नई दिल्ली। भारतीय सिटिज़न सिक्युरिटी काउंसिल के तत्वाधान में एक सेमिनार का आयोजन दिल्ली में किया गया। इस सेमिनार का विषय इंगित करते हुए आये वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और 21 वीं सदी में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है । देश अपनी मध्यम वर्गीय शिक्षित पेशेवरों, अपने सांस्कृतिक प्रभाव, प्रवासियोँ, आर्थिक विकास और वैश्विक विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। दुनिया के हर प्रमुख धर्म भारत में प्रचलित है, और इसकी धर्मनिरपेक्षता और सांस्कृतिक परंपराओं की जड़ें भारत के गौरबशाली अतीत में बहुत गहरी हैं। भारत की राष्ट्रीय-सुरक्षा समस्याएँ इस प्रकार इस तरह अपने इतिहास , भूगोल, औपनिवेशिक विरासत , सामाजिक-सांस्कृतिक और जातीय- धार्मिक परंपराओं , जनसंख्या, और सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के कारकों से उभरती हैँ।
भारत कई दशकोँ से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से जूझ रहा है, जिसमेँ आंतरिक-सुरक्षा की चिंता प्रमुख कारण रहा है। आतंकवादी हमलों ने बड़ी हद तक देश को अस्थिर करने का प्रयास किया है। सरकारोँ ने आतंकवाद की इस बीमारी के उन्मूलन के लिए और साथ ही सांप्रदायिक, धार्मिक और जातीय संघर्ष के संबंधित चुनौतियों से निपटने एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति विकसित करने केप्रयास किये हैँ। जब सरकार सुरक्षा नीतियों की अवधारणा के लिये विभिन्न हितधारकों से सुझाव आमंत्रित कर रही है तो मीडिया को एक आवश्यक योगदानकर्ता होना चाहिए। मीडिया आधुनिक युग में शासन-कला का एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है। यह राष्ट्र का चौथा स्तंभ'है जो उसके हितों, उद्देश्यों और लक्ष्यों को प्राप्त करने मेँ मदद करता है। सूचना-क्रांति के उदय से तथा से 'अन्य माध्यम से युद्ध के उद्देश्यों को प्राप्त करने’ के लिए मीडिया के उपयोग के बाद, मीडिया नायकों और खलनायकों का निर्माण, और राक्षसोँ और दुश्मनों को बनाने व पोषित करने के रूप एक महत्वपूर्ण तत्व है।मीडिया द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर लोगों के बीच विश्वास-निर्माण के उपकरण के रूप में एक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से इसका महत्व बढ़ जाता है।
इलैक्ट्रॉनिक और सामाजिक प्रिंट तथा सोशल मीडिया के स्वयं अपने विविध निर्धारित लक्ष्यों के अलावा निर्धारित प्राप्त किये जाने वाले हित भी हैँ। यहाँ भी बदमाशों, अकुशल और लालची गिद्धों की उपस्थिति है। फिर भी, अपने सबसे अच्छे रूप में, मीडिया एक महत्वपूर्ण सेवा राष्ट्र को प्रदान करता है जो अनयत्र कहीं नहीं मिल सकती है. तथ्य यह है कि मीडिया राष्ट्रीय सुरक्षा की एक आवश्यक घटक है और सुरक्षा बलों के लिए एक शक्ति के गुणक की भूमिका निभा सकती है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की कवरेज, चर्चा और विश्लेषण के संबंध में भारतीय मीडिया ने कभी-कभी राष्ट्रीय हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के वास्तविक मामलों के प्रति एक दु:खद असंवेदनशीलता प्रदर्शित की है। इस संबंध में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को अधिक दोष जाता है जो “तीस सैक्न्ड के साउंड-बाइट्स"में जटिल राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को समेँटने का प्रयास करते हैँ। हमेँ मीडिया बिरादरी के साथ भारत के ‘राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों’ की समझ के महत्व और इसके द्वारा एक स्थिर और कुशल सरकार को बनाए रखने में भूमिका अदा करने के महत्व पर जोर देना चाहिए। हमेँ चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरोँ का मुकाबला करने के लिए भारत में राज्य और मीडिया के बीच एक प्रभावी सहयोग की आवश्यकता की जरूरत को आगे रखना है। अपने समकालीन सुरक्षा चुनौतियोँ और आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीतियों में निभाने वाली भूमिका के साथ भारतीय मीडिया का वास्ता राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के निर्माण में अपरिहार्य हो जाता है।