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प्रख्यात कथाकार डा. महीप सिंह का निधन

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eminent-storywriter-dr-maheep-singh-diedनयी दिल्ली 24 नवंबर, भारत और पाकिस्तान के विभाजन पर ‘पानी और पुल’ जैसी कालजयी कहानी लिखने वाले वयोवृद्ध लेखक डा. महीप सिंह का आज यहां निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी , दो बेटे और एक बेटी है। डा. सिंह के मित्र एवं प्रसिद्ध कवि तथा नाटककार डा. नरेंद्र मोहन ने यूनीवार्ता को बताया कि साठ के दशक में हिन्दी में सचेतन कहानी के आंदोलन के सूत्रधार डा. सिंह काफी लंबे समय से बीमार थे और आज दोपहर करीब एक बजे उन्होंने अंतिम सांसे लीं। 2009 में भारत-भारती सन्यास से विभूषित डा. सिंह ‘संचेतना पत्रिका के संपादक थे और दिनमान, नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, जागरण और राष्ट्रीय सहारा जैसे अखबारों में राष्ट्रीय मसलों पर लेख भी लिखते थे। 

उन्होंने करीब 125 कहानियां लिखी थी तथा कई उपन्यास भी लिखे थे। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर भी थे। हिन्दी के वयोवृद्ध लेखक रामदरश मिश्र, कमल किशोर गोयनका, हरीश नवल समेत कई लेखकों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हें एक बड़ा कथाकार बताया है। डा. सिंह राजेंद्र यादव के समकालीन लेखकों में से प्रमुख थे। उनके चर्चित उपन्यासों में ‘यह भी नहीं अभी शेष है।

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