बक्सर। बक्सर जिले के राजपुर विधान सभा से संतोष कुमार निराला विजयी हुए हैं। महागठबंधन के घटक जदयू परिवार के सदस्य हैं। आजकल एससी-एसटी कल्याण मंत्री संतोष कुमार निराला का अभिनंदन किया जा रहा है। इनके साथ राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष वि़द्यानंद विकल भी शिरकत कर रहे हैं।एक दिन में जगह-जगह पर मंत्री का अभिनंदन हो रहा है। बक्सर इंडस्ट्रीयल एरिया द्वारा सम्मान समारोह में मंत्री जी सम्मानित हुए। आरा परिसदन में विकास मित्र और एससी/एसटी कर्मचारी सं़द्य के सदस्यों ने अभिवादन किए। वहीं कल्याण विभाग के अम्बेडकर छात्रावास,बक्सर में अभिनंदन किया गया। मंत्री के द्वारा जरूर ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति की समस्याओं का आकलन भी करते होंगे। बहुत सारी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
राज्य महादलित आयोग के प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि ने सीएम नीतीश कुमार को महादलितों के कल्याण और विकास के लिए अनुशंसा किए थे। इसमें कुछ अनुशंसा को पूर्ण की गयी और अनेक अधूरी ही छोड़ दी गयी। जरूरत है कि प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि की अनुशंसा को अक्षरः लागू कर दी जाए। जिस उद्देश्य से सीएम नीतीश कुमार ने वर्ष 2007 में राज्य महादलित आयोग की स्थापना की थी। वह उद्देश्य पूर्ण नहीं हो सका है। उसे पूर्ण करने की आवश्यकता है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 23 तरह के दलित रहते हैं।सीएम नीतीश कुमार ने 22 जातियों को ही आयोग में शामिल किए थे। केवल केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान की जाति ‘दुसाध’ को ही हाशिए पर छोड़ रखा गया। अब महागठबंधन सरकार के किंग मेकर लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि सभी दलितों को महादलित घोषित कर दिया जाए। अगर सीएम नीतीश कुमार द्वारा किंग मेकर के कथन को मान लेते हैं तो बिहार में कोई दलित नहीं रहेंगे। सब के सब महादलित हो जाएंगे। दलित को पदोन्नत करके महादलित बनाने का सवाल नहीं है। सवाल हाशिए में रहने वाले महादलितों का कल्याण और विकास सुनिश्चित किया जाए। इनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करनी होगी। रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शौचालय, रोजगार, मार्ग, बिजली,शुद्ध पेयजल आदि जरूर ही मुहैया करवाना चाहिए।
किसी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति की मौत हो जाती है। तब विधवा के परिवार में कबीर अंत्येष्ठि योजना से ही राशि मिल पाती है। इसके बाद मृत्यु प्रमाण-पत्र,एफआईआर,पोस्टमार्टम आदि कागजात उपलब्ध नहीं करा सकने के कारण परिवारिक लाभ योजना, लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से महरूम हो जाते हैं। कोई ऐसी व्यवस्था हो कि केवल अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति के मृतक परिवार के सदस्य आवेदन दें। आवेदन प्राप्त करने वाले ही कार्यालय अपने स्तर से प्रमाण-पत्र प्राप्त करें। ऐसा करने से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति के लोगों को सरकारी योजनाओं से अधिकाधिक लाभ मिल पाएगा। ऐसे लोग सरकारी दफ्तर में जाते हैं तो उनसे मुंहमांगी रकम वसूल कर ली जाती है।