नयी दिल्ली 02 दिसंबर, शहरीकरण के विस्तार, मध्यम वर्ग की संपत्ति की सुरक्षा की बढ़ती जरूरत, विदेशी निवेश में तेजी के साथ आतंकी घटनाओं और अपराध के बढ़ते ग्राफ के मद्देनजर वर्ष 2020 तक देश के सुरक्षा सेवा उद्योग का कारोबार के मौजूदा 40 हजार करोड़ के मुकाबले 20 फीसदी बढ़कर 80 हजार करोड़ तक पहुँचने की उम्मीद है। वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) एवं शोध सलाह देने वाली कंपनी ग्रांट थॉर्नटन की आज यहाँ जारी रिपोर्ट ‘प्राईवेट सिक्युरिटी सर्विसेज इन इंडिया’ के अनुसार, वर्तमान में इस क्षेत्र में लगभग 70 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त है और 2020 तक इसमें रोजगार के 50 लाख नये अवसर सृजित होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है, “पिछले दो दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और आतंकी खतरों के बढ़ने से सुरक्षा की आवश्यकता कई गुना बढ़ गई है।
बड़ी बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं, औद्योगिक परिसरों, बड़े/छोटे कार्यालयों, आईटी पार्कों, मेट्रो स्टेशनों, मॉल, हवाई अड्डों, खेल परिसरों और शैक्षणिक संस्थानों आदि को सुरक्षित बनाये रखने के लिए सुरक्षा सेवाओं की माँग बढ़ी है।” रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 में सुरक्षा सेवा उद्योग का केवल 35 प्रतिशत ही संगठित था जिसके अगले पाँच साल में 50 प्रतिशत तक पहुँचने की उम्मीद है। मानव-युक्त सुरक्षा सेवा की सुरक्षा सेवा बाज़ार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है जो करीब 75-80 प्रतिशत है। दूसरा स्थान नकदी सुरक्षा सेवा का है, जिसकी हिस्सेदारी करीब 20-25 प्रतिशत है।
फिक्की के महासचिव डाॅ. ए. दीदार सिंह ने कहा, “निजी सुरक्षा उद्योग करीब 550 जिलों में कार्य कर रहा है और जैसे-जैसे आर्थिक विकास का लाभ ज़िलों से प्रखंड और ग्रामीण स्तर तक पहुँचेगा इसके और बढ़ने की उम्मीद है। देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजक बनने की क्षमता रखने वाला यह क्षेत्र सरकार के लिए राजस्व का एक बड़ा स्रोत है। 'मेक इन इंडिया'पर माननीय प्रधानमंत्री के बल देने से निर्माण और ऐसे अन्य उद्योगों में विदेशी पूँजी निवेश में बढ़त देखी जा रही है। इससे निजी सुरक्षाकर्मियों की माँग बढ़ने की उम्मीद है।