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विशेष आलेख : उदारीकरण के दौर में मजदूर

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1991 से शुरू हुए आर्थिक सुधारों के 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं , इन 25 सालों के दौरान देश की जीडीपी तो खूब बढ़ी हैं और भारत दुनिया के दस बड़े अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है, आज जब “महाबली” चीन सहित दुनिया भर की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थायें मंदी की गिरफ्त में है तो भारत अभी भी “अंधो में काना राजा” बना हुआ है. लेकिन दूसरी तरफ इस दौरान लोगों के बीच आर्थिक दूरी बहुत व्यापक हुई है साल 2000 में जहां एक प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल सम्पत्ति का 37 प्रतिशत था वहीं 2014 में यह बढ़ का 70 प्रतिशत हो गया है जिसका सीधा मतलब यह है कि इस मुल्क के 99 प्रतिशत नागिरकों के पास मात्र 30 प्रतिशत सम्पत्ति बची है यह असमानता साल दर साल बढ़ती ही जा रही है. आर्थिक सुधारों से किसका विकास हो रहा हैं इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि मानव विकास सूचकांक के 185 देशो की सूची में हम 151वें स्थान पर पर बने हुए हैं. 

किसी भी अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख घटक होते हैं पूँजी,राज्य व मजदूर, और अर्थव्यवस्था का माडल इसी बात से तय होता है कि इन तीनों में से किसका वर्चस्व है. नरसिंह राव और मनमोहन सिंह की जोड़ी ने जो नयी आर्थिक नीतियाँ लागू की थीं उसका मूल दर्शन यह है कि अर्थवयवस्था में राज्य की भूमिका सिकुड़ती जाए और इसे पूँजी व इसे नियंत्रित करने वाले सरमायेदारों के भरोसे छोड़ दिया जाए. इस वयवस्था के दो सबसे अहम मंत्र है “निवेश” और “सुधार”. 25 साल पहले तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि “सुधारों” का यह सिलसिला एक ऐसी धारा है, जिसके प्रवाह को मोड़ा नहीं जा सकता आज लगभग सभी पार्टियाँ मनमोहन सिंह की इस बात को ही सही साबित करने में जुटी हुई हैं.

सामान्य तर्क कहता है कि वैश्वीकृत भारत में मजदूरों पर भी अंतर्राष्ट्रीय मानक लागू हों लेकिन “उदारीकरण” कारोबारी नियमों को आसान बनाने की मांग करता है इसलिए भारत सरकार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुझाव दिए जाते हैं कि उसे देश को कारोबार के लिहाज बेहतर” बनाने के लिए उसे प्रशासनिक, नियामिक और श्रम सुधार करने होंगें और इस दिशा में आने वाली सभी अड़चनों को दूर करना होगा. नरसिंह राव से लेकर यूपीए-2 तक पिछली सभी सरकारें इसी के लिए प्रतिबद्ध रही है और सुधार व निवेश उनके एजेंडे पर रहा हैं. वे अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से को सावर्जनिक क्षेत्र में ले आये हैं,नियमों को ढीला बना दिया गया है, सेवा क्षेत्र का अनंत विस्तार हुआ है. लेकिन उदारीकरण के दुसरे चरण में इसके पैरोकार मनमोहन सिंह की खिचड़ी और थकी सरकार से निराश थे और उन्हें मनमोहन सिंह एक नए संस्करण की तलाश थी जो उन्हें उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी में दिखाई पड़ रहा था. 2014 ने नरेंद्र मोदी को वह मौका दे दिया की वे इन उम्मीदों को पूरा कर सकें. अब जबकि उनकी स्पष्ट बहुमत की सरकार है तो राष्ट्रीय-बहुराष्ट्रीय निगम और उनके पैरोकारयह उम्मीद कर रहे हैं कि मोदी सरकार उदारीकरण की प्रक्रिया में गति लाये और श्रम सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाये. श्रम कानूनों में सुधार को लेकर उनका तर्क है कि मौजूदा श्रम कानून कंपनियों के खिलाफ हैं और नई नौकरियों में बाधक हैं इसलिए निवेश बढ़ाने वज्यादा नौकरियां पैदा करने के लिये लिए श्रम कानूनों को शिथिल करना जरूरी है. इसको लेकर मोदी सरकार भी बहुत उत्साहित दिखाई पड़ रही है तभी तो संभालने के दो महीने के भीतर ही केंद्रीय कैबिनेट ने श्रम क़ानूनों में 54 संशोधन प्रस्तावित कर दिए थे. हमारे देश में करीब 44 श्रम संबंधित कानून हैं सरकार इनको चार कानूनों में एकीकृत करना चाहती हैं. प्रस्तावित बदलाओं से न्यूनतम मेहनताना और कार्य समयावधि सीमा हट जायेगी , “हायर” और “फायर” के नियम आसन हो जायेंगें श्रमिकों के लिए यूनियन बनाना और बंद या हड़ताल बुलाना मुश्किल हो जाएगा.

पिछले दो सालों में मोदी सरकार के श्रम कानून में सुधार के प्रयासों को श्रमिक संगठनों से कड़ा विरोध झेलना पड़ी है. ट्रेड यूनियनों का कहना है कि यह एकतरफा बदलाव है इनसे मालिकों को ज्यादा अधिकार मिल जायेंगें और उनके लिए कर्मचारियों की छंटनी करना और काम के घंटे बढ़ाना आसन हो जाएगा. एक तरफ ट्रेड यूनियन विरोध कर रहे हैं तो दूसरी तरह राज्य सभा में सरकार को बहुमत नहीं है, शायद इसीलिए सत्ताधारी पार्टी ने एक दूसरा रास्ता निकला है और राजस्थान,गुजरात, मध्यप्रदेश महाराष्ट्र जैसे भाजपा शासित राज्यों में में इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है. राजस्थान तो जैसे इन तथाकथित सुधारों की प्रयोगशाला के तौर पर उभरा है राजस्थान विधानसभा ने जो औद्योगिक विवाद (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2014, ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) राजस्थान संशोधन विधेयक, कारखाना (राजस्थान संशोधन) विधेयक और प्रशिक्षु अधिनियम पारित किया है जिसके बाद अब कंपनियाँ मजदूरों को नौकरी से निकालने के मामले में और भी बेलगाम हो जायेगीं,100 के जगह पर अब 300 कर्मचारियों तक के कारखानो को बंद करने के लिए सरकार से अनुमति की बाध्यता रह गई है, इसी तरह से ठेका मज़दूर कानून भी अब मौजुदा 20 श्रमिकों के स्थान पर 50 कर्मचारियों पर लागू होगा इसका अर्थ यह है कि कोई कंपनी अगर 49 मजदूरों को ठेके पर रखती है तो उन मजदूरों के प्रति उसकी किसी प्रकार की जबावदेही नहीं होगी. पहले एक कारखाने में किसी यूनियन के रूप में मान्यता के लिए 15 प्रतिशत सदस्य संख्या जरूरी थी लेकिन इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है इसका अर्थ यह होगा कि मजदूरों के लिए अब यूनियन बनाकर मान्यता प्राप्त करना मुश्किल हो गया है इससे नियोजको को यह अवसर मिलेगा कि वे अपनी पंसदीदा यूनियनो को ही बढावा दे.

सितंबर, 2015 में राष्ट्रपति द्वारा गुजरात सरकार के श्रम कानून संशोधन अधिनियम 2015 को स्वीकृति कर दिया गया है, इस अधिनियम के कुछ उपबंध केंद्र सरकार के श्रम कानून अधिनियम के उपबंधों के विरुद्ध थे, इसी कारण इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति की आवश्यकता पड़ी. अधिनियम में मजदूरों एवं मालिकों के बीच होने वाले विवादों को अदालतों से बाहर सुलझाने पर बल दिया गया है, इसी तरह से यदि श्रमिक श्रम आयुक्त को सूचना दिए बिना हड़ताल पर जाते हैं तो उनके ऊपर 150 रुपये प्रति दिन के हिसाब से समझौता शुल्क लगाया जा सकेगा जो अधिकतम 3000 तक है, यह सरकार को “जनपयोगी सेवाओं” में हड़ताल पर एक बार में 1 वर्ष तक प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है. अधिनियम मालिकों को बिना पूर्व सूचना के श्रमिकों के कार्य में परिवर्तन का अधिकार भी देता है.

22 जुलाई 2015 को मध्यप्रदेश विधानसभा ने 15 केन्द्रीय श्रम कानून के प्रावधानों को “उदार” एवं “सरल” बनाते हुए “मध्यप्रदेश श्रम कानून (संशोधन) एवं विविध प्रावधान विधेयक-2015” पारित किया है जिसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए केन्द्र भेजा गया है. महाराष्ट्र में भी इसी तरह के “सुधार” की तैयारी की जा रही है महाराष्ट्र के श्रम विभाग ने वही संशोधन प्रस्तावित किये हैं जो राजस्थान सरकार ने लागु किये हैं इन बदलावों से राज्य की 95 % औद्योगिक इकाइयों को सरकार की मंजूरी के बगैर अपने कर्मचारियों की छटनी करने या इकाई को बंद करने की छूट मिल जायेगी.

इन तथाकथित “सुधारों” से लम्बे संघर्षों के बाद मजदूरों को सीमित अधिकारों को भी खत्म किया जा रहा है,यह इरादतन किया जा रहा है ताकि नियोक्ताओं व कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुचाया जा सके. हालांकि इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इससे रोजगार में वृद्धि होगी जिसकामतलब यह है अब सरकार के लिए रोजगार का मतलब सम्मानजनक जीवन जीने लायक रोजगार से नहीं रह गया है.

हमारे देश में कामगारों का अधिकतर हिस्सा असंगठित क्षेत्र में आता है, राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) के अनुसार वर्ष 2009-10 में भारत में कुल 46.5 करोड़ कामगार थे इसमें मात्र 2.8 करोड़ (छह प्रतिशत) ही संगठित क्षेत्र में कार्यरत थे बाकी 43.7 करोड़ यानी 97.2 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में कार्यरत थे. असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे अधिकतर कामगारों की स्थिति खराब है वे न्यूनतम मजदूरी और सुविधाओं के साथ काम कर रहे हैं और सामाजिक सुरक्षा के लाभ से महरूम हैं. एनएसएसओ के 68वें चरण के सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2011-12 में भारत में करीब 68 फीसदी कामगारों के पास न तो लिखित नौकरी का अनुबंध था और न ही उन्हें सवेतन अवकाश दिया जाता था, इसी तरह से ज्यादातर असंगठित श्रमिक ट्रेड यूनियन के दायरे से बाहर हैं उपरोक्त रिपोर्ट के अनुसार 87 फीसदी कामगार किसी संगठन या यूनियन से नहीं जुड़े थे.

भूमंडलीकरण के इस दौर में पूँजी अपने निवेश के लिए ऐसे स्थानों के तलाश में रहती है जहाँ श्रम और अन्य सुविधायें सस्ती हों. हमारे देश में लोग इतने मजबूर है कि वे कम मजदूरी और गैर-मानवीय हालातों में काम करने को तैयार हैं. इसलिए भारत को असीमित  मुनाफा कमाने के लिए एक आदर्श देश के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. श्रम सुधारों के लिए 2016 और इसके बाद मोदी सरकार के बचे दो साल बहुत अहम होने जा रहे हैं. “मेक इन इंडिया” अभियान की शुरुआत जोर शोर से हो चुकी है और मोदी इसे लेकर दुनिया के एक बड़े हिस्से को नाप चुके हैं स्वाभाविक रूप से उनका अगला कदम श्रम सुधारों की गति को तेज करना होगा. आजादी के बाद यह सबसे बड़ा श्रम सुधार होने जा रहा है. इसको लेकर हर स्तर पर तैयारियाँ हो रही है, किसी भी तरह से राज्य सभा में बहुत हासिल करना उसी तैयारी का एक हिस्सा है ताकि इन  बदलाओं को वहां आसानी से पारित कराया जा सके. 

निश्चित रूप से उदारीकरण का यह दौर मजदूरों के लिए अनुदार है और उनके लिए परिस्थितियां बद से बदतर होती जा रही हैं.




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---जावेद अनीस---
मेल : Javed4media@gmail.com

विशेष : पंथ और ग्रंथ के भेद से ऊपर एक निराला संत

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भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को हिदायत दी है, तुम गुण ही गुण में वर्तन करते हों, जिससे अनेेक उर्मियों के बीच ही मन नर्तन करता रहता है। इस नर्तन को खत्म करके अर्जुन अब तू गुणों से ऊपर उठ जा, निर्गुण अवस्था में आ जा। सत्व, रज, तम तीनों गुणों को छोड़कर त्रिगुणातीत बन जा। इसलिए संतों ने गाया है-‘निर्गुण रंगी चादरिया रे, कोई ओढ़े संत सुजान।’

आचार्य महाश्रमण ने इस निर्गुणी चदरिया को ओढ़ा है। उन्हें जो दृष्टि प्राप्त हुई है, उसमें अतीत और वर्तमान का वियोग नहीं है, योग है। उन्हें जो चेतना प्राप्त हुई है, वह तन-मन के भेद से प्रतिबद्ध नहीं है, मुक्त है। उन्हें जो साधना मिली है, वह सत्य की पूजा नहीं करती, शल्य-चिकित्सा करती है। सत्य की निरंकुश जिज्ञासा ही उनका जीवन-धर्म है। वही उनका मुनित्व है। वे उसे चादर की भाँति ओढ़े हुए नहीं हैं बल्कि वह बीज की भाँति उनके अंतस्तल से अंकुरित हो रहा है। आचार्य महाश्रमण एक ऐसे संत है, जिनके लिये पंथ और ग्रंथ का भेद बाधक नहीं है। उन्हांेने अपने आध्यात्मिक चिंतन का सार इन अनुभूत शब्दों में व्यक्त किया है कि ‘रहें भीतर, जीएँ बाहर’। उन्होंने सगुण-साकार भक्ति पर जोर दिया है, जिसमें निर्गुण निहित है। हर जाति, वर्ग, क्षेत्र और सम्प्रदाय का सामान्य से सामान्य व्यक्ति हो या कोई विशिष्ट व्यक्ति हो -सभी में विशिष्ट गुण खोज लेने की दृष्टि आचार्य महाश्रमण में है। गुणों के आधार से, विश्वास और प्रेम के आधार से व्यक्तियों में छिपे सद्गुणों को वे पुष्प में से मधु की भाँति संचित कर लेते हैं। परस्पर एक-दूसरे के गुणों को देखते हुए, खोजते हुए उनको बढ़ाते चले जाना आचार्य महाश्रमण के विश्व मानव या वसुधैव कुटुम्बकम् के दर्शन का द्योतक है। श्रीमद् भगवत गीता और उत्तराध्ययन पर आपके तुलनात्मक विवेचन से जुड़े प्रवचन एवं उन्हीं  प्रवचनों का संकलन ‘सुखी बनो’ पुस्तक भारतीय साहित्य भंडार की अमूल्य धरोहर है। सतातन परम्परा में जहां गीता श्रद्धास्पद मानी जाती है, वहीं उत्तराध्ययन एक प्रतिष्ठित जैनागम है। परम्परा भेद होने पर भी दोनों ग्रंथों की समानताओं और शाश्वतताओं का तटस्थ विवेचन, गीता की भी अधिकार के साथ सटीक व्याख्या और इन मंत्रतुल्य शब्दों को साकार रूप देने के लिए ही आचार्य महाश्रमण आत्मिक उन्नति के साथ नई समाज रचना के लिए तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं। आचार्य महाश्रमण की मेघा के दर्पण से आगम, दर्शन, न्याय, तर्कशास्त्र, समाजशास्त्र, योग, विज्ञान, मनोविज्ञान आदि बहुआयामी पावन एवं उज्ज्वल बिम्ब उभरते रहे हैं।  सुदूर बंगाल, बिहार, नेपाल, भूटान आदि राज्यों के बाद इनदिनों आसाम में  ‘अहिंसा सव्वभूयखेमंकरी’ के सूक्त को उजागर करने वाली आपकी अहिंसा यात्रा गांधी की दांडी यात्रा एवं विनोबा की भूदान यात्रा की याद ताजा कराती है तो आपकी साहित्य सृजना कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचंद्र की साधना को उद्घाटित करती है।

आचार्य महाश्रमण का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के सरदारशहर में दिनांकः 13 मई 1962 को हुआ। बारह वर्ष की अल्पायु में दिनांक 5 मई 1974 को सरदारशहर में आचार्य श्री तुलसी की अनुज्ञा से मुनि सुमेरमलजी लाडनूं के हाथों दीक्षित हुए। आचार्य तुलसी ने इनमें तेरापंथ के उज्ज्वल भविष्य के दर्शन किए और उन्होंने दिनांकः 9 सितम्बर 1989 मंे इन्हें महाश्रमण के पद पर मनोनीत किया। 

आचार्य श्री महाश्रमणजी तेरापंथ के ग्यारहवें आचार्य हैं। आप 9 मई 2010 को आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के महाप्रयाण के बाद इस पद पर प्रतिष्ठित हुए। आचार्य महाश्रमण की जीवन यात्रा मोहनलाल से मुनि मुदितकुमार, मुनि मुदितकुमार से महाश्रमण, महाश्रमण से युवाचार्य तथा युवाचार्य से आचार्य बनने तक की यह यात्रा, समर्पण, निष्ठा, मर्यादा, अनुशासन, उत्कृष्ट भक्ति तथा साधुता की अपूर्व कहानी है।

आचार्य महाश्रमण को तेरापंथ के दो महान प्रतापी तथा यशस्वी आचार्यों का नेतृत्व, मार्गदर्शन, अन्तरंग, सान्निध्य तथा वात्सल्य प्राप्त हुआ है। यह उनका महान सौभाग्य ही माना जायेगा। इसी कारण से इन दोनों आचार्यों की प्रतिमूर्ति है। आप ऐसे विरले मनीषी है, जिन्हें दो महान आचार्यों ने तैयार किया है। साथ ही आपको इन दोनों महान आचार्यों की विरासत भी मिलने के साथ-साथ तेरापंथ धर्मसंघ की महान संपदा भी प्राप्त हुई है। इस मामले में आप तेरापंथ धर्मसंघ के सबसे भाग्यशाली आचार्य ही माने जायेंगे।

आचार्य श्री महाश्रमणजी को 700 के लगभग साधु-साध्वियों का नेतृत्व करने का सौभाग्य भी मिला है। इसके अतिरिक्त 100 से भी अधिक समण-समणियां भी आपके नेतृत्व में कार्य कर रही हैं। इस दोनों के अतिरिक्त मुमुक्षु बहनें भी आपके नेतृत्व की आराधना में है। लाखों श्रावक-श्राविकाएं आपके इंगित की आराधना करनें की दिशा में समर्पित है। सरदारशहर में आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के देवलोकगमन के समय जो जन-सैलाब उमड़ा, वह इस बात का स्पष्ट संकेत था कि आचार्य केन्द्रित, तेरापंथ धर्मसंघ की व्यवस्था भविष्य में भी न केवल सुरक्षित रहेगी, अपितु उत्तरोत्तर विकसित होगी। यह आचार्य श्री महाश्रमणजी को  नई ऊर्जा तथा शक्ति से कार्य करने तथा समाज को नई दिशा प्रदान की ओर उन्मुख करेगी। आपके नेतृत्व में तेरापंथ का भविष्य तो सुखद तथा उज्ज्वल है ही साथ ही साथ मानवता को उपकृत होने का भी सहज ही सुअवसर प्राप्त होगा।

आचार्य महाश्रमण के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व के अनेक आयाम है उनमें मुख्य हैं-नैतिक मूल्यों के विकास एवं अहिंसक चेतना के जागरण हेतु कटिबद्ध, मानवीय मूल्यों के पुनरुत्थान के सजग प्रहरी, अध्यात्म दर्शन और संस्कृति को जीवंतता देने वाली संजीवनी बंूटी, विश्वशांति और अहिंसा के प्रखर प्रवक्ता, युगीन समस्याओं के समाधायक, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वयक।  नंगे पाँव चलने वाला यह महामानव चलता है-चलता रहा है, चरैवेति-चरैवेति के मंत्र को चरित्रार्थ करते हुए।  गांव-गांव घूमता लोगों को अच्छा बनने के लिये कह रहा है।  न कौशल का  प्रदर्शन, न रणनीति का चक्रव्यूह। सब कुछ साफ-साफ । बुराई छोड़ो, नशा छोड़ो, भ्रूण हत्या मत करो, भेदभाव मत करो, लोक-जीवन में शुद्धता आये, राष्ट्रीय चरित्र बने- इन्हीं उपक्रमों एवं कार्यक्रमों को लेकर वे सुबह से शाम तक गांव हो या शहर लोगों से मिलते हैं, प्रवचन करते हैं। एक-एक व्यक्ति  को समझाते हैं।  एक यायावरी संत समाज का निर्माण और उत्थान करता हुआ निरन्तर आगे बढ़ रहा है, महाश्रमण का यह महाजीवन एक रोशनी है।

नंगे पाँव चलने से इसने धरती की धड़कन को सुना। धड़कनों के अर्थ और भाव को समझा। धरती की धड़कनों को जितना आत्मसात करता चला, उतना ही उनका जीवन ज्ञान एवं संतता का ग्रंथ बनता गया। यह जीवन ग्रंथ शब्दों और अक्षरों का जमावड़ा मात्र नहीं, बल्कि इसमें उन सच्चाइयों एवं जीवन के नए अर्थों-आयामों का समावेश है, जो जीवन को शांत, सुखी एवं उन्नत बनाने के साथ-साथ जीवन को सार्थकता प्रदान करते हैं।  यह ग्रंथ कुछ पृष्ठों और इकाइयों में सीमित नहीं है, वह निरंतर विकासमान है, हर पल, हर क्षण एक नए अध्याय को जोड़ता हुआ।

आचार्य महाश्रमण एक ऐसी आलोकधर्मी परंपरा का विस्तार है,जिस परंपरा को महावीर, बुद्ध, गांधी, आचार्य भिक्षु, आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ ने अतीत में आलोकित किया है। अतीत की यह आलोकधर्मी परंपरा को आचार्य महाश्रमण ने एक छोटे-से कालखण्ड में एक नई दृष्टि प्रदान की। इस नई दृष्टि ने एक नए मनुष्य का, एक नए जगत का, एक नए युग का सूत्रपात होता हुआ दिख रहा है। इस सूत्रपात का आधार आचार्य महाश्रमण ने जहाँ अतीत की यादों को बनाया, वहीं उनका वर्तमान का पुरुषार्थ और भविष्य के सपने भी इसमें योगभूत बने। आचार्य महाश्रमण ने मानव चेतना के विकास के हर पहलू को उजागर किया। कृष्ण, महावीर, बुद्ध, जीसस के साथ-ही-साथ भारतीय अध्यात्म आकाश के अनेक संतों-आदि शंकराचार्य, कबीर, नानक, रैदास, मीरा आदि की परंपरा से ऐसे जीवन मूल्यों को चुन-चुनकर युग की त्रासदी एवं उसकी चुनौतियों को समाहित करने का अनूठा कार्य उन्होंने किया। जीवन का ऐसा कोई भी आयाम नहीं है जो उनके प्रवचनों/विचारों से अस्पर्शित रहा हो। योग, तंत्र, मंत्र, यंत्र, साधना, ध्यान आदि के गूढ़ रहस्यों पर उन्होंने प्रकाश डाला है। साथ ही राजनीति, कला, विज्ञान, मनोविज्ञान, दर्शन, शिक्षा, परिवार, समाज, गरीबी, जनसंख्या विस्फोट, पर्यावरण, हिंसा, जातीयता, संभावित परमाणु युद्ध का विश्व संकट जैसे अनेक विषयों पर भी अपनी क्रांतिकारी जीवन-दृष्टि प्रदत्त की है। 
अतुलनीय संपदाओं के धनी आचार्य महाश्रमण इन सबसे ऊपर अपने जीवन निर्माता गुरुदेव तुलसी  के शब्दों में शुभ भविष्य है सामने के प्रतीक है।  ऐसे यशस्वी, तेजस्वी और वर्चस्वी आचार्य को तेरापंथ की उज्ज्वल गौरवमयी आचार्य परंपरा में  सर्वाधिक समर्पित एवं विनम्र, प्रज्ञा और पुरुषार्थ,  विनय और विवेक, साधना और संतता, समन्वय और सहअस्तित्व की विलक्षण विशेषताओं पर न केवल पूरा तेरापंथ धर्मसंघ बल्कि सम्पूर्ण मानवता ‘वर्धापित’ कर गौरव की अनुभूति कर रहा हैं। 




(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

उत्तर कोरिया एक जिम्मेदार परमाणु संपन्न देश : किम

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सोल 08 मई, उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग उन ने कहा है कि उनका देश परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ तब तक नहीं करेगा जब तक यह नहीं लगेगा कि उसका कदम उत्तर कोरिया के संप्रभुता के खिलाफ है। उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए के अनुसार 36 वर्ष बाद पहली बार हो रहे सत्ताधारी दल वर्कस पार्टी के कांग्रेस में किम जोंग उन ने कहा कि “ उत्तर कोरिया एक जिम्मेदार परमाणु हथियार संपन्न देश है। जब तक किसी अन्य देश की तरफ से हमारे खिलाफ परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा उनका देश भी इसका इस्तेमाल नहीं करेगा। ” किम ने कहा कि उत्तर कोरिया परमाणु अप्रसार के अपने वादों पर पूरी ईमानदारी के साथ अमल करेगा और विश्व में परमाणु होड़ को समाप्त करने की दिशा में काम करेगा। कांग्रेस की शुरुआत गत शुक्रवार को हुई थी और उसमें चौंतीस सौ डेलीगेट हिस्सा ले रहे हैं। किम ने इसे अमेरिका जैसे देशों की धमकियों और चुनौतियों के खिलाफ उत्तर कोरिया को बड़े संघर्ष के लिये तैयार करने के लिहाज से ऐतिहासिक क्षण बताया है।

स्पेन के तीन अगवा पत्रकारों को रिहा किया गया

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मैड्रिड 08 मई, सीरिया में पिछले साल अगवा किये गये स्पेन के तीन फ्रीलांस पत्रकारों को रिहा कर दिया गया है। स्पेन सरकार ने आज कहा कि सीरिया में पिछले साल जुलाई महीने में एंटोनियाे पंपलिजा ,जोस मैनुएल लोपेज और एंजेल सास्त्रे लापता हो गये थे। तीनों को रिहा कर दिया गया है। स्पेनिश मीडिया के अनुसार तीनों सीरिया के उत्तरी शहर अलेप्पो में खोजी पत्रकारिता से संबंधित एक रिपोर्ट पर काम कर रहे थे। गत वर्ष दस जुलाई को तुर्की के रास्ते सीरिया में प्रवेश करने के बाद उनका अपहरण कर लिया गया था। स्पेन सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि रिहा किये गये तीनों पत्रकार अभी तुर्की में हैं और उन्हें स्पेन वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। सहयोगी देशों तुर्की और कतर ने पत्रकारों की रिहाई में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि तीनों पत्रकारों को किसने अगवा किया था। 

इससे पहले वर्ष 2014 में स्पेन के दो पत्रकारों को छह महीने अगवा कर रखे जाने के बाद रिहा किया गया था। उन्हें आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट(आईएस) ने अगवा किया था। मीडिया अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के अनुसार सीरिया पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक स्थान है। सीरिया में जारी संघर्ष के दौरान अब तक कई देशी और विदेशी पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। उत्तरी शहर अलेप्पो के कई हिस्सों पर विद्रोही गुटों का कब्जा है जिनमे आईएस भी शामिल है और ये गुट कई पत्रकारों का अपहरण और हत्याएं कर चुके हैं। 

‘आधार’ के मुताबिक आंध्र में सबसे ज्यादा किन्नर

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नयी दिल्ली, 08 मई, देश में आधार कार्ड में पंजीकृत किन्नरों की संख्या 41 हजार से ज्यादा है जिसमें से सबसे ज्यादा किन्नर आंध्र प्रदेश में है। भारत सरकार की तरफ से विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की तरफ से जारी इस 12 अंकों की व्यक्तिगत पहचान संख्या ‘आधार’ के मुताबिक देश में 41,033 किन्नर हैं जिनके पास अाधार कार्ड है। वहीं राज्यों में सबसे ज्यादा किन्नर आंध्र प्रदेश मेें है जहां 7681 किन्नरों के पास अाधार कार्ड है। पश्चिम बंगाल अौर महाराष्ट्र में क्रमश: 4930 और 3622 किन्नरों के पास आधार कार्ड हैं। वही दूसरी तरफ इस मामले में पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, अरुणाचल और असम में क्रमश: 2,3, और 4 किन्नरों के पास ही आधार कार्ड हैं। सरकार ने कहा है कि तीसरे लिंग के व्यक्ति को आधार कार्ड धारक होने का पूरा अधिकार है। इसके लिए दाखिले के समय लिंग चयन के लिए पुरुष और महिला के अलावा ‘ट्रांसजेंडर (किन्नर)’ का विकल्प दिया जाता है।

स्वच्छता अभियान में धीमी गति पर संसदीय समिति चिंतित

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नयी दिल्ली 08 मई, संसद की एक समिति ने देश के ग्रामीण इलाकों में स्वछता अभियान की धीमी गति पर चिंता जताते हुए कहा है कि गत डेढ़ वर्ष में मात्र साढ़े आठ प्रतिशत इलाकों को ही स्वच्छ बनाया जा सका है लेकिन उसने सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण में तेज गति की प्रशंसा भी की है। कांग्रेस के के़ वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति ने पेयजल एवं स्वछता विभाग से संबंधित अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि दो अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से पहले तक 42.05 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों को स्वच्छ बनाया गया था लेकिन उसके बाद 18 मार्च 2016 तक केवल 50.74 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों को स्वच्छ बनाया गया। 

समिति ने इस बात पर भी गहरी निराशा व्यक्त की है कि इन डेढ़ वर्षों में केवल 9 जिलों के 155 प्रखंडों के 50 हज़ार 208 गाँव को ही खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिमाचल प्रदेश , पश्चिम बंगाल, मेघालय, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ तथा राजस्थान ने तो इस दिशा में अच्छा काम किया है लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश बढ़िया काम नहीं कर रहें हैं। रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 30070 गाँव में से मात्र 233 तथा उत्तर प्रदेश के 96461 गांव में से मात्र 383 गाँव को खुले में शौच से मुक्त बनाया गया है। समिति ने कहा है कि 2019 तक देश के सभी ग्रामीण इलाकों को स्वच्छ बनाने के लिए न केवल ग्रामीण विकास मंत्रालय बल्कि राज्य सरकारों को भी काफी कुछ करने की जरूरत है। समिति के अनुसार डेढ़ वर्षों में करीब तीस गुना अधिक सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाये गए। वर्ष 2014-15 में 1109 सामुदायिक स्वछता परिसर बनाये गए थे लेकिन 2015-16 में इन परिसरों की संख्या बढ़कर 30256 हो गयी। इनमें से सर्वाधिक 7141 परिसर महाराष्ट्र में बनाये गए।

चौपालों में बैठने पर दिल से बनती हैं योजनाएं : रमन

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रायपुर 08 मई, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कहा है कि आम जनता के लिए सरकार की योजनाएं मंत्रालय के वातानुकूलित कमरों में दिमाग से तो बन सकती हैं, लेकिन जब हम चौपालों में गांव वालों के बीच बैठकर योजनाएं बनाते हैं तो ऐसी योजनाएं न सिर्फ दिमाग से बल्कि दिल से बनती हैं। डा.सिंह ने आज आकाशवाणी से प्रसारित अपनी मासिक वार्ता ’रमन के गोठ’ की 9वीं कड़ी में प्रदेश व्यापी लोक सुराज अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि चौपालों में होने वाली चर्चाएं हमारे लिए भविष्य का एजेंडा बन जाती हैं, जिनका हम शत-प्रतिशत पालन करते हैं।

उन्होंने कहा कि हमने जितनी भी योजनाएं चौपालों में बनाई हैं, उन्हें अच्छी सफलता मिली है। अब तक ऐसी सबसे सफल योजनाओं में मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना, चावल उत्सव, लघु वनोपजों की खरीदी और तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका वितरण उल्लेखनीय हैं। उन्होने कहा इस गर्मी में गांवों में जाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों का भी हिम्मत और हौसला बढ़ाने के लिए हमने तय किया कि मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक, सांसद और जिला पंचायत के सदस्य तथा मुख्य सचिव से लेकर सभी अधिकारी भी लोक सुराज अभियान के दौरान गांवों में जाएंगे। डॉ.सिंह ने कहा कि इस अभियान के तहत ब्लॉक मुख्यालयों और जिलों में होने वाली समीक्षाओं में भी नई योजनाओं का जन्म होता है। स्वयं के काम-काज का आंकलन करने की दृष्टि से भी यह अभियान सबसे बड़ा जरिया है कि हम कहां असफल रहे, किन योजनाओं में हम पीछे हैं और उनके क्रियान्वयन में निचले स्तर पर क्या कमियां हैं। उन कमियों को दूर करने का यह एक बेहतर उपाय है।

मुख्यमंत्री ने रमन के गोठ में इस बार के लोक सुराज अभियान के अपने बस्तर अंचल के दौरे की कई यादगार घटनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि..हमने गरीबों को चावल देने की योजना शुरू की और जब उन्हें चावल बांटते हैं तो लोगों को पता नहीं कितनी खुशी होती है, लेकिन दंतेवाड़ा जिले के ग्राम कारली में किसानों ने जब मुझे कांवर और पोटली में जैविक खेती का चावल भेंट किया तो मैं भावुक हो गया और मुझे लगा कि छत्तीसगढ़ के किसानों का परिश्रम है और उनकी आत्मीयता है..।मुख्यमंत्री ने ग्राम कारली में ’मोचोबाड़ी’ योजना के तहत किसानों के समूह द्वारा की जा रही जैविक खेती की जमकर तारीफ की। उन्होने रेडियो प्रसारण में प्रदेश नक्सल हिंसा पीड़ित सुकमा जिले के भेज्जी-इंजरम मार्ग में लोक सुराज अभियान के तहत मोटर साईकिल से सड़क निरीक्षण का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस सड़क के निर्माण में सुरक्षा देने वाले हमारे सात जवान शहीद हुए। उस रास्ते में 50 से ज्यादा आई.डी. निकाले गए, तो मुझे लगा कि मोटर साईकिल से चलकर यह अनुभव किया जाए कि उस शहादत को हम कैसे सलाम कर सकते हैं। मैंने वहां के लोगों से वादा किया है कि 28 किलोमीटर की यह कांक्रीट की सड़क जब पूरी तरह से बन जाएगी, तब मैं एक बार फिर वहां आउंगा। भेज्जी गांव के 75 परिवार नक्सल हिंसा से पीड़ित थे, जो वापस आकर फिर भेज्जी में बसे हैं। उनसे मिलकर मुझे लगा कि कोई गांव वापस कैसे बसता है। डॉ. सिंह ने अपनी अबूझमाड़ यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र के 53 गांवों तक मैंने बिजली पहुंचाने की घोषणा की तो वहां के ग्रामीणों के चेहरों की चमक देखकर मुझे लगा कि अबूझमाड़ इसका इंतजार कर रहा था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस बार के लोक सुराज में मुझे राज्य के बीजापुर जिले में महाराष्ट्र की सीमा से लगे तिमेड़ गांव भी जाने का अवसर मिला, जहां लगभग 250 करोड़ रूपए की लागत से बन रहे पुल को लेकर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के लोगों में काफी उत्साह है।यह पुल न केवल इन दोनों राज्यों, बल्कि आंध्रप्रदेश को भी जोड़ेगा।इस अनुभव को हम लोगों ने ग्रामीणों के साथ साझा किया।

विदेशी मुद्रा भंडार 363 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर

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मुंबई 08 मई, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 29 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान 1.52 अरब डॉलर बढ़कर अब तक के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर 363.12 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इसका पिछला रिकॉर्ड स्तर 22 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान 361.60 अरब डॉलर का रहा था। यह लगातार पाँचवा सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से इसके सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति के 1.49 अरब डॉलर बढ़ने के कारण दर्ज की गई। विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 29 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 339.02 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस दौरान स्वर्ण भंडार 20.12 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास सुरक्षित निधि 2.05 करोड़ डॉलर बढ़कर 2.47 अरब डॉलर पर तथा विशेष आहरण अधिकार 1.24 अरब डॉलर बढ़कर 1.51 अरब डॉलर पर पहुँच गया।

भाजपा उत्तर प्रदेश मे विकास के मुद्दे पर विधान सभा चुनाव लडेगी : केशव प्रसाद मौर्य

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बस्ती, 08 मई, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि भाजपा राज्य विधान सभा चुनाव 2017 विकास के मुददे पर लडेगी। श्री मौर्य ने आज यहां पत्रकारो से कहा कि भाजपा का संकल्प है कि वह विधानसभा चुनाव 2017 में 265 से अधिक सीटें जीत कर अपने दम पर प्रदेश मे सरकार बनायेगी। पार्टी विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा)और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश मुक्त का नारा देगी। उन्होने कहा कि प्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी सरकार जन समस्याओं के प्रति पूरी तरह उदासीन है। प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नही है। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश मे विशेषकर बुन्देलखण्ड में पानी की भारी किल्लत हैै। सरकार को वहां के लोगों की कोई चिन्ता नहीं है , वह तो पानी की राजनीति कर रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश मे भाजपा की सरकार बनने पर सपा और बसपा शासनकाल में कराये गये कार्यों की जांच करायी जायेगी। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार जनकल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है जबकि प्रदेश की सपा सरकार केन्द्रीय योजनाओ के संचालन मे लापरवाही बरत रही है। उन्होने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी देश के 20 करोड़ जनता के खुशहाली के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी जनहित के मुददों पर सड़क से सदन तक जनता की लड़ाई लडेगी। श्री मौर्य ने कहा कि वह अपने चुनाव अभियान की शुरूआत आज बस्ती से कर रहे है। इसके पूर्व उन्होने पार्टी नेताओं और कार्यकताओं से बातचीत मे कहा कि कार्यकर्ता पार्टी महत्वपूर्ण अंग है। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता ही प्रधानमन्त्री से लेकर मुख्यमन्त्री तक बनते है। उन्होंने पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं से अभी से विधानसभा चुनाव मे जुटने की अपील की।

10 मई से ‘भगत सिंह-अंबेदकर संदेश अभियान’ का दूसरा दौर: आइसा-इनौस

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  • पटना में 1857 के शहीद पीर अली की मूर्ति पर माल्यर्पण के साथ होगा कार्यक्रम का आरंभ
  • जेएनयू की तर्ज पर पीयू में छात्र नेताओं को आतंकवादी कहे जाने के खिलाफ 9 मई को एकदिवसीय धरना

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पटना 8 मई 2016, भगत सिंह-अंबेदकर संदेश अभियान का दूसरा दौर 10 मई से 9 अगस्त 2016 तक चलेगा. हैदराबाद और जेएनयू के छात्र-युवा उभार ने मोदी सरकार के असली चरित्र को बेनकाब किया है. इस उभार को व्यापक पैमाने पर ग्रामीण गरीबों, खासकर दलित छात्र-युवाओं तक विस्तार देने की जरूरत है. इसी बुनियाद पर खड़े होकर सच्चे जनवादी, धर्मनिरपेक्ष और आंदोलनकारी ताकतों की एकता के बल पर सांप्रदायिक ताकतों को मुकम्मल तौर पर हराया जा सकता है. इसलिए हमने व्यापक छात्र-युवा समुदाय को संगठित करने के लिए इस अभियान को लिया. इस अभियान की शुरूआत 10 मई से होगा. 10 मई को ही 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आरंभ हुआ था. पटना में 1857 के महानायक शहीद पीर अली के स्मारक पर तो आरा में बाबू कंुंवर सिंह के स्मारक पर माल्यर्पाण करके इस अभियान की शुरूआत की जाएगी. पटना के कार्यक्रम में भाकपा-माले पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा व पटना के जाने-माने बुद्धिजीवी शामिल रहेंगे.  अभियान के दौरान गांव, स्कूल, काॅलेज, यूनिविर्सिटी आदि जगहों पर बैठक व गोष्ठियां आयेाजित कर भगवा ताकतों के असली मंसूबों का पर्दाफाश किया जाएगा. भाजपा के दलित विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी विचारों के खिलाफ क्लास आयोजित किये जायेंगे.

जेएनयू और पटना विश्वविद्यालय की ही तर्ज पर टना विश्वविद्यालय द्वारा छात्र नेताओं व छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा है. एक तरफ जहां आर्ट एंड क्राफ्ट काॅलेज के छात्र काॅलेज प्रशासन की मनमानी के शिकार हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर आइसा के राज्य सह सचिव तारिक अनवर और अन्य 3 छात्र नेताओं पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त रहने का आरोप पटना विश्वविद्यालय द्वारा लगााया गया है. इससे साफ जाहिर होता है कि पटना विश्वविद्यालय और बिहार सरकार भी उसी रास्ते पर बढ़ रही है, जो रास्ता मोदी सरकार का है. ं पटना विश्वविद्यालय प्रशासन ने आइसा के राज्य सह सचिव तारिक अनवार सहित पटना विश्वविद्यालय के छात्र पंकज राय, गौतम आनंद और आजाद चांद पर ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया है. ‘कारण बताओ’ नोटिस में आंदोलनकारी नेताओं पर आपराधिक, अनुशासनहीन और आतंकवादी कार्रवाइयों में संलिप्त रहने का आरोप लगाया गया है.  छात्र नेताओं पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता का आरोप पूरी तरह हास्यास्पद है. हकीकत यह है कि छात्र समुदाय अपनी जायज मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से आंदेालनरत थे. इसके खिलाफ आगामी 9 मई को पटना विश्वव्विद्यालय पर एक दिवसीय धरना देने का फैसला किया गया है. संवाददाता सम्मेलन को आइसा नेता संतोष आर्या, रवि प्रजापति, रामजी यादव, कुमार अमित आदि छात्र नेताओं ने संबोधित किया.

बिहार में युवक की हत्या , आरोपी विधान पार्षद का पुत्र फरार

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गया 08 मई, बिहार में गया जिले के रामपुर थाना क्षेत्र में एक युवक की गोली मारकर की गयी हत्या के आरोपी जनता दल यूनाइटेड की विधान पार्षद मनोरमा देवी के पुत्र की गिरफ्तारी की मांग को लेकर लोगों ने आज सुबह जमकर बवाल किया और सड़क को जाम कर दिया । पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि जिले के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के स्वराजपुरी मुहल्ला निवासी 12 वीं का छात्र विपिन सचदेवा (20) अपने दोस्तों के साथ बोध गया में जन्म दिन की पार्टी में शामिल होने के बाद कल देर रात रिपीट कल देर रात एक कार से घर लौट रहा था तभी पुलिस लाइन के निकट ओवर टेक करने से नाराज विधान पार्षद के पुत्र रॉकी कुमार के साथ उनका विवाद हो गया । इसी को लेकर रॉकी ने गोली चला दी जिससे विपिन गंभीर रुप से घायल हो गया । 

सूत्रों ने बताया कि घायल युवक को इलाज के लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया । इस सिलसिले में मृतक के परिजनों ने संबंधित थाना में रॉकी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। सूत्रों ने बताया कि घटना के विरोध में उग्र लोगों ने आज सुबह से सड़कों पर पदर्शन कर कई स्थानों पर यातायात को बाधित कर दिया है। पुलिस और प्रशसन के अधिकारी लोगों को समझाने के प्रयास में लगे है। इसबीच वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गरिमा मल्लिक ने बताया कि लोगों के उग्र विरोध को देखते हुए विधान पार्षद के घर पर छापेमारी कर रॉकी के पिता और पूर्व जिला पार्षद बिंदी यादव के अलावा घटना के समय मौजूद एक अंगरक्षक को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस दोनों से पूछताछ कर रही है। आरोपी विधान पार्षद का पुत्र फरार है। 

एक और स्टिंग ऑपरेशन : हरीश रावत ने विधायकों को दिए 25-25 लाख रुपए

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नैनीताल। उत्तराखंड में चल रही राजनीतिक उठा-पटक के बीच अब पूर्व सीएम हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। एक और पूर्व सीएम हरीश रावत का स्टिंग सामने आया है। कांग्रेस के बागी विधायक और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने समाचार प्लस चैनल के साथ मिलकर कांग्रेस के द्वाराहाट से विधायक मदन सिंह बिष्ट का स्टिंग किया है। थोड़ी देर पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चैनल ने हरीश रावत का स्टिंग जारी किया है। इस स्टिंग में कांग्रेस के विधायक मदन सिंह बिष्ट बता रहे हैं कि कैसे हरीश रावत के साथ जोड़े रखने के लिए कांग्रेस और सहयोगी विधायकों को खर्चा पानी के नाम पर 25-25 लाख रुपये की रिश्वत दी गई। वह इस स्टिंग में विधायकों को 25-25 लाख में खरीदने की बात सामने आई है। इससे पहले भी हरीश रावत के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन का फूटेज जारी किया गया था। स्टिंग में हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश कर रहे थे।

समाचार प्लस की ओर से यह हरीश रावत का स्टिंग किया गया है। इस स्टिंग में कांग्रेस के विधायक मदन सिंह बिष्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे किये हैं। विधायक मदन के मुताबिक पैसे 17-18 तारीख को दिये गये। 17-18 मार्च महीने की तारीख हो सकती है क्योंकि उसी वक्त सरकार का विवाद चल रहा था। इस स्टिंग में विधायक मदन सिंह करीब 12 बागी विधायकों को 25-25 लाख रूपये देने की बात कहते नज़र आ रहे हैं। इससे पहले भी हरीश रावत का एक स्टिंग जारी किया गया था। ये स्टिंग उन्‍हीं की पार्टी के बागी विधायक हरक सिंह रावत ने जारी किया था। वीडियो में साफतौर पर हरीश रावत को देखा जा सकता था। इस स्टिंग के जरिए हरक सिंह ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विधायकों को धमकाया भी है। ऐसे में सुरक्षा की मांग भी की गई थी। स्टिंग के जरिए बागी विधायक ने कहा था कि इसमें पैसों के लेन-देन की बात चल रही है। हरक सिंह के अनुसार कई विधायकों को धमकी भरे फोन भी आए थे।

ओला कैब के ड्राइवर पर विदेशी महिला से छेड़छाड़ का आरोप, पुलिस ने की गिरफ्तारी

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नई दिल्ली: दिल्ली में ओला कैब के ड्राइवर पर बेल्जियम की एक लड़की से छेड़छाड़ का मामला सामना आया है। शिकायत के बाद आरोपी ड्राइवर को गिरफ़्तार कर लिया गया है। गाड़ी को भी पुलिस ने ज़ब्त कर लिया है। पुलिस के मुताबिक़ पीड़ित ने गुड़गांव से कैब बुक की थी और सीआर पार्क के नज़दीक ड्राइवर ने उससे जीपीएस के काम न करने की बात कही। ड्राइवर ने लड़की से आगे की सीट पर बैठने को कहा और फिर उसके साथ बदसलूकी की थी। बाद में अपने दोस्त के घर पहुंचकर पीड़ित ने उसे पूरी घटना बताई। मामले की शिकायत दर्ज करवाई गई।

ओला ने एक बयान जारी कर आरोपी ड्राइवर को नौकरी से हटाने की जानकारी दी है। ओला ने लिखा है ‘ आरोपी ड्राइवर को तत्काल प्रभाव से नौकरी से निकाल दिया गया है। हम सभी ज़रूरी जानकारियां अधिकारियों के साथ साझा करेंगे, जिससे मामले को सुलझाने में मदद मिले। हमारे यहां काम करनेवाले ड्राइवरों के ऐसे व्यवहार को हम कतई बरदाश्त नहीं करेंगे।‘

दो दशक के इंतजार के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच शुरू होगी बस सेवा

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लखनऊ, 08 मई, करीब दो दशक के लंबे इंतजार के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच बस सेवा शुरू होगी। दोनो राज्यों की सरकार के बीच इस बारे मे आम सहमति बन चुकी है। दोनो पडोसी राज्यों की सरकारी बसें अब 25 चिन्हित सडक मार्ग पर संचालित होगी जबकि निजी बसे अन्य नौ रूट पर संचालित की जायेंगी। राज्य मे यातायात विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद देव और बिहार मे उनके समकक्ष सुजाता चतुर्वेदी ने इस मसौदे पर हस्ताक्षर किये। सूबे के यातायात कमिश्नर के रविन्द्र नाईक ने आज यहां बताया कि दोनो राज्यों के बीच हुये एतिहासिक समझौते के बाद यात्रियों को सस्ती और सुगम बस यात्रा की सहूलियत मिलेगी। 

श्री नाईक ने बताया कि सरकारी बसों के तय किये रूट के अनुसार पटना और वाराणसी के बीच बस सेवा आरा,बक्सर के रास्ते चलेगी जबकि दरभंगा भदोही बस सेवा वाराणसी,और सेवापुरी के रास्ते, गया सारनाथ बस सेवा औरंगाबाद और डेहरी के रास्ते, पटना बलिया बस सेवा अारा बक्सर के रास्ते संचालित होगी। इसके अलावा छपरा गोरखपुर, सिवान गोरखपुर, मोतीहारी गोरखपुर, रक्सौल गोरखपुर, देवरिया पटना, रामनगर भभुआ समेत अन्य मार्गो पर बस सेवा का संचालन किया जायेगा। उन्होने बताया कि निजी बस सेवा बरहज-सलेमपुर-प्रतापपुर फैक्ट्री-मैरावा-सीवान, सलेमपुर-भिंगारी- भवानीछापर-नीरगंज-हतुअा सीवान, सामौर-पडरौना-छिताैनी-बाघा,गोरखपुर-कप्तानगंज-छितौनीघाट-बाघा, बलिया बक्सर,बलिया छपरा,मऊ गाहमारवारा,वाराणसी बक्सर,वाराणसी डेहरी मार्ग पर चलेगी। 

भाकपा ने नितीश के बयान पर दुःख जताया

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पटना, 8 मई, जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीष कुमार के उस वक्तव्य से मुझे बहुत दुख और आष्चर्य हुआ, जिसमें उन्होंने कहा है कि सी.पी.आई. और सी.पी.आई. (एम) भाजपा को मदद पहुँचाते हैं। नीतीष कुमार ने यह वक्तव्य तब दिया जब वे केरल विधान सभा चुनाव के अपने पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने के लिए केरल के दौरे पर गये थे। उन्होंने कहा कि वामदल बिहार में महागठबंधन में शामिल नहीं हुए और उन्होंने भाजपा को लाभ पहुँचाया। केरल में भी वामदल बिहार की तरह ही भाजपा को फायदा पहँुचा रहे हैं। 
चुनाव प्रचार के दौरान हर राजनीतिक दल को अपने प्रतिद्वन्दी की आलोचना करने का पूरा अधिकार है। केरल विधान सभा चुनाव में नीतीष कुमार ने अपने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए वामदलों पर गंभीर आरोप लगाया है। लेकिन किसी राजनीतिक दल पर आरोप लगाते हुए जग-जाहिर तथ्यों को भुला दिया जाय यह नीतीष कुमार जैसे राष्ट्रीय नेता के लिए उचित नहीं हैं। बिहार में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सांप्रदायिक जनसंघ या उसके बदले हुए नये नाम भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहँुचाने के लिए 1967 के बाद कभी भी उसके साथ राजनीतिक गठबंधन नहीं किया। दूसरी ओर नीतीष कुमार चाहे जिस भी पार्टी में रहे हों, जनसंघ और बाद में भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन बनाकर किसको फायदा पहुँचा रहे थे? नीतीष कुमार की पार्टी केन्द्र की और बिहार की जनता पार्टी की सरकार में शामिल रही जिसमें जनसंघ भी शामिल था। लगभग आठ वर्षों तक अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में वे मंत्री रहे उसके बाद बिहार में लगभग सत्रह सालों तक भाजपा के साथ सरकार चलाये। केरल के मतदाताओं के समक्ष अगर वे यह तथ्य रख देते  तो भाजपा और जदयू के बारे में उन्हें विचार करने में मदद मिलती लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। 
मैं माननीय मुख्यमंत्री नीतीष कुमार से यह जानना चाहता हँू कि जब आपके विचार में वामदल भाजपा को फायदा पहुँचा रहे हैं तो फिर आपकी पार्टी (जदयू) ने जीतन राम मांझी की सरकार के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से किस विचार से समर्थन मांगा और समर्थन लिया भी? इतना ही नहीं, जीतनराम मांझी की जगह आप स्वयं मुख्यमंत्री बने तो भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से आपकी पार्टी ने किस विचार से समर्थन मांगा और समर्थन लिया? इसके अतिरिक्त लोकसभा चुनाव 2014 में आपकी पार्टी सीपीआई के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ी।
रही बात विधान सभा चुनाव में महागठबंधन में नहीं शामिल होने की तो आप भी इस बात से सहमत होंगे कि चुनाव लड़ने के बारे में हर राजनीतिक दल का अपना अपना सिद्धांत और रणनीति होती है। किसी दूसरे दल की चैधराहट में कोई दल चुनाव के बारे में अपना निर्णय नहीं लेता । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य वामदल आपस में मिलकर चुनाव लड़े। इसका मतलब यह नहीं कि वामदल भाजपा को फायदा पहुँचाने के लिए महागठबंधन से अलग रहें। 
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सांप्रदायिक एवं फासिस्ट शक्तियों के खिलाफ राजनीतिक और वैचारिक मोर्चों पर लड़ती रही है और आज भी लड़ रही है। हम सांप्रदायिक शक्तियों के खतरे को कभी भी कम करके नहीं देखते हैं। इसीलिए वाम-जनवादी -सेक्यूलर शक्तियों की एकता के हम पक्षधर हैं। 

बिहार में दबंगों-अपराधियों और पुलिस का राज बनता जा रहा है: माले

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पटना 10 मई 2016, माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार में नीतीश-लालू राज दबंगों-अपराधियों और पुलिस राज की ओर बढ़ता जा रहा है. अपराधी लगातार बेखौफ होते जा रहे हैं. गया में जदयू विधान पार्षद के पुत्र द्वारा एक व्यवसायी पुत्र आदिज्य सचदेव की निर्मम हत्या कर दी गयी, तो दलितों के उपर लगातार हमले बढ़ते जा रहे हैं. लालू-नीतीश बिहार के जनादेश का अपमान कर रहे हैं.

एक तरफ अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी ओर पुलिस गरीबों पर जुल्म ढा रही है. ताड़ी पर निर्भर लोगों के लिए सरकार अब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था तो नहीं कर पाई, लेकिन आए दिन उन पर दमन ढाये जा रहे हैं. गरीबों को प्रताड़ित किया जा रहा है और वे भय व आतंक के साये में जी रहे हैं. गया में व्यवसायी पुत्र की हत्या के खिलाफ माले जिला सचिव निरंजन कुमार ने आज पीड़ित परिवार से मुलाकात की और आगामी 10 मई को प्रतिरोध दिवस आयोजित करने का फैसला किया है.

गाँधी मैदान थाने में ए.आई.एस.एफ. के के 10 छात्रा गिरफ्तार

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  • जे.एन.यू. में चल रहे भूख हड़ताल के समर्थन में बैठे देर शाम रिहा, 5 बजे भूख हड़ताल थाने में ही समाप्त

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पटना, 08 मई। ए.आई.एस.एफ. के दस छात्रों को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब वे गाँधी मूत्र्ति के समीप गाँधी मैदान में एक दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठे थे। जे.एन.यू. प्रषासन के तानाषाही फैसले के खिलाफ तथा जे.एन.यू. में चल रहे भूख हड़ताल के समर्थन में आज ए.आई.एस.एफ. और ए.आई.वाई.एफ. के बैनर तले राज्यव्यापी एक दिवसीय भूख हड़ताल का ऐलान किया गया था। गाँधी मूत्र्ति के पास सुबह 10 बजे छात्र भूख हड़ताल पर बैठ गये।  पौने ग्यारह बजे गाँधी मैदान थाने से पुलिस आयी तथा प्रतिबंधित ईलाका बताते हुए वहां से हटने को कहा। इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच तीखी बहस हुई। 11.00 बजे पुलिस चली गयी तथा पौने बारह बजे पुनः जिला नियंत्रण कक्ष के दण्डाधिकारी राम शरण पाण्डेय एवं गाँधी मैदान थानाध्यक्ष निखील कुमार के साथ सदल-बल पहुंची। दण्डाधिकारी एवं थानाध्यक्ष का कहना था कि यह प्रतिबंधित ईलाका यहां बैठने नहीं दिया जायेगा । छात्र नेताओं ने कहा कि जब मैदान मैदान में लाखों की रैली हो सकती है तो छात्रों की भूख हड़ताल क्यो नहीं । बाद में अनुमति नहीं होने की बात कहीं गयी छात्र नेताओं ने कहा कि दो दिन पहले जब जिलाधिकारी के यहां अनुमति लेने गये थे तो पत्र लेने से भी इंकार कर दिया गया था पुनः यह कहा गया कि उपरी आदेष है गिरफ्तार करना पड़ेगा।  दण्डाधिकारी एवं थानाध्यक्ष ने दस छात्रों को गिरफ्तार कर थाने लेगे जहां थाने में भी शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल जारी रहा । 
शाम 5.00 बजे मजदूर नेता रामलाला सिंह एवं शौकत अली ने थाने में ही जूस पिलाकर भूख हड़ताल समाप्त कराया। भूख हड़ताल एवं थाने में गिरफ्तारी देने वालों में ए.आई.एस.एफ. के राज्य सचिव सुषील कुमार, राज्य कार्यकारिणी सदस्य अकाष गौरव, जिला अध्यक्ष महेष कुमार, जिला सह सचिव साजन झा, मगध वि.वि. प्रतिनिधि गोविन्द कुमार, अदनान इमरान, अमित कुमार, आमीर, विजय कुमार विमल एवं विकास यादव मौजूद थे। मौके पर ए.आई.एस.एफ. के राज्य परिषद सदस्य अभिषेक आनंद, राजीव कुमार, रवि रौषन शामिल थे। भूख हड़ताल समाप्त होने के बाद शाम में छात्रों की रिहाई हो गयी। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (08 मई)

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दो युवको की संदिग्ध मोत परिजनो ने लगाया हत्या का आरोप

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पारा । शनिवार की शाम को राजगढ रोड पर ग्राम झुमका व पिथनपुर के बिच घाटी के पास से दो युवको की संदिग्ध अवस्था खुन से लथपथ लाश पडी मिली जिसे परिजनो की सुचना के बाद पारा पुलिस चोकी प्रभारी पी सी साठे प्रधान आरक्षक रुपसिह भुरिया आरक्षक चन्दर सिह घटना स्थल पर पहुचे व मोके पर पंचनामा बनाकर मृतको के शव को रात्री मे ही घटना स्थल से उठवा कर पारा के सामुदायीक स्वास्थय केन्द्र पर पीएम के लिए पहुचाया। दोनो मृतको के शव का परीक्षण रविवार की सुबह कर के शव को परिजनो के सुपुर्द कर दिया गया।दोनो मृतको शिनाख्त पारतिया पिता भमर डामोर 20 वर्ष निवासी बखतपुरा पारा व पारासिह पिता शकरा डामोर 35 वर्ष निवासी बखतपुरा पारा जिला झाबुआ के रुप मे हुई। बताया जाता हे कि इन दोनो के साथ एक अन्य व्यक्ती टंेटु पिता खुमा मावी निवासी इंचुर तहसील सरदारपुर जिला धार भी थो जो कि घटना के बाद से ही फरार हे। 

शव रख कर किया हगांमा--- पीएम के पश्चात मिले शव को लेकर परिजनो ने पुलीस चोकी पारा पर लाकर रखा व अपराधी को गिरफतार करने की मांग कर करिब दो घण्टे तक हगंामा किया ।परिजनो मे इस बात को लेकर आक्रेाश था की घटना की सुचना रात्री मे आठ बजे दिए जाने के बाद भी सुबह तक भी जिले से पुलिस का कोई आला अधिकारी घटना स्थल पर नही पहुचा था । हंगामे के बिच पहुचे एसडीओपी परिहार व टीआई सिह ने मृतको के परिजनो व रिस्तेदारो को समझाया व अपराधि को दो दिन मे गिरफतार करने के आश्वासन दिया। पश्चात दोनो अधिकारी करिब 11 बजे के लगभग घटना स्थल पर मोका देखने के लिए गए। पुलीस मामले को दर्ज विवेचना मे लेलीया हे पुलीस मामले को दुर्घटना बता रही हे वही परिजनो का कहना हे कि हत्या हे। बताया जाता हे की घटना स्थल से दो मोबाईल, एक लडकी का फोटु के साथ ही मोटर सायकल का टुटा हुआ मढघाट भी मिला हे।

ये हे घटना क्रम---शनिवार को टंेटीया पिता खुमा मावी निवासी इंचुर तहसील सरदारपुर जिला धार अपने रिस्तेदार के यहा बखतपुरा पारा आया व पारतिया व पारासिह को अपने साथ अपनी मोटर सायकल से मेहमानी मे अपने गृह ग्राम इंचुर लेगया व शाम को दोनो को मोटर सायकल से लेकर वापस पारा छोडने के लिए आ रहा था कि रास्ते मे पिथनपुर घाटी के समिप उक्त घटना घटी।बताया जाता हे की घटना की जानकारी किसी रिस्तेदार ने पारातिया व पारसिह के परिजनो को मोबाईल पर दी जिसके बाद परिजन ढुढने निकले व पिथनपुर के समिप दोनो मृत पडाहुआ पाया। घटना के समय से ही टेटीया गायब हे व उसके घायल होने अथवा किसी भी प्रकार की कोई सुचना नही हे।

पिटोल से भुपेन्द्र नायक - रोज रोज होते है हादसे प्रशासन नही ले रहा हादसो पर सुध-

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गुजरात अहमदाबाद एवं अंकलेश्वर से उज्जैन सिंहस्थ में जाने वाली दो कार बावडी फाटा पर जहाॅ रोज दुर्घटनाइ हो रही आगे पिदे टकरा गई जिसमे एक कार जीजे 01 आरपी 8466 गाडी जो विनोद पिता सुरेन्द्रसिंह गेहलोत जो अहमदाबाद से उज्जैन जा रहे वही खराब सडक पर गाडी थोडी धीरे की तो पिछे से आ रही एक छोटी कार जीजे 10 बीडी 4150 जिसे जगदीश पिता तुलसीराम अंकलेश्वर से वो भी गुजरात जा रहे दोनो की टक्कर हो गयी जिससे एक कार रोड के पास बने सिंमेन्ट के डीवायडर पर चढ़ गयी जिसमे उसका एक टायर फट गया एवं गाडी पिछे के भाग मे टुट गई वही दुसरी गाडी टक्कर से रोड से दुर किनारे पर जाकर खडी रही।

दोनो गाडी वालो पर रही महाकाल की कृपा:-वैसे घटना स्थल देखे तो दोनो गाडी मे टक्कर जबरजस्त थी परन्तु उज्जैन बाबा महाकाल के शरण मे जा रहे है दोनो परिवार को हल्की हल्की चोटे आयी परन्तु वाली बात ये है की इसी जगह पर सैकडो मोते हो गई ओर आये दिन समाचार पत्रों मे खबरे छापने के बाद भी सरकार एवं सरकार के नुमाइन्दे नही जागें।

जिला प्रशासन का ध्यान नही इस ओर:-आये दिन समाचार पत्रों मे खबर छापने के बाद भी सरकार का पुूरा अमला उज्जैन मे लगा हुआ है परन्तु जिला प्रशासन एवं कलेक्टर सा. ने भी इस रोड की छोटी मोटी मरम्मत करना उचित नही समझा जब कोई बडा हादसा होगा तब सरकार एवं जिला प्रशासन मुआवजा लेकर मदद करने के लिये पहुचा जायेंगें। पर समय रहते केवल मुरम गिटटी एवं पानी के साथ जिस स्थान पर रोड टुटा हुआ है जिसे रोलर से खराब जगह को दबवा दे तो भी काफी राहत होगी।

पाॅच जगहो पर ज्यादा स्थिति है रोड की:- गुजरात से आने पर पिटोल मे रघुनन्दन होटल के पास का नाला एवं बावडी फाटा, पाॅच का नाका, खेडी नाला, मोद नदी घाट जिसमे डामर रोड एवं कच्चे रोड मे इनका असंतुलन हो गया की छोटे वाहनो आगे का जमीन पर टकराना आम हो गया वही भारी वाहनों के कमानी पटटे टुटना, गुल्ले टुटना वही रोड पर भारी गाडीयों का खडा हो जाना जिससे आवागमन भी प्रभावित होता है। फुलमाल की स्थिति थोडी बरसात के कारण बहुत दयनीय हो गयी है जिसके कारण छोटे वाहनो का निकलना दुभर होे गया है प्रशासन ना जाने कितनी दुर्घटनाए हो जाने के बाद भी नही जागा।

होगा जन आंदोलन एवं राष्ट्रिय राजमार्ग जाम:- अभी प्रशासन द्वारा उज्जैन सिंहस्थ पुर्ण होने के पहले रोड की मरमम्त नही करवाई तो पिटोल एवं असपास के ग्रामीण जन आंदोलन कर राष्ट्रिय राजमार्ग अवरूद्ध करेंगे जिससे दोनो दलो के कुंभकर्णी नेताओं के वादो को याद कराना होगा।

नही लगे संकेतक बोर्ड:-जहा मध्यप्रदेश शासन ने उज्जैन सिहस्थ को सफल बनाने के लिये करोडो रूपये के विज्ञापन लगाये वही उन रूपयो का कुछ अंश भी इस रोड पर लग जाता तो शायद आम यात्रियांे के लिये काफी मददगार साबित होता। आये दिन प्रशासन को जगाने के बाद भी आज तक इन दुर्घटनाआंे वाले स्थान पर संकेतक बोर्ड नही लगे अगर नये आरटीओ बेरीयर से ही आगे रोड खराब है या जो भी सावधानी रखे ऐसे स्लोगन से यात्रियों केा अवगत कराया जाए तो भी कफी यात्रियों को दुर्घटनाआंे से राहत मिलेगी।

मुख्यमंत्री जी की भी अनदेखी इस इन्दौर अहमदाबाद हाईवें पर:- जब लोकसभा उप चुनाव हुये थे तब पिटोल के समाजीक कार्यकर्ताओे द्वारा मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिह चैहान की चुनावी सभा के बाद इस रोड की हालत से अवगत कराया था की झाबुआ तक रोड ही पेंच वर्क करवा दे तब उन्होने घोषणा तो नही की थी पर आश्वासन जरूर दिया था परन्तु आज तक मुख्यमंत्री जी ने इस मौत के हाईवे पर ध्यान नही दिया ना ही झाबुआ विधायक शांतिलाल बिलवाल ने ओर ना ही लोकसभा संासद कांतिलाल भूरीया ने इस ओर कोई ध्यान दिया।

पिटोल पुलिस के प्रयास भी नाकाफीः- यहाॅ पिटोल चोकी प्रभारी आशुतोष मिठास एवे स्टाफ ने अपने स्तर पर रोड की मरम्मत एवं मिटटी से गढढे भरवाकर करवाये परन्तु भारी वाहनों के दबाव मे वे गढढें एंव रोड पुनः उसी स्थिति मे आ जाते है जिससे कुछ समय तो राहत होगी परन्तु वापस स्थिति जस की तस है।

आज निकलेगी भगवान परशुराम की भव्य शोभायात्रा

झाबुआ । सर्व ब्राह्मण  समाज युवा संगठन के द्वारा परशुराम जयंती का तीन दिवसीय आयोजन किया जा रहा है जिसमें आज तृतीय दिन  परशुराम जी की भव्य शोभायात्रा निकाली जायेगी एवं शोभा यात्रा के समापन के बाद आरती होगी जिसके पश्चात समस्त समाज जनों द्वारा सहभोज  किया जाएगा ।मीडिया प्रभारी अमित शर्मा ने बताया की शोभायात्रा शाम 4रू00 बजे से स्थानीय जगदीश मंदिर से राजवाड़ा होते हुए थादला गेट, बादल चैराहा, गोवर्धन नाथ मंदिर ,से राजवाड़ा होकर वापस जगदीश मंदिर पर आएगी । शोभायात्रा में पुरुषजनो ने  सफेद कुर्ता पाजामा या सफेद वस्त्र पहनकर एवं महिलाएं पीली या मेहरून कलर की साड़ियां में शामिल होने का निर्णय लिया है । शोभा यात्रा का जगह जगह समाजजन द्वारा शितल पेय और जल की व्यवस्था भी की गई हे  । शोभायात्रा में सर्वप्रथम सबसे आगे बेंड ,ध्वज,वरिष्ठ समाजजन , परशुराम जी की जिवंत झांकी  नाशिक ताशा पार्टी , युवा संगठन, ढोल महिलाओ का समूह परशुराम जी का रथ , चाणक्य का रथ , चन्द्रशेखर आजाद की झांकी ,  निकाली जाएगी शोभायात्रा का समापन वापस जगदीश मंदिर में होगा ।इसके बाद भगवान परशुराम की महाआरती होगी आरती के बाद समाजजन का सहभोज आयोजन होगा। युवा संगठन सभी समाजजन  से निवेदन करता है कि शोभायात्रा में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाएं।

सुन्दर कांड का हुआ आयोजन ---- इस मंदिर में स्थानीय जगदीश मंदिर में शनिवार रात ब्राह्मण समाज के द्वारा सुंदरकांड का भव्य आयोजन किया गया सुंदरकांड महेश पांडे एंड पार्टी द्वारा किया गया सुंदरकांड रात्रि 9रू00 बजे से लेकर 10रू30 बजे तक चला इस अवसर पर ब्राह्मण समाज के समाजजन उपस्तिथ थे।

जिन्स क्लब झाबुआ रही विजेता एव आजाद क्लब झाड़टोडी रही उपविजेता

  • किक्रेट टुनामेन्ट का हुआ समापन
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मेघनगर । झाड़टोडी मे आयोजीत अमर षहीद चन्द्र षेखर आजद टुनामेन्ट समीती द्वारा सात दिवसीय किक्रेट टुनामेन्ट का आयोजन किया गया जिसका समापन षनिवार षाम 5 बजे समापन हुआ समापन समारो के मुख्य अतीथी भाजपा मंण्डल अध्यक्ष मुकेष मेहता थे अध्यक्षता जिला पंचायत सदस्य व अजजा मोर्चा के जिला अध्यक्ष ष्यामा ताहेड विषेष अतिथी भाजपा युवा नेता कमलेष दातला, पत्रकार भुपेन्द्र बरमण्डलिया,सरपंच नाथुसिह निनामा, उपसंपच जसवन्त सिह झाड, पन्ना सिह झाड उपस्थीत थे। अतिथीयो ने विजेता रही टिम जिन्स क्लब झाबुआ को 21 हजार व उपविजेता रही आजाद क्लब झाड़टोडी को 11 हजार की राषी देकर पुरूषक्रत कर सम्मान किया । इस अवसर पर समिती के उपाध्यक्ष नयन झाड,सचिव संजय झाड,उपसचिव विजय नायक समिती सदस्य जयदीप झाड,जोरावर झाड,विनोद झाड,सावन झाड,जिग्नेष झाड,लोकेन्द्र झाड,प्रफुल्ल झाड, हरिष घोती, अरविन्द्र घोती, विरेन्द्र घोती,पिन्टु घोती सहीत बडी सख्या मे खिलाडी उपस्थीत थे षहीद चन्द्र षेखर आजद टुनामेन समीती के अध्यक्ष राकेष झाड ने बताया की सात दिवसय टुनामेन मे झाबुआ जिला सहित समिपत राज्य गुजरात पन्चमाल जिला व राजस्थान के बसवाडा जिले की टीमो ने भाग लिया था जिसमे फयनल जिन्स क्लब झाबुआ एव आजाद क्लब झाड़टोडी द्वारा फयनल खेला गया वही समीती द्वारा विजेता व उपविजेता टिम को ईनाम की राषी देकर सम्मान किया गया उसके पुर्व अतिथियो को सकमती के सदस्य द्वारा पुष्पमाला से स्वागत किया गया इस अवसर पर बडी सख्या मे खेल प्रेमि उपस्थिीत थे कार्यक्रम सचालन विसवास जोषी ने किया व आभर मयक घोती ने माना। 

सट्टा खेलते आरोपी रंगे हाथों गिरफ्तार

झाबुआ । थाना रायपुरिया की पुलिस टीम ने आरोपी सुरतान पिता मंगलिया मेडा निवासी उमरकोट को हार जीत का सट्टा लिखते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी के कब्जे से सट्टा पर्ची व नगदी 2350/- रू0 जप्त किये। प्रकरण में थाना रायपुरिया में अप0क्र0 141/16, धारा 4-क धुत अधिनियम का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

 टेक्टर की टक्का से एक की मोत एक अन्य घायल

 झाबुआ । फरियादी चैनसिंह पिता रामसिंह वसुनिया निवासी ढोचका ने बताया कि अज्ञात ट्रेक्टर का चालक अपने ट्रेक्टर को तेज गति व लापरवाहीपूर्वक चलाकर लाया व फरियादी की मो0सा0 को टक्कर मार दी, जिससे फरि0 को चोट आई व पीछे बैठे रमेश पिता रामसिंह वसुनिया उम्र 35 वर्ष निवासी ढोचका की मृत्यु हो गई। प्रकरण में थाना कालीदेवी में अप0क्र0 91/16, धारा 304-ए,337 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

 कुए मे डुबने से मोत

 झाबुआ । फरियादी भुरजी पिता वसना अमलियार उम्र 27 वर्ष निवासी पिपलदेहला ने बताया कि अनिल पिता बादर भाबर उम्र 10 वर्ष निवासी पिपलदेहला की कुएं के पानी में डूबने से मृत्यु हो गई। प्रकरण में थाना कालीदेवी में मर्ग क्र0 17/16, धारा 174 जाफौ का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

 रिजल्ट लेने गई लडकी घर नही आई

 झाबुआ । फरियादी भारतसिंह पिता वेस्ता कनासिया उम्र 50 वर्ष तैनात जिला जेल झाबुआ ने बताया कि उसकी लडकी मंजुबाला उम्र 23 वर्ष घर से रिजल्ट लेने धार जाने का कहकर गई थी, जो आज तक वापिस नहीं आई है। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में गुम इंसान क्र0 48/16, कायम कर जांच में लिया गया।

फ़िल्म बाग़ी के बाग़ में औसत के फूल

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प्रद्योत कुमार,बेगूसराय। बॉलिवुड में एक बहुत पुरानी कहावत है,वैसी कहानी लाओ जैसी उसकी थी,उसी राह का मुसाफिर है फ़िल्म बाग़ी।वर्ष 2013,06 दिसम्बर को प्रभु देवा निर्देशित फ़िल्म आर राजकुमार रिलीज़ हुई और बॉक्स ऑफिस पर अपना तासीर छोड़ गया जिसे दर्शक आज भी याद करते हैं।इस फ़िल्म में शाहिद कपूर,सोनाक्षी सिन्हा से प्यार करता है और बीच में आ जाता है बाहुबली तस्कर सोनू सूद जो सोनाक्षी को अपना दिल दे बैठता है और हो जाता है लफरा,फिर हीरो से झगड़ा।ठीक उसी तर्ज पर लगभग दो साल बाद यानी कि 09 जनवरी 2015 को रिलीज़ अर्जुन कपूर,सोनाक्षी सिन्हा और मनोज वाजपेयी अभिनीत फ़िल्म तेवर जिसके निर्देशक अमित शर्मा हैं ने दर्शकों के बीच अच्छा तेवर दिखा दिया।इस फ़िल्म में भी अर्जुन से सोनाक्षी को प्यार हो जाता है और उस दोनों के बीच में कूद पड़ते हैं अपना प्यार लेकर राजनीति के बाहुबली गुंडा भाई साहब,मनोज वाजपेयी,फिर शुरू होता है रगड़ा।ठीक लगभग डेढ़ साल बाद उसी तर्ज पर सब्बीर खान निर्देशित और टाइगर श्राफ,श्रद्धा कपूर एवं सुधीर बाबू अभिनीत फ़िल्म बाग़ी में भी टाइगर को श्रद्धा से प्यार हो जाता है और उस प्यार के बीच में अपना प्यार पाने आ जाते हैं सुधीर बाबू जो मार्शल आर्ट का दुरूपयोग कर ग़लत राह पर चल पड़ता हैं।माशर्ल आर्ट के गुरु-शिष्य परम्परा के आधर पर प्रेम की बुनियाद को आधार मान कर 40 करोड़ की लागत से बनी ये फ़िल्म,अपने देश में लगभग 2750 स्क्रीन पर 29,अप्रैल 2016 को रीलिज किया गया और लगभग 55 करोड़ की कमाई भी हुई।उक्त तीनों फ़िल्म में एक फूल दो माली वाली बात है।एक ही कहानी को अलग-अलग रंग देककर दर्शक के सामने परोसा जा रहा है,भाई दर्शक तो आख़िर दर्शक है,ये जो पब्लिक है सब जानती है............!!!!!
           
इस फ़िल्म में श्रद्धा कपूर सबसे खूबसूरत सिर्फ एक गाने में दिखी है जिसको रेलवे प्लेटफॉर्म पर फिल्माया गया है बाक़ी तो सामान्य लगी है।टायगर श्राफ के एक्शन के आगे टाइगर ही गायब हो गया है।फ़िल्म में जब से एक्शन शुरू हुआ है सिर्फ एक्शन ही दिखा है,कुल मिलाकर फ़िल्म में कुछ न कुछ कमी लगती रही।कुछ दृश्य में ट्रांजेक्शन का आभाव दिखा।ये सब नतीजा है ,भाई कुछ वैसा ही लाओ का.......????सच ये है कि बॉलिवुड अभी पूर्ण रूपेण  दक्षिण भारतीय फ़िल्म के रीमेक पर निर्भर है और निर्भरता अच्छी बात नहीं होती है ये सभी जानते हैं।

बेगुसराय (बिहार) की खबर (08 मई)

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झंडोतोलन करते जिलाधिकारी


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अरुण कुमार,मटिहानी,बेगूसराय। आज विश्व रेडक्रास स्थापना दिवस के सुअवसर पर जिलाधिकारी मो० नौशाद युसूफ ने समाहरणालय परिसर में सुबह 10 बजे झंडोतोलन किया एवं रेडक्रास के संस्थापक हेनरी डुनेन्ट की तस्वीर पर माल्यार्पण भी किया।
       
इस अवसर पर रेडक्रास के उपाध्यक्ष डा0 नलिनी रंजन सिंह, सचिव डा0 हरि नारायण सिंह, सिविल सर्जन डा0 ए के राय, डा0 शशी भूषण सिंह, डा0 उमाशंकर सिंह,डा0 आनन्द शर्मा,  प्राचार्य अशोक कुमार सिंह अमर, डा0 कान्तिमोहन सिंह, विश्व रंजन सिंह राजू, शैलेंद्र कुमार- स्वास्थ्य प्रबंधक, आदि उपस्थित थे।
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