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विशेष : मां को खुश करने का सशक्त माध्यम है ‘गरबा‘

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मां अंबे की आराधना के साथ जब लोकगीतों की धुन पर गुजरात के लोकनृत्य गरबा की धूम मचती है तो हर किसी के पैरों में एक थिरकन पैदा हो जाती है। अंबे की मूर्ति के समक्ष नन्हीं-नन्हीं बच्चियों से लेकर युवक-युवतियों का यह नाच मां की प्रसंनता और उनकी आराधना के लिए किया जाता है। देवी पुराण और प्राचीन ग्रंथों में भी संगीत के साथ होने वाले नृत्य को विशेष आराधना में शामिल किया गया है। देवी गीतों और विशेष कर गुजरात लोक संस्कृति के गीत इन गरबों की लय में जान फूंक देते हैं। वैसे भी श्रद्धा से मां की भक्ति में रमना ही इस त्योहार का पवित्र उद्देश्य है। जिसका माध्यम बनता है ‘गरबा‘। या यूं कहें कि मां की भक्ति और उन्हें प्रसन्न करने का सबसे सशक्त माध्यम है ‘गरबा‘। गुजरात के इस लोकनृत्य के बिना मानो मां की उपासना अधूरी सी लगती है। गुजरात के साथ-साथ गरबे की धूम अब अधिकांश क्षेत्रों में दिखाई देती है। यही वजह है कि गरबा आजकल आधुनिक नृत्यकला की श्रेणी में भी शामिल हो गया है 

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सबसे पहले माता के लिए सजाएं गएं उनके पंडालों में आरती-अर्चना के साथ आदिशक्ति मां अंबे और दुर्गा की स्तुति की जाती है। फिर गीतों के माध्यम से मां का आह्वान किया जाता है कि मां हमारे गरबों में पधारों और इस नृत्य साधना के जरिए हमारी पूजा स्वीकार करों। इसके बाद तो पैर ऐसे थिरकते है जैसे मानों मां साक्षात नृत्य की प्रस्तुति दे रही हों। पारंपरिक और रंग-बिरंगे कपड़ों में सजे-धजे बच्चे, युवा, बड़े और बुजुर्ग एक अलग ही अंदाज को प्रस्तुत करते है। बता दें, घट स्थापना के बाद इस नृत्य का आरंभ होता है। जिसके लिए बड़े-बड़े पंडालों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। गरबा नृत्य में ताली, चुटकी, खंजरी, डंडा मंजीरा आदि का ताल देने के लिए प्रयोग किया जाता है। कहते है लयबद्ध ताल से देवी दुर्गा को प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है। जहां भक्तिपूर्ण गीतों से मां को उनके ध्यान से जगाने का प्रयास किया जाता है ताकि उनकी कृपा हर किसी पर बनी रहे। पहले देवी के समीप छिद्र वाले घट में दीप ले जाने के क्रम में यह नृत्य होता था। हालांकि यह परिपाटी आज भी है लेकिन मिट्टी के घट या गरबी की शक्ल अब स्टील और पीतल ने ले ली है। यह घट ‘दीपगर्भ‘ कहलाता है और बाद में यही गरबो और फिर गरबा के रुप में प्रचलित हो गया। तालियों के जरिए किया जाने वाला ताल गरबा डंडों के प्रयोग से किया जाने वाला डांडिया कहलाने लगा। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रुप में ‘गरबा‘ आरती से पहले किया जाता है और डांडिया उसके बाद। 

संगीत से थिरक उठते हैं कदम 
‘घूमतो-घूमतो जाए, अंबो थारों गरबो रमतो जाए‘, ‘पंखिंडा ओ पंखिडा...‘ जैसे गीतों के बजते ही हर किसी के कदम थिरक जाते हैं। चारों ओर ढोलक की थाप और संगीत में गरबों का जो समां बंधता है, उसे कुछ घंटों क्या पूरी रात करने से भी मन नहीं भरता है। न सिर्फ गरबा करने वाले बल्कि देखने वालों की स्थिति भी यही होती है। जहां तक नवरात्र में ही गरबा या डांडिया करने की प्रथा का सवाल है तो इसके पीछे मान्यता है कि कुंभ हिंदू धर्म के सांस्कृतिक मानस में स्थूल देह का प्रतीक है। ‘फूटा कुंभ जल जलहि समाना।’ अर्थात भक्त रुपी कुंभ एवं गुरु रुपी वह कुम्हार ‘जो गढ़ि-गढ़ि काढ़े खोट’.यानी अपने भीतर छिपे खोट को ढूढ़ निकाले। इसीलिए नवरात्रि के समय कुंभ के भीतर दीप रखकर उसके गिर्द ‘गरबा’ करने का रिवाज है। क्योंकि दीपशिखा हमेशा ऊपर उठती है। जबकि चेतना का भी यही गुण धर्म है। देह के भीतर चेतना उघ्र्वगामी हो, वह मूलाधार में ही न रहे, सहस्नर तक पहुंचे, सारी सृष्टि को आत्मवत् पहचाने! यही वजह है हर गरबा या डांडिया नाईट में काफी सजे हुए घट दिखायी देते हैं। जिस पर दिया जलाकर इस नृत्य का आरंभ किया जाता है। यह घट दीपगर्भ कहलाता है और दीपगर्भ ही गरबा कहलाता है। गरबों का प्रमुख आकर्षण होता है रंग-बिरंगी, चटकीली पोषाकों का। जिसे पहनकर हर कोई माता की भक्ति में रमा हुआ नजर आता है। साथ ही यह आज के युवा वर्ग द्वारा अपनी संस्कृति से जुड़ने का समय भी है। 

मां और असुरों के बीच हुई लड़ाई का होता है मंचन 
गरबा और डांडिया को मां और महिषासुर के बीच हुई लड़ाई का नाटकीय रूपांतर भी माना गया है। इसीलिए इस नृत्य में इस्‍तेमाल की जाने वाली डांडिया स्‍टीक को मां दुर्गा की तलवार के रूप में माना जाता है। यही वजह है कि डांडिया के लिए रंग-बिरंगी लकड़ी की स्‍टीक्‍स, चमकते लहंगे, कढ़े हुए ब्‍लाउज व कदमों को थिरकाने वाले संगीत की जरूरत पड़ती है। इस नृत्य में सिर के उपर पारंपरिक रूप से सजाए गए मिट्टी बर्तन (गरबी) रखकर प्रदर्शित किया जाता है। गरबा का संस्कृत नाम गर्भ-द्वीप है। गरबा के आरंभ में देवी के निकट सछिद्र कच्चे घट को फूलों से सजा कर उसमें दीपक प्रज्वलित किया जाता है, जो ज्ञान रूपी प्रकाश का अज्ञान रूपी अंधेरे के भीतर फैलाने प्रतीक माना जाता है। इस गर्भ दीप के ऊपर एक नारियल रखा जाता है। नवरात्र की पहली रात्रि गरबा की स्थापना कर उसमें ज्योति प्रज्वलित की जाती है। इसके बाद महिलाएं इसके चारों ओर ताली बजाते हुए फेरे लगाती हैं। समूह में मिलकर नृत्य करती हैं। इस दौरान देवी के गीत गाए जाते हैं।

सौभाग्य का भी प्रतीक है गरबा 
गरबा को सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है। इसीलिए महिलाएं नवरात्र में गरबा को नृत्योत्सव के रूप में मनाती है। इस दौरान पति-पत्नी हो या अन्य सभी लोग पारंपरिक परिधान पहनते हैं। लड़कियां चनिया-चोली पहनती हैं और लड़के गुजराती केडिया पहनकर सिर पर पगड़ी बांधते हैं। नवरात्र पर्व मां अंबे दुर्गा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने तथा युवा दिलों में मौज-मस्ती के साथ गरबा-डांडिया खेलने और अपनी संस्कृति से जुड़ने का सुनहरा अवसर भी है। नवरात्र में माता का पंडाल सजाकर युवक-युवतियां पारंपरिक वस्त्र कुर्ता-धोती, कोटी, घाघरा (चणिया)-चोली, कांच और कौड़ियां जड़ी पोशाक पहन कर पारंपरिक नृत्य डांडिया और ‘गरबे की रात आई, गरबे की रात आई..., सनेडो सवेडो लाल लाल सनेडो‘, ‘अंबा आवो तो रमीये’ गाते हुए गरबा खेलती है। कुछ साल पहले तक गरबा केवल गुजरात व राजस्थान सहित उसके आसपास के जिलों तक ही सीमित था, लेकिन अब धीरे-धीरे पूरे देश में फैल चुका है। नवरात्र के दौरान डांडिया नृत्य और गरबा पूरे नौ दिनों तक प्रदर्शित किया जाता है। हालांकि आज भी गुजरात में खेला जाने वाला गरबा और डांडिया नृत्य दुनिया भर के बड़े नृत्य त्योहारों में से एक हैं। नवरात्र आयी नहीं की हर तरफ गरबा और डांडिया की धूम शुरू हो जाती है। क्या लड़के, क्या लड़कियां, क्या बच्चे और क्या बूढ़े... पारंपरिक अंदाज में सजे हर उम्र के लोग गरबा का जमकर लुत्फ उठाते हैं। 

वजन घटाने का भी माध्यम है गरबा  
चिकित्सकों की मानें तो आज के भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जिनके पास कसरत का समय नहीं है उनके लिए माताजी की भक्ति के साथ-साथ गरबा खेल कर शरीर की केलोरी व्यय कर वजन घटाने का भी उचित अवसर है। बशर्ते गरबा खेलते वक्त डिहाइड्रेशन से बचने के लिए आहार को संतुलित मात्रा में लिया जाना चाहिए। गुजरात के कुछ हिस्सों एवं यूपी के मथुरा में नवरात्र के दौरान डांडिया-रास भी बेहद लोकप्रिय है। यह अधिकतर पुरुष (उमद विसा) द्वारा किया जाता है। आज इन नृत्यों के व्यावसायीकरण हो जाने के कारण इस नृत्य की वास्तविकता, पारंपरिकता और नाजुक लय, वैकल्पिक रूपों में खोती जा रही है। रास या रसिया बृजभूमि का लोकनृत्य है, जिसमें वसंतोत्सव, होली तथा राधा और कृष्ण की प्रेम कथा का वर्णन होता है। रास अनेक प्रकर का होता है। यह उस रात को शुरु होती है जब श्रीकृष्ण अपनी बांसुरि बजाते है। उस रात श्रीकृष्ण अपनी गोपियों के साथ बांसुरि बजाते है। यह नृत्य वृंदावन में अधिक देखने को मिलती है। डांडिया रास नृत्य के कई रूप हैं, लेकिन गुजरात में नवरात्रि के दौरान खासा लोकप्रिय है। इसमें केवल एक बड़ी छड़ी प्रयोग किया जाता है। रास लीला और डांडिया रास के समान हैं। 

अनेकता में एकता का प्रतीक भी है गरबा 
जगह-जगह आयोजित समारोहों में जहां बड़ी संख्या में लोग गरबा, डांडिया खेलने एवं देखने के लिए आते हैं। वहीं इसकी खासियत है कि इसके लिए धर्म, जात एवं क्षेत्रीय भाव से ऊपर उठकर लोगों को खुले दिल से आमंत्रित किया जाता है। इस कारण इस त्योहार को अनेकता में एकता का प्रतीक भी माना जाता है। इसमें युवक-युवतियां एक दूसरे के करीब लाने में भी अहम भूमिका निभाते है। इस महोत्सव में हर उम्र वर्ग का व्यक्ति अपने भीतर के उल्लास एवं उमंग को बाहर निकालने का प्रयास करता है। बता दें कि गरबा और डांडिया दोनों डांस के दो फाम्र्स हैं, जो गुजरात और मुख्‍यतः गुजरातियों से संबंधित है। इसके बावजूद अब ये दोनों डांस पूरे देशभर में प्रचलित और नवरात्र के दिनों में तो इनकी लोकप्रियता और भी ज्‍यादा बढ़ जाती है। देश के कोने-कोने में इस मौके पर लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर गरबा और डांडिया में भाग लेते हैं। 



--सुरेश गांधी--

जम्मू एवं कश्मीर : कुलगाम में सुरक्षाबलों का खोज अभियान शुरू

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श्रीनगर, 15 अक्टूबर, जम्मू एवं कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों के मौजूद होने की सूचना पर सोमवार को सुरक्षाबलों ने एक खोज अभियान शुरू किया। कुलगाम के कांदीपोरा गांव में आतंकवादियों के होने की सूचना पर सुरक्षाबलों ने गांव को चारों ओर से घेर लिया और खोज अभियान शुरू कर दिया। अभी तक क्षेत्र से किसी तरह की गोलीबारी की खबर नहीं मिली है।


अमित शाह मध्य प्रदेश दौरे के अंतिम दिन ताबड़तोड़ रैलियां करेंगे

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भोपाल 15 अक्टूबर, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह राज्य के दो दिवसीय दौरे पर है। उनके दौरे का आज दूसरा और अंतिम दिन है। शाह आज कई जनसभाओं को संबोधित करने वाले हैं।भाजपा की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार, शाह भोपाल से विमान द्वारा खजुराहो पहुंचेंगे, वहां से हेलिकॉप्टर द्वारा बीटीआई ग्राउंड, सतना पहुंचकर कार्यक्रम में भाग लेंगे। सतना से हेलिकॉप्टर द्वारा एस.ए.एफ ग्राउंड रीवा जाएंगे और वहां से हेलिकॉप्टर से उत्कृष्ट विद्यालय ग्राउंड डिडौरी पहुंचकर सभा को संबोधित करेंगे। डिडौरी से हेलिकॉप्टर द्वारा जबलपुर पहुंचकर माल गोदाम चौक वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। वह इसके बाद नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।

मुंबई : एयर इंडिया के विमान से नीचे गिरी एयर होस्टेस

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मुंबई 15 अक्टूबर, मुंबई से दिल्ली जाने की तैयार कर रहा एयर इंडिया के विमान की एक वरिष्ठ एयर होस्टेस विमान से नीचे गिर गईं। यह घटना छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे (सीएसएमआईए) पर हुई, जब मुंबई-दिल्ली एआई-864 सुबह लगभग सात बजे टेकऑफ के लिए तैयार थी कि 53 वर्षीया एयर होस्टेस हर्षा लोबो विमान का दरवाजा बंद करने के दौरान विमान से कई फीट नीचे गिर गईं। ग्राउंड स्टाफ के कुछ सदस्य तुरंत हर्षा को नानावती अस्पताल ले गए। एयर इंडिया ने बाद में बताया कि हर्षा के पैर में चोट आई है। एयर इंडिया ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। विमानन कंपनी के बयान के अनुसार, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है कि हमारी एक क्रू सदस्य हर्षा लोबो बोइंग 777 विमान का दरवाजा बंद करने के दौरान नीचे जा गिरीं।" विमान एक घंटे से अधिक देरी पर दिल्ली के लिए रवाना हुआ।

विशेष : राजनीति में युवा सक्रियता के लिये प्रयास

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कभी-कभी लगता है समय का पहिया तेजी से चल रहा है जिस प्रकार से घटनाक्रम चल रहा है, वह और भी इस आभास की पुष्टि करा देता है। पर समय की गति न तेज होती है, न रुकती है। हां पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव घोषित हो जाने से तथा प्रक्रिया प्रारंभ हो जाने से जो क्रियाएं-प्रतिक्रियाएं हो रही हैं उसने ही सबके दिमागों में सोच की एक तेजी ला दी है। इन राज्यों में मतदान का पवित्र कार्य सन्निकट है। इन चुनावों में युवाओं का प्रतिनिधित्व बढ़े, यह परम आवश्यक है। राजनीति में युवाओं की भूमिका कैसी हो, इस पर लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है। पिछले दिनों वरुण गांधी ने विभिन्न माध्यमों से युवा पीढ़ी से सम्पर्क किया। विश्वविद्यालयों, युवा संगठनों के बीच में जाकर उन्होंने युवाओं से राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने को प्रेरित किया है। उनके ये प्रयास कितने समीचीन है, इस पर विचार आवश्यक है। गांधी परिवार के प्रभावी वारिस, युवा व्यक्तित्व, प्रखर वक्ता और मजबूत सामाजिक आधार को लेकर सक्रिय वरण गांधी पर देश की नजरे टिकी है, कुछ ऐसी संभावनाएं भी व्यक्त की जा रही है कि देर-सबेर वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि वे युवाओं को राजनीति में सक्रिय करने के लिये जो प्रयास कर रहे हैं, उससे निश्चित ही भारत की राजनीति को एक नया मोड़ मिल सकेगा। 

वरुण गांधी को विरासत में मिली राजनीति धरातल का ही प्रभाव ही है कि वे भारत की वर्तमान राजनीति में व्यापक बदलाव लाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि देश में  और आम लोगों के बीच ऐसा माहौल बने कि अगला चुनाव चाहे वह पंचायत को हो या प्रधानमंत्री का, पहले खुली बहस हो। चुनाव में खड़े एक-एक व्यक्ति का विजन आम आदमी के बीच में रखा जाए और फिर चुनाव हों। यह जरूरी है कि राष्ट्रीय वातावरण अनुकूल बने। देश ने साम्प्रदायिकता, आतंकवाद तथा घोटालों के जंगल में एक लम्बा सफर तय किया है। उसकी मानसिकता घायल है तथा जिस विश्वास के धरातल पर उसकी सोच ठहरी हुई थी, वह भी हिली है। पुराने चेहरों पर उसका विश्वास नहीं रहा। अब प्रत्याशियों का चयन कुछ उसूलांे के आधार पर होना चाहिए न कि जाति और जीतने की निश्चितता के आधार पर। मतदाता की मानसिकता में जो बदलाव अनुभव किया जा रहा है उसमें सूझबूझ की परिपक्वता दिखाई दे रही है। ये पांच राज्यों के चुनाव ऐसे मौके पर हो रहे हैं जब राष्ट्र विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा है।

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वरुण गांधी राजनैतिक सुधार चाहते हैं। इसीलिये उन्होंने राइट टू रिकॉल की वकालत भी की। उन्होंने राजनैतिक सुधार से लेकर गरीबी, बेरोजगारी, महिला सशक्तिकरण, किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दों के कई उदाहरण छात्रों-युवाओं के सामने रखे। वे सांसदों-विधायकों के वेतन-भत्ते को गलत नहीं मानते। लेकिन इनको बढ़ाने का अधिकार विधायक-सांसदों को नहीं दिया जाना चाहिए। उनका यह कहना भी उचित है कि 4 फीसदी वोटों से जीतकर आए, तो फिर कैसे कह सकते हैं कि वह पूरी जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। चुनाव में अपना प्रतिनिधि चुनने का मतलब कतई नहीं होना चाहिए कि चुनने के बाद नेता मनमर्जी करने लगे। लोकतंत्र का मतलब यह है कि जनता चाहे जिसे सत्ता में लाए और जिसे चाहे सत्ता से निकाल दे। इस बिल को पास करवाने के लिए वे संसद में प्रयासरत हैं।

युवा वर्ग की छवि कहीं न कहीं महानगरों में बसने वाले अंग्रेजी बोलने वाले युवाओं से बनती है। हम अक्सर उन्हें ही युवा वर्ग का प्रतीक मान लेते हैं। जबकि हकीकत में वे हमारे युवा वर्ग का एक बहुत छोटा हिस्सा है। परिवर्तन, क्रांति और बदलाव की राजनीति ने युवाओं से जो उम्मीदें बांधी थीं उसका अंश आज भी कहीं ना कहीं हमारी राजनीतिक समझदारी में कायम है लेकिन ऐसा होने के बावजूद राजनीति में युवाओं की सक्रिय भागीदारी क्यों नहीं हो पा रही है, यह एक अहम सवाल है। जिसको लेकर वरुण गांधी का चिन्तीत होना या उसके लिये प्रयास करना, देश के लिये शुभता का सूचक है।  

पांच राज्यों के चुनाव के प्रारंभ में जो घटनाएं हो रही हैं वे शुभ का संकेत नहीं दे रही हैं। अशांति, अस्थिरता, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, महिलाओं से जुड़ी स्थितियां, काश्मीर मंे आतंकवादियों की हताशापूर्ण गतिविधियां, सीमापार से छेड़खानी- ये काफी कुछ बोल रही हैं। आज सुरक्षाबलों के बिना न नेता सभाएं कर सकते हैं, न मतदाता मत डाल सकते हैं और न पूरे राष्ट्र में मतदान एक दिन में हो सकता है। मतदाता भी  धर्म संकट में है। उसके सामने अपना प्रतिनिधि चुनने का विकल्प नहीं होता। प्रत्याशियों में कोई योग्य नहीं हो तो मतदाता चयन में मजबूरी महसूस करते हैं। मत का प्रयोग न करें या न करने का कहें तो वह संविधान में प्रदत्त अधिकारों से वंचित होना/करना है, जो न्यायोचित नहीं है।

इस बार की लड़ाई कई दलों के लिए आरपार की है। ”अभी नहीं तो कभी नहीं।“ ये चुनाव पांच राज्यों का ही नहीं बल्कि दिल्ली के सिंहासन का भाग्य निश्चित करेंगे। इसी बात को लेकर सभी आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें केवल अगले चुनाव की चिन्ता है, अगली पीढ़ी की नहीं। मतदाताओं के पवित्र मत को पाने के लिए पवित्र प्रयास की सीमा लांघ रहे हैं। यह त्रासदी बुरे लोगों की चीत्कार नहीं है, भले लोगों की चुप्पी है जिसका नतीजा राष्ट्र भुगत रहा है/भुगतता रहेगा, जब तब भले लोग  या युवापीढ़ी मुखर नहीं होगी। ऐसी स्थितियों के बीच वरुण गांधी के प्रयासों की सार्थकता है। उनकी जागरूकता, संकल्प और विवेक प्रभावी भूमिका अदा कर सकता है। 

मतदाता का मत ही जनतंत्र का निर्माण करता है और इनके आधार पर ही राजनीतिक नेतृत्व की दशा-दिशा तय होती है। ऐसे में यदि भारत का भविष्य-यानी युवा सत्ता एवं जनतांत्रिक मूल्यों की स्थापना में सक्रिय हस्तक्षेप नहीं कर पाता तो पर्याप्त मतशक्ति के बावजूद राजनीतिक नेतृत्व में उसकी प्रत्यक्ष भागीदारी संभव नहीं हो सकती। भारत युवा आबादी वाला देश है और बीते कुछ दशकों में यहां ‘युवा’ मतदाताओं की संख्या लगातार बढ़ी है। अलग-अलग जाति समूह एवं राजनीतिक दलों में बंटे होने के बावजूद राजनीतिक हस्तक्षेप की अपनी क्षमता के बावजूद उन्हें विभिन्न राजनीतिक दलों में भागीदारी नहीं मिल रही है। आज भी वे केवल अपने-अपने दलों की ‘युवा इकाई’ की राजनीति तक सीमित हैं। इसी तरह युवकों में मत देने की चाह तो बढ़ी है, लेकिन अभी उनमें राजनीतिक हस्तक्षेप की अपेक्षित शक्ति विकसित नहीं हो पाई है या होने नहीं दी जा रही है। शायद यही कारण है कि आबादी के अनुपात में उन्हें राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। लेकिन क्या इसका अर्थ यह है कि युवा पीढ़ी राजनीति से अलिप्त ही रहे, उसे देश के वर्तमान और भविष्य से कुछ मतलब ही न हो? यदि ऐसा हुआ, तो यह राष्ट्र के लिये बहुत ही खतरनाक होगा। इसलिए उन्हंे भी राजनीति में सक्रिय होना चाहिए, पर उनकी सक्रियता का अर्थ सतत जागरूकता है। ऐसा हर विषय, जो उनके आज और कल को प्रभावित करता है, उस पर वे अहिंसक आंदोलन कर देश, प्रदेश और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अपनी नीति और नीयत बदलने पर मजबूर कर दें। ऐसा होने पर हर दल और नेता दस बार सोचकर ही कोई निर्णय लेगा।

स्पष्ट है कि राजनीतिक सक्रियता का अर्थ चुनाव लड़ना नहीं, सामयिक विषयों पर जागरूक व आंदोलनरत रहना है। यदि युवा पीढ़ी अपने मनोरंजन, सुविधावाद से  ऊपर उठकर देखे, तो सैकड़ों मुद्दे उनके हृदय में कांटे की तरह चुभ सकते हैं। महंगाई, भ्रष्टाचार, कामचोरी, राजनीति में वंशवाद, महंगी शिक्षा और चिकित्सा, खाली होते गांव, घटता भूजल, मुस्लिम आतंकवाद, माओवादी और नक्सली हिंसा, बंगलादेशियों की घुसपैठ, हाथ से निकलता कश्मीर, जनसंख्या के बदलते समीकरण, किसानों द्वारा आत्महत्या, गरीब और अमीर के बीच बढ़ती खाई आदि तो राष्ट्रीय मुद्दे हैं ही, इनसे कहीं अधिक स्थानीय मुद्दे होंगे, जिन्हें आंख और कान खुले रखने पर पहचान सकते हैं। आवश्यकता यह है युवा चुनावी राजनीति में तो सक्रिय बने ही, साथ ही साथ इन ज्वलंत मुद्दों पर भी उनकी सक्रियता हों। उनकी ऊर्जा, योग्यता, संवेदनशीलता और देशप्रेम की आहुति पाकर देश का राजनीतिक परिदृश्य निश्चित ही बदलेगा। इसके लिये वरुण गांधी के प्रयासों एवं उपक्रमों की प्रासंगिकता से इंकार नहीं किया जा सकता।




(ललित गर्ग)
बी-380, प्रथम तल, 
निर्माण विहार, दिल्ली-110092
 संपर्क : 9811051133

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 15 अक्टूबर

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दिव्यांगों ने ट्रायसाइकिल रैली से जागरूकता संदेश दिया

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विधानसभा निर्वाचन 2018 के मतदान प्रक्रिया से कोई भी पात्र मतदाता मतदान से वंचित ना हो और मतदाता अपने मत का प्रयोग निर्भीक होकर निर्धारित मतदान केन्द्र पर पहुंचकर करें। इसके लिए निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप स्वीप के माध्यम से गतिविधियों का क्रियान्वयन जिले में किया जा रहा है। सोमवार को विदिशा नगर में दिव्यांगजनों की ट्रायसाइकिल रैली का आयोजन किया गया था जिसमें जिले के दिव्यांगजनों ने बढचढ़कर भाग लिया और ट्रायसाइकिल रैली माधवगंज चैक से शुरू हुई जो वीर सावरकर बाल बिहार में सम्पन्न हुई। रैली में 39 दिव्यांगजनों ने भाग लिया और उन्होंने सभी को संदेश देनेे का प्रयास किया है कि मतदान अवश्य करें।  

फुटकर आतिशबाजी लायसंेस हेतु आवेदन एक नवम्बर तक आमंत्रित

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया है कि दीपावली पर फुटकर आतिशबाजी विक्रय के अस्थायी लायसंेस जारी करने हेतु संबंधित व्यवसायी अपनेे आवेदन पत्र एक नवम्बर तक जमा कर सकते है। संबंधित उपखण्ड मजिस्टेªट कार्यालय से आवेदन एवं आवश्यक शर्ते मापदण्डों की जानकारी प्राप्त कर उसी कार्यालय में अंतिम तिथि तक आवेदन जमा किए जा सकते है। कलेक्टर श्री सिंह के द्वारा जारी आदेश में उल्लेख है कि दीपावली पर्व पर आतिशबाजी विक्रय अस्थायी अनुज्ञप्तियांे के लिए विदिशा जिले की सभी 11 तहसीलों में क्रमशः विदिशा, बासौदा, सिरोंज, कुरवाई, लटेरी, ग्यारसपुर, नटेरन, शमशाबाद, त्योंदा, गुलाबगंज, पठारी में संबंधित उपखण्ड मजिस्टेªट द्वारा चयनित स्थानों के लिए हाट बाजारों को छोड़कर फुटकर आतिशबाजी विक्रय के अस्थायी लायसेंस जारी किए जाएंगे। निर्धारित प्रारूप पर आवेदन पत्र आवेदक के दो छाया चित्रों व चालान की मूल प्रति, आयु, निवास संबंधी दस्तावेंजो की छायाप्रति सहित संबंधित उपखण्ड मजिस्टेªट कार्यालय में एक नवम्बर की सांय साढे चार बजे तक जमा किए जा सकते है। आवेदन शासकीय अवकाशों में स्वीकार नही किए जाएंगे। 

आयतित पटाखे भण्डारित एवं विक्रय पर प्रतिबंधित

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया कि विदिशा जिले में आयतित पटाखे रखने व बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया है। ततसंबंध में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण में ध्वनि प्रदूषण से संबंधित चर्चाओं के उपरांत मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मानक से अधिक से आवाज वाले पटाखों की मानिटरिंग संबंधी कार्य करने तथा आयतित पटाखों के रखने और बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। ततसंबंध में जिला स्तरों पर कार्यवाही करने हेतु उपखण्ड मजिस्टेªटोें को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए है।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 15 अक्टूबर

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हमारा उद्देश्य शत् प्रतिशत हो मतदान - कलेक्टर 
समय सीमा बैठक में कलेक्टर ने दिए निर्देश 
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विधानसभा निर्वाचन के मद्देनजर जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर श्री तरुण कुमार पिथोड़े की अध्यक्षता में सोमवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में समय सीमा बैठक आयोजित की। इस दौरान कलेक्‍टर ने सभी विभाग प्रमुखों को आदर्श आचार संहिता तथा भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों एवं विभिन्न अधिनियमों की जानकारी देते हुऐ ध्यानपूर्वक पालन करने के निर्देश दिए। साथ ही सभी समितियों के प्रभारी अधिकारियों से कार्यों की समीक्षा करते हुए शत् प्रतिशत मतदान कराने की बात कही। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि पिंक मतदान केन्द्र में फर्नीचर आदि गुलाबी रंग का ही होना चाहिए । इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग को समस्त मतदान केन्द्रों में प्राथमिक उपचार पेटी लगाने के निर्देश दिए। 

अतिसंवेदनशील एवं संवदेनशील मतदान केन्द्रों का हुआ चयन 

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री तरुण कुमार पिथोड़े के निर्देशानुसार अनुविभागीय एवं निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी इछावर द्वारा अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्रों को चिहिन्त किया गया था। पूर्व में अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्रों की संख्या 2 थी, जिसमें संशोधन किया गया है। जहां अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्र एक हेदरगंज थाना मंडी पाया गया है।

मतदाताओं को जागरुक करने हेतु स्वीप के तहत हुई अनेक गतिविधियां

विधानसभा निर्वाचन के लिए सभी मतदाता अपने मतों का उपयोग करें। इसके लिए निर्वाचन आयोग द्वारा भी विशेष दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिनका कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री तरुण कुमार पिथोड़े के मार्गदर्शन में सतत क्रियान्वयन जारी है। स्वीप प्लान अन्तर्गत  जिले के हाईस्कूलों में निंबध प्रतियोगिता, मतदाता जागरुकता रथ, छात्राओं द्वारा रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन, स्व सहायता समूह में महिलाओं द्वारा मतदाताओं को जागरुक करना आदि गतिविधियों सहित साईकिल रैली निकालकर मतदाताओं को मतदान करने की शपथ दिलाई गई। 

कृषि विज्ञान केन्द्र में हुआ महिला किसान दिवस का आयोजन 

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कृषि विज्ञान केन्द्र, सेवनियां द्वारा ग्राम नरसिंहखेडा, विकासखण्ड इछावर में महिला किसान दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण, वाद-विवाद, स्वास्थ्य हेतु पोषण थाली, चित्रकारी आदि पर निबन्ध प्रतियोगिता कार्यक्रमों का आयोजन कर कृषि में महिलाओं के महत्व के प्रति जागरूक करना है। कार्यक्रम में प्रमुख व वैज्ञानिक श्री संदीप टोडवाल ने किसान महिलाओं के मध्य वाद-विवाद कार्यक्रम में पौष्टिक खाद्य पदार्थ, स्वास्थ्य हेतु पोषण विषय पर जागरूक किया गया। इस दौरान महिलाओं ने कार्यक्रम में काफी रूचि रखते हुए उक्त विषयों एवं महिला शसक्तिकरण पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक, दीपक कुषवाहा ने महिला किसान दिवस के उद्देष्य पर चर्चा करते हुए महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रेरित किया। साथ ही महिलाओं की कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी, व्यवसाय आदि में योगदान के विषय पर विस्तार से जानकारी दी एवं इसका आंकलन भी कराया। कार्यक्रम में सरपंच बाबूलाल ग्राम, महिला बाल विकास पर्यवेक्षक इछावर अन्नपूर्णा सवासिया, एवं प्रधानाध्यापक संतोष कुमार वर्मा सहित अन्य कृषक भी उपस्थित थे।

मधुबनी : दो दिवसीय मधुबनी महोत्सव का आयोजन दिनांक 30 नवम्बर एवं 01.दिसंबर को

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मधुबनी: कला संस्कृति एवं युवा विभाग,बिहार,पटना तथा जिला प्रषासन,मधुबनी के संयुक्त तत्वावधान में जिला मुख्यालय में अवस्थित वाट्सन उच्च विद्यालय$2 के प्रांगण में दिनांक 30.11.2018 एवं 01.12.18 को मधुबनी महोत्सव का आयोजन किया जायेगा। श्री शीर्षत कपिल अषोक,जिला पदाधिकारी,मधुबनी के द्वारा विभागीय निदेष के आलोक में कलाकारों के चयन में स्थानीय एवं राज्य स्तरीय कलाकारों को प्राथमिकता देने का निदेष दिया गया है। साथ ही एक ही कलाकार को दुबारा लाभ नहीं देने का भी निदेष दिया गया है। चयनित कलाकारों का अनुमोदन माननीय विभागीय मंत्री से प्राप्त किया जाना अनिवार्य है। साथ ही उन्होंने इस अवसर पर स्मारिका मुद्रण का भी निदेष दिया है। जिसमें शुभकामना संदेष,विभागों से प्राप्त संदेष,फोटो गैलरी,(जिले से संबंधी),उर्दू,मैथिली,हिन्दी एवं अंग्रेजी में कविता,कहानी एवं समकालीन लेखों को प्राप्त कर मुद्रण कराये जाने का निदेष दिया गया।

बेगूसराय : साइकल यात्रा के युवाओं ने किया वृक्षारोपण कार्य।

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) साईकल यात्रा एक विचार,बेगूसराय के सदस्यों ने रविवार दिनांक 14.10.18 को बेगूसराय के रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 1 पर पूर्वी साइड में बने हुए पार्क की सफाई कर लगे हुए पौधों की सेवा कर पुनः 5 पौधे(2 कामिनी,2 नीम,1 कटीली चंपा) लगाया।ज्ञात हो कि साईकल यात्रा विगत 10 अगस्त 2014 से हर रविवार को गाँधी स्टेडियम के मुख्य गेट पर सुबह 6:50 में निकलती है और ज़िले के अलग-अलग भाग में जाकर स्वछता,सुंदरता व हरियाली हेतु साफ-सफाई कर वहाँ पौधरोपण कर उस जगह के लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं।कल की यात्रा में विवेक, आशीष, पुट्टू, सुमित, अजित, आयुष, विक्रांत, बिपिन सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।इस पौधारोपण में।सच में पर्यावरण के लिये तो सभी को इस कार्य मे जुटना चाहिये।

रोप स्किपिंग खेल में बच्चों की प्रतिभा देखकर सब कायल

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नई दिल्ली।  दिल्ली ओलम्पिक एसोसिएशन के तत्वाधान में चल रही दिल्ली ओलंपिक्स खेल -2018 के रोप स्किपिंग चैंपियनशिप में बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए अनेक पदकों जीत हासिल करके अपने को साबित किया है। प्रतियोगिता के पहले दिन मुख्य अतिथि इंदिरा गाँधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ फिजिकल एंड स्पोर्ट्स साइंस के प्रधानाचार्य डॉ.धनजय शॉ,रोप स्किपिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के महासचिव एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी निर्देश शर्मा,डी ए वी स्कूल पश्चिम विहार के शारीरिक शिक्षा विभाग के एचओडी आकाश शर्मा,दिल्ली जम्प रोप एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी अशोक कुमार निर्भय,अखिल भारतीय अग्रवाल सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर सभी अतिथियों का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया।  इस मौके पर खिलाडियों और अभिभावकों एवं शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए रोप स्किपिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के महासचिव एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी निर्देश शर्मा ने कहा कि हम आभारी है दिल्ली ओलम्पिक एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कुलदीप वत्स जी के जिन्होंने हमारी रोप स्किपिंग खेल दिल्ली ओलम्पिक के स्थान दिया। उन्होंने कहा कि रस्‍सी कूदना सबसे आसान और बेहतर व्‍यायाम माना जाता है, क्‍योंकि कुछ ही मिनटों में इसके जरिये पूरे शरीर का व्‍यायाम होता है। अगर आप तेजी से वजन कम करना चाहते हैं तो रोप स्किपिंग कीजिये। रस्‍सी कूदने की खास बात यह है कि इसे कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं। यात्रा के दौरान भी आप अपनी रस्‍सी को साथ ले जा सकते हैं। रस्‍सी कूदने से दिल भी स्‍वस्‍थ रहता है। इसके कारण दिल तेजी से धड़कता है जिसके फलस्वरूप आक्सीजन अधिक मात्रा में फेफड़ों में जाती हैं व पूरे शरीर में रक्त का संचार तीव्र गति से होता है। इससे शरीर का तनाव कम होता है और शरीर के सभी अंग अधिक कार्यक्षमता से कार्य करते हैं। निर्देश शर्मा ने कहा कि हमारी फडरेशन के सर्टिफाइड कोच से ही सीखें क्योंकि जानकारी के आभाव में आपको नुकसान भी हो सकता है। उन्होंने सावधानी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि रस्सी कूदने समय कुछ बातों का ध्यान रखें नहीं तो आपको चोट लग सकती है या मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है। रस्से हमेशा खाली पेट कूदें, कपड़े खुले और आरामदेह ही पहनें। रस्सी कूदने से पहले हल्के व्यायाम कर लें ताकि मांसपेशियों से कसाव कम हो जाए व उनको नुकसान न पहुंचे। बहुत ऊंचा कूदने की जरूरत नहीं, इससे आप गिर भी सकते हैं। रस्सी कूदने की गति भी धीमी रखें। शुरूआत में थोड़ा रस्सी कूदें, फिर धीरे-धीरे गति व सीमा बढ़ाएं। इस मौके पर जानकारी देते हुए दिल्ली के कोषाध्यक्ष एवं रोप स्किपिंग फडरेशन ऑफ़ इंडिया के मीडिया सलाहकार ने बताया की पहले दिन बालिका वर्ग की स्पर्धाएं हुई जिसमें स्पीड स्प्रिंट अंडर - 11 में परिशा ने स्वर्ण पदक,प्रियांशी ने रजत और रिया ने कांस्य पदक जीते। डबल अंडर के मुकाबले में अंडर -14 आयुवर्ग में रानी ने स्वर्ण,अश्वांकि ने रजत,नैंसी ने कांस्य पदक जीते। अंडर -17 डबल डच फ्री स्टाइल स्पर्धा में समीक्षा,शामभवी, नंदनी ने स्वर्ण पदक,ख़ुशी गुप्ता,प्राची,तान्या ने रजत,ख़ुशी खुशबू गौतमी ने कांस्य पदक जीत कर आपने - अपने स्कूल का नाम रोशन किया।

मधुबनी : राज्य स्तरीय विद्यालय खेल प्रतियोगिता-2018-19 का होगा आयोजन

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मधुबनी:राज्य स्तरीय विद्यालय बैडमिंटन बालक,बालिका(अंडर-14,17,19) प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक 22 से 25 अक्टूबर 2018 के बीच नगर भवन, मधुबनी/वाटसन मध्य विद्यालय, मधुबनी में किया जायेगा। जिसमें राज्य के सभी जिलों के प्रतिभगियों के साथ-साथ एकलव्य के भी प्रतिभागी भाग लेंगे। जिसके लिए बालक आवासन स्थल के रूप में  वाटसन उच्च विद्यालय,मधुबनी/वाटसन मध्यम विद्यालय, मधुबनी में व्यवस्था की गयी है। साथ ही बालिका प्रतिभागियों के अवासन हेतु सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल,जलधारी चैक,मधुबनी एवं षिव गंगा बालिका उच्च विद्यालय,मधुबनी में व्यवस्था की गयी है। फुटबाॅल(बालक अंडर-14) प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक 29.10.18 से 02.11.2018 तक उच्च विद्यालय पंडौल,खेल मैदान/मकसूदा खेल मैदान,पंडौल तथा प्रतिभागियों के आवासन की व्यवस्था उच्च विद्यालय पंडौल/मध्य विद्यालय ब्रह्मोत्तरा(पंडौल) में की गयी है। जिसमें भी राज्य के सभी जिलों के प्रतिभागियों के साथ-साथ एकलव्य के भी प्रतिभागी प्रतियोगिता में भाग लेंगे।

बेगूसराय : गैर कानूनी काम करनेवाला मानेगा नही और पुलिसकर्मी उसको छोडगी नहीं।

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) बेगूसराय पुलिस नवरात्रि में लगानेवाला मेला को मद्देनजर रखते हुए पुलिस अधीक्षक ने ताबडतोड गश्ती का निर्देश जारी कर दिया है,जिससे मेला के लिये बाजार में खरददारी करते और देर-सबेर घर लौटने में आम जनता को कोई परेशानी न हो।इस आदेश का पालन करते हुए नगर के सभी थाने लगभग लागातार अपनी डियूटी बखूबी निभाने में लगे हुए हैं।इसबार ऐसा महसूस किया जा रहा है कि प्रशासन अपने तरफ से एकदम चुस्ती के साथ मेले में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ने वाले हैं इस मेले में पुलिसकर्मी अपनी ओर से।इसी क्रम में गश्ती के दौरान बीती रात नगर के कई होटलों और मकानों में छापेमारी की,जिसमें ठठेरी गली स्थित मुकुन्द कुमार सिंह के घर में भी छापेमारी की गई,छापेमारी के दौरान वहाँ जुआ खेलते हुए जुआरियों को पुलिस ने धर दबोचा।नगर थाना क्षेत्र के ठठेरी गली निवासी झूलन प्रसाद के पुत्र कैलास प्रसाद,लोहियानगर ओपी क्षेत्र के निवासी स्व• नन्दकिशोर प्रसाद सिंह के पुत्र देवेन्द्र प्रसाद सिंह,नगर थाना क्षेत्र,कहचरी रोड स्थित एन के हॉटेल के मालिक रामस्वार्थ दास के पुत्र रामबहादुर आज़ाद,रतनपुर थाना क्षेत्रीय चट्टीरोड  निवासी परमेश्वर सः के पुत्र अर्जुन साह और अशोक नगर पोखरिया निवासी स्व• हर्षित नारायण सिंह के पुत्र रमाशंकर प्रसाद सिंह,हेमरा रोड निवासी शम्भु मिश्रा का पुत्र पूर्णेन्दु मिश्रा एवं मटिहानी थाना क्षेत्र से रामदीरी निवासी स्व• सिया सिंह का पुत्र नरेश सिंह को मौके पर पुलिस ने अपने हिरासत में लिया। इन सबों के पास से मौजूद 27,174 तीन सेट तास  की गड्डी,सिगरेट पैकेट,माचिस और कुछ लॉटरी के टिकट बरामद किया गया।इस कि छापेमारी में शामिल मोहम्मद निसार,नीलमणी,नगर थानाध्यक्ष त्रिलोकी नाथ मिश्र,ए एस आई पुरुषोत्तम झा,एस आई लाल बाबू मिश्रा,ए एस आई अरविन्द पासवान,एस आई अरविन्द कुमार सहित सशस्त्रबल के कई जवान भी शामिल थे।पुलिस प्रशासन अगर इसी तरह अन्य,सामान्य दिनों में भी इसी तरह मुस्तैदी के साथ हर क्षेत्रों से थानाध्यक्ष अपने डियूटी को करे तो शायद अपराध मुक्त जिला होने में कोई संशय नहीं।

बिहार : एम्स पटना के कुछ जूनियर डॅक्टरों का व्यवहार राजनैतिक तौर पर प्रेरित

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 कन्हैया कुमार के व्यक्तित्व पर चोट करने वाला, राज्य सचिव की सुरक्षा खतरे में।
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पटना:- मिडिया के माध्यम से एवं एम्स में भत्र्ती ए.आई.एस.एफ. के राज्य सचिव सुषील कुमार से ज्ञात हुआ कि एम्स पटना के जूनियर डाॅक्टर रवि सिंह के द्वारा धमकी भरे शब्दों में आज सुबह वार्ड में आकर बोले की ‘‘आज से तुम्हारा कोई इलाज नहीं होगा और आज ही तुमको डिस्चार्य किया जायेगा जो तुमको करना है वो तुम कर लांे; और फिर बोला की हमारे डूयूटी में कन्हैया कुमार को भेज दो हम उसको समझा देंगे, उसकी औकात क्या  है और हमारी औकात क्या है’’। ज्ञात हो कि यह पूरा विवाद ए.आई.एस.एफ. के राज्य सचिव सुषील कुमार जो पिछले 6 अक्टूबर से भर्ती है और बीते 10 अक्टूबर को उनका दाये हाथ का आॅपरेषन हुआ है जिनको कल दिनांक 14 अक्टूबर को जे.एन.यू.एस.यू. के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ए.आई.एस.एफ. के राज्य सचिव सुषील कुमार को देखने पहुँचे तो उन्हें एंटीनेषनल लीडर (देषद्रोही) कह कर मिलने से रोका गया और पक्षपात पूर्ण तरीके से मानसिक, समाजिक तौर पर प्रताड़ित किया गया जिसका विरोध करने पर जूनियर डाॅक्टरों ने हंगामा किया और सुषील कुमार को धमकी दिया। हमलोगों ने जब पूरे मामले की अपने स्तर से छानबीन की तो स्पष्ट हुआ कि सुषील कुमार एवं उनसे मिलने आने वाले तमाम परिजनों के साथ दूव्र्यवहार एवं पक्षपातक्षपूर्ण व्यवहार लगातार किया जाता रहा है। यह उस समय और स्पष्ट होता है कि जब कन्हैया कुमार उन से मिलने गये जबकि रामकृपाल यादव पाटलिपुत्रा के सांसद जब जबकि किसी को देखने गये तो सारे लोगों को सम्मान के साथ मरीज से मिलवाया गया। एक तरफ कन्हैया कुमार को देषद्रोही कहा जाता है और सुषील कुमार के साथ पक्षपातपूर्ण इलाज किया जाता है। यह साफ तौर पर स्पष्ट करता है कि डा॰ अष्वनी पाण्डेय एवं डा॰ रवि सिंह का व्यवहार राजनीतिक तौर पर प्रेरित है और भाजपा सांसद एवं मंत्री अष्वनी चैवे के सह पर किया गया है। ऐसे व्यवहार से राज्य सचिव सुषील कुमार की सुरक्षा खतरे में आ गई है और इसके लिए एम्स प्रषासन जिम्मेवार है। पूरे मामले को लेकर ए.आई.एस.एफ. ने 16-17 अक्टूबर को राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाने का फैसला किया है।

बेगूसराय : पटना एम्स के जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से हुई मरीजों को परेशानी।

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य)जे एन यू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया ने अपने समर्थकों के साथ पटना एम्स में निंदनीय कार्य किया।कन्हैया कुमार ने अपने 20 समर्थकों के साथ पटना एम्स के ट्रामा सेंटर में मचाया बबाल किया जूनियर डॉक्टर के साथ मारपीट नतीजा जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गये और पूरे सूबे के मरीज का इलाज बाधित हो गया। जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि कन्हैया के साथ करीब डेढ़ दर्जन समर्थक थे सभी ट्रामा इमरजेंसी में जाने का प्रयास किए।पहले तो सुरक्षा गार्ड ने उतनी संख्या में लोगों को वार्ड में जाने से रोका।कन्हैया समर्थक,गार्ड से धक्का मुक्की करने लगे और अंदर चले गए।वार्ड में डयूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर भी समर्थकों को वापस जाने को कहा लेकिन उन लोगों ने अवमानना कर दी उनकी एक भी न सुनी।आरोप है कि कन्हैया के समर्थक जूनियर डॉक्टरों के साथ भी धक्का-मुक्की करने लगे।काफी देर तक इस बात को लेकर एम्स में हंगामा होता रहा।रात करीब 10 बजे जूनियर डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया।एम्स प्रशासन की पहल पर रात में वे काम पर तो लौट गए लेकिन आज 15/10/18 की सुबह 11 बजे बैठक कर हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया।जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं जिससे बिहार के कोने-कोने से आए मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।मरीज एम्स से लौटने लगे हैं।एम्स में भर्ती मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। नतीजन डॉक्टरों ने एम्स स्टाफ और मरीजों के परिजन मानवाधिकारआयोग से विनती करते हुए कहा कि,कन्हैया के असामाजिक गतिविधि के कारण जो आम जनमानस का ईलाज बाधित हो रहा है,साथ ही मानव अधिकार का हनन भी हो रहा है,उस हेतु उसे सम्मन जारी कर कन्हैया से भविष्य में ऐसी गलती ना हो का प्रतिज्ञा पत्र लें। मरीजों के परिजन और एम्स के स्टाफों ने एक स्वर में मानवाधिकार आयोग से उचित व आवश्यक कारवाई करने की गुहार लगाई।

बिहार : प्रेरितों की महारानी ईश मंदिर

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कुर्जी पटना में महाधर्मप्रांतीय बाइबिल महोत्सव 2018 शुरू
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पटना।आज सोमवार से त्रिदिवसीय महाधर्मप्रांतीय  बाइबिल महोत्सव 2018 शुरू.ग्रामीण चर्च से जुड़े भक्तगण भव्य समारोह का गवाह बनने आए.महोत्सव का उद्घाटन आर्च बिशप ने किया. इस बार पवित्र बाइबिल  प्रॉटेबल डोली पर सवार है.इसके आराधना में रैली.हार्टमन स्कूल से चलकर संत माइकल प्राइमरी स्कूल में प्रवेश. काफी संख्या में श्रद्धांलु शिरकत किए.बच्चों को लेकर बुर्जुगों तक ईश भक्ति प्रदर्शित करते रहे.यहीं पर बाइबिल प्रतिस्थापित कर दी गयी.  बताते चले कि पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा ने बाइबिल वर्ष 2017 में घोषित किया था.इस आयोजन का समापन के सिलसिले में प्रेरितों की रानी ईश मंदिर, कुर्जी पटना में बाइबिल महोत्सव शुरू किया गया गया है.17 अक्टूबर को समापन हो जाएगा. कल मंगलवार को सुबह साढ़े छ:बजे से प्रार्थना सभा.इसके बाद साढ़े आठ बजे से प्रार्थना सभा.प्रवचन और दो व्यक्तियों द्वारा साक्षी प्रेषित.10:45 आर्च बिशप के सहायक बिशप सेवास्टियन द्वारा मिस्सा पूजा.5 बजे से क्व़िज और 6:30 बजे से सांस्कृतिक कार्यकर्म होगा.

मोदी ने तेल उत्पादक, उपभोक्ता देशों के बीच भागीदारी पर जोर दिया

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नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर , कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के उछाल के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेल उत्पादकों और उपभोक्ता देशों के बीच भागीदारी के संबंध पर जोर दिया है ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिल सके। मोदी ने तेल उत्पादक देशों से भी अपील की है कि वे अपने निवेश योग्य अधिशेष को विकासशील देशों के तेल क्षेत्र में वाणिज्यिक लाभ के लिए लगायें। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है। मोदी ने सोमवार को राजधानी में तेल एवं गैस क्षेत्र की देशी-विदेशी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत के दौरान ये सुझाव दिए। प्रधानमंत्री ने बातचीत तेल एवं गैस बाजार में भारत की उल्लेखनीय स्थिति का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि तेल बाजार फिलहाल उत्पादकों के हिसाब से चल रहा है। कच्चे तेल के उत्पादन की मात्रा और उसका मूल्य उत्पादक देश ही तय करते हैं। पीएमओ के बायान में कहा गया है, ‘‘हालांकि, बाजार में उत्पादन पर्याप्त मात्रा में हो रहा है, लेकिन तेल क्षेत्र में विपणन के विशेष तौर तरीकों से तेल के दाम चढ़ गए हैं। प्रधानमंत्री ने दूसरे बाजारों की तरह कच्चे तेल के बाजार में उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच मजबूत भागीदारी स्थापित किए जाने पर जोर दिया है। इससे नरमी से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता आयेगी।’’ 

प्रधानमंत्री ने बातचीत में भारत के लिहाज से कुछ खास नीतिगत मुद्दों की का तरफ विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के उपभोक्ता देशों को कच्चे तेल के ऊंचे दाम की वजह से कई तरह की आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके समक्ष संसाधनों की गंभीर तंगी खड़ी हो रही है। वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘इस फासले को भरने के लिये तेल उत्पादक देशों का सहयोग काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तेल उत्पादक देशों को अपने पास उपलबध निवेश योग्य बचतों को विकासशील देशों में तेल क्षेत्र में वाणिज्यिक लाभ के लिए लगाना चाहिये।’’ उन्होंने देश में तेल, गैस खोज के क्षेत्र में अधिक क्षेत्रों में चल रहे कार्य की तरफ भी ध्यान आकृष्ट किया और इनमें प्रौद्योगिकी और विस्तार के क्षेत्र में विकसित देशों से सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने गैस क्षेत्र में वितरण नेटवर्क में निजी भागीदारी का भी जिक्र किया। इस बैठक में सउदी अरब और यूएई के मंत्री तथा आरामको, एडीएनओसी, बीपी, रास्नेफ्ट, आईएचएस मार्किट, पायनीयर नेचुरल रिसोर्सिज कंपनी, एतसन इलेक्ट्रिक कंपनी, टेलूरियन मुबाडला इन्वेस्टमेंट कंपनी सहित तेल खेत्र की कई कंपनियों के सीईओ और विशेषज्ञ शामिल हुये। इनके अलावा वित्त मंत्री अरुण जेटली, पेट्रलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और सरकार तथा नीति आयोग के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बातचीत के दौरान बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने खासकर ऊर्जा क्षेत्र में कारोबार सुगमता के लिये उठाये गये कदमों की सराहना की।

कोहली शीर्ष पर बरकरार, आईसीसी रैंकिंग में साव और पंत की लंबी छलांग

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दुबई, 15 अक्टूबर, भारतीय कप्तान विराट कोहली आईसीसी ताजा विश्व रैंकिंग में नंबर एक टेस्ट बल्लेबाज बने हुए हैं जबकि पृथ्वी साव और ऋषभ पंत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ श्रृंखला समाप्त होने के बाद जारी रैंकिंग में लंबी छलांग लगायी है। इस साल के अंडर-19 विश्व कप में भारत की खिताबी जीत में टीम की अगुवाई करने वाले साव के लिये अपनी पदार्पण श्रृंखला में ही यादगार प्रदर्शन किया। हैदराबाद में 70 और नाबाद 33 रन की दो पारियां खेलने के दम पर वह 13 पायदान ऊपर 60वें स्थान पर पहुंच गये हैं। उन्होंने अपने पदार्पण मैच में शतक जड़कर रैंकिंग में 73वें स्थान पर प्रवेश किया था। विकेटकीपर बल्लेबाज पंत ने 92 रन की पारी के दम पर 23 स्थान की छलांग लगायी है और वह 62वें नंबर पर पहुंच गये हैं। दिल्ली का यह क्रिकेटर श्रृंखला के शुरू में 111वें स्थान पर था। उन्होंने राजकोट में पहले मैच में भी 92 रन बनाये थे। अजिंक्य रहाणे भी 80 रन की पारी के दम पर चार पायदान ऊपर 18वें स्थान पर पहुंच गये हैं। गेंदबाजों में उमेश यादव को भी चार स्थान का फायदा हुआ है और वह गेंदबाजी रैंकिंग में 25वें नंबर पर पहुंच गये हैं। उमेश भारतीय सरजमीं पर मैच में दस विकेट लेने वाले केवल तीसरे गेंदबाज बने थे जिससे उनकी रैंकिंग में भी सुधार हुआ है।  वेस्टइंडीज की तरफ से कप्तान जैसन होल्डर ने सभी विभागों में अच्छी प्रगति की है। भारत की पहली पारी में 56 रन देकर पांच विकेट लेने से वह गेंदबाजी रैंकिंग में चार पायदान ऊपर नौवें स्थान पर पहुंच गये हैं जो उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है। बल्लेबाजी में भी अर्धशतक जमाने से वह तीन पायदान आगे 53वें स्थान पर पहुंचने में सफल रहे। आलराउंडरों की सूची में भी होल्डर दक्षिण अफ्रीका के वर्नोन फिलैंडर की जगह तीसरे स्थान पर पहुंच गये हैं।  वेस्टइंडीज की तरफ से पहली पारी में शतक जड़ने वाले रोस्टन चेज दस पायदान चढ़कर 31वें जबकि शाई होप पांच पायदान ऊपर 35वें स्थान पर पहुंच गये हैं।  भारत को श्रृंखला में 2-0 से जीत दर्ज करने पर एक अंक मिला जबकि वेस्टइंडीज को एक अंक का नुकसान हुआ। टीम रैंकिंग में हालांकि कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

मोदी ने तीन तलाक को देश से निकालने का काम किया : शाह

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सतना (मध्यप्रदेश), 15 अक्टूबर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के धुर विरोध के बावजूद ‘तीन तलाक’ को देश से निकालने का काम कर मुस्लिम समाज की महिलाओं के सम्मान की रक्षा की है। शाह ने यहां बीटीआई ग्राउंड में भाजपा कमल शक्ति संवाद सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस ने मुस्लिम समाज की माताओं-बहनों के सम्मान की चिंता नहीं की। कांग्रेस ट्रिपल तलाक पर हिम्मत नहीं दिखा पाई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मोदी ने कांग्रेस के धुर विरोध के बावजूद तीन तलाक को देश से निकालने का काम किया।’’ कार्यक्रम स्थल पर मंच के दाईं ओर बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं मौजूद थीं, जिसे लेकर पूरे पंडाल में चर्चा होती रही। यहां सतना जिले के कई इलाकों से महिलाओं को बुलाया गया था। शाह ने कहा, ‘‘मोदी ने सिर्फ शब्दों से नहीं बल्कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देकर भी मातृशक्ति का सम्मान बढ़ाया है। उनके मंत्रिमंडल में 9 महिला मंत्री हैं, जिनमें निर्मला सीतारमन रक्षामंत्री और सुषमा स्वराज विदेश मंत्री शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया के देशों से संबंध बनाने एवं व्यापार बढ़ाने का बड़ा जिम्मा सुषमा के पास है। शाह ने कहा कि आज भाजपा के शासन में छह महिला राज्यपाल नियुक्त की गई हैं। यहां तक कि मध्य प्रदेश की राज्यपाल भी गुजरात की पहली मुख्यमंत्री रहीं आनंदीबेन पटेल हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने महिलाओं को पद देने के मामले में रिकॉर्ड बनाया है। मोदी जी ने महिलाओं के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए अथक प्रयास किये और मातृशक्ति का सम्मान किया है। इसके विपरीत, सालों तक देश में सत्ता में रही कांग्रेस ने महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया। शाह ने कहा कि कोई एक पुरुष भाजपा का कार्यकर्ता बनता है तो वो अकेला ही कार्यकर्ता बनता है लेकिन जब एक माता भाजपा की कार्यकर्ता बनती है तो पूरा परिवार भाजपा से जुड़ता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में मतदान होने वाले हैं और भाजपा एक बार फिर विकास की राह पर चलने के लिए महिला शक्ति का साथ चाहती है। शाह ने कहा कि पूरी दुनिया में आयुष्मान योजना से बड़ी गरीबों के स्वास्थ्य की चिंता करने वाली कोई योजना नहीं है। गरीबों के स्वास्थ के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ योजना को नरेन्द्र मोदीजी देश को रोग मुक्त बनाने के लिए शुरू किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय किसान केंद्र सरकार से अपनी फसलों के सही दामों की मांग करते रहे लेकिन कांग्रेस ने उनकी एक ना सुनी। मोदी जी की सरकार ने किसानों को डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का काम किया है।

बड़े, अमीर लोगों के लिये मोदी जी के दिल में जगह है, मगर कमजोर लोगों के लिये नहीं : राहुल गांधी

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दतिया, (मप्र) 15 अक्टूबर, देश के उद्योगपतियों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथित करीबी संबंधों के लिये मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि सिर्फ बड़े और अमीर उद्योपतियों की लिये मोदी के दिल में जगह है मगर कमजोर लोगों के लिये उनके दिल में जगह नहीं हैं। गांधी ने सोमवार को यहां एक आमसभा को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘‘देशभर में महिलाओं पर अत्याचार होता है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी कुछ नहीं बोलते हैं। गुजरात में दलितों को मारापीटा जाता है, प्रधानमंत्री जी कुछ नहीं बोलते हैं। दिनभर आपसे मन की बात करते हैं मगर कमजोर लोगों के लिये उनके दिल में जगह नहीं है। महिलाओं के लिये उनके दिल में जगह नहीं है। सिर्फ सबसे बड़े और अमीर उद्योगपतियों के लिये उनके दिल में जगह है। मेहूल चौकसी को मेहूल भाई, नीरव मोदी को नीरव भाई और अनिल अंबानी को अनिल भाई कहते हैं, मगर किसान को कभी भाई नहीं कहेंगे, मजदूर को कभी भाई नहीं कहेंगे।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा, ‘‘कभी सुना है, आपने किसान को नरेन्द्र मोदी जी ने गले लगाते हुए, उनसे कहते हुए भाई, क्या मुश्किल है, तुमको। गरीब को भाई बोलते हुए नरेन्द्र मोदी जी को कभी नहीं सुनेंगे क्योंकि वह सूट-बूट नहीं पहना है, तो वह भाई नहीं हो सकता।’’ गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव में स्वयं को देश का चौकीदार कहा था लेकिन उन्होंने किसानों के बजाय देश के 15-20 बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया और चौकीदार ने चोरी करवा दी। बैंक का 35,000 करोड़ रुपया लेकर नीरव मोदी, 9,000 करोड़ रुपया लेकर विजय माल्या भाग गया। देश में एक मनरेगा का बजट 35,000 करोड़ रुपया होता है, इस तरह आपके हक का एक मनरेगा लेकर नीरव मोदी और आधा मनरेगा लेकर विजय माल्या भाग गया।

कांग्रेस अध्यक्ष गांधी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब 15 अगस्त को लाल किले पर कहते हैं कि मेरे आने से पहले हिन्दुस्तान (हाथी) सो रहा था, तो उस वक्त वह किसका अपमान करते हैं। क्या वह कांग्रेस पार्टी के नेताओं का अपमान करते हैं या वो देश के मजदूरों, किसानों, युवाओं और माताओं-बहनों जिन्होंने देश के लिये खून-पसीना, लाखों घंटे दिये, उनका अपमान करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि हम सिर्फ न्याय चाहते हैं। मोदी सरकार ने पिछले चार सालों में हिन्दुस्तान के सबसे अमीर 15-20 उद्योगपतियों का 3.5 हजार करोड़ रुपया माफ कर दिया तो देश के गरीब किसानों का कर्जा क्यों नहीं माफ किया जा सकता है। भाजपा शासन काल में महिला सुरक्षा पर कटाक्ष करते हुए गांधी ने कहा, ‘‘भाजपा ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दिया था। लेकिन उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बलात्कार के आरोपी भाजपा विधायक को बचाया। उसके बारे में एक शब्द नहीं कहा। उन्होंने कहा कि अब बेटियों को भाजपा विधायकों से बचाने की आवश्यकता हो गई है। गांधी ने राफेल लड़ाकू हवाई जहाज सौदे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपने आरोप दोहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मित्र अनिल अंबानी को यह सौदा दिलवाया जबकि अंबानी पर सार्वजनिक बैंकों का 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। संसद में बहस को याद करते हुए गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मुझसे आंख में आंख डालकर इस बात का जवाब नहीं दे सके कि क्यों उन्होंने एचएएल से यह सौदा छीनकर अनिल अंबानी को दिया। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा कि वह कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी हैं यदि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो वह प्रदेश के युवाओं की, जनता की सरकार होगी। और उसके बाद दूसरे नंबर पर वह कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की सरकार होगी। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के सरकार बनने के दस दिन के अंदर किसानों के कर्ज माफ करने के अपने वादे को भी दोहराया।

विशेष : घर में ही नहीं, घट में भी दीये जलें

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हम हर वर्ष दीपावली मनाते हैं। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति का गौरव है, क्योंकि दीपावली रोशनी का पर्व है और दीया प्रकाश का प्रतीक है और तमस को दूर करता है। इस त्यौहार का न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृृतिक, भौतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है। भगवान महावीर का निर्वाण दिवस-दीपावली, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का आसुरी शक्तियों पर विजय के पश्चात अयोध्या आगमन का ज्योति दिवस-दीपावली, तंत्रोपासना एवं शक्ति की आराधक माँ काली की उपासना का पर्व-दीपावली, धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना का पर्व-दीपावली, ऋद्धि-सिद्धि, श्री और समृद्धि का पर्व-दीपावली, आनंदोत्सव का प्रतीक वात्सायन का शंृगारोत्सव-दीपावली, ज्योति से ज्योति जलाने का पर्व-दीपावली। यह पर्व हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की गौरव गाथा का प्रतीक पर्व है। 

दीपावली का यह पर्व प्रत्येक भारतीय की रग-रग में रच-बस गया हैं। इस पर्व पर हर घर, हर आंगन, हर बस्ती, हर गाँव में सबकुछ रोशनी से जगमगा जाया करता है। आदमी मिट्टी के दीए में स्नेह की बाती और परोपकार का तेल डालकर उसे जलाते हुए भारतीय संस्कृति को गौरव और सम्मान देता है, क्योंकि दीया भले मिट्टी का हो मगर वह हमारे जीने का आदर्श है, हमारे जीवन की दिशा है, संस्कारों की सीख है, संकल्प की प्रेरणा है और लक्ष्य तक पहुँचने का माध्यम है। दीपावली मनाने की सार्थकता तभी है जब भीतर का अंधकार दूर हो। अंधकार जीवन की समस्या है और प्रकाश उसका समाधान। जीवन जीने के लिए सहज प्रकाश चाहिए। प्रारंभ से ही मनुष्य की खोज प्रकाश को पाने की रही।

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अंधकार हमारे अज्ञान का, दुराचरण का, दुष्टप्रवृत्तियों का, आलस्य और प्रमाद का, बैर और विनाश का, क्रोध और कुंठा का, राग और द्वेष का, हिंसा और कदाग्रह का अर्थात अंधकार हमारी राक्षसी मनोवृत्ति का प्रतीक है। जब मनुष्य के भीतर असद् प्रवृत्ति का जन्म होता है, तब चारों ओर वातावरण में कालिमा व्याप्त हो जाती है। अंधकार ही अंधकार नजर आने लगता है। मनुष्य हाहाकार करने लगता है। मानवता चीत्कार उठती है। अंधकार में भटके मानव का क्रंदन सुनकर देवशक्तियांे का हृदय पिघल जाता है। वे मनुष्य को सन्मार्ग दिखाते हैं, ऐसा प्रकाश फैलाते है कि भौतिक ही नहीं, आत्मिक भी उजाला हो जाता है। वह प्रकाश हमारी सद् प्रवृत्तियों का, सद्ज्ञान का, संवेदना एवं करुणा का, प्रेम एवं भाईचारे का, त्याग एवं सहिष्णुता का, सुख और शांति का, ऋद्धि और समृद्धि का, शुभ और लाभ का, श्री और सिद्धि का अर्थात् दैवीय गुणों का प्रतीक है। यही प्रकाश मनुष्य की अंतर्चेतना से जब जागृत होता है, तभी इस धरती पर सतयुग का अवतरण होने लगता है। 
प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक अखंड ज्योति जल रही है। उसकी लौ कभी-कभार मद्धिम जरूर हो जाती है, लेकिन बुझती नहीं है। उसका प्रकाश शाश्वत प्रकाश है। वह स्वयं में बहुत अधिक देदीप्यमान एवं प्रभामय है। इसी संदर्भ में महात्मा कबीरदासजी ने कहा था-‘बाहर से तो कुछ न दीसे, भीतर जल रही जोत’। जो व्यक्ति उस भीतरी ज्योति तक पहुँच गए, वे स्वयं ज्योतिर्मय बन गए। जो अपने भीतरी आलोक से आलोकित हो गए, वे सबके लिए आलोकमय बन गए। जिन्होंने अपनी भीतरी शक्तियों के स्रोत को जगाया, वे अनंत शक्तियों के स्रोत बन गए और जिन्होंने अपने भीतर की दीवाली को मनाया, लोगों ने उनके उपलक्ष में दीवाली का पर्व मनाना प्रारंभ कर दिया।

दीपावली का पर्व ज्योति का पर्व है। दीपावली का पर्व पुरुषार्थ का पर्व है। यह आत्म साक्षात्कार का पर्व है। यह अपने भीतर सुषुप्त चेतना को जगाने का अनुपम पर्व है। यह हमारे आभामंडल को विशुद्ध और पर्यावरण की स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संदेश देने का पर्व है। भगवान महावीर ने दीपावली की रात जो उपदेश दिया उसे हम प्रकाश पर्व का श्रेष्ठ संदेश मान सकते हैं। भगवान महावीर की यह शिक्षा मानव मात्र के आंतरिक जगत को आलोकित करने वाली है। तथागत बुद्ध की अमृत वाणी ‘अप्पदीवो भव’ अर्थात ‘आत्मा के लिए दीपक बन’ वह भी इसी भावना को पुष्ट कर रही है। इतिहासकार कहते हैं कि जिस दिन ज्ञान की ज्योति लेकर नचिकेता यमलोक से मृत्युलोक में अवतरित हुए वह दिन भी दीपावली का ही दिन था। यद्यपि लोक मानस में दीपावली एक सांस्कृतिक पर्व के रूप में अपनी व्यापकता सिद्ध कर चुका है। फिर भी यह तो मानना ही होगा कि जिन ऐतिहासिक महापुरुषों के घटना प्रसंगों से इस पर्व की महत्ता जुड़ी है, वे अध्यात्म जगत के शिखर पुरुष थे। इस दृष्टि से दीपावली पर्व लौकिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता का अनूठा पर्व है।

यह बात सच है कि मनुष्य का रूझान हमेशा प्रकाश की ओर रहा है। अंधकार को उसने कभी न चाहा न कभी माँगा। ‘तमसो मा ज्योतिगर्मय’ भक्त की अंतर भावना अथवा प्रार्थना का यह स्वर भी इसका पुष्ट प्रमाण है। अंधकार से प्रकाश की ओर ले चल-इस प्रशस्त कामना की पूर्णता हेतु मनुष्य ने खोज शुरू की। उसने सोचा कि वह कौन-सा दीप है जो मंजिल तक जाने वाले पथ को आलोकित कर सकता है। अंधकार से घिरा हुआ आदमी दिशाहीन होकर चाहे जितनी गति करें, सार्थक नहीं हुआ करती। आचरण से पहले ज्ञान को, चारित्र पालन से पूर्व सम्यक्त्व को आवश्यक माना है। ज्ञान जीवन में प्रकाश करने वाला होता है। शास्त्र में भी कहा गया-‘नाणं पयासयरं’ अर्थात ज्ञान प्रकाशकर है।

हमारे भीतर अज्ञान का तमस छाया हुआ है। वह ज्ञान के प्रकाश से ही मिट सकता है। ज्ञान दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाश दीप है। जब ज्ञान का दीप जलता है तब भीतर और बाहर दोनों आलोकित हो जाते हैं। अंधकार का साम्राज्य स्वतः समाप्त हो जाता है। ज्ञान के प्रकाश की आवश्यकता केवल भीतर के अंधकार मोह-मूच्र्छा को मिटाने के लिए ही नहीं, अपितु लोभ और आसक्ति के परिणामस्वरूप खड़ी हुई पर्यावरण प्रदूषण और अनैतिकता जैसी बाहरी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी जरूरी है।

आतंकवाद, भय, हिंसा, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, अनैतिकता, ओजोन का नष्ट होना आदि समस्याएँ इक्कीसवीं सदी के मनुष्य के सामने चुनौती बनकर खड़ी है। आखिर इन समस्याओं का जनक भी मनुष्य ही तो है। क्योंकि किसी पशु अथवा जानवर के लिए ऐसा करना संभव नहीं है। अनावश्यक हिंसा का जघन्य कृत्य भी मनुष्य के सिवाय दूसरा कौन कर सकता है? आतंकवाद की समस्या का हल तब तक नहीं हो सकता जब तक मनुष्य अनावश्यक हिंसा को छोड़ने का प्रण नहीं करता।

मोह का अंधकार भगाने के लिए धर्म का दीप जलाना होगा। जहाँ धर्म का सूर्य उदित हो गया, वहाँ का अंधकार टिक नहीं सकता। एक बार अंधकार ने ब्रह्माजी से शिकायत की कि सूरज मेरा पीछा करता है। वह मुझे मिटा देना चाहता है। ब्रह्माजी ने इस बारे में सूरज को बोला तो सूरज ने कहा-मैं अंधकार को जानता तक नहीं, मिटाने की बात तो दूर, आप पहले उसे मेरे सामने उपस्थित करें। मैं उसकी शक्ल-सूरत देखना चाहता हूँ। ब्रह्माजी ने उसे सूरज के सामने आने के लिए कहा तो अंधकार बोला-मैं उसके पास कैसे आ सकता हूँ? अगर आ गया तो मेरा अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

हालाँकि दीपावली एक लौकिक पर्व है। फिर भी यह केवल बाहरी अंधकार को ही नहीं, बल्कि भीतरी अंधकार को मिटाने का पर्व भी बने। हम भीतर में धर्म का दीप जलाकर मोह और मूच्र्छा के अंधकार को दूर कर सकते हैं। दीपावली के मौके पर सभी आमतौर से अपने घरों की साफ-सफाई, साज-सज्जा और उसे संवारने-निखारने का प्रयास करते हैं। उसी प्रकार अगर भीतर चेतना के आँगन पर जमे कर्म के कचरे को बुहारकर साफ किया जाए, उसे संयम से सजाने-संवारने का प्रयास किया जाए और उसमें आत्मा रूपी दीपक की अखंड ज्योति को प्रज्वलित कर दिया जाए तो मनुष्य शाश्वत सुख, शांति एवं आनंद को प्राप्त हो सकता है। महान दार्शनिक संत आचार्य श्री महाप्रज्ञ लिखते हैं-हमें यदि धर्म को, अंदर को प्रकाश को समझना है और वास्तव में धर्म करना है तो सबसे पहले इंद्रियों को बंद करना सीखना होगा। आँखें बंद, कान बंद और मुँह बंद-ये सब बंद हो जाएँगे तो केवल आधा घंटा के लिए सारी इंद्रियों को विश्राम देकर बिलकुल स्थिर और एकाग्र होकर अपने भीतर झाँकना शुरू कर दें और इसका नियमित अभ्यास करें तो एक दिन आपको कोई ऐसी झलक मिल जाएगी कि आप रोमांचित हो जाएँगे। आप देखेंगे-भीतर का जगत कितना विशाल है, कितना आनंदमय और प्रकाशमय है। वहाँ कोई अंधकार नहीं है, कोई समस्या नहीं है। आपको एक दिव्य प्रकाश मिलेगा।

दीपावली पर्व की सार्थकता के लिए जरूरी है, दीये बाहर के ही नहीं, दीये भीतर के भी जलने चाहिए। क्योंकि दीया कहीं भी जले उजाला देता है। दीए का संदेश है-हम जीवन से कभी पलायन न करें, जीवन को परिवर्तन दें, क्योंकि पलायन में मनुष्य के दामन पर बुजदिली का धब्बा लगता है, जबकि परिवर्तन में विकास की संभावनाएँ जीवन की सार्थक दिशाएँ खोज लेती हैं। असल में दीया उन लोगों के लिए भी चुनौती है जो अकर्मण्य, आलसी, निठल्ले, दिशाहीन और चरित्रहीन बनकर सफलता की ऊँचाइयों के सपने देखते हैं। जबकि दीया दुर्बलताओं को मिटाकर नई जीवनशैली की शुरुआत का संकल्प है।




(ललित गर्ग)
बी-380, प्रथम तल, 
निर्माण विहार, दिल्ली-110092
 संपर्क : 9811051133
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