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सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 25 अक्टूबर

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डेंगू मलेरिया चिकनगुनिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने किया अलर्ट जारी 

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डेंगू मलेरिया और चिकनगुनिया को लेकर अलर्ट जारी किया यगा है। जिला मलेरिया अधिकारी श्रीमती क्षमा बर्वे ने बताया कि लेकर बुखार आना, एक दिन छोडकर बुखाना आना, एक दिन छोडकर बुखार आना बुखार के साथ पसीना आने के बाद उतर जाना ये मलेरिया के लक्षण हैं। मलेरिया से बचाव के लिए छत पर रखे पानी की खुली टंकियों में मच्छर पैदा होते  है। कूलर के एमत्र जल में टूटे बर्तन, खुले हुए मटके कुल्हड गमलों मे जमा पानी में भी मच्छर पैदा होने की संभावना ज्यादा रहती है। श्रीमती वर्बे ने बताया कि डेंगू एडिज मच्छर के काटने से हाता है। डेंगू के लक्षणों में 2 से 7 दिनों तक बुखार आना , सिर दर्द, जोडों में दर्द,लाल चकते, व दाने छाती को दोनों हाथों पर दाने आना इसके लक्षणों में शामिल है। मव्छर से बचाव के लिए मच्छरानी का उपयोग किया जाना जरूरी है। नीम की पत्ती का धुआं ऐसे कपडों का उपयोग करना जिससे पूरा शरीर ढंका रहे। खिडकी व दरवाजें में मच्छरजाली लगवाना जरूरी है। जिला मलेरिया अधिकारी के अनुसार चिकगुनिया बुखार चिक नामक वाईरस की वजह से होता है। इसमें अचानक तेज बुखार होना, ठण्ड लगना, जोडो में दर्द खासर्तार से हाथ की उंगलियों,पैर के छोटे के जोडों में दर्द व बुखार इसके प्रमुख लक्षण है। बुखार की स्थिति में नजदीक स्वास्थ्य केन्द्र में खून की जांच कराएं तथा चिकित्सक से मिलकर उपचार कराएं। घर के आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने दें यदि पानी जमा हो तो मिट्टी से ढक देना या जला हुआ आइल चाहिए।       

आशा कार्यकर्ताओं की चयन सूची जारी

आशा कार्यकर्ता चयन से संबंधित पात्र एवं अपात्र आवेदकों की सूची जिला स्तरीय चयन समिति के अनुमोदन उपरांत जारी कर दी गई है। सूची कार्यालय कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय,जनपद पंचायत सीहोर व आष्टा, कार्यालय खण्ड चिकित्सा अधिकारी आष्टा, कार्यालय  नगर पालिका परिषद सीहोर व आष्टा, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सीहोर व आष्टा के कार्यालय के नोटिस बार्ड पर चस्पा कर दी गई है। आवेदक इन कार्यालयों में जाकर नोटिस बोर्ड पर  पात्र एवं अपात्र संबंधी अपने नाम देख सकते है।  

ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए सुझाव पोर्टल के माध्यम से दें 

ऑनलाइन ठगी से नागरिकों को बचाने के लिये mp.mygov.in पोर्टल पर ऑनलाइन कैम्पेन चलाया जा रहा है। ऑनलाइन  ठगी से बचने के लिये राज्य साइबर पुलिस मध्यप्रदेश द्वारा नागरिकों से जागरूक और सावधान रहने की अपील भी की गई  है। राज्य साइबर पुलिस को ऑनलाइन एडवरटाइजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों से अलग-अलग ठगी करने संबंधी कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं। लगातार प्राप्त हो रही इन शिकायतों की वजह से राज्य साइबर पुलिस द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं। नागरिक अब आम लोगों को ठगी का शिकार होने से बचाने के उपाय, महत्वपूर्ण सुझाव और विचार पोर्टल पर लॉग इन कर साझा कर सकते हैं।

एक नवम्बर को समारोहपूर्वक मनाया जायेगा मध्यप्रदेश स्थापना दिवस

एक नवम्बर को मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोहपूर्वक मनाया जाएगा। अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन के निर्देशानुसार जिला स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में मुख्य आतिथ्य के लिये मंत्रीगणों एवं अध्यक्ष/उपाध्यक्ष विधानसभा को जिला आवंटन किया जायेगा। स्थापना दिवस पर सुबह 11 बजे जिला मुख्यालय में समारोहपूर्वक राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान गायन होगा। जिला स्तरीय कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि, समाजसेवी, धर्मगुरू, स्वंतत्रता संग्राम सेनानी एवं शहीद सैनिकों के परिवारों को आमंत्रित किया जायेगा। कार्यक्रम में संकल्प पत्र का वाचन किया जायेगा। जिला स्तर पर समस्त प्रमुख शासकीय भवनों पर इस दिन रोशनी की जायेगी। जिला एवं विकासखंड स्तर पर स्थानीय लोक कलाओं, लोक गायन तथा हस्त निर्मित वस्तुओं के स्टाल्स, व्यजंन मेले एवं स्वास्थ्य संबंधी कार्यशालाओं का आयोजन होगा। विभिन्न स्तर के कार्यक्रमों में अध्यात्म विभाग की सहभागिता रहेगी। युवाओं की भागीदारी के कार्यक्रम भी होंगे। विभिन्न राज्य स्तरीय खेलकूद एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जायेगा। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150वें जयंती वर्ष के आयोजन पर उनके विचारों और सिद्धांतों पर निबंध, वाद-विवाद, चित्रकला प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 25 अक्टूबर

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राज्य स्थापना आयोजन कार्यक्रमों की तैयारियां

मध्यप्रदेश राज्य स्थापना दिवस एक नवम्बर को आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा को कलेक्टर श्री केव्ही सिंह की अध्यक्षता में आहूत बैठक में अंतिम रूप दिया गया है।  बैठक में बताया गया कि राज्य स्थापना एक नवम्बर को जिला मुख्यालय पर मुख्य समारोह पुलिस परेड ग्र्राउण्ड पर प्रातः 10.25 बजे से आयोजन शुरू होंगे। मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि द्वारा ध्वजारोहण, राष्ट्रगान इसके पश्चात् मुख्यमंत्री जी के संदेश का वाचन, संकल्प, हर्ष फायर, मध्यप्रदेश गान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन उपरांत कार्यक्रम के अंत में वंदे मातरम से कार्यक्रम का समापन होगा। मुख्य समारोह में शामिल होने वाले कार्यक्रमों की रिहर्सल का जायजा तीस अक्टूबर की प्रातः साढे दस बजे एसडीएम द्वारा लिया जाएगा।  जिला मुख्यालय की तर्ज पर निकायो, विकासखण्ड मुख्यालयों तथा ग्राम पंचायत स्तर पर भी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कलेक्टर द्वारा आयोजन के मद्देनजर विभिन्न विभागों के अधिकारियो को आवश्यक जबावदेंही सौंपी है। 

उपस्थिति के निर्देश
कलेक्टर श्री केव्ही सिंह ने बैठक के दौरान सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाले मुख्य समारोह स्थल पर सभी विभागों के जिलाधिकारी अनिवार्य रूप से उपस्थित हो। 

रोशनी के निर्देश
कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने राज्य स्थापना दिवस एक नवम्बर को सभी शासकीय स्मारको, कार्यालयों प्रकाश (रोशनी) की जाएगी। इसके लिए झालर लगाने का कार्य 31 अक्टूबर की रात्रि तक पूरा कर लिया जाए। ताकि एक नवम्बर की रात्रि से रोशनी कार्यालयों में की जा सकें। 

आदिवासी विद्यार्थी करेंगे देश के गाँधी स्मृति स्थलों का भ्रमण

प्रदेश के आदिवासी छात्रावासों और शालाओं के विद्यार्थियों को इस वर्ष देश के गाँधी स्मृति स्थलों का शैक्षणिक भ्रमण कराया जायेगा। आदिम जाति कल्याण विभाग ने भ्रमण कार्यक्रम के लिये जिला स्तरीय उत्कृष्ट छात्रावासों को 25-25 हजार रूपये और विशिष्ट विद्यालयों को 50-50 हजार रूपये की राशि स्वीकृत कर दी है। सभी सहायक आयुक्त और जिला संयोजक से कहा गया है कि शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक परिसरों और विशिष्ट शैक्षणिक महाविद्यालयों जैसे आईआईटी और आईआईएम परिसर को भी शामिल करें। एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में इस वर्ष दीपावली का अवकाश 25 से 28 अक्टूबर तक रहेगा। इसके साथ 6 दिन जोड़कर 25 अक्टूबर से 3 नवम्बर तक बच्चों को घर जाने की छूट रहेगी। प्राचार्यों से विद्यार्थियों की अर्ध-वार्षिक परीक्षाएं 24 अक्टूबर तक पूर्ण कराने को कहा गया है।

मध्य षिक्षा सत्र में युक्तियुक्तकरण के नाम पर षिक्षकों के थोक में स्थानांतरण का विरोध
षिक्षा व्यवस्था पर भारी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चेतावनी
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विदिषा 25 अक्टूबर 2019/ मध्यप्रदेष षिक्षक कांग्रेस की विदिषा जिला शाखा द्वारा आज मध्य षिक्षा सत्र में युक्तियुक्तकरण के नाम पर षिक्षकों के थोक में स्थानांतरणो का विरोध करते हुए जिला षिक्षा अधिकारी एस.पी.त्रिपाठी को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। इस ज्ञापन की प्रतिलिपि विदिषा विधायक शषांक श्रीकृष्ण भार्गव को भी इस आग्रह के साथ अगे्रेषित की गई है कि वे इस संबंध में उच्च स्तर पर कार्यवाही कराकर षिक्षा व्यवस्था पर आंषकित भारी प्रतिकूल प्रभाव को रोकने की सार्थक पहल करें।  यह ज्ञापन जिला षिक्षा एवं षिक्षक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष तथा जिला षिक्षक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अमरचन्द शर्मा तथा जिला षिक्षक कांग्रेस के अध्यक्ष मनोज कुमार शर्मा के नेतृत्व में प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर जिला संगठन सचिव अवध सक्सेना सहित अन्य संगठन पदाधिकारियों समेत बड़ी संख्या में षिक्षक उपस्थित रहे। इस अवसर पर श्रीकांत वैद्य, ओपी दीक्षित, दिनेष गुप्ता, राकेष जैन, राजेन्द्र अग्रवाल, महेन्द्र शर्मा, अरविन्द अवस्थी, रणवीरसिंह जाट, अनिल दीवान, देवेन्द्र रघुवंषी, हनुमंत सिंह यादव, भंवरलाल राठौर, राजनारायण दीक्षित, नवीन शर्मा, संजीव शर्मा, राजेन्द्र श्रीवास्तव, गोपालराव डोंगरे, केके शर्मा, दीपक जैन सहित षिक्षिकाएं निषा तिवारी, इतिश्री भावसार, ममता तिवारी, साहिदा बानो, वंदना यादव, दिषा मुले, सुषमा साहू आदि विषेष रूप से उपस्थित रहे। 

अभिनेत्री अनारा गुप्‍ता ने पटना के आपदा पीडि़तों के बीच किया मच्‍छड़दानी का वितरण

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पटना, मिस जम्‍मू रहीं अभिनेत्री अनारा गुप्‍ता ने आज राजधानी पटना में बीते दिनों आई आपदा से पीडि़तों के बीच मच्‍छड़दानी का वितरण किया। उन्‍होंने पटना के राजेंद्र नगर स्थित वैशाली गोलंबर पर सैकड़ों जरूरतमंद लोगों के बीच मच्‍छड़दानी का वितरण किया, ताकि वे जलजमाव के बाद डेंगू – मलेरिया के मच्‍छड़ों से खुद को बचा सकें, ताकि वे बीमार न हों। अनारा ने अपनी संस्‍था ए जी फाउंडेशन के तहत करीब सैकड़ों लोगों को मच्छड़दानी का वितरण किया और आगे भी जरूरत मंद लोगों की सहायता करने की बात कही। इस दौरान अनारा ने बताया कि हम टीवी और न्‍यूज पेपर में पटना की हालत देख रहे थे। हमें काफी दुख हुआ कि इतना बड़ा शहर महज दो दिन की बारिश में कैसे डूब गया। मैं वहां से कुछ कर नहीं पा रही थी, लेकिन तब भी मैंने पेटीएम से मदद भेजी थी। लेकिन फिर भी मन विचलित था। बाद में मुझे पता चला कि जलजमाव खत्‍म होने के बाद जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। खास कर डेंगू और मलेरिया के केस बहुत ज्‍यादा आ रहे हैं। तो मुझे लगा कि लोगों को इससे बचाने के लिए मच्‍छड़दानी का वितरण करना चाहिए। साथ ही उन्‍होंने ये भी बताया कि उन्‍हें पटना के मार्केट में मच्‍छड़दानी नहीं मिली, तब उन्‍होंने इसे ऑर्डर देकर बनवाया। अनारा ने कहा कि इस संकट के लिए जिम्‍मेवारी कहीं न कहीं सरकार की ही बनती है। ऐसा तो है नहीं कि शहर बहुत निचले स्‍तर पर है। ड्रेनज सिस्‍टम ठीक नहीं है। हर साल पटना में पानी यूं भर जाता है। पिछले साल यहां जलजमाव हुआ था, तब लेकिन कम हुआ था। इस बार यह ज्‍यादा हुआ तो जिम्‍मेवार लोगों को इसे गंभीरता से लेकर ड्रेनज सिस्‍टम में सुधार करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि जब हमारे लोग मुसीबत में हों, तो मुझे सुकून कैसे मिल सकता था। इसलिए मैं मुंबई से यहां कर लोगों के बीच मच्‍छड़दानी का वितरण किया।

विशेष : सार्वजनिक जीवन में कैसी निजता

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सार्वजनिक जीवन खुली किताब है। उसके किसी भी पन्ने को कभी भी कहीं भी खोलकर पढ़ा जा सकता है। नेतागीरी और फकीरी बहुत ऊंची चीज होती है जो शून्य से आरंभ होती है और अनंत तक जाती है। किसी भी नेता का जीवन एक खुला दस्तावेज होता है। उसमें दुराव—छिपाव की गुंजाइश नहीं होती और जब भी इस तरह की संभावना बनती है तो यह समझना चाहिए कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है। कांग्रेसी अक्सर सरकार पर निजता के हनन का आरोप लगाते रहे हैं। सरकार अगर उनका हित भी चाहती है तो उस पर भी उन्हें आपत्ति होती है, आखिर इसे क्या कहा जाएगा? स्विस बैंक की ओर से अपने यहां गोपनीय ढंग से काला धन जमा करने वालों की सूची जारी की गई है। वे लोग भी इसे अपनी निजता का हनन करार दे सकते हैं। बोलने की आजादी सबको है लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं कि कुछ भी बोला जाए।  

केंद्र सरकार ने एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) सुरक्षा को लेकर बहुत ही निर्णायक और दूरगामी निर्णय लिया है और वह निर्णय यह है कि जिन किन्हीं दिग्गजों को एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है। सुरक्षा जवान साये की तरह उनके साथ रहेंगे। वे देश में हों या विदेश में, यह मायने नहीं रखता।इस निर्देश में इस बात की ताकीद की गई है कि एसपीजी सुरक्षा पाने वाले अतिविशिष्टजन अपनी विदेश यात्रा के दौरान एसपीजी जवानों को साथ लेकर ही जाएं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी विदेश यात्रा रद्द की जा सकती है। यह और बात है कि कांग्रेस को मोदी सरकार का यह फरमान रास नहीं आया है। उसने कहा है कि यह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की निजता के अधिकार का हनन है। यह सीधे—सीधे उनकी निगरानी की बात है। हालांकि भाजपा ने इससे इनकार करते हुए कहा है कि यह अतिविशिष्टों की सुरक्षा का मामला है। किसी की निजता के हनन जैसी कोई बात नहीं है।

यहां यह बता देना जरूरी है कि देश में केवल चार लोगों के पास ही एसपीजी सुरक्षा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी। मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा मोदी सरकार पहले ही वापस ले चुकी है। उन्हें इसकी जगह जेड प्लस सुरक्षा दी जा चुकी है। इस निर्णय से कांग्रेस का तिलमिलाना स्वाभाविक है। उसकी एक वजह यह भी है कि राहुल गांधी सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर मुस्लिम और ईसाई देशों की यात्रा करते रहे हैं। वर्ष 2014 से अब तक वे 14 बार विदेश यात्रा कर चुके हैं। एकाध बार ही उन्होंने अपनी यात्रा की जानकारी दी है, वह भी पूरी नहीं। अन्यथा हर बार वे अपनी विदेश यात्रा को गोपनीय रखते रहे हैं। जिस समय डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक आमने— सामने थे, उस दौर चीन के राजदूत से मिल आने को लेकर उनकी आलोचना भी हुई थी। सच तो यह है कि राहुल गांधी कब विदेश चले जाते हैं, यह किसी को पता ही नहीं चलता। सोनिया गांधी भी अपने इलाज के संदर्भ में विदेश गईं। वहां उनका आपरेशन भी हुआ लेकिन बीमारी क्या थी ,यह देश को आज तक पता नहीं है। उस दौरान हालांकि यह भी बताया गया था कि उनका आपरेशन अमेरिका में हुआ था लेकिन बहुत सारे लोगों को आज भी इस बात पर विश्वास नहीं हो पा रहा है कि उनकी शल्य क्रिया अमेरिका में ही हुई थी।

   राहुल गांधी ने भी अपनी मां के इलाज के लिए विदेश जाने की बात कही थी लेकिन वे विदेश में कहां गए थे, यह किसी को नहीं पता। प्रियंका गांधी भी अपने पति और अपनी मां के साथ ही विदेशी सरजमीं पर बनी रहीं। विगत सात साल से सोनिया गांधी इलाज के संदर्भ में विदेश आती—जाती रहती हैं। उनके बच्चे राहुल और प्रियंका भी उनके साथ होते हैं लेकिन केंद्र सरकार को उनकी जानकारी नहीं होती। जब इंदिरा गांधी की हत्या अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में हुए आपरेशन ब्लूस्टार की वजह से उनसे नाराज सुरक्षा गार्डों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद उनके परिवार को सुरक्षा देने के लिहाज से एसपीजी का गठन किया गया था। तब से आज तक इंदिरा गांधी के परिजनों को एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है। सवाल यह उठता है कि सोनिया, राहुल और प्रियंका को भारत में तो एसपीजी सुरक्षा की जरूरत होती है लेकिन वे जब भी विदेश जाते हैं तो अपने साथ एसपीजी के जवानों को ले जाना मुनासिब नहीं समझते। भारत में एसपीजी सुरक्षा साथ रखने में उनकी निजता खतरे में नहीं पड़ती है और विदेश जाते ही उनकी निजता का हनन होने लगता है। यह विरोधाभासी स्थिति तो ठीक नहीं है। कांग्रेस नेताओं को यह तो बताना ही होगा कि वे अपने को विदेश में ज्यादा सुरक्षित पाते हैं या देश में। भारत में वे डरे रहते हैं और विदेश में बेखौफ।

  जब सोनिया गांधी के आपरेशन के बारे में देश ने यह जानना चाहा था कि उन्हें क्या बीमारी है, तब भी कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि यह सोनिया गांधी की निजता का मामला है। इस बावत कुछ भी बताना मुनासिब नहीं समझा जाता लेकिन क्यों, इस सवाल का जवाब संभवत:  किसी भी कांग्रेसी के पास नहीं है।  अगर विदेश की धरती पर उनके साथ कुछ अप्रिय हो जाता है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? तब तो पूरी कांग्रेस एक स्वर से चिल्लाती और सड़क पर प्रदर्शन करती नजर आएगी कि उनके साथ हुई किसी भी अप्रिय घटना के पीछे केंद्र सरकार की साजिश है? कांग्रेस को अपने नेताओं से यह तो पूछना ही चाहिए कि जब कांग्रेस को वाकई अपने नेताओं और उनके मार्गदर्शन की जरूरत होती है, तब वे अचानक गायब कहां हो जाते हैं? उन्हें खुद भी तो अपने शीर्ष नेताओं के बारे में जानकारी नहीं होती। देश को एकबारगी सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा की लोकेशन ज्ञात हो या न हो लेकिन कांग्रेसियों को तो इस बावत जानना ही चाहिए। 

  राहुल गांधी फिलहाल बैंकाक में हैं या कोलंबिया में, यह कांग्रेस से बेहतर कोई नहीं बता सकता। कभी उन्हें बैंकाक गया बताया जा रहा है और कभी कोलंबिया में। आज जब देश के दो राज्यों हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं। कई राज्यों में विधानसभा उपचुनाव हो रहे हैं, ऐसे में राहुल गांधी का विदेश भ्रमण कांग्रेस को मंझधार में छोड़ देने जैसा ही है। अगर एसपीजी के सुरक्षा जवान विदेश में उनके साथ होते तो सरकार को यह तो पता होता कि वे जहां भी हैं, जिस किसी भी दशा में हैं, सुरक्षित हैं। इससे पहले भी राहुल छुट्टियों पर विदेश जाते रहे हैं, जिसे लेकर भाजपा उन पर गायब होने का आरोप लगाती रही है। 2015 में राहुल गांधी के छुट्टी पर जाने को लेकर अच्छा-खासा विवाद खड़ा हो गया था। भाजपा नेता टॉम वडक्कन  की इस बात में दम नजर आता है कि इस केंद्र सरकार के इस आदेश का मकसद  अतिविशिष्ट व्यक्तियों को सुरक्षा उपलब्ध कराना है। इसमें निजता के उल्‍लंघन जैसा कोई भी मामला नहीं है। राहुल गांधी ने  कभी नानी को देखने जाने की बात कही है और कभी मां के इलाज की लेकिन उनके विदेश यात्रा की जानकारी देने संबंधी ये इक्के —दुक्के प्रसंग ही हैं।

सरकार के नए आदेश के तहत अब सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को विदेश दौरे पर भी एसपीजी जवानों को साथ ही ले जाना होगा। सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो यदि किसी वीवीआईपी को एसपीजी सुरक्षा मिली है तो नियमानुसार उसे सुरक्षा में लगे जवानों को अपने साथ रखना होता है लेकिन अपने विदेश दौरों पर अधिकांश वीवीआईपी एसपीजी जवानों को साथ नहीं ले जाते हैं। एसपीजी देश की एक सशस्त्र सेना है जो देश के प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों सहित उनके निकटतम परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करती है। सेना की इस यूनिट की स्थापना 1988 में संसद के अधिनियम 4 की धारा 1(5) के तहत की गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री, उनका परिवार और वर्तमान प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्य चाहें तो अपनी इच्छा से एसपीजी की सुरक्षा लेने से मना कर सकते हैं। अगर कांग्रेस को लगता है कि एसपीजी उनकी निगरानी करती है तो उन्हें उसे हटाने की मांग करनी चाहिए। 'मीठा—मीठा गप और तीता—तीता थू'का भाव ठीक नहीं है।  

देश के चौदह वीवीआईपी की सुरक्षा में एनएसजी के कमांडो तैनात हैं। ये कमांडो वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती के साथ साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित 14 लोगों को  सुरक्षा  दे रहे हैं।  इन वीवीआईपी को सुरक्षा देने में एनएसजी ने अपने 551 एलीट कमांडों को तैनात किया हुआ है। देश भर में सुरक्षा में खतरे को देखते हुए कुल 298  अतिविशिष्ट  लोगों को अलग-अलग कैटेगरी की सुरक्षा दी गई हैंं। राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की सुरक्षा को "ब्लू बुक"के मानकों के आधार पर सुरक्षा प्रदान की जाती हैं।  स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप सुरक्षा के दौरान एक ब्रीफकेस थामे चलता है। यह एक पोर्टेबल बुलेटप्रूफ शील्ड होता है जो पूरी तरह खुल जाता है और रक्षा कवच का काम करता है। अगर कोई हमला हो जाए तो  सुरक्षा कमांडो फ़ौरन इसे खोल कर वीआईपी को कवर कर  लेता है।  यह ब्रीफकेस उर्फ़ बैलेस्टिक शील्ड किसी भी तरह के हमले से सुरक्षा करने के लिए सक्षम होता है। सरकार को एपीजी ही नहीं, सभी तरह कीसुरक्षा पाने वालों परयह नियम लागू करनाचाहिए कि वे जहां हीं भी जाएं, सुरक्षा जवान उनके साथ हों और जो इस नियम की अनदेखी करें उनकी सुरक्षा व्यवस्था तत्काल प्रभाव से हटा देनी चाहिए।

देखा यह जाता है कि राहुल गांधी अक्सर जब भारत से गायब हो जाते हैं तो उनकी पार्टी की ओर से यही कहा जाता है कि वह सोनियाजी की बीमारी का इलाज कराने जा रहे हैं? कभी कहा जाता है कि वह सोनिया जी का रूटीन चेकअप कराने जा रहे हैं।  कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद जब दोनों मां-बेटे गायब हुए तो उनकी पार्टी की ओर से यही कहा गया।  कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ  अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी  का मानना है कि किसी के व्यक्तिगत जीवन को उसके सार्वजनिक जीवन से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। हमें हर किसी की निजता और आजादी की भावना का सम्मान करना चाहिए। आखिरकार यही तो एक प्रगतिशील और उदार लोकतंत्र की पहचान है। सवाल यह है कि किसी नेता को विदेश में सुरक्षा की जरूरत नहीं है और अपने देश में है तो क्यों है? इसका खुलासा तो होना ही चाहिए। अगर राहुल गांधी और उनके परिजनों को निता की इतनी ही चिंता है तो वे देश पर अरबों रुपये का सुरक्षा भार क्यों डाल रहे हैं? एक बार फिर कहना मुनासिब होगा कि सार्वजनिक जीवन जीने वाले को अपने कार्यव्यवहार में इतना पारदर्शी होना चाहिए कि किसी को भी उस पर अंगुली उठाने का मौका न मिले।



--सियाराम पांडेय 'शांत'--

जमशेदपुर से मुख्यमंत्री कैंटीन योजना की जल्द होगी शुरूआत

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जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) मंत्री खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले श्री सरयू राय द्वारा आज जमशेदपुर परिसदन में प्रेस वार्ता को संबोधित किया गया। माननीय मंत्री ने कहा कि जमशेदपुर शहर में 8 जगहों पर जल्द ही मुख्यमंत्री कैंटीन योजना की शुरूआत की जाएगी, इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बिष्टुपुर, साक्ची, सोनारी, मानगो, कदमा, सिदगोड़ा, बर्मामाइंस, जुगसलाई में चलंत वाहन के माध्यम से लोगों को खाना परोसा जाएगा।  माननीय मंत्री ने बताया कि इस्कॉन से जुड़ी अन्नामृता फाउंडेशन द्वारा इस योजना का कार्यान्वयन किया जाएगा। कम पैसे में लोगों को पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस योजना की शुरूआत की जा रही है। मात्र 10 रुपए देकर आम जनता पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले सकेंगे। आम जनता को यह भोजन सब्सिडी में उपलब्ध कराया जा रहा है, संबंधित संवेदक को अतिरिक्त 10 रूपया का वहन सरकार द्वारा किया जाएगा। माननीय मंत्री ने कहा कि जमशेदपुर के पश्चात जल्द ही रांची एवं दूसरे जिलों में इस योजना की शुरूआत करने की योजना है। उन्होने कहा कि FSSAI के मानक के आधार के तहत भोजन की गुणवत्ता, कैंटीन की साफ-सफाई, एवं खाना बनाने तथा परोसने वालों का आचरण सुनिश्चित किया जाएगा। इस संबंध में विभागीय निदेशक श्री संजय कुमार दिनांक 11 अक्टूबर को जमशेदपुर का दौरा करेंगे एवं जिला मुख्यालय में बैठक के साथ-साथ चिन्हित स्थलों का जायजा लेंगे साथ ही इस योजना से जुड़े प्रतिनिधियों से वार्ता कर इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करेंगे। प्रेस वार्ता में विशिष्ट अनुभाजन पदाधिकारी-सह-जिला आपूर्ति पदाधिकारी श्री नवीन कुमार एवं अन्य पणन पदाधिकारी उपस्थित थे।

जमशेदपुर : मानवता की सेवा मे आये बीडीओ, विक्षिप्त युवती को एमजीएम भेजवाया

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bdo-potka-humen-serviceजमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) पोटका के प्रखंड विकास पदाधिकारी कपिल कुमार ने गत रात्री सड़क किनारे पड़ी एक विक्षिप्त युवती को ईलाज के लिए एमजीएम जमशेदपुर भेज दिया । *मानवता के प्रति इस नेक कार्य को लेकर बीडीओ श्री कुमार की सभी प्रशंसा कर रहे है ।विक्षिप्त युवती अभी तक अज्ञात है, जो हाता-टाटा मुख्य मार्ग पर तिरिंग गांव मे सड़क किनारे रात को अकेले पड़ी थी इसकी जानकारी पोटका के बीडीओ कपिल कुमार को मिली तो उन्होंने तत्काल मौके पर पहुंचकर युवती को आस्पताल भेजवाने हेतू सारी व्यवस्था किया । इसके पश्चात पोटका सीएचसी की एंबुलेंस से जमशेदपुर भेजवा दिया । इस नेक कार्य में सीएचसी की डॉ अनुप मंडल ने अहम योगदान दिया. मौके पर सीओ बालेश्वर राम एवं पोटका थाना प्रभारी अशोक राम भी मौजूद रहे

बिहार : बच्चों को प्रभु येसु ख्रीस्त का शरीर और रक्त का रस्वादन करने का मौका मिला

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दुसैया (आर्यावर्त संवाददाता) . पश्चिम चम्पारण में है बानूछापर.यहां  स्थित है आवर लेडी ऑफ गडालुप चर्च, दुसैया.यहां पर विशेष तौर पर प्रथम परमप्रसाद आयोजित किया गया. इस विशेष आयोजन में बेतिया धर्मप्रांत के बिशप गोवियास सेबेस्टियन पीटर शामिल होकर पवित्र मिस्सा पूजा किए. बताते चले कि नियमानुसार पल्ली स्तर पर प्रथम परमप्रसाद समारोह आयोजित होता है.  चुहड़ी पल्ली से रोनाल्ड कुँअर सिंह और रेमंड प्रताप संबंध रखते हैं.इस लिए रोनाल्ड कुँअर सिंह और माता माला सेराफिन की पुत्री परी और  रेमंड प्रताप और मां जया प्रताप के पुत्र प्रिंस का प्रथम परमप्रसाद चुहड़ी पल्ली में ही मिलना चाहिए था. खैर महीनों की तैयारी करने के बाद परी और प्रिंस नामक बच्चों को प्रभु येसु ख्रीस्त का शरीर और रक्त का रस्वादन करने का मौका मिला.  बेतिया धर्मप्रांत के बिशप गोवियास सेबेस्टियन पीटर के नेतृत्व में बानूछापर.यहां  स्थित है आवर लेडी ऑफ गडालुप चर्च, दुसैया  पवित्र मिस्सा पूजा अर्पित की गयी. इसमें दुसैया पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर कोलार्ड, फादर मनीष, फादर किशोर के द्वारा मिस्सा बलिदान चढ़ाया गया. इस धार्मिक संस्कार समारोह में शामिल होने पटना से सुशील लोबो, मेल्विन लोबो,रानी लोबो,अंजिला रानी, ज्योति साह गयी हैं. दोनों चुहड़ी पल्ली के प्रेरणा और प्रिंस हैं.प्रेरणा को परी और प्रिंस को कैनिस के नाम से जाना और पहचाना जाता है.परी के पिता रोनाल्ड कुँअर सिंह और माता माला सेराफिन हैं.  प्रिंस के पिता रेमंड प्रताप और मां जया प्रताप हैं. सामाजिक कार्यकर्ती नीतू सिंह की भतीजी और भतीजा को परमप्रसाद मिला.बेतिया धर्मप्रान्त के बिशप स्वामी गोवियास सेबेस्टियन पीटर और दुसैया पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर कोलार्ड, फादर मनीष, फादर किशोर के द्वारा मिस्सा बलिदान चढ़ाया गया.

बिहार : अब राजधानी पटना में रहने वालों को डेंगू से डर सताने लगा

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पटना (आर्यावर्त संवाददाता) राजधानी पटना में रहने वालों को डेंगू से डर सताने लगा है। डेंगू के विरूद्ध खबर लिखने वाले बीरेंद्र बरियातु व डेंगू पीड़ितों के बीच कार्य करने वाली ए.एन. एम. दीदी मेरीकुट्टी जौर्ज भी डेंगू की चपेट में आ गयी है। कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में 500 रू.में टेस्ट की गयी है। इस बीच पानी पथ पर चलने वाले जननायक पप्पू यादव ने घोषणा की है कि डेंगू पीड़ितों की नि:शुल्क जांच करवाने की व्यवस्था करेंगे।पी.एम.सी.एच. के डेंगू वार्ड में पप्‍पू यादव मरीजों से मिले और स्थिति का जायजा लिया, जहां जलजलाव के बाद डेंगू के मरीजों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। पी.एम. सी.एच.में 77 लोगों को जांचोपरांत पता चला कि इसमें 76 लोग पटना के ही हैं। इस फीगर से डरना स्वाभाविक है।इस समय पटना में 738 मरीज हैं। बिहार में कुल 1086 आक्रांत हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय सिंह ने जानकारी दी है कि 22 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डेंगू की जांच की व्यवस्था की गयी है। 10 से 12 अक्टूबर तक पी.एम.सी. एच.और एन.एम.सी.एच.में शिविर लगाया जा रहा है। बिहार के लोगों पर भारी बारिश और जलभराव के बाद अब एक और मुसीबत टूट बड़ी है। बारिश से जमा हुआ पानी जाते-जाते पटना में लोगों को बीमार कर रहा है। कई दिनों तक ठहरे पानी में डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर पैदा हो रहे हैं, जिसका सीधा असर पटना के हॉस्पिटल में दिखाई दे रहा है। अब तक यहां सैकड़ों लोग डेंगू और तेज बुखार की शिकायतें लेकर आ चुके हैं. इसी को लेकर पटना साहिब से सांसद और केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने हॉस्पिटल पहुंचकर हालात का जायजा लिया। जल भराव के बाद पैदा होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए सरकार पूरी तैयारियों का दावा कर चुकी है। लेकिन मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक पटना में करीब 738 से ज्यादा लोग डेंगू का शिकार हो चुके हैं।वहीं कई लोग चिकनगुनिया को लेकर भी हॉस्पिटल में भर्ती हैं। 


गंदे पानी से पनप रही बीमारियां
बिहार में बाढ़ के बाद हालात काफी खराब होते जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन अभी भी मानने को तैयार नहीं है कि डेंगू का प्रकोप बढ़ गया है। पटना के राजेंद्र नगर, गोला रोड, पाटलिपुत्र जैसी पॉश कालोनियों में बारिश के कई दिनों बाद भी गंदा और बदबूदार पानी भरा हुआ था। अब भी कुछ इलाकों में जलभराव है. पानी में कई चीजें सड़ चुकी हैं। इसीलिए ये बीमारियों का एक अड्डा बन चुका है। हालांकि पटना के ज्यादातर इलाकों से पानी निकल चुका है।


प्रशासन के फूले हाथ-पैर
पटना में लगातार बढ़ती बीमारियों के बाद अब एक बार फिर नीतीश सरकार के हाथ-पैर फूलने लगे हैं। बाढ़ को लेकर राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई। आरोप लगाया गया कि सरकार ने पानी निकालने के लिए कोई भी जरूरी कदम नहीं उठाए।अब बाढ़ के बाद एक बार फिर हालात बिगड़ते दिख रहे हैं। ऐसे में प्रशासन ने हर गली-मोहल्ले में फॉगिंग शुरू कर दी है।साथ ही पानी में भी दवाएं डाली जा रही हैं। अस्पतालों को भी अलर्ट पर रखा गया है।

प्लेटलेट काउंट कम होने पर आपको कब और कितना डरना चाहिए?
प्लेटलेट काउंट गिरने और इसी से जुड़े प्लेटलेट ट्रांस्फ्यूजन को लेकर आम लोगों में ही नहीं, कई डॉक्टरों में भी तरह-तरह की गफलत पाई जाती हैं। जब से डेंगू और डेंगू जैसे अन्य वायरल बुखार की बीमारियां कुछ ज्यादा होनी शुरू हुई हैं, तब से आम लोगों के बीच प्लेटलेट का नाम कुछ ज्यादा ही जाना-पहचाना हो गया है। अब लगभग हर शख्स जानता है कि इन जैसी कई बीमारियों में यदि मरीज के खून में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाए तो उसके शरीर में कहीं से भी ब्लीडिंग होने की आशंका पैदा हो जाती है। डर लगता है कि अगर खून में प्लेटलेट्स बहुत ही कम हो गईं तो पेट, आंत, नाक या दिमाग के अंदर भी रक्तस्राव अर्थात ब्लीडिंग हो सकती है और यह ब्लीडिंग जानलेवा तक हो सकती है। ऐसे में मरीज के साथ आये लोगों को आमतौर पर अचानक ही अस्पताल द्वारा यह कहा जाता है कि चूंकि आपके मरीज की प्लेटलेट्स बहुत कम हो गई हैं, उसे प्लेटलेट्स देने पड़ेंगे तो आप तुरंत ही ट्रांसफ्यूजन के लिए प्लेटलेट्स की व्यवस्था करें वरना मरीज की जान को जोखिम हो सकता है। इन बातों के चलते धीरे-धीरे प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन को लेकर लोगों के बीच एक हौवा-सा बन गया है। इसे लेकर बड़े-बड़े भ्रम हैं. और ये भ्रम न केवल सामान्य जन के बीच हैं, बल्कि ज्यादातर डाक्टरों के बीच भी खूब देखे जा सकते हैं। मरीज को कब प्लेटलेट्स दी जानी चाहिए, कब नहीं और कब बहुत कम होने पर भी प्लेटलेट्स देना मरीज को नुकसान पहुंचा सकता है, ये बातें अक्सर डॉक्टरों को भी पता नहीं रहतीं. इसीलिये इस विषय में थोड़ी बुनियादी जानकारी आपको देता हूं ताकि इस हौवे से कम से कम आप तो निजात पा ही लें।

खून में प्लेटलेट्स के कम होने का मतलब यह है कि या तो शरीर में ये कम बन रही हैं या फिर ठीक मात्रा में बनने के बावजूद शायद किसी कारण से नष्ट होती जा रही हैं। सामान्यतौर पर तो ये डेंगू या ऐसे ही किसी इन्फेक्शन से नष्ट होती हैं, लेकिन कभी-कभी यह अपने आप में एक बुनियादी बीमारी भी हो सकती है।ऐसे में प्लेटलेट्स बनती तो पर्याप्त मात्रा में हैं, लेकिन बिना किसी अन्य कारण के, यूं ही हमारा शरीर इन्हें साथ-साथ लगातार नष्ट भी करता जाता है। इस बीमारी (इडियोपैथिक थोम्बोसाइटोपीनिया) में प्लेटलेट्स कम होने के बावजूद प्लेटलेट्स देना कोई इलाज नहीं होता। हां, कैंसर की कीमोथेरेपी देते हुए भी कई बार दवाई के दुष्प्रभाव से प्लेटलेट्स कम होने लगती हैं।यह एक मुश्किल स्थिति है। अब कीमोथेरेपी देना भी जरूरी है, और कहीं इस कीमोथेरेपी से उत्पन्न प्लेटलेट्स की कमी के कारण शरीर में कहीं कोई खतरनाक ब्लीडिंग न हो जाए इसके लिए प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन देना भी उतना ही जरूरी हो जाता है। डेंगू और इसी तरह की अन्य वायरल बीमारियों में तो प्लेटलेट्स खतरनाक हद तक कम हो ही सकती हैं। इस स्थिति में भी मरीज को प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन देने की आवश्यकता बन जाती है। डॉक्टर के तौर पर आपको बता सकता हूं कि एक बार मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स कम होनी शुरू हो जायें तो मरीज और मरीज के रिश्तेदारों की पूछताछ और चिंताओं के रहते कई बार डॉक्टर के अवचेतन मन पर भी इसका एक निरंतर दबाव बना रहता है कि न हो तो भी एकाध प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन देने में बुराई ही क्या है। यह अवैज्ञानिक तरीका है पर कई बार होशियार डॉक्टर भी ऐसे दबाव में आकर वहां भी प्लेटलेट्स दे डालते हैं जहां विज्ञान के अनुसार नहीं देना चाहिए थीं। खासकर तब, जब गूगल से प्राप्त अधूरे से ज्ञान में लिथड़ा मरीज का कोई रिश्तेदार आकर यह बोलता है कि हमारे मरीज के प्लेटलेट्स तो रोज-रोज कम होते जा रहे हैं, फिर आपने अभी तक इसे प्लेटलेट्स क्यों नहीं दीं?

ऐसे ज्ञानी समझने को तैयार ही नहीं होते, डॉक्टर को धमकी-सी देते हैं कि प्लेटलेट देने के बहुत स्पष्ट संकेत होने के बावजूद आप जो इसे प्लेटलेट्स नहीं दे रहे हैं, यह ठीक बात नहीं हैं. वो नहीं मानता कि यूं ही थोड़ी बहुत प्लेटलेट्स के कम होने से ही किसी को प्लेटलेट्स नहीं दे दी जातीं. देनी भी नहीं चाहिए. पर होते-होते, इस सब के चलते, मेडिकल प्रेक्टिस में अंधेर यह हुआ है कि मरीज की प्लेटलेट्स थोड़ी-सी भी कम हुई हों तो भी कई बार डॉक्टर स्वयं ही प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की कह देते हैं। यूं तकनीकी तौर इसकी कतई आवश्यकता नहीं थी पर ये डॉक्टर भी वही अवैज्ञानिक बात कहने लगते हैं कि साहब हम यहां प्रेक्टिस में बैठे हैं, कल के दिन मरीज को कहीं कोई ब्लीडिंग वगैरह हो ही गई तो फिर हमारी बात कोई नहीं सुनने वाला कि हमने वैज्ञानिक कारण से ही प्लेटलेट्स नहीं दी थीं।

वैसे चिकित्सा विज्ञान में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन के इंडिकेशन एकदम साफ दर्ज हैं और इस तरह से हैं :
1. यदि प्लेटलेट काउंट 10,000 से नीचे आया हो तब, और 5000 के बाद तो पक्का ही, जरूर दें।
2. यदि प्लेटलेट काउंट पहले की तुलना में 50% से कम हो गया है तो सतर्कभर रहें।अब यदि काउंट और भी नीचे जाता है तो हमें प्लेटलेट्स देने पड़ सकती हैं। ऐसे में हमें लगातार स्थिति पर नजर रखनी होगी। अगर आगे फिर से और भी पचास पर्सेंट काउंट कम हो जाए या साथ में कहीं से भी ब्लीडिंग होने लगे तो प्लेटलेट्स जरूर देनी होंगी।
3.यदि प्लेटलेट काउंट एक लाख से कम हों परंतु मरीज की न्यूरो सर्जरी या आंखों की सर्जरी करनी पड़ रही है तो काउंट इतना कम न होने पर भी हमें प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन देना ही होगा।
4.किसी भी अन्य सर्जरी में भी यदि प्लेटलेट काउंट 50,000 से कम हैं तो भी प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की व्यवस्था करनी होगी।
5. प्लेटलेट्स अगर नॉर्मल से कम हैं , फिर वे चाहे बहुत कम न भी हों परंतु यदि मरीज को कहीं से भी कोई ब्लीडिंग हो रही है तब भी प्लेटलेट्स देनी होंगी।


आलेख : बक्सर में जन्मे जेपी सिर्फ सिताब दियारा के ही नहीं देश के लोकनायक बने

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“जेपी आंदोलन के से देश में हलचल पैदा हुई और 1977 में हुए चुनाव में पहली बार लोगों ने कांग्रेस को सत्ता से दूर कर दिया. इन्दिरा गांधी का गुमान टूट गया. उम्मीद थी जेपी सत्ता की बागडोर संभालेंगे, पर फक्कड़ संत सत्ता लेकर क्या करता निकल पड़ा, भूदान आंदोलन पर. देश सेवा, मानव सेवा और कुछ नहीं.”  ‘बा मुद्दत, बा मुलाहिजा होशियार! अपने घरों के दरवाजे बंद कर लो। बंद कर लो सारी खिड़कियां। दुबक जाओ कोने में, क्योंकि एक अस्सी साल का बूढ़ा अपनी कांपती लड़खड़ाती आवाज में, डगमगाते कदमों के साथ हिटलरी सरकार के खिलाफ निकल पड़ा है सड़कों पर।‘  धर्मवीर भारती की ये रचना ऐसे हीं नहीं याद आई। ये याद आई है उस मौके पर जिस पर याद करने के लिए इसे लिखा गया होगा। अस्सी के दशक में इसे तब लिखा गया जब इन्दिरा गांधी का हिटलरी गुमान देश को एक और गुलामी की ओर ले जा रहा था और बूढ़े जयप्रकाश (जेपी) ने उसके खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका था। जी हां, 11 अक्टूबर को उसी जेपी की जयंती है। बिहार आंदोलन वाला जेपी, संपूर्ण क्रांति वाला जेपी, सरकार की चुलें हिला देने वाला जेपी, पूरे देश को आंदोलित करने वाला जेपी और सत्ता को धूल चटाने वाला जेपी। जयप्रकाश नारायण एक ऐसा नेता जिसने संपूर्ण क्रांति आंदोलन की न केवल कल्पना की बल्कि उसकी अगुवाई भी की। संपूर्ण मतलब सामाजिक, राजनीतिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक आंदोलन। 

बक्सर के सिकरौल में हुआ था जेपी का जन्म 
बहुत कम लोग जानते हैं कि जयप्रकाश नारायण (जेपी) का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल के सिकरौल लख पर हुआ था। ब्रिटिश सरकार के अधीन सिंचाई विभाग में हरसु दयाल वहां पदास्थापित थे। साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी ने 'जयप्रकाश'नामक अपनी पुस्तक में जेपी की जीवनी लिखते हुए बताया है कि उनके दादा बाबू देवकी नंदन लाल अंग्रेजी राज में दारोगा थे। जेपी के पिता हरसु दलाल सिकरौल लख के नहर विभाग में जिलदार के पद पर कार्यरत थे। 1974 के आंदोलनकारी बेलहरी निवासी कमलेश कुमार सिंह जो कि सिकरौल हाई स्कूल से पासआउट हैं तथा सिकरौल हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य द्वारिका लाल भी इस बात से सहमत है कि जेपी के जन्म के समय उनके पिता सिकरौल लख पर कार्यरत थे। हरसु दयाल अपनी पत्नी के साथ सिकरौल लख स्थित हाई स्कूल के बगल में विभागीय क्वार्टर में पूरे परिवार के साथ रहते थे। ऐसा माना जाता है कि कैमूर के हरसु ब्रह्मधाम में माता-पिता की मन्नत के बाद जेपी का जन्म हुआ था और उनका शुरुआती बचपन अपने पिता के सरकारी क्वार्टर में ही गुजरा था। 

पैतृक गांव है सिताब दियारा 
बिहार के छपरा जिले के सिताब दियारा जयप्रकाश का पैतृक गांव है। इस जगह पर इनकी स्मृतियों को सहेजने की पूरी कोशिश की गई है। लेकिन उनकी जन्मस्थली को लेकर बिहार और यूपी के सिताब दियारा के बीच विवाद हमेशा से रहा है। हालांकि इन सभी से इतर अगर सही मायने में देखा जाए तो जेपी अपनी कार्यशैली से हमेशा सुर्खियों में बने रहे। सिकरौल लख में जन्मे, सिताब दियारा पैतृक भूमि से प्रसिद्ध हुए जय प्रकाश नायारण देश के लोकनायक बने।

जब चर्चित हुए जयप्रकाश
अक्टूबर 1920 में जेपी की शादी प्रभावती से हुई। विवाहोपरांत प्रभावती कस्तुरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम में रहने लगी थीं। इसके बाद जेपी भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद और अनुग्रह नारायण सिंह द्वारा स्थापित बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गए। 1929 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम परवान पर था। उसी वक्त जेपी गांधी-नेहरु के संपर्क में आए। 1932 में गांधी-नेहरु के जेल जाने के बाद जेपी ने कमान संभाल लिया। लेकिन उनको भी उसी वर्ष मद्रास से गिरफ्तार कर नासिक जेल भेज दिया गया। उस समय जेल में कई महत्वपूर्ण लोगों से इनकी मुलाकात हुई। इसी का नतीजा रहा कि कुछ समय बाद कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का जन्म हुआ। 

दूरदृष्टि सोच वाले नेता थे जेपी 
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राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ जेपी को अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की भी समझ थी। 1934 में चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के हिस्सा लेने का विरोध किया। लोकनायक 1939 में दूसरे विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों का विरोध करते हुए 1943 में गिरफ्तार हुए। तब गांधीजी ने कहा था कि जेपी छूटेंगे तभी फिरंगियों से कोई बात होगी। आखिरकार, 1946 में जेपी जेल से रिहा हुए। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हथियारों के इस्तेमाल को अनिवार्य समझा, जिसके बाद उन्होंने नेपाल जाकर “आज़ाद दस्ते” का गठन किया और उन्हें प्रशिक्षण दिया। 19 अप्रैल 1954 में, जयप्रकाश नारायण स्वतंत्रता सेनानी विनोबा भावे से प्रोत्साहित होकर गया में आयोजित “सर्वोदय आंदोलन” से जुड़ गए। 1957 में, उन्होंने लोकनीति के पक्ष में राजनीति छोड़ने तक का फैसला किया। बिहार के छात्रों और युवकों ने भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी और गलत शिक्षा नीति के खिलाफ 18 मार्च, 1974 को पटना से पूरे देश में आंदोलन की शुरुआत हुई ,जिसमें जेपी का नेतृत्व मिला। जेपी ने 05 जून 1975 को पटना के गांधी मैदान में विशाल जनसमूह को संबोधित किया, जहां उन्हें ‘लोकनायक‘ की उपाधि दी गई। इसके कुछ दिनों बाद उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में ऐतिहासिक भाषण देकर देश के विपक्षियों को एकजुट किया। जेपी समाजवादी, सर्वोदयी तथा लोकतान्त्रिक जीवन पद्धति के समर्थक थे। उनके अनुसार समाजवाद एक जीवन पद्धति है, जो मानव की स्वतन्त्रता, समानता, बन्धुत्व तथा सर्वोदय की समर्थक है, समाजवाद आर्थिक तथा सामाजिक पुनर्निमाण की पूर्ण विचारधारा है। उन्होंने अनेक किताबें भी लिखी हैं, जिनमें से “व्हाई सोसियलिज्म”? (1936) प्रमुख है।

जेपी आंदोलन का केंद्र में रहा बिहार
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लाखों राजनीतिक नेता और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। उस समय के छात्र नेता के रुप में लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान,  आर.के.सिन्हा, सुशील कुमार मोदी, रवि शंकर प्रसाद, शिवानंद तिवारी, वशिष्ठ नारायण सिंह, नरेंद्र कुमार सिंह, राम जतन सिन्हा और कृपानाथ पाठक प्रमुख थे। इनमें से कई लोगों को चोटें आयीं। पुलिस द्वारा निर्मम प्रहार से भीड़ में उत्तेजना फैल गई। भीड़ बेकाबू हो गई, भीड़ किसी नेता के कंट्रोल में नहीं रही। पटना शहर को सेना के हवाले कर दिया गया। मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर और कुछ मंत्रियों ने छिप कर खुद को बचाया। आंदोलन के हिसंक होने पर जेपी ने कहा था कि हिंसा और आगजनी से क्रांति नहीं होगी। अपने आंदोलन की दुर्दशा देखकर कुछ छात्रों और युवकों ने जेपी से मुलाकात की। जेपी ने कहा कि आंदोलन में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं होगा। इस शर्त को आंदोलनकारी ने माना। जेपी ने बिहार विधान सभा के सदस्यों से सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे देने की अपील की। अधिकतर प्रतिपक्षी सदस्यों ने तो इस्तीफा दे दिया पर कांग्रेस सदस्यों ने इस्तीफा नहीं दिया। इस आंदोलन का नतीजा रहा कि 1977 की जनवरी में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा चुनाव की घोषणा कर दी। इंदिरा गांधी ने यह ऐलान इमरजेंसी पूरी तरह खत्म किए बगैर कर दिया था। इमरजेंसी की ज्यादतियों और धांधलियों के कारण सरकार पर प्रतिपक्ष का विश्वास नहीं था। जय प्रकाश नारायण से लेकर जॉर्ज फर्नांडिस तक सबने आशंकाएं जाहिर की थीं। जेपी के साथ जॉर्ज की चर्चा इसलिए महत्पूर्ण है कि जॉर्ज गैर अहिंसक तरीके से इमरजेंसी का विरोध कर रहे थे।

जेपी की नेताओं को सीख
25 जून 1975 की रात को आपातकाल की घोषणा कर दी गई थी। इस बीच चार गैर कांग्रेसी दलों-जनसंघ, संगठन कांग्रेस, सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय लोकदल ने मिलकर जनता पार्टी बना ली थी। इन दलों के विलयन में जब कुछ नेताओं ने अड़चन डालने की कोशिश की तो जेपी ने उन्हें चेताया कि यदि आप ऐसा करेंगे तो हम अलग दल बना लेंगे। फिर सभी दलों के लोग एक साथ आने को तैयार हो गए। जनता पार्टी के अध्यक्ष मोरारजी देसाई और चौधरी चरण सिंह उपाध्यक्ष चुने गए। युवा तुर्क चंद्रशेखर का गुट भी जनता पार्टी में शमिल हो गया था। जेपी के अपील पर लोगों ने जनता पार्टी के लिए उदारतापूर्वक दान दिया जिससे चुनावी खर्च उठाने में सफलता मिली। उस चुनाव में मुख्य रूप से कांग्रेस के साथ सीपीआई थी तो, जनता पार्टी के साथ सीपीएम और अकाली दल जग जीवन राम के नेतृत्व वाली कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी ने जनता पार्टी के साथ चुनावी तालमेल किया। जगजीवन राम के कांग्रेस छोड़ने के बाद ही जनता पार्टी के पक्ष में चुनावी हवा बनी। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी को लोकसभा की 295 और कांग्रेस को 154 सीटें मिलीं। मोरारजी देसाई प्रधान मंत्री बने। जनता पार्टी के कुछ बड़े नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण मोरारजी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक'के नाम से भी जाना जाता है। आपातकाल के दौरान हजारीबाग जेल में बंद रहने के कारण उनकी तबीयत अचानक ख़राब हो गई, यह देखते हुए उन्हें 12 नवम्बर 1976 को रिहा कर दिया गया। रिहा होने के बाद भी वे चलने फिरने में असमर्थ थे। मुंबई के जसलोक अस्पताल में जांच के लिए ले जाया गया, जहां उनकी किडनी ख़राब हो गई थी, जिसके बाद वह डायलिसिस पर ही रहे और अंत में 8 अक्टूबर 1979 को पटना में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वर्ष 1965 में जेपी को समाजसेवा के लिए मैगसेसे पुरस्कार दिया गया था जबकि 1998 में मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया। 

जयप्रकाश जी रखो भरोसा : टूटे सपनों को जोड़ेंगे, चिताभष्म की चिनगारी से अंधकार के गढ़ तोड़ेंगे."



मुरली मनोहर श्रीवास्तव
(लेखक सह पत्रकार)

बिहार : कीर्ति आज़ाद ने पटना में अपने को-स्टार्स के साथ किया फ़िल्म 'किरकेट'का प्रमोशन

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पटना (आर्यावर्त संवाददाता) क्रिकेट भारत का एक बेहद लोकप्रिय खेल है और हर क्रिकेट प्रेमी कभी न कभी भारतीय टीम का हिस्सा बनने की ख़वाहिश रखता है. मगर बिहार के लोगों का भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने का सपना क्रिकेट के पीछे खेली जानेवाली राजनीति के चलते एक सपना ही बनकर रह गया है. 'किरकेट'की कहानी क्रिकेट में व्याप्त भ्रष्टाचार और खेल के पीछे राजनीति से संघर्ष करते हुए कीर्ति आज़ाद द्वारा क्रिकेट खेलने के लिए चुने गये 11 ख़िलाड़ियों के इर्द-गिर्द घूमती है. फ़िल्म 'किरकेट - बिहार के अपमान से सम्मान तक'के प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन आज राजधानी पटना के होटल मौर्या में किया गया. इस दौरान फ़िल्म के कलाकार कीर्ति आज़ाद, सोनम सी. छाबड़ा,  विशाल तिवारी  देव सिंह व अजय उपाध्याय, फ़िल्म के निर्देशक योगेंद्र सिंह, निर्माता सोनू झा, सह-निर्माता जगेश सावजानी और युसूफ़ शेख ने मीडिया को संबोधित किया. आपको बता दें कि योगेंद्र सिंह द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म का लेखन‌ विशाल‌ विजय कुमार ने किया है. इस फ़िल्म के ज़रिये कई कलाकार फिल्मी दुनिया में क़दम‌ रखने जा रहे हैं. फ़िल्म में मुख्य रूप से कीर्ति आज़ाद,‌ विशाल तिवारी, सोनू झा, सोनम छाबड़ा, देव सिंह, अजय उपाध्याय लीड रोल में नज़र आने वाले हैं. इस फ़िल्म‌ का निर्माण ए स्क्वायर प्रोडक्शन्स, धर्मराज फ़िल्म्स,‌ जेकेएम फ़िल्म्स के तहत आर. के. जालान, सोनू झा और विशाल तिवारी ने किया है. इस फ़िल्म को येन‌ मूवीज़ के बैनर तले को-प्रोड्यूस किया है जगेश सावजानी और युसूफ़ शेख़ ने. 'किरकेट'की कहानी बेहद दिलचस्प है और इसमें क्रिकेट की पीछे होनेवाली  राजनीति को दर्शाया गया है. 'लगान', 'चक दे इंडिया'और 'दंगल'जैसी खेल पर आधारित और बेहद लोकप्रिय फ़िल्में 'किरकेट'के लिए प्रेरणास्त्रोत रही हैं. फ़िल्म के निर्माताओं ने 'किरकेट'को दुनियाभर में 18 अक्टूबर को रिलीज़ करने का ऐलान किया है. उल्लेखनीय है कि श्री कीर्ति आज़ाद दिल्ली क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं. वे इस फ़िल्म में अपने असल ज़िंदगी से जुड़ा किरदार ही निभा रहे हैं. श्री कीर्ति आज़ाद पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं और 1983 में विश्व कप जीतनेवाली क्रिकेट टीम का अहम हिस्सा भी रहे हैं. बाद में उन्होंने‌ राजनीति की दुनिया में क़दम रखा और कई बार बिहार के दरभंगा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे. फ़िल्म‌ के प्रमोशन के दौरान श्री कीर्ति आज़ाद ने कहा, "मैं इस बात को लेकर बेहद ख़ुश हूं कि मेरी पहली हिंदी फ़िल्म रिलीज़ होने जा रही हैं और मेरे संघर्ष की ये कहानी जल्द दर्शकों तक पहुंचेगी. मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को क्रिकेट और राजनिति के पीछे की असलियत बेहद दिलचस्प लगेगी और  मेरी क्रिकेट टीम के 11 खिलाड़ियों की ज़िंदगी के सफ़र को बेहद करीब से महसूस कर सकेंगे. यह कहानी बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित है और मुझे उम्मीद है कि लोग ख़ुद को इस कहानी से कहीं न कहीं जुड़ा हुआ पायेंगे. हालांकि यह कहानी सत्य घटनाओं पर आधारित है,‌ मगर इसमें बॉलीवुड फ़िल्मों का तड़का भी देखने को मिलेगा. 'किरकेट'बिहार के अपमान से सम्मान तक की अनोखी कहानी है, जिसे बेहद दिलचस्प अंदाज़ में पेश किया गया है."

बिहार : झारखण्ड में चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए भेज रहे हैं राजन क्लेमेंट साह

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बीजेपी नेता ने कहा कि आप लोगों को हर्ष के साथ सुचित कर रहा हूं कि पार्टी आला नेतृत्व ने मुझे झारखण्ड राज्य में चुनाव प्रचार- प्रसार के लिए भेज रहे हैं और आज रात्रि में निकल रहा हूं और पार्टी के आदेशानुसार वही पर रहूँगा और चुनाव के निष्पादन तक  रहूँगा. 
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पटना (आर्यावर्त संवाददाता) कुर्जी क्रिश्चियन कॉलोनी में राजन क्लेमेंट साह (राजन साह) का घर है.स्व.अनिल कुमार साह और स्टेला साह के पुत्र हैं. जब 19 साल के थे तो बीजेपी की राष्ट्रीय  उपाध्यक्ष रेणु देवी के सम्पर्क में 1998 में आए. 21 साल से रेणु दीदी की पाठशाला में पार्टी के इतिहास को जानने का मौका मिला. इस बीच रेणु दीदी के चुनाव प्रचार में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.पश्चिचम चम्पारण जिले के बहुसंख्यक व अल्पसंख्यकों को गोलबंद करने में सफल हो गए. इसका परिणाम दीदी जी ने अल्पसंख्यक मोर्चा में शामिल होने की सलाह दे डाली. 2013 में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रभारी बना दिए.यह कार्य उपलब्धि व शैक्षणिक योग्यता एमएसडब्ल्यू (मास्टर इन सोसल वर्क) के बल पर हुआ. एमएसडब्ल्यू डिग्रीधारी  राजन क्लेमेंट साह (राजन साह) ने कहा कि आजादी के बाद से ही ईसाई समुदाय कांग्रेसी बनकर रह गए. उन्होंने कहा कि क्या कांग्रेस के शासनकाल में  ईसाई समुदाय का विकास व कल्याण हुआ? उन्होंने ही कहा कि लोगों का उत्थान हुआ ही नहीं. ईसाई समुदाय को कांग्रेसी सरकार व धर्म गुरूओं ने शुरू से ही डरा के रखा है.अपने आप को धर्म निरपेक्ष बोल कर दूसरे पार्टी से हमलोगों को डराते है. साम्प्रदायिक पार्टी घोषित कर दूसरी पार्टी में जाने को मना करते हैं. हां प्रत्यक्ष ढंग से नहीं तो अप्रत्यक्ष ढंग से जरूर किया करते हैं. बीजेपी एक राष्ट्रवादी पार्टी है.राष्ट्र निर्माता है बीजेपी. सबका साथ ,सबका विकास व सबका विश्वास करने वाली पार्टी है.यह कभी किसी धार्मिक पुरोहित को चोट नहीं पहुंचाती व न देती है.हां धर्म परिवर्तन के विरूद्ध है.रोमन कैथोलिक के द्वारा धर्म परिवर्तन नहीं किया जाता है.संवैधानिक अधिकार के विरूद्ध नहीं है बीजेपी. अन्य धार्मिक संस्थाओं के द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है.इसका व्यक्तिगत  के विरोध करता हूं. धर्म पर आघात पहुंचने पर खुला विरोध करूंगा और नेतृत्व करने के लिए दिन-रात तैयार हूं.बीजेपी मे जाने के बाद ही हम अपना पक्ष रख सकते हैं.बीजेपी मे पैरवी पर पोस्ट नही मिलता है.आलाकमान पर नहीं निर्भर कार्य के बल पर सम्मान मिलता है.  अभी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री हैं. मुझे चुनाव प्रचार में झारखंड जा रहा हूं.दो माह तक जमकर प्रचार करना है.बिहार की तरह झारखंड में भी संबंध प्रगाढ़ करना है ताकि सहुलियत से लोगों का कार्य करवा लूं. बिहार के लोग फायदा ले ही रहे हैं अन्य प्रदेश के भी लोग मदद मांगते हैं.उनको निराश नहीं किया जाता है. राजन कहते है कि मेरे बढ़ते कदमों से लोग खौफ खा रहे है जबकि महामहिम महाधर्माध्यक्ष जी का आर्शीवाद मिल रहा है.

बिहार : दो दिनों में हजारों परिवारों के बीच राहत सामग्री वितरण किया गया

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फादर अमल राज, सिस्टर दौरेथी, अलोसियुस ओस्ता, जोन डिक्रुस, नीतू पीटर आदि भरपूर सहयोग कर राहत कार्यक्रम को सफलता के शिखर पर पहुंचाया.
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पटना, 25 अक्टूबर (आर्यावर्त संवाददाता) . कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल के बगल में है सेवा केंद्र. सेवा केंद्र में है बिहार वाटर डेवलपमेंट सोसाइटी का कार्यालय. बिहार वाटर डेवलपमेंट सोसाइटी के निदेशक हैं फादर अमल राज. सामाजिक व्यवहार रखने वाले फादर अमल राज ने बरसात की बाढ़ से बेहाल लोगों के पीड़ा को देख व समझकर राहत पहुंचाने का संकल्प लिया.जो आज साकार हुआ. यहां पर दो दिनों में हजारों परिवारों के बीच राहत सामग्री वितरण किया गया. बिहार वाटर डेवलपमेंट सोसाइटी के निदेशक  फादर अमल राज ने कहा कि सामाजिक कार्य करने करने वाली सिस्टर दौरेथी फर्नाडिस से सर्वे कराने में सहयोग लिया गया.उन्होंने कहा कि उनके द्वारा अरबन स्लम क्षेत्र में आश्रय अभियान के द्वारा शहरी गरीबों के बीच में कल्याण व विकास का कार्य किया जाता है. उनके स्वयंसेवकों ने पटना शहर के कौशल नगर, चितकोहरा,आर ब्लॉक,सकण्डी मजिस्द आदि क्षेत्रों में रहने वालों का चयन ऑन फिल्ड जाकर किया गया. करीब 1000 बाढ़ पीड़ितों का चयनकर पूर्जा दिया गया. बिहार वाटर डेवसपमेंट सोसाइटी के निदेशक  फादर अमल राज ने कहा कि  आज सोमवार को सेवा केंद्र में बिहार वाटर डेवलपमेंट सोसाइटी के बैनर तले बाढ़ पीड़ितों को 14 तरह के समान वितरण किया गया. बेडशीट, मच्छरदानी,पानी छानने के लिए कपड़ा,2 माचिस पॉकेट,1पॉकेट मोमबत्ती, सैनेटरी पैड,10 किलो चावल, 2 किलो दाल, 5 डिटॉल साबुन, 5  रिन साबुन, ब्लिचिंग पावडर, ढक्कनयुक्त बाल्टी, तिरपाल व रस्सी. बाढ़ से पीड़ित जितेन्द्र ठाकुर ने कहा कि हमलोग पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर- 9 के निवासी हैं.वार्ड पार्षद अभिषेक कुमार है. कोई वार्ड नम्बर- 10 के निवासी हैं वार्ड पार्षद सुनील यादव हैं.वार्ड नम्बर- 12 के भी हैं इनका वार्ड पार्षद सविता सिन्हा हैं.उनका कहना है कि आर्फत की घड़ी में पूर्व सांसद पप्पू यादव सहयोग किए.चूड़ा और गुड़ बांटे. इस अवसर पर फादर अमल राज, सिस्टर दौरेथी, अलोसियुस ओस्ता, जोन डिक्रुस, नीतू पीटर आदि भरपूर सहयोग कर राहत कार्यक्रम को सफलता के शिखर पर पहुंचाया.

केजरीवाल ने 104 नयी बसों को दिखायी हरी झंडी

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नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में डीटीसी और क्लस्टर बसों में महिलाओं के लिए यात्रा मुफ्त किये जाने से चार दिन पहले शुक्रवार को 104 नयी बसों को हरी झंडी दिखायी। केजरीवाल ने द्वारका सेक्टर 22 स्थित एक बस डिपो में बसों को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि यह कदम दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत करेगा। गत अगस्त में मुख्यमंत्री ने महिलाओं के लिए 29 अक्टूबर, भाई दूज से डीटीसी बसों और क्लस्टर बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि आप सरकार अगले सप्ताह तक शहर की बसों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बसों में मार्शल की नियुक्ति करेगी। बसें आधुनिक तकनीक से लैस हैं जिसमें सीसीटीवी कैमरे और महिलाओं की सुरक्षा के लिए पैनिक बटन, दिव्यांग यात्रियों के लिए हाईड्रॉलिक लिफ्ट शामिल हैं।  केजरीवाल ने कहा, ‘‘इन बसों के अलावा क्लस्टर योजना में 1000 लोफ्लोर एसी बसें भी शामिल की जाएंगी। ये बसें दिव्यांग व्यक्तियों, वृद्ध जनों, बच्चों और महिलाओं के सवार होने और उतरने के अनुकूल होंगी।’’  उन्होंने कहा कि तीन क्लस्टरों के लिए 650 लोफ्लोर बसों के लिए निविदा परिवहन विभाग द्वारा पहले ही प्रदान किया जा चुकी है और ये बसें जनवरी 2020 से शुरू होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाकी 350 बसों के लिए निविदा जल्द जारी की जाएगी।  दिल्ली सरकार साथ ही चरणबद्ध तरीके से 1000 इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल करेगी।

भाजपा, जजपा का हरियाणा में गठबंधन, मिलेगा उपमुख्यमंत्री पद : अमित शाह

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नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ गठबंधन कर लिया जिसने 90 सदस्यीय विधानसभा में 10 सीटें जीती हैं। उप मुख्यमंत्री जजपा से होगा ।  भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जजपा नेता दुष्यंत चौटाला के साथ आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा से और उपमुख्यमंत्री क्षेत्रीय दल जजपा से होगा। सूत्रों ने कहा कि हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के शनिवार को चंडीगढ़ में आयोजित एक बैठक में भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने की उम्मीद है। खट्टर उसके बाद सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के समक्ष दावा पेश करेंगे। चौटाला के उपमुख्यमंत्री बनने की उम्मीद है। शाह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हरियाणा में मतदाताओं के जनादेश के साथ जाते हुए दोनों पार्टियों ने निर्णय किया है कि भाजपा और जजपा साथ मिलकर सरकार बनाएंगी। मुख्यमंत्री भाजपा से होगा जबकि उप मुख्यमंत्री जजपा से होगा।’’  उन्होंने कहा कि गठबंधन जनादेश की ‘‘भावना’’ के अनुरूप है। संवाददाता सम्मेलन में शाह और चौटाला के अलावा खट्टर और भाजपा के अन्य नेता मौजूद थे। चौटाला ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि हरियाणा में स्थिरता के लिए गठबंधन जरूरी था। बृहस्पतिवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतगणना में भाजपा को 40 सीटें मिलने के बाद पार्टी के शीर्ष नेता सक्रिय हो गए थे। भाजपा का सीटों का आंकड़ा बहुमत से छह कम रह गया था। सात निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा को समर्थन की घोषणा की है। भाजपा का चौटाला को अपने पाले में लाने का निर्णय जाटों को तुष्ट करने की उसकी इच्छा को रेखांकित करता है जिससे कि उसकी सरकार सुचारू तरीके से चल सके। राज्य में प्रभावी जाट समुदाय के बारे में माना जाता है कि उन्होंने हाल के चुनावों में भाजपा के खिलाफ वोट किया।  इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि उसे सरकार के बने रहने के लिए निर्दलीयों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

कोहली दिन-रात्रि टेस्ट मैच खेलने के विचार से सहमत : गांगुली

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कोलकाता, 25 अक्टूबर, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय कप्तान विराट कोहली दिन-रात्रि टेस्ट खेलने के विचार से सहमत हैं और निकट भविष्य में इसका आयोजन हो सकता है। गांगुली ने गुरुवार को मुंबई में कोहली से मुलाकात की थी। गांगुली ने ईडन गार्डन्स में बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) द्वारा उनके सम्मान मे आयोजित कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘ मुझे कहना होगा कि विराट कोहली इसके लिए सहमत हैं। ऐसी खबरें हैं कि वह दिन-रात्रि टेस्ट नहीं खेलना चाहता है जो कि सहीं नहीं है। इसलिए एक बार जब टीम का कप्तान इससे सहमत हो जाता है, तो चीजें आसान हो जाती है। हम देखेंगे कि इसे कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। खेल को आगे बढ़ाने की जरूरत है।’’  पूर्व भारतीय कप्तान ने गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच खेलने की वकालत की है जिससे अधिक से अधिक दर्शक मुकाबले का लुत्फ उठाने मैदान पहुंचे। गांगुली ने कहा, ‘‘ हम सभी इस बारे में विचार कर रहे हैं और कुछ करने की कोशिश करेंगे। मै दिन-रात्रि टेस्ट का समर्थक हूं। मुझे हालांकि नहीं पता कि ऐसा कब होगा। लेकिन जब तक मैं इस स्थिति में हूं, इसकी लिये कोशिश जारी रखूंगा।’’  यह हालांकि उल्लेख किया जाना चाहिए कि अगर गांगुली का कार्यकाल जुलाई से आगे नहीं बढ़ाया जाता है, तो भारतीय सरजमीं पर दिन-रात्रि टेस्ट का इंतजार बढ़ सकता है। बांग्लादेश के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला के बाद भारतीय टीम अपनी सरजमीं पर अगले साल दिसंबर-जनवरी में टेस्ट श्रृंखला खेलेगी।

इमरान ने मरियम नवाज को अस्पताल में पिता के साथ रखने के आदेश दिए

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लाहौर, 25 अक्टूबर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मरियम नवाज को उनके पिता एवं पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ यहां के एक प्रमुख अस्पताल में रखने के लिए निर्देश जारी किए हैं। मरियम को वापस जेल भेजने पर संघीय सरकार की आलोचना होने के बाद खान ने यह आदेश जारी किया है। मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई है। नवाज शरीफ की तबियत बिगड़ने पर कोट लखपत जेल से उनसे मिलने आई मरियम के खुद भी बीमार पड़ जाने के बाद उन्हें बुधवार को लाहौर के सर्विसेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।  मरियम (45) को वीवीआईपी-2 वार्ड में भर्ती कराया गया जबकि उनके पिता वीवीआईपी-1 वार्ड में भर्ती थे। कुछ जांच के बाद मरियम को वापस जेल भेज दिया गया। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की उपाध्यक्ष मरियम को पिछले महीने जवाबदेही अदालत ने धनशोधन के एक मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। बुधवार को उनकी हिरासत की अवधि को दो और दिन के लिए बढ़ा दिया गया था। जियो टीवी ने खबर दी कि पंजाब के गवर्नर मोहम्मद सरवार ने बृहस्पतिवार को कहा कि खान ने मरियम और शरीफ की सेहत पर जानकारी मांगी थी। उन्होंने मरियम को शरीफ के साथ अस्पताल में रखने के लिए कानूनी जरूरतों को पूर करने के निर्देश जारी किए। खबर में कहा गया कि सूत्रों ने दावा किया है कि खान ने पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बजदार से भी बात की और मरियम को उनके पिता के साथ अस्पताल में रखने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।  इससे पहले पीएमएल-एन प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने कहा कि मरियम को जब वापस जेल भेजा गया तब उनका रक्तचाप बढ़ा हुआ था और ह्रदय गति सामान्य नहीं थी। औरंजगेब ने कहा कि मरियम को इस तरह जेल वापस भेजना शरीफ को दिमागी तौर पर परेशान करने की एक और कोशिश है। नवाज शरीफ का, प्लेटलेट घट जाने की समस्या की वजह से इजाज चल रहा है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून में बृहस्पतिवार को प्रकाशित एक खबर में कहा गया था कि शरीफ (69) की प्लेटलेट्स सोमवार को काफी ज्यादा घट गईं और उनकी हालत गंभीर हो गई। उन्हें कोट लखपत जेल से लाहौर के सर्विसेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। 

अच्छे नेता तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करूंगा : पवार

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मुंबई, 25 अक्टूबर, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राकांपा के अच्छा प्रदर्शन करने के बाद पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी अच्छे नेता तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। राकांपा ने इस चुनाव में 54 सीटों पर जीत दर्ज की और इस मामले में वह कांग्रेस (44) से आगे रही। चुनाव से पहले राकांपा के कुछ प्रमुख नेताओं के पार्टी छोड़ कर जाने के बावजूद पवार नीत पार्टी इतनी संख्या में सीटें हासिल करने में कामयाब रही।  पवार ने कहा, ‘‘मततदाताओं ने चुनाव से पहले भाजपा द्वारा विपक्षी दलों के नेताओं को शामिल किये जाने को पसंद नहीं किया।’’  सरकार गठन के लिये शिवसेना को राकांपा द्वारा समर्थन दिये जाने की संभावना और इस तरह भाजपा को सत्ता से दूर रखने के बारे में पूछे जाने पर पवार ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘हम अच्छे नेता तैयार करना चाहते हैं। मैं कृषि, उद्योग और बेरोजगारी को लेकर चिंतित हूं। ’’  उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। इसलिए अन्य चीजों में हमारी रूचि नहीं है।’’  पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह परली विधानसभा सीट पर राकांपा की जीत की उम्मीद कर रहे थे, जहां पार्टी ने देवेंद्र फड़णवीस सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे (परली सीट) को हरा दिया। साथ ही, उन्हें सातारा लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी जीत की उम्मीद थी। सातारा से राकांपा सांसद ने पार्टी छोड़ दी थी और वह भाजपा में शामिल हो गये थे, जिसने उन्हें उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था।  हालांकि, राकांपा के श्रीनिवास पाटिल ने उन्हें 80,000 से अधिक वोटों से हरा दिया।  परली सीट राकांपा के धनंजय मुंडे ने भाजपा से छीन ली। पवार ने कहा, ‘‘सातारा के चुनाव नतीजे से मैं हैरान नहीं हूं। मैं नतीजे को लेकर आश्वस्त था। परली के नतीजे के बारे में कोई संदेह नहीं है। मैं आश्वस्त था कि नतीजे धनंजय मुंडे के पक्ष में जाएंगे। ’’  मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा था कि बृहस्पतिवार को चुनाव नतीजे आने के बाद पवार के पास खुश होने का कोई कारण नहीं है क्योंकि विपक्ष सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।  इस बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘‘हम संतुष्ट नहीं है क्योंकि हम बहुमत हासिल करना चाहते थे। लेकिन हम उदास भी नहीं हैं क्योंकि भाजपा के बड़े बोल हकीकत में तब्दील नहीं हो पाये।’’ 

मधुबनी : जल-जीवन-हरियाली से संबंधित कार्यक्रम को लाइव वेबकास्ट के द्वारा सुना गया

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-----जिले में विभिन्न विभागों के 772 योजनाओं का हुआ उदघाटन एवं शिलान्यास 
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मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) :जल-जीवन-हरियाली अभियान कार्यक्रम अंतर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं के उद्घाटन से संबंधित कार्यक्रम का उद्घाटन पटना के ज्ञान भवन में माननीय मुख्यमंत्री,बिहार, श्री नीतीश कुमार जी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर नगर भवन,मधुबनी में श्री सुमन महासेठ, माननीय विधान पार्षद,मधुबनी,श्री शीर्षत कपिल अशोक, जिला पदाधिकारी, मधुबनी, डॉ. सत्यप्रकाश, पुलिस अधीक्षक, मधुबनी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर श्री अजय कुमार सिंह, उप-विकास आयुक्त, मधुबनी, श्री सुनील कुमार सिंह, अनुमंडल पदाधिकारी, सदर मधुबनी, श्री सुनील कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी, मधुबनी, श्री सुशील कुमार, जिला पदाधिकारी, मधुबनी, श्रीमती रेणु कुमारी, प्रभारी जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी, मधुबनी उपस्थित थे। इस पूरे कार्यक्रम का  सीधा प्रसारण लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत बिहार गीत से हुआ। जल जीवन हरियाली से संबंधित जिले के विभिन्न विभागों के 772 योजनाओं का उदघाटन एवं शिलान्यास किया गया। इसके साथ ही जिले के सभी प्रखंडों में भी लाइव वेवकास्ट के माध्यम से लोगों द्वारा कार्यक्रम को देखा एवं सुना गया। लाइव प्रसारण के पश्चात जिला पदाधिकारी, मधुबनी के द्वारा बताया गया कि जिले में विभिन्न विभागों के द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत विभिन्न योजनाओं में वर्षा जल का संचयन, कुओं का पुनरुद्धार, पेयजल संरक्षण, आहर-पाइन का जीर्णोद्धार, तालाब पोखरों का जीर्णोद्धार, सोख्ता का निर्माण किया जायेगा। उन्होंने सभी लोगों से प्राकृतिक संपदाओं का आवश्यकतानुसार उपयोग करें, साथ ही अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण कर पर्यावरण को संतुलित रखने में सहयोग करें। इस अवसर पर कला जत्था के कलाकारों द्वारा जल-जीवन-हरियाली थीम पर कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।

मधुबनी : जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत सूक्ष्म सिंचाई यंत्र का उदघाटन

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मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) : जिला पदाधिकारी, मधुबनी के द्वारा शनिवार को बेनीपट्टी प्रखंड के अकौर पंचायत में जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई यन्त्र का उदघाटन किया गया। इस अवसर पर श्री अजय कुमार सिंह, उप-विकास आयुक्त, मधुबनी, श्री मुकेश रंजन, अनुमंडल पदाधिकारी, बेनीपट्टी, श्री सुधीर कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, मधुबनी, श्री सतीश कुमार झा, जिला उद्यान पदाधिकारी, मधुबनी समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। जिला पदाधिकारी,मधुबनी के द्वारा श्री राजीव ठाकुर के खेतों में सूक्ष्म सिंचाई विधि से किये जा रहे औषधीय पौधों एवं फलों की खेती का निरीक्षण किया गया।  जिला पदाधिकारी, मधुबनी के द्वारा सभी लोगों को कृषि में ड्रीप सिंचाई तथा सूक्ष्म सिंचाई को अपनाकर कम-से-कम पानी का उन्नत खेती की जा सकती है। इसके साथ ही सभी किसानों से सामूहिक खेती करने एवं कृषि यंत्रों पर दिए जाने वाले अनुदान का लाभ उठाने का अनुरोध किया गया। साथ ही उस पंचायत के ए.टी.एम. एवं बी.टी.एम. को उक्त पंचायत में कैम्प लगाकर किसानों का आवेदन प्राप्त करने एवं ऑनलाइन में सहयोग करने का निदेश दिया गया।

मधुबनी : डीएम ने बालिका गृह एवं बाल गृह के बच्चों के साथ मनायी छोटी दीवाली

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मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) : जिला पदाधिकारी, मधुबनी के द्वारा शनिवार को संतुनगर स्थित बालिका गृह तथा आदर्श नगर स्थित बाल गृह पहुंच कर बच्चों के साथ दीप एवं फुलझड़ी छुड़वाकर एवं मिठाई खिलाकर छोटी दीवाली मनायी। इस अवसर पर श्री सुनील कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी, मधुबनी, श्रीमती रेणु कुमारी, प्रभारी सुचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी, मधुबनी, श्रीमती पूनम कुमारी, सहायक निदेशक,बाल संरक्षण इकाई,मधुबनी समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। जिला पदाधिकारी के हाथों सभी बच्चे दीप, मिठाई एवं फुलझड़ी पाकर काफी खुश दिखे। तत्पश्चात जिला पदाधिकारी, मधुबनी के द्वारा समाहरणालय, मधुबनी में भी दीप जलाकर एवं वृक्षारोपण कर छोटी दीपावली मनायी गयी।
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