
उन्होंने करीब 125 कहानियां लिखी थी तथा कई उपन्यास भी लिखे थे। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर भी थे। हिन्दी के वयोवृद्ध लेखक रामदरश मिश्र, कमल किशोर गोयनका, हरीश नवल समेत कई लेखकों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हें एक बड़ा कथाकार बताया है। डा. सिंह राजेंद्र यादव के समकालीन लेखकों में से प्रमुख थे। उनके चर्चित उपन्यासों में ‘यह भी नहीं अभी शेष है।