- ‘ना काटो मुझे बड़ा दुखता है’
- नन्हें-मुन्नें बच्चों ने गीत-संगीत के माध्यम से दी पर्यावरण व वातावरण को हरा-भरा बनाएं रखने का संदेश
- वार्षिकोत्सव में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमो से दर्शकों का मन मोहा
- विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी में मिसाइल से लेकर हेलीकाप्टर आदि माॅडलों के जरिए छात्रों ने उकेरी अपनी प्रतिभा व आत्मविश्वास
वाराणसी। मुझसे है सांसों की तुम पर मेहरवानी, मैं ना रहा तो न रहेगा पानी, मैं तेरा हिस्सा हूं तू मेरा हिस्सा है। मैं दूं तुमकों भरपूर छाया, तू तो मुझे समझ ही न पाया, फिर भी हमें काटा गया, तुझकों नजर भी नहीं आया, ‘ना काटो मुझे बड़ा दुखता है’, गीत पर वृक्ष का रुप धारण किए जब नन्हें-मुन्ने बच्चों ने अपनी प्रस्तुती दी तो दीर्घा में बैठे हर शख्स की आंखे डबडबा गयी। पर्यावरण एवं वातावरण को हरा-भरा बनाने से लेकर पेड़-पौधों की महत्ता, उपयोगिता को छात्रों ने नृत्य के जरिए बताने की कोशिश किया कि किस तरह जन-जन को तैयार करना है और वेद-पुराणों में भी वृक्ष की कितनी अहमियत है। ट्रेडिशनल परिधान हाथों में थामें फयुजन वीट्स पर कदमों की थिरकन का असर दर्शकों पर कुछ यूं चढ़ा कि कब कार्यक्रम के समापन का वक्त का पता ही नहीं चला। यह नजारा था धर्म एवं आस्था की नगरी काशी के सेंट जांस स्कूल, मढौली के दो दिवसीय वाषिकोत्सव समारोह-2015 का।
इस दौरान बच्चों द्वारा विज्ञान एवं कला पर आधारित तैयार माॅडल में काशी की गौरवशाली परम्परा, भाईचारा, कला-संस्कृति, और धार्मिक महत्व की झलक भी दिखी। खास बात यह रही कि नन्हें-मुन्नों ने विज्ञान, कला, साहित्य संबंधी विभिन्न विषयों पर माॅडल बनाकर अपनी क्रियात्मक क्षमता एवं हूनर का अनूठा संगम प्रस्तुत किया। जिसे देख न सिर्फ अभिभावकों एवं दर्शकों की आंखे खुली की खुली रह गयी बल्कि उनके कला कौशल से वह मंत्रमुग्ध होकर रह गए थे। अतिथियों के स्वागत गीत की जीवंत प्रस्तुति पर दर्शकों की खुशी का ठिकाना न रहा। मोक्षदायिनी गंगा की काशीवासियों को मार्मिक अपील तथा स्वच्छता संदेश देकर बच्चों ने दर्शकों को भावना के सागर में डूबो दिया। दर्शकों से भरा खचाखच दर्शक दीर्घा में स्कूल के बच्चों ने वर्तमान काल की अनेक ज्वलंत समस्याओं और उनके समाधान जैसे माॅडलों द्वारा राष्ट के प्रति अपने दायित्वबोध का भी चीर-परिचिज अंदाज में दिया। बच्चों ने कार्यक्रम की शुरुवात प्रार्थना से की। इसके बाद वेलकम सांग के बीच छोटे-छोटे बच्चों की मनमोहक प्रस्तुति लोगों को खूब भया।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि वाराणसी कैथोलिक धर्मप्रांत के धर्माचार्य विशप यूजीन ने दीप प्रज्वलित कर किया। अंत में श्री यूजीन ने बच्चों, अभिभावकों व अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा आज के दोर में पर्यावरण को हरा-भरा बनाएं रखने व वातातावरण को शुद्ध करने के लिए स्वच्छता जरुरी है। उन्होंने शिक्षकों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक वह होते है जो शिक्षा के माध्यम से न सिर्फ बच्चों को हुनरमंद बनाते है बल्कि समाज को एक नई दिशा भी देने में कारगर भूमिका निभाते है। एक वक्त था जब लोग आईएएस आईपीएस बनने से अच्छा शिक्षक बनना पसंद करते थेद्व क्योंकि शिक्षक को समाज से सबसे उच्च स्थान होता था। वह सम्मान आज भी बना रहे इसकी कोशिश करनी होगी। तकनीकी के दौर में व्यवहारिक शिक्षा पर बल देते हुए श्री यूजीन ने कहा िकइस तरह के कार्यक्रम छात्रों में आत्मबल एवं चरित्रबल को विकसित करते है। साथ ही उन्हें व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ते है। स्थिर, चरित्र, एवं दृश्य-श्रव्य तीनों ही प्रकार के माॅडलों में सर्वोत्कृष्ट माॅडल को विशिष्ट अतिथि इमेरिट प्रोफेसर लल्लन मिश्र, रसायन विभाग बीएचयू द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा। प्रदर्शनी का उद्देश्य छात्रों में अंतर्निहित योग्यताओं को उभारकर उनके ज्ञान का संवर्धन करना है, जिससे उनका बहुआयामी विकास हो सके। स्वागत स्कूल प्रिसिंपल फादर थाॅमस ने करते हुए कहा कि अपनी क्षमता और रुचि को पहचानने तथा निखारने का यह एक बेहतरीन अवसर है जो भविष्य में छात्रों को दिशा-निर्देशित करेगा।