नयी दिल्ली, 30 नवम्बर, उच्चतम न्यायालय ने 2008 के मालेगांव विस्फोट के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए विशेष अदालत को दो और महीने वक्त दिया है। न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की खंडपीठ ने आज अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘‘विशेष अदालत को दो महीने और समय दिया जाता है। श्री मेहता ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया था कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) से संबंधित विशेष अदालत ने दो-माह अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि विशेष अदालत के पीठासीन अधिकारी ने हाल ही में कार्यभार संभाला है और उन्हें कुछ और समय दिया जाना चाहिए। इसके बाद शीर्ष अदालत ने दो माह का अतिरिक्त समय देते हुए कहा कि ले. कर्नल एस. पी. पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित मालेगांव विस्फोट के विभिन्न आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर यथाशीघ्र सुनवाई की जाए। न्यायालय ने गत 15 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था कि राकेश डी. धावड़े को छोड़कर अन्य की जमानत याचिकाओं की सुनवाई के दौरान मकोका के प्रावधानों पर विचार नहीं किया जाएगा। धावड़े पर मालेगांव विस्फोट से पहले परभनी और जालना की ऐसी ही घटनाओं में शामिल होने का आरोप है।