नयी दिल्ली, 23 नवंबर, देश में बाल अधिकार से जुड़े अधिकतर राज्यों के आयोगों एवं जनसंगठनों ने संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने वाले बाल श्रम (प्रतिबंध एवं नियंत्रण) संशोधन विधेयक तथा किशोर न्याय संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध किया है और इसे बच्चों के हितों के खिलाफ बताया है। नोबल पुरस्कार से सम्मानित बचपन बचाओं आंदोलन के नेता कैलाश सत्यार्थी ने आज यहां इस दोनों विधोयकों पर विचार-विमार्श के लिए आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन पर पत्रकारों को यह जानकारी दी। सम्मेलन का आयोजन बचपन बचाओ आंदोलन ने किया था जिसमें 14 राज्यों के बाल अधिकार आयोग, बाल एवं मजदूर संगठनों तथा श्र्रम एवं महिला तथा बाल विकास मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उन्होंने कहा कि 29 साल बाद सरकार बाल श्रम को प्रतिबंधित करने के लिए विधेयक ला रही है लेकिन उसमें बाल मजदूरी को खत्म करने की बजाय उसे जारी रखने का ही प्रयास किया जा रहा है क्योंकि पहले 86 खतरनाक उद्योगों में बाल मजदूरों के काम पर रोक लगी थी, लेकिन अब सरकार ने केवल तीन उद्योगों को ही खतरनाक घोषित किया है जिसके कारण बाल मजदूरी खत्म नहीं हो पाएगी।
श्री सत्यार्थी ने कहा कि वह इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कई राजनीतिक दलों के प्रमुखों तथा नेताओं एवं सांसदों को अलग-अलग पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठाएंगे और प्रस्तावित विधेयकों को बाल अधिकारों के हितों के अनुरूप बनाने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि बंधुआ मजदूरी उन्मूलन कानून की तरह बाल श्रम प्रतिबंध संशोधन विधेयक में भी बाल मजदूरों के पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए, अन्यथा इस विधेयक का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।
श्री सत्यार्थी ने यह भी कहा कि किशोर न्याय संशोधन विधेयक को भी पारदर्शी बनाने की जरूरत है और किशोर अपराधियों की उम्र 18 वर्ष ही किया जाना चाहिए न कि 16 वर्ष जैसा कि प्रस्ताव विधेयक में किया गया है। उन्होंने कहा कि आज कार्यशाला में सभी प्रतिनिधियों ने इन मुद्दों पर विचार किया है और एक स्वर में दोनों विधेयकों में बदलाव की मांग की है।