जहां पिछले दिनों नवा खानी पर्व मनाया गया। परंपरा के अनुसार धान की नई फसल की बालियों की तोड़कर उन्हें आग में भूना जाता है। ग्रामीण सबसे पहले अनाज से घर की देवी को भोग लगाते हैं। फिर पूरा परिवार खाता है। नवा खानी त्योहार धान के अलावा आम के सीजन में ही मनाया जाता है।पर्व नवा खानी में नई फसल को पकाकर गुड़ी में अर्पित करते हैं। इसमें बच्चे, बड़े और बूढ़े सभी शामिल होते हैं और गांव में घर-घर जाकर नाचते-गाते एक दूसरे को बधाई देते हैं।'परंपरा के अनुसार धान की नई फसल की बालियों की तोड़कर उन्हें आग में भूना जाता है। ग्रामीण सबसे पहले अनाज से घर की देवी को भोग लगाते हैं। फिर पूरा परिवार खाता है। शकील रिज़वी ने गांव कनेक्शन को बताया इस दौरान कुछ लोग लोग गेड़ी (लकड़ी का एक यंत्र) पर चढ़कर ये त्योहार मनाते हैं। नवा खानी के बाद गेड़ी को तोड़कर गांव के बाहर एक स्थान पर छोड़ दिया जाता है। इसी समस फसल और जानवरों को बीमारियों से बचाने के लिए ग्राम की गुड़ी (मंदिर) में देवी-देवताओं को भेंट भी चढ़ाई जाती है। पहले बरसात के सीजन में गांवों में पानी और कीचड़ हो जाया करता था, इसलिए सभी लोग गेड़ी पर भी चढ़कर ऐसा करते थे, लेकिन अब गांवों में सड़कें बनने से ये प्रथा लगभग समाप्त हो गई है। झारखंड में नई फसल उगने पर मनाया जाता है कर्मा फेस्टिवल छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य झारखंड में भी नई फसल आने पर जश्न मनाया जाता है, यहां इसे करमा (कर्मा) कहते हैं। कर्मा के बारे में कहा जाता है कि कि ये पर्व कृषि और प्रकृति से जुड़ा पर्व है, जिसे झारखंड के सभी समुदाय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। कर्मा नृत्य को नई फ़सल आने की खुशी में लोग नाच गाकर मनाते हैं। इस पर्व को भाई-बहन के निश्छल प्यार के रूप में भी जाना जाता है। कर्मा भादों महीने की उजाला पक्ष की एकादशी को यह पर्व पूरे राज्य में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है जबकि इस पर्व की तैयारियां महीनों पहले शुरू हो जाती हैं और पूजा पाठ एकादशी के पहले सात दिनों तक चलता है। रांची विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही आदिवासी छात्रा दीपशिखा इस पर्व के बारे में बताती हैं, "जैसे रक्षाबंधन में भाई बहनों को उनकी रक्षा की बात कहते हैं वैसे ही हमारे यहाँ करमा पर्व में बहनें व्रत रखकर भाई की रक्षा का संकल्प लेती हैं। हम व्रत करते हैं पारम्परिक परिधान पहनकर कई दिन पहले से ही नाचना गाना शुरू कर देते हैं।"प्रकृति और भाई-बहन के निकटता का यह पर्व ये सन्देश देता है कि यहाँ की हरियाली और पेड़-पौधे इसलिए हरे-भरे हैं क्योंकि यहाँ के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं। इनके देवता ईंट के बनाए किसी मन्दिर या घर में कैद नहीं होते बल्कि खुले आसमान में पहाड़ों में रहते हैं। झारखंडी संस्कृति के लोग किसी आकृति वाली मूर्ती की पूजा नहीं बल्कि प्रकृति की पूजा करते हैं। इनके हर पर्व की तिथियाँ, मन्त्र सबकुछ इनके अपने होते हैं। जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ हरी उरांव ने बताया, "हम लोग पेड़-पौधे और जंगल के बिना नहीं जी सकते, इसलिए इनकी रक्षा और देखरेख करने के लिए हमारे यहाँ कई पर्व मनाये जाते हैं जिसमे करमा पर्व सबसे बड़ा पर्व है।  झारखंड में कर्मा त्योहार मनाते लोग। छोटा नागपुर क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक त्यौहारों में  शुमार  है नवा खानी । यह नए कटाई वाले चावल का स्वागत है। खेत से निकली फसल रूपी पहली अन्न को भगवान और गांवघर के देवी - देवताओं को  पेशकश की जाती है।  सबसे पहले इस चावल के बने होते है।

विचार : कश्मीरी आमजन का मन अपने देश के पक्ष में नहीं कर सके

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कश्मीर छोड़े मुझे लगभग चालीस-पच्चास साल हो गए।बीते दिनों की यादें अभी भी मस्तिष्क में ताज़ा हैं।बात उन दिनों की है जब भारत-पाक के बीच पांच दिवसीय क्रिकेट मैच खूब हुआ करते थे। मुझे याद है कि हमारे समय में भारत-पाक क्रिकेट खेल के दौरान यदि पाक टीम भारत के हाथों हार जाती थी तो स्थानीय लोगों का गुस्सा 'पंडितों'पर फूट पड़ता था।उनके टीवी/रेडियो सेट तोड़ दिए जाते,धक्का मुक्की होती आदि।भारत टीम के विरुद्ध नारे बाज़ी भी होती।और यदि पाक टीम जीत जाती तो मिठाइयां बांटी जाती या फिर रेडियो सेट्स पर खील/बतासे वारे जाते।यह बातें पचास/साठ के दशक की हैं।तब मैं कश्मीर में ही रहता था और वहां का एक स्कूली-कॉलेज छात्र हुआ करता था।भारतीय टीम में उस ज़माने में पंकज राय,नारी कांट्रेक्टर,पोली उमरीगर,गावस्कर,विजय मांजरेकर,चंदू बोर्डे,टाइगर पड़ौदी,एकनाथ सोलकर आदि खिलाड़ी हुआ करते थे।

कहने का तात्पर्य यह है कि कश्मीर में विकास की भले ही हम लम्बी-चौड़ी दलीलें देते रहें,भाईचारे का गुणगान करते रहें या फिर ज़मीनी हकीकतों की जानबूझकर अनदेखी करें,मगर असलियत यह है कि लगभग चार/पांच दशक बीत जाने के बाद भी हम वहां के आमजन का मन अपने देश के पक्ष में नहीं कर सके हैं।सरकारें वहां पर आयीं और चली गयीं,मगर कूटनीतिक माहौल वहां का जस का तस है। कौन नहीं जानता कि वादी पर खर्च किया जाने वाला अरबों-खरबों रुपैया सब अकारथ जा रहा है।'नेकी कर अलगाववादियों/देश-विरोधियों की जेबों में डाल'इस नई कहावत का निर्माण वहां बहुत पहले हो चुका था।यह एक दुखद और चिंताजनक स्थिति है और इस स्थिति के मूलभूत कारणों को खोजना और यथासम्भव शीघ्र निराकरण करना बेहद ज़रूरी है।कश्मीर समस्या न मेरे दादाजी के समय में सुलझ सकी, न पिताजी के समय में ही कोई हल निकल सका और अब भी नहीं मालूम कि मेरे समय में यह पहेली सुलझ पाएगी या नहीं? दरअसल,कश्मीर समस्या न राजनीतिक-ऐतिहासिक समस्या है,न सामाजिक-आर्थिक और न ही कूटनीतिक।यह संख्याबल की समस्या है।

किसी करिश्मे से वहां अल्प संख्यक/पण्डित समुदाय बहुसंख्यक बन जाय तो बात ही दूसरी हो जाय।यकीन मानिए "हमें क्या चाहिए? आज़ादी!"के बदले "भारत-माता की जय"के जयकारे लगेंगे। इतिहास गवाह है कि 12-13वीं शताब्दी तक कश्मीर एक हिंदू-बहुल भूभाग था।बाद में छल-बल और ज़ोर-जबर से विदेशी आक्रांताओं ने घाटी के असंख्य हिंदुओं को या तो खदेड़ दिया या फिर तलवार की नोक पर उनका धर्मांतरण किया।और इस तरह से कश्मीर में स्थायी तौर पर इस्लाम की नींव पड़ी।यही इस्लामीकरण और उससे जुड़ा जिहाद कश्मीर-समस्या की मूल जड़ है।




शिबन कृष्ण रैणा
अलवर

दुमका : चित्रगुप्त पूजा की तैयारी को लेकर अत्यावश्यक बैठक

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चित्रगुप्त पूजनोत्सव कार्यक्रम के निमित्त अखिल  भारतीय कायस्थ महासभा, दुमका इकाई की एक अहम  बैठक दिन रविवार 21 अक्टूबर 2018) को शिशु रोग  विशेषज्ञ  डॉ अरूणाभ प्रभाकर केे क्लिनिक हॉल में  आहूत की गयी जिसमें  दयानंद श्ररीवास्त, प्रोफेसर मनोज अम्बष्ट, निशिकांत बरियार, समीर कुमार सिन्हा,  अमरेन्द्र कुमार, अरूण कुमार सिन्हा, अमरेन्द्र सुमन,   संजय घोष, मनोज घोष, राजीव कुमार श्रीवास्तव, विनय कुमार श्रीवास्तव इत्यादि मौजूद थे। इस अवसर पर उपरोक्त कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए बने अलग अलग विभागों का दायित्व भी मुकर्रर कर दिया गया। चित्रगुप्त पूजनोत्सव स्मारिका समिति में अरूण कुमार सिन्हा, अमरेन्द्र सुमन, मनोज घोष, राजीव कुमार श्रीवास्तव, विनय कुमार श्रीवास्तव व  रोहित अमबष्ट को रखा गया।  सांस्कृतिक कार्यक्रम-अरुण कुमार सिन्हा, शोभा वर्मा, प्रतिमा अम्बष्ट, मनोज घोष, अजय कुमार सिन्हा। पंडाल व्यवस्था- दयानंद श्रीवास्तव, संजय घोष, डाॅ सौरभ सिन्हा, मनोज घोष, सूर्यप्रकाश। इसके अतिरिक्त प्रसाद क्रय एवं वितरण, पारितोषिक एवं वरीय नागरिक सम्मान आदि उप समिति का गठन करते हुए उपस्थित  प्रोफेसर मनोज अम्बष्ट, निशिकांत बरियार, समीर कुमार सिन्हा, ललन बाबू, अमरेन्द्र कुमार, अंकित कुमार,गोपी अम्बष्ट, गजेन्द्र अम्बष्ट, अंजनी सिन्हा को महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व सौंपा गया।

नवंबर में शादी करेंगे दीपिका-रणवीर

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मुंबई, 21 अक्टूबर,  अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और अभिनेता रणवीर सिंह ने रविवार को घोषणा की है कि वे नवंबर में शादी के बंधन में बंध जायेंगे। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए युगल ने अपने प्रशंसकों को बताया कि आगामी 14 और 15 नवंबर को उनका शादी समारोह होगा। सोशल मीडिया पर शादी का कार्ड साझा करते हुए लिखा, "हमें आपको यह बताते हुए बेहद ख़ुशी हो रही है कि हमारे परिवार के आशीर्वाद से हमारी शादी 14 और 15 नवम्बर 2018 को तय हुई है।"पोस्ट में लिखा है, ‘‘इतने सालों में आपने हमें जो प्यार और स्नेह दिया है, उसके लिए हम आपके आभारी हैं और हमारे शुरू होने वाले प्रेम, दोस्ती और विश्वास के इस खूबसूरत सफर के लिए हम आपके आशीर्वाद की कामना करते हैं।’’ दीपिका (32) और रणवीर (33) ने पारंपरिक शादी के कार्ड के जरिये अपनी शादी की घोषणा की है जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में है। उन्होंने कार्ड पर शादी के स्थान की घोषणा नहीं की है।  इस साल की शुरूआत से ही दोनों की शादी की अटकलों का दौर चल रहा था। इस युगल के नवंबर में शादी करने की भी खबरें आयी थी। दीपिका और रणवीर ने पहली दफा संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘राम-लीला’ में साथ काम किया था। इसके बाद दोनों ने भंसाली की फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ और इस साल की पहली ब्लॉक बस्टर ‘पद्मावत’ में भी साथ काम किया था। 

मध्यप्रदेश : आदिवासी सरपंच की तीर एवं पत्थर मारकर हत्या

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धार (मध्यप्रदेश), 21 अक्टूबर, धार जिले के गंधवानी तहसील के भूतियापुरा गांव में आपसी रंजिश को लेकर करीब आधा दर्जन लोगों ने कांग्रेस के आदिवासी सरपंच की रविवार दिनदहाड़े तीर एवं पत्थर मारकर कथित रूप से हत्या कर दी। हत्या के बाद सभी आरोपी फरार हो गए। गंधवानी पुलिस थाना प्रभारी नानूराम वर्मा ने बताया, ‘‘ग्राम बलवरीकला पंचायत के सरपंच नजरू आदिवासी (35) अपने घर के समीप टहल रहा था। इसी दौरान करीब आधा दर्जन हमलावरों ने सरपंच नजरू पर तीर एवं पत्थरों से हमला कर दिया।’’  उन्होंने कहा कि इस घटना में सरपंच नजरू को चेहरे एवं पीठ पर करीब 9 तीर मारे गए, जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इनमें से अधिकतर तीर पीठ पर मारे गये हैं। वर्मा ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही गंधवानी थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची एवं शव को पोस्टमॉर्टम के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भेजा गया। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज करके उनकी तलाश शुरू कर दी गई है।

बिहार : पुलिस वाहन की टक्कर से संगीत शिक्षक की मौत

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हाजीपुर, 21 अक्टूबर, बिहार के वैशाली जिले के महनार थाना अंतर्गत खटमा गांव के समीप रविवार शाम एक पुलिस वाहन की चपेट में आकर एक संगीत शिक्षक की मौत हो गयी। पुलिस अधीक्षक मानवजीत ढिल्लो ने बताया कि पीड़ित के परिजन से आवेदन प्राप्त होने पर वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मृतक का नाम संजय सिंह राठौर है जो कि महनार थाना अंतर्गत मुरव्वरपुर गांव के निवासी थे। इस हादसे से आक्रोशित स्थानीय लोगों ने महनार थाने का घेराव करने के साथ स्थानीय रेलवे स्टेशन से बाजार की ओर जाने वाली सड़क को कुछ देर के लिए जाम कर दिया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि लोगों को शांत कराने के बाद सड़क जाम समाप्त हो गया।

बिहार में 'राक्षस राज'है : तेजस्वी यादव

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पटना, 21 अक्टूबर, बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर रविवार को निशाना साधते हुए प्रदेश में सत्तारूढ़ सरकार की तुलना 'राक्षस राज'से की और कहा कि जनता इस सरकार से त्रस्त है। बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर महागठबंधन में शामिल कांग्रेस द्वारा आज यहां आयोजित एक कार्यक्रम में राजद नेता तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बिना उनकी ओर इशारा करते हुए आरोप लगाया कि कुछ लोग कहते थे कि ‘मिट्टी में मिल जाएंगे, मगर भाजपा से हाथ नहीं मिलाएंगे।’  तेजस्वी ने नीतीश पर कुर्सी के लोभ में फंसे होने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह उन्होंने जनादेश का अपमान किया और भाजपा के साथ मिल गए, इससे बिहार की जनता नाराज है और काफी गुस्से में है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कहते हैं कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है और इसलिए हमारे साथ गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ गए थे, लेकिन सूबे में अब अपराध और भ्रष्टाचार है। बिहार में अपराध में लगातार वृद्धि होने का आरोप लगाते हुए तेजस्वी ने कहा आज इस प्रदेश में 'राक्षस राज'है और जनता इस सरकार से त्रस्त है। तेजस्वी ने नीतीश और सुशील से सवाल किया कि केंद्र की वर्तमान सरकार के साढे़ चार साल के कार्यकाल के दौरान में बिहार को क्या मिला? बिहार को विशेष राज्य का दर्जा कब मिलेगा?  उन्होंने कहा कि प्रदेश में सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा को बिहार की कोई चिंता नहीं है। समारोह को बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, पार्टी चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी संबोधित किया।

सुभाष चंद्र बोस के नाम पर पुलिसकर्मियों के लिए अवॉर्ड : PM

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नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ऐलान किया कि आपदा के दौरान राहत एवं बचाव अभियान में बेहतरीन काम करने वाले पुलिसकर्मी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर एक सालाना राष्ट्रीय अवॉर्ड दिया जाएगा।  21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारत की पहली स्वतंत्र सरकार ‘आजाद हिंद सरकार’ के गठन की घोषणा के 75 साल पूरे होने के मौके पर मोदी ने यह ऐलान किया।  उन्होंने कहा कि हर साल नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को इस अवॉर्ड की घोषणा की जाएगी।  मोदी ने कहा, ‘‘इस साल से हम ऐसे पुलिसकर्मी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर एक अवॉर्ड देंगे जो किसी आपदा के दौरान लोगों को राहत एवं बचाव के लिए बेहतरीन काम करते हैं।’’

मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों का खुलासा करे पीएमओ : सीआईसी

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नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर, केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को 2014 से 2017 के बीच केंद्रीय मंत्रियों के विरुद्ध मिली भ्रष्टाचार की शिकायतों और उन पर की गयी कार्रवाई का खुलासा करने का निर्देश दिया है। मुख्य सूचना आयुक्त राधाकृष्ण माथुर ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की अर्जी पर फैसला करते हुए पीएमओ को नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान विदेश से लाये गये कालेधन के अनुपात एवं मूल्य के बारे में सूचना देने तथा इस संबंध में की गयी कोशिशों के रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया। सीआईसी के आदेश में पीएमओ को विदेश से लाये गये कालेधन से भारतीय नागरिकों के बैंक खातों में सरकार द्वारा जमा की गयी रकम के बारे में सूचना का खुलासा करने को कहा गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कालेधन के संबंध में चतुर्वेदी के प्रश्नों को ‘सूचना’ की परिभाषा के दायरे से बाहर बताया था। लेकिन सूचना आयुक्त ने यह दलील ठुकरा दी।  माथुर ने कहा, ‘‘प्रतिवादी (पीएमओ) ने आरटीआई आवेदन के प्रश्न क्रमांक चार (विदेश से लाया गया कालाधन) तथा प्रश्न क्रमांक पांच (विदेश से लाये गये कालेधन से भारतीय नागरिकों के बैंक खातों में डाली गयी धनराशि) पर अपने जवाब में यह बात गलत कही है कि आवेदक द्वारा किये गये अनुरोध आरटीआई कानून की धारा 2 (एफ) के तहत ‘सूचना’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते। ’’ अपने आरटीआई आवेदन में चतुर्वेदी ने भाजपा सरकार की ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत’ और ‘स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट’ जैसी विभिन्न योजनाओं के बारे में भी सूचनाएं मांगी थी। पीएमओ से संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर चतुर्वेदी ने आरटीआई मामलों पर सर्वोच्च अपीलीय निकाय केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दायर की। सुनवाई के दौरान चतुर्वेदी ने आयोग से कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ प्रधानमंत्री को सौंपी गयी शिकायतों की सत्यापित प्रतियों के संबंध में विशेष सूचना मांगी है जो उन्हें उपलब्ध करायी जानी चाहिए।

माथुर ने कहा, ‘‘आयोग का कहना है कि प्रतिवादी (पीएमओ) ने आरटीआई आवेदन के प्रश्न क्रमांक 1 बी (मंत्रियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतें) तथा प्रश्न क्रमांक 4,5,12 और 13 (एम्स में भ्रष्टाचार के संबंध में) पर अपीलकर्ता को सही और विशिष्ट जवाब/सूचना नहीं दी। ’’ आयोग ने पीएमओ को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप और उसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की कथित भूमिका को लेकर चतुर्वेदी द्वारा लिखे गये पत्र पर की गयी कार्रवाई का खुलासा करने का भी निर्देश दिया। चतुर्वेदी ने इससे पहले हरियाणा की पिछली कांग्रेस सरकार में कथित भ्रष्टाचार और वनरोपण घोटाला का मुद्दा उठाया था। इस घोटाले में राज्यभर में कथित रुप से फर्जी पौधारोपण किया गया था।  राज्य सरकार के हाथों कथित रुप से उत्पीड़न का शिकार होने के बाद उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष अपील की थी । केंद्र ने 2010 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में एक समिति बनायी थी। समिति की रिपोर्ट में चतुर्वेदी की दलीलों में दम पाया गया। तब मंत्रालय ने चतुर्वेदी का उत्पीड़न होने की पुष्टि की और उनके विरुद्ध दर्ज मामलों को खारिज करने की सिफारिश की। राष्ट्रपति ने चतुर्वेदी के खिलाफ दर्ज इन मामलों को खारिज कर दिया। तब कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार उन्हें मुख्य सतर्कता अधिकारी के रुप में एम्स ले आयी। इस प्रतिष्ठित संस्थान में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में उनके काम की तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने सराहना की थी। अगस्त, 2014 में चतुर्वेदी को एम्स से उत्तराखंड भेज दिया गया जहां वह वन संरक्षक के रुप में सेवारत हैं।
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