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सजा माफी का तमिलनाडु का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया

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नयी दिल्ली 02 दिसम्बर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में आज कहा कि तमिलनाडु सरकार केंद्र से उपयुक्त विचार विमर्श किये बिना राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की सजा माफ नहीं कर सकती, मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार को वैसे जघन्य मामलों के अपराधियों की सजा माफ करने का एकतरफा अधिकार नहीं है, जिनकी जांच केंद्रीय एजेंसियों ने की हो। संविधान पीठ ने राजीव गांधी की हत्या के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे संथन मुरुगन और अरिवु एवं अन्य की सजा माफी के बारे में कहा कि ये फिलहाल जेल में रहेंगे और इनकी सजा माफी के बारे में तीन-सदस्यीय पीठ निर्णय करेगी। 

शीर्ष अदालत ने कहा, “राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों की रिहाई के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित आदेश पर तीन सदस्यीय पीठ फैसला करेगी। सजा माफी के लिए केंद्र सरकार से उपयुक्त तरीके से सम्पर्क किया जाना चाहिए। बलात्कार एवं हत्या जैसे जघन्य अपराधों के लिए आजीवन कारावास का मतलब है ताउम्र जेल में रखा जाना।” न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि इस संदर्भ में तमिलनाडु सरकार उपयुक्त तरीके से केंद्र सरकार से विचार विमर्श करेगी, क्योंकि वह इन अपराधियों की सजा माफी का एकतरफा आदेश नहीं दे सकती। न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार से रायमशविरा किये बिना ऐसे अपराधियों की सजा माफ करने का उसे अधिकार नहीं है।

शीर्ष अदालत ने दया याचिकाओं के निपटारे में देरी के आधार पर वी श्रीहरन उर्फ मुरुगन, टी सुधेन्द्रराजा उर्फ संथन और ए जी पेरारीवलन उर्फ अरिवु की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी थी। उसके बाद राज्य सरकार ने तीनों की सजा माफ करने का फैसला किया था। केंद्र सरकार की अपील पर शीर्ष अदालत ने 20 फरवरी 2014 को इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी। न्यायालय ने हत्या की साजिश में शामिल चार अन्य दोषियों- नलिनी, रॉबर्ट पॉयस, जयकुमार एवं रविचंद्रन- की रिहाई पर भी रोक लगा दी थी। न्यायालय ने कहा था कि इस फैसले में राज्य सरकार ने वैध प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।संथन, मुरुगन एवं अरिवु फिलहाल वेल्लोर की केंद्रीय जेल में बंद हैं। 

केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए जघन्य अपराधों के दोषियों की सजामाफी के राज्य सरकार के अधिकारों सहित अनेक संवैधानिक पहलुओं पर संविधान पीठ से निर्णय का अनुरोध किया था। संविधान पीठ के अन्य सदस्य थे- न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला। मुख्य न्यायाधीश अाज ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 

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