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चुनाव परिणाम आने के बाद कल हो सकती है भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक

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नयी दिल्ली, 10 मार्च, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद कल दोपहर भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक हो सकती है। एग्जिट पोल में चुनाव में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन के संकेत मिले हैं। एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आएगी।चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद निर्णय लेने वाली भाजपा की शीर्ष संस्था भविष्य की रणनीति पर विचार करेगी। भाजपा संसदीय बोर्ड के 12 सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह समेत केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरण जेटली, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू, अनंत कुमार, थावरचंद गहलोत और जे पी नड्डा शामिल हैं। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि कल के लिए बैठक की तैयारी की गई है हालांकि ऐसी भी संभावना है कि बैठक रविवार को भी हो सकती है और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि चुनाव के परिणाम कैसे आते हैं। मतों की गिनती कल सुबह शुरू होगी।


पूर्वी चंपारण से 50 लाख का चरस बरामद , तस्कर गिरफ्तार

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रक्सौल 10 मार्च, नेपाल की सीमा से लगे बिहार में पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल थाना क्षेत्र से कल देर रात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने पांच किलोग्राम चरस के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार कर लिया । एसएसबी के समादेष्टा सोनम छेरिंग ने आज यहां बताया कि एसएसबी 47 वीं बटालियन के जवान और रक्सौल पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में अहिरवा टोला स्थित पिलर संख्या 390/34 के निकट भाग रहे एक तस्कर को गिरफ्तार कर लिया गया । उन्होंने बताया कि तस्कर के पास से एक-एक किलो के पैकेट में बंद पांच किलोग्राम चरस बरामद किया गया है । श्री छेरिंग ने बताया कि तस्कर की पहचान नेपाल के बीरगंज के वार्ड संख्या 14 निवासी अकबर शेख के रुप में की गयी है । बरामद चरस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 50 लाख रुपये बतायी जाती है । 

बिहार में भारी मात्रा में देशी-विदेशी शराब बरामद, 15 तस्कर गिरफ्तार

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पटना 10 मार्च, बिहार में होली के दौरान अन्य राज्यों से शराब की तस्करी को लेकर रेल और सड़क मार्ग पर चौकस पुलिस ने आज राज्य के विभिन्न जिलों से भारी मात्रा में देशी एवं विदेशी शराब बरामद कर 15 तस्करों को गिरफ्तार किया है।  समस्तीपुर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, जिले के कल्याणपुर थाना क्षेत्र में एक ट्रक से आज पुलिस ने 944 बोतल विदेशी शराब बरामद की। पुलिस उपाधीक्षक (सदर) मो. तनवीर अहमद ने यहां बताया कि सूचना के आधार पर कल्याणपुर थाना क्षेत्र के समस्तीपुर-दरभंगा मार्ग पर एक लाइन होटल पर खड़े ट्रक से शराब बरामद की गयी है ।  श्री अहमद ने बताया कि इस दौरान स्कॉर्पियो पर सवार चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार तस्करों से पूछताछ के आधार पर अन्य स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। पुलिस ने ट्रक और स्कार्पियों को जब्त कर लिया है ।



लखीसराय से मिली सूचना के आधार पर नगर थाना क्षेत्र की पुलिस ने संतर मुहल्ला स्थित एक ठिकाने पर सुबह में छापेमारी कर आठ बोरी में रखी देशी शराब से भरा पाउच बरामद किया। इस दौरान एक महिला को गिरफ्तार किया गया है ।  वहीं, जिले के कवैया थाना क्षेत्र के जमुई मोड़ से पुलिस ने दो वाहनों से 10 कार्टन विदेशी शराब और बड़ी मात्रा में देशी शराब से भरी पाउच बरामद कर तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। तस्करों ने बताया कि वे झारखंड के देवघर से शराब लेकर जा रहे थे ।  बगहा से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम चंपारण जिले के ठकराहा थाना क्षेत्र के बतहवा गांव के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा से पुलिस ने 56 बोतल विदेशी शराब के साथ तस्कर प्रमोद तिवारी को धरदबोचा । प्रमोद ठकराहा गांव का निवासी है जो मोटरसाइकिल से उत्तर प्रदेश से शराब लेकर आ रहा था ।

बांका से मिली सूचना के अनुसार, जिले के धनकुंड थाना क्षेत्र में ठेला पर बोरी में छिपाकर ले जाई जा रही 151 पाउच देशी शराब पुलिस ने बरामद की। इस दौरान जिले के रजौन थाना क्षेत्र के नवादा बाजार निवासी मनोज कुमार राम और चंदन कुमार राम तथा बाराहाट थाना क्षेत्र के वभनगामा निवासी दीपक कुमार के अलावा इसी थाना क्षेत्र के बलियास गांव निवासी मो.बबलू को गिरफ्तार कर लिया गया । शराब झारखंड निर्मित है । जमुई से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, गिद्धौर थाना क्षेत्र के बनझुलिया गांव के निकट जमुई-देवघर मार्ग पर दो कार से आज 18 कार्टन विदेशी शराब बरामद की गई। पुलिस अधीक्षक जयंतकांत ने बताया कि झारखंड के देवघर से शराब लेकर आ रहे तस्कर पुलिस की घेराबंदी के दौरान वाहन छोड़कर फरार हो गये ।  वहीं, पूर्वोत्तर रेलवे के छपरा जंक्शन पर एक ट्रेन से रेल पुलिस ने जांच के दौरान विदेशी शराब के साथ दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया । रेल पुलिस सूत्रों ने बताया कि दिल्ली से रक्सौल जा रही सद्भावना एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में सवार सोनू ठाकुर और विनोद कुमार को छह बोतल विदेशी शराब के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। सोनू और विनोद होली के मौके पर हरियाणा के हिसार से अपने घर मुजफ्फरपुर शराब लेकर जा रहे थे ।  गौरतलब है कि पुलिस ने लगातार तीन दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों में छापेमारी कर भारी मात्रा में शराब बरामद करने के साथ ही कुल 29 लोगों को गिरफ्तार किया है। 

मतगणना से पहले बोले रामकृपाल, राजनीति में कुछ भी संभव

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पटना 10 मार्च, केन्द्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रामकृपाल यादव ने उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना से एक दिन पूर्व बिहार के संदर्भ में बड़ा राजनीतिक बयान देते हुए आज कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है। श्री यादव ने यहां कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के बीच प्रगाढ़ संबंध रहे हैं। यह प्रगाढ़ संबंध 17 सालों तक रहे हैं। प्रकाशोत्सव के मौके पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्री कुमार के बीच बेहतर कमेस्ट्री देखने को मिली है। राजनीति में कुछ भी संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम को लेकर जो लोग भविष्यवाणी कर रहे हैं, उन्हें वास्तविक स्थिति का अंदाजा कल सुबह 10 बजे तक लग जायेगा । इससे पहले बिहार में राजग के घटक हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को कहा था कि यदि उत्तर प्रदेश में भाजपा चुनाव हारती है तो राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन के बड़े घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पद से हटा देंगे और उन पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री के पद पर बैठाने का दवाब बनायेंगे। उन्होंने कहा था कि यदि भाजपा की चुनाव में जीत होती है तो मुख्यमंत्री श्री कुमार राजद अध्यक्ष श्री यादव का साथ छोड़ देंगे और वह भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने रहेंगे।


पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका नतीजा यह होगा कि बिहार इस योजना मद में दूसरी किस्त पाने से भी वंचित हो जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की विफलता का ही परिणाम है कि पूर्व की इंदिरा आवास योजना के अन्तर्गत पांच लाख से ज्यादा आवास अभी भी अधूरे पड़े हैं। भाजपा नेता ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने वर्ष 2014-15 में बिहार में आवास निर्माण का कोटा घटा कर 2.14 लाख कर दिया था जिसे केन्द्र की वर्तमान सरकार ने बढ़ा कर इस साल 6.36 लाख कर दिया है। वहीं राज्य सरकार के लिए उपलब्ध राशि खर्च करना तो दूर की बात है अभी तक वह लाभार्थियों का चयन भी नहीं कर पाई है।  श्री मोदी ने कहा कि मार्च 2019 तक पूरे देश में एक करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि वर्ष 2022 तक देश के प्रत्येक गरीब के पास पक्का मकान हो। लेकिन, बिहार सरकार किसी भी वर्ष एक-डेढ़ लाख से ज्यादा आवास नहीं बना पाई है जबकि इस साल तो एक भी मकान नहीं बन पायेगा। 

दरभंगा मंडल कारा के प्रभारी अधीक्षक निलंबित

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दरभंगा 10 मार्च, बिहार में दरभंगा मंडल कारा के प्रभारी अधीक्षक सूर्यनाथ सिंह को निलंबित कर दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि मंडल कारा के औचक निरीक्षण के दौरान मोबाइल समेत अन्य सामान मिलने और जेल में बंद एक कुख्यात कैदी की तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल होने के मामले में राज्य सरकार के कारा विभाग ने प्रभारी अधीक्षक सूर्यनाथ सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि मंडल कारा के अंदर से लगातार मांगी जाने वाली रंगदारी के बाद जिलाधिकारी के औचक निरीक्षण में जेल से मोबाईल समेत अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद किया गया था। 

रामकृपाल पर कांग्रेस का पलटवार; कहा महागठबंधन अटूट

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पटना 10 मार्च, बिहार कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना से पहले केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता रामकृपाल यादव के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के बीच प्रगाढ़ संबंध वाले बयान पर पलटवार करते हुये आज कहा कि महागठबंधन की चट्टानी एकता में कोई कमी नहीं है और विपक्षी दल इसमे सेंध लगाने की बेकार कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल से उत्साहित भाजपा के नेता महागठबंधन की कैमिस्ट्री बिगाड़ने की जुगाड़ में हैं। लेकिन, उन्हें यह आभास होना चाहिए कि वर्ष 2020 तक महागठबंधन सरकार अबाध गति से अपना कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए महागठबंधन में फूट डालने का प्रयास कर रही है। श्री सिंह ने कहा कि भाजपा नेताओं का बिहार में राजनीतिक अस्थिरता का कोई प्रयास सफल नहीं होगा क्योंकि महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस में आपसी समझ में कोई कमी नहीं है। इसलिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन नेताओं का महागठबंधन में बिखराव लाने का कोई प्रयास सफल नहीं होगा। इससे पूर्व श्री यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के बीच प्रगाढ़ संबंध होने की बात कह कर बिहार के सियासी पारे को चढ़ा दिया हैं। 

पूंजीवाद के नीचे दबा जा रहा देश का किसान : लालू

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पटना 10 मार्च, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने किसानों को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया और कहा कि सांसारिकता एवं भौतिकवाद से कोसों दूर देश का किसान पूंजीवाद के नीचे लगातार दबा जा रहा है लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। श्री यादव ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लिखे पोस्ट में कहा, “खेत- खलिहान में जाकर समय बिताने से एक आत्मीय सुख प्राप्त होता है। दुनिया भर की आपा-धापी के समुंदर के बीच ठहराव से भरे हमारे देश के गांव एवं खेत-खलिहान सुकून देने वाले टापू के समान महसूस होते हैं। ईश्वर यदि कहीं बसता है, तो वे अपने देश के किसानों की अद्भुत मेहनत और जुझारूपन की कहानी कहते इन खेत खलिहानों में ही बसता है। राजद अध्यक्ष ने कहा कि देश का किसान आज भी सांसारिकता, भौतिकवाद से कोसों दूर है। मेहनत से जो मिल जाए, उसी में जैसे तैसे गुज़र बसर कर संतुष्ट रहता है। शिकायत कम मेहनत ज्यादा करता है। उन्होंने देश के किसानों की तुलना सीमा पर तैनात जवानों से करते हुए कहा कि जवान और गांव के किसान में कोई अंतर नहीं है। दोनों समान रूप से मेहनत कर रहे हैं जिनके भरोसे देश की आन, बान और शान टिकी है। श्री यादव ने आगे लिखा, “हमारे देश में किसान पूंजीवाद के नीचे धीरे-धीरे दबता जा रहा है। कृषि को सुनियोजित ढंग से एक घाटे का सौदा बनाया जा रहा है। अनाज उपजा रही उनकी ज़मीन के टुकड़ों पर भी पूंजीपतियों की गिद्ध दृष्टि जमी हुई है। ऋण के दुष्चक्र में फंसकर किसान रोज़ आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन यह दर्द कभी सुर्खियां नहीं बनती हैं। इतना कुछ झेलने के बावजूद गांवों में मुस्कुराते चेहरे ही स्वागत करते हैं। घर बुलाते हैं। प्यार से सौंधी खुशबू वाला शुद्ध भोजन करवाते हैं। देश के हर नागरिक को किसानों से जरूर मिलना चाहिए।

मरांडी ने फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा परिणाम के विरोध में मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

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रांची 10 मार्च, झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम-पी) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की फॉरेस्ट गार्ड प्रतियोगिता परीक्षा के हाल ही में जारी हुये परिणाम के विरोध में वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखा है। श्री मरांडी ने आज यहां कहा कि वर्ष 2014 में आयोजित फॉरेस्ट गार्ड की प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के एक दल ने उनसे मिलकर परीक्षा में अनियमितता होने की बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य के ‘तेली’ समुदाय के अभ्यर्थियों ने पिछड़ा वर्ग (बीसी)-II श्रेणी के तहत आवेदन किया था जबकि कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने 07 अगस्त 2015 को अपने आदेश में तेल और सूरी समुदाय को बीसी-I श्रेणी में बताया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “बीसी-II श्रेणी के तहत आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को बीसी-I श्रेणी के तहत जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विभाग के आदेश के बावजूद बीसी-II श्रेणी के तहत आवेदन करने के कारण मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण हो चुके अभ्यर्थियों को बीसी-I श्रेणी के तहत प्राप्त होने वाले लाभ से वंचित किया जा रहा है। श्री मरांडी ने कहा कि अभ्यर्थियों के अनुसार सफल छात्रों की तैयार की गई सूची में उन्हें सामान्य श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है, जो चिंताजनक है। जेवीएम अध्यक्ष ने श्री दास को लिखे पत्र में इस दिशा में आवश्यक निर्देश जारी करने का आग्रह किया है ताकि इन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो।


विपक्ष का काम केवल सरकार की आलोचना करना : तेजस्वी

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हाजीपुर 10 मार्च, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विकास कार्यो को लेकर विपक्षी दलों के लगातार जारी हमलों पर आज पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियों का एकमात्र काम सरकार की आलोचना करना रह गया है। श्री यादव ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि महागठबंधन सरकार राज्य के विकास के लिए कई योजनायें चला रही है। आमलोगों को यातायात की बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार राज्य में सड़कों और पुल-पुलियों का निर्माण करा रही है। इसी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि-व्यवस्था समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी कार्य किये जा रहे हैं। विपक्षी दलों को प्रदेश में किये गये जा रहे विकास कार्य नजर नहीं आते हैं क्योकिं उनका एकमात्र काम सरकार की आलोचना और झूठी बयानबाजी करना रह गया है। उप मुख्मयंत्री ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के प्रयासों की चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं को जनवितरण प्रणाली की दुकानों में 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। इससे पहले भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई प्रयास किये गये हैं। महिलाओं को बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाये गये हैं। उन्होंने वैशाली जिले के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में किये गये विकास कार्यो का उल्लेख भी किया । 

पी वी सिंधु ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन से बाहर

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बर्मिंघम, 10 मार्च, रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता भारत की पी वी सिंधु शुक्रवार को निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए शीर्ष वरीयता प्राप्त चीनी ताइपे की तेई जू यिंग से लगातार गेमों में हारकर ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप से बाहर हो गयी। सिंधू को टॉप सीड जू यिंग ने 34 मिनट में ही 21-14, 21-10 से पीट दिया। विश्व की नंबर एक खिलाड़ी जू यिंग और छठे नंबर की सिंधु के बीच यह नौंवा करियर मुकाबला था जिसमें ताइपे की खिलाड़ी ने 6-3 की बढ़त बना ली है। अपने पहले ऑल इंग्लैंड खिताब में लगी सिंधु ने इससे पहले के दो मैचों में शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन जू यिंग के खिलाफ पहले गेम में 9-5 और 10-7 की बढ़त बनाने के बावजूद सिंधु मौका गवां बैठी। जू यिंग ने 12-12 के स्काेर पर लगातार पांच अंक लेते हुए 17-12 की बढ़त बनायी और फिर पहला गेम 21-14 से जीत लिया। दूसरे गेम में सिंधु ने तो जैसे समर्पण ही कर दिया। ताइपे के खिलाड़ी ने लगातार अंक बटोरते हुए अपनी बढ़त बनाये रखी और 21-10 से दूसरा गेम जीतकर सेमीफाइनल में स्थान बना लिया।

चुनाव आयोग ने मतो की गिनती की वीडियोग्राफी के दिये आदेश

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नयी दिल्ली, 10 मार्च, चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाओं के बाद कल होने वाले मतगणना को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम सुनिश्चित करने के साथ-साथ पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करने के आदेश दिये हैं। चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार चुनाव में उपयोग के लिए नियंत्रण इकाइयों और बैलेट इकाइयों को अलग से स्ट्रांग रूम से रिटर्निंग ऑफिसर के कमरे में ले जाया जाएगा और इस प्रक्रिया में पूरी सुरक्षा चौकसी बरती जाएगी। आयोग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि स्ट्रांग रूम को सील करने के दौरान सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मौजूद होंगे तथा उन लोगों के भी सीलिंग के समय हस्ताक्षर लिये जाएंगे। इस संबंध में सभी राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर के राजनीतिक दलों को पहले सूचित किया जाना चाहिए। वोटों की गिनती कल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा तथा मणिपुर में होगा। आयोग ने निर्देश दिया है कि स्ट्रांग रूम में सिर्फ एक प्रवेश द्वार होगा तथा इसमें दो ताले लगे होंगे। इसमें से एक ताले की चाबी संबंधित विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी तथा दूसरी चाबी सहायक रिटर्निंग अधिकारी के पास होगी। इसके अलावा स्ट्रांग रूम के सभी दरवाजे और खिड़कियां सील होंगी तथा किसी को भी स्ट्रांग रूम में जाने की अनुमति नहीं होगी। स्ट्रांग रूम की सीसीटीवी कैमरे से लगातार निगरानी की जाएगी। उन्होंने कहा कि वीडियो रिकॉर्डिंग की सीडी जिला चुनाव अधिकारी के पास होगा तथा मतगणना प्रक्रिया की हर स्तर पर रिकॉर्डिंग की जाएगी। आयोग ने कहा कि मतगणना वाले दिन सीसीटीवी को उन स्थानों पर लगाया जाएगा जहां-जहां से सुरक्षाकर्मी नियंत्रण कर रहे होंगे और उसे रिटर्निंग अधिकारी के पास लगे टेलीविजन पर दिखाया जाएगा।

बोर्ड ने डीआरएस मामले में पहले की शिकायत, बाद में ली वापिस

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मुंबई , 10 मार्च, बेंगलुरू टेस्ट में पैदा हुये डीआरएस विवाद में बड़ा ही नाटकीय मोड़ देखने को मिला जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) ने इस मुद्दे पर अास्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ और पीटर हैंड्सकोंब के खिलाफ आईसीसी में शिकायत दर्ज कराने की घाेषणा की अाैर कुछ घंटाें के बाद ही उसने क्रिकेट आस्ट्रेलिया(सीए)के साथ एक संयुक्त बयान जारी कर शिकायत वापिस लेने की जानकारी दी। बीसीसीआई की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि भारतीय बोर्ड और सीए ने मिलकर मौजूदा सीरीज पर पूरा ध्यान वापिस केंद्रित करने का फैसला किया है और इसी को ध्यान में रखते हुये बेंगलुरू टेस्ट में डीआरएस को लेकर जो विवाद पैदा हुआ उस मामले को सुलझा लिया है। आधिकारिक बयान के अनुसार बीसीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी और सीए के सीईओ जेम्स सदरलैंड ने मुंबई स्थित भारतीय बोर्ड के मुख्यालय पर इस सिलसिले में गुुरूवार को मुलाकात की थी और लंबी चर्चा के बाद दोनों बोर्ड इस नतीजे पर पहुंचे कि फिलहाल दोनों देशों के बीच सीरीज की अहमियत को समझते हुये पूरा ध्यान विवाद के बजाय खेल पर केंद्रित करना चाहिये।

मदर डेयरी का दूध तीन रुपये तक महँगा

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नयी दिल्ली 10 मार्च, मदर डेयरी ने दिल्ली-एनसीआर में अपने दूध के दाम में शनिवार से तीन रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी की घोषणा की है। कंपनी ने आज यहाँ जारी बयान में कहा कि दिल्ली-एनसीआर में हर तरह के दूध की कीमतें बढ़ायी जा रही हैं। टोकन वाले दूध के दाम जून 2014 में बढ़ाये गये थे और अब उसमें दो रुपये प्रति लीटर की बढोतरी की जा रही है। अन्य सभी दूध के दाम जुलाई 2016 में बढ़ाये गये थे। इसके साथ ही एक लीटर और आधा लीटर के पैकेटों की कीमतों में विसंगतियों को भी दूर कर दिया गया है। एक लीटर के दूध के पाउच की कीमतों में तीन रुपये की तथा आधा लीटर के पाउच के दाम में एक रुपये की बढ़ोतरी की गयी है। कंपनी ने बाद में जारी स्पष्टीकरण में कहा कि इस बढ़ोतरी के बाद दिल्ली-एनसीआर में ब्लक वेंडेड मिल्क (टोकन) के दाम 36 रुपये से बढ़कर 38 रुपये प्रति लीटर हो गये हैं। इसी तरह से फुल क्रीम प्रीमियम दूध का मूल्य 51 रुपये से बढ़कर 54 रुपये, फुल क्रीम दूध 49 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 52 रुपये, टोंड दूध 39 रुपये से बढ़कर 42 रुपये, डबल टोन्ड दूध 35 रुपये से बढ़कर 38 रुपये और गाय का दूध 40 रुपये से बढ़कर 42 रुपये प्रति लीटर हो जायेगा। उसने कहा कि आधा लीटर के फुल क्रीम प्रीमियम दूध का दाम 26 रुपये से बढ़कर 27 रुपये, फुल क्रीम दूध 25 से बढ़कर 26 रुपये, टोंड दूध 20 रुपये से बढ़कर 21 रुपये, डबल टोंड दूध 18 से बढ़कर 19 रुपये, स्किमड दूध 16 रुपये से बढ़कर 17 रुपये और गाय दूध 20 रुपये से बढ़कर 21 रुपये प्रति आधा लीटर हो गया है। कंपनी ने कहा कि जुलाई 2016 के बाद कच्चा दूध खरीद कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद भी कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की जा रही थी। लेकिन, इस बार सर्दी के मौसम में भी दूध के दाम कम नहीं हुये जबकि आमतौर पर इस मौसम में इसमें कमी आती थी। इसके साथ ही मदर डेयरी ने जुलाई 2016 के बाद दूध खरीद के दाम में 2.5 रुपये से तीन रुपये प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी की है।

मारुति संयंत्र, मानेसर हिंसा में 31 दोषी,117 बरी

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गुरूग्राम 10 मार्च,  देश की अग्रणी यात्री कार कंपनी सुजुकी इंडिया लिमिटेड के हरियाणा में मानेसर स्थित संयंत्र में जुलाई 2012 में हिंसक वारदात के आरोपियों में से 31 को अदालत ने दोषी और 117 को बरी कर दिया है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर पी गोयल ने आज इस मामले में फैसला दिया। इस हिंसा में मानेसर संयंत्र में महाप्रंबधक (मानव संसाधन) अवनीश देव की जिंदा जल जाने में मृत्यु हो गई थी। अट्ठारह जुलाई 2012 को संयंत्र में हुई इस हिंसा में प्रबंधन के 98 लोग घायल हुए थे। दोषियों की सजा का एलान 17 मार्च को किया जायेगा। न्यायाधीश ने इस मामले की सुनवाई पहले ही पूरी कर फैसला आज के लिये सुरक्षित रखा था। न्यायाधीश गोयल ने अपने 505 पृष्ठों के निर्णय में 31 लोगों को दोषी करार दिया और 117 लोगों को बरी कर दिया। इन 148 आरोपियों में से 90 लोगों का नाम प्राथमिकी में नहीं था। फैसले के मद्देनजर मानेसर में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गयी थी। पुलिस प्रशासन सुरक्षा में मुस्तैद था और धारा 144 लगा दी गयी थी। इस हिंसा में महाप्रबंधक के मारे जाने के अलावा संयंत्र को काफी नुकसान हुआ था। तोड़फोड़ और आग की वजह से संयंत्र का बड़ा हिस्सा जल गया था। संयंत्र के 550 श्रमिकों को हिंसा के बाद नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। कुछ 148 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था जिसमें से 139 लोग जमानत पर रिहा हैं। मारूति उद्योग कामगार यूनियन के महासचिव कुलदीप जांघू ने “ यूनीवार्ता ” से कहा कि विधि विशेषज्ञों से सलाह- मशविरा कर अगला कदम उठाया जायेगा। श्री जांघू ने आरोप लगाया के प्रशासन और प्रबंधन ने जानबूझकर कर्मचारियों को फंसाया है, 117 कर्मी निर्दोष साबित हुए हैं। अन्य भी निर्दोष हैं,जो निर्णय आया है, उसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जायेगी और पूरा विश्वास है कि अन्य साथी भी बरी होंगे।

एयर इंडिया के विमान का हंगरी में संपर्क टूटा, फाइटर विमानों ने किया एस्कॉर्ट

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नयी दिल्ली 10 मार्च, सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया के अहमदाबाद से लंदन जा रहे विमान का आज हंगरी के हवाई क्षेत्र में एटीसी से संपर्क टूट जाने के कारण उसे स्थानीय वायु सेना के जेट विमानों ने घेर लिया। हालाँकि, बाद में संपर्क स्थापित हो गया तथा विमान हिथ्रो हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतरा। एयर इंडिया के एक प्रवक्ता ने बताया कि फ्रिक्वेंसी में फ्लक्चुएशन के कारण विमान का संपर्क टूटा था। उन्होंने बताया कि विमान में 231 यात्रियों के साथ चालक दल के 18 सदस्य थे। प्रवक्ता ने बताया कि विमान तय समय के अनुसार पूर्वाह्न 11 बजे हिथ्रो हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतरा। घटना के बारे में नागर विमानन महानिदेशालय को सूचना दे दी गयी है। एक महीने में दूसरी बार किसी भारतीय विमान का संपर्क विदेशी धरती पर एटीसी से टूटा है। इससे पहले 16 फरवरी को जेट एयरवेज के 330 यात्रियों के साथ मुंबई से हीथ्रो हवाई अड्डा जा रहे विमान का जर्मनी के हवाई क्षेत्र में एटीसी से संपर्क टूट जाने के बाद जर्मन वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने उसे घेर लिया। कुछ मिनट बाद एटीसी से संपर्क स्थापित हो गया था जिसके बाद विमान लंदन में सुरक्षित उतर गया।


शत्रु संपत्ति विधेयक विपक्ष के वाकआउट के बीच राज्यसभा में पारित

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नयी दिल्ली 10 मार्च, लंबे समय से लंबित शत्रु संपत्ति संशोधन विधेयक को राज्यसभा ने आज विपक्ष के वाकआउट के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया, लोकसभा ने इस विधेयक को गत वर्ष 9 मार्च को पारित किया था, इसे बाद में राज्यसभा में पेश किया गया था लेकिन सदस्यों की मांग पर इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था। समिति ने विधेयक में कुछ संशोधन किये थे। राज्यसभा में लंबित रहने की वजह से सरकार को इसके लिए पांच बार अध्यादेश लाना पडा। शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 में संशोधन के लिए लाये गये इस विधेयक में चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद वहां जाकर बसने वाले लोगों को भारत में उनकी संपत्ति पर किसी भी दावे से वंचित करने का प्रावधान है। सदन में गैर सरकारी काम काज के दौरान एक निजी विधेयक पर चर्चा होने के बाद गृह राज्य मंत्री गंगाराम हंसराज अहीर ने यह विधेयक पेश किया। इससे पहले कांग्रेस के सुब्बीरामी रेडडी ने इस विधेयक से संबंधित अध्यादेश को निरस्त करने का सांविधिक संकल्प पेश करते हुए कहा कि शत्र संपत्ति का मुद्दा महत्वपूर्ण और विवादास्पद है और सरकार इस संबंध में हडबडी कर रही है। उन्होंने अध्यादेश को निरस्त करने की मांग की। कांग्रेस के जयराम रमेश तथा राजीव शुक्ला , मनोनीत सदस्य के टीएस तुलसी , अन्ना द्रमुक के नवनीत कृष्णन , तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दू शेखर राय, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान और माकपा के टी रंगराजन ने विधेयक पर आज चर्चा न कराने का अनुरोध किया। उनका कहना था कि आज सदन में सदस्यों की उपस्थिति बहुत कम है आैर विभिन्न दलों के प्रमुख नेता भी मौजूद नहीं हैं । उन्हें विधेयक पारित कराने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इस पर विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए। उनका अनुरोध नहीं माने जाने पर सभी विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। इसके बाद सदन ने श्री रेडडी और हुसैन दलवई के सांविधिक संकल्प को खारिज करने के बाद विधेयक को प्रवर समिति की सिफारिश पर सरकार द्वारा लाये गये संशोधनों के साथ ध्वनिमत से पारित कर दिया।

उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में बीजेपी, पंजाब में कांग्रेस, गोवा-मणिपुर त्रिशंकु

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नयी दिल्ली. 11 मार्च, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चली “मोदी की आंधी’ में तमाम चुनावी समीकरणों तथा अनुमानों को हवा में उड़ाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने तीन चौथाई बहुमत हासिल कर नया इतिहास रच दिया और करीब डेढ दशक बाद राज्य में फिर से ‘कमल’ खिल गया। राज्य की 403 सीटों में से 312 भाजपा की झोली में गयी हैं। यह राज्य में उसके लिए अब तक की सबसे बडी जीत है। 



पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के आज घोषित परिणामों में उत्तराखंड में भी भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है जबकि पंजाब में कांग्रेस ने अकाली भाजपा गठबंधन को करारी शिकस्त देते हुए दो तिहाई बहुमत हासिल कर एक दशक बाद सत्ता में वापसी की है। गोवा और मणिपुर में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है। 



उत्तराखंड की कुल 70 सीटों में 56 सीटें जीतकर भाजपा तीन चौथाई बहुमत हासिल कर चुकी है और एक सीट पर उसका उम्मीदवार आगे चल रहा है। सत्तारूढ़ कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें मिल पाई हैं और दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती हैं। पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे पंजाब में कांग्रेस ने सभी अनुमानों को ध्वस्त करते हुए कुल 117 सीटों में से 77 पर जीत हासिल की है। राज्य में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी को 20 सीटें मिली हैं। शिरोमणि अकाली दल को 15 तथा भाजपा को तीन सीटों के साथ संतोष करना पडा है। दो सीटें लोक इंसाफ पार्टी को मिली हैं। 



गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है और कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे दल के रूप में उभरी है। भाजपा 13 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी और गोवा फारर्वड पार्टी को तीन- तीन सीटें मिली हैं जबकि तीन सीटें निर्दलियों की झोली में गयी हैं। एक सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विजयी रही है। 



मणिपुर में भी कोई दल स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाया है। वहां 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 28 सीटें हासिल कर कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। भाजपा 21 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है। नागा पीपुल्स फ्रंट तथा नेशनल पीपुल्स पार्टी को चार-चार सीटें मिली हैं । एक-एक सीट लोक जनशक्ति पार्टी और तृणमूल कांग्रेस को मिली है जबकि एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती है। लोक जनशक्ति पार्टी ने वहां भाजपा को समर्थन देने की घाेषणा की है।

विशेष आलेख : चैतन्य महाप्रभु की संकीर्तन रस संस्कृति

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चैतन्य महाप्रभु भारतीय संत परम्परा के भक्ति रस संस्कृति के एक महान् कवि, संत, समाज सुधारक एवं क्रांतिकारी प्रचारक थे। वैष्णव धर्म के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक थे। उन्होंने जात-पांत के बंधन को तोड़ने और सम्पूर्ण मानव जाति को एक सूत्र में पिरोने के लिये हरिनाम ‘संकीर्तन’ आन्दोलन शुरू किया। वे जन सागर में उतरे एवं फिर जन सागर उनकी ओर उमड़ पड़ा। एक महान् आध्यात्मिक आन्दोलनकारी संत के रूप में उनकी विशेषता थी वे धर्म समभाव, करुणा, एकता, प्रेम, भक्ति, शांति एवं अहिंसा की भावना को जन-जन केे हृदय में सम्प्रेषित एवं संचारित किया। वे नगर-नगर, गांव-गांव घूम कर भक्ति एवं संकीर्तन का महत्व समझाते हुए लोगों का हृदय- परिवर्तन करते रहे। उनके इस भक्ति-आन्दोलन ने धर्म, जाति, सम्प्रदाय या देश के भेदभाव से दूर असंख्य लोगों को संकीर्तन रस की अनुभूति करायी और उनका जीवन सुख, शांति, सौहार्द एवं प्रेम से ओतप्रोत हो, ऐसा अपूर्व वातावरण निर्मित किया। भारत की उज्ज्वल गौरवमयी संत परंपरा में सर्वाधिक समर्पित एवं विनम्र संत थे।


चैतन्य महाप्रभु का जन्म संवत 1407 में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सिंह लगन में होलिका दहन के दिन भारत के बंग प्रदेश के नवद्वीप नामक गांव में हुआ। वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। इनके द्वारा की गई लीलाओं एवं श्रीकृष्ण रूप देखकर हर कोई हैरान हो जाता था। उनके बचपन का नाम निमाई था। बहुत कम उम्र में ही निमाई न्याय व व्याकरण में पारंगत हो गए थे। इन्होंने कुछ समय तक नादिया में स्कूल स्थापित करके अध्यापन कार्य भी किया। निमाई बाल्यावस्था से ही भगवद् चिंतन में लीन रहकर राम व कृष्ण का स्तुति गान करने लगे थे। 15-16 वर्ष की अवस्था में इनका विवाह लक्ष्मीप्रिया के साथ हुआ। सन् 1505 में सर्प दंश से पत्नी की मृत्यु हो गई। वंश चलाने की विवशता के कारण इनका दूसरा विवाह नवद्वीप के राजपंडित सनातन की पुत्री विष्णुप्रिया के साथ हुआ। उनको अपनी माता की सुरक्षा के लिए चैबीस वर्ष की अवस्था तक गृहस्थ आश्रम का पालन करना पड़ा।  चैतन्य महाप्रभु भक्ति रस संस्कृति के प्रेरक हैं। समस्त प्राणी जगत प्रेम से भर जाए, श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाए और उनकी आध्यात्मिकता सरस हो उठे, ऐसी विलक्षण एवं अद्भुत है श्री राधा-कृष्ण के सम्मिलित रूप अवतार की संकीर्तन रसधार एवं श्री चैतन्य की जीवनशैली। इसी के माध्यम से उन्होंने प्रेम एवं भक्ति को सर्वोत्तम पुरुषार्थ घोषित कर मानव धर्म की श्रेष्ठता को प्रतिपादित किया। उनकी शिक्षाएं श्रीकृष्ण की ही शिक्षाओं का मूर्त रूप है। उन्होंने मानव कल्याण के लिये कहा, ‘प्रेम धर्म नहीं जीवन का सार तत्व हैं।’ यो तो उनके जीवन सेे जुड़े अनेक चमत्कार हैं। लेकिन एक दिन महाप्रभु ने भक्तों को यह समझाने के लिये कि संसार में क्या सार है और क्या निस्सार है, एक आम की गुठली जमीन में रौप दी। थोड़ी ही देर में उसमें अंकुर फूटा। अंकुर बढ़ कर एक छोटा-सा वृक्ष बन गया। देखते-देखते वह वृक्ष बढ़ा और उसमें पके दो सुन्दर आम दिखे। फिर एक ही क्षण में वह वृक्ष अदृश्य हो गया और वहां फल यानी आम रह गए। महाप्रभु ने अपने भक्तों को समझाया कि देखो, जिस प्रकार वृक्ष अभी था, अब वह नहीं रहा और केवल फल ही शेष रहे हैं, उसी प्रकार संसार असार है। महाप्रभु ऐसी ही विलक्षण और प्रेरक घटनाओं से अपने भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान देते थे। 

चैतन्य महाप्रभु ने जीवन में अनेक जन-कल्याणकारी कार्य किये। विशेषकर विधवाओं के कल्याण एवं जीवन उद्धार के लिये उन्होंने एक विशिष्ट उपक्रम किया। बंगाल एवं देश की विधवाओं को वृंदावन आकर प्रभु भक्ति के रास्ते पर आने को प्रेरित किया था। उन्हीं की देन है कि वृंदावन को करीब 500 वर्ष से विधवाओं के आश्रय स्थल के तौर पर जाना जाता है। कान्हा के चरणों में जीवन की अंतिम सांसें गुजारने की इच्छा लेकर देशभर से यहां जो विधवाएं आती हैं, उनमें ज्यादातर करीब 90 फीसद बंगाली हैं। अधिकतर अनपढ़ और बांग्लाभाषी। महाप्रभु ने बंगाल की विधवाओं की दयनीय दशा और सामाजिक तिरस्कार को देखते हुए उनके शेष जीवन को प्रभु भक्ति की ओर मोड़ा और इसके बाद ही उनके वृंदावन आने की परंपरा शुरू हो गई। चैतन्य महाप्रभु को भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप माना जाता है तथा इस संबंध में एक प्रसंग भी आता है कि एक दिन श्री जगन्नाथजी के घर एक ब्राह्मण अतिथि के रूप में आए। जब वह भोजन करने के लिए बैठे और उन्होंने अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए नेत्र बंद किए तो बालक निमाई ने झट से आकर भोजन का एक ग्रास उठाकर खा लिया। जिस पर माता-पिता को पुत्र पर बड़ा क्रोध आया और उन्होंने  निमाई को घर से बाहर भेज दिया और अतिथि के लिए निरंतर दो बार फिर भोजन परोसा परंतु निमाई ने हर बार भोजन का ग्रास खा लिया और तब उन्होंने गोपाल वेश में दर्शन देकर अपने माता-पिता और अतिथि को प्रसन्न किया। चैतन्य महाप्रभु ने भजन गायकी की अनोखी शैली प्रचलित कर उन्होंने तब की राजनैतिक अस्थिरता से अशांत जनमानस को सूफियाना संदेश दिया था। लेकिन वे कभी भी कहीं टिक कर नहीं रहे, बल्कि लगातार देशाटन करते हुए हिंदू-मुस्लिम एकता के साथ ईश्वर-प्रेम और भक्ति की वकालत करते रहे। जात-पांत, ऊंच-नीच की मानसिकता की उन्होंने भत्र्सना की, लेकिन जो सबसे बड़ा काम उन्होंने किया, वह था वृन्दावन को नये सिरे से भक्ति आकाश में स्थापित करना। सच बात तो यह है कि तब लगभग विलुप्त हो चुके वृंदावन को चैतन्य महाप्रभु ने ही नये सिरे से बसाया। अगर उनके चरण वहां न पड़े होते तो श्रीकृष्ण-कन्हाई की यह लीला भूमि, किल्लोल-भूमि केवल एक मिथक बन कर ही रह जाती।

चैतन्य महाप्रभु और उनके भक्त भजन-संकीर्तन में ऐसे लीन और भाव-विभोर हो जाते थे कि उनके नेत्रों से अविरल अश्रुधारा बहने लगती थी। प्रेम, आस्था और रूदन का यह अलौकिक दृश्य हर किसी को स्तब्ध कर देता था। श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति एवं समर्पण ने चैतन्य महाप्रभु की प्रतिष्ठा को और भी बढ़ा दिया। उड़ीसा के सूर्यवंशी सम्राट गजपति महाराज प्रताप रुद्रदेव तो उनको अवतार तक मानकर उनके चरणों में गिर गये जबकि बंगाल के एक शासक का मंत्री रूपगोस्वामी तो अपना पद त्यागकर उनके शरणागत हो गया था। गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के आदि-आचार्य माने जाने वाले चैतन्य महाप्रभु ने अनेक ग्रंथों की रचना की, लेकिन आज आठ श्लोक वाले शिक्षाष्टक के सिवा कुछ नहीं है। शिक्षाष्टक में वे कहते हैं कि श्रीकृष्ण ही एकमात्र देव हैं। वे मूर्तिमान सौन्दर्य, प्रेमपरक हैं। उनकी तीन शक्तियाँ परम ब्रह्म, माया और विलास हैं। इस श्लोक का सार है कि प्रेम तभी मिलता है जब भक्त तृण से भी अधिक नम्र होकर, वृक्ष से भी अधिक सहनशील होकर, स्वयं निराभिमानी होकर, दूसरों को मान देकर, शुद्ध मन से नित्य ‘हरि नाम’ का कीर्तन करे और ईश्वर से ‘जीवों के प्रति प्रेम’ के अलावा अन्य किसी वस्तु की कामना न करे। उन्होंने मानव द्वारा स्वयं को ईश्वर मानने की भूल को भी सुधारने का प्रयत्न किया। वे नारद की भक्ति से प्रभावित थे और उन्हीं की तरह कृष्ण-कृष्ण जपते थे। लेकिन गौरांग पर बहुत ग्रंथ लिखे गए, जिनमें प्रमुख है श्रीकृष्णदास कविराज गोस्वामी का चैतन्य चरितामृत, श्रीवृंदावन दास ठाकुर का चैतन्य भागवत, लोचनदास ठाकुर का चैतन्य मंगल, चैतन्य चरितामृत, श्री चैतन्य भागवत, श्री चैतन्य मंगल, अमिय निमाई चरित और चैतन्य शतक आदि।

चैतन्य महाप्रभु ईश्वर को एक मानते हंै। उन्होंने नवद्वीप से अपने छह प्रमुख अनुयायियों को वृंदावन भेजकर वहां सप्त देवालयों की स्थापना करायी। उनके प्रमुख अनुयायियों में गोपाल भट्ट गोस्वामी बहुत कम उम्र में ही उनसे जुड़ गये थे। रघुनाथ भट्ट गोस्वामी, रूप गोस्वामी, सनातन गोस्वामी, जीव गोस्वामी, रघुनाथ दास गोस्वामी आदि उनके करीबी भक्त थे। इन लोगों ने ही वृंदावन में सप्त देवालयों की स्थापना की। मौजूदा समय में इन्हें गोविंददेव मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, मदन मोहन मंदिर, राधा रमण मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधा श्यामसुंदर मंदिर और गोकुलानंद मंदिर आदि कहा जाता है। इन्हें सप्तदेवालय के नाम से ही पहचाना जाता है। वृंदावन में आज श्रीकृष्ण भक्ति एवं अध्यात्म की गंगा प्रवहमान है, उसका श्रेय महाप्रभु को ही जाता है। चैतन्य मत का मूल आधार प्रेम और लीला है। गोलोक में श्रीकृष्ण की लीला शाश्वत है। प्रेम उनकी मूल शक्ति है और वही आनन्द का कारण भी है। यही प्रेम भक्त के चित्त में स्थित होकर महाभाव बन जाता है। यह महाभाव ही राधा की उपासना के साथ ही कृष्ण की प्राप्ति का मार्ग भी है। उनकी प्रेम, भक्ति और सहअस्तित्व की विलक्षण विशेषताएं युग-युगों तक मानवता को प्रेरित करती रहेगी। संकीर्तन-भक्ति रस के माध्यम से समाज को दिशा देने वाले श्रेष्ठ समाज सुधारक, धर्मक्रांति के प्रेरक और परम संत को उनके जन्म दिवस पर न केवल भारतवासी बल्कि सम्पूर्ण मानवता उनके प्रति श्रद्धासुमन समर्पित कर गौरव की अनुभूति कर रहा है।




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(ललित गर्ग)
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25, आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोन: 22727486

गढ़वाल की होली कुमाऊ की होली से सैकड़ों साल पुरातन फिर भी शास्त्रीय होली में कुमाऊ से काफी पीछे है गढ़वाल!

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शायद देवभूमि गढ़वाल पूरे भारत बर्ष का पहला ऐसा क्षेत्र हैं जहाँ होली सिर्फ कृष्ण या राम यानि द्वापर या त्रेता में प्रचलित नहीं रही बल्कि यह सतयुग में ब्रह्मा बिष्णु महेश की होली मानी जाती है, जबकि वर्तमान में साहित्यकार, इतिहासकार इसे मात्र 200 बर्ष पुरानी मानते हैं. शायद यह काल घोषित करना जल्दबाजी होगी क्योंकि अगर ब्रज में कृष्ण की रसिया होली है तो बुन्देलखण्ड में फ़ाग, और बिहार में जोगीरा प्रसिद्ध मानी गयी है जिनका काल बेहद पुरातन माना जाता रहा है. यहाँ सतयुग, त्रेता या द्वापर में होली का भले ही प्रसंग न आता हो लेकिन इन युगों में पैदा हुए ब्रह्मा, बिष्णु, महेश, राम और कृष्ण की होली पर कई होली गीत रचे गए हैं. सिर्फ उत्तराखंड ही देश का ऐसा राज्य है जहाँ सतयुगी होली गीत हैं यानि पृथ्वी संरचना को दर्शाते शिब की होली के गीत जैसे-


जल बीच कमल को फूल उगो, अब भाई कमल से ब्रह्म उगो,
ब्रह्म की नाभि से श्रृष्टि है पैदा, ब्रह्मा श्रृष्टि की रंचणा करो!

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इस गीत में ब्रह्म बिष्णु और महेश द्वारा जिस प्रकार श्रृष्टि संरचना की गयी है वह अतुलनीय है. यह गीत उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र की होली का वह पहला गीत है जिसे सिर्फ और सिर्फ गढ़वाल क्षेत्र में तब गाया जाता है जब फाल्गुन शुक्ल सप्तमी के दिन ज्योतिष के लग्नानुसार गॉव के लोग पद्म (पंय्याँ) व मेहलू (मेंळऊ) के वृक्ष की टहनी काटकर लाते हैं. पद्म की टहनी पर चीर बंधन वहीँ काटते समय होता है जबकि मेहलू की टहनी जो सफ़ेद/ नीले फूलों से लकदक होती है पर लाल चीर बंदन तब होता है जब गॉव के पंचायती आँगन के मध्य उसे विधि विधान से गाढा जाता है जिसे होलिका का स्वरुप माना जाता है. वहीँ इसी दिन या इस से एक आध दिन पूर्व एक बांस का ध्वज बनाया जाता है जिसकी होलिका के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. इस पर बंधने वाली ध्वज पताका का रंग सफ़ेद होता है. मूलतः इसे अच्छाई का प्रतीक माना जाता है और वह ध्वज प्रहलाद ध्वज कहलाता है. यहाँ जौ तिल से जहाँ पद्म वृक्ष व मेहलू वृक्ष की तहनियों को पंचायती आँगन के बीचों बीच रोपा जाता है वहीँ ध्वज, हारमोनियम, ढोलक और खडताल पर भी जौ तिल छिडककर मंत्रोचारण के साथ होली का शुभारम्भ किया जाता है. जिसमे सबसे पहले  उपरोक्त गीत को ही गाया जाता है जो सतयुगी गीत है व पृथ्वी संरचना का एक उदाहरण है.

उसके बाद त्रेता काल पर आकर “दशरथ को लछिमन बाल जति, पाप न लागो एक रति या फिर चल प्यारे रघुवीर जनकापूरी में, जनकापुरी में सीता स्वयम्बर ..इत्यादि गीतों का चलन है वहीँ दूसरी ओर अगर यह होलिका पंचायती आँगन में हो व वहां देवी माँ का मंदिर स्थापित हो तो देवी की स्तुति कुछ इस तरह होती है-

हर हर पीपल पात जय देवी आदि भवानी,
कहाँ तेरो जन्मनिवास जय देवी आदि भवानी
फिर शिब मंदिर हो तो यही शब्द कुछ इस तरह गाये जाते हैं.-
चम्पा चमेली के नौ दस फूल कि गौरा  हार गूंथी है.
गौरा गूंथो हार शिबजी के गल में बिराजे !!

इसी गीत में तीनों देव ही नहीं बल्कि सतयुग द्वापर व त्रेता तक के सभी देवताओं को होली पर स्थान दिया जाता है जैसे-

कमला ने गूंथों हार ब्रह्मा के गल में बिराजे!
लक्ष्मी ने गूंथो हार बिष्णु के गल में बिराजे!
सीता ने गूंथों हार राम के गल में बिराजे.
राधा ने गूंथों हार कृष्ण के गल में बिराजे!!

इसी तरह ध्वज की परिकल्पना भले ही भक्त प्रहलाद से की जाती हो लेकिन इसे हनुमान का स्वरूप समझ कर इस पर भी गीत गाये जाते हैं यानि हनुमान पूरी होली में होली के होल्यारों के साथ रहते हैं शायद तभी ये हुल्यारे एक गॉव से दुसरे गॉव जाकर होली तो मांगते हैं लेकिन अपने हनुमान रूप के लिए प्रसिद्ध किसी की ककडी, किसी की नारंगी, मौसमी या खेतों में मूला उखाड़कर खाते कम हैं और फैंकते ज्यादा हैं.

एक एकादश हीरा न बीरा वंशी की भौंण सुने रघुवीरा ...

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ये वाला गीत राम कृष्ण को एक मंच पर लाता है वहीँ हनुमान भी आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं जैसे – कहो पवनसुत वीर लंका कैसी बनी है! होलिका दहन की परम्परा का श्रीगणेश भारत बर्ष के जिस प्रदेश में हुआ जहाँ भगवान् ने हृणाकश्यप की पाशविक शक्तियों पर विजय पाने के लिए पशु व इंसान के मिश्रित अवतार में खुद को ढाला हो वहां आज होली नाममात्र की रह गयी है. आपको जानकारी दे दूँ कि भक्त प्रहलाद के राम राम जाप से त्रास खाए हृणाकश्यप ने जब देखा कि प्रहलाद को मारने के सारे दांव उसके समाप्त हो गए हैं तब अपनी बहन होलिका जो आग से नहीं जलती थी की गोद में भक्त प्रहलाद को बैठाकर एक लोहखम्ब से बाँधने के बाद हृणाकश्यप ने भयंकर आग लगा दी लेकिन प्रहलाद का मंत्र जाप यहाँ भी न टूटा और होलिका अग्नि में भस्म हो गयी जबकि वह लोहखम्ब फटा जिस से नरसिंग अवतार जन्मे जिन्होंने हृणाकश्यप का वध किया. आज भी वह शहर जोशीमठ उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में है. यहीं से होली का जन्म माना जाता है. गढ़वाल की होली से पुरानी वर्तमान साहित्यकार या इतिहासकार कुमाऊ मंडल की होली को मानते हैं और उसका भी काल लगभग 200 साल पुराना मानते हैं जो सर्वथा सत्य नहीं कहा जा सकता क्योंकि जिस होली का यह काल इतिहासकार या साहित्यकार बता रहे हैं ब्रिटिश काल में कुमाऊं की होली शास्त्रीय संगीत के ज्ञाता उस्ताद अमानत हुसैन की बैठकी होली का काल माना है उनके पश्चात मथुरा व ग्वालियर से भी यहाँ होली पर मुस्लिम संगीतज्ञ आते थे. ब्रिटिश काल यानि 1850 में भी कुमाऊँ में बैठकी होली का प्रचलन था जबकि 1870 में अमानत अली हुसैन का होली का ठुमरी गायन बेहद लोकप्रिय माना गया है जिसमें 16 मात्राएँ प्रचलित रही. जो कृष्ण के सोलह अवतारों में गिनी गयी लेकिन इसमें लखनऊ राज दरवार व केसरबाग़ का भी उल्लेख आया है!

इसमें कोई शक नहीं किया जा सकता कि 16 मात्राओं में गाई जाने वाली शास्त्रीय संगीत के साथ होली का चलन गढ़वाल में नहीं के बराबर है जबकि कुमाऊ होली के रंग का ऐसा स्वरुप है जहाँ पूष के प्रथम रविवार से होली की शुरुआत मानी जाती है जबकि गढ़वाल में लगभग एक माह बाद फाल्गुन से ! जोकि फाल्गुन पूर्णिमा में इसका समापन होता है. वहीँ कुमाऊं होली के रंगों में ऐसा रंगा रहता है कि उसका शबाब जाने का नाम नहीं लेता. यहाँ की अंतिम होली पिथौरागढ़ की मानी जाती है जो रामनवमी के दिन समाप्त होती है. इसका मतलब यह हुआ कि कुमाऊ में होली का चलन तीन से चार माह का है जबकि गढ़वाल में यह एक हफ्ते से एक माह में सिमट गयी है.
जहाँ कुमाऊ में होली खडी व बैठकी दोनों का प्रचलन हैं वहीँ यहाँ का जनमानस राग ठुमरी, राग झिझोरी, राग धमाल, राग जंगल, राग काफ़ी, राग जैवन्ती, राग दरवारी, राग खमार, र्राग भैरवी सहित विभिन्न रागों में अपनी होली की विरासत को ज्यों का त्यों बचाए हैं जबकि गढ़वाल क्षेत्र इसमें बेहद पिछड गया है और यही कारण भी है कि उसकी होली विरासत कुमाऊ की होली विरासतों से कम आंकी जाने लगी है.

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कुमाऊ में चंद वंशज राजाओं में भी होली का प्रचलन था ऐसा माना जाता है. कहते हैं कि चंद राजाओं की जासूस व बेहद खूबसूरत उस काल की छमुना पातर ही शास्त्रीय होली कुमाऊ दरवार से गढ़वाल में लाई जोकि सर्वथा गलत है. इसमें कोई दोहराय नहीं कि छमुना गायन नृत्य व रिझाने की कला की महारथी थी लेकिन गढ़वाल के पंवार (पाल) वंशी राजाओं के दरवार में इसे 17वीं सदी में गढ़दरवार के चित्रकार कवि मौलाराम तुन्वर लेकर आ गए थे. जोकि वर्तमान से लगभग 500 बर्ष पूर्व की बात है. और यहाँ की होली में राजस्थान के राजघरानों की शास्त्रीय होली का ज्यादा बर्चस्व रहा लेकिन भाग्य की बिडम्बना देखिये अपने को स्वयम्बू यानि बोलान्दा बद्री मानने वाले टिहरी नरेश के काल में होली ने टिहरी से बिलकुल मुंह ही मोड़ दिया क्योंकि राजाज्ञा के चलते यह सब नहीं हो पाया जिसका दुष्प्रभाव ब्रिटिश गढ़वाल पर भी पड़ा. और होली गढ़वाल में लगातार पिछडती गयी. ऐग्ये बसंत ऋतू ऐग्येनी होली, आम के पेड़ में कोयल बोली..से शुरू होने वाली होली का समापन “होली ख़त्म ह्वेनी पूर्णमासी राती, जगमग जोत जले दिया बाती ...से समाप्त होती है. आज भी पहाड़ की पुरातन सभ्यता कई मामलों में देश काल के जनमानस की अगुवाई करती दिखाई देती है तभी तो यह देवभूमि कहलाती है.





(मनोज इष्टवाल)

विशेष आलेख : टीबी उन्मूलन मुश्किल है पर असंभव नहीं!

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टीबी नियंत्रण कार्यक्रम अनेक दशकों से चल रहे हैं पर जिस अति-धीमी गति से टीबी दरों में गिरावट साल-दर-साल आ रही है उस गति से 2184 साल तक टीबी उन्मूलन हो सकेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में तो भारत में टीबी दर में गिरावट के बजाय बढ़ोतरी हो गयी और टीबी मृत्यु दर में भी इजाफा हुआ. भारत सरकार समेत 190 देशों से अधिक की सरकारों ने 2030 तक टीबी उन्मूलन का वादा किया है. पर यह सपना कैसा पूरा हो? यह जानने के लिए सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस) ने डॉ केके चोपड़ा, निदेशक, नई दिल्ली टीबी सेंटर से मुलाकात की. डॉ केके चोपड़ा, पिछले 33 सालों से टीबी नियंत्रण कार्यों के लिए समर्पित रहे हैं. 1997 से भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का "पुनरीक्षित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम" (RNTCP) देशभर में सक्रियता से टीबी उन्मूलन के लिए प्रयासरत है. 1997 से पहले, "राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम"दशकों चला था. 1997 से पूर्व चले इस कार्यक्रम के बारे में डॉ केके चोपड़ा ने बताया कि टीबी के इलाज एक्सरे के आधार पर होता था और २ वर्ष की अवधि तक चलता था. दशकों पहले चले राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम में आंकड़ें एकत्रित तो होते थे पर हर रोगी के बारे में पूरी जानकारी और इलाज सम्बन्धी जरुरी तथ्य नहीं रिपोर्ट होते थे. हर जिले में सिर्फ एक टीबी क्लिनिक होती थी. रोगी को अपने जिले की टीबी क्लिनिक से हर माह, पूरे महीने की, दवा मिलती थी. हर रोगी का एक उपचार-कार्ड बनता था. यदि रोगी हर माह दवा लेने नहीं आये तो एक सप्ताह बाद एक पोस्टकार्ड भेजा जाता था कि 'क्लिनिक से दवा ले लें'और यदि इसके बावजूद भी रोगी दवा लेने नहीं आता था तो एक दूसरा पोस्टकार्ड 21 दिन बाद भेजा जाता था. २ पोस्टकार्ड भेजने के बाद भी यदि रोगी क्लिनिक नहीं आया तो उपचार कार्ड पर विराम लगा दिया जाता था.

1997 से पहले राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम क्यों बेअसर था?
आज 85% रोगी सफलतापूर्वक अपना उपचार पूरा करते हैं. पर 1997 से पूर्व, शोध के अनुसार, सिर्फ 30% रोगी ही अपनी टीबी जांच करवाते थे और उपचार प्राप्त करते थे, और इनमें से मात्र एक-तिहाई ही उपचार पूरा करते थे. टीबी के 70% रोगी न जांच और न ही उपचार पाते थे - और - जिनको इलाज नसीब होता था उनमें से दो-तिहाई का इलाज अधूरा रह जाता था. इसका जन स्वास्थ्य परिणाम सोच कर ही घबराहट होती है. जाहिर है कि जन स्वास्थ्य की दृष्टि से इस कार्यक्रम का टीबी उन्मूलन पर शायद ही कोई प्रभाव पड़ रहा था. बल्कि आकंड़ों को देखें तो 1990 के दशक में, टीबी दरों में गिरावट के बजाय वृद्धि हो गयी थी. इसीलिए राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम को संशोधित और पुनरीक्षित कर के 1997 में RNTCP (पुनरीक्षित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम) के रूप में देश भर में लागू किया गया. RNTCP का मुख्य आधार था: डॉट्स (DOTS) प्रणाली जिसके तहत रोगी, हर एक दिन छोड़ कर, निकटतम डॉट्स केंद्र में जाकर स्वास्थ्यकर्मी की निगरानी में अपनी दवा लेता था. टीबी की जांच बलगम से माइक्रोस्कोप द्वारा होती थी जिसके कारणवश पहले के मुकाबले (जब जांच एक्सरे से होती थी) अधिक कुशलता से टीबी रोगी चिन्हित होने लगे.

टीबी की नियमित दवा उपलब्ध होना एक बड़ी उपलब्धि बनी
1997 से पूर्व चले राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम में 3 दवाओं में से अक्सर एक न एक दवा उपलब्ध नहीं रहती थी. अधिकाँश रोगी निजी दवा दुकानों से दवाएं नहीं खरीद पाते थे और जितनी दवाएं उपलब्ध होती उतनी वे लेते थे. फलस्वरूप टीबी कार्यक्रम के नतीजे, न केवल असंतोषजनक बल्कि चिंताजनक भी रहे. 1997 के पश्चात् चले RNTCP के तहत नियमानुसार, डॉट्स केन्द्रों में हर रोगी के नाम से एक दवाओं का डिब्बा रहता है और दवाएं नियमित रूप से उपलब्ध रहती हैं. हालाँकि दवाओं की अनियमितताओं के सम्बन्ध में भी कुछ समाचार मिलते हैं पर स्थिति 1997 के पूर्व जैसी विकराल भी नहीं है और एक बड़ा सुधार तो हुआ है. 1997 के पूर्व अनियमित दवाओं की वजह से रोगी उपचार पूरा नहीं कर पाते थे. सभी रोगी उपचार सफलतापूर्वक पूरा करें, इसके लिए नियमित दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है.

सुधार करना हो तो असंतुष्ट रोगी से सीखें! 
इस बात में कोई संशय नहीं है कि हर टीबी रोगी की जल्द-से-जल्द पक्की जांच होनी चाहिए और उसे बिना विलम्ब प्रभावकारी उपचार मिलना चाहिए. यदि किसी भी कारणवश रोगी उपचार पूरा करने में असमर्थ रहा हो तो उससे सीखने की जरुरत है कि वे क्या कारण थे जिनकी वजह से वो उपचार पूरा न कर पाया. उपचार पूरा करने में बाधा बन रहे कारणों का निवारण करना अतिआवश्यक है जिससे कि भविष्य में इन कारणों की वजह से किसी अन्य रोगी का उपचार अधूरा न रह जाए. 1997 से चल रहे RNTCP कार्यक्रम में यदि रोगी किसी भी कारणवश दवा लेने डॉट्स केंद्र न आये तो डॉट्स स्वास्थ्यकर्मी को उसी दिन या अगले दिन रोगी के घर अवश्य जाना चाहिए. डॉट्स स्वास्थ्यकर्मी को रोगी के घर पर उसको स्वास्थ्य-सम्बन्धी जानकारी प्रदान करनी चाहिए और उसको वापस डॉट्स केंद्र आने के लिए प्रेरित कर, उसका अधूरे उपचार को पूरा करवाना चाहिए.

टीबी और दवा प्रतिरोधक टीबी की पक्की जांच
टीबी की दवा नियमित न लेने से दवा प्रतिरोधक टीबी हो सकती है. दवा प्रतिरोधकता उत्पन्न होने के बाद, दवाएं कारगर नहीं रहतीं और नयी दवाओं से उपचार करना पड़ता है. समस्या यह है कि नयी दवाएं हैं ही बहुत कम और यदि इन दवाओं से भी प्रतिरोधकता हो गयी तो इलाज के विकल्प अत्यंत सीमित हैं और इलाज के परिणाम बहुत निराशाजनक हैं. एक और बात: दवा प्रतिरोधकता उत्पन्न होने के बाद जो दवाओं के विकल्प हैं वो टीबी के उपचार को अधिक जटिल और लम्बी अवधि वाला बनाते हैं. हर संभव प्रयास यही होना चाहिए कि दवा प्रतिरोधकता उत्पन्न ही न हो जिससे कि इलाज 6-8 माह में सफलतापूर्वक समाप्त हो सके. दवा प्रतिरोधक टीबी का इलाज २ साल से ऊपर चलता है और परिणाम भी असंतोषजनक हैं: औसतन 50% सफलता दर है. 2008 के बाद से भारत में दवा प्रतिरोधक टीबी की जांच और उपचार सेवाओं में विशेष बढ़ोतरी हुई है. देश में गिनती की चंद अत्यंत आधुनिक जांच केंद्र थे और अब 2017 में भारत के हर प्रदेश में ऐसे अति-आधुनिक जांच केंद्र हैं. इन केन्द्रों से दवा प्रतिरोधक टीबी की जांच और इलाज नि:शुल्क वितरित होता है. पर इतने प्रयास के बाद भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, दवा प्रतिरोधक टीबी का दर भारत में घटा नहीं, बढ़ा है. दवा प्रतिरोधक टीबी का दर इसलिए भी बढ़ सकता है क्योंकि अब नि:शुल्क जांच और उपचार सेवाएँ हर प्रदेश में उपलब्ध हैं, जो पहले नहीं थीं. पर इस बात से मुकरा नहीं जा सकता कि यदि टीबी कार्यक्रम सफलतापूर्वक चल रहा हो तो दवा प्रतिरोधक टीबी उत्पन्न नहीं होनी चाहिए. दवा प्रतिरोधक टीबी इस बात का प्रमाण है कि टीबी कार्यक्रम में अभी सुधार की जरुरत है.

दवा प्रतिरोधक टीबी की जांच अवधि: 3-4 माह से कम हो के अब २ घंटे
दवा प्रतिरोधक टीबी की जांच, सॉलिड कल्चर विधि से 3-4 माह में आती है और इसके पश्चात ही उपयुक्त उपचार दिया जा सकता है. 3-4 माह तक रोगी कष्ट में रहता है और अक्सर निजी उपचार और अन्य विधियों से उपचार करवा के राहत पाने का प्रयास करता है. दवा प्रतिरोधक टीबी वायु के जरिये फ़ैल भी सकती है.

इसलिए यह जरुरी शोध था कि दवा प्रतिरोधक टीबी की जांच शीघ्र हो सके और इलाज जल्दी शुरू हो सके.
मॉलिक्यूलर टेस्ट (जीन-एक्सपर्ट) मशीन से टीबी की पक्की जांच और दवा प्रतिरोधक टीबी की जांच दोनों २ घंटे के भीतर पूरी हो जाती हैं. जांच रिपोर्ट के अनुसार उपयुक्त इलाज भी हो सकता है. यह निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि है. आज भारत के लगभग हर जिले में कम-से-कम एक जीन-एक्सपर्ट मशीन सरकारी स्वास्थ्य सेवा केंद्र में उपलब्ध है.

शोध पश्चात निकली नयी दवाएं उपलब्ध करवाने में सालों का विलम्ब क्यों?
कड़े वैज्ञानिक परिश्रम के बाद हुए शोध से निकली नयी दवाएं, लोगों तक सालों के बाद क्यों पहुँचती हैं? सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) की निदेशिका शोभा शुक्ला ने कहा कि "शोध की उपलब्धियों को जन स्वास्थ्य उपलब्धियों में परिवर्तित करने में कोई भी देरी नहीं की जानी चाहिए. महिला कंडोम को 1993 में अमरीकी FDA ने पारित किया पर भारत में अब तक इसको जरूरतमंद महिलाओं तक नहीं पहुँचाया गया है जबकि अनचाहे गर्भ और यौन संक्रमण रोग (जैसे कि एचआईवी) एक चुनौती हैं. टीबी की नयी दवाएं भी कुछ साल पहले तो अवश्य ही कार्यक्रम में शामिल की जा सकती थीं."दवा प्रतिरोधक टीबी के नए 9 माह अवधि के उपचार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मोहर तो लगायी पर यह मोहर चंद साल पहले भी लग सकती थी. आज भी अनेक दवा प्रतिरोधक टीबी के रोगियों का इलाज २ साल से अधिक लम्बा वाला ही है. इन रोगियों को मौजूदा वैज्ञानिक उपलब्धियों का लाभ कब मिलेगा? बीडाक्यूलीन और देलामनिद दवाएं भी चंद सालों से अमीर देशों में उपलब्ध हैं पर भारत में बीडाक्यूलीन को 2016 विश्व टीबी दिवस पर शामिल किया गया था जब दवा कंपनी ने 600 रोगियों के लिए दवाएं मुफ्त दीं. पर अब 2017 विश्व टीबी दिवस आने को है (24 मार्च) पर सिर्फ 200 लोगों को ही इन दवाओं से लाभ मिला है. एक रोगी को तो कोर्ट के चक्कर भी लगाने पड़े थे! भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् (इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च/ ICMR) की महानिदेशिका डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने एक समाचार पत्र को बताया है कि 3-4 माह में देलामनिद दवा जरूरतमंद रोगियों के लिए उपलब्ध होगी. जाहिर है, कि इन नयी दवाओं को सरकारी टीबी कार्यक्रम में शामिल करने में कोई भी विलम्ब नहीं होनी चाहिए - यह भविष्य के लिए बड़ी सीख है.



बाबी रमाकांत, 
(बाबी रमाकांत, विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा 2008 में पुरुस्कृत, सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) के नीति निदेशक हैं.
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