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सीहोर : गेहलोत मेवाड़ा राजपूत समाज के तत्वाधान में 51 कन्याओं का निशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन

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  • कन्या का विवाह करानें से बढ़कर कोई अन्य पुनीत कार्य नहीं : पंडित दुर्गाप्रसाद कटारे

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सीहोर। गेहलोत मेवाड़ा राजपूत समाज के तत्वाधान में 51 कन्याओं का निशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन रामाखेड़ी में आयोजित किया गया। इस मौके पर पूर्ण विधि-विधान से कन्याओं का विवाह किया गया। सामूहिक विवाह सम्मेलन में करीब 21 से अधिक विप्रजनों ने पंडित दुर्गाप्रसाद कटारे के सानिध्य में भव्य कार्यक्रम सपन्न किया। इस मौके पर पंडित श्री कटारे ने कहा कि गेहलोत मेवाड़ा राजपूत समाज का यह सामूहिक प्रयास स्वागत योग्य है। सामूहिक विवाह मात्र एक विवाह का आयोजन भर नहीं हैं अपितु इसके प्रभाव व समाज हित में लाभ बड़े दूरगामी हैं। किसी कमजोर, जरूरतमंद या असहाय परिवार की कन्या का विवाह करानें से बढ़कर कोई अन्य पुनीत कार्य नहीं है। इस बात का प्रमाण है कि आज हर छोटे-बड़े जिलों, कस्बों या शहरों में कई वैवाहिक संस्थाएं मिलजुकर सैकड़ों कन्याओं के हाथ सामूहिक विवाह के माध्यम से पीले कर रही हैं। जिनमें से कुछ सर्वजातीय वैवाहिक समितियां तथा कई सजातीय संस्थाएं क्रमश सभी जातियों के तथा अपनी जाति के सामूहिक विवाह में सक्रिय हैं। ये संस्थाएं विवाह जैसे सामाजिक पुण्य कार्य में अपनी सराहनीय भूमिका निभाती हैं। कार्यक्रम में समाज के अध्यक्ष दुर्गेश हाडा ने प्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि सुरेन्द्र सिंह मेवाड़ा, समाजसेवी अखिलेश  राय,पंकज गुप्ता, प्रमोद राजपूत आदि का स्वागत किया।


इस संबंध में जानकारी देते हुए समाजसेवी घनश्याम मेवाड़ा ने बताया कि ग्राम रामाखेड़ी में गेहलोत मेवाड़ा राजपूत समाज के द्वारा निशुल्क कन्या विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया है। समाज का उद्देश्य है आर्थिक बोझ कम करना, सामाजिक समानता, बाल विवाह रोकना, दहेज प्रथा को कम करना, महिला सशक्तिकरण, समाज की एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना, समाज के बीच से जातिगत द्वेष को मिटाना, इस मौके पर कन्याओं का पूर्ण विधि-विधान से विवाह का आयोजन संपन्न कराया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि सामूहिक विवाह का बढ़ता प्रचलन समाज के भले के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इससे समय की बर्बादी, दान-दहेज और फिजूलखर्ची जैसी कुरीतियों से भी समाज को मुक्ति मिल सकती है। सामूहिक विवाह सम्मेलन में वर-वधु शामिल हुए। विवाह सम्मेलन में 51 कन्याओं का निशुल्क विवाह कराया गया। इन कन्याओं को 21 से अधिक दहेज की सामग्री प्रदान कर भावपूर्ण विदाई दी।


सीहोर : सदभावना एकता के साथ मनाऐंगे सभी त्यौहार, मुस्लिम त्यौहार कमेटी अध्यक्ष बने रेहान नबाव

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सीहोर। सदभावना एकता के साथ मिलजुलकर रमजान,मिठी ईद, बकराईद, ईद उलनबी मोहर्रम सहित सभी त्यौहार मनाऐंगे और प्रशासन की गाइड लाईन का भी पालन करेंगे,उक्त बात शुक्रवार को सराय में मुस्लिम त्यौहार कमेटी गठन को लेकर आयोजित बैठक में नव नियुक्त कमेटी अध्यक्ष रेहान नबाव ने कहीं। कमेटी सरंक्षक नईम नबाव और नौशाद खान ने सर्वसहमति से कमेटी अध्यक्ष रेहान नबाव, उपाध्यक्ष मजहर खान उर्फ मज्जू और सचिव अमान खान को नियुक्त किया। अनेक लोगों ने नव नियुक्त पदाधिकारियों को फूल मालाऐं पहनाकर स्वागत कर मुबारक बाद दी। पदाधिकारियों ने कहा की बड़े बुजुर्गो ने पहली बार बड़ी जिम्मेदारी सौपी है अच्छा से अच्छा काम करेंगे और सभी त्यौहार शिददत के साथ मनाऐंगे। बैठक में हमीद हाजी, शरीफ खान, अपूर्व अग्रवाल, सोहैल मियां, तययुब जुनेद नबाव, अर्सलान मियां, महबूब, आसिया नबाव, खलील मम्मा सहित बड़ी ददात में मुस्लिम समाजजन शामिल रहे।

सीहोर : सांसद ने जिला पंचायत के लिए गौर को किया अपना प्रतिनिधि नियुक्त

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  • कार्यालय में विधायक सुदेश राय ने प्रदान किया भाजपा नेता मायाराम गौर को नियुक्ति पत्र

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सीहोर। जिला पंचायत की बैठकों में अब वरिष्ठ भाजपा नेता मायाराम गौर सांसद प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित होंगे। भोपाल लोकसभा क्षेत्र के सांसद आलोक शर्मा ने गौर को जिला पंचायत के लिए अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है। विधानसभा कार्यालय में गुरूवार को विधायक सुदेश राय ने गौर को नियुक्ति पत्र प्रदान किया है। वरिष्ठ भाजपा नेता मायाराम गौर छतरपुरा ग्राम पंचायत के दो बार सरपंच रहकर अपना सफलतम कार्याकाल पूरा कर चुके है तो वही जनपद पंचायत सीहेार के सदस्य उपाध्यक्ष के साथ ही जिला पंचायत में भी दो बार उपाध्यक्ष रहते हुए भी अपनी सेवा दे चुके है। भाजपा जिला संगठन के अनेक पदो पर रहते हुए उन्होने शहर से लेकर गांव तक पार्टी को मजबूत किया है ग्रामीण सीहोर भाजपा मंडल में वह दो बार महामंत्री और जिला भाजपा संगठन में जिला महामंत्री के बाद उपाध्यक्ष भी रहे है। वरिष्ठ भाजपा नेता मायाराम गौर की राजनीतिक यात्रा यही नहीं रूकती है उन्होने भाजपा किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष का कार्य भी बखूबी निभाया है। प्रशिक्षण प्रकोष्ठ जिला संयोजक और चुनावों के दौरान विधानसभा संयोजक की जिम्मेदारी को भी पूरा किया है। वरिष्ठ भाजपा नेता मायाराम गौर पूर्व सांसद आलोक संजर और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के भी प्रतिनिधि रहे है अब उनको वर्तमान सांसद आलोक शर्मा ने भी जिला पंचायत की जिम्मेदारी प्रदान कर दी है। विधायक सुदेश राय, जिला महामंत्री राजकुमार गुप्ता,लालू बना,मांगीलाल मझेड़ा,आज़ाद गुर्जर,प्रीतम गौर, हेमराज लोधी, पप्पू बना, राजपाल सिंह,कृष्णपाल सिंह,राधेश्याम गौर, भीम सिंह गुर्जर,भवानी मेवाड़ा, सुरेंद्र राजपूत, ललता दांगी, विशाल जाट, सोनू बना,ईश्वर पचौरी,मनोहर शर्मा, नर्वदा साहू,करण सिंह वर्मा,आशीष मेवाड़ा,कुलदीप राजपूत, कालूराम नेताजी, बलवीर दांगी, सुमित गुप्ता,राजवीर सिंह,जगदीश शर्मा,हेम सिंह सहित भाजपा कार्यकर्ताओं ने भोपाल लोकसभा क्षेत्र के सांसद आलोक शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेश मेवाड़ा का आभार व्यक्त कर वरिष्ठ भाजपा नेता मायाराम गौर को सासंद प्रतिनिधि नियुक्त होने पर खुशी व्यक्त की है।   

सीहोर : वृद्धआश्रम में किया खाद्य सामग्री और फलों का वतरण

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सीहोर। वृद्धा आश्रम पहुंचकर  दिग्विजय ग्राम सेवा समिति के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं के द्वारा वृद्ध जनों को फलों का वितरण किया गया और वृद्धाश्रम संचालक को खाद्य सामग्री प्रदान की गई। दिग्विजय ग्राम सेवा समिति जिला अध्यक्ष कमलेश चांडक के नेतृत्व में शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का जन्म दिन सेवा संकल्प दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रीतम दयाल चौरसिया, सीताराम भारती, रमेश गुप्ता, रामायण शुक्ला, विजय बरके,भगत सिंह तोमर, कमल सिंह अहिरवार, बीएस पेठारी, ओम सोनी, मेहंदी हसन आदि शामिल है।

पटना : राज्यपाल का अभिभाषण भाजपा-जदयू की धोखेबाजी पर पर्दा नहीं डाल सकती

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पटना, 28 फरवरी (रजनीश के झा)। भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह अभिभाषण पूरी तरह से झूठ का पुलिंदा है और बिहार की वास्तविक समस्याओं को संबोधित करने की बजाय भाजपा-जदयू सरकार द्वारा जनता से की गई धोखेबाजी पर पर्दा डालने की एक नाकाम कोशिश है। महबूब आलम ने आरोप लगाया कि सरकार का यह अभिभाषण केवल जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जिसमें किसानों से लेकर गरीब, मजदूर और महिलाओं तक की समस्याओं को अनदेखा किया गया है। महबूब आलम ने कृषि के मुद्दे पर कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में यह दावा किया गया कि 2008 से बिहार में कृषि रोडमैप लागू है और धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है। यह दावा पूरी तरह से भ्रामक और सच्चाई से परे है। उन्होंने सवाल किया कि क्या बिहार में किसी भी फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद होती है? क्या राज्य सरकार ने किसानों के लिए कोई ऐसी नीति बनाई है, जिससे उन्हें उचित मूल्य मिल सके?


महबूब आलम ने याद दिलाया कि बिहार पहला राज्य था जिसने मंडी व्यवस्था को खत्म कर दिया था और किसानों को बाजार के हवाले कर दिया। इससे किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उनकी स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। इसके अलावा, बटाईदार किसानों के बारे में राज्य सरकार हमेशा चुप रहती है। उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, और उन्हें किसी भी किसान योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि बिहार की कृषि का सबसे बड़ा हिस्सा उन्हीं बटाईदारों के कंधों पर है। महबूब आलम ने केंद्रीय बजट पर भी सवाल उठाया और कहा कि बिहार के विकास के लिए बजट में कोई भी राशि नहीं दी गई। खासकर बिहार की आधारभूत संरचनाओं के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है, जो राज्य की जनता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही, विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर भाजपा-जदयू की सरकार पूरी तरह से विफल रही है। उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि यह वही सरकार है, जो अपनी "डबल इंजन"वाली सरकार के प्रचार-प्रसार में जुटी रहती है, लेकिन जब वास्तविक जरूरत थी, तो यह सरकार पीछे हट गई। महबूब आलम ने राज्य सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिहार के 95 लाख परिवार 6 हजार रुपये की न्यूनतम आय पर जीवन यापन कर रहे हैं, जो कि राज्य की गरीब जनता के लिए काफी चिंताजनक है। राज्य में आशा, जीविका, रसोइया, आंगनबाड़ी और अन्य स्कीम वर्कर्स को न्यूनतम मानदेय तक नहीं मिल रहा है। वे सड़कों पर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनके मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही है। महबूब आलम ने राज्य में दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर बढ़ती हिंसा का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य में सुरक्षा का माहौल लगातार बिगड़ रहा है और सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। खासतौर पर स्नेहा कुशवाहा कांड ने यूपी और बिहार सरकार की नाकामी को उजागर किया है। इसके अलावा, मॉब लिंचिंग और अल्पसंख्यकों पर हमलों में बढ़ोतरी हो रही है, जो कि राज्य के सुशासन के दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। महबूब आलम ने यह भी कहा कि कब्रिस्तान की ज़मीन पर दबंगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है, जो कि असंवेदनशीलता की एक और मिसाल है। सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाने के बजाय, अपनी नाकामी पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।


शिक्षा और बेरोजगारी के मुद्दे

महबूब आलम ने बिहार में शिक्षा की स्थिति पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राज्य में 80 प्रतिशत से अधिक ड्रॉपआउट हैं और पलायन की दर लगातार बढ़ रही है। उच्च शिक्षा की स्थिति भी बहुत खराब है और शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से भ्रष्टाचार में घिरी हुई है। राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कोई ठोस सुधार नहीं किया है, जिसके कारण छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि जब महागठबंधन की सरकार थी, तब स्थायी शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन भाजपा-जदयू की सरकार ने इस प्रक्रिया को रोक दिया। खासकर टीआरई 3 के अभ्यर्थी सप्लीमेंट्री रिजल्ट के लिए लाठियां खा रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। महागठबंधन सरकार के दौरान टीआरई 1 का सप्लीमेंट्री रिजल्ट निकाला गया था, लेकिन अब सरकार इस पर क्यों नहीं काम कर रही है? महबूब आलम ने भाजपा-जदयू की सरकार को हर मोर्चे पर असफल और दमनकारी बताया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है और 2 मार्च को पटना के गांधी मैदान में होने वाला महाजुटान इसका सबसे बड़ा उदाहरण होगा। बिहार की जनता अब ढकोसला नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव चाहती है। उन्होंने कहा कि यह महाजुटान केवल एक राजनीतिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि राज्य में हो रहे अन्याय और दमन के खिलाफ एक आवाज़ होगी, जो राज्य के हर नागरिक को प्रभावित करेगी।

पटना : विद्वान विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को बजट की समझ नहीं

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  • PK का तेजस्वी के माई-बहिन योजना पर हमला, बोले बिहार के बजट में से डेढ़ लाख करोड़ रुपए इसी में खर्च कर देंगे तो बिहार कैसे चलाएंगे

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पटना (रजनीश के झा) : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव द्वारा किए गए चुनावी वादें का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि राजद ने 'माई-बहिन मान योजना'के तहत बिहार की हर महिला को 2500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया है। लेकिन प्रशांत किशोर ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह वादा महज चुनावी छलावा है। बिहार में 6 करोड़ महिलाएं हैं। यदि हर महिला को यह राशि दी जाए, तो सालाना खर्च 1.5 लाख करोड़ रुपये होगा, जबकि राज्य का कुल बजट ही 2.4 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे में यह रकम आएगी कहां से? प्रशांत किशोर ने कहा, राजद को पहले से ही पता था कि यह संभव नहीं है, फिर भी वादा किया गया। क्या यह जनता को गुमराह करने की रणनीति है, या सिर्फ एक और चुनावी नारा?

विशेष : सर्वसमावेशी संस्कृति का प्रतीक महाकुंभ

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यदि आप भारत के गांव-कस्बों से गुजरें तो ऐसे असंख्य लोग मिल जाएंगे. जो प्रातः स्नान करते समय ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती । नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन् संनिधि कुरु॥‘ का मंत्रोच्चार कर रहे होंगे। इस मंत्र का अर्थ है- हे यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, और कावेरी हमारे जल में उपस्थित होकर इसे पवित्र करो। स्नान के नित्यकर्म में राष्ट्र की सभी पवित्र नदियों का आह्वान यह बताता है कि भारतभूमि के लोगों की नदियों के प्रति कितनी गहरी श्रद्धा है। विश्व की लगभग सभी सभ्यताओं का जन्म नदी तटों पर हुआ है, लेकिन भारत तो नदी संस्कृति का ही देश है। उत्तर में सिंधु से लेकर दक्षिण में कृष्णा-कावेरी तक और पूर्व में ब्रहमपुत्र से लेकर पश्चिम में नर्मदा तक भारत की ये पुण्य सलिलाएं अनंतकाल से कोटि-कोटि भारतवासियों के जीवन का उद्धार करती रही हैं। ये नदियां माँ की तरह ही हमारा भरण-पोषण करती हैं। हम जब भी समस्याओं में उलझे होते हैं तो इन नदी रूपी माताओं के निकट आकर शांति की तलाश करते हैं और अपनी इहलौकिक यात्रा को समाप्त कर पारलौकिक यात्रा के लिए भी  इन्हीं नदियों की गोद में पहुंचते हैं। इन नदियों का न केवल हमारे धार्मिक-आध्यात्मिक जीवन में विलक्षण महत्व है, अपितु ये सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक तथा अन्य कई रूप से भी सहायक मानी जाती हैं।


यही कारण है कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में नदियों को माता का दर्जा दिया गया है। ऋग्वेद के नदी सूक्त से लेकर आधुनिक साहित्य तक, नदियों की महिमा को व्यापक रूप से दर्शाया गया है। महाभारत, मत्स्य पुराण, ब्रह्म पुराण और कालिदास के ग्रंथों में भी नदियों की पवित्रता को रेखांकित किया गया है। कुंभ महापर्व, नदियों के महात्म्य का ही महापर्व है, जो विविधतता में एकता प्रदर्शित करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। कुंभ मेला भारत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक परंपराओं का सबसे बड़ा पर्व है। यह महापर्व खगोल विज्ञान, आध्यात्मिकता, कर्मकांड की परंपराओं और सामाजिक तथा सांस्कृतिक ज्ञान-विज्ञान की बहुवर्णीयता से सभी को आकर्षित करता है। अथर्ववेद में उल्लेख मिलता है कि भगवान ब्रह्मा ने हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक चार कुंभ स्थापित किए, जिससे यह आयोजन पवित्र माना जाता है। स्कंद पुराण में कुंभ योग बताते हुए कहा गया है 'मेषराशिंगते जीवे मकरे चन्द्र भास्करी। अमावास्या तदा योगः कुम्भाख्यस्तीर्थनायके ।।'अर्थात 'जिस समय बृहस्पति मेष राशि पर स्थित हो तथा चंद्रमा और सूर्य मकर राशि पर हों तो उस समय तीर्थराज प्रयाग में कुंभ-योग होता है।'


कुंभ का आयोजन समाज, धर्म और संस्कृति के समन्वय का प्रतीक है। इसमें प्रमुख अखाड़ों के संत, महात्मा और नागा संन्यासी संसार के संपूर्ण कष्टों के निवारण हेतु तथा समाज, राष्ट्र, और धर्म आदि के कल्याण के लिए अमूल्य दिव्य उपदेश प्रदान करते हैं।  प्रयाग में कुंभ के तीन प्रमुख स्नान होते हैं—मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी पर। इन तीनों स्नानों में सर्वप्रथम स्नान निर्वाणी अखाड़े का, द्वितीय स्नान निरंजनी अखाडे का और तृतीय स्नान जूना अखाडे का होता है। इसके पश्चात् समस्त संप्रदाय के लोगों का होता है। कुंभ-पर्व की प्राचीनता के संबंध में तो किसी संदेह कीआवश्यकता ही नहीं, किंतु यह बात अवश्य महत्त्वपूर्ण है कि कुंभ मेले का धार्मिक रूप में श्रीगणेश किसने किया ? विद्वानों ने यह सिद्ध किया है कि कुंभ मेले के प्रवर्तक आदि शंकराचार्य हैं। उन्होंने कुंभ-पर्व के प्रचार की व्यवस्था धार्मिक संस्कृति को सुदृढ़ रखने के लिए तथा जगत कल्याण की दृष्टि से की थी। उन्हीं के आदर्शानुसार आज भी कुंभपर्व के चारों सुप्रसिद्ध तीर्थों में सभी संप्रदाय के साधु-महात्मागण देश-काल-परिस्थिति अनुरूप लोककल्याण की दृष्टि से धर्म-रक्षार्थ धर्म का प्रचार करते हैं, जिससे सर्वजन कल्याण होता है। कुंभ का इतिहास कान्यकुब्ज के शासक सम्राट हर्षवर्धन के साथ भी जुड़ा है। हर्षवर्धन कुंभ के अवसर पर प्रयाग में ही रहकर सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन करते और सभी मतावलंबियों के विचार सुनते थे। धार्मिक सहिष्णुता के साथ-साथ महाराज हर्षवर्धन इस अवसर पर अपनी दानशीलता का भी परिचय देते थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा विवरण के अनुसार कुंभ में वह अपना सर्वस्व मुक्तहस्त से दान कर देते थे। सम्राट् हर्षवर्धन ने अपना समूचा कोष प्रयाग कुंभ के अवसर पर दान कर दिया। जब दान के लिए कुछ और शेष नहीं रहा, तब उन्होंने अपने वस्त्राभूषण तथा मुकुट तक उतार कर दे दिए। जब शरीर पर वस्त्र भी नहीं बचे तो उनकी बहन राज्यश्री ने उन्हें पहनने के लिए वस्त्र दिए। । महाराज हर्षवर्धन के त्याग और दान की यह प्रेरक परंपरा कुंभ में अब तक अक्षुण्ण चली आ रही है।


कुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि इसका वैज्ञानिक और ज्योतिषीय पक्ष भी महत्त्वपूर्ण है। जब सूर्य मकर राशि में और गुरु कुंभ राशि में होते हैं, तब स्नान करने से व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। संगम के जल में प्राकृतिक खनिज और औषधीय गुण होते हैं, जिससे यह स्नान शरीर की शुद्धि का माध्यम बनता है। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने के बावजूद यहां आधुनिक तकनीक के प्रयोग और कुशल प्रबंधन ने कुंभ मेले को विश्व का सबसे बड़ा और व्यवस्थित आयोजन बना दिया है। स्वच्छता, सुरक्षा और सुविधा का ऐसा संगम शायद ही कहीं और देखने को मिले। सरकार और प्रशासन ने इसे पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं, जिससे यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश भी देता है। कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और वैश्विक भाईचारे का प्रतीक भी है। यह ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को साकार करता है, जहाँ जाति, धर्म और वर्ग से परे सभी श्रद्धालु एक समान होते हैं। यह पर्व हमें आत्मशुद्धि, परोपकार और सामाजिक सद्भाव का संदेश देता है। कुंभ के माध्यम से भारतीय संस्कृति और जीवन-दर्शन को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलती है। विदेशी पर्यटक यहां भारतीय परंपराओं को समझने और आत्मसात करने आते हैं। कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की गहराई, सहिष्णुता और एकता का अद्भुत संगम है। यह केवल पवित्र स्नान का पर्व नहीं, बल्कि जीवन के गूढ़ रहस्यों को जानने, आत्मचिंतन करने और मानवता के प्रति समर्पण व्यक्त करने का एक अवसर भी है। भारत की सनातन परंपरा में यह आयोजन अनूठी आस्था, संस्कृति और दर्शन का परिचायक बना रहेगा।

दिल्ली : मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने यूरोपीय आयुक्त सुश्री हदजा लाहबीब से भेंट की

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  • बैठक महिला सशक्तिकरण नीतियों को बढ़ाने तथा महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए सहयोगात्मक प्रयासों में भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने आज नई दिल्ली के शास्त्री भवन में समानता, तैयारी और संकट प्रबंधन की यूरोपीय आयुक्त सुश्री हदजा लाहबीब से भेंट की। यह बैठक यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष सुश्री उर्सुला वॉन डेर लेयेन की उच्च स्तरीय यात्रा का एक अंग है। सुश्री उर्सुला वॉन डेर लेयेन 27 से 28 फरवरी 2025 तक भारत की यात्रा पर हैं। उनके साथ आयुक्तों का समूह भी इस यात्रा में है, जिसमें 26 मंत्री शामिल हैं। अपनी चर्चाओं के दौरान, केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी और आयुक्त सुश्री हदजा लाहबीब ने महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण के क्षेत्रों में भारत-यूरोपीय संघ सहयोग को मजबूत करने के लिए नए मार्ग तलाशने पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने समावेशी नीतियों को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की जो महिलाओं और बच्चों, विशेष रूप से कमजोर और वंचित समुदायों के बच्चों के कल्याण को बढ़ाने की दिशा में कार्य करती हैं।


श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने मिशन शक्ति , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ तथा वित्तीय और डिजिटल समावेशन, उद्यमशीलता, निर्णय लेने और नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न अन्य योजनाओं और कार्यक्रमों सहित भारत सरकार की प्रमुख पहलों का उल्लेख किया। उन्होंने एक सुरक्षित और समावेशी समाज के निर्माण के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता पर भी बल दिया, जहां महिलाएं और बच्चे इन योजनाओं का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकें। सुश्री हदजा लाहबीब ने महिला सशक्तिकरण में भारत की प्रगति की सराहना करते हुए इस क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करने के लिए यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने महिला सशक्तिकरण और संकट प्रतिक्रिया से संबंधित वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। यह बैठक महिला सशक्तिकरण के लिए नीतियों को बढ़ावा देने तथा महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए सहयोगात्मक प्रयासों में भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत, विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए महिला-नेतृत्व वाले विकास के सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ निरंतर रूप से आगे बढ़ रहा है।


दरभंगा : DCE में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 उत्साहपूर्वक मनाया गया

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दरभंगा (रजनीश के झा)। DCE दरभंगा में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर कक्षा 6 से 12 के उन छात्रों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने रैंक 3 से 10 प्राप्त की थी। उन्हें प्रमाण पत्र, पदक और नकद पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया गया।मुख्य अतिथि बीडीओ, दरभंगा सदर श्री रवि रंजन कुमार ने कहा कि आसान मार्ग के बजाय कठिन मार्ग अपनाएं, क्योंकि यही सफलता की कुंजी है। उन्होंने छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार विषय चुनने और नवाचार पर ध्यान देने की प्रेरणा दी। उन्होंने रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता "The Road Not Taken"का उदाहरण देते हुए बताया कि रुचि के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना ही सफलता का मूल मंत्र है। उन्होंने आज की पीढ़ी को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने की सलाह दी और कहा कि "कर्मचारी नहीं, नियोक्ता बनें"यह सोच समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।DCE दरभंगा के प्राचार्य डॉ. संदीप तिवारी का संदेश


प्राचार्य डॉ. संदीप तिवारी ने विज्ञान और तकनीक के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि नवाचार और अनुसंधान ही भविष्य को नई दिशा देंगे। उन्होंने कहा कि सही मार्गदर्शन, रुचि और परिश्रम से ही सफलता संभव है। DCE दरभंगा छात्रों को नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति के लिए प्रेरित करता रहेगा। प्रोफेसर (डॉ.) चंदन कुमार ने कहा कि विज्ञान केवल एक विषय नहीं, बल्कि सोचने और समझने की प्रक्रिया है। छात्रों को नवाचार, प्रयोग और व्यावहारिक ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे समाज के लिए उपयोगी समाधान विकसित कर सकें। डॉ. दीप्ति भारती ने कहा कि इस तरह के आयोजन छात्रों की वैज्ञानिक सोच को विकसित करने में सहायक होते हैं। मीडिया प्रभारी श्री विनायक झा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मधुबनी : संत शिरोमणि नरहरी दास जयंती धूमधाम से मनाया गया।

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मधुबनी (रजनीश के झा)। आज संत शिरोमणि नरहरी दास (गोस्वामी तुलसीदास जी के गुरु महाराज) जयन्ती पखवाड़ा मधुबनी मे जे एन कालेज के समीप मनाया गया। इनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए भाजपा नेता तथा स्वर्णकार विचार मंच के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य स्वर्णिम गुप्ता ने बताया की स्वर्णकार कुल में जन्मे संत सिरोमणि नरहरि सोनार जी का जन्म 13वी शताब्दी मे पंढरपुर, वर्तमान मे महाराष्ट्र मे हुआ था, ये महान कवि संत तथा स्वर्णकला मे दक्ष थे तथा शिव के भक्त थे। प्राचीन मतों के अनुसार एक घटना क्रम मे वर्णित है कि भगवान बिठोबा जो भगवान विष्णु जी का एक रूप हैं उनके मंदिर की प्रतिमा के लिए वहाँ के जमींदार ने पुत्र रत्न प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर कमरबंद  चढाएगा। जमींदार व्यापारी ने नरहरि जी से इसे बनाने का अनुरोध किया लेकिन ये शिव के अलावे किसी को नहीं मानते थे और न ही विट्ठल के मंदिर जाते थे, वो जमींदार से बोले आप मंदिर जाकर नाप ले आओ मै बना दूंगा लेकिन वो छोटा पर गया फिर जमींदार के आग्रह पर पट्टी बांध कर मंदिर के ग्रभ गृह मे अकेले प्रवेश किए तथा बिठोबा की प्रतिमा को छुआ उन्हें एहसास हुआ की उसके पांच सिर और दस भुजाए हैं और गर्दन के चारो ओर सर्प के आभूषण हैं। बाघ के वस्त्र पहने हैं और शरीर राख़ से ढका हुआ था। नरहरि जी को अपने आराध्य भगवान शिव की प्रतिमा का एहसास हुआ और देखने के लिए पट्टी हटा दी परन्तु सामने बिढोबा की मूर्ति दिखी फिर से पट्टी लगाया तो शिव की छवि दिखी। अन्तः ज्ञान जागृत हो उठा भगवान की लीला को समझ गए की भगवान शिव और विष्णु दोनों की शक्तियां एक दूसरे में समाहित हैं और भक्ति भाव से प्रेरित होकर स्तुति गीत की रचना कर डाला और ईश्वरी भक्ति में लीन हो गए उनकी इसी भक्ति से प्रभावित होकर संत सिरोमणि की उपाधि मिली। गोस्वामी तुलसीदास जी इनकी ईश्वरी भक्ति से प्रभावित होकर इनको अपना गुरु स्वीकार किया। इस मौके पर गरिमामयी उपस्तिथि प्रदीप प्रसाद आकर्षण कुमार अमित कुमार किशोर साह तथा स्वराज कुमार रहे।

पटना : सास-बहू के रिश्ते में घुली मनोरंजन की सास बहू की महाभारत, फिल्म का शानदार ट्रेलर हुआ रिलीज

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पटना (रजनीश के झा)। भोजपुरी सिनेमा में सामाजिक मुद्दों को मनोरंजन के साथ प्रस्तुत करने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, वर्ल्ड वाइड प्रोडक्शन के बैनर तले बनी "सास बहू की महाभारत"का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है। यह फिल्म निर्माता प्रदीप सिंह और प्रतिक सिंह की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है, जिसमें पारिवारिक रिश्तों की जटिलताओं को मनोरंजक ढंग से दर्शाने की कोशिश की गई है। "सास बहू की महाभारत"का ट्रेलर यह संकेत देता है कि यह फिल्म सिर्फ सास-बहू के झगड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पारिवारिक मूल्यों, भावनात्मक रिश्तों और महिलाओं के संघर्ष को भी खूबसूरती से उकेरा गया है। फिल्म में हास्य और रोमांच का बेहतरीन मिश्रण दिखाया गया है, जो इसे आम भोजपुरी फिल्मों से अलग बनाता है। निर्माता प्रदीप सिंह ने बताया कि हमने इस फिल्म को पूरी मेहनत और लगन से बनाया है ताकि यह दर्शकों को सिर्फ एंटरटेन ही नहीं करे, बल्कि एक मजबूत संदेश भी दे। फिल्म में पारिवारिक संबंधों को गहराई से दिखाया गया है, जो लोगों को सोचने पर मजबूर करेगा। हमें उम्मीद है कि दर्शक इसे बड़े उत्साह के साथ स्वीकार करेंगे और इसे अपना प्यार देंगे। फिल्म का 3 मिनट 42 सेकंड का ट्रेलर भोजपुरी सिनेमा के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लॉन्च किया गया, जिसने आते ही दर्शकों के बीच उत्सुकता बढ़ा दी। ट्रेलर की शुरुआत एक पारंपरिक सास-बहू के झगड़े से होती है, जिसमें बहू अपनी सास के दबदबे से परेशान नजर आती है। इसे देखते हुए सास अपने छोटे बेटे की भी शादी कर देती है, लेकिन यह कदम आग में घी डालने जैसा साबित होता है। नतीजा यह होता है कि घर के झगड़े और भी बढ़ जाते हैं और रिश्तों में तनाव अपने चरम पर पहुंच जाता है। इसी खींचतान के बीच एक दुर्घटना होती है, जो कहानी में एक नया मोड़ लेकर आती है। इसके आगे क्या होता है, यह जानने के लिए दर्शकों को फिल्म का इंतजार करना होगा।


फिल्म में संचिता बनर्जी, विक्रांत सिंह राजपूत, जय यादव, शालू सिंह, जे. नीलम, राम सुजान सिंह, संजय पांडे, रितु पांडे और कंचन मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में नजर आएंगे। इस फिल्म में गेस्ट अपीयरेंस के रूप में भोजपुरी इंडस्ट्री के दो चर्चित चेहरे स्मृति सिन्हा और देव सिंह भी दिखाई देंगे, जो दर्शकों के लिए एक खास आकर्षण साबित होंगे। फिल्म का निर्देशन अनुभवी निर्देशक अजय कुमार झा ने किया है, जिन्होंने सामाजिक और पारिवारिक कहानियों को पर्दे पर जीवंत करने में अपनी महारत हासिल की है। फिल्म का संगीत साजन मिश्रा ने तैयार किया है, जबकि गीत लिखे हैं प्यारे लाल यादव ने। फिल्म की लीड एक्ट्रेस संचिता बनर्जी ने ट्रेलर लॉन्च के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, "यह फिल्म पारिवारिक रिश्तों की गहराई और उनके उतार-चढ़ाव को बड़े मनोरंजक ढंग से पेश करने वाली है। इसमें कॉमेडी, इमोशन और ड्रामा का शानदार मेल है, जिसे दर्शक जरूर पसंद करेंगे।"फिल्म को लेकर विक्रांत सिंह राजपूत ने कहा कि यह फिल्म सिर्फ एक मनोरंजक पारिवारिक ड्रामा ही नहीं, बल्कि समाज में फैले पारिवारिक मतभेदों को भी दर्शाती है। इसमें हर किरदार का अपना महत्व है, और दर्शकों को इससे गहरा जुड़ाव महसूस होगा। मैंने इस फिल्म में काम करके बहुत एंजॉय किया, और मुझे उम्मीद है कि यह दर्शकों को खूब पसंद आएगी। जय यादव ने कहा कि 'सास बहू की महाभारत'की कहानी हर उस घर की है, जहां सास-बहू के रिश्ते में छोटी-छोटी बातों को लेकर नोकझोंक होती रहती है। लेकिन इस फिल्म में हमने इसे एक अलग नजरिए से दिखाने की कोशिश की है। इसमें इमोशन, ड्रामा और हास्य का शानदार मिश्रण है, जिसे देखकर हर दर्शक खुद को इससे जुड़ा हुआ पाएगा। फिल्म की कहानी शमशेर सेन ने लिखी है। छायांकन मनोज सिंह ने किया है। संपादक गुरजंट सिंह, नृत्य निर्देशन कानू मुखर्जी, कला निर्देशन रणधीर दास, कार्यकारी निर्माता आशीष दुबे और पीआरओ रंजन सिन्हा हैं। फिल्म के प्रोडक्शन मैनेजर राम विलास शर्मा हैं और पोस्ट-प्रोडक्शन लोटस स्टूडियो में हुआ है।

पटना : खेसारीलाल यादव का होली स्पेशल गाना "बंगला में उड़ेला अबीर"हुआ रिलीज

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पटना (रजनीश के झा)। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार खेसारीलाल यादव और टेलीविजन की मशहूर अदाकारा रति पांडेय की जोड़ी ने इस होली पर धमाल मचा दिया है। एस आर के म्यूजिक प्रा लि प्रस्तुत उनकी अपकमिंग फिल्म "रिश्ते"का होली स्पेशल गाना "बंगला में उड़ेला अबीर"रिलीज होते ही वायरल हो गया है। खेसारीलाल यादव और राज नंदनी की आवाज में बने इस गाने को एस आर के म्यूजिक के ऑफिसियल यूट्यूब पर रिलीज किया गया है। यह गाना आते ही फैंस के बीच लोकप्रिय हो गया और सोशल मीडिया पर छा गया। इस गाने में खेसारीलाल यादव और रति पांडेय की शानदार केमिस्ट्री देखने को मिल रही है। गाने में होली के रंग, मस्ती और धमाल का जबरदस्त तड़का लगाया गया है। "बंगला में उड़ेला अबीर"में दोनों कलाकारों ने होली की उमंग को पूरी तरह से जीवंत कर दिया है। गाने के दृश्य एक भव्य सेट पर फिल्माए गए हैं, जहां चारों तरफ रंग, गुलाल और होली की मस्ती देखने को मिलती है। फिल्म की निर्माता शर्मिला आर. सिंह और प्रस्तुतकर्ता रौशन सिंह ने इस गाने को लेकर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, "हमारी फिल्म 'रिश्ते'में रिश्तों की गहराई और पारिवारिक मूल्यों को दर्शाने की पूरी कोशिश की गई है। यह गाना होली के जश्न में रंग भरने का काम करेगा। खेसारीलाल यादव और रति पांडेय की जोड़ी ने शानदार परफॉर्मेंस दी है। हमें उम्मीद है कि यह गाना दर्शकों के बीच सुपरहिट होगा और होली के जश्न में एक नई जान डाल देगा।"उन्होंने भोजपुरी दर्शकों से अपील करते हुए कहा कि अगर आप भी इस होली पर रंगों और संगीत का मजा लेना चाहते हैं, तो "बंगला में उड़ेला अबीर"गाना मिस मत करिए। यह गाना इस फेस्टिव सीजन को और खास बना देगा।


गाने में खेसारीलाल यादव की जबरदस्त एनर्जी और उनकी दमदार आवाज ने चार चांद लगा दिए हैं। वहीं, रति पांडेय की दिलकश अदाएं और शानदार एक्सप्रेशन फैंस को बेहद पसंद आ रहे हैं। यह पहली बार है जब खेसारीलाल और रति पांडेय किसी गाने में साथ नजर आए हैं, और उनकी जोड़ी ने आते ही धमाल मचा दिया है। गाने के रिलीज होते ही यूट्यूब पर इसे लाखों व्यूज मिल चुके हैं और लोग इस गाने को खूब पसंद कर रहे हैं। फैंस ने खेसारीलाल यादव और रति पांडेय की जोड़ी की तारीफ करते हुए इसे होली का सबसे बेहतरीन गाना बताया है। कमेंट सेक्शन में फैंस अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और इसे "होली एंथम 2025"करार दे रहे हैं। गौरतलब है कि फिल्म में खेसारीलाल यादव और रति पांडेय के अलावा कई दमदार कलाकार मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे। इनमें आकांक्षा पुरी, विनोद मिश्रा, समर्थ चतुर्वेदी, सुजान सिंह, संजीव मिश्रा, युगांत पाण्डेय, माया यादव, निशा झा, रंभा सहनी, जया पाण्डेय, प्रियांशु सिंह, विजया लक्ष्मी सिंह, दिलीप यादव और सोनू पाण्डेय शामिल हैं। फिल्म का निर्देशन और लेखन प्रेमांशु सिंह ने किया है। फिल्म के संगीतकार ओम झा, छोटे बाबा और कृष्णा बेदर्दी हैं। डीओपी (कैमरा डायरेक्टर) बासु हैं। फिल्म का प्रचार-प्रसार रंजन सिन्हा द्वारा किया जा रहा है। यह फिल्म 14 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म का ट्रेलर पहले ही दर्शकों के बीच उत्सुकता जगा चुका है और अब सभी को इसके रिलीज होने का इंतजार है।

पटना : डॉ. सुनील कुमार ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री के रूप में संभाला पदभार

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पटना, 28 फरवरी (रजनीश के झा) : बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के नवनियुक्त मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने आज सचिवालय स्थित प्रथम तल पर विभागीय कार्यालय में पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर उन्होंने विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ परिचय किया और अपनी प्राथमिकताओं को साझा किया। पदभार ग्रहण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और बिहार प्रदेश के नेतृत्वकर्ताओं ने उन्हें इस महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी है, जिसके लिए वे आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण, वन क्षेत्र का विस्तार और पर्यटन को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होगा।


उन्होंने कहा,"मैं इस विभाग से पूर्व से ही परिचित हूं, क्योंकि मैं नालंदा मुख्यालय से विधायक रहा हूं, जहां बिहार का ऐतिहासिक और पर्यटन का बड़ा केंद्र राजगीर भी आता है। यहां वन एवं पर्यावरण संरक्षण की अपार संभावनाएं हैं। यदि सही नीयत और समर्पण के साथ काम किया जाए, तो हम 'हरित बिहार'के लक्ष्य को जल्द ही हासिल कर सकते हैं।"डॉ. सुनील कुमार ने स्पष्ट किया कि वे सबसे पहले विभागीय समीक्षा करेंगे और उसके बाद ठोस कार्ययोजना पर काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने वन क्षेत्र में वृद्धि, प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए विशेष प्रयास करने की बात कही। डॉ. सुनील कुमार ने स्पष्ट किया कि वे विभागीय गतिविधियों की समीक्षा करेंगे और जल्द ही कुछ अहम फैसले लिए जाएंगे, जिससे बिहार को हरित और प्रदूषण मुक्त राज्य बनाने के सपने को साकार किया जा सके। इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग  की सचिव, श्रीमती बंदना प्रेयषी,  PCCF(Hoff), श्री प्रभात कुमार गुप्ता, विशेष सचिव, श्री कँवल तनुज, CWLW, श्री अरविंदर सिंह, श्री सुरेन्द्र सिंह, श्री अभय कुमार सिंह, श्री ए के द्वेदी, श्री सुबोध कुमार गुप्ता, श्री एस. चंद्रशेखर, श्री चितरंजन शर्मा, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डॉ. डी के शुक्ला, सदस्य सचिव श्री नीरज नारायण  के साथ विभाग के वरीय पदाधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे|

पटना : "मंत्रिमंडल पुनर्गठन में भी सूड़ी समाज की उपेक्षा" : वैश्य सूड़ी समाज समिति

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  • आगामी विधानसभा चुनाव में सूड़ी जाति को मिले उचित राजनीतिक भागीदारी : प्रो. रामावतार महतो

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पटना, 26 फरवरी (रजनीश के झा) : अखिल भारतीय शौण्डिक संघ एवं वैश्य सूड़ी समाज समिति सहित विभिन्न जिलों के सूड़ी संगठनों ने बिहार में सूड़ी जाति को राजनीतिक भागीदारी नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है। इन संगठनों ने भाजपा से आग्रह किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सूड़ी समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, अन्यथा समाज में असंतोष बढ़ सकता है। अखिल भारतीय शौण्डिक संघ के सभापति प्रो. रामावतार महतो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार सरकार में सूड़ी जाति को अब तक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है, जिससे समाज में भारी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि भाजपा को इस पर संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि बिहार के 15 से 20 विधानसभा सीटों पर सूड़ी समाज का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है। उन्होंने यह भी कहा कि किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, अररिया, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, वैशाली, पटना, समस्तीपुर, मुंगेर, गया जैसे जिलों में सूड़ी जाति का प्रभावशाली वोट बैंक है, जो अब तक भाजपा के समर्थन में रहा है। लेकिन अगर समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिला, तो यह समर्थन खिसक भी सकता है।

 

प्रो. महतो ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सूड़ी समाज को लगातार राजनीतिक भागीदारी दी है। राजद ने राजनीति प्रसाद को राज्यसभा भेजा और रामचंद्र पूर्वे को मंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष बनाया। राजकुमार महासेठ, समीर महासेठ, राम प्रकाश महतो को मंत्रीमंडल में जगह देकर समाज को सम्मान दिया। कामेश्वर पूर्वे (राजद), राजकुमार पूर्वे (वामदल), नगीना देवी (लोजपा), केदार प्रसाद (राजद) जैसे कई विधायक भी सूड़ी समाज से चुने गए। वहीं, भाजपा में दिवंगत नेता सुशील मोदी ने सूड़ी समाज को उभारने का प्रयास किया और उनके कार्यकाल में अरुण शंकर प्रसाद, अमरनाथ गामी विधायक बने थे। वैद्यनाथ प्रसाद एवं सुमन महासेठ विधान पार्षद थे। वर्तमान में भाजपा में सूड़ी समाज का केवल एक विधायक अरुण शंकर प्रसाद हैं, लेकिन विधान परिषद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। वैश्य सूड़ी समाज समिति के प्रमंडलीय अध्यक्ष सुनील गड़ाई ने कहा कि 26 फरवरी को हुए मंत्रिमंडल पुनर्गठन में भी सूड़ी समाज को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला, जो गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अन्य वैश्य उपजातियों को आबादी के अनुपात में राजनीतिक हिस्सेदारी मिल रही है, लेकिन सूड़ी जाति को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार प्रदेश भाजपा से अनुरोध किया गया कि सरकार के विभिन्न आयोगों में रिक्त पदों पर सूड़ी जाति के नेताओं को प्रतिनिधित्व दिया जाए, ताकि उन्हें उचित सम्मान मिल सके। प्रेस कॉन्फ्रेंस में वैश्य सूड़ी समाज समिति, दरभंगा के जिलाध्यक्ष रामनाथ पंजियार, जिला उपाध्यक्ष जयकिशुन राउत सहित कई अन्य नेताओं ने भाग लिया और भाजपा से अपील की कि अगर जल्द ही सूड़ी समाज को राजनीतिक भागीदारी नहीं दी गई, तो समाज के लोग भविष्य में कोई बड़ा निर्णय लेने के लिए मजबूर होंगे।

मधुबनी : जनता के दरबार में डीएम ने शिकायतों के त्वरित निष्पादन का दिया निर्देश

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  • जन शिकायतों को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखकर त्वरित निष्पादन करे अधिकारी

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मधुबनी (रजनीश के झा)। जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा के द्वारा शुक्रवार को समाहरणालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में आयोजित जनता के दरबार में जिलाधिकारी"कार्यक्रम* में जिले के सुदूर क्षेत्रो से आए हुए परिवादियों से मुलाकात कर उनकी शिकायतों को सुनते हुए संबंधित अधिकारियों को त्वरित निष्पादन का निर्देश दिया। गौरतलब हो कि प्रत्येक सप्ताह शुक्रवार को जनता दरबार में जिलाधिकारी कार्यक्रम के आयोजन के मौके पर जिलाधिकारी सभी परिवादियों से मुलाकात करते हैं और उनकी शिकायतों के निपटारे के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी देते हैं. इस परिप्रेक्ष्य में शुक्रवार,28 फरवरी को कुल 65 परिवादी अपनी शिकायतों के साथ जिलाधिकारी से मिले.


प्रखंड पंडौल निवासी विनोद राम ने ग्राम पंचायत भगवतीपुर  के वार्ड न 09 में नल जल रिपेयरिंग की समस्या होने से सम्बंधित शिकायत किया। कमला देवी मधुबनी जिला निवासी ने भारत माला परियोजना अंतर्गत पैकेज 01 मौजा कलना का खेसरा संख्या 2289 (नया) के जमाबंदी में प्रविष्ट खाता ,खेसरा सुधारने के कार्य ने अनावश्यक विलंब से संबंधित शिकायत किया गया। अमर कुमार शर्मा ने गलत ढंग से स्वच्छता पर्यवेक्षक का चयन कर लेने से संबंधित शिकायत किया। प्रखंड खुटौना के निवासी रामखेलावन साह के द्वारा उनके निजी जमीन में आधा धुर जमीन कब्जा कर लेने से संबंधित शिकायत किया गया। जिलाधिकारी द्वारा आए हुए सभी परिवादियों से बारी-बारी से शिकायतें सुनी गई और उनके परिवाद के निवारण हेतु संबधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिए गए. जिलाधिकारी ने कई प्राप्त शिकायतों के आलोक में संबंधित पदाधिकारियों को फोन कर जन शिकायतों को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखकर त्वरित निष्पादन करने का निर्देश दिया।-उक्त अवसर पर  अपर समाहर्ता शैलेश कुमार,प्रभारी उप विकास आयुक्त नीरज कुमार आदि उपस्थित थे।


मधुबनी : लगान वसूली के कार्य में तेजी लाने का डीएम का सख्त निर्देश

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मधुबनी 28 फरवरी (रजनीश के झा)। जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा की अध्यक्षता में समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में जिला राजस्व समन्वय समिति की समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई।राजस्व विभाग के विभिन्न मानकों में ओवर ऑल प्रदर्शन में  सीओ फुलपरास, खुटौना एवं राजनगर अव्वल रहे वहीं सीओ बाबूबरही ,बिस्फी एवं रहिका का प्रदर्शन निम्न पाया गया।जिलाधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि लगातार तीन माह निम्न प्रदर्शन करने वाले पर जवाबदेही तय करते हुए करवाई की जाएगी। अतिक्रमणवाद की समीक्षा के क्रम में जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि अतिक्रमण के मामलों को सर्वाेच्च प्राथमिकता के साथ त्वरित रूप से निष्पादित करे। समीक्षा के क्रम में जिलाधिकारी ने   अतिक्रमण वाद में किसी भी प्रकार की शिथिलता पर संबंधित सीओ के विरुद्ध करवाई की बात भी कही। जिलाधिकारी ने कहा कि सभी सीओ अतिक्रमण वाद के मामलों को सरजमीनी पोर्टल पर अनिवार्य रूप से अपलोड करने का भी निर्देश दिया. उन्होंने उपस्थित सभी डीसीएलआर को नियमित रूप से अंचलों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया. उन्होंने सभी सीओ को जलनिकायों के अतिक्रमण को स्वयं चिन्हित कर उसपर अतिक्रमण वाद चलाकर अतिक्रमण मुक्त करने का भी निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने सभी सीओ को तेजी के साथ नीलाम पत्रवाद का निष्पादन करने का निर्देश दिया। 

 

जिलाधिकारी ने  लगान वसूली कार्य की समीक्षा के क्रम में   इसमें  तेजी लाने का निर्देश दिया।

लोक सेवाओं के अधिकार की समीक्षा के क्रम में निर्देश दिया कि  प्राप्त आवेदनों को निर्धारित अवधी में हर हाल में निष्पादित करवाना सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि लोक सेवा अधिकार अधिनियम के तहत आरोपित दंड को संबधित अधिकारियों से ससमय वसूली भी करे। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि दंड की राशि नही जमा करने वाले अधिकारियों एवं कर्मियों के विरुद्ध प्रपत्र क की करवाई करे। जिलाधिकारी ने कहा कि जनता दरबार में सबसे अधिक परिवाद भूमि विवाद से संबंधित होते हैं। भूमि विवाद के समाधान के लिए थाना दिवस को उपयोगी बताते हुए उन्होंने कहा कि भूमि विवाद से जुड़े मामलों में अधिकतर मामलों को भूमि की मापी करवाकर निष्पादित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भूमिविवाद के मामलों को सर्वाेच्च प्राथमिकता के साथ ससमय निष्पादित करे. अभियान बसेरा 2 की समीक्षा के क्रम में जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि इसके तहत एक भी पात्र भूमिहीन छूटे नही,इसे हर हाल में सुनिश्चित करे. सीडब्लूजेसी की समीक्षा के क्रम में डीएम ने निर्देश दिया कि न्यायालय संबधी मामलों को पूरी गंभीरता से लेकर,ससमय एसओएफ तैयार कर ससमय ओथ करे। उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ी भी लापरवाही एवं शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि माननीय न्यायालय द्वारा प्राप्त आदेश का अनुपालन हर हाल में  ससमय करवाना सुनिश्चित करें. जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि निम्न प्रदर्शन करने वाले अंचल अगली बैठक तक अपने प्रदर्शन में सुधार कर लें, अन्यथा जबाबदेही तय कर करवाई की जाएगी। जिलधिकारी ने  सभी सीओ को निर्देश दिया कि विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं,महत्वपूर्ण भवनों के लिए भूमि उपलब्धता के कार्य को प्राथमिकता में रखकर ससमय भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करे। जिलाधिकारी ने दाखिल-खारिज के प्राप्त आवेदनों का हर हाल में निर्धारित अवधि में निष्पादन करने का निर्देश दिया। समीक्षा के क्रम में यह पाया गया कि जनवरी माह में दाखिल खारिज में हरलाखी का प्रदर्शन सबसे अच्छा एवं घोघरडीहा सीओ का प्रदर्शन सबसे निम्न पाया गया। उक्त बैठक में अपर समाहर्त्ता,  शैलेश कुमार, प्रभारी पदाधिकारी जिला राजस्व शाखा,विकास शाखा एवं जिला स्थापना शाखा,जिले के सभी भूमि सुधार उप समाहर्ता, सभी अंचल अधिकारी आदि उपस्थित थे।

कटिहार : यूथ पावर लोक कला मंच के प्रांगण में भव्य देवी जागरण

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कटिहार (आलोक कुमार)। इस जिले में समेली प्रखंड है.इस प्रखंड अन्तर्गत ग्राम पंचायत राज मलहरिया के सार्वजनिक राम जानकी मंदिर भरेली के यूथ पावर लोक कला मंच के प्रांगण में भव्य देवी जागरण कार्यक्रम आयोजित किया गया.यह कार्यक्रम महाशिवरात्रि मेले उपलक्ष्य आयोजित किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बरारी विधानसभा के सम्मानित विधायक विजय सिंह निषाद, मुखिया राज कुमार भारती,‌ विधायक प्रतिनिधि भोला प्रसाद मंडल, प्रदेश जदयू उपाध्यक्ष सूर्यदेव मंडल ने संयुक्त रूप से फीता काटकर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया. कार्यक्रम का संचालन हरि प्रसाद मंडल व नरेश कुमार मंडल ने किया.वहीं कार्यक्रम में उपस्थित माननीय विधायक जी को मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष दर्वेश्वर प्रसाद मंडल ने माल्यार्पण,बुके व   अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया. बिट्टू घोष को राकेश कुमार मंडल, मुखिया राज कुमार भारती को निरंजन कुमार मंडल, सूर्यदेव मंडल को सुभाष कुमार हिटलर,भोला प्रसाद मंडल को मेला आयोजन समिति के अखिलेश कुमार मंडल, समिति प्रतिनिधि दीपक कुमार मंडल को अरुण कुमार मंडल ने बुके एवं ‌अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया.


बताते चले कि महाशिवरात्रि मेले के पुनीत अवसर पर अररिया व बंगाल के मशहूर कलाकारों के उत्कृष्ट कलाकृति ने देवी जागरण, भक्ति संगीत,शिव तांडव नृत्य,देवी देवताओं पर आधारित शिव पार्वती, मां काली, दुर्गा शक्ति,शिव बारात के साथ भूत प्रेत बानर, राक्षस आदि के उत्कृष्ट झांकियां प्रस्तुत कर हजारों -हजार की संख्या में उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मेला आयोजन समिति के‌ सर्वश्री उमेश कुमार मंडल, सुमित कुमार, विनोद कुमार मंडल बल्ला सिंह,अशोक कुमार गुप्ता,, भोला प्रसाद मंडल,दुक्खन मंडल, पंकज कुमार मंडल , चंदन कुमार मंडल व समस्त ग्रामवासियों का बहुत बड़ा योगदान रहा.कार्यक्रम में उप मुखिया चंदन कुमार, पूर्व सरपंच अवधेश कुमार आर्य ,उप सरपंच प्रभाष कुमार मंडल, वार्ड प्रतिनिधि विजय कुमार मंडल, सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार पासवान आदि वरीय सदस्य सलाहकार सदस्यों ने युवाओं का नेतृत्व किया.

पटना : 'बदलो बिहार महाजुटान'में सामाजिक न्याय आंदोलन के कई बहुजन संगठन करेंगे हिस्सेदारी

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पटना (रजनीश के झा)। भाकपा-माले की अगुआई में जनांदोलनों के साझा आह्वान पर 2 मार्च को पटना के गांधी मैदान में आयोजित हो रहे 'बदलो बिहार महाजुटान'में सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के साथ कई एक बहुजन संगठन हिस्सेदारी करेंगे,जिसमें प्रमुख तौर पर शामिल हैं-सोशल जस्टिस आर्मी,साऊथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी में सक्रिय बहुजन स्कॉलर फोरम,बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन(बिहार),बहुजन इंटिलेक्चुअल फोरम,अखिल भारतीय अंबेडकर कल्याण संघ और ओबीसी महासभा.


सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के संयोजक रिंकु यादव,राज्य अध्यक्ष रामानंद पासवान,उपाध्यक्ष-ई.एसएन ठाकुर,राज्य सचिव सुबोध यादव,संयुक्त सचिव अर्जुन शर्मा,सोशल जस्टिस आर्मी के गौतम आनंद,बहुजन स्कॉलर फोरम के अमन,अमृत राज और अनिल राम,बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन(बिहार) के सोनम राव,प्रवीण यादव और विष्णु दास,बहुजन इंटिलेक्चुअल फोरम के अभय,अखिल भारतीय अंबेडकर कल्याण संघ के अरविंद कुमार चक्रवर्ती और ओबीसी महासभा के एडवोकेट वीरेन्द्र गोप ने साझा प्रेस बयान जारी कर कहा है कि बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने की मांग समेत हाशिए के समाज के उत्थान व न्यायपूर्ण जीवन के साथ मेहनतकशों व छात्र-नौजवानों के हक-अधिकार के व्यापक एजेंडा पर आयोजित यह महाजुटान बिहार के बदलाव-विकास के लिए संगठित आवाज को बुलंद करेगा और संघर्ष के नए दौर का आगाज होगा. बहुजन संगठनों ने साझा प्रेस बयान में कहा है कि संविधान व लोकतंत्र विरोधी भाजपा-आरएसएस ऐसी शक्तियां बिहार को पीछे की ओर ले जाने के लिए अधिकतम ताकत लगा रही है.इन ताकतों को शिकस्त देना संविधान व लोकतंत्र बचाने और बिहार को बदलाव की दिशा में ले जाने के लिए प्राथमिक व जरूरी कार्यभार है. बहुजन संगठनों ने कहा है कि बिहार में भाजपा-आरएसएस ऐसी ताकतों को शिकस्त देने के लिए तमाम संघर्षरत शक्तियों की एकजुटता बेहद जरूरी है.भाकपा-माले ने बिहार की वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिस्थिति में जरूरी पहल किया है.सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत तमाम संगठनों और कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों को इस पहल का हिस्सेदार बनना ही चाहिए.'बदलो बिहार महाजुटान'में भारी तादाद भागीदारी करनी चाहिए.

आलेख : 30 साल बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, धृति व शूल योग में मनेगी होली

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हर साल होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. वैदिक पंचांग के मुताबिक फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और समापन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा. उदयातिथि के कारण रंगों की होली 14 मार्च को मनाया जायेगा। जबकि होलिका दहन 13 मार्च बुधवार को प्रदोषकाल में किया जाएगा. इस दिन सूर्य, बुध और शनि की कुंभ राशि में युति बन रही है। साथ ही पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, धृति योग के बाद शूल योग वणिज करण के बाद बव करण और सिंह राशि के चंद्रमा की साक्षी में होलिका दहन होगा। और गुरुवार का दिन इस पर्व को और भी विशिष्ट बना रहा है। ऐसा संयोग 30 साल पहले 1995 में बना था, जो अब 2025 में फिर से बनने जा रहा है। इस विशेष योग में की गयी मंत्र, तंत्र और यंत्र साधना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। यही कारण है कि इसे सिद्धिरात्रि भी कहा जाता है। इस दिन सुबह 10.23 बजे से रात 11.30 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा। हालांकि प्रदोषकाल में किया गया पूजन शुभ होता है, इसलिए होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 10ः45 बजे से लेकर रात 1ः30 बजे तक है. पंचांग गणानुसार सिंह का चंद्राम भ्रदा का वास पृथ्वी पर है, लेकिन भद्रा के अंतिम भाग में पूजन से यश और विजय की प्राप्ति होती है। इन योगों में भगवान की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि होलिका दहन पर पूजा करने से संतान सुख प्राप्त होता है


Holi-festival
होली सनातन के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे एकता और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। उल्लास का रंग लिये हुए हर बरस होली हमें अपने परिजनों से कुछ अधिक आत्मीय बनाने के लिए आती है। रंग, उमंग और आनंद से भरी हुई होली... बसंत, फाग और होली के बहाने हम एक बार उन परंपराओं को याद करते हैं, जिनकी मौजूदगी हमारे समाज में एक संस्कृति की तरह सालों से है। इन परंपराओं की वजह से ही हम जीवंत, लोक-लुभावन, आत्मीय और महत्वपूर्ण जीवन गुजारते है। इससे बड़ा गौरव और क्या हो सकता है कि हमारी संस्कृति, होलिका के बहाने बीत रहे संवत्सर की जो चिता जलाती है, उसमें इस आशय का बीज छुपा होता है कि इस मौके पर अपना अहंकार हमें इस अग्नि में डालना है और उसमें तपकर कुंदन की भांति इस कदर निकलना है, जिस पर कोई भी बड़ी आसानी से अपने प्रेम का रंग चढ़ा सकें। जी हां, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को जब चंद्रमा अपने पूरे सौंदर्य के साथ आकाश में शोभायमान होता है तब धरती भी रंगों से श्रृंगारित होती है। तभी तो होली के पर्व का प्रकृति और मन से भी सीधा संबंध है। होली के रंग दिलों की दूरिया ही नहीं मिटाते है अपनों को करीब भी लाते है, सभी को प्रेम के रंग में रंग देता है। फाल्गुन के महीने में मनाए जाने के कारण इस पर्व का एक नाम फाल्गुनी भी है। होली हमारे समाज का एक प्राचीन त्योहार है। भारतीय समाज की विविधता के कारण इसके मनाने के ढंग भी अलग-अलग हैं, परंतु प्रेम, समभाव और सद्भाव के रंग हर जगह मिलते हैं। उमंग में पगी टोलियों के गीत गाने और गुलाल-अबीर से एक-दूसरे को सराबोर करने के दृश्य देखे जा सकते हैं। ऊंच-नीच, छोटे-बड़े और अमीर-गरीब के भेदभाव सतरंगी छटाओं में विलीन हो जाते हैं। रंगों और दुलार के इस पर्व में बहुधा रंगों में आपसी द्वेष और मतभेद भी घुलते जाते हैं। मतलब साफ है यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है। हमें प्रेरणा मिलती है कि किस तरह होलिका नामक बुराई जल कर भस्म हो गयी और प्रह्लाद की भक्ति व विश्वास रूपी अच्छाई को रंच मात्र भी आंच न आयी। इस जीत को ही अबीर-गुलाल उड़ा कर, ढोल-नगारे की थापों के बीच नाच-गाकर मनाया जाता है। हर तरह से होली हमारे जीवन में आनंद का संचार करने वाला पर्व है। यह बैर को भुलाकर दिलों को मिलाने का संदेश देने वाला प्रसंग है। कहते हैं होली का पर्व लोगों के मन में प्रेम और विश्वास को बढ़ाने का अवसर है। इस दिन सभी पुराने गिले शिकवे को दूर करते हुए, एक दूसरे को गले लगाकर इस स्नेह भरे पर्व को मनाते हैं। वहीं होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने की भी परंपरा है, जिसे आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता से जोड़ा जाता है। होलिका दहन के अगले दिन धुलंडी यानी रंगवाली होली खेली जाती है। इस दिन लोग रंग और गुलाल से एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं।


सिंह, तुला व कन्या राशि के लोगों पर पड़ेगा ग्रहण का साया

Holi-festival
हालांकि कुछ राशियों के लिए होली के रंग में चंद्र ग्रहण भंग डालेगा। क्योंकि इसी दिन आत्मा के कारक सूर्य देव 14 मार्च को राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन सूर्य देव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर मीन संक्रांति मनाई जाएगी। होली के दिन चंद्र देव भी राशि परिवर्तन करेंगे। चंद्र देव 14 मार्च को कन्या राशि में गोचर करेंगे। 14 मार्च को ही साल का पहला ग्रहण लगेगा। ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र ग्रहण से राशि चक्र की सभी राशियों पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ेगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसके लिए सूतक भी मान्य नहीं होगा। चंद्र ग्रहण का समय सुबह 09 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक है। सिंह राशि के स्वामी आत्मा के कारक सूर्य देव हैं। मन के कारक चंद्र देव कर्क राशि के स्वामी हैं। भगवान शिव की पूजा करने से चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्र ग्रहण के दिन धरती पर मायावी ग्रह राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके लिए ग्रहण के दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। अतः होली के दिन कई राशियों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है। राहु की कुदृष्टि के चलते शारीरिक एवं मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही कारोबार में भी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, खानपान से भी परहेज करें। वहीं, भगवान विष्णु का ध्यान करें। ज्योतिषियों की मानें तो होली के दिन दोपहर 12 बजे तक चंद्र देव सिंह राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य और चंद्र देव के मध्य मित्रवत संबंध है। वहीं, राहु और चंद्र के मध्य शत्रुवत संबंध है। इसके लिए सिंह राशि के जातकों को ग्रहण के दौरान सावधान रहने की जरूरत है। शुभ काम न करें। नकारात्मक जगहों पर जाने से बचें। अपने गुस्से पर कंट्रोल रखें। बड़ों की सेवा और सम्मान करें। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन चंद्र देव दोपहर 12 बजकर 56 मिनट पर चंद्र देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। इसके लिए होली के दिन कन्या राशि के जातकों को सावधान रहने की आवश्यकता है। कारोबार से जुड़े अहम काम न करें और न ही निवेश करें। वाद-विवाद से बचें। वाणी पर कंट्रोल रखें। भगवान विष्णु के नाम का मंत्र जप करें। तुला राशि के जातक होली के दिन आवश्यकता होने पर घर से बाहर निकलें। शुभ काम करने और लंबी यात्रा करने से बचें। घर पर बड़ों की सेवा और सम्मान करें। किसी के प्रति बुरा न सोचें। तामसिक चीजों का सेवन बिल्कुल न करें। शेयर मार्केट में निवेश न करें। ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान के बाद भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करें। इसके बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार अनाज का दान करें। वृश्चिक राशि के जातकों को होली के दिन सतर्क रहने की जरूरत है। विवाद से दूर रहें और न ही किसी से वाद करें। वाणी पर कंट्रोल रखें। किसी के प्रति गलत विचार न रखें। तामसिक भोजन का सेवन न करें। यात्रा करने से बचें। तेज गति से ड्राइव न करें। किसी को उधार न दें और न ही कारोबार में निवेश करें। मानसिक तनाव की परेशानी हो सकती है। विचार में मतभेद देखने को मिलेगा।


पौराणिक मान्यताएं

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होलिका ने प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया, लेकिन अग्निदेव की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका भस्म हो गई. इस घटना की स्मृति में होलिका-पूजन और होली का त्योहार मनाया जाता है. कहते है जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, उसका हजारों वर्षों से हम पूजन इसलिए करते हैं, क्योंकि जिस दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठने वाली थी, उस दिन नगर के सभी लोगों ने घर-घर में अग्नि प्रज्वलित कर प्रहलाद की रक्षा करने के लिए अग्निदेव से प्रार्थना की थी. लोकहृदय को प्रहलाद ने कैसे जीत लिया था यह बात इस घटना में प्रतिबिम्बित होती है. अग्निदेव ने लोगों के अंतःकरण की प्रार्थना को स्वीकार किया और लोगों की इच्छा के अनुसार ही हुआ. होलिका नष्ट हो गई और अग्नि की कसौटी में से पार उतरा हुआ प्रहलाद नरश्रेष्ठ बन गया. प्रहलाद को बचाने की प्रार्थना के रूप में प्रारंभ हुई घर-घर की अग्नि पूजा ने कालक्रमानुसार सामुदायिक पूजा का रूप लिया और उससे ही गली-गली में होलिका की पूजा प्रारंभ हुई. इस त्योहार का मुख्य संबंध बालक प्रहलाद से है. प्रहलाद था तो विष्णुभक्त मगर उसने ऐसे परिवार में जन्म लिया, जिसका मुखिया क्रूर और निर्दयी था. प्रहलाद का पिता अर्थात निर्दयी हिरण्यकश्यप अपने आपको भगवान समझता था और प्रजा से भी यही उम्मीद करता था कि वह भी उसे ही पूजे और भगवान माने. ऐसा नहीं करने वाले को या तो मार दिया जाता था या कैद-खाने में डाल दिया जाता था. जब हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त निकला तो पहले तो उस निर्दयी ने उसे डराया-धमकाया और अनेक प्रकार से उस पर दबाव बनाया कि वह विष्णु को छोड़ उसका पूजन करे. मगर प्रहलाद की भगवान विष्णु में अटूट श्रद्धा थी और वह विचलित हुए बिना उन्हीं को पूजता रहा.सारे यत्न करने के बाद भी जब प्रहलाद नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने उसे मार डालने की सोची. इसके लिए उसने अनेक उपाय भी किए मगर वह मरा नहीं. अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान था, को बुलाया और प्रहलाद को मारने की योजना बनाई. एक दिन निर्दयी हिरण्यकश्यप ने बहुत सी लकड़ियों का ढेर लगवाया और उसमें आग लगवा दी. जब सारी लकड़िया तीव्र वेग से जलने लगीं, तब राजा ने अपनी बहन को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को लेकर जलती लकड़ियों के बीच जा बैठे. होलिका ने वैसा ही किया. दैवयोग से प्रहलाद तो बच गया, परन्तु होलिका वरदान प्राप्त होने के बावजूद जलकर भस्म हो गई. तभी से प्रहलाद की भक्ति और आसुरी राक्षसी होलिका की स्मृति में इस त्योहार को मनाते आ रहे हैं. कहते है होलिका-प्रहलाद के साथ ही बसंत ऋतु और नई फसल से भी जुड़ी हैं। इस समय पेड़ों से पत्ते गिरने लगते हैं और नए पत्ते आने लगते हैं। प्रकृति हमें बताती है कि जब पुरानी चीजें खत्म होती हैं, तब ही नई शुरुआत होती है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक होली की रात का महत्व काफी अधिक रहता है। होलिका दहन की रात तंत्र-मंत्र से जुड़ी साधनाएं की जाती हैं। जो लोग मंत्र साधना करना चाहते हैं, वे किसी विशेषज्ञ गुरु के मार्गदर्शन में मंत्र जप और साधना करते हैं। बसंत ऋतु के स्वागत में रंगों का त्योहार मनाया जाता है। कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए बसंत ऋतु को प्रकट किया था। बसंत को ऋतुरात कहा जाता है। इसके बाद जब शिव जी का तप भंग हुआ तो उन्होंने कामदेव भस्म कर दिया था। बाद में कामदेव की पत्नी रति की प्रार्थना पर शिव जी उसे ये वरदान दिया था कि द्वापर युग में कामदेव श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। ये घटना फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की ही घटना मानी गई है। ये फसल पकने का समय है। इन दिनों में अधिकतर किसानों की फसलें तैयार हो जाती हैं, किसान फसल पकने की खुशी मनाने के लिए रंगों से त्योहार मनाते हैं, इस मान्यता की वजह से भी होली मनाने का चलन है। किसान जलती हुई होली में नई फसल का कुछ भाग अपने इष्टदेव को अर्पित करते हैं और खुशियां मनाते हैं।


 





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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार 

वाराणसी

विशेष : बस्ती जिले में नदियों की सफाई और नौका विहार की संभावनाएं

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 24 फरवरी 2025 को मुझे केरल के नेय्यार नदी पर  पूवर बोटिंग सफारी नौका विहार करने का अवसर  प्राप्त हुआ था। जो काफी रोमांटिक और शान्ति सकून भरा रहा। इस प्रकार के आयोजन उत्तर भारत के अनेक स्थलों पर भी विकसित किया जा सकता है। इससे जल परिवहन और नौका विहार के नए आयाम जुड़ेंगे और क्षेत्र के विकास में चार चांद लग सकते हैं।


जल परिवहन के फायदे

जल परिवहन का उपयोग प्राचीन समय से ही किया जा रहा है और इसके कई फायदे हैं। यह एक सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन है। कम लागत: जल परिवहन की लागत अन्य परिवहन चालकों की तुलना में कम लागत है। पर्यावरण के अनुकूल: जल परिवहन से प्रदूषण कम होता है, क्योंकि यह कम जल का उपयोग करता है। यह बहुत सस्ता है क्योंकि पानी का घर्षण ज़मीन की तुलना में बहुत कम है । जल परिवहन की ऊर्जा लागत कम है। 


उत्तर प्रदेश में भी अनुकूल परिस्थितियां 

उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस विकल्प को विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने  कहा है कि बलिया से अयोध्या तक सरयू नदी में जल परिवहन सेवा शुरू की जाएगी।  अयोध्या स्थित सरयू नदी में जल मार्ग का विकास करने और इसे सुदृढ़ बनाने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जल मार्ग में पानी की भरपूर व्यवस्था के लिए नदी तल का सिल्ट निकालने का कार्य किया जाएगा।  सरयू नदी में पानी का प्रवाह बढ़ाकर वाटर मेट्रो चलाने की तैयारी भी है। सरयू नदी में अयोध्या टांडा बडहल गंज को जोड़ते हुए यूपी की सीमा बलिया तक जल परिवहन को विकसित किया जा सकता है।सरयू नदी से मखौड़ा धाम को नदी मार्ग से नौका द्वारा जोड़कर पर्यटक को विकसित किया जा सकता है। टांडा से अयोध्या को नदी मार्ग से जोड़कर उमरिया देवरहा बाबा की जन्म भूमि को जोड़ते हुए पर्यटन स्थल विकसित किया जा सकता है।


कुवानो नदी 

कुवानो नदी सरयू (घाघरा) की सहायिका है। यह नदी तराई इलाके में बहराइच ज़िले के बसऊपुर गाँव के पास से एक सोते के रूप में निकलती है। नदी अपने मार्ग में बस्ती, संत कबीर नग़र और गोरखपुर जिले से होकर बहती है। इस नदी में नौका विहार की असीम संभावनाएं हैं। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कुवानो नदी पर अमहट भद्रेश्वर नाथ और मुड़ घाट बारछत्तर सन्त रविदास बन बिहार आदि कुछ स्थल को जोड़ते हुए इस तरह के नौका विहार के लिए उपयुक्त है। बस्ती का संत रविदास पार्क कुवानों नदी के तट पर स्थित है. यहां पर आपको पार्क के साथ ही प्राकृतिक संसाधन देखने को मिल जाएंगे जो कि बेहद ही खूबसूरत हैं. इस पार्क में आपको मनोरंजन के साथ ही तरह तरह के जीव जन्त पशु पक्षी देखने को मिल जाएंगे. गर्मी के मौसम में यहां पर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। इसे नौका विहार द्वारा विकसित किया जा सकता है।


बिसुही नदी

बिसुही नदी बहराइच जिले के इकौना परगना से निकलकर गोंडा की पश्चिमी सीमा में प्रवेश करती है। उतरौला तहसील में पहुंचकर यह सादुल्लानगर को मनकापुर से और बूढ़ापायर को बभनीपायर से अलग करती है। जिले में 70 मील की दूरी तय करके ये नदी कुआनो में मिल जाती है। इसका पाट भी कुआनो की तरह संकरा व गहरा है। जिले में प्रवेश करते समय नदी की चौड़ाई 10 से 15 गज तक ही है, जबकि पूर्वी सीमा पर पहुंचते-पहुंचते यह 40-50 गज तक चौड़ी हो गई है। नदी के तट व अधिकांश भाग जामुन के कुंजों से आच्छादित हैं। इन्हें छटवांकर अनुकूल बनाया जा सकता है। 


मनोरमा नदी व अन्य छोटी नदियां 

मनोरमा नदी पर मखौड़ा से बस्ती के लाल गंज तक पण्डुल पांडव घाट से झुगी नाथ तक को नौका विहार द्वारा जोड़ा जा सकता है। मनवर रामरेखा और सरयू नदी को जोड़कर नौका विहार के स्पॉट बनाए जा सकते हैं। इसी प्रकार आमी, रामरेखा, घाघौवा नाला ,गरिया आदि नदियों को भी इस दृष्टि से जोड़ा जा सकता है।







आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी 

वरिष्ठ पत्रकार 

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