नयी दिल्ली, 01 दिसंबर, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि देश में जानबूझकर असहिष्णुता का बनावटी माहौल बनाया जा रहा है और देश का आश्वस्त किया कि सामाजिक और धार्मिक समरसता बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को कतई नहीं बख्शा जायेगा। गृहमंत्री ने देश के साहित्यकारों, लेखकों, कलाकारों, चित्रकारों, वैज्ञानिकों आदि से यह अपील भी की कि वे सहिष्णुता का माहौल बनाने के लिए सरकार का मार्गदर्शन करें और उन्हें वचन दिया कि सरकार उस पर जरूर अमल करेगी। श्री सिंह ने देश में असहिष्णुता की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति पर लोकसभा में नियम 193 के तहत दो दिन चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा, “देश में असहिष्णुता का बनावटी माहौल बनाकर बेमतलब का वितंडावाद पैदा किया जा रहा है। मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि भारत दुनिया का सबसे सहिष्णु देश है।” उन्होंने कहा कि सहिष्णुता हमारी परंपरा है और हम किसी के दबाव सहिष्णु नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हम सहिष्णु थे, सहिष्णु हैं और सहिष्णु रहेंगे।”
गृहमंत्री ने कहा कि वह देश को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि जो सामाजिक और धार्मिक समरसता बिगाड़ने की कोशिश करेगा उसकी खैर नहीं है। उन्हाेंने कहा कि राजनीतिक परिदृश्य में सबसे अधिक असहिष्णुता का शिकार अगर कोई हुआ है तो वह भारतीय जनता पार्टी और व्यक्ति के तौर पर श्री नरेन्द्र मोदी। उन्होंने कहा कि कम से कम जनादेश का तो सम्मान किया जाना चाहिये। श्री सिंह ने असहिष्णुता बढ़ने के नाम पर अवॉर्ड लौटाने वालों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इनमें से कुछ लोगों ने लोकसभा चुनावों से पहले एक बयान जारी किया था कि श्री मोदी को देश का प्रधानमंत्री नहीं बनाया जाना चाहिये। अब उन्हें श्री मोदी को मिले प्रचंड बहुमत का आदर करना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस देश में असहिष्णुता की तीन बड़ी घटनाएं देश का बंटवारा, आपातकाल और 1984 के सिख विरोधी दंगे हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब कश्मीर का अमर साहित्य जलाया जा रहा था तब ये लाेग कहां थे। जब लाखों कश्मीरी पंडितों को घाटी से खदेड़ा गया तब ये लोग कहां थे। गृहमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सहिष्णुता पर बल नहीं दिया गया है बल्कि इसे अंगीकार किया गया है। यहां हर जाति, धर्म, पंथ और संप्रदाय को अपने परिवार का सदस्य माना जाता है। भारतीय संस्कृति ने पूरी दुनिया को एक परिवार मानकर ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दिया है। सहिष्णुता हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है, हमारी परंपरा में है। इस परंपरा को इस धरती से कोई नहीं छीन सकता।
गृहमंत्री ने कहा कि कुछ बनावटी और कागजी गोले दागे जा रहे हैं। यह विषय गंभीर है लेकिन देश के लिये आत्मघाती है। ऐसे बयानों से बचने की नसीहत देते हुए श्री सिंह ने सवाल किया कि कि क्या ऐसे बयान देकर हम दुनिया को यह संदेश दे रहे हैं कि यहां निवेश करने के लिये मत आइये। उन्होंने कहा कि पहले एक प्रकार के विचार के लोगों का आदर था। उन्होंने कहा कि देश में असहिष्णुता की तीन बड़ी घटनायें हुईं हैं। पहली, देश का धर्म के नाम पर बंटवारा। दूसरी, विरोध की आवाज दबाने के लिये आपातकाल लगाना और तीसरी, 1984 के दंगे जिसमें अकेले दिल्ली में ही 2300 सिखों को जिन्दा जला कर मार दिया गया और 131 गुरुद्वारे नष्ट कर दिये गये। इसके अलावा हाशिमपुरा, मेरठ, भागलपुर के दंगे, तस्लीमा नसरीन को कोलकाता से भगाना, जयप्रकाश नारायण की आवाज़ दबाने के लिये आपातकाल में विपक्षी नेताओं को जेल में डाल देना भी असहिष्णुता के बड़े उदाहरण हैं और जिनके शासनकाल में ये घटनायें हुईं उन्हें भी उत्तर देना चाहिये। उन्होंने कहा, मैं नाज़ के साथ कहना चाहता हूँ कि सर्वाधिक सहिष्णुता भारत में ही है।” इसबीच श्री सिंह ने अरब देशों में इस्लामिक समुदायों में खूनखराबे का उल्लेख किया तो कांग्रेस और वामपंथी दल के सदस्यों ने मंत्रियों के विवादास्पद बयानों एवं सांप्रदायिक घटनाअों के बारे में उत्तर देने की माँग को लेकर हंगामा किया तथा बाद में सदन से वॉकआउट भी किया। श्री सिंह ने उनसे कहा कि उनके हर सवाल का उत्तर देने को तैयार है बशर्ते विपक्ष उन्हें धैर्य से सुने। गृहमंत्री ने दादरी की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस घटना के बाद केन्द्र सरकार ने एक परामर्श जारी करके उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मँगाई थी जिसमें राज्य सरकार ने इस घटना के सांप्रदायिक घटना होने, गोमाँस की या साजिश की बात स्वीकार नहीं की थी। रिपोर्ट में घटना के बारे में कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार सिफारिश करे तो केन्द्र सीबीआई से जाँच करा सकती है। उन्होंने नरेन्द्र दाभोलकर, गोविन्द पनसारे और एम.एम. कलबुर्गी की हत्या की घटनाओं के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिस सनातन संस्था के सदस्य को दाभोलकर हत्या मामले में गिरफ्तार किया गया है, उसे आतंकवादी संगठन घोषित करने के बारे में एक याचिका 2011 में बम्बई उच्चन्यायालय में दाखिल की गयी थी और 2013 में केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने अदालत को दिये एक हलफनामें में कहा था कि इस संस्था को प्रतिबंधित करने लायक सबूत नहीं मिले हैं।
केन्द्रीय राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह के बयान के बारे में गृह मंत्री ने याद दिलाया कि उन्होंने उसी वक्त कहा था कि सभी को ऐसे बयान नहीं देने चाहिये जिनके बाद में भिन्न भिन्न अर्थ लगाना संभव हो। जनरल सिंह ने भी अपनी सफाई दी है लेकिन उसके बावजूद उनके प्रति असहिष्णुता बरती जा रही है। यह ना तो सरकार के प्रति न्याय है और ना ही देश के प्रति। उन्होंने कहा कि सरकार में अगर कोई असहिष्णुता आयी है तो भ्रष्टाचार, आतंकवाद, गरीबी, गरीबों पर अत्याचार और गंदगी के प्रति आयी है। बेटियों पर अत्याचार को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। श्री सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से वह बुद्धिजीवियों को आश्वासन देते है कि समाज में किसी भी प्रकार की असहिष्णुता को बढ़वा नहीं दिया जाएगा लेकिन यह काम सरकार अकेले नहीं कर सकती हे। इसमें सभी का सहयोग चाहिए तभी समाज में समरसता का भाव आएगा। उन्होंने कहा कि वह देश के साहित्यकारों, कलाकारों, लेखकों, व्यंग्यकारों, चित्रकारों, वैज्ञानिकों से अपील करते है कि जब भी देश पर संकट आये हैं तब उन्होंने रास्ता दिखाया है। यदि उन्हें लगता है कि देश में असहिष्णुता की परिस्थितियां पैदा हो गयीं हैं तो वे आएं और मिल बैठकर मार्गदर्शन करें। सरकार उसे ठीक करने के लिए कदम उठाएंगे। श्री सिंह ने उनसे यह भी अपील की कि वे चाहें तो सरकार को आमंत्रित करें। वह अाने को तैयार हैं। देश में सहिष्णुता का माहौल बनाये रखने के लिए जो भी जरूरी होगा सरकार अवश्य करेगी।