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सीरिया जाने के दौरान रूसी विमान दुर्घटनाग्रस्त, 92 लोग सवार

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माॅस्को, 25 दिसंबर रूस के रक्षा मंत्रालय का एक विमान आज सीरिया जाने के दौरान काला सागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में 92 लोग सवार थे जिनमें से किसी के जीवित बचने की संभावना नहीं है। रूसी समाचार एजेंसी रिया ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से कहा कि विमान टीयू-154 राडार से गायब होने के बाद रूस के दक्षिणी शहर सोची के पास काला सागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में सरकारी कर्मचारियों और जाने माने सैन्य बैंड के कलाकारों के अलावा नौ पत्रकार भी सवार थे। वे रूसी वायु सेना के साथ नव वर्ष मनाने के लिए सीरिया के मीमिन वायुसैनिक अड्डा जा रहे थे। एजेंसी ने बताया कि विमान में 84 यात्री तथा चालक दल के आठ सदस्य सवार थे। उन्होंने कहा कि यात्रियों में नौ रूसी पत्रकार थे। 

विमान के हिस्से काला सागर में रूसी तट से 1.5 किलोमीटर दूर 50-70 मीटर की गहराई में मिले हैं। रिया ने अज्ञात सुरक्षा सूत्रों के हवाले से बताया कि शुरुआती डाटा से संकेत मिले हैं कि विमान तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। रिपोर्ट की पुष्टि तत्काल नहीं हो पाई है। इंटरफैक्स समाचार एजेंसी ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से कहा कि विमान से कोई आपातकालीन सिगनल नहीं भेजा गया। रूस के राष्ट्रपति कार्यालय 'क्रेमलिन'के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों से कहा कि दुर्घटना के कारण के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगा। पेस्कोव ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मामले की जानकारी दे दी गयी है।

जे॰एन॰यू॰ के छात्रों के निलंबन के खिलाफ पीयू गेट पर ए॰आई॰एस॰एफ॰ ने केन्द्र सरकार और जे॰एन॰यू॰ कुलपति का किया पुतला दहन।

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पटना. 29 दिसंबर। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ;श्रछन्द्ध में दो दिन पहले 15 छात्रों के निलंबन के खिलाफ आक्रोशित छात्रों ने आज पटना में भी आक्रोश जाहिर किया। पटना विश्वविद्यालय गेट पर आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन ;।प्ैथ्द्ध के बैनरतले छात्रों ने केन्द्र सरकार और जे॰एन॰यू॰ कुलपति जगदीश कुमार का पुतला दहन किया। जे॰एन॰यू॰ कुलपति को बर्खास्त करो, निलंबित छात्रों का निलंबन वापस लो। जे॰एन॰यू॰ को निशाना बनाना बंद करो, नजीब कहाँ है जवाब दो, जे॰एन॰यू॰ कुलपति संघ की दलाली करना बंद करो, आदि रोषपूर्ण नारे लगाए। पुतला दहन के बाद सभा को संबोधित करते हुए ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य सचिव सुशील कुमार ने कहा कि जे॰एन॰यू॰ मंे एकेडमिक काउंसिल मीटिंग के दौरान अपनी मांगों को रखने के कारण 15 छात्रों को बर्खास्त कर दिया गया। मौजूदा मोदी सरकार के आने पर विश्वविद्यालयों पर हमले बढ़े हैं। उसी प्रकार जे॰एन॰यू॰ कुलपति जगदीश कुमार के आने के बाद से ही संघ के इशारे पर जे॰एन॰यू॰ के छात्रों का कत्लगाह बनाने की तैयारी कर रहे हैं। जे॰एन॰यू॰ कुलपति को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा कि इस मसले को लेकर पूरे राज्य भर में आंदोलन चलाने की चेतावनी दी। जिला सचिव सुशील उमाराज ने कहा कि वंचित तबके के छात्रों को बाहर करने की साजिश कामयाब नहीं होगी। इसको लेकर छात्र अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। मोदी सरकार व संघ परिवार के इशारे पर छात्रों पर हमले जारी है। इंटरव्यू में 30 की जगह 10 अंक करने की मांग की। 
सभा की अध्यक्षता करते हुए जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र प्रणय ने कहा कि पटना वि॰वि॰ के छात्र भी जे॰एन॰यू॰ के छात्रों के साथ हर लड़ाई में साथ हैं। जे॰एन॰यू॰ कुलपति व संघ परिवार इसे हलके में लेने की भूल न करे। मौके पर ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य परिषद् सदस्य महेश कुमार, आदित्य कुमार, जिला उपाध्यक्ष जन्मेजय कुमार, मुकेश कुमार यादव, बिट्टू, विद्यानंद, दिनेश, अखिलेश, आनंद सहित दर्जनों छात्र शामिल थे।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 29 दिसंबर)

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सफल विद्यार्थी को मिलेगी 50 हजार की प्रोत्साहन राशि

शासकीय संस्थाओ में कक्षा 12वीं में अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थी जिन्होने वर्ष 2016 में जेईई- नीट- क्लेट परीक्षा में सफलता अर्जित की है उन्हें शासन के द्वारा 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदाय की जायेगी । पात्र विद्यार्थी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कार्यालय में सम्पूर्ण दस्तावेजो के साथ अपनी जानकारी देकर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते है।  

पीएससी परीक्षा के लिये आवेदन 8 जनवरी तक

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के 187 पदों हेतु राज्य सेवा परीक्षा- 2017 और वन सेवा के कुल 174 पदों हेतु राज्य वन सेवा-2017 के विज्ञापन जारी कर दिये हैं। विस्तृत जानकारी आयोग की वेबसाइट www-mppscdemo-in]  www-mppsc-nic-in तथा www- mppsc-com पर उपलब्ध है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की उप सचिव श्रीमती वंदना वैद्य ने बताया कि अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन-पत्र एम.पी.ऑनलाइन के अधिकृत कियोस्क पर शुल्क का नकद भुगतान करके आवेदन जमा कर सकते हैं। अभ्यर्थी क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के साथ ही नेट बैंकिंग के द्वारा भी घर बैठे शुल्क भुगतान कर ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 8 जनवरी है।

आनंद उत्सव कार्यक्रम¨ं का आय¨जन 14 जनवरी से

मध्यप्रदेश शासन द्वारा आनंद उत्सव कार्यक्रम¨ं का आय¨जन 14 जनवरी 2017 से 21 जनवरी तक किया जाएगा। आनंदक के रूप में आमजन भी पंजीयन करा सकते हैं। आनंदक पंजीकरण के पीछे शासन की मंशा है कि विभिन्न गतिविधिय¨ं के अलावा सामान्य कार्यकलाप¨ं से आमजन क¨ आनंद की अनुभूति मिल सके। पंजीयन हेतु आनंद विभाग की वेबसाइट www.anandsansthanmp.in पर “आनंदक” के पंजीकरण की व्यवस्था उपलब्ध है। राज्य आनंद संस्थान के द्वारा सुविधा की दृष्टि से हेल्पलाइन दूरभाष क्रमांक 0755-2553333 पर भी “आनंदक” के पंजीयन की व्यवस्था की गई है। उल्लेखित दूरभाष पर प्रातः 10 बजे से सायं 6 बजे तक क¨ई भी व्यक्ति स्वंय का “आनंदक” के रूप में पंजीयन करा सकते है। आनंदक से विभाग की निम्नांकित अपेक्षाएं है, उनमें आनंदक अपने अन्य सामान्य कार्यकलाप¨ं के अतिरिक्त आनंद विभाग की गतिविधिय¨ं क¨ स्वप्रेरणा से तथा बिना किसी मानदेय के संचालन करने के लिए तैयार ह¨। विभाग द्वारा ज¨ प्रशिक्षण दिया जाएगा उस पर समय पर उपस्थित ह¨ंगे तथा उसी प्रशिक्षण के अनुरूप कार्य करेंगे। नवीन दिशा-निर्देश¨ं के लिए विभाग की वेबसाइट का सतत अवल¨कन करते रहेंगे। राज्य आनंद संस्थान क¨ समय-समय पर फीड बैक देंगे ताकि गतिविधिय¨ं में निरंतर सुधार आ सकें।

विशेष : तुगलकी राजकाज और राजकरण!

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  • नोटबंदी का पर्यावरण और बहुजनों का हिंदुत्व खतरनाक हैं दोनों!

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हम शुरु से जल जंगल जमीन के हक हकूक को पर्यावरण के मुद्दे मानते रहे हैं।हम यह भी मानते रहे हैं कि मुक्तबाजारी अर्थव्यवस्था से प्रकृति,मनुष्यता,संस्कृति और सभ्यता के अलावा धर्म कर्म को खतरा है। सभ्यता के विकास में मनुष्य और प्रकृति के संबंध हमेशा निर्णायक रहे हैं तो सभ्यता के विकास में पर्याववरण चेतना आधार रहा है।यही हमारे उत्पादन संबंधों का इतिहास हैं और इन्हीं उत्पादक संबंधों से भारतीय अर्थव्यवस्था बनी है,जिसका आधार कृषि है।धर्म कर्म और आध्यात्म का आधार भी वहीं पर्यावरण चेतना है। ईश्वर कही हैं तो प्रकृति में ही उसकी सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है।आस्था का आधार भी यही है। मुक्तबाजारी हिंदुत्व को इसीलिए हम धर्म मानने से इंकार करते रहे हैं।यह विशुद कारपोरेट राजनीति है,अधर्म है।अंधकार का कारोबार है।नस्ली नरसंहार है। भारत में पर्यावरण का पहरुआ हिमालय है तो सारे तीर्थस्थान वहीं हैं और वहां के सारे लोग आस्तिक है।यह आस्था दरअसल उनकी पर्यावरण चेतना है।पर्यावरण चेतना के बिना धर्म जैसा कुछ होता ही नहीं है,ऐसा हम मानते हैं। नोटबंदी के डिजिटल कैशलैस मुक्तबाजारी नस्ली नरसंहार अभियान के निशाने पर प्रकृति,मनुष्यता,संस्कृति,सभ्यता के अलावा मनुष्य की आस्था,परंपरा,इतिहास के साथ साथ धर्म कर्म भी है। नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते डिजिटल कैशलैस इंडिया की हवा निकल गयी है।सामने नकदी संकट भयावह है। देश के चार टकसालों में शालबनी में कर्मचारियों ने ओवर टाइम काम करने से मना कर दिया है,जहं रात दिन नोटों की छपाई के बाद कैशलैस लेनदेन तीन चार सौ गुणा बढ़ने के बावजूद बैंक अपने ग्राहकों को नकदी देने असमर्थ हैं।

बाकी तीन टकसालों में भी देर सवेर शालबनी की स्थिति बन गयी तो इंटरनेट औरमोबाइल से बाहर भारत के अधिकरांश जनगण का क्या होगा,यह पीएमएटीएम और एफएम कारपोरेट के तुगलकी राजकाज और राजकरण पर निर्भर है। यूपी में चुनाव है तो वहां नोट,मोटर साईकिलें और ट्रक भी आसमान से बरस रहे हैं।बंगाल बिहार ओड़ीशा और बाकी देश में जहां चुनाव नहीं है,आम जनता की सुधि लेने वाला कोई नहीं है।राष्ट्र के नाम संदेश शोक संदेश से हालात नहीं बदलने वाले हैं। नोटबंदी सिरे से फेल हो जाने के बाद नोटबंदी का पर्यावरण बेहद खतरनाक हो गया है। इस देश की जनसंख्या में सवर्ण हिंदू बमुश्किल आठ फीसद हैं। बाकी बानब्वे फीसद बहुजन हैं। ब्राह्मणों और सवर्णों को अपनी दुर्गति के लिए गरियाने वाले ये बानब्वे फीसद बहुजन ही देश के असल भाग्यविधाता हैं।

पढ़े लिखे सवर्णों में ज्यादातर नास्तिक हैं। पढ़े लिखे ब्राह्मण भी अब जनेऊ धारण नहीं करते। इसके विपरीत पढे लिखे बहुजन कहीं ज्यादा हिंदू हो गये हैं और कर्मकांड में बहुजन  सवर्णों से मीलों आगे हैं।मंत्र तंत्र यंत्र के शिकंजे में भी ओनली बहुजन हैं।हिंदुत्व सुनामी में जो साधू संत साध्वी ब्रिगेड हैं,उनमें भी बहुजन कहीं ज्यादा हैं।बहुजनों के धर्मोन्माद से ही हिंदुत्व का यह विजय रथ अपराजेय है और यही मुक्तबाजार का सबसे बड़ा तिलिस्म है।कारपोरेट हिंदुत्व का सबसे बड़ा प्रायोजक है।अब तो रतन टाटा भी हिंदुत्व की शरण में नागपुर में शरणागत हैं। जाहिर है कि नोटबंदी का पर्यावरण और बहुजनों का हिंदुत्व खतरनाक हैं दोनों।बेहद खतरनाक हैं और यही डिजिटल कैशलैस सैन्यतंत्र सैन्यराष्ट्र का चरित्र है। नोटबंदी के पचास दिन पूरे होने से पहले मुंबई से लेकर उत्तराखंड तक जो हिंदुत्व का एजंडा लागू हो रहा है,उसपर गौर करना बेहद जरुरी है। गढ़वाल में भूंकप क्षेत्र भागीरथी और अलकनंदा घाटियों के आस पास चारधामों तक राजमार्ग पर्यटन विकास के लिए नहीं है।उत्तराखंड में चुनाव जीतने का रणकौशल भी यह नहीं है।हिमाचल और उत्तराखंड का केसरियाकरण बहुत पहले हो गया है।अब बाकी देश के केसरियाकरण के सिलसिले में यह राममंदिर आंदोलन रिलांच है जैसे केजरीवाल अन्ना ब्रिगेड का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन सिरे से आरक्षणविरोधी है,वैसे ही हिंदुत्व का यह एजंडा विशुध कारपोरेट एजंडा है।
हिंदुत्व के इस कारपोरेट एजंडा ने तो शिवसेना को भी अनाथ करके शिवाजी महाराज की विरासत पर कब्जा करने के लिए अरब सागर में शिवाजी भसान कर दिया है और मुंबई में राममंदिर का निर्माण भी हो गया है।संघ परिवार बाबासाहेब अंबेडकर के अंबेडकर भवन ढहाकर, कब्जा करके उसी जमीन पर बहुजनों का नया राममंदिर बाबासाहेब के नाम बना रहा है।

हम जहां हैं,उस कोलकाता के जलमग्न हो जाने का खतरा गहरा रहा है।हुगली नदी के दोनों किनारे कोलकाता और हावड़ा हुगली में भी टूट रहे हैं जैसे मुर्शिदाबाद और मालदह में टूट रहे हैं।तो सुंदर वन के सारे द्वीप डूबने वाले हैं। पर्यावरण महासंकट में नोटबंदी का पाप धोने के लिए समुद्रतट से लेकर हिमालय तक मुक्तबाजारी कारपोरेट हमला तेज है। सुंदरवन और पहाड़ों में रोजगार की तलाश में पलायन का परिदृश्य एक जैसा है।अभी सुंदर वन के गोसाबा में मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता तुषार कांजिलाल की टैगोर सोसाइटी फार रूरल डेवलपमेंट ने चार गांवों आनंदपुर,लाहिड़ीपुर,हैमिल्टनबाद और लाटबागान में घर घर जाकर समीक्षा की है।इन गांवों के पांच हजार तीन सौ एक सक्षम पुरुषों में दो हजार पांच सौ छसठ पुरुषों ने रोजगार की तलाश में गांव छोड़ दिया है। 618 महिलाओं ने भी गांव छोड़ दिया है।यह एक नमूना है।सुंदरवन ही नहीं उत्तराखंड के पहाड़ों के गांवों की तस्वीर यही है। पर्यटन विकास की ही बात करें तो उत्तराखंड को बहुत कम निवेश पर मौजूदा रेलवे नेटवर्क के जरिये पूरे देश से जोड़ा जा सकता है जबकि नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल तक पहुंचने के लिए अब सिर्फ कोलकाता और नई दिल्ली से सीधी ट्रेनें हैं।मुंबई, चेन्नै, बेंगलुरु, जयपुर, अबहमदाबाद, नागपुर, भोपाल, रायपुर, भुवनेश्वर से अगर नैनीताल के लिए सीधी ट्रेन सेवा हो तो कुमायूं में पर्यटन विकास बहुत बढ़ सकता है।देहरादून हरिद्वार देशभर से जुड़ा है,वहां से रेलवे नोटवर्क को पूरे उत्तराखंड हिमाचल तक ले जाना फौरी जरुरत है।
सरकार ऐसा कुछ न करके गढवाल के केदार जलसुनामी इलाकों में बारहमहीने धर्म पर्यटन का बंदोबस्त कर रही है,तो इसका असल मकसद समझना जरुरी है। हिमालय के बारे में चेतावनियां सत्तर के दशक से जारी होती रही है।अब वर्ल्डवाइल्ड लाइफ फंड की 2011 की रपट के मुताबिक सुंदरवन इलाके के लिए डूब के खतरे की चेतावनी भी बासी हो चुकी है जबकि भारत के सारे समुद्रतट को परमाणु भट्टी में तब्दील करने का अश्वमेध अभियान जारी है।

शिवसेना ने मुंबई के सीने पर जैतापुर में पांच पांच परमाणु संयंत्र लगाने का अभी तक विरोध नहीं किया है जबकि शिवाजी की विरासत छिनने पर मराठी मानुष के जीवन मरण के दावेदार बौखला रहे हैं। चेतावनी है कि अगले तीस सालों में सुंदरवन के पंद्रह लाख लोग बेघर होंगे और सुंदरवन के तमाम द्वीप डूब में शामिल होंगे। हम अपने लिखे कहे में लगातार मुक्तबाजार के खिलाफ पर्यावरण आंदोलन तेज करने की बात करते रहे हैं। हम बहुजन आंदोलन को भी पर्यावरण आंदोलन में बदलने के पक्षधर हैं।क्योंकि बहुजनों के हकहकूक के तमाम मामले जल जंगल जमीन आजीविका और रोजगार से जुड़े हैं और पार्कृति संसाधन उन्ही से छीने जा रहे हैं।क्योंकि कृषि भारत में पर्यावरण,जलवायु,जीवन चक्र और मौसम केसंतुलन का आधार है और भारत में कृषिजीवी आम जनता बहुजन हैं।हमारी किसी ने नहीं सुनी है। अब हमारे लिए यह बहुत बड़ा संकट है कि कमसकम पहाड़ों में लगभग सारे राजनेता चिपको आंदोलन से जुड़े होने के बाद उनमें से ज्यादातर लोग अब कारपोरेट दल्ला बन गये हैं और हिमालय के हत्यारों में वे शामिल हैं।जाहिर है कि सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण कार्यकर्ता का चरित्र भी राजनीतिक संक्रमण से पूरी तरह बदल जाता है।आम जनता के बजाय उन्हें बिल्डरों,माफिया,प्रोमोटरों,कारपोरेट बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ज्यादा चिंता लगी रहती है।

यह बेहद खतरनाक स्थिति है। बहुजनों के केसरियाकरण और बहुजनों के हिंदुत्व से ही सारा का सारा राजनीतिक वर्ग इस देश में बहुजनों के नस्ली नरसंहार के हिंदुत्व एजंडा को अंजाम दे रहा है।इसका प्रतिरोध न हुआ तो आगे सत्यानाश है। डीएसबी जमाने के हमारे प्राचीन मित्र राजा बहुगुणा का ताजा स्टेटस हैः हरीश रावत ने केदारधाम तो मोदी ने चारधाम से सिक्का जमाया ? उत्तराखंड की कौन कहे ? राजा बहुगुणा आपातकाल के बाद नैनीताल जिला युवा जनता दल के अध्यक्ष थे।वनों की नीलामी के खिलाफ आंदोलन में वे जनतादल छोड़कर उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के कार्यकर्ता बने।28 नवंबर,1977 को नैनीताल में छात्रों पर लाठीचार्ज,पुलिस फायरिंग,नैनीताल क्लब अग्निकांड  के मध्य वनों की नीलामी के खिलाफ शेखर दाज्यू, गिरदा, राजीव लोचन शाह और दूसरे लोगों के साथ जेल जाने वालों में उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शामिल थे।हरीश रावत जेल से निकलकर सीधे राजनीति में चले गये। गौरतलब है कि इसीलिए हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने पर वाहिनी के चिपकोकालीन अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट ने एक आंदोलनकारी के हाथों में सत्ता की बागडोर होने की बात कहकर हलचल मचा दी थी।

तब डीएसबी के छात्र आज के सांसद प्रदीप टमटा भी वाहिनी के बेहद सक्रिय कार्यकर्ता थे।वह लंघम हास्टल में रहता था,जहां पहले राजा रहते थे।लंघम में रहते हुए ही राजा के साथ महेंद्र सिंह पाल की भारी भिड़ंत हो गयी थी।नैनीताल के सबसे धांसू छात्र नेता महेंद्र सिंह पाल भी हम लोगों के ही साथ थे।हम लोग ब्रुकहिल्स में रहनेवाले काशी सिंह ऐरी के साथ थे तो प्रदीप लंघम के ही शेर सिंह नौलिया के साथ।चिपको ने हम सभी को एकसाथ कर दिया।चिपको के दौरान प्रदीप के डेरे थे बंगाल होटल में मेरा कमरा,गिर्दा का लिहाफ और नैनीताल समाचार का दफ्तर।तो काशी सिंह ऐरी भी चिपकों के दौरान डीडी पंत और विपिन त्रिपाठी के साथ उत्तराखंडआंदोलन का हिस्सा बनने से पहले हमारे साथ थे।मतलब यह खास बात है कि उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय तमाम लोग चिपको आंदोलन से जुड़े थे। अब सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी से राजनेता,मुख्यमंत्री से लेकर सांसद तक बनने वाले प्राचीन साथियों की पर्यावरण चेतना पर हमें शक है।हमारे साथी , हमें माफ करें।मैं जन्मजात तराई का मैदानी हूं।मातृभाषा भी बांग्ला है।ऊपर से शरणार्थी किसान परिवार से हूं।खांटी उत्तराखंडी होने का दावा कर नहीं सकता। हमें जितनी फिक्र उत्तराखंड की कोलकाता में 25 साल गुजारने के बावजूद हो रही है,उतनी फिक्र भी हमारे साथियों को उत्तराखंड की नहीं है,यह हमारे लिए गहरा सदमा है।वैसे उत्तराखंड की राजनीति और विधानसभा में भी हमारे पुराने साथी कम नहीं हैं।लेकिन महिला आंदोलनकारियों की बेमिसाल शहादतों और उत्तराखंड वासियों की आकांक्षा और संघर्षों से बने नये राज्य में वे क्या कर रहे हैं,समझ से परे हैं।

बारह महीने चार धाम यात्रा के हिंदुत्व प्रोजेक्ट पर राजा के सिवाय किसी का पोस्ट नहीं मिला है। आदरणीय सुंदरलाल बहुगुणा फेसबुक या सोशल मीडिया पर नहीं हैं।चार धाम हिंदुत्व के सिलसिले में उनकी प्रतिक्रिया या कोई उनका मंतव्य हमारे सामने नहीं है। पत्रकारों को तुरंत उनसे देहरादून में साक्षात्कार करना चाहिए। सुंदरलाल बहुगुणा  हमारी तरह नास्तिक नहीं हैं।विशुद्ध गांधीवादी हैं।वे धार्मिक हैं।पर्यावरण और जल जंगल जमीन के मसलों को वे सीधे आध्यात्म से जोड़कर देखते हैं।उनके विरोध का हथियार भी उपवास है। पर्यावरण संकट के मद्देनजर बरसों से वे पहाड़ों पर चढ़ नहीं रहे हैं और गोमुख पर रेगिस्तान बनते देख भविष्य में जल संकट के मद्देनजर उन्होंने बरसों से अन्नजल छोड़ दिया है।गंगा की अविराम जलधारा को बनाये रखने का नारा उन्होंने ही सबसे पहले दिया था। आदरणीय सुंदर लाल बहुगुणा हमें कोई दिशा दें तो बेहतर।मुख्यमंत्री हरीश रावत या फिर केंद्र सरकार या प्रधानमंत्री को भी वे सलाह देने की हालत में हैं। अभी हिमालय में तमाम ग्लेशियर पिघलने लगे हैं और एक एक इंच जमीन भूमाफिया ने दखल कर लिया है।बारह मास धर्म पर्यटन में पहाड़ियों का क्या हिस्सा होगा,मौजूदा पर्यटन वाणिज्य में पहाड़ियों की हिस्सेदारी के मद्देनजर इसे समझा जा सकता है।पर्यावरण,मौसम और जलवायु के परिदृश्य में माउंट एवरेस्ट पर्वतारोहण पर्यटन का नजारा सामने हैं।
इसी सिलसिले में पहाड़ से ही इंद्रेश मैखुरी का यह स्टेटस भी उत्तराखंड में हिंदुत्व के जलवे को समझने के लिए मददगार हैः हरीश रावत जी ने बुजुर्गों के मुफ्त तीर्थ घूमने की योजना निकाली,भूत-मसाण पूजने वालों को पेंशन की घोषणा की,छठ,करवाचौथ की छुट्टी कर डाली और अब जुमे की नमाज के लिए सरकारी कर्मचारियों को 90 मिनट की छुट्टी दे रहे हैं.हरीश रावत जी बुजुर्ग हैं,तीर्थ करने की उनकी उम्र है,छूट्टी की जरुरत है,उनको.तो क्यूँ न उनकी ही छुट्टी करके तीर्थ यात्रा पर रवाना कर दिया जाए.नहीं तो वे राज्य को ही मसाण बना कर उसकी पुजई करते रहेंगे !





(पलाश विश्वास)

मधुबनी : मद्य निषेध अभियान (द्वितीय चरण) के लिए बैठक

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मधुबनी, 29 दिसम्बर, 2016; आज डी.आर.डी.ए. सभा कक्ष मंें जिला पदाधिकारी मधुबनी श्री गिरिवर दयाल सिंह ने मद्य निषेध अभियान (द्वितीय चरण) के अंतर्गत मानव श्रृंखला निर्माण से संबंधित बैठक की। मानव श्रृंखला का निर्माण 21 जनवरी, 17 को किया जाना है। जिले में दो मुख्य मार्ग तथा 6 उप मार्ग में लगभग 350 कि.मी. में मानव श्रृंखला बनाई जाएगी। जिला पदाधिकारी ने  निदेश दिया की मानव श्रृंखला के प्रत्येक किलोमीटर के लिए एक काॅडिनेटर की प्रतिनियुक्ति अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा की जाएगी। 2 जनवरी, 17 तक एस.डी.ओ. इसकी सूची तैयार कर लें। इसमें प्रधानाध्यापक,  कोई योग्य शिक्षक आदि रह सकते है। प्रत्येक किलोमीटर के लिए लगभग 2000 व्यक्तियों की व्यवस्था करनी है। हर काॅडिनेटर को पोलियो कर्मी का पीला जैकेट दिया जाएगा। मानव श्रृंखला में कक्षा 5 से उपर के बच्चों को लगाया जाएगा। मुख्यमार्ग पर 4 किलोमीटर तथा उपमार्ग पर 2 किलोमीटर के दायरे के अन्तर्गत के लोगों को सम्मिलित कराना है। प्रत्येक किलोमीटर पर एक सेक्टर आॅफिसर रहेंगे। पंचायत सचिव, इंदिरा आवास सहायक, हल्का कर्मचारी आदि सेक्टर आॅफिसर रहेंगे। प्रत्येक रूट पर एंबुलेंस एवं पेयजल की व्यवस्था की जाएगी। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संबंधित स्कूल में शिक्षक एवं अभिभावकों की बैठक 10 जनवरी,17 एवं 18 जनवरी, 17 को की जाएगी। प्रत्येक विघालय में बच्चों के माध्यम से मुख्यमंत्री जी की अपील तथा संकल्प पत्र उनके अभिभावकों के यहाॅ भेजा जाएगा। जो अनुमंडल/प्रखंड सबसे अच्छा प्रदर्शन करेगा वहाॅ के कर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा। मानव श्रृंखला से निर्माण से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निदेश जिला के बेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा। पंचायत स्तरीय संचालन समिति की बैठक 31.12.16 तक तथा प्रखंडस्तरीय संचालन समिति की बैठक शीध्र संपन्न कराये।

सभी एस.डी.ओ. प्रखंड स्तर पर प्रमुख की अध्यक्षता में मुखिया, पंचायत समिति के सदस्यों की बैठक सुनिश्चित कराये। 31.12.16 को जिला परिषद के सभी सदस्य, प्रमुख, उपप्रमुख, जीविका के ब्लाॅक मैनेजर के साथ जिला पदाधिकारी बैठक करेंगे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने की जिम्मेवारी सभी प्रखंड के प्रभारी वरीय उप समाहत्र्ता तथा अनुमंडल पदाधिकारी की है। कार्यक्रम के वरीय प्रभार में अपर समाहत्र्ता, मधुबनी है  उपस्थिति- सिविल सर्जन, एम.ओ.आई.सी., अपर समाहत्र्ता, जिला लोक निवारण पदाधिकारी, एस.डी.ओ., एस.डी.पी.ओ., वरिय उपसमाहत्र्ता सभी जिला स्तरीय पदाधिकारी, शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।

समर्पण सिखाती है गीता : पूज्य आचार्य श्री रामदयालजी महाराज

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  • राष्ट्र-समाजसेवा में समर्पित होने पर ही सार्थकता है मानव चैला धारण करने की पंचदिवसीय गीता जयन्ति महोत्सव का हुआ समापन

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मन्दसौर। गीता अकमण्र्य, आलसी, प्रमादी होकर बैठने की नहीं बल्कि आलस्य त्याग कर निष्काम होकर निष्ठापूर्वक कर्तव्य कर्म करते हुए समाज एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर सेवा करने का संदेश देती है। भगवान श्री कृष्ण ने समाज तथा राष्ट्र की भलाई के लिये ही युद्ध से उपराम होने वाले अर्जुन को युद्ध में आरूढ़ करने के लिये जो गीता का उपदेश दिया वह हमारे लिये भी उतना ही आवश्यक है जितना उस समय अर्जुन के लिये था। धर्मधाम गीता भवन में पंच दिवसीय गीता ज्ञान प्रवचन माला के समापन पर 28 दिसम्बर को उक्त उद्गार प्रकट करते हुए रामस्नेही शाहपुराधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरू पू. श्री रामदयालजी महाराज ने कहे। आपने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के 2 विशिष्ट पात्र जिन्हें उन्होंने समयानुकुल ज्ञान प्रदान किया वे है गीता के अर्जुन व श्रीमद् भागवत के उद्धव, कर्तव्यपथ से विमुख अर्जुन को कर्मयोग और उद्धव को ज्ञानी होने के अहंकार से छुड़ाकर गोपीकाओं के माध्यम से भक्ति मार्ग का उपदेश दिया। गीता दिग्भ्रमित-भटके हुए को सही दिशा-सही मार्ग प्रदान करती है। चार वेद-शास्त्र-18 पुराण-उपनिषद आदि समस्त ग्रंथों का अन्तिम सार केवल 2 अक्षर का राम नाम-भावन्नाम है। 
आग पर रखी बरलोई में खिचड़ी तभी तक खद-बद(आवाज) करती रहती है जब तक वह पक नहीं जाती। परिपक्व होने पर जैसे खिचड़ी आवाज करना बन्द कर देती है उसी प्रकार संसार रूपी अनेक कामनाओं की खिचड़ी भी तभी तक मन में उबलती रहती है जब तक भगवान की भक्ति-रामनाम में हमारा मन परिपक्व नहीं हो जाता। सन्तों और श्रोताओं का परस्पर संयोग आनन्द का श्रृजन करता है। राम नाम की महिमा का बखान स्वयं पराम भी करना चाहे तो वे भी नहीं कर सकते। वर्तमान राष्ट्रीय संदर्भ में आचार्य श्री ने कहा कि राष्ट्र में जो कुछ घटित हो रहा है वह सब हमारा मनमोहन भगवान श्री कृष्ण ही कर रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक पहली बार नहीं हुई हैं लाखों वर्ष पहले हनुमानजी ने भारत से बाहर जाकर लंका में जाकर की थी। आचार्य श्री ने संस्था सदस्यों (न्यासीगणों) को सचेत करते हुए कहा कि ट्रस्टीयों को केवल शो पीस (दिखावटी) नहीं होकर कर्तव्य परायणता का परिचय देना चाहिए। आपने कहा कि गीता कर्म करने का संदेश देती है और यदि कर्म नहीं करेंगे तो फिर गीता जयन्ती मनाने का क्या महत्व है। 

पू. महन्त श्री देवकीनन्दनदासजी- वेदान्ती अपने आप को जीव से उपर ब्रह्ममान कर ‘‘अहं ब्रह्मास्मिी’’ मैं ब्रह्म हूॅ- रटता रहता है परन्तु एक मच्छर का हमला भी सहन नही कर पाता। ऐसे ब्रह्म से जीव बने रहना ही श्रेष्ठ है। ब्रह्म बनकर उदासीन रहने में नहीं जीव बनकर अपने को भगवान का दास बनाकर उनकी प्रेम भक्ति रस पान में जो सुख है वह शुष्क वेदान्त में कहा। शबरी ने कोई वेद नहीं पढ़े-यज्ञ -जप-तप कुछ नहीं किया। केवल गुरू के उपदेश और वचन पर विश्वास करके प्रतिदिन भगवान के आने की बाट जोहती रहती और बुहारी से भगवान के आने के रास्ते को बुहारती (स्वच्छ) करती रहती। दृढ़ निष्ठा, विश्वास और सच्चा प्रेम होने से अन्त में भगवान को उसकी कुटिया पर आना ही पड़ा बल्कि प्रेम से दिये झूंठे बेर बड़े चख से खाये। रबर स्टाॅम्प पर अक्षर उल्टे होते है परन्तु कागज पर लगाने से सीधे हो जाते है उसी प्रकार चाहे भाग्य की रेखाएं उल्टी क्यों ना हो परन्तु सन्तों के आशीर्वाद से बदल जाती है। वेद-पुराण, उपनिषद श्रुती आदि ग्रंथों का स्वाध्याय हम कर नहीं पाते इसलिये व्यासजी ने सभी का सार महाभारत में लिख दिया इसलिये महाभारत को पांचवा वेद कहा गया है। 
वेदों का प्राण राम नाम है यदि वेदों से रामनाम को अलग कर दिया जाये तो वेद निस्तेज-निष्प्राण हो जावेंगे। पूज्य स्वामिनी परमानन्ददेवी सरस्वतीजी ने कहा कि गीता ज्ञान भक्ति और कर्मयोग तीनों का त्रिवेणी संगम है। गीता मात्र भारत अथवा किसी एक राष्ट्र सम्प्रदाय विशेष का ग्रंथ नहीं होकर वैश्वीक ग्रंथ है। पूज्या ज्योतिषज्ञ सुश्री लाड़कुंवर भाणेज ने कहा कि विचारों का जीवन में बड़ा महत्व है। अच्छे विचारों से जीवन कृतार्थ धन्य हो जाता है। अच्छे विचारवान व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा पाता है। एक क्षण का बुरा विचार जीवन को बर्बाद कर देता हैै। इसलिये प्रतिक्षण सावधान रहकर मन में गलत विचारों को कतई स्थान नहीं देना चाहिए। निःशुल्क नैत्र शिविर आयोजक श्री शिव फरक्या का पूज्य आचार्य श्री ने बहुमान कर आशीर्वाद प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि नैत्र शिविर में 125 महिला-पुरूषों का नैत्र परीक्षण होकर 65 के आॅपरेशन करवाये गये। शिविर पर्यन्त भोजन सुभाष अग्रवाल का भी सम्मान किया गया। इस दौरान गीता भवन अध्यक्ष प.पू. श्री रामनिवासजी महाराज सहित अन्य संतों का भी सानिध्य व आशीर्वाद प्राप्त हुआ। समापन पर पूज्य आचार्य श्री ने पू. शास्त्री भागवताचार्य श्री भीमाशंकरजी के साथ सड़क हादसे में असामयिक मृत्यु होने पर धर्मसेवी श्री दिनेश सेठिया, म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुन्दरलाल पटवा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त कर मृतात्माओं की शान्ति तथा परिजनों के धैर्य के लिये 2 मिनिट राम नाम का जप कर श्रोताओं के साथ हार्दिक श्रद्धांजली प्रदान की।  
संतों से आर्शीवाद ग्रहण किया- धर्मधाम गीता भवन संरक्षक नरेन्द्र नाहटा, निर्माण समिति अध्यक्ष मोहनलाल मरच्या, स्वागताध्यक्ष डाॅ. घनश्याम बटवाल, गीता भवन उपाध्यक्ष जगदीश चैधरी, ओम चैधरी, शिव फरक्या, सत्यनारायण पलोड़, नरेन्द्र धनोतिया, अशोक खिची, मुकेश पोरवाल नीमच, गोविन्द पोरवाल, नरेन्द्र उदिया, रमेशचन्द्र चन्द्रेे, सूरजमल मेड़तवाल, पुरूषोत्तम बड़सोलिया, लेखराज पुरस्वानी, रामदयाल मास्टर सा., लक्ष्मीनारायण कोठारी, डाॅ. दिनेश तिवारी, सुमन अकोलकर, सुमित्रा चैधरी, कलादेवी पोरवाल, अनुपमा बैरागी, निर्मला माली, विमला वेद, गीताबाई कौशल्या शर्मा, तारा पुरोहित, रक्षा जैन, बिन्दु चन्द्रे, पुष्पा पाटीदार, विद्या उपाध्याय, लीलाबाई पाटीदार, लता गर्ग, राजेन्द्र तिवारी, राव विजयसिंह, रजनीश पुरोहित, आदित्य मारोठिया, कैलाश मारोठिया, जगदीश पुजारी आदि। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 29 दिसंबर)

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विधायक बिलवाल आज देगें 31.42 करोड की पिटोल क्षेत्र को सौगात
  • कन्या आवासीय परिसर, छात्रावास एवं स्कूल भवन को करेगें भूमि पूजन

झाबुआ । क्षेत्रीय विधायक शांतिलाल बिलवाल आज 30 दिसवम्बर को  झाबुआ विधानसभा क्षेत्र के पिटोल अंचल में 31 करोड.  42 लाख की लागत के चार निर्माण कार्यो का शुभारंभ करेगें । विधायक प्रतिनिधि राजेन्द्रकुमार सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि विधायक शांतिलाल बिलवाल द्वारा  आदिम जाति कल्याण विभाग के तहत परियोजना क्रियान्वयन एजेंसी के माध्यम से  बावडी पिटोल में 20 एकड  क्षेत्र में 27.45 करोड से बनने वाले छात्राओं के लिये कन्या आवासीय परिसर  का भूुमिपूजन  करेगें । इस आवासीय परिसर में 240 सीट के छात्रावास भवन में 490 छात्राओं के अध्ययन की सभी सुविधा मुहैया होगी । इसी  तरह विधायक श्री बिलवाल द्वारा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिटोल के 1 करोड 43 लाख की लागत से भवन निर्माण एवं 50 सीट के कन्या छात्रावास जिसकी लागत 1 करोड 27 लाख है तथा 9 एकड जमीन पर ये दोनो भवन निर्माण होना है का भूमिपूजन करेगें । वही विधायक श्री बिलवाल द्वारा कालाख्ंाूट पिटोल में 50 सीट के 1 करोड 27 लाख की लागत से निर्मिैत होने वाले बालक छात्रावास जो एक एकड भूमि परिसर में निर्मित होगा का भी भूमिपूजन एवं कार्यारंभ करेगें । भूमि पूजन के अवसर पर विशेष अतिथि के रूप  में प्रदेश भाजपा कार्य समिति के सदस्य शैलेष दुबे, नगरपालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया, जिला भाजपाध्यक्ष दौलत भावसार,  के अलावा नगर मंडल अध्यक्ष बबलू सकलेचा,गा्रमीण मंडल अध्यक्ष हरू भूरिया, मेजिया कटारा, बहादूर हटिला, महेन्द्र ठाकुर, जितेन्द्र पंवार टूई, महेन्द्र ठाकुर, जगदीश बडदवाल, बवलवंत मेडा, धन्ना डामोर,मांगीलाल भूरिया, लाला गारी, गुल्लु गणावा के अलावा बडी संख्या में क्षेत्र के सरपंच, पंच,तडवी एवं गणमान्यजन उपस्थित रहेगें । श्री बिलवाल द्वारा पिटोल अंचल को दी जाने वाली सौगात को लेकर  क्षेत्रीय जनता ने व्यापक हर्ष व्यक्त किया है ।

मुनिश्री की निश्रा मे मनाया जन्म कल्याणक महोत्सव
  • मानव जीवन में औचित्य गुण का का सर्वाधिक महत्व- आगम सागर जी महाराज

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झाबुआ । दिगंबर जैन समाज की सुश्री भूमिका डोसी द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार  संत शिरोमणी आचार्य गुरूवर विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री आगम सागर जी महाराज का ससंघ नगर में बेंड बाजों के साथ मंगल प्रवेष हुआ । मुनि श्री का स्वागत श्रावणों द्वारा पद प्रक्षालन एवं विधि विधान से पूजा कर किया गया । मंदिरजी मे आयोजित व्याख्यान के अवसर पर मुनि श्री आगमसागर जी ने मानव जीवन में औचित्य गुण का विस्तार से महत्व बताया ।उन्होने भगवान महावीर के सन्देश को जनज न के लिये सामयिक बताते हुए कहा कि सत्य,धर्म, अहिंसा, अचैर्य,शांति एवं प्रेम के मार्ग पर चल कर मानव जीवन को आनंदमय बनाया जासकता हे । जहां प्रेम होता है ेवही आनंद होता है । मुनि श्री के आगमन पर प्रारतः 9 बजे से प्रवचन, एवं दोपहर मे महिलाओं के लिये तत्वज्ञान की कक्षायें तथा सायंकाल युवाओं व बच्चो से जैन धर्म की परंपरा व पाश्चात्य खान-पान, रहन सहन पर विस्तार से विज्ञान सम्मत चर्चा की गई ।मुनिश्री के आगमन के दुसरे दिने मुनिश्री आगम सागर जी महाराज, सहज सागर जी महाराज  केशलोचन किया गया ।  इसी कडी में मुनिश्री आगम सागर जी महाराज के सानिध्य में सकल दिगंबर जैैन  द्वारा मुनिश्री के सानिध्य में चन्द्रप्रभूजी भगवान एवं श्री पाश्र्वनाथ भगवान का जन्म कल्याणक धुमधाम से मनाया गया । सर्व प्रथम श्रीजी को पांडूशीला  पर विराजमान कर शांतिधारा की गई । इस अवसर पर वीरेंन्द्रकुमार मोदी एवं प्रितेश कुमार, जयंतीलाल शाह ने इसका लाभ उठाया । सकल दिगंबर जैन पुरुष मंडल  क्षरा 108 चांदी के कलशो द्वारा श्रीजी का अभिषेक एवं पूजन  किया गया तथा प्रभावना का वितरण किया गया । इसके बाद मुनिसंघ का विहार रानापुर के लिये हुआ ।,

श्री मेहता द्वारा सिद्धांचल तीर्थ की नव्वाणु यात्रा की तपस्या पूर्ण की
  • 45 दिवसीय आराधना में एक सौ ग्यारह यात्रा की- दशम नव्वाणू यात्रा करने वाले प्रथम तपस्वी बने

झाबुआ । स्थानीय जेन तीर्थ ऋषभदेव बावन जीनालय के व्यवस्थापक एवं जैन श्री संघ के अध्यक्ष धर्मचंद मेहता द्वारा श्री सिद्धाचल तीर्थ पालीताणा में 45 दिवसीय  नव्वाणूयात्रा की तप आराधना पूर्ण की गई । श्री मेहता ने 111 बार श्री सिद्धांचल तीर्थ की यात्रा मात्र 45 दिन में पूण्र्पा की साथ ही 10 वीं बार नव्वाणू यात्रा की तपस्या की पूर्णाहूति मंगलवार को तीर्थ पर हुई । श्री संघ के रिंकू रूनवाल ने बताया कि इस उत्कृष्ठ तप आराधना की शुरूवात कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ हुई । 10 वी बार आराधना कर रहे श्री मेहता ने प्रतिदिन एकसाने एवं आयंबिल  की तपस्या के साथ गिरीराज के दर्शन पूजन कर लगभग 1 लाख से अधिकम नवकार के जाप पूर्ण किये । एक यात्रा में तीर्थ की 4 हजार सीढीया चढ कर दादा आदिनाथ की पूजा होती है ऐसे 45 दिनोकं में श्री मेहता ने 111 बार यात्रा तपस्या के साथ पूर्ण की । श्री संघ के रतनलाल सकलेचा, बाबुलाल संघवी, आनंदीलाल संघवी, कांतिलाल बाबेल, निर्मल मेहता, प्रदीप रूनवाल, सुभाष कोठारी,यषवंत भंडारी, भरत बाबेल, मुकेष नाकोडा, प्रमोद भंडारी, मनोहरलाल भंडारी, मनोज संघवी, अनिल रूनवाल, प्रदीप संघवी, सुरेन्द्र सकलेचा, अशोक संघवी, अभय धारीवाल, नरेन्द्र पगारिया, ओएल जेन, निेलेश लोढा, मांगीलाल कांठी, संजय कांठी, शंशांक सं, अरविंद लोढा, सुरेन्द्र कांठी, आदि ने श्री मेहता की इस तपस्या की अनुमोदना की है ।

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या. झाबुआ ने पूर्व मुख्यमंत्री श्री पटवा को दी भावभीनी श्रंद्धाजलि 

झाबुआ । जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित झाबुआ परिसर मे मध्यप्रदेष के पूर्व मुख्यमंत्री मान. श्री सुन्दरलालजी पटवा के निधन पर बैंक अध्यक्ष श्री गौरसिंह वसुनिया, मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री पी.एन.यादव एवं बैंक के समस्त कर्मचारीगण व सहकारी समितियों के कर्मचारियो द्वारा भावभीनी श्रंद्धाजलि दी गई ।

जिले के जनप्रतिनिधियो को नगद रहित संव्यवहार, (केशलेश ) पर प्रशिक्षण 30 दिसम्बर को
  
झाबुआ । नगद रहित संव्यवहार(केशलेश) को बढावा देने के लिए 30 दिसम्बर 2016 को जिला पंचायत सभागार में प्रातः10ः30 बजे से जनप्रतिनिधयो के प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा । प्रशिक्षण मे जनप्रतिनिधयो को नगद रहित संव्यवहार पर प्रशिक्षण दिया जायेगा। उसके बाद विकासखण्ड स्तरीय मास्टर ट््रेनरों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

1 लाख की आर्थिक सहायता स्वीकृत

झाबुआ । जिले की मेघनगर तहसील के ग्राम रामपुरा की मृतक सुरिका पिता तोलिया की डूबने से मोैत होने पर उसके वैध वारिस को आर्थिक अनुदान राषि कलेक्टर झाबुआ द्वारा स्वीकृत की गई। मृतक सुरिका पिता तोलिया तहसील मेघनगर के वैध वारिस में उसके पिता तोलिया को 1 लाख रूपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। उक्त राषि तत्काल वितरित करने के आदेष कलेक्टर ने दिये है।

कलेक्टर श्री सक्सेना ने राणापुर ब्लाक के गाॅवो में किया मार्निंग फालोअप

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झाबुआ । स्वच्छ भारत मिशन अभियान ने अब जिले में मिशन का रूप ले लिया है। कलेक्टर श्री आशीष सक्सेना एवं सभी विभागों के जिला अधिकारी अपने स्तर से इस काम में जुट गये है। कलेक्टर सहित जिला अधिकारी मोर्निंग फालोअप कर लोगो को शौचालय निर्माण कर उपयोग करने के लिये समझाईश दे रहे है। कलेक्टर श्री आशीष सक्सेना ने राणापुर ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रो में मोर्निंग फालोअप कर ग्रामीणो को शौचालय का निर्माण कर उसका उपयोग करने के लिए समझाईश दी। विभागों के जिला अधिकारी घुम-घुम कर ग्रामीणो को स्वच्छता के फायदे बताकर ग्रामीणो को शौचालय निर्माण करने एवं गाॅव में साफ-सफाई रखने के लिए समझाईश दे रहे है। जिले के रामा, राणापुर मेघनगर एवं झाबुआ ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रो में भी सीईओ जनपद एवं सीएमओ नगरीय निकाय के नेतृत्व में मार्निंग फालोअप किया गया एवं ग्रामीणो को स्वच्छता के लिये समझाईश दी गई।

जुआ एक्ट मे प्रकरण कायम

झाबुआ । आरोपी मुकेश पिता आत्मराम किर नि. बामनिया के कब्जे से हार जीत का सट्टा लगाते सट्टा पर्ची नगदी 780/-रू0 जप्त कर गिर. किया गया। प्रकरण में थाना पेटलावद में अप. क्रमांक 498/16 धारा 4-क जुआ एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

अवैध शराब जब्त

झाबुआ । आरोपी कल्पेश पिता मसुल पणदा नि. पिपलिया के अवैध कब्जे से 50 क्वार्टर गोवा अग्रेंजी शराब किमती 2500/- रू0 की जप्त कर गिर. किया गया। प्रकरण में थाना काकनवानी में अप. क्रमांक 214/16 धारा 34-ए आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

दुर्घटना मे घायल की मोत
झाबुआ । मृतिका सागरीबाई पति सोमला अजनार नि. मोजीपाड़ा की एक्सीडेंट में आई चोटो के कारण मृत्यु हो गई। प्रकरण में थाना कोतवाली में मर्ग कं्र. 111/16 धारा 174 जा.फौ. का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

बिहार : नोटबंदी के 50 वें दिन माले लगाएगी जनअदालत.

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  • मोदी ने मजदूर व किसानों की तोड़ दी कमर, इस्तीफा दें प्रधानमंत्री.
  • बेउर मोड़ पर आज नोटबंदी पर हुई चर्चा. कल कंकड़बाग टेंपो स्टैंड में लगायी जाएगी जनअदालत.

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पटना 30 दिसबंर 2016, नोटबंदी के 50 वें दिन भाकपा-माले और खेग्रामस ने पूरे राज्य में जनअदालत लगाने का फैसला किया है. माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि पिछला 50 दिन आम लोगों के लिए बेहद कष्टदायक साबित हुए हैं. मोदी ने मजदूर-किसान व मेहनतकश वर्ग की कमर तोड़ दी है. खेती में 50 प्रतिशत की गिरावट है. उलटा पलायन आरंभ हो गया है, मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही है और देश की गरीब जनता त्राहिमाम कर रही है. प्रधानमंत्री ने कहा था कि यदि 50 दिन में स्थिति संभलती नहीं, तो देश की जनता जैसा उचित समझे, उन्हें सजा दे सकती है. देश आज काफी पीछे चला गया है. इसलिए मोदी को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि दरअसल, नोटबंदी के जरिए मोदी सरकार गरीबों के पेट पर हमला कर रही है. इसलिए नोटबंदी के 50 वें दिन हमने जनअदालत लगाने का फैसला किया है. जनता की अदालत में मोदी को जवाब देना होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा व मोदी को हटाकर ही अब देश के गरीबों की रोटी बच सकती है.

पटना नगर सचिव अभ्युदय ने कहा कि राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत पटना में 30 दिसंबर को स्थानीय कंकड़बाग में जनअदालत का आयोजन किया जाएगा. वहीं, आइसा पटना विश्वविद्यालय गेट पर जनअदालत लगाएगी. माले नेता अशोक कुमार, सुधीर कुमार, संतोष पासवान आदि नेताओं ने रामकृष्णानगर, पोस्टल पार्क, जगनपुरा आदि क्षेत्रों में आॅटो प्रचार करके आम लोगों से कल कंकड़बाग टेंपो स्टैंड में आने की अपील की. वक्ताओं ने कई स्थानों पर नुक्कड़ सभाओं को भी संबोधित किया. वहीं, कोरस की टीम ने चांदमारी रोड में नोटबंदी पर आधारित ‘अंधेर नगर रिटर्न’ नुक्कड़ नाटक का मंचन किया.

बेउर में नोटबंदी पर आयेाजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा ने कहा कि सैकड़ों मजदूरों-गरीबों ने एक स्वर में नोटबंदी को गरीबों के पेट पर लात मारने वाला कदम बताया है और इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि सभी गरीबों के खाते में 1 लाख रूपये तत्काल डाले, किसानो का कर्ज माफ करे और बैंक लोन में गरीबों मजदूरों की हिस्सेदारी बढ़ाये. उन्होंने कहा कि कालाधन बेनामी संपत्ति जब्त करने के लिए कानून बने. सभा को पार्टी की केंद्रीय कमिटी सदस्य काॅ. शशि यादव, पार्टी नेता मुर्तजा अली, रवि कुमार प्रजापति, आकाश कश्यप आदि ने भी संबोधित किया.

विशेष : दशा एवं दिशा बदलने का संकल्प हो

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नए वर्ष का स्वागत हम और हमारे निर्माता इस सोच और संकल्प के साथ करें कि हमें कुछ नया करना है, नया बनना है, नये पदचिह्न स्थापित करने हैं। हमें नीतियां ही नहीं नियम भी बदलने है और इसी दिशा में मोदी सरकार जुटी है। नोटबंदी के बाद एक और अच्छी शुरूआत के रूप सरकार ने बेनामी संपत्ति के खिलाफ कानून को ज्यादा धारदार बना दिया है और वह उसे जल्द लागू करने के लिये तत्पर है। विषमता की स्थितियों को आखिर कैसे मिटायें जबकि घर, समाज एवं देश में छिपी बुराइयां को दूर करने के लिये अपने आंगन में दीया जलाने से पहले ही हम यह सोचने लगें कि इसका प्रकाश तो पड़ोसी के घर-आंगन तक भी पहुंचेगा? ईमानदार प्रयत्नों का सफर कैसे बढ़े आगे जब शुरुआत में ही लगने लगे कि जो काम मैं अब तक नहीं कर सका, भला दूसरों को भी हम कैसे करने दें? प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के संकल्प और मिशन को असफल बनाने में विपक्ष एवं राजनीतिक दलों ने ऐसा ही तो किया है। भला भ्रष्टाचार एवं कालेधन पर कैसे नियंत्रण होगा?

आज देश  में नकारात्मक सोच वाले लोग ज्यादा है। यही कारण है कि जब भी कोई परिवर्तन की बात होती है, कुछ नया करने का कोई साहस दिखाता है, समस्याओं से मुक्ति के लिये प्रयत्न किये जाते हैं और कोई शंकर बनकर समस्याओं का गरल पीने का प्रयास करता है तो दुःशासन, दुर्योधन, जरासंध, कंस  जैसी शक्तियां अच्छाई को स्थापित नहीं होने देती। इस प्रकार का नकारात्मक दृष्टिकोण आदमी को दुःखी बनाता है और यही कारण है कि सात दशक की आजादी के बावजूद हमारे दुःख आज भी कायम है। शिव अगर विष का पान नहीं करते तो क्या उनको कल्याणकारी अधिष्ठाता की संज्ञा प्राप्त हो पाती? विधायक दृष्टिकोण से ही व्यक्ति मसीहा बन सकता है और स्वस्थ समाज का सृजन कर सकता है। इस समाज एवं देश में जहां-जहां जो शक्तियों सृजन और निर्माण में जुटी हैं, उन्हें हमें प्रोत्साहन देना ही होगा और यही हमारे नये वर्ष का संकल्प होना चाहिए। भ्रष्टाचार एवं कालेधन के खिलाफ जंग ने अर्थव्यवस्था को साफ-सुथरा करने की ठानी है। हमें नये वर्ष का स्वागत करते हुए ये जंग और ऐसी ही अन्य जंगों के लिये तैयार होना होगा। यह हमारे युग की एक बड़ी सकारात्मक पहल है। जबकि  कुछ स्वार्थी लोग इस जंग में तमाशाई बनकर ईमानदार लोगों को भड़काने की मुहिम में लगे हुए है। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा। एक बात और समझी जानी चाहिए कि स्वतन्त्र भारत के इतिहास का यह सबसे साहसिक  फैसला नरेन्द्र मोदी ने न अपनी पार्टी और न अन्य किसी संगठन या क्षेत्र के लाभ के लिए लिया था। यह फैसला पूरी तरह गैर-राजनीतिक और विशुद्ध रूप से संतुलित एवं समतामूलक समाज निर्माण के संकल्प से जुड़ा है। जो इस मुल्क के ‘गरीबों’ को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए लिया गया था। इस फैसले की चपेट में तो कालाधन बनाने वाले सभी लोग एक सिरे से आ रहे थे, चाहे उनकी पार्टी कोई भी हो और उनका मजहब कोई सा भी हो किन्तु श्री मोदी पर चैतरफा हमला इसलिए किया गया कि श्री मोदी यदि यह लड़ाई जीत गये तो विरोधियों की हैसियत न राजनीति में रहेगी और न समाज में। होना भी यही चाहिए। राजनीति के शुद्धिकरण के लिये यह जरूरी है।

एक कल्याणकारी सरकार वही हो सकती है जिसकी नियत एवं नीतियां साफ-सुथरी हो। आजादी के बाद से ही हर सरकार इसकी दुहाई देती रही है। लेकिन ‘नीयत’ में खोट की वजह से ही तो गांवों और गरीबों के पास एक रुपए में से केवल पन्द्रह पैसे ही पहुंच पाते थे और बीच में दलाली खायी जाती रहती थी। इस लम्बे समय से चले आ रहे भ्रष्टाचार को समाप्त करने का बीड़ा किसी को तो उठाना ही था। अगर नरेन्द्र मोदी ने यह  बीड़ा उठाया है तो कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? अक्सर देखने में आता है कि कुछ व्यक्तियों की मनोवृत्ति दोहरी होती है। वे अपने बारे में सकारात्मक नजरिया रखते हैं और दूसरों के बारे में निषेधात्मक दृष्टि का उपयोग करते हैं। जिन लोगों का दृष्टिकोण विधायक नहीं होता, वे जीवनभर दूसरों की कमियां निकालते रहते हैं। पर जो व्यक्ति विधायक दृष्टिकोण वाले होते हैं, वे अपनी और पराई सभी कमियों को दूर करने का प्रयास करते हैं। ऐसा करने से ही मानव समाज की तस्वीर सुंदर बन सकती है। विश्व की एक बड़ी कंपनी के मालिक से पूछा गया कि आपकी सफलता का राज क्या है? मालिक ने कहा-‘सकारात्मक दृष्टिकोण।’ वस्तु और व्यक्ति के हर पहलू को देखा जाए तथा सही दिशा चुनी जाए तो सफलता मिलते देर नहीं लगती। परिवार-समाज-देश में छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं। उनके प्रति दृष्टिकोण नकारात्मक नहीं होना चाहिए। उन बातों पर चिंतन करें, अपनी कमी का अनुभव करें, अपनी शक्ति का विकास करें, अपने कर्तृत्व से नई रेखाएं खींचें तथा खींचीं हुई लीक से बड़ी लीक खींचने का प्रयास करें। किसी की कही हुई छोटी-सी बात व्यक्ति के सकारात्मक नजरिये एवं सकारात्मक प्रयास से उसको उत्कर्ष प्रदान कर सकती है। व्यक्ति का विश्वास होना चाहिए कि उसकी विकासयात्रा में उसका विधायक दृष्टिकोण ही उसकी गति को सार्थकता प्रदान करेगा।

नये वर्ष का हमारा सबसे बड़ा संकल्प होना चाहिए कि हम शक्ति-सम्पन्न बनेंगे। शक्तिसंपन्न बनने के लिए संतुलित एवं सामुदायिक चेतना का विकास भी बहुत जरूरी है। आज के युग में मनुष्य आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है। वह जितना अधिक आत्मकेन्द्रित होगा, उतना ही शक्तिहीनता का अनुभव करेगा। शक्तिसंपन्न बनने के लिए सामुदायिक चेतना जगाने की अपेक्षा है। इस चेतना का जागरण तभी संभव है, जब कठिन काम करने की मनोवृत्ति विकसित हो। कुछ लोग काम करना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं, पर पुरुषार्थ करने से घबराते हैं, मुश्किल कामों से कतराते हैं। ईमानदार एवं नैतिक व्यक्ति का निर्माण वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है और यह एक दीर्घकालीन योजना है। लेकिन हर दौर में और हर युग में इस पर काम करना जरूरी है। एक प्राचीन कहावत है-यदि आप एक वर्ष का लक्ष्य देकर चलते हैं तो फूलों की खेती कर सकते हैं। यदि आपके सामने दस वर्ष का लक्ष्य है तो आप वृक्षों की खेती कर सकते हैं और यदि आपके पास अनंत काल तक काम करने का लक्ष्य है तो आप मनुष्य का निर्माण करने का संकल्प कर सकते हैं। मोदी जैसे लोगों को समाज एवं देश की विसंगतियों एवं विषमताओं को दूर करने के साथ-साथ व्यक्ति निर्माण का भी संकल्प लेना होगा। नय वर्ष की अगवानी में सबसे कठिन काम है- दिशा-परिवर्तन। दिशा को बदलना बड़ा काम हैं। मोदी सरकार न केवल दिशा बदलने का बल्कि दशा भी बदलने का काम कर ही है। बिडम्बना रही है कि हमारी सरकारों ने दिशा नहीं बदली, दिशा वहीं की वहीं बनी रहती है। आदमी एक ही दिशा में चलते-चलते थक गया, ऊब गया। किन्तु दिशा बदले बिना परिवर्तन घटित नहीं होता और दशा भी नहीं बदलती। एमर्सन का कहा है वे विजय कर सकते हैं, जिन्हें विश्वास है कि वे कर सकते हैं। जीवन की दिशा को बदलना बड़ा काम है। जीवन की दिशा वे ही बदल सकते है जो बदलने की चाहत रखते हैं। यदि जीवन की दिशा बदल जाती है तो सब कुछ बदल जाता है। जीवन की दिशा बदलती है अपने आपको जानने और देखने से। महान् क्रांतिकारी श्री सुभाषचन्द बोस का मार्मिक कथन है कि जिस व्यक्ति के हृदय में संगीत का स्पंदन नहीं है, वह चिंतन और कर्म द्वारा कदापि महान नहीं बन सकता।

वर्तमान सरकार शासन की खामियों को ही दूर नहीं कर रही है बल्कि जीने का नया अन्दाज भी दे रही है। यह वर्तमान की जरूरत भी है। क्योंकि जिन्दगी को एक ढर्रे में नहीं, बल्कि स्वतंत्र पहचान के साथ जीना चाहिए। जब तक जिंदगी है, जिंदादिली के साथ जीना जरूरी है। बिना उत्साह के जिंदगी मौत से पहले मर जाने के समान है। उत्साह और इच्छा व्यक्ति को साधारण से असाधारण की तरफ ले जाती है। जिस तरह सिर्फ एक डिग्री के फर्क से पानी भाप बन जाता है और भाप बड़े-से-बड़े इंजन को खींच सकती है, उसी तरह उत्साह हमारी जिंदगी के लिए काम करता है। इसी उत्साह से व्यक्ति को सकारात्मक जीवन-दृष्टि प्राप्त होती है और ऐसी ही सकारात्मक दृष्टि के लिये श्री मोदी नित-नये अजूबें कर रहे है।  इसलिये एक नये एवं आदर्श जीवन की ओर अग्रसर होने वाले लोगों के लिये महावीर की वाणी है-‘उट्ठिये णो पमायए’ यानी क्षण भर भी प्रमाद न करे। प्रमाद का अर्थ है-नैतिक मूल्यों को नकार देना, अपनांे से पराए हो जाना, सही-गलत को समझने का विवेक न होना। हम कोशिश करें कि ‘जो आज तक नहीं हुआ वह आगे कभी नहीं होगा’ इस बूढ़े तर्क से बचकर नया प्रण जगायें। बिना किसी को मिटाये निर्माण की नई रेखाएं खींचें। यही साहसी सफर शक्ति, समय और श्रम को सार्थकता देगा और इसी से हमारा नया वर्ष शुभ और श्रेयस्कर होगा। 



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 (ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

बाप पार्टी ने बुरारी विधानसभा में जातिगत आरक्षण के खिलाफ अभियान चलाया

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  • 15 जनवरी को जंतर मंतर पहुँचने के लिए किया अपील

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आज दिनांक 28 दिसंबर को बेरोजगार आदमी अधिकार पार्टी बाप पार्टी ने बुराड़ी विधान सभा में पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष श्री दीपांकुर सोंधी के नेतृत्व में जातिगत आरक्षण के खिलाफ जान जागरूकता अभियान चलाया जिसमे लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। श्री दीपांकुर सोंधी ने कहा की जातिगत आरक्षण की वजह से देश के बहुत से युवाओं को रोजगार नहीं मिल पता और उन्हें दर बदर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। मौके पर मौजूद रहे पार्टी के महासचिव श्री प्रयालंकर झा ने कहा की आगामी 15 जनवरी को जंतर मंतर दिल्ली में बेरोजगार आदमी अधिकार पार्टी जातिगत आरक्षण पर समीक्षा की मांग को लेकर एक  विशाल धरना प्रदर्शन करने जा रही है जिसमे पुरे दिल्ली में लोगो को सहयोग देने के लिए पार्टी के कार्यकर्त्ता घर घर जा कर लोगो को समर्थन देने के लिए अपील कर रहे हैं। इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य लखन गौतम जी ,राष्ट्रीय सचिव राजन झा जी , बुराड़ी विधान सभा अध्यक्ष श्री अंशुमान भरद्वाज जी, प्रदेश सचिव दिवाकर झा जी , श्री अरमान ग्रोवर जी इत्यादि  मौजूद थे।

इनराउट गणेशा से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति हासिल कर रही हैं : रीवा राठौड़

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कम ही उम्र में गायिकी में अपनी पहचान बनाने वाली रीवा राठौड़ को गायिकी धरोहर में अपने पिता व माता रूप कुमार राठौड़ और सोनाली राठौड़ से मिली। रीवा राठौड़ ने अपने परिवार के वंश के कदमों का अनुसरण करते हुए संगीत क्षेत्र में नाम और पहचान बना रही है। विश्व प्रसिद्ध बुद्ध बार लाउंज संगीत की 20 वीं वर्षगांठ पर रीवा का नए गीत ‘इनराउट गणेशा’ का समावेश हुआ है। रीवा कहती है कि,मैं खुशनसीब हूं कि मेरा संगीत और धुन दुनियाभर के लोगों के दिलों को छूने का प्रयास कर रहा है। मेरा प्रयास है कि संगीत की कला को बढ़ावा देने की दिशा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार काम करती रहूंगी। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां आज सीमाओं केवल मन में मौजूद हैं। मेरी इच्छा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगीत के कलाकारों के साथ काम करना है। मैं रोमांचित हूँ कि मेरे नए गाने को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह मिल गई है और अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है, रीवा कहती हैं।‘रीवा ने पांच साल की उम्र में पियानो सीखना शुरु किया था और 9 साल की उम्र में पहले गीत की रचना की थी। शांति शेल्डन मेरी पियानो शिक्षक थी और मैंने लंदन के रॉयल स्कूल से सभी 8 ग्रेड पूरे किए है। मेरे पिताजी मेरे महत्वपूर्ण सहायक हैं और मेरा जुनून हैं। जब मैं रियाज करती थी, तब वे सख्त रुप से निरीक्षण किया करते थे। पियानो के अलावा रीवा ने कारनेटिक वोकल म्यूजिक विश्व प्रसिद्ध बालामनी अय्यर और प्रसन्ना वारीयर से सीखा। पद्मभूषण पंडित राजन और साजन मिश्राजी से रीवा ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखा। रीवा के प्रेरक गायक हरिहरन है और वह उनसे समय-समय पर मार्गदर्शन लेती रहती है। ष्मैं एक संगीतकार और गायक हूं, जो मौजूदा अंतरराष्ट्रीय संगीत की प्रवृत्ति को प्रतिबिंबित करती हूँ।  हालांकि, अन्य संगीतकारों के गीत गाने के लिए सक्षम होने के लिए एक सौभाग्य की बात है - यह जीवन किसी और का संगीतमय इरादा है ‘रीवा स्पष्ट किया। इसके पहले रीवा ने अभिनेत्री नंदिता दास की स्पैनिश फिल्म ‘रासस्ट्रेस’ के लिए एक गीत की रचना की थी और स्वर भी दिये। 

फिल्म फेयर अवार्ड नोमिनेशन में शामिल हुई ‘तुरूप चाल’,

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फिल्म बनाना किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन जैसे ही उसकी लागत की बात आती है, लोगों के पसीने छूटने लगते हैं। लेकिन, एक फिल्म ऐसी भी है जो सिर्फ पांच हजार रुपए में बनकर तैयार हुई है। हम बात कर रहे हैं शॉर्ट फिल्म ‘तुरूप चाल’ के बारे में। यह फिल्म कैसी है इसका पता तो देखने के बाद चलेगा, लेकिन अपनी खासियत के कारण इस फिल्म ने जियो फिल्मफेयर शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के फाइनल में शामिल 44 फिल्मों में जगह बना लिया है। जियो फिल्मफेयर शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में ‘तुरूप चाल’ के अलावा मनोज बाजपेई, टिस्का चोपड़ा, आलोक नाथ, दीपक डोबरियाल, स्वानंद किरकिरे, आदिल हुसैन और राधिका आप्टे जैसे प्रतिष्ठित अभिनेताओं की भी फिल्में शामिल हैं। ‘तुरूप चाल’ इस लिए भी खास हो जाती हैं, क्योंकि इसे मात्र 5 हजार रूपए के बजट में साधारण से कैमरे से शूट किया गया है। इस फिल्म को अब तक एक लाख 72 हजार व्यूज मिल चुके हैं। व्यूज के मामले में पहले नंबर पर सनी लियोनी, आलोक नाथ और दीपक डोबरियाल की फिल्म ‘11 मिनिट’ चल रही है।

‘तुरूप चाल’ को लेकर इस फिल्म के निर्देशक सुमित कुमार कहते हैं कि हमारी फिल्म सीमित बजट में तैयार हुई है। वो बताते हैं कि ‘इसे उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर बनाया है। महज 15 दिन में पूरी फिल्म बनकर तैयार हुई है। इस फिल्म में केवल 5 किरदार हैं।   फिल्म का निर्देशन सुमित कुमार ने किया है और फिल्म न्यू प्रोपेगेंडा मोशन पिक्चर के बैनर तले बनी है और व्यूज के मामले में दूसरी पोजीशन पर पहुंच चुकी है। फिल्म के मुख्य किरदार में अनूप गोसांई,विजय श्रीवास्तव,जसपाल शर्मा,सुशील हैं। फिल्म के एसोसिएट निदेशक - सुमित गुलाटी, और फोटाग्राफी किशोर रावत है। 

क्या है इस फिल्म की कहानी
तुरूप चाल की कहानी एक कॉमन मैन लक्ष्य, एक फायनेंसर श्याम और पुलिसवाले यादव के इर्द-गिर्द घूमती है। एक आदमी जो ईमानदारी से जीना चाहता है, लेकिन परिस्थितियां उसके खिलाफ हैं। लक्ष्य घर से अपने लोन की रकम चुकाने निकलता है और जब फायनेंसर श्याम के पास पंहुचता है तब तक उसके पैसे चोरी हो जाते हैं। इसके बाद इस कहानी में एक पुलिसवाले यादव की एंट्री होती है। फायनेंसर और पुलिसवाला उसे जलील करते हैं। एक सीन में नकली रसीद लेने के सवाल पर कॉमन मैन लक्ष्य कहता है- ‘पक्की लेता तो दस फीसदी देना पड़ता और ...क्या सारे देशभक्ति की जिम्मेदारी मेरी ही है?’ ऐसे सवाल आम आदमी के जेहन में अक्सर आ ही जाते हैं? फिल्म एक अनएक्सपेक्टेड क्लाइमैक्स के साथ खत्म होती है। 

झारखण्ड : चमरा बहियार हुआ प्रथम कैशलेस ट्रान्जेक्शन सक्षम पंचायत

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नोटबंदी से परेशान पूरे भारतवर्ष में पिछले डेढ़ महीनें से जहाँ एक ओर आम नागरिकांे की पूरी व्यवस्था ही थम चुकी थी। मात्र दो हजार रुपये की निकासी के लिये महानगरों से लेकर गाँव-कस्बों तक बैंक एटीएम के समीप घंटों कतारबद्ध नागरिकों को देखा जाता था। न्यूनतम जरुरत की चीजें लोग खरीद पा सकने में असमर्थ थे। वहीं कैशलेस व्यवस्था से ट्रान्जेक्शन की तैयारी में झारखण्ड की उप राजधानी का चमरा बहियार पंचायत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धी हासिल की।  परिणाम सुखद भी रहा। इस जिले का प्रथम कैशलेस विनिमय सक्षम पंचायत के रुप में क्रिसमस का गिफट चमरा बहियार पंचायत को प्राप्त हुआ। अब इस पंचायत के लोग पूरी तरह कैशलेस विनिमय कर सकेगें। नया वर्ष इस पंचायत के लिये काफी अहम होगा। चाहे दो जून रोटी के लिये आटा-दाल, चावल की व्यवस्था करनी हो या फिर साग-शब्जी से लेकर सोना-चाँदी, कपड़ा-किताब या फिर अन्य चीजों की। सारी चीजें कैशलेस होगीें। नकद रुपये से खरीद-बिक्री की प्रथा का अंत हो चुका है। पंचायत के लोगों में ऐसी जागरुकता देखकर यह सहर्ष अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग अब पुरानी व्यवस्था से उब चुके हैं। उन्हें विनिमय की नई व्यवस्था चाहिए, तभी तो पंचायत की मुखिया पूनम मरांडी खुद को काफी गौरवान्वित महसूस करती हैं। 

वे कहती हैं-जिस पंचायत में शिक्षा की रौशनी से अब भी काफी लोग दूर हैं, उस पंचायत में कैशलेस ट्रान्जेक्शन व्यवस्था ने अपना परचम लहराया। पंचायत की अन्य आदिवासी महिलाओं का तहेदिल से वह आभार प्रकट करती है, जिन्होनें अपना बहुमूल्य समय इस कार्य के लिये अर्पित किया। रात-दिन की मेहनत का ही नजीता रहा कि यह कार्यक्रम सफल हो सका। सूबे की उप राजधानी दुमका के जरमुण्डी प्रखंडान्तर्गत पंचायत चमरा बहियार कैशलेस विनिमय सक्षम पंचायत के रूप में घोषित हो गया। क्रिसमस व बड़ा दिन के शुभ अवसर पर जिले के डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने इस पंचायत को प्रमाण-पत्र देकर इसकी घोषणा की। पाँच हजार से अधिक आबादी व एक हजार से अधिक परिवार वाला पंचायत का यह गांव प्रथम कैशलेस विनिमय के लिए डिजीटल इंडिया कार्यक्रम के तहत जिले के प्रथम गाँव के रुप में सूचीबद्ध हो गया है। पिछले 24 दिनों से जिला प्रशासन, प्रज्ञां केन्द्र व विभिन्न बैंकों के बैंककर्मियों ने रात-दिन की मेहनत से कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिये इस पंचायत को सक्षम पंचायत बनाया। कुल ग्यारह गांवों के इस पंचायत में रहने वाले लोगों  को कैशलेस विनिमय का प्रशिक्षण पिछले कई दिनों से दिया जा रहा था। इसमें क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकों सहित जनप्रतिनिधियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। घर-घर जागरुकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को इसकी जानकारी दी गई। एक अभियान के रुप में लेकर प्रशासनिक पदाधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों, बैंककर्मियों, व्यवसायियों, दूकानदारों व पढ़े-लिखे नौजवानों ने औरत-मर्द, युवाओं व बच्चों तक में इसकी जागरुकता फैलाई। विद्यालयों, महाविद्यालयों, आँगनबाड़ी केन्द्रों, जल सहियाओं, कृषक मित्रों व पंचायत प्रतिनिधियों को इसके लिये उत्साहित किया गया। उन्हें इस बात का अहसास दिलाया गया कि मोबाईल ट्रान्जेक्शन, आधार कार्ड व स्वाईप मशीनों से चीजों का क्रय-विक्रय काफी आसान ही नहीं बल्कि सुरक्षित भी है। पहले लोग नोट के माध्यम से विनिमय का कार्य किया करते थे। रुपये रखने से असुरक्षा की स्थिति बनी रहती थी। रुपये लूट जाने, खो जाने अथवा चोरी हो जाने का भय बना रहता था। जान का खतरा रहता था बना सो अलग। कैशलेस ट्रान्जेक्शन से उपरोक्त का कोई डर नहीं रह जाऐगा। ऐसे जागरुकता कार्यक्रम से ग्रामीणों में एक विश्वास पैदा हुआ। एक अद्भुत जागृति आयी। रुचि से इस व्यवस्था को अपनाने के लिये लोग आगे आने लगे। युवाओं, मर्दों की तुलना में औरतों व युवतियों ने काफी दिलचस्पी दिखलाई। प्रशासन के सहयोग के लिये खुशी-खुशी स्वीकृति दे दी। अंततः यह सपना साकार हुआ। डीसी, दुमका राहुल कुमार सिन्हा ने चमरा बहियार पंचायत के पंचायत भवन में इस कार्यक्रम  की सफलता के लिये ग्रामीणों का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा पैसे को घर में सुरक्षित रखने व पुरखों की तरह बचत करने का जमाना अब नहीं रहा। पैसे की अहमियत को समझने की जरुरत है। घर में रखने के बजाय बाजार में व्यवसाय के माध्यम से अधिक से अधिक धन उपार्जित किया जा सकता है। इससे ग्रामवासियों का ही भला होगा। घर की अपेक्षा बैंक में  पैसे ज्यादा सुरक्षित रहेगें। 

चलंत मुद्रा से ही समाज के लोगों की भलाई होगी। वैसी मुद्रा जो सरकार की नजरों से छुपाकर रखी जाती हैं उन्हें खत्म करने के लिए व देश को विकास की राह पर ले जाने में कैशलेस विनिमय महत्वपूर्ण भूमिका निभाऐगी। उन्होने कहा कुछ ही दिनों में इस पंचायत में परिवर्तन दिखने लगा है। फोन आपका साथी बनेगा। सब लोग एक साथ मिलकर देश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए कैशलेस भुगतान करें। चुनौतियां हैं, किन्तु हमें आगे बढ़ना होगा। व्यवसायियों से कहा कि नोटबंदी के तुरंत बाद बड़ी मुद्राओं के बंद हो जाने से सभी तरह के व्यवसाय में गिरावट आयी थी, किन्तु व्यवसायियों ने भी कैशलेस ट्रांजेक्शन को अपनाया। उन्होंने कहा सिर्फ हमारे चाह लेने से या फिर समझ लेने से कुछ नहीं होगा। इस महायज्ञ में आम आदमी की सौ फीसदी भागीदारी होगी तभी यह प्रयास सफल होगा। पंचायत को कैशलेस विनिमय के लिए तैयार करना थोड़ा कठिन जरूर था, किन्तु ग्रामीणों की रूची ने इसे आसान बना दिया। उप निदेशक जन सम्पर्क अजय नाथ झा का कहना था, वर्तमान समय की यह सबसे बड़ी जरुरत है। अब बैंकों में लाईन लगाने की जरूरत नहीं है। पूरी दूनिया आपके मोबाईल में सुरक्षित है, आप की उंगलियाँ दबी कि आपका काम हो जाऐगा प्रारंभ। घर बैठे हजारों का लेन-देन आसानी से कर सकेगें। चीजें पुरानी है, बस इसका आधुनिकीकरण किया गया है। बैंक कर्मियों की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण है। बैंककर्मी स्वस्थ मन से अपने कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करते तो यह जिला ऐसी अद्भुत उपलब्धी से दूर ही रहता। बैंककर्मियों ने कहा शीघ्र ही पंचायत के प्रत्येक व्यक्ति को डेविट कार्ड उपलब्ध करा दिया जाऐगा। बैंक मैनेजर शिव कुमार अपने जीवन की यह एक बड़ी उपलब्धी मानते हैं। जिला सूचना विज्ञान पदाधिकारी रवि रंजन भी इसे बेहतर तकनीक कहते हैं। उनका कहना है, वर्तमान व्यवस्था में यह तकनीक महत्वपूर्ण व ग्राहय है। बीडीओ जरमुण्डी संजय कुमार दास ने कहा ग्रामीणों की सहभागिता व उनके अथक प्रयासों का का परिणाम है कि दुमका जिला का यह पंचायत कैशलेस पंचायत के रुप में सूबे में अव्वल बना। जिला का पहला कैशलेस पंचायत चमरा बहियार क्रिसमस से कैशलेस काम करना प्रारंभ कर दिया है। यह एक महत्वपूर्ण शुरूआत है। पंचायत की मुखिया पूनम मरांडी मानती हैं कि पंचायत में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसके पास मोबाईल, आधार कार्ड व बैंक खाता की सुविधा न हो, ऐसे में इस तकनीक के उपयोग में किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। यह दिगर बात है कि शुरुआती दौर में किसी भी नई चीज को अपनाने में थोड़ी परेशानी होती ही है, लेकिन पंचायतवासी तमाम तरह की परेशानियों को दूर कर कैशलेस ट्रान्जेक्शन की प्रक्रिया को अपनायेंगे। दूसरों को भी अपनाने के लिए पे्ररित करेंगे। डीसी दुमका ने पंचायत वासियों को इसके लिये धन्यवाद दिया व उनकी प्रशंसा की। अंचलाधिकारी परमेश कुशवाहा, पंचायत के सभी गांवों के ग्रामीण, व्यवसायी एवं युवाओं ने जिला प्रशासन की ओर से इसे एक अद्भुत पहल बतलाया। 




(अमरेन्द्र सुमन)

बाप पार्टी ने 15 जनवरी को जातिगत आरक्षण के खिलाफ आंदोलन करने का किया ऐलान।

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आज दिनांक 27 दिसंबर को बेरोजगार आदमी अधिकार पार्टी की बैठक राष्ट्रीय कार्यालय में की गयी। जिसमे आगामी 15 जनवरी को जंतर मंतर पर जातिगत आरक्षण के खिलाफ धरना प्रदर्शन को सफल बनाने  पर चर्चा किया गया। बैठक की अध्यक्षता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीतेश पाठक ने किया। बाप पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीतेश पाठक ने कहा की बाप पार्टी 15 जनवरी के धरना प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए पुरे देश भर के कार्यकर्त्ता इसमे भाग लेंगे। बाप पार्टी जातिगत आरक्षण तथा बेरोजगारी को देश से मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए वो सरकार को जातिगत आरक्षण पर समीक्षा करने की मांग करेगी तथा केंद्र सरकार द्वारा आरक्षण की समीक्षा करने के लिए कमिटी गठित करने की मांग करेगी। तथा उन्होंने ये भी  कहा की इस आंदोलन में युवाओं का आवाहन किया गया है क्योंकि हमारा देश एक युवा दॆश है कोई भी क्रांति युवाओं के साथ के बिना सफल नहीं हो सकती। आज देश में जातिगत आरक्षण के  नाम पर बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया जा रहा है इसलिए बेरोजगारों को अपने ही देश में नौकरी नहीं मिलती और उन्हें विदेश जाकर नौकरी करनी पर रही है। 

इस बैठक में बाप पार्टी के सचिव श्री राजन झा भी मौजूद थे तथा उन्होंने बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की ये लड़ाई देश के बेरोजगारों को उनका अधिकार दिलवाने के लिए है जिसमे पुरे देश को एक बार फिर से साथ आना होगा और केंद्र सरकार को खुद संज्ञान लेते हुवे जातिगत आरक्षण पर समीक्षा के लिए कमिटी का गठन किया  जाना चाहिए। आज देश काला धन के खिलाफ जिस तरह नोट बंदी का फैसला लिया गया जिसमे लोगो को थोड़ी तकलीफ हुई लेकिन देश हित में देश की जनता ने इसे स्वीकार किया है उसी तरह जातिगत आरक्षण देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है इसके खिलाफ तुरंत एक सर्जिकल स्ट्राइक होना चाहिए और हमे विश्वास है देश की जनता इसे भी स्वीकार करेगी। इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महा सचिव श्री दिव्यांशु त्रिपाठी , राष्ट्रीय सचिव हबीब खान ,राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री कृपाशंकर तिवारी जी , राष्ट्रीय कार्यकारिणी श्री लखन गौतम जी , दिल्ली प्रदेश युवा अध्यक्ष श्री दीपांकुर सोंधी जी , प्रदेश महा सचिव श्री प्रयलयंकर झा जी इत्यादि मौजूद थे।

राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद 03 जनवरी को मधुबनी में !

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मधुबनी, 29 दिसम्बर, 2016ः बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद 03 जनवरी, 17 को बेनीपट्टी आ रहे हैं। महामहिम 11ः00 बजे पूर्वाह्न हेलिकाॅपटर से बेनीपट्टी आएंगे। वे वहाँ डा0 नीलांबर चैधरी महाविद्यालय में प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में भाग लेंगे तथा उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करेंगे। 12ः00 बजे अपराह्न महामहिम हेलिकाॅपटर से पटना प्रस्थान कर जाएंगे।

महामहिम के आगमन को लेकर जिला पदाधिकारी, मधुबनी ने अपने कार्यालय कक्ष में बैठक की। बैठक में एस.पी. श्री दीपक बरनवाल, विधान परिषद सदस्य श्री दिलीप कुमार चैधरी, डी.डी.सी. श्री हाकिम प्रसाद, अपर समाहत्र्ता श्री दुर्गानंद झा, ए.एस.पी. श्री अजय कुमार पांडेय, एस.डी.ओ., एस.डी.पी.ओ. बेनीपट्टी, डी.सी.एल.आर., बी.डी.ओ., सी.ओ., बेनीपट्टी शिक्षा विभाग के डी.पी.ओ., काॅलेज के प्राचार्य आदि उपस्थित थे।

फिल्म समीक्षा : दंगल रेटिंग 4 स्टार

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खेल पर बहुत सारी फिल्में बनी हैं लेकिन ‘दंगल’ फिल्म सबसे अलग है. इसे फिल्म को ज्यादा फिल्मी ना बनाते हुए डायरेक्टर नितेश तिवारी ने इस तरह परदे पर उकेरा है कि हर सीन, हर एक्सप्रेशन, हर डायलॉग सब रियलिस्टिक लगते हैं. फिल्मी मसाला ना होते हुए भी दो घंटे 50 मिनट की ये फिल्म आपको बांधे रखती है। फिल्म के हर सिचुएशन के साथ आप खुद को जोड़कर देखने लगते हैं। फिल्म में कॉमिक टाइमिंग इतनी सटीक है कि आप हंसते भी हैं और इमोशनल सीन में रोते भी हैं।   ‘दंगल’ हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट के जीवन पर आधारित फिल्म है. एक बेटे के इंतजार में महावीर सिंह फोगट की चार बेटियां पैदा हो जाती हैं. महावीर सिंह को बेटा चाहिए क्योंकि वो अपना सपना अपने बेटे से साकार करना चाहता है. लेकिन सारे टोटके आजमा चुके फोगाट को उस समय जिंदगी में ‘किक’ मिलती है जब उसकी बेटियां अपने दांव-पेच से एक लड़के को पीट देती हैं. (ये एकदम वही वाली किक है जो सलमान खान अपनी फिल्म में ढ़ूढ रहे होते हैं.) इसके बाद ही महावीर सिंह अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती के गुर सिखाकर उन्हें रेसलिंग का चैंपियन बनाता है.

लेकिन इस बीच किन उतार-चढ़ाव से उसे गुजरना पड़ता है और कितनी जलालत झेलनी पड़ती है ये भी दिखाया गया है. जैसा कि एक डायलॉग आपने ट्रेलर में देखा होगा कि ‘मेडलिस्ट पेड़ पर नहीं उगते, उन्हें बनाना पड़ता है  प्यार से, मेहनत से, लगन से३.’. इस फिल्म की ये एक लाइन अपने आप में सारे दर्द बयां कर जाती है. बाप-बेटी के रिश्ते पर बनी ये फिल्म उनके प्यार, तकरार और फटकार तक सब कुछ दिखाती है. फिल्म में रेसलिंग के कुछ ऐसे शॉट्स हैं, जिन्हें देखते समय आप अपनी सांसे रोक लेते हैं। फिल्म के एक सीन में दिखाया गया है कि महावीर सिंह फोगट और उनकी बेटी गीता के बीच अहम्ं आ जाता है और दोनों कुश्ती लड़ते हैं। ये सीन बहुत ही इमोशनल और आंखों में आंसू ला देने वाला है। ऐसे ही फिल्म में रेसलिंग के कई सीन हैं जो दर्शक दिल थाम कर देखने को मजूबर हो जाता है.

ये डायरेक्टर की चतुराई ही है कि फिल्म में रेसलिंग की कुछ बारीक बातें ऐसे बता दी गई है जिससे दर्शकों को भी समझने में परेशानी ना हो. जैसे कि रेसलिंग में कब कितने प्वाइट्स मिलते हैं. फिल्म में बारीक चीजों पर भी मेहनत की गई है ताकि सीन परफेक्ट बनाया जा सके. करीब दो घंटे 50 मिनट की इस फिल्म में आप कही भी बोरियत महसूस नहीं करेंगे. इस फिल्म में अपनी मंझी हुई और बेहतरीन एक्टिंग से आमिर खान ने ये साबित कर दिया है कि उन्हें मिस्टर परफेक्शनिस्ट यूं ही नहीं कहा जाता. इस भूमिका को जीवंत करने के लिए आमिर खान ने महावीर सिंह की जिंदगी को जिया है. उनकी तरह अधेड़ दिखने के लिए आमिर ने अपना वजन बढ़ाया है, उनकी तोंद निकली हुई है. उनकी चाल, ढाल और बोली सब ऐसे बदल गई है जिसे देखकर आप भूल जाएंगे कि आप एक सुपरस्टार को देख रहे हैं।

इस फिल्म में गीता और बबीता के बचपन का रोल जायरा वसीम और सुहानी भटनागर ने किया है तो वहीं बड़े होने के बाद की भूमिका फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा ने किया है. यहां अगर जायरा की बात ना करें तो बेमानी होगी. जायरा ने गीता को भूमिका को मजबूती दी है तो फातिमा ने उसे दमदार बना दिया है। जायरा अपने रौबदार एडिट्यूड से गीता की भूमिका को और भी धाकड़ बना देती हैं.

इस फिल्म में सिर्फ आमिर खान परफेक्ट नहीं बल्कि उन्हीं की तरह इन चारों छोरियों ने भी अपना परफेक्शन दिखलाया है. इस रोल के लिए इन्होंने कई महीनों तक ट्रेनिंग ली है और वो मेहनत पर्दे पर साफ झलकती है।इस फिल्म में सांक्षी तवर ने पास जितना कुछ भी है उन्होंने अच्छा किया है. इसमें महावीर सिंह फोगट के भतीजे की भूमिका में अपारशक्ति खुराना ने जान भर दी है। रिलीज से पहले इस फिल्म की सलमान खान की ‘सुल्तान’ से काफी तुलना हो रही थी। लेकिन ‘दंगल’ और ‘सुल्तान’ में स्टोरी से लेकर एक्टिंग तक, कोई तुलना ही नहीं है.। दोनों फिल्में रेसलिंग पर जरूर बनी है लेकिन एक जैसा कुछ भी नहीं है. ‘सुल्तान’ में लव स्टोरी थी तो वहीं ये फिल्म बाप और बेटी के रिश्तों पर बनी है। फिल्म का एक डायलॉग जरूर ‘सुल्तान’ की याद दिलाता है जिसमें नैरेटर आमिर खान के बारे में बताता है, ‘वो पहलवानी छोड़ चुके हैं लेकिन पहलवानी ने उन्हें नहीं छोड़ा है.’। ऐसा ही एक डायलॉग ‘सुल्तान’ में था, ‘मैंने पहलवानी जरूर छोड़ी है पर लड़ना नहीं भूला हूं.’

इस फिल्म में प्रीतम ने म्यूजिक दिया है और अमिताभ भट्टाचार्य ने गानों के बोल लिखे हैं. सभी गाने बहुत ही शानदार हैं. ‘हानिकारक बापू’, ‘धाकड़’ और ‘गिल्हेरियां’ पहले ही पॉपुलर हो चुके हैं. अरिजित सिंह की आवाज में एक गाना है ‘नैना’ जो रूला जाता है। ये फिल्म एक महावीर सिंह के संघर्ष, गीता-बबीता के मेहनत और लगन की कहानी दिखाने के साथ-साथ समाज में एक संदेश भी दे जाती है कि अब छोरिया किसी मामले में कम नहीं हैं. जैसा कि फिल्म में एक डायलॉग भी है ‘गोल्ड तो गोल्ड होता है छोरा लावे या छोरी’ अब आप इस फिल्म को बेटियों के के लिए देखें, आमिर खान के लिए देखें या फिर गीता-बबीता की भूमिका में जान भरने वाली फातिमा-सान्या के लिए देखें. कुछ नहीं तो ये फिल्म कुछ  समय के लिए तो आपको नोटबंदी के दर्द से उबरने में जरूर मदद करेगी

’स्टार कास्टः आमिर खान, सांक्षी तवर, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, जायरा वसीम, सुहानी भटनागर, अपारशक्ति खुराना डायरेक्टरः नितेश तिवारी

दो दिनों तक महामना के विचारों पर अर्थिक संगोष्ठी

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नई दिल्ली।  महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के कीर्तिकलश काशी हिंदू विश्वविद्यालय अपने स्थापना का शताब्दी वर्ष समापन समारोह 25 दिसंबर को मना रहा है। इस उपलक्ष्य में विज्ञान भवन में दो दिवसीय समारोह का आयोजन किया जाएगा। महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय महामंत्री हरी शंकर सिंह ने कहा कि 25 और 26 दिसंबर, 2016 को अंतर्राष्ट्रीय  काशी हिंदू विश्वविद्यालय पुरा छात्र सम्मेलन और अभ्युदय भारत संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। उद्घाटन 25 दिंसबर, 2016 को सुबह 10 बजे किया जाएगा। इस दो दिवसीय समारोह में कई केंद्रीय मंत्री और राष्ट्ीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक अपने-अपने विचार रखेंगे। उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर, 2016 को सायं साढे पांच बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमेें पद्मभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्रा जी एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र सांस्कतिक की प्रस्तुति देंगें।

डाॅ वेद प्रकाश सिंह ने कहा कि महामना मालवीय मिशन अपने स्थापना काल से ही महामना के विचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि महामना के कीर्तिकलश काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के बारे में उनकी दृष्टि, प्रत्येक भारतीय के लिए वैज्ञानिक ज्ञान की उपलब्धता कराने की दिशा में एक ठोस पहल थी। वैज्ञानिक, मानव संसाधन और क्षमता का आधार तैयार करना विश्वविद्यालय का केंद्रीय उद्देश्य रहा है। जब औपनिवेशिक सत्ता भारतीयों की तकनीकी शिक्षा पर ध्यान नहीं दे रही थी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने ही इस दिशा में पहल की थी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के मूल उद्देश्यों में से एक था कि विज्ञान तथा तकनीकी ज्ञान का उन्नयन। आज हमारी सरकार और प्रधानमंत्री भी इस पर जोर दे रहे हैं। 

वहीं, महामना मालवीय मिशन के वित्त समिति के सह-संयोजक श्री धनंजय गिरि जी ने कहा कि सौ वर्षों में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने अखिल विश्व में अपना परचम लहराया। महामना ने जिसका बीज रोपा था, आज वह वृक्ष लहलहा रहा है। पुनर्जागरण काल में शिक्षा में होने वाले बदलाव में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने शिक्षा में प्राचीन भारतीय मूल्यों एवं मानदंडों के साथ आधुनिक ज्ञान व विज्ञान का बेहतरीन समन्वय किया। महामना के शिक्षा दर्शन का अनुसरण कर देश की शिक्षा को नई दिशा दी जा सकती है

विशेष आलेख : चंदे की पारदर्शिता के लिये क्राउडफंडिंग

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विदेशी चंदा नियमन कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले बीस हजार गैर सरकारी संगठनों को विदेश से पैसा लेने के अयोग्य करार देने का फैसला यही बता रहा है कि सेवा के नाम पर हमारे देश में किस तरह का गोरखधंधा जारी था। न केवल विदेशी चंदा बल्कि देश में ही सेवा एवं जनकल्याणकारी प्रवृत्तियों एवं धार्मिक चंदे के नाम पर धांधलियां एवं आर्थिक अनियमितताएं व्याप्त हैं। इतनी बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठनों को विदेश से पैसा लेने से रोके जाने के बाद भी देश में ऐसे संगठनों की सक्रियता जारी रहने वाली है। हमारे देश में कालेधन को सफेद करने का यही एक जरिया रहा है। इसके समाधान के लिये क्राउडफंडिंग एक प्रभावी प्रक्रिया है। क्राउडफंडिंग एक आधुनिक सौगात है। इसको लेकर कुछ नये स्टार्टअप बहुत उत्साहित हैं और इसे देश में स्थापित करना चाहते हैं। विदेशों में यह लगभग स्थापित हो चुकी है। भारत में इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों, जनकल्याण उपक्रमों और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। अब तो महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा एवं बचाव के लिये भी इसे कारगर मानकर उपयोग हो रहा है। यह भारतीय चन्दे का आयात किया हुआ एक स्वरूप है, एक प्रक्रिया है। जिसमें पारदर्शिता के साथ-साथ वैधानिकता भी बनी रहती है। दरअसल यही वह उपाय है जिससे सही ढंग से काम करने वाले गैर सरकारी संगठन बदनामी से बचे रह सकते हैं। अभी हो यह रहा है कि गड़बड़ी कुछ संगठन करते हैं और संदेह की निगाह से अन्य सभी देखे जाते हैं।

भारत में ‘क्राउडफंडिंग’ का चलन तेजी से बढ़ रहा है। भ्रष्टाचार एवं कालेधन पर नियंत्रण के लिये ही नोटबंदी लागू की गयी है और उसे सफल बनाने के लिये तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक चंदे और जनकल्याणकारी गतिविधियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों में क्राउडफंडिंग एवं आॅनलाइन चंदे को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। सामाजिक एवं जनकल्याणकारी योजनाओं के लिये भी इसी माध्यम से पैसा जुटाने से गैर-सरकारी संगठनों की आर्थिक अनियमितताएं काबू में आयेगी। हाल ही में अनेक क्षेत्रों में प्रभावी प्रस्तुति एवं हिस्सेदारी के लिये क्राउडफंडिंग मंच इम्पैक्ट गुरु ने आॅनलाइन चंदे एवं क्राउडफंडिंग के सफल उपक्रम किये हैं।  इम्पैक्ट गुरु के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रवक्ता, पीयूष जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विमुद्रीकरण से देश के युवाओं में उत्साह है। आने वाला समय ईमानदारी, पारदर्शिता एवं आर्थिक शुचिता का होगा। न केवल व्यवसाय बल्कि सेवा का क्षेत्र भी युवाओं के लिये स्वर्णिम बनकर प्रस्तुत होगा। आॅनलाइन लेन-देन से आर्थिक क्षेत्र में मजबूती आयेगी और इससे क्राउडफंडिंग को बढ़ावा मिलेगा।

पीयूष जैन के अनुसार चंदे एवं क्राउडफंडिंग में जो मूल फर्क देखने को मिलता है, वह यह है कि चन्दा प्रायः धार्मिक कार्यों के लिये ही दिया जाता रहा है जबकि क्राउडफंडिंग का क्षेत्र व्यापक है और इसमें धार्मिक कार्यांे के साथ-साथ अन्य सार्वजनिक कार्य या व्यावसायिक कार्य जैसे पुल बनवाना, मोहल्ले की सफाई कराना, सड़क बनवाना, महिलाओं की सुरक्षा करना या फिर फिल्म बनाने का काम हो, या पत्रकारिता से जुड़ा उपक्रम हो, इनमें क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल अब आम हो गया है।  पीयूष जैन भारत में क्राउडफंडिंग के भविष्य को लेकर बहुत आशान्वित है। नोटबंदी का इस पर सकारात्मक प्रभाव पडेगा। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार भारत में क्राउडफंडिंग के लिए लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है। वर्ष-2014 में 167 प्रतिशत इजाफे के साथ 16.2 करोड़ डाॅलर रहा। वर्ष-2015 में यह 34.4 करोड़ डाॅलर हो गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में दुगुना है। इन आंकड़ों से उजागर होता है कि क्राउडफंडिंग के प्रति दुनिया में न केवल बड़े दानदाताओं में बल्कि मध्यमवर्ग में भी देने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। 

इम्पैक्ट गुरु की कार्ययोजना को आकार देने के लिये गंभीरता से जुटे पीयूष जैन का मानना है कि भारत में नोटबंदी से कालाधन पर अंकुश लगेगा और देश डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ेगा। लेकिन नकद रहित प्रणाली की ओर बढ़ने में थोड़ा समय लगेगा। इम्पेक्ट गुरु आॅनलाइन लेन-देन को बढ़ावा देगा और क्राउडफंडिंग भारत के लोगों में दान की परम्परा को एक नई शक्ल देगा। दान में बरती जा रही धांधली को रोका जायेगा। चंदे को आॅनलाइन किया जायेगा। बड़े दानदाता ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे दान को प्रोत्साहन किया जा सकेगा। मध्यमवर्ग के लोगों में भी दान देने का प्रचलन बढ़ाना हमारा लक्ष्य है। विशेषतः युवकों मंे जनकल्याण एवं सामाजिक परिवर्तन के लिए दान की परम्परा के प्रति आकर्षण उत्पन्न किया जाएगा, जिसके माध्यम से सेवा और जनकल्याण के नये उपक्रम संचालित हो सकेंगे। आर्थिक बदलावों में देश बदल रहा है। हौले-हौले नहीं, तेज रफ्तार के साथ ये परिवर्तन जारी है। बदलाव भी ऐसा, जिससे बेहतरी की उम्मीद जागी है। परिवर्तन की ये बयार महसूस की जा सकती है, क्योंकि बदलाव ढंका-छुपा नहीं है। दफ्तर, घर, बाजार, शहरों, गलियों, माॅल-सिनेमाहाॅल, धर्मस्थलों से लेकर शेयर के उतार-चढ़ाव, फिल्मों और टेलिविजन तक, हमारे व्यक्तिगत संबंधों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक रिश्तों के वितान तक परिवर्तन की छाप गहरे पड़ी है। हर कोई देश को ईमानदारी की डगर पर ले जाने को आतुर है। 

हमारे देश में अभी 13 हजार ऐसे संगठन हैं जो विदेश से पैसा लेने में समर्थ हैं उसी तरह हजारों ऐसे संगठन भी हैं जो विदेशी पैसे पर निर्भर नहीं हैं। सबसे पहले तो यही समझना कठिन है कि देश में बेहिसाब संख्या में गैर सरकारी संगठन क्यों हैं? कहीं इसलिए तो नहीं कि सेवा के नाम पर गैर सरकारी संगठन बनाना एक धंधा बन गया है? कालेधन को सफेद करने का यह सशक्त एवं बहुप्रचलित माध्यम बन गया है। कई गैर-सरकारी संगठन किसी अन्य देश या बहुराष्ट्रीय कंपनी के इशारे पर देश- विरोधी काम करते हैं। किसी भी ऐसे गैर सरकारी संगठन के अस्तित्व में होने का कोई औचित्य नहीं जो किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त है। प्रत्येक गैर सरकारी संगठन के आय-व्यय के पूरे हिसाब की जांच-परख के साथ ही यह भी देखे जाने की जरूरत है कि वे अपना घोषित कार्य वास्तव में कर रहे हैं या नहीं? केंद्र सरकार को विदेश से पैसा पाने वाले उन संगठनों पर विशेष निगाह रखने की जरूरत है जो धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में संलग्न रहते हैं। इस अंदेशे को दूर किए जाने की जरूरत है कि कहीं ऐसे संगठन चोरी-छिपे धर्मातरण या देश-विरोधी गतिविधि को तो बढ़ावा नहीं देते। चूंकि गैर सरकारी संगठन बड़ी आसानी से खुद को सिविल सोसाइटी में तब्दील कर लेते हैं इसलिए कई बार उनकी अनुचित गतिविधियों पर रोक लगा पाना मुश्किल होता है। बेहतर होगा कि केंद्र सरकार हर किस्म के गैर सरकारी संगठनों के नियमन और उनके कामकाज की निगरानी के लिए किसी सक्षम नियामक संस्था का गठन करे। इससे ही सेवा के नाम पर दुकान चलाने वालों पर अंकुश लग सकता है। 

पीयूष जैन के अनुसार सोशल मीडिया की आम आदमी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हर आदमी फेसबुक से जुड़ा हुआ है और उसकी स्वतंत्र डिजिटल जीवनशैली भी है, जो उसे अधिक सामाजिक बनाती है। इम्पैक्ट गुरु दुनिया का पहला ऐसा डिजिटल मंच है जो जनकल्याणकारी कार्यों के लिए पैसा जुटाने और ऐसे ही उपक्रमों के लिए साझेदारी निभाने के लिए तत्पर है। जितनी जल्दी अर्थव्यवस्था डिजिटल अर्थव्यवस्था बनती है, बर्बादी कम होगी, उत्पादकता बढ़ेगी तथा कालाधन पर अंकुश लगेगा। आज जबकि पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है क्योंकि नयी दुनिया बनाने में मोदी के साथ-साथ युवाओं की हिस्सेदारी उल्लेखनीय बनकर प्रस्तुत हो रही है। जब जीवन से जुड़ा हर तार बदल रहा है तो समाज पहले जैसा कैसे रहता? नोटबंदी ने समाज को भी पूरी तरह बदल दिया है। इस बदलाव को सकारात्मक मोड़ देने में क्राउडफंडिंग का भारत में बढ़ना एवं इम्पैक्ट गुरु के नये-नये उपक्रमों में आम-जनता का आकर्षण पैदा होना जरूरी है।



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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई॰ पी॰ एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
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सन्दर्भ : नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात

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30 दिसंबर तक की मोहलत खत्म होने से पहले जेएनयू पर हमला नोटबंदी के सर्जिकल स्ट्राइक से,कैशलैस डिजिटल इंडिया से,दिवालिया बैंकिंग,लाटरी अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाने का मास्टर स्ट्रोक तो नहीं है?रोहित वेमुला को भूलने की तरह फिर छात्र युवा देश भर में कत्लेआम के स्थाई बंदोबस्त को तो नहीं भूल रहे हैं?क्या संघ परिवार के पाले में बैठे बहुजन बुद्धिजीवियों के लिए नोटबंदी के जवाब में फिर अस्मिता राजनीति के समरसता उफान का यह मौका नहीं है?हम नहीं जानते हैं।आप?

इस पर तुर्रा यह कि फासिज्म के राजकाज राजकरण के समय में विपक्ष का चेहरा फिर वही ममता बनर्जी या फिर अरविंद केजरीवाल है।भूमिगत अन्ना ब्रिगेड परदे के पीछे सक्रिय है।यह अजब गजब स्वदेशी जागरण है।
दीदी के कैबिनेट में सिरे से बहुजनों का कोई रोल नहीं है और बंगाल में जीवन के किसी भी क्षेत्र में बहुजनों का कोई चेहरा नहीं है।दीदी के फेसबुक स्टेटस पर हिंदुत्व का महोत्सव है।केजरीवाल अन्ना ब्रिगेड की पूंजी फिर आरक्षण विरोध है।संघ परिवार के अगले प्रधानमंत्रित्व का दावेदार फिर वही केजरीवाल है। दीदी ने लोकसभा विधानसभा चुनाव में वामपक्ष के साथ कांग्रेस को ठिकाने लगाने के लिए बंगाल का मुकम्मल केसरियाकरण कर दिया।कांग्रेस बंगाल में साइन बोर्ड है।नादानी की क्या कहें कि उन्हीं मोदी दीदी गठबंधन के मुकाबले कांग्रेस की फिर सत्ता में वापसी की तमन्ना है।

दीदी के सिपाहियों ने ही संसद में,संसद के बाहर  सबसे जियादा हंगामा बरपाया है और नोटबंदी पर संसद में कोई बहस नहीं हुई है।चंडूखाने में लोग इतने बेखबर भी नहीं होते।जितने वामपंथी और बहुजन सितारे हैं।दीदी के आगे पीछे घूमे हैं।बिना पड़ताल किये कि दीदी केजरीवाल के आगे पीछे कौन हैं। बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि दीदी मोदी युगलबंदी की पहेली का क्या हुआ।सीबीआई ईडी क्यों मेहरबान हैं। बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि दीदी मोदी युगलबंदी के आलम में दिल्ली की तृणमूल क्रांति और चिटफंड के खजाने के बीच दूरी कितनी है। बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि देशभर में छापे में तमिलनाडु के मुख्यसचिव से लेकर मायावती के भाई के यहां रेड हुआ तो दक्षिण कोलकाता की सारी प्राइम प्रापर्टी पानी के मोल खरीदने वालों के खिलाप कोई रेड क्यों नहीं पड़ा।क्यों नहीं,नोटिस थमाने के बजाय बंगाल में शारद नारदा के सिपाहसालारों के यहां छापे पड़े। हम बचपन से वामपंथियों को सियासती घोड़े जान रहे थे,रेस में घोडो़ं के बजाय अब गदहों को दौड़ते देख हैरानी हो रही है। मायावती पर निशाना बंधते देखते ही नोटबंदी की सियासती जमात में भगदड़ मच गयी है और आप नोटबंदी से राहत मांग रहे हैं। देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर यादवपुर विश्वविद्यालय का होक कलरव मौन है।कोलकाता में प्रेसीडेंसी,सेंटस्टीपेंस,कलकत्ता विश्वविद्यालय में सन्नाटा है। देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला के साथी नोटबंदी पर खामोश हैं।ज्वाइंट फोरम के स्टेटस में नोटबंदी का जिक्र भी नहीं है।तमाम बहुजन बुद्धिजीवी या पेटीएम के साथ हैं या  अंबेडकर मिशनरियों की तरह मौन हैं या अपने अपने खजाने को बचाने की कवायद में मशगुल हैं।बामसेफ का राष्ट्रीय आंदोलन सिरे से गायब है।मूलनिवासी मौन हैं।क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप? 

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देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर अार्थिक अराजकता,नोटबंदी नसबंदी,नकदी संकट,भुखमरी,बेरोजगारी,मंदी के घनघोर संकट के वक्त छात्र युवा खामोश हैं। देश में छात्रों युवाजनों का समकालीन परिदृश्य से यह गुमशुदगी हैरतअंगेज है। फिर मायावती के खिलाफ भगवा राम मोर्चाबंद हैं।यूपी जीतने को दलित बुद्धिजीवी की संघी मोर्चाबंदी भयानक है।नोटबंदी के साथ बहुजनों की केसरिया मोर्चाबंदी क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप?

अंबेडकर भवन विध्वंस के बाद अंबेडकर मसीहा और उनका परिवार बहुजनों का दुश्मन ? और उसी अंबेडकर मलबे पर  केसरिया अंबेडकर मिशन की सत्रह मंजिल इमारत के भव्य राममंदिरमार्का समरसता परियोजना के साथ उना रैली के बाद जयभीम कामरेड गायब है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव,पंजाब में भी शिकस्त की आशंका, पांचों राज्यों में खासतौर पर यूपी में बहुजनों की केसरिया मोर्चाबंदी,समरसता अभियान, परिवर्तन यात्रा और फिर जेएनयू की हैरतअंगेज मोर्चाबंदी। यूपी में नोटों की वर्षा नोटबंदी नसबंदी के मध्य? क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप?

हमने कैरम कभी कायदे से खेला नहीं है।कुश्ती कबड्डी बचपन में खूब खेला है।थोड़ा बहुत फुटबाल,हाकी और क्रिकेट भी।सब आउटडोर है।इनडोर सत्ता गलियारों का संसदीय खेल अनजाना है।डाइरेक्ट इनडायरेक्ट स्ट्राइक,सरजिकल स्ट्राइक के कलाकौशल हम जानते नहीं हैं।हम शतरंज के खिलाड़ी भी नहीं हैं।शह मात प्रेमचंद जी से साभार जान रहे थे,पियादों की घुड़चाल समझ नहीं पा रहे हैं।आप?

मौकापरस्त मलाईदार पढ़े लिक्खे बहुजन केसरिया बजरंगी  बिरादरी प्याज की परतों की तरह खिलने लगी है।
ऐसे तिलस्मी मुकाम पर मनुस्मृति विदाई के बाद एक बार फिर जेएनयू पर फोकस बनाने के लिए संघ परिवार का प्लान आखिर क्या है?आत्महत्या की कोशिश है? या सारे विश्वविद्यालय बंद कराने की युद्धघोषणा है?या 30 दिसंबर का बेनामी मास्टरस्ट्रोक यही है।यहींच।पियादों की घुड़चाल समझ नहीं पा रहे हैं।आप?

मनुस्मृति संविधान के रामराज्य में रोहित वेमुला अकेले नहीं है।नोटबंदी के बाद बेनामी संपत्ति का क्या होगा कह नहीं सकते,लेकिन रामराज्य में मनुस्मृति बहाल रखने खातिर हर शंबूक की हत्या का अब अनिवार्य सुधार कार्यक्रम है।इसीलिए नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात हो गया।महाभारत का कुरुक्षेत्र अब फिर जेएनयू है।पार्वती अब मोहनजोदोड़ो की डांसिग गर्ल है,तो वैज्ञानिक सोच की भ्रूण हत्या भी अनिवार्य है। शुक्रवार को जेएनयू में हुई एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में टेस्ट की फीस बढ़ाने को लेकर भी फैसला लिया गया.आईआईटी खड़गपुर में फीस बढ़ाने के खिलाफ आंदोलन की खबर बासी हो गयी है।फीस बढ़ाने के बावजूद बहुजनों की एंट्री रोकने का ऐहतियाती इंतजाम जबर्दस्त है।गौरतलब हे कि जेएनयू में छात्राें देश का बेकी विश्वविद्यालयों के मुकाबले ज्यादा हैं तो बहुजन छात्र भी वहां ज्यादा है।जेएनयू बागी लड़ाकू छात्राओं और बेशुमार बहुजन छात्रों की वजह से मनुस्मृति की आंखों में किरकिरी है। गौरतलब है कि दो बार नामंजूर करने के बाद आखिरकार जेएनयू ने 'योग दर्शन'और 'वैदिक संस्कृति'पर शॉर्ट टर्म कोर्स के प्रपोजल को मंजूर कर लिया है। अकैडमिक काउंसिल की मीटिंग में दोनों सर्टिफिकेट कोर्स को पास कर दिया गया है। गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद की तलाश की जंग दिल्ली पुलिस के लिये दिनोदिन भारी पड़ती जा रही है। बड़े-बड़े मामलों को सुलझाने वाली दिल्ली पुलिस के हाथ नजीब अहमद के मामले में अब तक खाली हैं।गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने धरना-प्रदर्शन न करने के लिए नोटिस बोर्ड लगा दिया है।

अब मुलाहिजा फरमायें।
शकील अंजुम।
सामाजिक न्याय की बुलंद आवाज़। अब JNU से निलंबित। वाइस चांसलर के आदेश पर SC, ST और OBC छात्रों के साथ इनका सामाजिक बहिष्कार।
गौरतलब है कि  जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में सोमवार को हुई विद्वत परिषद की बैठक में जबरदस्ती घुसकर अनुशासनहीनता करने वाले आठ छात्रों के खिलाफ जेएनयू प्रशासन ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। प्रशासन ने उनको विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधि से ही नहीं बल्कि हॉस्टल से भी निलंबित कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच समिति भी बैठा दी है। जांच समिति की रिपोर्ट आने तक यह छात्र निलंबित रहेंगे। जेएनयू प्रशासन ने कहा है कि जो भी इन छात्रों को कैंपस में बुलाएगा उस पर कार्रवाई होगी।
गौरतलब है कि  जेएनयू के शिक्षक काउंसिल बैठक में बाहरी छात्रों को एंट्री करवाने वाले करीब 20 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि काउंसिल बैठक में बाहरी छात्र भी पहुंच रहे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। बाहरी छात्रों की बैठक में एंट्री करवाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई भी जरूरी है। उधर, विश्वविद्यालय की इस कार्रवाई पर छात्रसंघ ने आपत्ति दर्ज करवाई है।

अब दिलीप मंडल के इस फेसबुकिया मंतव्य पर गौर करेंः
JNU में अफ़ज़ल गुरु मामले में भी कार्रवाई से पहले जाँच कमेटी बैठी थी। उस मामले में सभी छात्र अंदर आ गए।
वहीं,
SC-ST-OBC-माइनॉरिटी छात्रों को 24 घंटे के अंदर निकाल दिया। कोटा लागू करने और इंटरव्यू का नंबर घटाने की माँग से इतना ख़ौफ़।
निकालने के नोटिस पर लिखा है कि आगे जाँच भी होगी।
हद है।
दिलीप इस मामले को अफजल गुरु मामले में रिहा छात्रों से जोड़ क्यों रहे हैं,हमारी समझ से परे है।
आगे दिलीप ने लिखा हैः
देश भर में कहीं भी JNU मामले पर आंदोलन हो तो कृपया मुझे टैग कर दें। अब हम किसी भी और को, रोहित वेमुला की तरह, सांस्थानिक हत्या का शिकार बनने नहीं दे सकते।
उनको मिला जबाव भी लाजवाब हैः
स्नेहलभाई पटेल नोटबंदी कैशबंदी की #नाकामियों को छिपाने और देश की जनता का ध्यान दूसरी ओर भटकाने का षड्यंत्र jnu के दलित आदिवासी अल्पसंख्यक एवं ओबीसी के 12 छात्रों का निलंबन, दमनात्मक कार्रवाई और बहिष्कार की घटना है।
Gagan Rajanaik मंडल सर!पंडों के प्राण धर्म में बसते हैं।एक बार 60% ओबीसी भाई इनके धर्म को कसकर लात मार दें जैसा कि मराठी ओबीसी भाइयों ने किया।फिर देखिए थोड़े क्षण के लिए जलजला या सुनामी से कम तहलका नहीं होगा। हिंदुत्व को त्यागने की बात पूरे विश्वमीडिया में आग की तरह फैलेगी।फिर देखिए पंडों के प्राण कैसे सूखते हैं।बापबाप करेंगे।
अब फिर दिलीप का स्टेटसः
2016 की शुरुआत रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या से हुई। साल के आख़िर में संघियों, द्रोणाचार्यों की नज़र राहुल सोनपिंपले और JNU के OBC, SC और माइनॉरिटी के साथियों पर है।
आज जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संघी कुलपति ने मुलायम सिंह यादव, विश्वम्भर नाथ प्रजापति, दिलीप यादव, भूपाली, प्रशांत, मृत्युंजय, शकील आदि को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया।
#NoMoreRohith
एक आधुनिक लोककथा।
मोदी जी- पंडित जी, किसको निकाला? किस बात का हल्ला है?
JNU वाइस चांसलर - अहीर, कुर्मी, कोयरी, कुम्हार, मुसलमान, आदिवासी, दलितों को निकाल दिया है श्रीमान।
मोदी जी - बहुत अच्छा। क्या माँग कर रहे थे? किस बात का आंदोलन है?
वाइस चांसलर - यह देखिए इनका कितना खतरनाक पर्चा है श्रीमान। माँग कर रहे हैं कि शिक्षक पदों पर संविधान में दिया गया कोटा लागू करो। इंटरव्यू को वेटेज घटाओ। यह हो गया तो हम उन्हें कम नंबर देकर फ़ेल कैसे करेंगे। ये नामुराद जाने कैसे रिटेन एक्ज़ाम में अच्छा नंबर ले आते हैं।
मोदी जी - बहुत खूब पंडित जी।
इस संवाद से प्रसन्न होकर नागपुर के देवताओं ने मोदी जी पर फूल बरसाए।
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 विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम के डीएनए का नस्ली सफाया अब नोटबंदी का अगला चरण है।
देश के इस घनघोर संक्रमणकाल में रोहित वेमुला के साथी कहां सो रहे थे,छात्र युवा कहां मनुस्मृति दहन कर रहे थे,पता ही नहीं चला।
अब उन्हें कोंचकर जगाने का वक्त है।नया साल छात्रों का कारसेवक कायाकल्प का मनुस्मृति समय है।जो बहुजन जहां तहां घुस गये है,उनेहं कोड़े मारकर निकाल बाहर करने का सही वक्त है।
मनुस्मृति कोई व्यक्ति नहीं,बाकायदा वैदिकी संहिता है,याद दिलाने के लिए संघ परिवार को धन्यवाद।
पेटीएमपीएम ने 30 दिसंबर तक सुनहले दिनों के लिए मोहलत मांगी थी पचास दिनों की।गिनती में घपला वहीं से शुरु हुआ।इसी मुताबिक सारा देश नोटबंदी के पचास दिन पूरे होने के लिए 30 दिन का इंतजार कर रहा है।
8 नवंबर को नोटबंदी के लिए राष्ट्र के नाम पेटीएम संदेश जारी हो गया तो पेटीएम राजकाज के पचास दिन 28 दिसंबर को पूरे होते हैं।गणित में भारत के लोग इतिहास में इतने कच्चे नहीं थे।महाजनी व्यवस्था में सूदखोर की गिनती हमारा गणित हो गया है।आदरणीय सुरेंद्र ग्रोवर जी ने 28 को ही पचास दिन पूरे हो जाने की सूचना देकरहमारा भी गणित दुरुस्त कर दिया।हाईस्कूल पास करने के बाद हमने कभी हिसाब जोड़ा नहीं है और बेहिसाब जिंदगी गुजरती चली गयी।ग्रोवर साहेब का आभार।
अयोध्या में राममंदिर न बनने से राम की सौगंध खाने वाले बजरंगी बहुत परेशान होवै थे।वे फिर कारसेवक बनकर पता नहीं कहां कहां धमाल मचाने का मंसूबा बना रहे थे।यूपी फिर कब्जाैने की राह देख रहे थे।नोटबंदी की आड़ में जहां नोटों की बरसात जो हुई सो हुई,मोटर साईकिल और ट्रक तक बरसने लगे।मायावती को घेरकर  दो चार चापे मारकर विपक्षे के खेमे में हलचल मचा दी।राजनीतिक मोर्चाबंदी राहुल ममता मोर्चाबंदी तक सिमट गया,फिरभी यूपी अभी दूर है।इसका इंतजाम भी हो गया।रामराज्य मुकम्मल है।इस बीच मुंबई में डिजिटल इंडिया का राममंदिर बन गया।अरब सागर में भगवा झंडों की सुनामी में शिवाजी महाराज का भसान भी हो गया।
उत्तराखंड के माफियावृंद के साथ एक ही फ्रेम में शोभित कल्कि महाराज ने पूरे देस के लिए बारह मास चारधामों की यात्रा के लिए चार धाम राजमार्ग का शिलान्यास सुनहले दिनों के तोक आयात से एक दिन पहले कर दिया।यह चाकचौबंद इंतजाम है।आगे भुखमरी,बेरोजगारी और मंदी की मार है।हिंदू राष्ट्र में कितने करोड़ हिंदू जियेंगे,कितने करोड़ हिंदू मरेंगे,अतापता नहीं।लोक का सत्यानाश तो हो गया,परलोक में स्वर्गवास का स्थाई बंदोबस्त है।वैसे चार धामों के उत्तराखंडवासी तो पहले से स्वर्गवासी है।खासकर तब जब मुसलमानों के आतंकवाद की वजह से धरती का स्वर्ग इस वक्त बाकी देश के लिए केसरिया राजकाज में नर्क बना हुआ है।
इसके बावजूद हिंदुत्व के केसरिया कार्यक्रम और राजकाज,हिंदू राष्ट्र के मनुस्मृति संविधान के बारे में शक की कोई गुंजाइश रह गयी तो कल जेएनयू में एकमुश्त बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात से वह दूर हो जानी चाहिए।मनुस्मृति विदाई और मनुस्मृति दहन के मध्य जयभीम कामरेड सुनामी का अता पता लापता हो गया था।अब फिर महाभारत का कुरुक्षेत्र जेएनयू में स्थानांतरित है।
इस पर फेसबुक में दिलीप मंडल के ताजा स्टेटस पर किन्हीं Jitendra Visariya का मंतव्य प्रासंगिक हैः
ठीक है आंदोलन भी करिए कि रोहित बेमुला कांड फिर से न दोहराया जाये!....यह मोदी पार्टी की एक चाल भी हो सकती है कि आप अपना भींगा जूता छोड़, जेएनयू की ओर दौड़ पड़ो । मैं कहता हूँ कि उन्हें तो हर बार की तरह अपना फैसला बदलना ही पड़ेगा, पर आप अपना जूता हाथ में तैयार रखो! वो भी पूरा भींगा हुआ! क्योंकि 50 दिन पूरे होने वाले हैं!!!
चूं चूं के मुरब्बे का ताजा अपडेट यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आगामी बजट से पहले नीति आयोग द्वारा आयोजित अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अर्थशास्त्रियों ने कई आर्थिक बिंदुओं मसलन कृषि, कौशल विकास और रोजगार सृजन, टैक्स और शुल्क संबंधी मामले, शिक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, आवास, पर्यटन, बैंकिंग आदि पर अपनी राय दी। बैठक में 2022 तक कृषि आय को दोगुना करने पर सुझाव दिए गए। बैठक के बाद नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने बताया कि विशेषज्ञों ने पीएम मोदी को बताया कि भारत को टूरिज्म में अधिक निवेश करने की जरूरत है। 
गौरतलब है कि  नीति आयोग में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अर्थशास्त्रियों ने आयकर दरों में कटौती करने तथा सीमा शुल्क दरों का वैश्विक स्तर पर प्रचलित दरों के साथ तालमेल बिठाने की वकालत की ताकि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिल सके। नीति आयोग के तत्वावधान में यह बैठक फरवरी में पेश होने वाले आम बजट से पहले हुई है।बैठक में नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव की चर्चा नहीं हुई जबकि अर्थव्यवस्था को कम नकदी वाली बनाने के लिए डिजिटलीकरण के मुद्दे पर विचार विमर्श हुआ।
इसी बीच पुराने नोट पर अध्यादेश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब 31 मार्च 2017 के बाद एक समय में 10 से ज्यादा नोट रखने पर पाबंदी रहेगी, फिर चाहे ये नोट 500 के हों या 1000 के, या दोनों। रिसर्च के लिए अधिक से अधिक 25 नोट रख सकते हैं। नोट जमा करते वक्त गलत जानकारी देने पर 5,000 रुपये जुर्माना या जमा रकम का 5 गुना जुर्माना देना पड़ेगा। 31 मार्च, 2017 के बाद तय सीमा से ज्यादा नोट रखने पर 10,000 रुपये जुर्माना या जब्त रकम का 5 गुना जुर्माना देना पड़ेगा।
यही नहीं 30 दिसंबर के बाद 500 और 1000 के पुराने नोट जमा करने के लिए कठोर शर्तों को पूरा करना होगा। 30 दिसंबर के बाद पुराने नोट जमा करने से पहले ये बताना होगा कि आखिर अब तक नोट क्यों नहीं जमा किया। साथ ही खुद अगर रिजर्व बैंक नहीं पहुंच सकते तो डाक के जरिये पुराने नोट और साथ में घोषणापत्र भेज सकते हैं। घोषणापत्र में ये बताना होगा कि खुद क्यों नहीं आए, और अब तक नोट क्यों नहीं जमा किए। रिजर्व बैंक आपकी दलीलों से सहमत नहीं हुआ तो पुराने नोट को नकार भी सकता है।
गौरतलब है कि इसी बैठक के ऐन पहले सोना उछला और शेयर बादजार चढ़ गया।
मनी कंट्रोल का खुलासा यह हैः
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल बड़े इकोनॉमिस्ट और सरकारी अफसरों से बैठक की। इस बैठक में देश के विकास के रोडमैप पर चर्चा की गई। नीति आयोग की इस बैठक में टैक्स ढांचे को सरल बनाने, डायरेक्ट टैक्स में कटौती और कस्टम ड्यूटी में सुधार पर चर्चा हुई। बैठक में पीएम मोदी को कई सुझाव दिए गए और टैक्स ढांचे को आसान बनाने पर चर्चा हुई। इस बैठक में अलग-अलग सेक्टर के 13 विशेषज्ञ थे।

इस बैठक के बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगढ़िया ने कहा कि इस बैठक में कस्टम ड्यूटी में सुधार, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में बदलाव, इनपुट और आउटपुट पर समान ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी में बदलाव और रेवेन्यू न्यूट्रल रखने की सिफारिश की गई। इस बैठक में पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोग टैक्स चोरी नहीं करना चाहते। बशर्ते उन्हें ये भरोसा दिया जाए कि उनके टैक्स का सही इस्तेमाल हो रहा है।

वहीं नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने सीएनबीसी-आवाज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि बजट से पहले प्रधानमंत्री के साथ की गई बैठक सकरात्मक रही। अमिताभ कांत ने वित्त मंत्री जेटली की बात दोहराई और इस बजट में बड़े टैक्स रिफॉर्म के संकेत दिए।

जानकारों का मानना है कि आने वाले बजट में इन एक्सपर्ट्स की सिफारिशों के आधार पर बजट में बदलाव मुमकिन है। जिसके तहत इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। अभी इनकम टैक्स छूट की मौजूदा सीमा 2.5 लाख रुपये है। इसके अलावा इनकम टैक्स के सभी स्लैब बढ़ाए जा सकते हैं। कॉरपोरेट टैक्स की दरें भी कम हो सकती हैं। इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में भी बदलाव मुमकिन है। इस बजट में इंपोर्ट ड्यूटी की विसंगतियां दूर की जाएंगी। इंपोर्ट ड्यूटी कच्चे माल पर कम, तैयार माल पर ज्यादा की जाएगी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की तैयारी की जाएगी।




(पलाश विश्वास)

मनुस्मृति दहन दिवस : मनुस्मृति समर्थक आरएसएस पर लगे बैन!

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  • भाजपा/संघ की मनुवादी नीति समर्थक जनप्रतिनिधियों का हो विरोध!

मोहाली के एडवोकेट हरबिंदरसिंह वैदवान ने बाकायदा याचिका दायर करके पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगाने की साहसिक मांग की है। इसके लिये देशभर में सेवारत हक रक्षक दल सामाजिक संगठन के लाखों सदस्यों एवं समर्थकों की ओर से समर्थन, साधुवाद और हर प्रकार के सहयोग का खुला आश्वासन। कानून के जानकार और एक जिम्मेदार नागरिक एडवोकेट श्री वैदवान ने अपनी याचिका में कहा है कि लिब्राहन आयोग ने अयोध्या मामले में दी अपनी रिपोर्ट में आरएसएस को गैर संवैधानिक संगठन करार दिया था। लेकिन केन्द्र सरकार ने लगातार इस रिपोर्ट की अनदेखी की है। याचिका में कहा गया है कि सभी लोगों को अपने-अपने धर्म को प्रचारित करने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन किसी और धर्म के मर्दन की भावना रखने को संविधान अनुमति नहींं देता है। जबकि आरएसएस हिन्दू धर्म के अलावा अन्य सभी धर्मों का मर्दन करना चाहता है। मूल रूप से आरएसएस मनुस्मृति का अनुसरण करता है और मनुस्मृति वर्ण व्यवस्था का समर्थन करती है। ऐसे में इस संगठन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा घोषित कर इसे और इससे संबंधित सभी संगठनों को बैन किया जाना चाहिए।

हाई कोर्ट ने याचिका का अध्ययन करने के बहाने इसकी सुनवाई अगले साल 17 जनवरी तक के लिये टाल दी है। इन हालतों में आज 25 दिसम्बर, 2016 को "मनुस्मृति दहन दिवस"के अवसर पर हम भारत के 90 फीसदी वंचित वर्गीय लोग क्या—

1. हमारे विधायकों और सांसदों से यह सवाल नहीं पूछ सकते कि मनुस्मृति की आड़ में मानव—मानव में अमानवीय और असंवैधानिक विभेद को बढावा देने को दृढप्रतिज्ञ आरएसएस के रिमोट कण्ट्रोल से संचालित भाजपा की किस नीति के कारण उनको भाजपा और भाजपा का मनुवादी चरित्र प्रिय है?
2. संघ की शाखाओं में जाने वाले वंचित वर्ग के लोगों से क्या हमें यह सवाल पूछने का हक नहीं कि वे मानवता विरोधी मनुस्मृति समर्थक संघ को क्यों मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
3. संघ के आरक्षण विरोधी ऐजेंडे को समर्थन प्रदान करके आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करने का मसर्थन करने वाले वंचित वर्गीय नेताओं से क्या हमे यह जानने का हक नहीं कि संविधान की शपथ लेकर संविधान विरोधी मांग करने का उनको किसने अधिकार दिया?

वर्तमान दौर में भाजपा के ​टिकिट पर निर्वाचित वंचित वर्ग के वर्तमान सांसद और विधायक यदि भाजपा और संघ की सामाजिक न्याय विनाशक मनुवादी नीति के विरुद्ध चुप्पी साधे रहते हैं तो हम वंचित वर्ग के आम लोगों को सार्वजनिक रूप से इनका बहिष्कार करने की हिम्मत जुटानी होगी और हर आम-ओ-खाश तथा विशेष रूप से युवा वर्ग को साथ लेकर—

1. इनका सार्वजनिक रूप से विरोध करना होगा।
2. इनके प्रति खुला आक्रोश व्यक्त करना होगा।
3. इनको इनकी गलती का अहसास करवाना होगा।
अन्यथा 25 दिसम्बर को मनुस्मृति दहन दिवस मनाने की औपचारिकता पूरी करने और बाबा भीम की जय बोलने का हमें कोई नैतिक हक नहीं है।


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(लेखक : डॉ. पुरुषोत्त्म मीणा 'निरंकुश')
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